बचपन से‌ ही था एक्टिंग का कीड़ा- आयुष आनंद

5 साल पहले अपना सपना और अपने पापा की अंतिम इच्छा पूरी करने मुंबई आये आयुष आनंद ने बहुत से टीवी सीरियल्स में अहम् भूमिकाएं निभाईं. उन्हें पहला ब्रेक ‘क़ुबूल है’ सीरियल में जूनियर आर्टिस्ट के रूप में मिला. जिस के बाद उन्होंने पीछे मुड़ कर नहीं देखा. फिलहाल वे जी टीवी के शो ‘तुझ से है राब्ता’ में एक खास किरदार में नजर आ रहे हैं. पेश है उन से की गई बातचीत के मुख्य अंश;

सवाल- कोरोना काल में आप लोग सेट पर किन सावधानियों के साथ काम कर रहे हैं?

सेट पर काफी सावधानियां रखी जाती हैं. अंदर कदम रखने से पहले ही बुखार और ऑक्सीजन लेवल चेक होता है और फिर शाम को निकलते वक्त भी ये दोनों चीजें चेक होती हैं. मेकअप रूम को हर सुबह अच्छी तरह सैनिटाइज किया जाता है. मेकअप टीम और ड्रैस टीम पीपीई किट पहन कर रहती है.

सवाल- आप को एक्टर बनने का ख्याल कैसे आया और इस मुकाम तक पहुंचने के क्रम में किस तरह के संघर्षों का सामना करना पड़ा?

मैं 5 साल पहले दिल्ली से मुंबई आया था. दिल्ली में करोल बाग में हमारा घर है. मेरी मम्मी हाउसवाइफ है. एक छोटा भाई है जो दिल्ली में ही काम कर रहा है. मेरे पापा का नटराज नाम का एक सिनेमा हॉल था. सो बचपन से ही सिनेमा देख कर ही मैं बड़ा हुआ हूं. एक्टिंग का कीड़ा भी मुझे वहीं से लगा.

मैं बचपन से ही एक्टर बनने का सपना देखता था. साढ़े तीन साल कॉलेज करने के बाद मैं ने थिएटर किया. इस के बाद कॉल सेंटर में भी काम किया. तब एक दिन पापा ने कहा कि बेटा तू कॉल सेंटर में काम क्यों कर रहा है? तुझे तो एक्टर बनने का शौक है न तो उस सपने को भी पूरा कर.

 

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मैं ने सोचा नहीं था कि पापा के साथ यह मेरी अंतिम बातचीत होगी. उस रात ही मेरे कॉल सेंटर जाने के बाद पापा नींद में ही चल बसे. मैं ने तब सोचा कि पापा ने अंतिम बात जो मुझे कही थी वह यही थी कि अपने एक्टर बनने के सपने को पूरा करो. बस यही सोच कर मैं ने फैसला लिया और मुंबई चला आया जहां मैं अपने एक्टिंग के सपने को पूरा करना चाहता था. मैं ने सोचा था कि एक महीने के अंदर मुझे कोई न कोई काम तो मिल ही जाएगा. पर ऐसा हुआ नहीं. तब मुझे अहसास हुआ कि यहां तो बहुत धैर्य रखने की जरूरत है.

6 महीने तक मुझे वहां काम नहीं मिला. इस के बाद मुझे पहला रोल सीरियल ‘कुबूल है’ में मिला. इस में मैं ने जूनियर आर्टिस्ट की भूमिका निभाई. इस सीरियल के बाद मुझे ‘जोधा अकबर’ में रहीम खानेखाना बनाया गया. फिर बालिका वधू के सीजन 2 में प्रेमल का रोल निभाने का मौका मिला.

इस के बाद सब से बड़ा रोल और पहचान मुझे ‘इश्कबाज’ सीरियल से मिली. इस में मुझे बहुत ही अच्छी तरह से एक हीरो की तरह प्रेजेंट किया गया. इस के 10 महीने बाद मुझे स्टार प्लस पर एक और रोल मिला और फिर मुझे पहला लीड रोल ‘परफेक्ट पति’ सीरियल में मिला जो एंड टीवी पर आता था. इस में मुझे जयाप्रदा जी के बेटे का टाइटल रोल मिला. मैं ने इसे बहुत अच्छी तरह निभाया. इस में काम करना मेरा बहुत अच्छा अनुभव था. इस के बाद मुझे कलर्स पर विश शो मिला और अब जी टीवी पर ‘तुझ से है राब्ता’ में काम कर रहा हूं.

सवाल- आप का ड्रीम रोल क्या है?

एक कमर्शियल फिल्म में लीड हीरो की तरह आना जो सब कुछ करे यानी नाचेगाए, मारेपीटे, रोमांस करे. जैसे शाहरुख खान की डीडीएलजी या कोयला या फिर सुपरहीरो कृष जैसा कोई रोल करना चाहता हूं.

सवाल- निगेटिव रोल निभाते समय सब से महत्वपूर्ण बात जो आप को महसूस होती है?

मुझे ऐसा लगता है कि कोई भी चीज या कोई भी व्यक्ति निगेटिव या पॉजिटिव नहीं होती. हर इंसान ग्रे होता है यानी उस में कुछ खामियां भी होती हैं और कुछ खूबियां भी. जब इंसान निगेटिव कैरेक्टर प्ले कर रहा होता है तो वह यह नहीं सोच सकता कि वह निगेटिव कर रहा है. अपने दिमाग में यही सोचता है कि वह सही है. इसलिए मैं जब निगेटिव रोल अदा करता हूं तो मैं उस को पूरी ईमानदारी से करता हूं. यह सोच कर करता हूं कि मैं जो कह रहा हूं सही कर रहा हूं. अपने ऊपर और अपने काम के ऊपर पक्का विश्वास रखना बहुत जरूरी है.

सवाल- आप का अब तक का सब से पसंदीदा किरदार कौन सा है?

जो भी किरदार मैं वर्तमान में निभा रहा होता हूं वही मेरा सब से पसंदीदा कैरेक्टर होता है. जैसे अभी तुझ से है राब्ता में त्रिलोक मराठे का कैरेक्टर मेरा पसंदीदा है.

सवाल- क्या इस कोरोना काल में आप को जिंदगी से जुड़ी कोई सीख मिली?

कोरोना काल में लोगों की बहुत तबीयत खराब हुई, मौत हुई, हादसे हुए ये सब बहुत दुखद था. मुझे यह सब बहुत बुरा लगा. पर मैं यह कहूंगा कि इस काल में बहुत कुछ पॉजिटिव भी हुआ है. अपनी बात करूं तो मुझे बहुत कुछ सीखने को मिला है. लॉकडाउन के समय मैं मुंबई में था और बिल्कुल अकेला हो गया था. काम वाली भी नहीं आ रही थी. उस वक्त मैं ने सब्जी काटना, कपड़े धोना जैसे कई काम सीखे जो मुझे नहीं आते थे. दूसरी बात जो मैं ने सीखी है वो यह कि सिंपलीसिटी ही जिंदगी में सब से अच्छी होती है. अब लोगों का सिंपल लिविंग पर विश्वास आ गया है.

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सवाल- तुझ से है राब्ता में अपने कैरेक्टर के बारे में कुछ बताइए?

ज़ी टीवी पर आने वाले शो ‘तुझ से है राब्ता’ में मैं त्रिलोक मराठे का रोल अदा कर रहा हूं जो एक ग्रे कैरेक्टर है यानी इस कैरेक्टर के कई शेड्स हैं. यह एक लविंग फादर भी है, लविंग पति भी है मगर उस के अतीत में उस की पत्नी के साथ ऐसा कुछ हुआ है कि वह कल्याणी और मल्हार से बदला लेना चाहता है. वह बदला लेने में कामयाब होता है या नहीं और किस तरह की घटनाएं होती हैं यह सब इस कैरेक्टर में आप को नजर आएगा.

सवाल- वह घटना जिस ने आप को भावविभोर कर दिया हो या आप के सोचने का तरीका बदल दिया हो?

वह घटना है मेरे पापा का अचानक चले जाना. मेरे पापा सोते हुए ही चले गए. उन का हार्ट फेल हो गया था और यह घटना मेरे लिए लाइफ चेंजिंग रही. मेरी सोच, मेरे जीने का तरीका सब कुछ बदल गया.

सवाल- आप अपनी प्रेरणा किसे मानते हैं ?

सच कहूं तो मैं किसी से भी बहुत जल्दी इंस्पॉयर हो जाता हूं. जब मैं किसी को बहुत मेहनत से काम करते हुए देखता हूं तो उस से इंस्पॉयर होता हूं. उदाहरण के लिए आज मैं घर पर हूं और मेरी बिल्डिंग के सामने टावर बन रहा है. यहां मजदूर लगे हुए हैं जो लगातार काम कर रहे हैं. बारिश हो रही है फिर भी उन की मेहनत में कोई कमी नहीं है. उन को देख कर मुझे बहुत प्रेरणा मिलती है. मैं ऐसा बंदा हूं जो हर रोज किसी न किसी से इंस्पिरेशन लेता है. छोटीछोटी बातो में इंस्पिरेशन ढूंढता है.

यदि आप मेरीजिंदगी में पूछेंगी तो मैं कहूंगा कि मेरे पिता ही मेरी प्रेरणा हैं. उन्होंने जिंदगी में कभी झूठ नहीं बोला. वे हमेशा सच का साथ देते थे चाहे सामने वाले को अच्छा लगे या बुरा. मैं हमेशा कोशिश करता हूं कि जिंदगी में पूरा ईमानदार रहूं. बहुत कम लोग ऐसे होते हैं जो सामने वाले का सोचे बिना सच बोलते हैं और ऐसे लोग दिल के बहुत साफ होते हैं. मैं यह भी मानता हूं कि एक एक्टर के रूप में आप को ईमानदार रहना बहुत जरूरी है.

सवाल- आप पाठकों को क्या कहना चाहते हैं?

मैं मानता हूं कि जिंदगी बहुत अनप्रिडिक्टेबल है. कल का कोई भरोसा नहीं है. जो आप के अपने हैं जैसे आप के मम्मीपापा, भाईबहन, एक ये ही इकलौते रिश्ते हैं जो बिना किसी कारण आप को प्यार करते हैं. इन का प्यार कभी नहीं बदलता. आप इन्हें जितना प्यार दिखा पाएं, एक्सप्रैस कर सकें उतना कीजिए. जितना समय आप उन के साथ बिता सकें उतना बिताइए. क्योंकि फिर यह समय लौट कर नहीं आएगा और उन के जैसा प्यार आप को कोई नहीं कर पाएगा. बाकी किसी के भी प्यार करने का कोई न कोई कारण होता है पर इन का प्यार ही सच्चा है. इन का दिल कभी भी न दुखाएं.

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