अहंकार से टूटते परिवार

पुरानी मान्यताओं के हिसाब से बेटी की शादी करने के बाद मातापिता उस की जिम्मेदारियों से पल्ला झड़ लेते थे. लड़की की मां चाह कर भी कुछ नहीं कर पाती थी. लड़के की मां को ही पतिपत्नी के बीच तनाव का कारण माना जाता था. मगर आधुनिक युग में बेटी के प्रति मातापिता की सोच बहुत बदली है. ज्यादातर घरों में पति से ज्यादा पत्नी का वर्चस्व नजर आने लगा है. इसलिए बेटी की ससुराल में होने वाली हर छोटीबड़ी बात में उस की मां का हस्तक्षेप बढ़ने लगा है.

आजकल की बेटियों का तो कुछ पूछो ही नहीं. अपने घर की हर बात अपनी मां को फोन से बताती रहती हैं. छोटेछोटे झगड़े या मनमुटाव जो कुछ देर बाद अपनेआप ही सुलझ जाता है उसे भी वे मां को बताती हैं. मांपिता को पता लग जाने मात्र से बखेड़ा शुरू हो जाता है.

बहू के घर वाले खासकर उस की मां उसे समझने के बदले उस की ससुरालवालों से जवाब तलब करने लगती है, जिसे लड़के के घर वाले अपने सम्मान का प्रश्न बना लेते हैं और अपने लड़के को सारी बातें बता कर उसे बीच में बोलने के लिए दबाव बढ़ाने लगते हैं.

पति को अपने मातापिता से जब अपनी ससुराल वालों के दखलंदाजी की बातें मालूम होती हैं, तो वह इसे अपने मातापिता का अपमान समझ कर गुस्से में आ कर पत्नी से झगड़ पड़ता है. उधर पत्नी भी अपने मातापिता के कहने पर उन के सम्मान के लिए भिड़ जाती है. मातापिता के विवादों की राजनीति में पतिपत्नी के बीच बिना बात झगड़ा और तनाव बढ़ता है.

छोटीछोटी बातों का बतंगड़

हर मातापिता जब अपने बच्चों की शादी करते हैं तो उन की खुशहाली ही चाहते हैं. फिर भी अपनी अदूरदर्शिता के कारण अपने ही बच्चों की जिंदगी बरबाद कर देते हैं. आजकल बेटी की मां को लगता है कि वह बराबर कमा रही है तो किसी की कोई बात क्यों सुने? यह बात भी सही है, गलत बात का विरोध करना चाहिए, अत्याचार नहीं सहना चाहिए, पर अत्याचार या कोई गलत व्यवहार हो तब न.

अकसर छोटीछोटी बातों का ही बतंगड़ खड़ा होता है. जरूरी नहीं है कि हर बात के लिए उद्दंडता से ही बात की जाए. अगर कोई बात पसंद नहीं आती हो तो बड़ों का अपमान करने के बदले शांति से समझ कर भी बातें की जा सकती हैं. बातबात पर उलझ कर यह बताना कि हम बराबर कमाते हैं, इसलिए हम किसी से कम नहीं, मेरी ही सारी बातें सही हैं जैसी बातें करना गलत है.

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लड़कियों में इस तरह की बढ़ती स्वेच्छाचारिता उन की स्वत्रतंता को नहीं दर्शाती है, बल्कि उन की उद्दंडता को ही दर्शाती है. किसी भी चीज का विरोध शांतिपूर्ण ढंग से भी समझ कर किया जा सकता है. लड़की को भी समझना चाहिए कि यह उस का घर है और घर की भी अपनी एक मर्यादा होती है.

बेवजह की बातें

मेरे पड़ोस में रिटायर बैंक कर्मचारी रहते हैं. उन का बेटा एक सरकारी औफिस में ऊंचे पद पर कार्यरत है. उन की बहू भी बेटे के औफिस में नौकरी करती है. हाल ही में उन्हें पोता हुआ, तो उन्होंने कोरोना को देखते हुए कुछ अती करीबी लोगों को ही बुलाया.

लड़के की बूआ बहू को बच्चे की बधाइयां देते हुए बोली, ‘‘समय से पहले ही बच्चे का बर्थ हो जाने से बच्चा बहुत कमजोर है. लगता है बहू कोल्डड्रिंक और फास्टफूड ज्यादा खाती थी तभी बच्चे का जन्म समय से पहले हो गया.’’

तुरंत लड़के की मां ने विरोध किया, ‘‘नहीं… ऐसी कोई बात नहीं है दीदी… बस हो जाता है कभीकभी.’’

पास में बैठी बहू की बहन ने सुन लिया. तुरंत रिएक्ट करते हुए बोली, ‘‘अच्छी बात है जिस के मन में जो आता है वही बोल जाता है. दीदी तुम ने विरोध क्यों नहीं किया, यों ही कब तक घुटघुट कर जीती रहोगी.’’

संयोग से तब तक बूआजी बगल वाले कमरे में चली गई थीं.

तुरंत बहू की मां ने रिएक्ट किया, ‘‘जिसे पूछना है मुझ से पूछे, दामादजी से पूछे, यों मेरी बेटी को जलील करने का उन्हें कोई हक नहीं है. वह कोई गंवार लड़की नहीं है, दामादजी के बराबर कमाती है.’’

लड़के की मां दौड़ी आईं, ‘‘कुछ मत बोलिए, वह घर की सब से बड़ी है. जो भी कहना हो बाद में मुझ से कह लीजिएगा.’’

तुरंत बहू बोली, ‘‘मेरी मां ने ऐसा क्या गलत कह दिया जो आप लोग उसे चुप कराने लगे?’’

फिर से बहन बीच में पड़ी, ‘‘इस सब में सब से ज्यादा गलती तो जीजाजी की है. वे अपनी बूआ से क्यों नहीं पूछते हैं कि वह इस तरह का ऊटपटांग बातें क्यों करती है.’’

तुरंत लड़़के की मां बोली, ‘‘मेरे बेटे के बाप की तो हिम्मत ही नहीं है कि अपनी बहन से सवाल पूछे. फिर मेरा बेटा क्या पूछेगा? अपने घर में हम अपने से बड़ों से उद्दंडता से बातें नहीं करते.’’

छोटी सी बात थी मगर

एक 80 साल के बुजुर्ग की बातों को ले कर दोनों परिवारों में कितने दिनों तक ठनी रही. लड़की के मातापिता अपनी बेटी को कहते कि उस की ससुराल में उन का अपमान हुआ है. वे लड़के वाले हैं तो क्या हुआ, मेरी बेटी उन के घर में इस तरह की उलटासीधी बात क्यों सुनेगी. लड़के की बूआ माफी मांगे वरना हम लोग लीगल ऐक्शन भी ले सकते हैं.’’

जब बहू ने ये सब बातें अपनी ससुराल में बोलीं तो लड़के के मातापिता बिगड़ गए, लड़के की मां बोली, ‘‘अच्छी जबरदस्ती है. मेरे घर की हर बात में टांग अड़ाते हैं, उलटे हमें धमकियां भी देते हैं. जो करना है करें, इतनी सी बात के लिए कोई माफी नहीं मांगेगा. इतना गुमान है तो रखें अपनी बेटी को अपने घर.’’

यह छोटी सी बात इतनी बढ़ी कि लड़की की मां अपनी बेटी को अपने घर ले गईं. न चाहते हुए भी पतिपत्नी, एकदूसरे से अलग हो गए. अपनेअपने मातापिता की प्रतिष्ठा बचातेबचाते बात तलाक तक पहुंच गई. बड़ी मुश्किल से लड़के के दोस्तों ने बीच में पड़ कर बात को संभाला.

गलत सलाह कभी नहीं

वंदना श्रीवास्तव एक काउंसलर है के अनुसार मातापिता के बेटी की ससुराल में छोटीछोटी बातों में दखल देने और लड़के के मातापिता के अविवेकी गुस्से और नासमझ भरी जिद्द से आज परिवार तेजी से टूट रहे हैं. वंदनाजी के अनुसार, उन के पास ज्यादातर ऐसे ही मामले आते हैं, जिन में मां की गलत सलाह के कारण बेटियों के घर टूटने के कगार पर होते हैं.

मेरे पड़ोस में एक सिन्हा साहब रहते हैं. उन्होंने अपनी इकलौती संतान अपने बेटे की शादी बड़ी धूमधाम से की. बहू को बेटी का मान देते थे. बहू भी बहुत खुश रहती थी और आशाअनुरूप सब से काफी अच्छा व्यवहार करती थी.

1 महीने बाद बेटा बहू के साथ दिल्ली लौट गया. वह वहीं जौब करता था. बहू भी वहीं जौब करती थी. जब बहू गर्भवती हुई बेटा मां को अपने पास बुला लाया, पर यह बात बहू की मां को पसंद नहीं आई. पहले वह समधन को यह कर घर लौटने की सलाह देती रही कि अभी से रह कर क्या कीजिएगा, समय आने पर देखा जाएगा. जब वह नहीं लौटी तो वह बेटी को समझने लगी कि जरूर तुम्हारी सास के मन में कुछ है, उन के हाथों का कुछ भी मत खानापीना.

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जैसे ही लड़के की मां की समझ में यह बात आई, वह वहां से जाने को तैयार हो गई, लेकिन बेटे के काफी अनुरोध करने पर उस की मां को वहां रुकना ही पड़ा. जब बच्चे का जन्म हुआ बहू की मां भी आ गई. फिर तो वह बच्चे को दादीदादा को छूने ही नहीं देती थी. बहू का व्यवहार अपनी मां को देख बदलने लगा. सीधीसादी सास उसे कमअक्ल नजर आने लगी. अपनी मां का साथ देते हुए सास से बुरा व्यवहार करने लगी. फिर अपनी मां के साथ अचानक मायके चली गई.

सासूमां और ससुरजी पटना लौट आए. तब से वे लोग बेटे के घर नहीं जाते हैं. बेटा खुद अपने मातापिता से मिलने आता है. रोज फोन भी करता है. बहू को ये सब पसंद नहीं है इसलिए घर में हमेशा तनाव बना रहता है. बहू के मां के कारण एक खुशहाल परिवार तनाव में जीता है.

अगर अपनी बेटी को सुखी रखना है तो खासकर लड़की की मां को बेटी का रिश्ता ससुराल में मजबूत बनाने में मदद करने के लिए उसे अच्छी सलाह देनी चहिए ताकि अपने अच्छे आचारविचार से वह सब का दिल जीत कर सब का प्यार और सम्मान पा सके. मां की जीत तभी है जब बेटी की ससुराल वाले उस पर नाज करें. तभी उस की बेटी खुद भी शांति से रहेगी और दूसरे को भी शांति से रहने देगी.

वहीं लड़के के मातापिता को बहू के मायके वालों की बातों को अपने सम्मान का विषय न बना कर इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि बच्चों का घर छोटीछोटी बातों से न टूटे वरना मातापिता के अहं की लड़ाई में बिना कारण बच्चों के घर टूटते रहेंगे.

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जब बहक जाए पति या बेटा

सरकारी औफिस में अधिकारी के रूप में काम करने वाले प्रदीप कुमार को देर रात तक घर से बाहर रहना पड़ता था. औफिस के काम से छोटेबडे़ शहरों में टूर पर भी जाना होता था. 48 साल के प्रदीप की शादी हो चुकी थी. उन की 2 बेटियां और 1 बेटा था. घर में वे जब भी पत्नी के साथ सैक्स की बात करते तो पत्नी शोभा मना कर देती. शोभा को बडे़ होते बच्चों की फिक्र होने लगती थी. शोभा को यह पता था कि यह प्रदीप के साथ एक तरह का अन्याय है पर बच्चों को संस्कार देने के खयाल में वह पति की भावनाओं को नजरअंदाज कर रही थी. प्रदीप का काम ऐसा था जिस में कई बड़े ठेकेदार और प्रभावी लोग जुडे़ होते थे. ऐसे में जब वह टूर पर बाहर जाते तो उन को खुश करने वालों की लाइन लगी रहती थी.

प्रदीप स्वभाव से सामान्य व्यक्ति थे. न किसी चीज के प्रति ज्यादाभागते थे और न ही किसी के प्रति उन के मन में कोई वैराग्य भाव ही था. हर हाल में खुश रहने वाला उन का स्वभाव था. एक बार वे आगरा के टूर पर थे. वहां उन को एक खास प्रोजैक्ट पर काम करना था. इस कारण उन को लगातार एक सप्ताह तक वहां रहना था. प्रदीप के लिए सरकारी गैस्ट हाउस में इंतजाम था. वहीं एक दिन कौलगर्ल की चर्चा होने लगी. देर शाम एक ठेकेदार ने लड़की का इंतजाम कर दिया. कुछ नानुकुर करने के बाद प्रदीप ने लड़की के साथ रात गुजार ली. इस के बाद तो यह सिलसिला चल निकला. कई बार प्रदीप को खुद लगता कि वे गलत कर रहे हैं पर उन को यह सब अच्छा लगने लगा था. अब वे अकसर शहर से बाहर जाने का बहाना बनाने लगे. कुछ दिन तो यह बात छिपी रही पर शोभा को शक होने लगा. शोभा ने बिना कुछ कहे उन पर नजर रखनी शुरू कर दी. शोभा को कई ऐसी जानकारियां मिल गईं जिन से उस का शक यकीन में बदल गया.

शोभा ने सोचा कि अगर वह यह बात पति से करेगी तो आसानी से वे मानेंगे नहीं. लड़ाई झगड़ा अलग से शुरू हो जाएगा. बच्चों के जिन संस्कारों को बचाने के लिए वह प्रयास करती आई है वे भी खाक में मिल जाएंगे. ऐसे में शोभा ने अपने घरेलू डाक्टर से बात की. डाक्टर ने कुछ बातें बताईं. कुछ दिन बीत गए. प्रदीप इस बात से खुश थे कि शोभा को उन के नए शौक के बारे में कुछ पता नहीं चला. अचानक एक दिन प्रदीप को तेज बुखार आ गया. शोभा उन को ले कर डाक्टर के पास गई. डाक्टर ने कुछ ब्लड टैस्ट कराने के लिए कह दिया. दवा दे कर प्रदीप को वापस घर भेज दिया और बैडरैस्ट करने को कहा है. घर पहुंचने के बाद प्रदीप ने बैडरैस्ट तो किया पर बुखार कम हो कर वापस आजा रहा था.

एक दिन के बाद प्रदीप जब डाक्टर के पास जाने लगे तो शोभा भी साथ चली गई. डाक्टर ने ब्लड रिपोर्ट देखी और चिंता में पड़ गया. उस ने शोभा को कुछ देर बाहर बैठने के लिए कहा और प्रदीप से बात करने लगा. डाक्टर ने कहा कि रिपोर्ट में तो बुखार आने का कारण एचआईवी का संक्रमण आ रहा है. क्या आप कई औरतों से संबंध रखते हैं? प्रदीप सम झदार व्यक्ति थे, डाक्टर से  झूठ बोलना उचित नहीं सम झा. सारी कहानी डाक्टर को बता दी. इस के बाद डाक्टर ने पतिपत्नी दोनों को ही सामने बैठा कर सम झाया. सैक्स के महत्त्व को सम झाया और बाजारू औरतों से सैक्स संबंध बनाने के खतरे भी बताए. उस रात प्रदीप को नींद नहीं आई. शोभा उन के पास ही थी. प्रदीप ने अपनी गलती मान ली और शोभा से माफी भी मांगी. दूसरी ओर शोभा ने अपनी गलती मान ली. प्रदीप को ज्यादा परेशान देख कर शोभा ने उन को गले लगाते हुए कहा, ‘‘यह सब नाटक था तुम्हारी आंखें खोलने के लिए. हां, बुखार वाली बात तो ठीक थी पर एचआईवी की बात गलत थी. हमें पहले ही पता था कि तुम बाहर जा कर क्या गलती कर बैठे हो.’’

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न करें  झगड़ा

लखनऊ में सैक्स रोगों की काउंसलिंग करने वाले डा. जी सी मक्कड़ कहते हैं, ‘‘सैक्स के लिए बाजारू औरतों से संबंध रखना सेहत के लिए किसी भी तरह से अच्छा नहीं होता. इस के लिए केवल पुरुष ही दोषी नहीं हैं, कई बार पत्नियां पतियों को समझ नहीं पातीं. घरपरिवार, बच्चों के चलते उन को समय नहीं मिलता या वे मेनोपौज का शिकार हो कर पति की जरूरतों को पूरा करने से बचने लगती हैं. ऐसे में पति के भटकने का खतरा बढ़ जाता है. कभी वह कोठे पर जाने लगता है तो कभी सैक्स कारोबार करने वाली दूसरी औरतों के चक्कर में पड़ जाता है. इस से बचने के लिए औरतों को बहुत ही धैर्यपूर्वक परेशानी का मुकाबला करना चाहिए.  झगड़ा करने से परिवार के टूटने का खतरा ज्यादा रहता है.’’

समाजसेवी शालिनी कुमार कहती हैं, ‘‘आमतौर पर आदमी के लिए उम्र के 2 पड़ाव बेहद कठिन होते हैं. एक जब वह 17 से 20 साल की उम्र में होता है. और दूसरा 45 साल के करीब. ऐसे में वह अपनी शारीरिक जरूरतों को पूरा करने के लिए बाजारू औरतों की मदद लेने लगता है. ऐसे में उस का प्रभाव एक औरत को मां या पत्नी के रूप में  झेलना पड़ता है. घरपरिवार को बचाने के लिए बहुत ही समझदारी से काम लेना चाहिए.’’

जब बिगड़ जाए बेटा

25 साल के अनुराग की अच्छी नौकरी लग गई. उस के ऊपर कोई खास जिम्मेदारी भी नहीं थी. अनुराग की गर्लफ्रैंड तो बहुत थीं पर उन से उस के सैक्स संबंध नहींथे. अनुराग को दोस्तों से पता चला कि सैक्स संबंधों के लिए कौलगर्ल बेहतर होती हैं क्योंकि उन से केवल जरूरत भर का साथ होता है. गर्लफ्रैंड तो गले की हड्डी भी बन सकती है. पब और डिस्को में जाने के दौरान उस की मुलाकात ऐसी ही कुछ लड़कियों से होने लगी. सैक्स के लिए टाइमपास करने वाली ये लड़कियां कई बार पार्टटाइम गर्लफ्रैंड भी बन जाती थीं. देखनेसुनने में यह भी सामान्य लड़कियों की ही तरह होती हैं. अनुराग को अपने शहर में ऐसा काम करने से खतरा लगता था. ऐसे में वह लड़की को ले कर दिल्ली, मुंबई और गोआ जाने लगा. वह अकसर वीकएंड पर ऐसे कार्यक्रम बनाने लगा. बाहर जा कर उसे बहुत अच्छा लगने लगा.

अनुराग के इस शौक  ने उसे बदल दिया था. वह घर में कम समय देता था. जब भी उस की शादी की बात चलती वह अनसुना कर देता. एक बार वह ऐसी ही एक लड़की के साथ गोआ गया था. वहां से जिस दिन उसे वापस आना था उस की मां उस को लेने के लिए एअरपोर्ट पहुंच गई. अनुराग को इस बारे में कुछ पता नहीं था. वह लड़की के साथ एअरपोर्ट से बाहर आ कर टैक्सी में बैठने लगा. लड़की पहले ही टैक्सीमें बैठ चुकी थी. इस के पहले कि टैक्सी आगे बढ़ती, अनुराग की मां ने उसे पुकारा, ‘‘बेटा, मैं अपनी गाड़ी ले कर आई थी. इसी में आ जाओ.’’

मां की आवाज सुन कर अनुराग सोच में पड़ गया. उसे साथ वाली लड़की की फिक्र होने लगी. वह मां से कुछ कहता, इस के पहले मां बोलीं, ‘‘कोई बात नहीं बेटा, अपनी फ्रैंड को साथ ले आ.’’ अनुराग को कुछ राहत महसूस हुई. गाड़ी में बैठने के बाद अनुराग की मां ने लड़की की बेहद तारीफ करनी शुरू कर दी. घर आतेआते यह भी कह दिया कि वह बहू के रूप में उसे पसंद है. अनुराग उस लड़की को छोड़ कर वापस घर आया तो मां को बहुत प्रसन्न पाया. मां अनुराग और उस लड़की की शादी की बातें करने लगीं. कुछ देर तो अनुराग चुप रहा फिर बोला, ‘‘मां, आप को जिस लड़की के बारे में कुछ पता नहीं उस से मेरी शादी करने जा रही हो?’’

मां बोलीं, ‘‘बेटा, मैं भले ही उस से आज मिली थी पर तू तो उस के साथ घूम कर आया है. तुझे देख कर लगता है कि तू बहुत खुश है उस के साथ. जब तू खुश है तो मुझे और क्या चाहिए?’’

अनुराग परेशान हो गया. उस ने सोचा कि मां को सचाई बतानी ही होगी. रात में ठंडे दिमाग से अनुराग ने मां को पूरी बात बताई और अपनी गलती मान ली. अनुराग की मां बोलीं, ‘‘बेटा, तुझे अपनी गलती समझ आ गई, इस से बड़ी क्या बात हो सकती है. अब अच्छी लड़की देख कर तेरी शादी हो जानी चाहिए.’’

शादी के बाद अनुराग बदल गया. मां की समझदारी ने अनुराग का जीवन खराब होने से बचा लिया. इस प्रकार ऐसे हालात को संभालने में पत्नी और मांबाप को धैर्य से काम लेना चाहिए. नहीं तो एक खुशहाल परिवार को बिखरने में देर नहीं लगेगी.

बेटे के प्रति ध्यान रखने योग्य बातें

– बेटे के दोस्तों पर निगाह रखें. जिन दोस्तों का स्वभाव अच्छा न लगे उन से दूरी बनाने के लिए बेटे को सम झाएं.

– बेटे की बदलती सैक्स लाइफ पर नजर रखने की कोशिश करें. उस की मुलाकात मनोचिकित्सक से कराएं. जो बातें आप नहीं बता सकतीं वह उस के संबंध में समझा सकता है.

– बाजारू औरतों के साथ सैक्स संबंध बनाने के खतरे बताएं. ऐसे संबंधों से यौन रोग फैल सकते हैं यह बताएं.

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– कोठे वैसे नहीं होते जैसे फिल्मों में दिखते हैं, यह सम झाएं. वहां होने वाले नुकसान से आगाह कराते रहें. वहां पुलिस का छापा पड़ने से जेल जाने का खतरा रहता है.

– बेटे को समझाने में पति की मदद ले सकती हैं. कई बार वह आप से बात करने में हिचक सकता है. ऐसे में पिता से बात करना सरल होता है.

– उसे लड़कियों से दोस्ती करने से रोकें नहीं. दोस्ती की सीमाओं को बता कर रखें. बेटे को अनापशनाप खर्च करने के लिए पैसे न दें.

– समय से उस की शादी करा दें. कई बार शादी के बाद सुधार आ जाता है.

पति के प्रति ध्यान रखने योग्य बातें

– पति से बात करने से पहले खुद से जरूरी जानकारियां एकत्र करने की कोशिश करें.

– कुछ ऐसा उपाय करें कि बिना आप के कहे पति को अपनी गलती सम झ में आ जाए.

– अपनी बात रखने के लिए  झगड़ा न करें. ऐसे तर्क न करें जिन से संबंधों में कटुता आए.

– पति के साथ शारीरिक संबंध बनाए रखें. घरपरिवार की जिम्मेदारी के बीच सैक्स संबंधों को न भूलें.

– एक उम्र के बाद महिलाओं में सैक्स की इच्छा खत्म होने लगती है. ऐसे में महिला रोगों की जानकार डाक्टर से मिलें और उचित इलाज करवाएं.

– पति के साथसाथ अपनी सैक्स परेशानियां मनोचिकित्सक को बताएं.

– पति को बाजारू औरतों के साथ सैक्स संबंध बनाने के खतरे बताएं.

– ऐसे काम पद और प्रतिष्ठा दोनों को नुकसान पहुंचा सकते हैं.

– पति को पारिवारिक जिम्मेदारी का एहसास कराते रहें. इस से उन का ध्यान इधरउधर नहीं भटकेगा.

– समयसमय पर पति के साथ अकेले बाहर जाने का कार्यक्रम रखें, होटल में रुकें ताकि सैक्स संबंधों को खुल कर जी सकें.

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