Social Media पर रहें सावधान, हो सकते हैं फ्रौड के शिकार

Social Media : 25 साल की भोपाल की शीतल की पलवल हरियाणा के 23 साल के विनोद से फ्रैंडशिप फेसबुक पर 3 साल पहले हुई थी. विनोद शादीशुदा था, मगर उस ने यह बात शीतल से छिपा कर उस से दोस्ती कर रिलेशनशिप भी बनाई. विनोद को अपना सबकुछ सौंप चुकी शीतल को यह रिलेशनशिप भारी पड़ी. विनोद उसे मनाली घुमाने के बहाने ले गया और 15 मई, 2024 को एक होटल में उस की हत्या कर एक ट्रौली बैग में उस की डैड बौडी छोड़ कर भाग निकला.

फरवरी, 2023 में भी मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर जिले के साईंखेड़ा में 23 साल की लड़की शिखा अवस्थी का मर्डर अमेठी उत्तर प्रदेश के राहुल ने इसलिए कर दिया कि शिखा की बड़ी बहन खुशबू से राहुल की फ्रैंडशिप हुई थी और वे दोनों शादी करना चाहते थे. छोटी बहन शिखा खुशबू को नसीहत दे रही थी कि अनजान लोगों से दोस्ती और शादी के चक्कर में कहीं तू अपनी जिंदगी बरबाद न कर लेना. प्यार में अंधी खुशबू ने राहुल के साथ मिल कर उस का घर के बाथरूम में ही मर्डर कर दिया.

आए दिन इस तरह की खबरें सामने आती हैं, जिन में अनजाने लोगों से सोशल मीडिया (Social Media) के माध्यम से की गई फ्रैंडशिप युवकयुवतियों के गले की फांस बन जाती है और पेरैंट्स अपनेआप को ठगा सा महसूस करते हैं. सोशल मीडिया का हद से ज्यादा उपयोग साइबर क्राइम के साथ रिश्तों को भी बिगाड़ने में अहम रोल निभा रहा है, मगर इस के खतरों से अनजान युवाओं और किशोरों को  नशे की तरह इस की लत लग चुकी है.

मोबाइल का गलत इस्तेसाल

टीनऐजर बच्चों में मोबाइल का इस्तेमाल जिस तरह से बढ़ रहा है उस में पेरैंट्स की जिम्मेदारी काफी बढ़ गई है. अभिभावकों के लिए यह चैक करना जरूरी है कि उन के बच्चे सोशल मीडिया अकाउंट पर क्या ऐक्टिविटी कर रहे हैं. यदि कुछ गलत दिखे या किसी अनहोनी की आशंका हो तो समय पर साइबर सैल की मदद ली जा सकती है.

आजकल औनलाइन डेटिंग ऐप्लिकेशन, लोन उपलब्ध कराने वाले ब्लैकमेलिंग ऐंड्रौयड ऐप्लिकेशन और मोबाइल डिवाइस को हैक कर अश्लील फोटो बना कर शोषण की खबरें कुछ ज्यादा आ रही हैं. फेसबुक, इंस्टाग्राम आदि एड टूल्स के पहले दोस्ती फिर सुसाइड के मामले आए हैं. इसलिए ऐसे मामलों में पुलिस की मदद ले कर बचा जा सकता है.

मोबाइल ने युवकयुवतियों को इंटरनैट ऐडिक्ट बना दिया है. कोई कामधंधा करने के बजाय युवा सोशल मीडिया पर घंटों वक्त बरबाद कर रहे हैं. समाचारपत्र और पत्रिकाएं पढ़ने के बजाय युवा व्हाट्सऐप यूनिवर्सिटी और यूट्यूब चैनलों के अधकचरा ज्ञान को ही सबकुछ समझ रहे हैं. एक रिसर्च सैंटर की रिपोर्ट के अनुसार 13 से 17 वर्ष के 97त्न बच्चे 7 प्रमुख औनलाइन प्लेटफौर्मों में से कम से कम 1 का उपयोग जरूर करते हैं. इन के द्वारा सोशल साइट्स पर बिताया गया समय भी चौंकाने वाला है. एक रिपोर्ट से पता चलता है कि 13 से 18 साल की उम्र के औसत बच्चे हर दिन सोशल मीडिया पर लगभग 9 घंटे बिताते हैं.

बिगाड़ता है स्वास्थ्य

यही हाल युवाओं का है. सुबह से ले कर रात 12 बजे तक मोबाइल उन के हाथों से दूर नहीं होता. सोशल मीडिया पर बिताया गया अधिक समय साइबर बुलिंग, सामाजिक चिंता, अवसाद और उम्र के अनुरूप नहीं होने वाली सामग्री के संपर्क में आने का कारण बन जाता है.

जब आप कोई गेम खेल रहे होते हैं या कोई कार्य पूरा कर रहे होते हैं तो आप उसे पूरी  तन्मयता से करने की कोशिश करते हैं और जब  एक बार आप इस में सफल हो जाते हैं तो आप का मस्तिष्क आप को डोपामाइन और अन्य खुशी वाले हारमोन की खुराक देने लगता है, जिस से आप खुश हो जाते हैं.जब आप इंस्टाग्राम या फेसबुक पर कोई तसवीर पोस्ट करते हैं तो वही तंत्र काम करता है. एक बार जब आप अपनी स्क्रीन पर लाइक और कमैंट के लिए सभी सूचनाएं देखते हैं तो आप इसे पुरस्कार या प्रोत्साहन के रूप में स्वीकार कर लेंगे .

सोशल मीडिया (Social Media) बना ठगी का हथियार

14 मार्च, 2024 को मध्य प्रदेश के ग्वालियर के मुरार थाना क्षेत्र में रहने वाली 72 साल की आशा भटनागर रिटायर्ड प्रोफैसर हैं. उन की 2 विवाहित बेटियां पुणे में रहती हैं और 1 बेटा अमेरिका में जौब करता है. रिटायर्ड प्रोफेसर आशा के पति की 2017 में मौत हो चुकी है. वे अब घर में अकेली रहती हैं. इसलिए ज्यादातर समय सोशल मीडिया का इस्तेमाल करती हैं. एक दिन एक महिला पुलिसकर्मी बन कर ठग ने बुजुर्ग महिला को मुंबई पुलिस के अफसर के सामने वीडियो कौलिंग के जरीए बात करने को कहा.

उस अफसर ने आशा से कहा आप को मालूम नहीं कि आप का नाम चाइल्ड पोर्नोग्राफी के केस में नामजद हैं, गंभीर मामला है. फिर उस ने अपने दूसरे साथी को अधिकारी बता कर बात कराई. इन लोगों ने घर के अंदर ही वीडियोकौल पर शिक्षिका को डिजिटली अरैस्ट कर लिया. अपने को किसी केस में फंसा हुआ जान आशा इतनी परेशान हो गईं कि दूसरे दिन उन्होंने बैंक जा कर अपनी 51 लाख रुपए की एफडी तुड़वा कर क्राइम ब्रांच के अफसरों के बताए श्रीनगर की पंजाब नैशनल बैंक व राजकोट के फैडरल बैंक के अकाउंट नंबरों पर रुपए जमा करवा दिए. अगले दिन आशा ने अपने परिवार वालों को पैसे डालने के बारे में बताया तब समझ आया कि उन के साथ फ्रौड हुआ है.

साइबर ठगी

आज के समय में मित्रों, परिवार और को वर्कर्स के साथ संपर्क में रहने का सब से लोकप्रिय और मनोरंजन वाला जरीया सोशल मीडिया प्लेटफौर्म ही है. मगर इन प्लेटफौर्म पर फ्रौड करने वालों की पैनी नजर रहती है. फ्रौड करने वाले यूजर्स को अपना निशाना पहले बनाते हैं. यहां पर यूजर्स पर सीधे अटैक करने के बजाय उन की निजी जानकारी चुराई जाती है और उस के बाद उन के बैंक अकाउंट पर हमला किया जाता है.

सोशल मीडिया प्लेटफौर्म पर यूजर्स को एक मैसेज मिलता है, जिस में उन्हें कुछ गिफ्ट या बैनिफिट्स का वादा करने वाले लिंक पर क्लिक करने के लिए इनवाइट किया करते हैं. जैसे ही यूजर्स इस प्रकार के लिंक पर क्लिक करते हैं तो उन के फोन या डिवाइस में कुछ ऐप डाउनलोड हो जाते हैं जो यूजर्स की जासूसी करने और साइबर क्रिमिनल्स को जानकारी भेजने के लिए तैयार किए गए होते हैं.

सोशल मीडिया पर जानकारी देने वाले सभी इन्फ्लुएंसर सही खबरे दें एैसा नहीं है. कुछ इन्फ्लुएंसर सोशल मीडिया पर झूठी जानकारी भी शेयर करते हैं, जिन को लोग सच मान लेते हैं.  कुछ कंपनियां भी अपने प्रोडक्ट को बेचने के लिए इस तरह के इन्फ्लुएंसर का सहारा  लेती हैं.

सोशल मीडिया का सब से बड़ा खतरा उस पर परोसा जाने वाला झूठ है. सभी राजनीतिक दलों ने अपनी आईटी सेल बना रखी है जो 24 घंटे ?ाठी खबरें फैलाने का काम कर रही हैं. कई दफा इन फेंक न्यूज को पढ़ कर लोग इन्हें सही मान लेते हैं जिस से समाज में भ्रम, वैमनस्य और हिंसा की घटनाएं देखने को मिलती हैं. युवा पीढ़ी के साथ कामकाजी वर्ग के लोग भी सोशल मीडिया के गुलाम बन चुके हैं. औफिस में काम के वक्त भी नौकरीपेशा लोग घंटों सोशल मीडिया साइट्स पर बिता रहे हैं.

सोशल मीडिया साइट्स पर किसी प्रकार का नियंत्रण नहीं है. फेसबुक, इंस्टाग्राम, ओटीटी पर पोर्न कंटैंट परोसा जा रहा है. सोशल मीडिया साइट्स पर लौग इन के लिए कोई ठोस प्रावधान और पहचान की जरूरत नहीं है. यही कारण है कि नाबालिग बच्चे भी अपनेआप को बालिग दिखा कर अपना प्रोफाइल बना लेते हैं और फिर इस नाजुक उम्र में ऐसे प्लेटफौर्म पर उपलब्ध कंटैंट को देखने के आदी हो जाते हैं और फिर साइबर ठगी या सैक्सुअल हैरसमैंट का शिकार बनते हैं.

पुलिस ने जारी की एडवाइजरी

हाल ही में भोपाल पुलिस द्वारा जारी की गई एडवाइजरी में बताया गया है कि सोशल मीडिया ब्लैकमेलिंग या साइबर क्राइम होने पर हैल्प लाइन 1930 पर संपर्क करें और भोपाल में मोबाइल नंबर 9479990636 पर भी अपनी शिकायत या समस्या बता सकते हैं. यदि आप का नाबालिग बच्चा  सोशल मीडिया, ओटीटी प्लेटफौर्म पर वैब सीरीज आदि देख रहा है तो सतर्क रहें. कहीं आप का बच्चा ओटीपी कंटैंट के चक्कर में फंस चुका है तो उस की काउंसलिंग कराएं. परिवार के बीच बैठ कर उस से खुल कर चर्चा करें.

भोपाल शहर के पुलिस कमिश्नर हरिनारायणचारी मिश्रा के अनुसार सोशल मीडिया पर कई तरह के गिरोह सक्रिय हैं जो मासूमों और युवाओं को अपना शिकार बना रहे हैं. ऐसे में अभिभावकों को चाहिए कि बच्चों को गलत ट्रैक पर जाने से पहले ही आगाह करें. यदि समस्या ज्यादा बढ़ चुकी है तो तत्काल साइबर सैल की सहायता ले कर मामले को सुल?ाने पर परेशान होने से बच सकते हैं. सोशल मीडिया फ्रैंडशिप के बढ़ते चलन को ले कर भोपाल पुलिस ने अभिभावकों के लिए एडवाइजरी जारी की है, जिस में आगाह किया है कि सोशल मीडिया फ्रैंडशिप में सर्तकता और सावधानी रखना बेहद जरूरी है.

सोशल मीडिया साइट्स के उपयोग में बरतें सावधानी

सोशल मीडिया पर बिना जांचपड़ताल के किसी अनजान से दोस्ती न करें.

सोशल मीडिया साइट्स पर पर्सनल वीडियो, फोटो या पर्सनल बातें बताने से बचें.

बगैर पुख्ता पहचान के किसी शख्स को पैसे न भेजें और न ही किसी तरह के लिंक पर क्लिक करें.

अपने साथ ठगी, ब्लैकमेलिंग होने पर तुरंत लोकल पुलिस स्टेशन में अपनी शिकायत दर्ज कराएं.

अनजान नंबरों से आने वाली व्हाट्सऐप कौल को अटैंड न करें.

यदि फेसबुक मैसेंजर से कोई अपने परिचित की आईडी से पैसों की डिमांड करता है तो एक बार अपने परिचित को फोन कर के कन्फर्म जरूर कर लें.

अधूरा ज्ञान देता मोबाइल

सोशल मीडिया ने आज आम लोगों की खासतौर पर  लड़कियों, औरतों, मांओं, प्रौढ़ों, वृद्धाओं की सोच को कुंद कर दिया है क्योंकि उन्हें लगता है कि जो उन के मोबाइल की स्क्रीन पर दिख रहा है वही अकेला और अंतिम सच है, वही देववाणी है, वही धर्मादेश है, वही हो रहा है. अब यह न कोई बताने वाला बचा है कि जो दिखा है वह उस का भेजा है जो आप जैसी सोच का है, आप के वर्ग का है, आप की बिरादरी का है क्योंकि सोशल मीडिया चाहे अरबों को छू रहा हो, एक जना उन्हीं को फौलो कर सकता है जिन्हें वह जानता है या जानना चाहता है.

सोशल मीडिया की यह खामी कि इसे कोई ऐडिट नहीं करता, कोई चैक नहीं करता. इस पर कमैंट्स में गालियां तक दी जा सकती हैं. सोशल मीडिया को जानकारी का अकेले सोर्स मानना सब से बड़ी गलती है. यह दिशाहीन भी है, यह भ्रामक भी है,  झूठ भी है. यह जानकारी दे रहा है पर टुकड़ों में.

नतीजा यह है कि आज की लड़कियां, युवतियां, मांएं, औरतें पढ़ीलिखी व कमाऊ होते हुए भी देश व समाज को बदलने के बारे में न कुछ जान पा रही हैं, न कह पा रही हैं, न कर पा रही हैं क्योंकि उन्हें हर बात की जानकारी अधूरी है. यह उन से मिली है जो खुद अनजान हैं, उन के अपने साथी हैं. सभी प्लेटफौर्मों से आप उन्हीं के पोस्ट देखते हो जिन्हें फौलोे कर रहे हों और अगर कहीं महिलाओं के अधिकारों की बात हो भी रही हो तो वह दब जाती है क्योंकि जो फौरवर्ड कोई नहीं कर रहा. औरतों की समस्याएं कम नहीं हैं. आज भी हर लड़की पैदा होते ही सहमीसहमी रहती है. उसे गुड टच बैड टच का पाठ पढ़ा कर डरा दिया जाता है. उसे मोबाइल पकड़ा कर फिल्मों, कार्टूनों में उल झा दिया जाता है. उसे घर से बाहर के वायलैंस के सीन इतने दिखते हैं कि वह हर समय डरी रहती है. हर समय घर में मोरचा तो खोले रहती हैं पर घर के बाहर का जीवन क्या है यह उसे पता ही नहीं होता.

हमारी टैक्स्ट बुक्स आजकल एकदम खाली या भगवा पब्लिसिटी का सोर्स बन गई हैं. उन से जीने की कला नहीं आती. घरों में मोबाइल और सोशल मीडिया की वजह से संवाद कम हो जाता है, अनजानों की रील्स और आधीअधूरी जानने वालों की पोस्टों से ही फुरसत नहीं होती कि घर में रहने वाले कैसे रह रहे हैं, क्या सोच रहे हैं, क्या कर रहे हैं. यह संवादहीनता ही घरों में विवादों की जड़ है. कोई दूसरे को सम झ ही नहीं रहा क्योंकि मोबाइल पर एकतरफा बात हो रही है और यह बात भी ऐसी कि अगर अच्छी हो तो उसे संजो कर नहीं रख सकते.

धर्म वाले अभी भी धंधा चालू रख रहे हैं. वे मोबाइलों पर आरतियों, कीर्तनों, धार्मिक उपदेशों,  झूठी महानता की कहानियों, रीतिरिवाजों को विज्ञान से जोड़ कर बकवास पोस्ट करे जा रहे हैं. चूंकि सोशल मीडिया एक तरफा मीडियम है, उसे देखने वालों को सच झूठ पता नहीं चल पा रहा. यह औरतों को ज्यादा भयभीत कर रहा है क्योंकि आज भी उन्हें डर है कि उन का बौयफ्रैंड या पति धोखा न दे जाए. औरतों को जो कहना होता है वे अब कह नहीं पा रहीं क्योंकि ऐसे प्लेटफौर्म कम होते जा रहे हैं, जहां कुछ गंभीर कहा जा सकता था.

बलौर्ग्स को भी इंस्टाग्राम और यूट्यूब को शौर्ट रील्स की फालतू की चुहुलबाजी, बेमतलब की ड्रैसों, फूहड़ नाचगानों ने कहीं पीछे कोने में धकेल दिया है.

जीवन आज भी फिजिकल चीजों से चलता है. सिर्फ पढ़ने या जानने के अतिरिक्त सबकुछ फिजिकल है, ब्रिक ऐंड मोर्टार का है, वर्चुअल नहीं है. आज जो भी हमारे चारों ओर है वह फिजिकल वर्ल्ड की देन है, यहां तक कि मोबाइल भी जो ब्रिक ऐंड मोर्टार व इंजीनियरिंग मशीनों से भरी फैक्टरियों से निकलते हैं, दुकानों में बिकते हैं. इस फिजिकल वर्ल्ड को भूल कर वर्चुअल वर्ल्ड में खो जाना एक तरह से धर्म की जीत है जो चाहता है कि भक्त काम करें पर फिजिकल चीजें उसे दे दें और खुद भक्ति में रमे रहें, किसी भगवान के आगे पसरे रहें, दान देते रहें.

फिजिकल वर्ल्ड का नुकसान आम लड़कियों को हो रहा है, युवतियों को हो रहा है, प्रौढ़ मांओंको हो रहा है, वृद्धाओं को हो रहा है जिन के पास अपना कहने को सिर्फ मोबाइल पर आने वाली सैकड़ों की तसवीरें और जल्दी मिट जाने वाले शब्दों के अलावा कुछ ज्यादा नहीं. अंबानी, अडानी, ऐलन मस्क को छोड़ दीजिए. वे धार्मिक कौंसपिरेसी का हिस्सा हैं, औरतों के दुश्मन हैं, उन्हें नाचने, अपनी वैल्थ दिखाने के लिए पास रखते हैं.

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