टेढ़ी दुम: अमित की फ्लर्ट की आदत को संगीता ने कैसे छुड़ाया?

कालेज के दिनों में मैं ज्यादातर 2 सहेलियों के बीच बैठा मिलता था. रूपसी रिया मेरे एक तरफ और सिंपल संगीता दूसरी तरफ होती. संगीता मुझे प्यार भरी नजरों से देखती रहती और मैं रिया को. रही रूपसी रिया की बात तो वह हर वक्त यह नोट करती रहती कि कालेज का कौन सा लड़का उसे आंखें फाड़ कर ललचाई नजरों से देख रहा है. कालेज की सब से सुंदर लड़की को पटाना आसान काम नहीं था, पर उस से भी ज्यादा मुश्किल था उसे अपने प्रेमजाल में फंसाए रखना. बिलकुल तेज रफ्तार से कार चलाने जैसा मामला था. सावधानी हटी दुर्घटना घटी. मतलब यह कि आप ने जरा सी लापरवाही बरती नहीं कि कोई दूसरा आप की रूपसी को ले उड़ेगा.

मैं ने रिया के प्रेमी का दर्जा पाने के लिए बहुत पापड़ बेले थे. उसे खिलानेपिलाने, घुमाने और मौकेबेमौके उपहार देने का खर्चा उतना ही हो जाता था जितना एक आम आदमी महीनेभर में अपने परिवार पर खर्च करता होगा. ‘‘रिया, देखो न सामने शोकेस में कितना सुंदर टौप लगा है. तुम पर यह बहुत फबेगा,’’ रिया को ललचाने के लिए मैं ऐसी आ बैल मुझे मार टाइप बातें करता तो मेरी पौकेट मनी का पहले हफ्ते में ही सफाया हो जाता.

मगर यह अपना स्पैशल स्टाइल था रिया को इंप्रैस करने का. यह बात जुदा है कि बाद में पापा से सचझूठ बोल कर रुपए निकलवाने पड़ते. मां की चमचागिरी करनी पड़ती. दोस्तों से उधार लेना आम बात होती. अगर संगीता ने मेरे पीछे पड़पड़ कर मुझे पढ़ने को मजबूर न किया होता तो मैं हर साल फेल होता. मैं पढ़ने में आनाकानी करता तो वह झगड़ा करने पर उतर आती. मेरे पापा से मेरी शिकायत करने से भी नहीं चूकती थी.

‘‘तू अपने काम से काम क्यों नहीं रखती है?’’ मैं जब कभी नाराज हो उस पर चिल्ला उठता तो वह हंसने लगती थी. ‘‘अमित, तुम्हें फेल होने से

बचा कर मैं अपना ही फायदा कर रही हूं,’’ उस की आंखों में शरारत नाच उठती थी. ‘‘वह कैसे?’’

‘‘अरे, कौन लड़की चाहेगी कि उस का पति ग्रैजुएट भी न हो,’’ हम दोनों के आसपास कोई न होता तो वह ऐसा ही ऊलजलूल जवाब देती. ‘‘मुझे पाने के सपने मत देखा

कर,’’ मैं उसे डपट देता तो भी वह मुसकराने लगती. ‘‘मेरा यह सपना सच हो कर रहेगा,’’ अपने मन की इच्छा व्यक्त करते हुए उस की आंखों में मेरे लिए जो प्यार के भाव नजर आते, उन्हें देख कर मैं गुस्सा करना भूल जाता और उस के सामने से खिसक लेने में ही अपनी भलाई समझता.

कालेज की पढ़ाई पूरी हुई तो मैं ने रिया से शादी करने की इच्छा जाहिर कर दी.

उस ने मेरी हमसफर बनने के लिए तब अपनी शर्त मुझे बता दी, ‘‘अमित, मैं एक बिजनैसमैन की पत्नी बन कर खुश नहीं रह सकूंगी और तुम अब अपने पापा का बिजनैस में हाथ बंटाने जा रहे हो. मेरा हाथ चाहिए तो आईएएस या पुलिस औफिसर बनो. एमबीए कर के अच्छी जौब पा लोगे तो भी चलेगा.’’ उस की इन बातों को सुन कर मेरा मन एक बार को बैठ ही गया था.

मगर प्यार में इंसान को बदलने की ताकत होती है. मैं ने आईएएस की परीक्षा देने का हौसला अपने अंदर पैदा किया. कई सारी किताबें खरीद लाया. अच्छी कोचिंग कहां से मिलेगी, इस बारे में पूछताछ करनी शुरू कर दी. संगीता को जब यह जानकारी मिली तो हंसतेहंसते उस के पेट में बल पड़ गए. बोली, ‘‘अमित, क्यों बेकार के झंझट में पड़ रहा है… देख, जो इंसान जिंदगी भर दिल्ली में रहा हो,

क्या उसे ऐवरैस्ट की चोटी पर चढ़ने के सपने देखने चाहिए?’’ उस की ऐसी बातें सुन कर मैं उसे भलाबुरा कहने लगता तो वह खूब जोरजोर से हंसती.

वैसे संगीता ने मेरी काबिलीयत को सही पहचाना था. सिर्फ 2 हफ्ते किताबों में सिर खपाने के बाद जब मुझे चक्कर से आने लगे तो आईएएस बनने का भूत मेरे सिर से उतर गया. ‘‘ज्यादा पढ़नालिखना मेरे बस का नहीं है, रिया. बस, मेरी इस कमजोरी को नजरअंदाज कर के मेरी हो जाओ न,’’ रिया से ऐसी प्रार्थना करने से पहले मैं ने उसे महंगे गौगल्स गिफ्ट किए थे.

‘‘ठीक है, यू आर वैरी स्वीट, अमित,’’ नया चश्मा लगा कर उस ने इतराते हुए मेरी बनने का वादा मुझ से कर लिया. इस वादे के प्रति अपनी ईमानदारी उस ने महीने भर बाद अमेरिका में खूब डौलर कमा रहे एक सौफ्टवेयर इंजीरियर से चट मंगनी और पट शादी कर के दिखाई.

उस ने मेरा दिल बुरी तरह तोड़ा था. मैं ने दिल टूटे आशिक की छवि को ध्यान में रख फौरन दाढ़ी बढ़ा ली और लक्ष्यहीन सा इधरउधर घूम कर समय बरबाद करने लगा.

संगीता ने जब मुझे एक दिन यों हालबेहाल देखा तो वह जम कर हंसी और फिर मेरा एक नया कुरता फाड़ कर

मेरे हाथ में पकड़ा दिया और फिर बोली, ‘‘इसे पहन कर घूमोगे तो दूर से भी कोई पहचान लेगा कि यह कोई ऐसा सच्चा आशिक जा रहा है जिस का दिल किसी बेवफा ने तोड़ा है. तुम्हारे जैसे और 2 मजनू तुम्हें सड़कों पर घूमते नजर आएंगे. उन को भी रिया ने प्यार में धोखा दिया है. एक क्लब बना कर तुम तीनों सड़कों की धूल फांकते इकट्ठे घूमना शुरू क्यों नहीं कर देते हो?’’ संगीता के इस व्यंग्य पर मैं अंदर तक तिलमिला उठा. वह उस दिन सचमुच ही रिया के 2 अन्य आशिकों से मुझ को मिलवाने भी ले गई. उन में से एक रिया का पड़ोसी था और दूसरा उस के मौसेरे भाई का दोस्त. उस रूपसी ने जम कर हम तीनों को उल्लू बनाया, इस बात को समझते ही मैं ने दिल टूटने का मातम मनाना फौरन बंद किया और नया शिकार फांसने की तैयारी करने लगा.

अगले दिन बनसंवर कर जब मैं घर से बाहर निकलने वाला था तभी संगीता मुझ से मिलने मेरे घर आ पहुंची. बोली, ‘‘मुझ से अच्छी लड़की तुम्हें कभी नहीं और कहीं नहीं मिलेगी, हीरो. वैसे अभी तक सुंदर लड़कियों के हाथों बेवकूफ बनने से दिल न भरा हो तो फिर किसी लड़की पर लाइन मारना शुरू कर दो. मेरी तरफ से तुम्हें ऐसी मूर्खता करने की इजाजत है और सदा रहेगी,’’ संगीता ने कोई सवाल पूछे बिना मेरी नीयत को फौरन पढ़ लिया तो यह बात मुझे सचमुच हैरान कर गई. ‘‘मैं कल ही तेरे मम्मीपापा को समझाता हूं कि वे कोई सीधा और अच्छा सा लड़का देख कर तेरे हाथ पीले कर दें,’’ और फिर उस से किसी तरह की बहस में उलझे बिना मैं बाहर घूमने निकल गया.

संगीता के मातापिता ने उस के लिए अच्छा लड़का फौरन ढूंढ़ लिया. उस लड़के को मेरे मम्मीपापा ने भी पास कर दिया तो महीने भर बाद ही मेरी उस के साथ सगाई हो गई और उस के अगले हफ्ते वह दुलहन बन कर हमारे घर

आ गई. मेरे दोस्तों ने मुझे इस रिश्ते के लिए मना करने को बहुत उकसाया था, पर मैं चाहते हुए भी इनकार नहीं कर सका.

‘‘मेरी शादी तुम्हारे साथ ही होगी,’’ संगीता प्यार भरे अपनेपन व आत्मविश्वास के साथ यह बात कहती थी और अंत में उस का कहा ही सच भी हुआ. इस में कोई शक नहीं कि वह मुझे बहुत प्यार करती है और मेरी सच्ची शुभचिंतक है. बहुत ध्यान रखती है वह मेरा. वह ज्यादा सुंदर तो नहीं है पर उस के पास सोने का दिल है. उस का सब से बड़ा गुण है मेरी किसी भी गलती पर नाराज होने के बजाय सदा हंसतेमुसकराते रहना. उस की हंसी में कुछ ऐसा है, जो मुझे उसी पल तनावमुक्त कर शांत और प्रसन्न कर जाता है. वह मुझे दिल से अपना पसंदीदा हीरो मानती है.

मगर मेरी दुम शादी के बाद भी टेढ़ी की टेढ़ी ही रही है. सुंदर लड़कियों पर लाइन मारने का कोई मौका मैं अब भी नहीं चूकता हूं पर संगीता की नजरों से अपनी इन हरकतों को बचा पाना मेरे लिए संभव नहीं. ‘‘फलांफलां युवती के साथ चक्कर चलाने की कोशिश कर रहे हो न?’’ वह मेरी हरकतों को पढ़ लेने के बाद जब भी मुसकराते हुए यह सवाल सीधासीधा मुझ से पूछती है तो मैं झूठ नहीं बोल पाता हूं.

‘‘ऐसे ही जरा हंसबोल कर टाइम पास कर रहा था,’’ चूंकि वह मेरी फ्लर्ट करने की आदत के कारण मुझ से कभी लड़तीझगड़ती नहीं है, इसलिए मैं उसे सच बात बता देता हूं. ‘‘अपनी हौबी को टाइम पास करना मत कहोजी. अब लगे हाथ यह भी बता दो कि किस चीज को गिफ्ट करने का लालच दे कर उसे अपने जाल में फंसाने की कोशिश कर रहे थे, रोमियो के नए अवतारजी?’’

वह मेरी लड़की पटाने की तरकीबों को शुरू से ही पहचानती है. ‘‘उस का मनपसंद सैंट,’’ मैं झेंपी सी हंसी हंसते हुए सचाई बता देता.

‘‘उस पर क्यों रुपए बरबाद करते हो, स्वीटहार्ट. मैं मौजूद हूं न लड़कियों को गिफ्ट करने की तुम्हारे अंदर उठने वाली खुजली को मिटाने के लिए. कल चलते हैं मेरा मनपसंद

सैंट खरीदने.’’ ‘‘तुम्हारे पास पहले से ही सैंट की दर्जनों बोतलें हैं,’’ मैं हलका सा विरोध करता तो वह खिलखिला कर हंस पड़ती.

‘‘सैंट ही क्यों, तुम्हारी लड़कियों को दाना डालने की आदत के चलते मेरे पास कई सुंदर ड्रैसेज भी हैं, ज्वैलरी भी, 3 रिस्ट वाच, 2 जोड़े गौगल्स और न जाने कितनी महंगी चीजें इकट्ठी हो गई हैं, मेरे धन्ना सेठ. मैं तो अकसर कामना करती हूं कि लड़कियों से फ्लर्ट करने के मामले में वह तुम्हारी टेढ़ी दुम कभी सीधी

न हो.’’ ‘‘यार, अजीब औरत हो तुम जो अपने पति को दूसरी औरतों के साथ फ्लर्ट करता देख कर खुश होती है,’’ मैं चिढ़ उठता तो उस का ठहाका आसपास की दीवारों को हिला जाता.

शादी के बाद कभीकभी मैं संगीता से मन ही मन बहुत नाराज हो उठता था. मुझे लगता था कि स्वतंत्रता से जीने की राह में वह मेरे लिए बहुत बड़ी रुकावट बनी हुई है. फिर एक पार्टी में कुछ ऐसा घटा जिस ने मेरा यह नजरिया ही बदल दिया.

उस रात मैं पहले बैंक्वेट हौल में प्रवेश कर गया, क्योंकि संगीता अपनी किसी सहेली से बात करने को दरवाजे के पास रुक गई थी.

जब संगीता ने अंदर कदम रखा तब मेरे कानों में उस की प्रशंसा करता पुरुष स्वर पहुंचा, ‘‘क्या स्मार्ट लेडी है, यारो… यह कोई टीवी कलाकार या मौडल है क्या?’’

इन जनाब ने ये बातें अपने दोस्तों से कही थीं. उस रात मैं ने भी संगीता को जब ध्यान से देखा तो मुझे सचमुच उस का व्यक्तित्व बहुत स्मार्ट और प्रभावशाली लगा. उस के नैननक्श तो ज्यादा सुंदर कभी नहीं रहे थे, पर अपने लंबे कद, आकर्षक फिगर और अपने ऊपर खूब फबने वाली साड़ी पहनने के कारण वह बहुत जंच

रही थी. मैं ने आगे बढ़ कर बड़े गर्व के साथ संगीता का हाथ पकड़ा तो उन पुरुषों की आंखों में मैं ने ईर्ष्या के भाव पैदा होते साफ देखे.

‘‘तुम बहुत सुंदर लग रही हो,’’ मैं ने दिल से संगीता की ऐसी तारीफ शायद पहली बार

करी थी. ‘‘ये सब तुम से मिले गिफ्ट्स का कमाल है. वैसे आज अपनी बीवी पर कैसे लाइन मार रहे हो, अमित?’’ उस का चेहरा फूल सा खिल

उठा था. ‘‘दुनिया तुम पर लाइन मारने को तैयार है, तो मैं ने सोचा कि मैं ही क्यों पीछे रहूं.’’

‘‘बेकार की बात मत करो,’’ उस का एकदम से शरमाना मेरे मन को बहुत भाया. उस रात मुझे अपनी पत्नी के साथ फ्लर्ट करने का नया और अनोखा अनुभव मिला. मुझे यह कहने में कोई हिचक नहीं कि किसी अन्य युवती से फ्लर्ट करने के मुकाबले यह ज्यादा सुखद और आनंददायक अनुभव रहा.

आजकल मेरी जिंदगी बहुत बढि़या कट रही है. पत्नी को प्रेमिका बना लेने से मेरे दोनों हाथों में लड्डू हैं. भरपूर मौजमस्ती के साथसाथ मन की शांति भी मिल रही है. मेरे साथ झगड़ने से परहेज कर के और मुझे प्यार की नाजुक डोर से बांध कर संगीता ने मेरी टेढ़ी दुम को सीधा करने में आखिर कामयाबी पा ही ली है.

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