सनी देओल के सामने Kiss करते वक्त ऐसी हो गई थी बेटे की हालत

फिल्मी माहौल में पैदा हुए और एक्टिंग के क्षेत्र में काम करने की इच्छा रखने वाले एक्टर करण देओल अपने दादा धर्मेन्द और पिता सनी देओल की तरह ही एक सफल एक्टर बनना चाहते है. उन्हें नकारात्मक बातों से परहेज है और उससे दूर रहना पसंद करते है. वे एक फुटबौल प्लेयर भी है और खेल पसंद करते है. समय मिलने पर वे कवितायें अपने जीवन की भावनाओं से जुडी हुई लिखते है. करण ने एक्टिंग के लिए पूरी ट्रेनिंग ली है और फिल्म ‘पल पल दिल के पास’ में डेब्यू कर रहे है. शांत और हंसमुख स्वभाव के करण देओल अपनी पहली फिल्म को लेकर बहुत उत्साहित है. पेश है उनसे हुई बातचीत के कुछ अंश.

सवाल- इस फिल्म के निर्माता निर्देशक आपके पिता है, कितना प्रेशर महसूस कर रहे है?

सभी फिल्में मेहनत और लगन के साथ बनायी जाती है. अगर ये न चले तो दुःख होता है. मैंने इस फिल्म के लिए बहुत मेहनत भी की है, लेकिन अगर ये नहीं चलती, तो उसे सोचकर बैठे रहना ठीक नहीं. काम करते रहना चाहिए, क्योंकि एक कलाकार काम के साथ-साथ ही ग्रो करता है. मेरे पिता का कहना है कि अगर फिल्म नहीं भी चलती है, तो आप के काम की तारीफ होनी चाहिए, यह आपकी शुरुआत है. इसके अलावा वे एक परफेक्शनिस्ट है. छोटी-छोटी बारीकियों पर ध्यान देते है,जिससे मुझे काम करने में हमेशा ध्यान रखना पड़ा. कई बार खराब भी लगा,लेकिन मुझे पता है कि ये सब वे मेरी भलाई के लिए कर रहे है, ताकि मैं इंडस्ट्री की सबकुछ अच्छी तरह से सीख सकूं.

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सवाल- आपने फिल्म में अपनी तरफ से क्या-क्या योगदान दिया है?

मैंने चरित्र के हिसाब से काम किया है और ये मुझसे बिल्कुल अलग चरित्र है, ऐसे में बात करने का ढंग, उसकी चाल-चलन सब अलग से मैंने अडौप्ट किया है. इसमें मेहनत अधिक थी.

सवाल- दादा धर्मेन्द्र के साथ बिताये हुए कुछ पल जिसे आप शेयर करना चाहे?आपके दादाजी से क्या सीख मिली?

काफी ऐसे पल है, जिसे मैंने दादा के साथ गुजारा है, क्योंकि वे हमारे साथ एक ही परिवार में रहते है. मुझे याद आता है कि बचपन में मुझे हौल्स की गोलियों का बहुत शौक था और मैं उनके कमरे में अधिकतर वीडियो गेम्स खेलने जाया करता था. वे वहां पर हौल्स की एक पूरी पैकेट खोल कर रख देते थे. इसके अलावा वे मुझे अच्छी-अच्छी कहानियां सुनाया करते थे , जिसमें उन्होंने इंडस्ट्री में आने की कहानियां भी कई बार सुनाई थी. अगर वे इंडस्ट्री में नहीं आते, तो हम भी यहां नहीं होते. किसान के परिवार में पैदा होकर भी उन्होंने इतने बड़े सपने को देखा और पूरा किया.

दादाजी का कहना है कि एक्टिंग एक रिएक्शन है, जो उस समय देना पड़ता है. इसके बारें में अधिक सोचने की जरुरत नहीं होती. दो लोगों के बीच में हुए संवाद का आदान-प्रदान सही होना आवश्यक होता है.

सवाल- फिल्म में एक किसिंग सीन है, इसे पिता के सामने करने में कितना कम्फर्ट रहे?

पहले असहज था, लेकिन अभिनय में आपको सिर्फ अपने काम पर ही ध्यान देना होता है. जब ये सीन थी, तब तक इमोशन के काफी भाग शूट हो चुके थे, इसलिए करने में मुश्किल नहीं था.

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सवाल- आपकी नजर में सनी देओल कैसे पिता है?

वे बहुत ही स्ट्रिक्ट पिता है, उन्होंने हमेशा मुझे सही गाइड किया है, ताकि मुझमें अनुशासन बना रहे. बड़े होने पर मैंने सोचा कि मुझे कुछ अच्छा काम करना है, ताकि पिता के बाद मैं परिवार को सम्भाल सकूं और मैं वही करने की कोशिश कर रहा हूं.

सवाल- क्या आपने अभिनय से इतर कुछ सोचा?

कैमरे के पीछे मैंने एक दो क्लिप डायरेक्ट भी किये है. निर्देशक बनना इतना आसान नहीं है. एक शौक था, मैंने अपने हिसाब से काम करने की सोची थी और किया भी, पर उतना बेहतर परिणाम नहीं निकला. उम्मीद है कि 10 से 15 साल बाद मैं निर्देशक बनूंगा.

सवाल- आपके दादा और पिता डांस करने में माहिर नहीं थे, क्या आपने डांस सीखा है?

इस समय डांस के बिना आप एक्टर नहीं बन सकते, अभिनय के साथ-साथ डांस आने की भी
जरुरत है. मैंने क्लासेज लिए है. गणेश आचार्या, सीज़र और शम्पा के साथ मैंने डांस सीखा है. शम्पा ने मुझे डांस के तरीके को सही माइने में सिखाया है.

सवाल- आज के बच्चे माता-पिता को छोड़कर अकेले रहना पसंद करते है, जबकि आपको परिवार के साथ रहना पसंद है, ऐसे में आप आज के यूथ को क्या मेसेज देना चाहते है?

परिवार सबके लिए बहुत जरुरी है. इससे आपको शक्ति मिलती है. उनकी वजह से आप अपने मंजिल तक पहुंच पाते है. वे काम भी आपकी परवरिश के लिए ही करते है. वे आपको खुश देखने की इच्छा रखते है, ऐसे में सभी यूथ को माता-पिता को प्यार और सम्मान देने की जरुरत है.

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