सवाल-
मेरी उम्र 42 साल है. कई दिनों से पीठ और हाथों में अचानक दर्द होने लगता है. पीठ के दर्द की तीव्रता हर बार अलग होती है. मलमूत्र में भी समस्या हो रही है और कभीकभी पैरों में भी दर्द होता है. क्या ये किसी बीमारी के लक्षण हैं या कोई सामान्य समस्या है? इस दर्द से कैसे छुटकारा पाऊं?
जवाब-
आप के द्वारा बताए गए सभी लक्षण स्पाइनल इन्फैक्शन की ओर इशारा करते हैं. हालांकि समस्या कोई और भी हो सकती है, इसलिए एमआरआई करवा के सही समस्या की पुष्टि करें. इस में रीढ़ का आकार खराब हो सकता है, इसलिए इलाज में देरी बिलकुल न करें. स्पाइनल संक्रमण का सब से सामान्य उपचार इंट्रावीनस ऐंटीबायेटिक दवाइयों के सेवन, ब्रेसिंग और शरीर को पूरी तरह आराम देने के साथ शुरू होता है. वर्टिकल डिस्क में रक्त प्रवाह ठीक से नहीं हो पाता है, इसलिए जब बैक्टीरिया अटैक करता है तो शरीर की इम्यून कोशिकाओं और एंटीबायोटिक दवाइयों को संक्रमण के स्थान तक पहुंचने में मुश्किल होती है. वहीं, संक्रमण के उपचार के दौरान रीढ़ को सही आकार में रखने में मदद करती हैं. बे्रसिंग संक्रमण के उपचार के दौरान रीढ़ को सही आकार में रखने में मदद करती है. इस का दूसरा इलाज सर्जरी है, जिस की सलाह तब दी जाती है जब संक्रमण पर दवा का कोई असर नहीं पड़ता है.
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32 साल का अंकित पीठ के दर्द से बुरी तरह परेशान था. उस की पीठ का मूवमैंट पूरी तरह रुक सा गया था. रैस्ट करने और दवा लेने के बाद भी हालत में कुछ खास सुधार नहीं हो रहा था. 6 हफ्ते पहले जब उस की पीठ में दर्द शुरू हुआ था, तभी से असामान्य तरीके से उस का वजन भी घटता जा रहा था.
अंकित ने डाक्टर से अपौइंटमैंट लिया. एक्स रे से कुछ पता नहीं चला, तो ब्लड टैस्ट कराने को कहा गया. अतिरिक्त जांच के लिए एमआरआई कराया गया, तो पता चला कि अंकित की रीढ़ की हड्डी में इन्फैक्शन हो गया है और डिस्क स्पेस व उस के आसपास की कोशिकाओं में मवाद भर गया है.
मामले की गंभीरता को देखते हुए उसे तुरंत स्पाइनल ब्रेसेस लगवाने की सलाह दी गई और प्रभावित हिस्से की सीटी गाइडेड बायोप्सी की गई. 6 हफ्ते के लिए ऐंटीबायोटिक खाने, बैड रैस्ट करने और स्पाइनल ब्रेसेस के साथ मूवमैंट की सलाह दी गई.
हालांकि नियमित चैकअप के दौरान यह भी नोट किया गया कि उस की रीढ़ की हड्डी सिकुड़ रही है और उसी की वजह से मरीज की टांगों, ब्लैडर और आंतों पर भी असर पड़ रहा था. इस से नजात पाने के लिए तुरंत सर्जिकल ट्रीटमैंट की जरूरत थी. न्यूरोलौजिकल कंप्रैशन को दूर करने और साथ ही पेडिकल स्क्रू और रौड्स की मदद से स्पाइन को स्थिर बनाए रखने के लिए अंकित की सर्जरी की गई. इस का मकसद दर्द को दूर करना, मरीज को विकलांग होने से बचाने और रीढ़ की हड्डी के आकार को और ज्यादा विकृत होने से रोकना भी था. सर्जरी के बाद मरीज की हालत में तेजी से सुधार हुआ. उस का दर्र्द भी पूरी तरह दूर हो गया.
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