Summer Special: सनस्क्रीन से स्किन को दें सुरक्षा कवच

सनस्क्रीन को सनब्लौक क्रीम, सनटैन लोशन, सनबर्न क्रीम, सनक्रीम भी कहते हैं. यह लोशन, स्प्रे या जैल रूप में हो सकता है. यह सूर्य की अल्ट्रावायलेट किरणों को अवशोषित या परावर्तित कर के सनबर्न से सुरक्षा उपलब्ध कराता है. जो महिलाएं सनस्क्रीन का उपयोग नहीं करती हैं उन्हें त्वचा का कैंसर होने की आशंका अधिक होती है. नियमित रूप से सनस्क्रीन लगाने से झुर्रियां कम और देर से पड़ती हैं. जिन की त्वचा सूर्य के प्रकाश के प्रति संवेदनशील होती है उन्हें रोज सनस्क्रीन लगाना चाहिए.

क्या है एसपीएफ

एसपीएफ अल्ट्रावायलेट किरणों से सनस्क्रीन द्वारा उपलब्ध कराई जाने वाली सुरक्षा को मापता है. लेकिन एसपीएफ यह नहीं मापता है कि सनस्क्रीन कितने बेहतर तरीके से अल्ट्रावायलेट किरणों से सुरक्षा करेगा. त्वचारोग विशेषज्ञ एसपीएफ 15 या एसपीएफ 30 लगाने की सलाह देते हैं. ध्यान रखें, अधिक एसपीएफ अधिक सुरक्षा उपलब्ध नहीं कराता है.

सनस्क्रीन न लगाने के नुकसान

सनस्क्रीन हर मौसम में लगाना चाहिए. समर में इसे लगाना बहुत ही जरूरी है. इस सीजन को त्वचा के रोगों का सीजन कहा जाता है. इस मौसम में समर रैशेज, फोटो डर्माइटिस, पसीना अधिक आना और फंगस व बैक्टीरिया के संक्रमण से अधिकतर महिलाएं परेशान रहती हैं. समर में थोड़ी देर भी धूप में रहने से सनटैन और सनबर्न की समस्या हो जाती है. टैनिंग इस मौसम में त्वचा की सब से सामान्य समस्या है. अत: घर से बाहर निकलने से पहले अच्छी गुणवत्ता वाला सनस्क्रीन जरूर इस्तेमाल करें.

जो महिलाएं सनस्क्रीन का उपयोग नहीं करती हैं उन की त्वचा समय से पहले बुढ़ा जाती है, उस पर झुर्रियां पड़ जाती हैं. यूवी किरणों का अत्यधिक ऐक्सपोजर त्वचा के कैंसर का कारण बन सकता है.

कैसे चुनें सनसक्रीन

सही सनस्क्रीन का चयन करना बहुत जरूरी है. अधिकतर महिलाओं के लिए एसपीएफ 15 वाला सनस्क्रीन बेहतर होता है. लेकिन जिन की त्वचा का रंग बहुत हलका हो, त्वचा के कैंसर का पारिवारिक इतिहास हो या फिर लुपुस जैसी बीमारी के कारण त्वचा सूर्य के प्रकाश के प्रति अत्यधिक संवेदनशील हो, उन्हें एसपीएफ 30 या उस से अधिक एसपीएफ वाला सनस्क्रीन लगाना चाहिए. अगर आप सोचती हैं कि एसपीएफ 30 वाला सनस्क्रीन एसपीएफ 15 वाले सनस्क्रीन से दोगुना अच्छा है तो यह सही नहीं है. एसपीएफ 15-93% यूवीबी को फिल्टर करता है तो एसपीफ 30 इस से थोड़ा सा अधिक यानी 97% यूवीबी को फिल्टर करता है.

त्वचारोग विशेषज्ञों का मानना है कि कम से कम एसपीएफ 30 वाला सनस्क्रीन लगाएं. कई महिलाएं एसपीएफ 50 वाला सनस्क्रीन भी लगाती हैं, लेकिन बाजार में कोई ऐसा सनस्क्रीन उपलब्ध नहीं है, जो हानिकारक यूवी किरणों से 100% सुरक्षा उपलब्ध कराए. हमेशा अच्छे ब्रैंड के सनस्क्रीन का ही इस्तेमाल करें. जिन्हें पसीना अधिक आता हो, उन्हें वाटरपू्रफ या स्वैटपू्रफ सनस्क्रीन लगाना चाहिए.

सनस्क्रीन कैसे और कितना लगाएं

सही सनस्क्रीन से भी अधिक लाभ नहीं मिलेगा, अगर आप इस का रोज और सही तरीके से इस्तेमाल नहीं करेंगी. पेश हैं, कुछ सुझाव:

– सनस्क्रीन धूप में निकलने से 15 से 30 मिनट पहले लगाएं.

– अगर आप मेकअप करना चाहती हैं तो इसे मेकअप करने से पहले लगाएं.

– सनस्क्रीन बहुत कम मात्रा में न लगाएं.

– चेहरे पर ही नहीं शरीर के बाकी खुले भागों पर भी लगाएं.

– हर 2 घंटे बाद सनस्क्रीन दोबारा लगाएं.

– ऐक्सपाइरी डेट वाला सनस्क्रीन न लगाएं, क्योंकि वह प्रभावी नहीं रहता है.

सनस्क्रीन: मिथ और तथ्य

मिथ: सनस्क्रीन लगाने से सनटैन नहीं

हो सकता.

तथ्य: अगर आप एसपीएफ 30 वाला सनस्क्रीन लगाती हैं तो आप सनबर्न से बच सकती हैं. अच्छा सनस्क्रीन आप को यूवीए और यूवीबी किरणों से भी बचा लेगा. लेकिन अगर आप लंबे समय तक धूप में रहेंगी तो आप को सनटैन की समस्या हो सकती है.

मिथ: पानी में सनबर्न नहीं होता है.

तथ्य: पानी झुलसा देने वाली गरमी में शरीर को ठंडा कर देता है, क्योंकि पानी में डूबा शरीर सूर्य की किरणों से सुरक्षित रहता है. लेकिन यह धारणा बिलकुल गलत है. पानी वास्तव में यूवी किरणों को परावर्तित करता है. इस प्रकार से हमें इन के प्रति अधिक ऐक्सपोज कर देता है.

मिथ: कार या बस की खिड़की से आप को सूर्य की यूवी किरणें नुकसान नहीं पहुंचा सकती हैं.

तथ्य: यह बिलकुल गलत धारणा है, क्योंकि हानिकारक यूवी किरणें ग्लास को पैनिट्रेट कर लेती हैं. अगर आप को विंडोसीट के पास बैठना पसंद है या अपने काम के सिलसिले में लंबी ड्राइव करनी पड़ती है, तो आप को उस से अधिक मात्रा में सनस्क्रीन लगाना चाहिए जितना आप सामान्यतौर पर लगाती हैं.

(डा. मनीष पौल, स्किन लैजर सैंटर)

सनस्क्रीन की चिपचिपाहट से परेशान हो गई हूं, क्या करुं?

सवाल-

मैं दिल्ली में सर्विस करती हूं. गरमियों में मेरा रंग बहुत ही काला हो जाता है. मुझे समझ नहीं आता कि मुझे कौन सा चाहिए और किस एसपीएफ की सनस्क्रीन लगाना? मैं जो भी सनस्क्रीन लगाती हूं मुझे पसीना आने लग जाता है और इसे मैं लगाना बंद कर देती हूं.

जवाब-

आप को दिल्ली में रहते हुए 35-40 एसपीएफ का सनस्क्रीन लगाना चाहिए. आप किसी भी अच्छी क्वालिटी का सनस्क्रीन खरीद सकती हैं बस लगाने का तरीका सही होना चाहिए. घर से निकलने से 10 मिनट पहले सनस्क्रीन लगा लें. हर सनस्क्रीन से पसीना आता ही है इसलिए पसीना आने दें. परेशान न हों. हैंकी या टिशू पेपर से फेस पर थपथपा दें और पसीने को सुखा लें. दोबारा पसीना नहीं आएगा. इस के बाद आप ऐसे भी बाहर जा सकती हैं. इस के ऊपर मेकअप करना चाहे तो मेकअप भी कर सकती हैं.

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सनस्क्रीन को सनब्लौक क्रीम, सनटैन लोशन, सनबर्न क्रीम, सनक्रीम भी कहते हैं. यह लोशन, स्प्रे या जैल रूप में हो सकता है. यह सूर्य की अल्ट्रावायलेट किरणों को अवशोषित या परावर्तित कर के सनबर्न से सुरक्षा उपलब्ध कराता है. जो महिलाएं सनस्क्रीन का उपयोग नहीं करती हैं उन्हें त्वचा का कैंसर होने की आशंका अधिक होती है. नियमित रूप से सनस्क्रीन लगाने से झुर्रियां कम और देर से पड़ती हैं. जिन की त्वचा सूर्य के प्रकाश के प्रति संवेदनशील होती है उन्हें रोज सनस्क्रीन लगाना चाहिए.

क्या है एसपीएफ

एसपीएफ अल्ट्रावायलेट किरणों से सनस्क्रीन द्वारा उपलब्ध कराई जाने वाली सुरक्षा को मापता है. लेकिन एसपीएफ यह नहीं मापता है कि सनस्क्रीन कितने बेहतर तरीके से अल्ट्रावायलेट किरणों से सुरक्षा करेगा. त्वचारोग विशेषज्ञ एसपीएफ 15 या एसपीएफ 30 लगाने की सलाह देते हैं. ध्यान रखें, अधिक एसपीएफ अधिक सुरक्षा उपलब्ध नहीं कराता है.

सनस्क्रीन न लगाने के नुकसान

सनस्क्रीन हर मौसम में लगाना चाहिए. समर में इसे लगाना बहुत ही जरूरी है. इस सीजन को त्वचा के रोगों का सीजन कहा जाता है. इस मौसम में समर रैशेज, फोटो डर्माइटिस, पसीना अधिक आना और फंगस व बैक्टीरिया के संक्रमण से अधिकतर महिलाएं परेशान रहती हैं. समर में थोड़ी देर भी धूप में रहने से सनटैन और सनबर्न की समस्या हो जाती है. टैनिंग इस मौसम में त्वचा की सब से सामान्य समस्या है. अत: घर से बाहर निकलने से पहले अच्छी गुणवत्ता वाला सनस्क्रीन जरूर इस्तेमाल करें.

जो महिलाएं सनस्क्रीन का उपयोग नहीं करती हैं उन की त्वचा समय से पहले बुढ़ा जाती है, उस पर झुर्रियां पड़ जाती हैं. यूवी किरणों का अत्यधिक ऐक्सपोजर त्वचा के कैंसर का कारण बन सकता है.

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सनस्क्रीन लगाने पर पसीना बहुत आ जाता है, क्या करूं?

सवाल-

मेरी उम्र 18 वर्ष है. मैं सनस्क्रीन लगा कर बाहर जाना चाहती हूं पर जब भी सनस्क्रीन लगाती हूं पसीना बहुत आ जाता है. क्या करूं?

जवाब-

सनस्क्रीन के अंदर जिंक रहता है जिसे स्किन पर लगाने से पसीना आता ही है. आप जब भी घर से बाहर जाना चाहती हों बाहर जाने से 10 मिनट पहले सनस्क्रीन लगा लें. जितना पसीना आना होगा वह आ जाएगा. रूमाल से फेस को धीरेधीरे टैप करें. इस से पसीना सूख जाएगा और उस के ऊपर हलका पाउडर लगाया जा सकता है या ऐसे भी बाहर जाया जा सकता है. अब पसीना दोबारा नहीं आएगा.

बस ध्यान रखना है कि आप जिस क्लीनिक में जाएं वहां पर किसी डाक्टर से या काउंसलर से बात करें. वह आप को चैक कर के बताएंगे कि आप की प्रौब्लम हारमोनल तो नहीं है. अगर हारमोनल असंतुलन है तो उस के लिए कुछ दवा भी जरूर देंगे.

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गर्मियों का मौसम आने तो है, ऐसे में जहां हमारे आउटफिट्स मौसम के अनुसार पूरी तरह से बदल जाएंगे, ठीक उसी तरह हमारे स्किनकेयर प्रोडक्ट्स में भी काफी बदलाव होगा. क्योंकि अब हमें अपनी स्किन को सूर्य की हार्श किरणों से बचाने के लिए सनस्क्रीन को आवश्यक रूप से  अपने स्किनकेयर रूटीन में शामिल जो करना होगा. वैसे तो सनस्क्रीन हर मौसम में जरूरी होता है, लेकिन इसकी खास तौर पर जरूरत गर्मियों में महसूस होती है. वरना इसके अभाव में स्किन टेन होने से लेकर स्किन डेमेज तक हो सकती है. यहां तक की स्किन कैंसर का भी डर बना रहता है. लेकिन सवाल ये उठता है कि मार्केट में तो ढेरों सनस्क्रींस मिलते हैं , ऐसे में हम अपनी स्किन के लिए फिजिकल या केमिकल किस सनस्क्रीन का चुनाव करें. तो आइए जानते हैं इस संबंध में .

क्या है सनस्क्रीन 

जिस तरह से पानी हमारी बोडी को हाइड्रेट रखकर हमें सुरक्षा प्रदान करता है, ठीक उसी तरह सनस्क्रीन हमारी स्किन के लिए सुरक्षा कवच का काम करता है. ये खतरनाक अल्ट्रावायलेट किरणों से स्किन को बचाता है, जिससे स्किन टेन होने से बचने के साथसाथ स्किन एलर्जी, स्किन रेडनेस जैसी समस्याओं से भी निजात मिलता है. क्योंकि सनस्क्रीन में एसपीएफ यानि सन प्रोटेक्शन फैक्टर जो होता है. जैसे अगर आपकी स्किन धूप में निकलते ही आपको टेनिंग या जलन जैसा फील होने लगे तो इसका मतलब आपकी स्किन धूप के संपर्क में आते ही जलने लगती है . इसलिए जरूरी है आपके लिए 25 या फिर 30 एसपीएफ युक्त सनस्क्रीन का चयन करने की. क्योंकि ये आपको 5 – 6 घंटे सुरक्षा प्रदान करने का काम जो करेगा.

पूरी खबर पढ़ने के लिए- फिजिकल vs केमिकल सनस्क्रीन 

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