सवाल
मेरे पति का स्ट्रोक का उपचार चल रहा है. उन की तेज और बेहतर रिकवरी के लिए उन के खानपान का किस तरह ध्यान रखना चाहिए?
जवाब-
एक बार स्ट्रोक आने के बाद खानपान का ध्यान रखना बहुत जरूरी है ताकि स्ट्रोक से रिकवरी बेहतर हो और दोबारा स्ट्रोक की चपेट में आने का खतरा भी कम हो जाए. संतुलित, पोषक और सादा भोजन रक्तदाब और वजन को नियंत्रित रखने में सहायता करता है जो स्ट्रोक के प्रमुख रिस्क फैक्टर्स माने जाते हैं.
स्ट्रोक के मरीज के डाइट चार्ट में साबूत अनाज, रंगबिरंगे फल और सब्जियां, वसारहित दूध व दुग्ध उत्पाद, दालें, फलियां आदि संतुलित मात्रा में लेने चाहिए. आप उन्हें थोड़ी मात्रा में चिकन और फिश भी दे सकती हैं, लेकिन इसे पकाने में तेलमसालों का इस्तेमाल अधिक मात्रा में नहीं करना चाहिए. तेल, घी, नमक चीनी, चाय, कौफी बहुत थोड़ी मात्रा में दें. जंक और प्रोसैस्ड फूड्स, धूम्रपान और शराब का सेवन बिलकुल न करने दें. इस से न केवल रिकवरी की प्रक्रिया धीमी होगी बल्कि दोबारा स्ट्रोक आने की आशंका भी बढ़ जाएगी.
ये भी पढ़ें-
मस्तिष्क हमारे शरीर का सबसे गूढ़ और महत्वपूर्ण अंग है जिसे खोपड़ी के अंदर बहुत ही नजाकत से संभाल कर रखा जाता है. लेकिन खराब लाइफस्टाइल और कई बीमारियां मस्तिष्क के लिए बड़ा खतरा बन जाती हैं. स्ट्रोक इन्हीं में से एक ऐसी बीमारी है, जो वैश्विक स्तर पर चार में से एक व्यक्ति को प्रभावित करती है. हालांकि सभी तरह के स्ट्रोक में तकरीबन 80 फीसदी मामलों से बचा जा सकता है, बशर्ते कि इसकी सही समय पर पहचान की जाए ताकि मरीज को तत्काल अस्पताल पहुंचाकर उसे लकवाग्रस्त होने तथा मौत से बचाया जा सके.
स्ट्रोक की स्थिति में लोगों को तत्काल कार्रवाई करने के लिए जागरूक करना बहुत जरूरी है और 6—एस पद्धति से इसकी पहचान करने में मदद मिलती है. ये हैं: सडेन यानी लक्षणों की तत्काल उभरने की पहचान, स्लर्ड स्पीच यानी जुबान अगर लड़खड़ाने लगे, साइड वीक यानी बाजू, चेहरे, टांग या इन तीनों में दर्द होना, स्पिनिंग यानी सिर चकराना, सिवियर हेडेक यानी तेज सिरदर्द और छठा सेकंड्स यानी लक्षणों के उभरते ही कुछ सेकंडों में अस्पताल पहुंचाना. कई सारे अध्ययन बताते हैं कि स्ट्रोक पीड़ित मरीज की प्रति मिनट 19 लाख मस्तिष्क कोशिकाएं क्षतिग्रस्त हो जाती हैं, लगभग 140 करोड़ स्नायु संपर्क टूट जाता है और 12 किमी तक स्नायु फाइबर खराब हो जाते हैं. ऐसी स्थिति में मिनट भर की देरी भी मरीज को स्थायी रूप से लकवाग्रस्त और मौत तक की स्थिति में पहुंचा देती है.
पूरी खबर पढ़ने के लिए- स्ट्रोक की स्थिति में 6 – एस को जानें
अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz सब्जेक्ट में लिखे… गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem