Pregnancy के दौरान ब्रेस्ट में क्यों होता है बदलाव, कब लें डौक्टर की मदद?

प्रैग्नेंसी (Pregnancy) के दौरान महिलाओं में शारीरिक तौर पर काफी ज्यादा बदलाव आते हैं. ये बदलाव शरीर में हार्मोनल उतार चढ़ाव के कारण होते हैं. ज्यादातर महिलाओं में ये बदलाव प्रैग्नेंसी के पहले सप्ताह से ही दिखने लगते हैं. महिलाओं में ये बदलाव तब तक होते हैं, जब तक बच्चे का जन्म नहीं हो जाता. प्रैग्नेंसी के दौरान महिलाओं के शरीर में हार्मोन स्तनपान कराने वाले ब्रेस्ट को तैयार करते हैं. जिनकी वजह से महिलाओं के ब्रेस्ट के आकार में भी बदलाव आ जाता है.

शोध के मुताबिक प्रैग्नेंसी के दौरान महिलाओं के शरीर में कुछ ऐसे ऊतक बनने लगते हैं, जो समय के साथ-साथ बढ़ते चले जाते हैं. जिसमें एस्ट्रोजन ब्रेस्ट की कोशिकाओं को तेजी से बढ़ाते हैं. जिससे प्रैग्नेंसी के दौरान कोलोस्ट्रम दूध का निर्माण करता है. ये बदलाव आम होते हैं. तो आइये जानते हैं कि प्रैग्नेंसी के दौरान ब्रेस्ट के आकार में देखे जाने वाले बदलाव के बारे में.

1.ब्रेस्ट में दर्द– प्रैग्नेंसी के दौरान ब्रेस्ट के बढ़ने से महिलाओं को काफी असुविधा झेलनी पड़ सकती है. इससे दर्द भी बढ़ सकता है. ब्रेस्ट के बढ़ने के कारण उसनें आ रही कोमलता के लिए एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन की बढ़ोतरी होती है. ये समस्या प्रैग्नेंसी के पहले महीने से तीसरे महीने तक होते हैं.

2.बढ़े हुए स्तन प्रैग्नेंसी के दौरान महिलाओं के शरीर में हार्मोनल बदलाव के कारण उनके स्तन, निप्पलस और अंडकोष में भी बढ़ोतरी देखी जाती है. जिससे ब्रेस्ट में खिंचाव भी साफ़ तौर पर महसूस किये जा सकते हैं. जिससे स्किन में खुजली की समस्या होने लगती है. इससे निशान भी हो सकती है.

3.निप्पल में बदलाव स्वाभाविक है, जब भी ब्रेस्ट के आकार बढ़ेंगे तो निप्पलों के आकार में भी बदलाव आएंगे. शोध के मुताबिक वाहिनियों में खिंचाव से स्तन और निप्पलस सबसे ज्यादा संवेदनशील हो जाते हैं. जिससे कभी कभी असुविधा तक हो सकती है. इस वजह से निप्पलस के आसपास का क्षेत्र बदलता चला जाता है.

4.निप्पल डिस्चार्ज प्रैग्नेंसी के दौरान निप्पलस से कोलोस्ट्रम के नाम से जाना जाने वाला पिला गाढ़ा तरल रिसाव होता है. जो प्रैग्नेंसी के दूसरे से तीसरे महीने के दौरान निकलने वाला दूध होता है. कभी कभी आप इसे नोटिस भी कर सकते हैं. इसक मतलब यही होता है कि आपके स्तन की तक वाहिकाएं तेजी से बढ़ रही हैं.

5.प्रैग्नेंसी के दौरान कैसे कम करें परेशानी ब्रेस्ट में बदलाव काफी दर्दनाक हो सकता है. खासकर तब जब महिला प्रेग्नेंट हो. ऐसे में अपने दर्द और परेशानी को कुछ हद तक कम कर सकती है. वो कैसे, ये भी जान लीजिये.

  • प्रैग्नेंसी के दौरान परफेक्ट फिटिंग की ब्रा का चयन करें, ताकि ब्रेस्ट की परेशानी को कम किया जा सके. इससे आपको अच्छी मदद मिलेगी.
  • ब्रेस्ट में हो रहे दर्द से राहत पाने के लिए मालिश करें. ध्यान रहे कि मालिश गले से ब्रेस्ट तक होनी चाहिए.
  • अगर ब्रेस्ट से कोलोस्ट्रम का रिसाव हो रहा है तो पैड वाली ब्रा का चयन करें.

6.जरूरत पड़ने पर लें डॉक्टर की मदद महिलाओं में स्तन सबसे संवेदनशील अंगों में से एक होते हैं. प्रैग्नेंसी के दौरान ब्रेस्ट में बदलाव आम बात है, लेकिन कई मामलों में आप किसी विशेषज्ञ से अपनी हर परेशानी को साझा कीजिये. कभी कभी इन बदलावों में कुछ असमान्यता भी देखने को मिलती है. जो बड़े खतरे की घंटी हो सकती है.

  • अगर ब्रेस्ट में महसूस हो कोई गांठ.
  • स्तन में सिर्फ एक जगह ही लगातार बना रहे दर्द.
  • स्तन के आस पास लाल पन रहना.
  • स्किन में बदलाव के साथ गहरे लाल चकत्ते दिखना.
  • निप्पल से कोलोस्ट्रम के अलावा कुछ अलग सा पदार्थ निकलना.
  • निप्पल का सिकुड़ना या अंदर की ओर जाना.

प्रैग्नेंसी के दौरान हार्मोन में उतार चढ़ाव बना रहता है. जिससे ब्रेस्ट के आकार में बदलाव के साथ बढ़ते हैं. इन बदलावों के दौरान कब भी परीक्षण किया जाता है तो ट्यूमर और समान्य ब्रेस्ट के बीच अंतर समझना मुश्किल होता है. प्रैग्नेंसी के दौरान ये बदलाव होते तो हैं लेकिन बच्चे के जन्म के बाद सारी परेशानियां अपने आप सही होने लगती हैं. फिर भी आप अगर चाहे तो विशेषज्ञ से सलाह ले सकते हैं.

क्या आपके भी सिर में होता है तेज दर्द, कहीं ये ब्रेन ट्यूमर तो नहीं !

22 वर्षीय निधि को कुछ समय से सिर दर्द, दाएं हाथ, पैर में कमजोरी, बोलने में परेशानी आदि कई चीजे हो रही थी. फैमिली डौक्टर ने पहले इसे एसिडिटी बताया, फिर विटामिन्स की कमी आदि न जाने कितने दिनों से यही चल रहा था, लेकिन कुछ ठीक नहीं हो रहा था, केवल दर्द की दवा लेने से सिर दर्द कम होता था, ऐसे करीब 4 से 5 महीने बीत गए, पर निधि को आराम न था. एक दिन निधि की सहेली की माँ निधि से मिलने आई और उन्होंने निधि को किसी अस्पताल में ले जाकर किसी न्यूरोसर्जन से बात करने की सलाह दी. निधि को अस्पताल ले जाने पर उसकी खून की जांच के साथ-साथ (MRIScan)भी की गयी, जिसमें मस्तिष्क के बाएं भाग में ट्यूमर पाया गया. मस्तिष्क के नाजुक भागों को बचाने के लिए, निधि को तुरंत Awake Brain Surgery के द्वारा ऑपरेट किया गया, जिसमें रोगी की होश और अलर्ट रखते हुए ही सर्जरी की जाती है. इसके बाद बायोप्सी से कैंसर ग्लायोमा ग्रेड 4 ( Glioma WHO – IV ) के जाँच की पुष्टि होने पर मरीज का कीमोथेरेपी और रेडिएशन थेरेपी से इलाज किया गया. अब निधिपूरी इलाज के बाद बेहतर चल सकती है, अपने दाएं हाथ का प्रयोग कर सकती है और उसके बोलने में भी सुधार आया है. ऑपरेशन के 12 महीने पश्चात किया हुआ एमआरआई स्कैन, कैंसर को कंट्रोल में दिखाता है, जो अच्छी बात है. निधि का जीवन फिर से सामान्य हो गया.ये सही है कि समय पर ब्रेन ट्यूमर का पता लगने पर इलाज़ भी संभव है.

समझे ब्रेन ट्यूमर को

असल में मस्तिष्क, शरीर का अभिन्न अंग है, जिसका काम पूरे शरीर की क्रियाओं को संचालन करना होता है. ब्रेन, कई प्रकार की कोशिकाओं से बना होता है. शरीर के अन्य भागों की तरह, यह भी कई प्रकार के ट्यूमर से ग्रसित हो सकता है. ब्रेन ट्यूमर से स्वस्थ मस्तिष्क पर दबाव बढ़ने के कारण उसको  हानि पहुंच सकती है. इसलिए प्राथमिक लक्षण उत्पन्न होने पर, तुरंत न्यूरो विशेषज्ञ से सलाह लेनी चाहिए.

कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी हॉस्पिटल के न्यूरोसर्जन डॉ. अक्षत कयाल कहते है कि ब्रेन के सभी ट्यूमर कैंसर युक्त नहीं होते, लगभग 50 प्रतिशत ट्यूमर कैंसर रहित होते है, जिनका समय पर इलाज मरीज को पूर्ण रूप से स्वस्थ कर सकता है. कैंसर युक्त ब्रेन ट्यूमर ( Glioma स्टेज 3 एवं 4 ) का इलाज अत्यावश्यक है. इनके शीघ्र इलाज से मरीज को दीर्घायु प्रदान कर सकते है और उस मरीज की कार्य क्षमता एवं जीवन की गुणवत्ता को भी अधिक बढ़ा सकते है.

ब्रेन ट्यूमर के लक्षण

स्कल के अंदर सीमित जगह होने के कारण, कोई भी ट्यूमर, मौजूदा जगह में अपने लिए अतिरिक्त स्थान बनाने की कोशिश करता है, जिससे मस्तिष्क पर दबाव पड़ता है और इसके लक्षण प्रकट होने लगते है. अधिकतर मरीजों में सिर दर्द, उल्टी, नजर का धुंधलापन, दोहरा दिखाई देना ( डिप्लोपिया ) एवं मिर्गी के दौरे, प्रमुख लक्षण होते है. अन्य असामान्य लक्षण जैसे चेहरे का तिरछापन, शरीर के दाएं या बाएं भाग में कमजोरी, बोलने, सुनने और निगलने में परेशानी आदि है.

ब्रेन ट्यूमर की जांच

न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. अक्षत कयाल आगे कहते है कि मरीज के लक्षणों के आधार पर ब्रेन ट्यूमर की डायग्नोसिस की जातीहै. डायग्नोसिस की पुष्टि करने के लिए एमआरआई स्कैन ( MRI Scan ) की आवश्यकता होती है, जिसकी सलाह न्यूरो सर्जन,मरीज की जांच करने के बाद ही दे सकता है. जिन मरीजों में कोई लक्षण नहीं होते, उनमें ब्रेन ट्यूमर की डायग्नोसिससंदेह के आधार पर एमआरआई स्कैन कर पता करते है.

ब्रेन ट्यूमर का इलाज

  • किसी भी ब्रेन ट्यूमर के इलाज में ऑपरेशन की भूमिका प्रमुख रहती है.अधिकतरन्यूरो सर्जन, ऑपरेशन के द्वारा, सुरक्षित तरीके से ट्यूमर का अधिकतम भाग निकालते है.
  • छोटे कैंसर मुक्त ट्यूमर्स को समय-समय पर एम आर आई स्कैन ( MRI Scan ) द्वारा निगरानी में रखा जा सकता है और इसे फोकस रेडिएशन से नष्ट भी किया जा सकता है.
  • बड़े टयूमर, सर्जरी के द्वारा सुरक्षित रूप से पूरी तरह निकाले जा सकते है. ब्रेन के ट्यूमर, जिनमें कैंसर होने की संभावना होती है, उन्हें भी सर्जरी द्वारा सुरक्षित रूप से अधिक से अधिक निकाल दिया जाता है. इसके बादबायोप्सी की रिपोर्ट के आधार पर बची हुई ट्यूमर का कीमोथेरेपी या रेडिएशन थेरेपी द्वारा इलाज किया जाता है. इससे मरीज की लॉन्ग लाइफ और अच्छी कार्य क्षमता मिल सकती है.

इसके अलावा देश के सभी बड़े शहरों में  ब्रेन ट्यूमर के ऑपरेशन की सुविधा, सरकारी एवं गैर सरकारी अस्पतालों में उपलब्ध है. देश के महानगरों में,  ब्रेन ट्यूमर के इलाज के लिए विश्व स्तरीय टेक्नोलॉजी उपलब्ध है. इन शहरों के सभी बड़े अस्पतालों में , ब्रेन ट्यूमर की सर्जरी न्यूरो नेविगेशन, इंट्राऑपरेटिव एम आर आई, न्यूरो एंडोस्कोपी, इंट्राऑपरेटिव न्यूरोमोनिटरिंग, फंक्शनल एम आर आई, आदि के साथ की जाती है. अगर ब्रेन के नाजुक भाग से ट्यूमर की निकटता पाई जाती है, तब सर्जरी मरीज के होश में रहते हुए ही की जाती है. उपरोक्त सभी विधियां, मरीज के ट्यूमर को सुरक्षित रूप से निकालने में मददगार साबित होती है. ब्रेन ट्यूमर की सर्जरी का प्राथमिक उद्देश्य, मरीज को उत्तम कार्य क्षमता के साथ लम्बी आयु प्रदान करना होता है.

महानगरों के प्राइवेट अस्पतालों में, ब्रेन ट्यूमर के इलाज का खर्च डेढ़ लाख से तीन लाख तक हो सकता है. सरकारी अस्पतालों में यह सर्जरी न्यूनतम खर्च में हो जाती है. प्राइवेट अस्पतालों में भी गरीबी रेखा के नीचे एवं वंचित वर्ग के लिए चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा मदद की सुविधाएं होती है.

आज ब्रेन ट्यूमर का इलाज भारत में आधुनिक तकनीक से सफलतापूर्वक करवाना संभव है.इस तरह की सर्जरी आज पूर्ण रूप से सुरक्षित है.लक्षणों की जल्दी पहचान और जल्द इलाज ही इस रोग के सर्वोत्तम निदान के लिए आवश्यक है.

घातक हो सकती है ब्रेन ट्यूमर के उपचार में देरी

कईं बीमारियां इतनी गंभीर होती हैं कि समय रहते उनका उपचार न कराया जाए तो घातक हो सकता है. इन्हीं में से एक है, ब्रेन ट्यूमर. तो जानिए क्यों इतना गंभीर होता है, ब्रेन ट्यूमर? इसके उपचार के कौन-कौनसे विकल्प उपलब्ध हैं? और समय रहते उपचार न कराने से स्थिति कितनी गंभीर हो सकती है?

ब्रेन ट्यूमर

कभी-कभी सिरदर्द हो तो कोई बात नहीं, लेकिन अगर आपको लगातार कईं दिनों से सिरदर्द हो रहा हो, रात में तेज सिरदर्द होने से नींद खुल रही हो, चक्कर आ रहे हों, सिरदर्द के साथ जी मचलाने और उल्टी होने की समस्या हो रही हो तो समझिए की आपके मस्तिष्क में प्रेशर बढ़ रहा है. मस्तिष्क में प्रेशर बढ़ने का कारण ब्रेन ट्यूमर हो सकता है. अगर आप पिछले कुछ दिनों से इस तरह की स्थिति का सामना कर रहे हैं तो सतर्क हो जाएं और तुरंत डायग्नोसिस कराएं.

इन संकेतों को गंभीरता से लें

ब्रेन ट्यूमर के कारण शरीर जो संकेत देता है, वो उसके आकार, स्थिति और उसके विकास की दर के अनुसार अलग-अलग हो सकते हैं. इन संकेतों में सम्मिलित हो सकते हैं:

दृष्टि संबंधी परिवर्तन.

बार-बार सिरदर्द होना.

बिना किसी कारण के जी मचलाना और उल्टी आना.

 

बोलने और सुनने में दिक्कत होना.

शारीरिक और मानसिक संतुलन गड़बड़ा जाना.

दौरे पड़ना.

डायग्नोसिस

ब्रेन ट्यूमर का संदेह होने पर डॉक्टर कुछ जरूरी जांचों और प्रक्रियाओं का सुझाव दे सकता है, जिनमें सम्मिलित हैं:

न्युरोलॉजिकल एक्जाम

इमेजिंग टेस्ट्स

कम्प्युटराइज़ टोमोग्रॉफी (सीटी) और पोज़ीट्रॉन इमिशन टोमोग्रॉफी (पीईटी)

बायोप्सी

कोविड-19 के प्रकोप में भी समय रहते उपचार है जरूरी

मस्तिष्क हमारे शरीर का एक बहुत ही आवश्यक और संवेदनशील भाग है, जब इसमें ट्यूमर विकसित हो जाता है तो जीवन के लिए खतरा बढ़ जाता है. अगर ट्यूमर हाई ग्रेड है तो तुरंत उपचार की आवश्यकता पड़ेगी, उपचार कराने में देरी मृत्यु का कारण बन सकती है. अगर ट्यूमर का विकास बहुत धीमा है तो आप उपचार कराने के लिए थोड़ा समय ले सकते हैं. लेकिन डायग्नोसिस पर ही पता चलेगा की उसका आकार कितना बड़ा है और वो किस चरण पर है. इसलिए डायग्नोसिस कराने में बिल्कुल देरी न करें. कुछ ट्यूमर इतने घातक होते हैं कि कईं लोग ब्रेन ट्यूमर के डायग्नोसिस के 9-12 महीने में मर जाते हैं.   लेकिन, समय पर डायग्नोसिस और उपचार करा लिया जाए तो ठीक होने की संभावना काफी बढ़ जाती है.

उपचार के विकल्प

ब्रेन ट्यूमर का उपचार ट्यूमर के प्रकार, आकार और स्थिति पर निर्भर करता है, इसके साथ ही आपके संपूर्ण स्वास्थ्य और आपकी प्राथमिकता का भी ध्यान रखा जाता है. लेकिन डायग्नोसिस होने के तुरंत बाद उपचार कराना जरूरी है, ताकि जटिलताओं से बचा जा सके.

सर्जरी

अगर ब्रेन ट्यूमर ऐसे स्थान पर स्थित है, जहां ऑपरेशन के द्वारा पहुंचना संभव है, तो सर्जरी का विकल्प चुना जाता है. जब ट्यूमर मस्तिष्क के संवेदनशील भाग के पास स्थित होता है तो सर्जरी जोखिम भरी हो सकती है. इस स्थिति में, सर्जरी के द्वारा उतना ट्यूमर निकाल दिया जाएगा जितना सुरक्षित होता है. अगर ब्रेन ट्यूमर के एक भाग को भी निकाल दिया जाए तो भी लक्षणों को कम करने में सहायता मिलती है.

कीमोथेरेपी

कीमोथेरैपी में शक्‍तिशाली रसायनों का उपयोग किया जाता है जो प्रोटीन या डीएनए को क्षतिग्रस्‍त करके कोशिका विभाजन में हस्‍तक्षेप करते हैं, जिससे कैंसरग्रस्‍त कोशिकाएं मर जाती हैं.

रेडिएशन थेरेपी

रेडिएशन थेरेपी में ट्यूमर की कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए हाई-एनर्जी बीम जैसे एक्स-रे या प्रोटॉन्स का इस्तेमाल किया जाता है.

टारगेट थेरैपी

कीमोथेरैपी के दुष्‍प्रभावों को देखते हुए टारगेट थेरैपी का विकास किया गया है. इसमें सामान्‍य कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाए बिना कैंसरग्रस्‍त कोशिकाओं को नष्‍ट किया जाता है. इसके साइड इफेक्‍ट भी कम होते हैं. पिछले दशक में टारगेट थेरैपी के बहुत अच्‍छे परिणाम आएं हैं.

 

रेडियो सर्जरी

यह पारंपरिक रूप में सर्जरी नहीं है. इसमें कैंसरग्रस्त कोशिकाओं को मारने के लिए रेडिएशन की कईं बीम्स का इस्तेमाल किया जाता है, जो एक बिंदु (ट्यूमर) पर फोकस होती हैं.इसमें विभिन्न प्रकार की तकनीकों का इस्तेमाल किया जाता है जैसे गामा नाइफ या लीनियर एक्सेलेटर.रेडियो सर्जरी, ब्रेन ट्यूमर का एक अत्याधुनिक उपचार है, यह एक ही सीटिंग में हो जाता है और अधिकतर मामलों में, मरीज उसी दिन घर जा सकता है.

अधिक होता है संक्रमण का खतरा

जिन लोगों को कैंसर है, उनके लिए कोविड-19 के संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है, क्योंकि कैंसर के कारण शरीर अतिसंवेदनशील और इम्यून तंत्र अत्यधिक कमजोर हो जाता है. ऐसे में शरीर वायरस के आक्रमण का मुकाबला नहीं कर पाता है. पुणे स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के अनुसार, जो लोग पहले से ही शरीर के किसी भी भाग के कैंसर से जूझ रहे हैं, उनमें संक्रमण होने का खतरा स्वस्थ्य लोगों की तुलना में कईं गुना अधिक हो जाता है.

अमेरिकन कैंसर सोसायटी के अनुसार जो लोग कैंसर का उपचार करा रहे हैं, विशेषकर कीमोथेरेपी उनके लिए संक्रमण की आशंका अधिक हो जाती है, क्योंकि कीमोथेरेपी में इस्तेमाल होने वाली ड्रग्स इम्यून तंत्र को नकारात्मक रूप से प्रभावित करती हैं.

इसलिए बहुत जरूरी है कि जो लोग कैंसर से जूझ रहे हैं, या इसका उपचार करा रहे हैं, वो कोविड-19 से बचने के लिए सरकार द्वारा जारी किए गए दिशा-निर्देशों का कड़ाई से पालन करें.

डॉ. मनीष वैश्य,निदेशक, न्युरो सर्जरी विभाग, मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, वैशाली, गाजियाबाद से बातचीत पर आधारित

मेरे लिवर में 2 मिलिमीटर का ट्यूमर है, क्या सर्जरी से इसका पूरा तरह उपचार संभव है?

सवाल 

मैं पेशे से वकील 57 वर्षीय महिला हूं. डायग्नोसिस में मेरे लिवर में 2 मिलिमीटर का ट्यूमर होने का पता चला है. क्या सर्जरी से इस का पूरी तरह उपचार संभव है?

जवाब

बहुत कम मामलों में ही लिवर कैंसर का पता शुरूआती चरण में चल पाता है और इस स्तर पर सर्जरी के द्वारा इस का लगभग सफल उपचार संभव है. सर्जरी के द्वारा ट्यूमर और लिवर के कुछ स्वस्थ उतकों को निकाल दिया जाता है जो ट्युमर के आसपास होते हैं. मिनिमली इनवेसिव लैप्रोस्कोपिक या रोबोटिक सर्जरी ने सर्जरी को काफी आसान बना दिया है. यह एक अत्याधुनिक विकसित तकनीक है जिस में सर्जरी करने में कंप्यूटर और रोबोट की मदद ली जाती है. कंप्यूटर द्वारा नियंत्रित इस सर्जरी में सर्जन रोबोट को नियंत्रित करने के लिए कंप्यूटर का इस्तेमाल करते हैं. इस में पारंपरिक सर्जरी की तरह बड़े कट नहीं लगाए जाते हैंजिस से जटिलताएं कम होती हैं और मरीज को ठीक होने में कम समय लगता है अस्पताल में ज्यादा रुकने की जरूरत भी नहीं होती है

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