आत्महत्या किसी भी समस्या का हल नहीं… इससे खुद को ऐसे बचाएं

आत्महत्या एक ऐसा आसान तरीका है जो हर वो कमजोर आदमी अपनाना चाहता है जो जिंदगी से बेजार हो चुका है. और अपनी मुश्किलों से भरी जिंदगी से छुटकारा पाने के लिए उसको आत्महत्या ही एक ऐसा आसान तरीका लगता है जो हर समस्या का समाधान उसकी नजर में है. कई लोगों में ऐसी प्रवृत्ति पाई जाती है जो छोटी-छोटी बात पर भी आत्महत्या करने की कोशिश करते हैं. बिना यह सोचे की उनकी इस हरकत से उनके अपनों पर क्या हाल होगा. जैसे की कई युवा प्यार में असफलता पाने के बाद , या परीक्षा में फेल होने के बाद, या बेरोजगारी के चलते पैसे पैसे को मोहताज होने के चलते कर्जे में डूबने के बाद अपनी जिंदगी खत्म करने का आसान तरीका अर्थात आत्महत्या अपना लेते हैं.

आज के टेंशन भरे माहौल में जब कि हर कोई किसी न किसी बात को लेकर परेशान है लिहाजा वह ऐसी खराब जिंदगी जीने के बजाय आत्महत्या करके पूरी तरह से दुख से छुटकारा पाना चाहता है. ऐसा उन लोगों के साथ ज्यादा होता है जो बहुत ज्यादा इमोशनल होते हैं और थोड़ा सा दुख आने पर भी आत्महत्या तक करने का फैसला ले लेते हैं. कई बार ऐसे जघन्य कारण भी होते हैं जबकि इंसान मजबूर होकर न सिर्फ खुद आत्महत्या करता है बल्कि ऐसे जालिम समाज से अपने परिवार को बचाने के लिए या तो पूरे परिवार को जहर दे देता है या गोली मारकर हत्या कर देता है और खुद भी फांसी पर लटक जाता है.

पिछले कुछ सालों में कई किसानों ने भी कर्जे में फंसे होने की वजह से आत्महत्या कर ली. ऐसे में सवाल यही उठता है की क्या आत्महत्या हर समस्या का हल है? क्या आत्महत्या की कोशिश करने वाले मजबूर और दुखी लोगों को बचाया जा सकता है? हर साल कई लोग अपनी परेशानी से तंग आकर आत्महत्या कर रहे हैं क्या इसका कोई हल है. पेश है इसी सिलसिले पर एक नजर…

ग्लैमर वर्ल्ड में भी हर साल आत्महत्या के बढ़ते केस…

मुंबई शहर सपनों की नगरी फिल्म इंडस्ट्री , ग्लैमर वर्ल्ड एक ऐसी चकाचौंध है, जिसे देखकर कई सारे युवा अपनी तकदीर आजमाने मुंबई शहर आते हैं. और अपने आप को यहां के माहौल में ढालने के लिए किसी भी हद तक समझौते करने के लिए भी तैयार रहते हैं. ताकि वह न सिर्फ अपने सपने पूरे कर सके बल्कि गरीबी से निकलकर आलीशान जिंदगी जी सके.कई सारे एक्टर अपने टैलेंट और मेहनत के चलते कामयाब भी हो जाते है .लेकिन जब उन्हें इस चकाचौंध के पीछे गहरे अंधेरे कड़वे सच का एहसास होता है तब वह अपने आप को संभाल नहीं पाते और फांसी लगाकर या नींद की गोली खाकर आत्महत्या कर लेते हैं. आश्चर्य तो तब होता है जब उनकी इस मंशा का पता तक नहीं लग पाता और अचानक पता चलता है की शूटिंग करते-करते अपने मेकअप रूम में जाकर फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली.

ऐसा ही कुछ हाल पिछले दिनों ही एक टीवी एक्ट्रेस तुनिषा शर्मा का हुआ जिन्होंने शूटिंग के दौरान काफी कम उम्र में आत्महत्या करके अपना जीवन खत्म कर लिया. इससे पहले भी कई सारे लोग ऐसे हैं जिन्होंने अपनी जिंदगी का अंत बहुत बुरी तरह आतमहत्या करके किया है ,जब कि वह एक नामचीन इंसान थे और उनके हजारों करोड़ों चाहने वाले थे. जैसे सुशांत सिंह राजपूत, परवीन बॉबी, प्रत्युषा बनर्जी, साउथ की हीरोइन सिल्क स्मिता, पुराने एक्टर लेखक डायरेक्टर गुरुदत्त, मूवी और टीवी एक्टर कुशाल पंजाबी, जितेंद्र के कजिन नितिन कपूर, एक्टर मॉडल शिखा जोशी, प्रसिद्ध एक्ट्रेस जिया खान, यह रिश्ता क्या कहलाता है सीरियल की 29 वर्षीय हीरोइन वैशाली ठक्कर आदि जेसे कई एक्टर और मॉडल हर साल किसी ना किसी वजह के चलते आत्महत्या कर लेते हैं. और पीछे छोड़ जाते हैं अपने परिवार और अपनों को रोते बिलखते .

आत्महत्या करने से रोकने और बचने के उपाय…

एक कड़वा सच यह भी है कि जब कोई इंसान अपने आप को पूरी तरह अकेला, बेसहारा, और मजबूर समझता है. जब उसको अपनी समस्या का कोई हल नजर नहीं आता तभी वह ऐसा भयानक फैसला लेता है . वही एक ऐसा क्षण होता है जब इस इंसान के दिमाग में आत्महत्या करने का फितूर सवार होता है अगर ऐसे नाजुक वक्त में उसको किसी का सपोर्ट मिल जाता है जिससे वह अपने दिल की बात कर सकता है या अपनी समस्या का समाधान पा सकता है तो वह आत्महत्या करने से भी बच जाता है . इस लिए बहुत जरूरी है कि चाहे कितना ही आपका जीवन व्यस्त हो आप अपने परिवार से दूर ना रहे किसी तरह मोबाइल या फोन के जरिए उनसे जुड़े रहे , घर के किसी ना किसी एक सदस्य से दिल की बात जरूर शेयर करे. परिवार में कोई ऐसा बंदा नहीं है तो कुछ दोस्त ऐसे जरूर बनाएं जिससे आप अपनी हर प्रॉब्लम शेयर कर सकें और और उस पर विश्वास कर सके. क्योंकि जहां परिवार काम नहीं आता वहां दोस्त काम आते हैं. एक दो सच्चे और अच्छे दोस्त जरूर बनाएं.जो आपको आपके बुरे वक्त में ना सिर्फ सही रास्ता दिखाएं बल्कि आपको मानसिक तौर पर पूरा सपोर्ट भी करें.

छोटे परदे और बड़े पर्दे के कई कलाकारों ने इस बात से सहमति जताई है कि उनके मन में भी आत्महत्या का ख्याल आया था. जैसे की टीवी एक्ट्रेस अर्चना गौतम ने अपने संघर्ष के दिनों की बात बताते हुए कहा की एक बार वह इतनी परेशान हो गई थी कि उन्होंने आत्महत्या करने का फैसला कर लिया था लेकिन उसी दौरान उनके मन में ख्याल आया कि अगर मैं मर गई तो मां को कौन संभालेगा, और मां कैसे करजा चुकाएगी. टीवी एक्टर अभिषेक कुमार ने भी बताया प्यार और करियर में असफलता के चलते उनके मन में भी आत्महत्या का ख्याल आया था लेकिन उनके मां-बाप के सपोर्ट की वजह से वह बच गए. स्पेशली उनकी मां ने अभिषेक को मानसिक तौर पर मजबूत किया और आज वह कामयाबी पा भी रहे हैं. कहने का मतलब यह है की हर एक ऐसे इंसान के दिल में कभी ना कभी मरने का ख्याल जरुर आता है, जब वह परेशानी में होता है.

ऐसे ही नाजुक वक्त में किसी शुभचिंतक का थोड़ा सा सपोर्ट भी उसके जीने का कारण बन जाता है. इसलिए बहुत जरूरी है की आत्महत्या की प्रवृत्ति को रोकने के लिए परिवार वाले भी उसे इंसान का जरूर साथ दें जिसे उनकी बहुत जरूरत है. पैसों के लालच में या अपने स्वार्थ के चलते अपने सबसे प्यारे सदस्य को मरने के लिए अकेला ना छोड़े.

फिल्मों में आत्महत्या दिखाने की बजाय आत्महत्या रोकने के पॉजिटिव कहानिया कई लोगों की जान बचा सकती हैं…

कहते हैं कि फिल्में समाज का आईना है. यहां ऐसे भी कह सकते हैं कि लोगों पर फिल्मों का बहुत असर होता है कई फिल्में ऐसी होती हैं जिसकी कहानी आम लोगों को मानसिक तौर पर इफेक्ट करती है. फिल्मों में दिखाई जाने वाली नेगेटिविटी आम लोगों को निराशा की तरफ धकेलती है. जिसके चलते फिल्मों में दिखाए जाने वाले आत्महत्या के दृश्य कई युवा लोगों को आत्महत्या के लिए उकसाते हैं जैसे की 3 इडियट्स में शर्मन जोशी ने आत्महत्या की थी फैमिली प्रेशर के चलते. फिल्म मसान में रिचा चड्ढा और उसके प्रेमी ने पुलिस से प्रताड़ना के चलते आत्महत्या करते दिखाया गया.

सलमान खान अभिनीत जय हो में अपाहिज जेनेलिया डिसूजा को परीक्षा में फेल होने की वजह से आत्महत्या करते दिखाया गया, इसी तरह फिल्म डर्टी पिक्चर में विद्या बालन जिन्होंने सिल्क स्मिता का किरदार निभाया था उनको आत्महत्या करते दिखाया गया. लिहाजा इस तरह की फिल्में ऐसे लोगों को प्रेरित करती है जो आत्महत्या करने के बारे में सोचते रहते हैं.फिल्मों में आत्महत्या के दृश्य में बदलाव करते हुए अगर कहानी में किसी युवा को आत्महत्या करने से बचाते हुए दिखाया जाए तो निश्चित तौर पर युवा वर्ग में अच्छी सोच पैदा होगी जिसमें मुश्किलों से ना डरते हुए किसी भी चुनौती का सामना करके जीत हासिल करने का हौसला बुलंद होगा और आत्महत्या केस कम होंगे.

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