पढ़ाई का सबकुछ एग्जाम में भूल जाती हूं, मैं क्या करुं?

सवाल-

मैं 16 वर्षीय 10वीं क्लास की छात्रा हूं. पिता की छोटीमोटी खेती है. वे चाहते हैं कि मैं पढ़लिख कर अफसर बनूं. मगर लाख कोशिशों के बावजूद इम्तिहान में मेरे नंबर अच्छे नहीं आते. इम्तिहान आतेआते मैं  सारा पढ़ा भूल जाती हूं. मुझे लगता है कि पढ़ना मेरे बस की बात नहीं, पर मन पिता के अरमान पूरे करना चाहता है. क्या आप कुछ ऐसे  उपाय बता सकते हैं, जिन पर गौर फरमाने पर मैं पिता के अरमान पूरे कर सकूं?

जवाब-

आप अनावश्यक मन छोटा न करें, क्योंकि ऐसा आप के साथ ही नहीं, बहुतों के साथ होता है. शायद आप ने अलबर्ट आइंस्टाइन का यह कथन नहीं पढ़ा होगा जिस में उन्होंने कहा है कि जीनियस होने में 99% लगन व मेहनत और मात्र 1% अंत:प्रेरणा का पुट होता है. सचमुच बहुत कम लोग ऐसे होते हैं, जिन्हें 1 बार पाठ पढ़ने से वह याद हो जाता है. आवश्यकता होती है मन लगा कर पढ़ने, पाठ को ठीक से समझने और याद रखने के लिए उसे बारबार दोहराने की. आप परेशान न हों. पढ़ने के ढंग में सुधार लाएं. अब जो भी पढ़ें उसे पहले ठीक से समझें, रट्टा न लगाएं. फिर उस के मुख्यमुख्य बिंदुओं को दिन में 1 बार अवश्य दोहरा लें. फिर इसी पाठ को 1 हफ्ते बाद 1 बार और देखपढ़ लें. इस से यह आप की स्मृति में लंबे समय तक रहेगा.

पढ़े हुए पाठ के मुख्यमुख्य बिंदुओं को कापी में लिखने अथवा नोट्स बनाने से भी पाठ याद रखने में आसानी होगी. पढ़ते समय मुख्य बिंदुओं को पैंसिल से रेखांकित (अंडरलाइन) कर लेना भी सहायक साबित होता है.

इस सब के अलावा मन ही मन यह संकल्प लें कि पिता के सपने को हर हाल में पूरा करना है. हिम्मत हारना कायरों का काम है. बुद्धि लगभग सभी में समान होती है. यह व्यक्ति विशेष पर निर्भर करता है कि वह उस का कैसे इस्तेमाल करे.

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ध्यानाभाव एवं अतिसक्रियता विकार (अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसआर्डर) एक मानसिक विकार और दीर्घकालिक स्थिति है जो लाखों बच्चों को प्रभावित करती है और अक्सर यह स्थिति व्यक्ति के वयस्क होने तक बनी रह सकती है. एडीएचडी के साथ जुड़ी प्रमुख समस्याओं मे ध्यानाभाव (ध्यान की कमी), आवेगी व्यवहार, असावधानी और अतिसक्रियता शामिल हैं. अक्सर इससे पीड़ित बच्चे हीन भावना, अपने बिगड़े संबंधों और विद्यालय में खराब प्रदर्शन जैसी समस्याओं से जूझते रहते हैं. माना जाता है कि ध्यानाभाव एवं अतिसक्रियता विकार अनुवांशिक रूप से व्यक्ति मे आता है. जिस घर-परिवार में तनाव का माहौल रहता है और जहां पढ़ाई पर अधिक जोर देने की प्रवृत्ति रहती है वहां यह समस्या अधिक होती है. रिसर्च के अनुसार, भारत में लगभग 1.6% से 12.2% तक बच्चों में एडीएचडी की समस्या पाई जाती है.

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