वैजाइनल इन्फैक्शन से बचाव है जरूरी

वैजाइनल इन्फैक्शन यानी योनि में संक्रमण छोटी बच्ची से ले कर उम्रदराज महिला तक किसी को भी हो सकता है. कुछ महिलाएं जीवन में कई बार इस की शिकार होती हैं. वैजाइनल इन्फैक्शन वैसे तो एक आम बीमारी है पर इस की अनदेखी करने के परिणाम खतरनाक हो सकते हैं. यहां तक कि बांझपन तक हो सकता है. प्रैगनैंसी के दौरान वैजाइनल इन्फैक्शन होने पर यौन रोग भी हो सकते हैं, जो होने वाले बच्चे को भी अपना शिकार बना सकते हैं.

वैजाइनल इन्फैक्शन के कारण ल्यूकोरिया जैसी परेशानी भी हो सकती है, जिस के कारण वैजाइना से सफेद बदबूदार डिस्चार्ज होता है. इस से पेट और कमर का दर्द हो सकता है. बुखार होने के साथसाथ महिलाओं में कमजोरी भी आ सकती है.

वैजाइनल इन्फैक्शन का मुख्य कारण पर्सनल हाइजीन का ध्यान न रखना है. डाक्टर मधु गुप्ता कहती हैं कि योनि संक्रमण के कारण सैक्सुअली ट्रांसमिटेड डिजीज भी हो सकते हैं. पर्सनल हाइजीन का रखें ध्यान कुछ इस तरह:

साफ पानी का करें प्रयोग:

वैजाइना बौडी को साफ रखने का काम खुद करती है. पर्सनल हाइजीन के लिए जरूरी है कि बाथरूम का प्रयोग करने से पहले टौयलेट फ्लश चला लें क्योंकि अगर आप से पहले किसी रोगी ने टौयलेट का प्रयोग किया है तो आप को भी इन्फैक्शन हो सकता है.

टौयलेट के बाद वैजाइना को साफ पानी से साफ करें और फिर इस एरिया को नर्म कपड़े से सुखा लें. ऐसा करने से इन्फैक्शन से बचा जा सकता है.

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पीरियड्स में रखें खास खयाल:

पीरियड्स के दौरान इन्फैक्शन का खतरा ज्यादा होता है, इसलिए इस दौरान साफसफाई का खास खयाल रखें. इन्फैक्शन से दूर रहने के लिए अच्छी किस्म के सैनिटरी पैड्स का ही प्रयोग करें. जरूरत के हिसाब से जल्दीजल्दी पैड्स बदलती रहें. टैंपून लगाने से पहले वैजाइना को पानी से वाश कराएं. इसे 5 घंटों से ज्यादा समय तक न लगाए रखें.

कौटन का प्रयोग है सही: पैंटी का प्रयोग करते समय यह जरूर देख लें कि वह कौटन की ही हो और बहुत टाइट फिटिंग वाली पैंटी का प्रयोग न करें. नायलोन और सिंथैटिक पैंटी का प्रयोग कम करें. यह पसीना पैदा करती है, जिस से वैजाइनल एरिया में स्किन इन्फैक्शन का खतरा बढ़ जाता है. पैंटी को धोते समय ध्यान रखें कि उस में साबुन न रहे और इसे धोने के लिए खुशबूदार साबुन का प्रयोग न करें.

गंदे टौयलेट से रहें दूर:

इन्फैक्शन से बचने के लिए गंदे टौयलेट का भी प्रयोग न करें. जिस टौयलेट में बहुत सारे लोग जाते हों उस का प्रयोग बहुत ही सावधानी से करें क्योंकि ऐसे टौयलेट का प्रयोग करने से यूरिनरी टै्रक्ट इन्फैक्शन यानी मूत्रमार्ग इन्फैक्शन का खतरा बढ़ जाता है.

न करें खुद इलाज: अगर वैजाइना या उस के आसपास खुजली हो रही हो तो उस जगह को रगड़ें नहीं और यदि खुजली बराबर बनी रहती है तो डाक्टर से संपर्क करें. अपने मन या फिर कैमिस्ट के कहने पर दवा न लें वरना परेशानी बढ़ सकती है.

डाक्टर की सलाह से करें डाउचिंग:

वैजाइना के अंदरूनी हिस्से की सफाई के लिए डाउचिंग की सलाह दी जाती है. इस में कुछ खास किस्म की दवा मिली होती है, पर इस का प्रयोग अपने मन से न करें.

वैजाइना में अच्छे और बुरे दोनों किस्म के बैक्टीरिया मौजूद होते हैं. कभीकभी डाउचिंग से खराब बैक्टीरिया के साथसाथ अच्छे बैक्टीरिया भी खत्म हो जाते हैं, जिस से इन्फैक्शन होने लगता है.

प्यूबिक हेयर की सफाई:

प्यूबिक हेयर यानी जननांग के बाल वैजाइना की सुरक्षा के लिए होते हैं. ये यूरिन के अंश को वैजाइना में जाने से रोकने का काम भी करते हैं. समयसमय पर इन की सफाई बेहद जरूरी होती है. यहां की स्किन बहुत संवेदनशील होती है, इसलिए यहां के बालों की सफाई के लिए हेयर रिमूवर और शेविंग क्रीम का इस्तेमाल कम करें. हेयर ट्रिमिंग सब से सुरक्षित उपाय माना जाता है.

जानें क्या करें जब हो वैजाइनल इन्फैक्शन

अकसर लड़कियां खुजली या जलन को नौर्मल समझ कर इन्हें नजरअंदाज कर देती हैं जिस से इन्फैक्शन का खतरा बढ़ जाता है. सो, वैजाइनल इन्फैक्शंस के बारे में हर लड़की को पता होना चाहिए.  लड़कियों में वैजाइनल इन्फैक्शन आम बात हो गई है. औसतन 70 फीसदी लड़कियों को उन के जीवन में एक न एक बार किसी तरह का वैजाइनल इन्फैक्शन जरूर होता है. वैजाइनल इन्फैक्शंस कम तकलीफदेह भी हो सकते हैं और भयंकर चिंता का कारण भी बन सकते हैं. यह इन्फैक्शंस यूट्रस, सर्वाइकल और अन्य जननांगों के कैंसर का मुख्य कारण होते हैं. यह शरीर का जितना नाजुक हिस्सा है उतनी ही सख्त इस की देखभाल होनी चाहिए. आइए, मूलचंद अस्पताल, दिल्ली की सीनियर गाइनोकोलौजिस्ट डा. मीता वर्मा से वैजाइनल इन्फैक्शंस के बारे में जानते हैं.

किसकिस तरह के वैजाइनल इन्फैक्शंस होते हैं और इन के होने के क्या कारण हैं?

वैजाइनल इन्फैक्शंस बैक्टीरियल हो सकते हैं, फंगल हो सकते हैं और मिक्स्ड हो सकते हैं. वैजाइना यानी योनि में कुछ गुड बैक्टीरियाज होते हैं जिन्हें फ्लोरास कहते हैं. ये हमारे लिए हैल्दी होते हैं और वैजाइनल एरिया को गीला या नम रखते हैं.

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वैजाइनल एरिया गीला होना चाहिए. नौर्मल बैक्टीरिया इंटिमेट, हैल्दी या कहें फ्रैंडली बैक्टीरिया होते हैं, जो वैजाइना का पीएच मेंटेन करते हैं. इन बैक्टीरियाज में किसी भी तरह के डिस्टर्बैंस होने से वैजाइनल इन्फैक्शन हो जाता है. अगर वैजाइना का पीएच चेंज होता है तो बाहरी बैक्टीरियाज फ्रैंडली बैक्टीरियाज पर अटैक कर देते हैं.

पीएच के डिस्टर्ब होने पर वैजाइना में भिन्न लक्षण दिखने लगते हैं जिन से वैजाइनल इन्फैक्शंस का पता चलता है. कभी वैजाइना में इचिंग होती है, जलन होती है, बहुत अधिक वैजाइनल डिस्चार्ज होता है, ड्राईनैस और रैडनैस भी होने लगती है. फ्रैंडली बैक्टीरियाज के आपस में असंतुलन से भी यह हो सकता है.

ये इन्फैक्शंस सब से ज्यादा किस उम्र की लड़कियों को होते हैं?

वैसे तो वैजाइनल इन्फैक्शंस हर उम्र की लड़की या महिला को हो सकते हैं लेकिन जितनी यंग गर्ल्स हैं, टीनएज गर्ल्स और गर्भधारण करने वाली लड़कियां हैं, उन में ये इन्फैक्शंस ज्यादा होते हैं. ओल्डएज में मेनोपोज हो जाने के बाद वैजाइनल इन्फैक्शंस कम होते हैं. एल्डर्ली एज में ये तभी होते हैं जब महिला का इम्यून सिस्टम खराब हो. जैसे किसी को अगर चिकनगुनिया हो जाए, किसी को अगर शुगर है, वह डायबिटिक है तो उस का इम्यून सिस्टम इन्फैक्शंस से लड़ने में अक्षम हो जाता है.

वैजाइनल इन्फैक्शंस से नुकसान क्या हैं?

किसी लड़की को अगर वैजाइनल इन्फैक्शन है तो उस की वैजाइना और आसपास की त्वचा में जलन, खुजली, हैवी डिस्चार्ज और दर्द होगा. उसे हर समय डिसकम्फर्ट महसूस होगा. दूसरा, अगर यूट्रस यानी गर्भाशय के मुख (सर्विक्स) से इन्फैक्शन अंदर चला जाए तो यूट्रस में सूजन हो जाती है, नलें बंद होने का खतरा रहता है जिसे पैल्विक इन्फ्लेमैटरी डिजीज कहते हैं. यानी, पूरा रिप्रोडक्टिव सिस्टम इस से खराब हो सकता है. अगर आप की नलें बंद हो गईं तो गर्भधारण नहीं होगा. यूट्रस में इन्फैक्शन होगा तो सैप्सिस होगा, एपेस्लाइड डिस्चार्ज होगा, आप की अपनी लाइफ और लवलाइफ दोनों पर इफैक्ट पड़ेगा.  अगर यूट्रस के मुख पर कई दिनों तक इन्फैक्शन रहे तो शैडिंग होने लगती है, सेल्स इन्फैक्ट हो जाते हैं, और यह यूट्रस का कैंसर बन जाता है. भारत में सर्वाइकल कैंसर दूसरे नंबर का खतरनाक कैंसर है. साथ ही अगर किसी प्रैग्नैंट लड़की को वैजाइनल इन्फैक्शन होता है तो अबौर्शन की नौबत तक आ जाती है.

लड़कियों को वैजाइनल इन्फैक्शंस से बचने के लिए किस तरह के अंडरगारमैंट्स पहनने चाहिए?

अंडरगारमैंट्स हमेशा ऐसे होने चाहिए जो आप के इंटिमेट एरिया का हाइजीन बना कर रखें. आप के इंटिमेट एरिया का हाइजीन बहुत जरूरी है, उस की साफसफाई बेहद जरूरी है. आप का अंडरवियर कौटन का होना चाहिए. जितनी भी बार आप वाशरूम जाएं, रनिंग वाटर से अपने इंटिमेट एरिया को क्लीन करें. वैजाइना को पैट ड्राई करें, रगड़े नहीं बल्कि थपथपा कर सुखाएं, जिस से फंगल इन्फैक्शन का खतरा न हो.

क्या कम पानी पीना भी वैजाइनल इन्फैक्शन का कारण हो सकता है?

कम पानी पीने से वैजाइनल इन्फैक्शन तो नहीं होता लेकिन यूरिन बर्निंग हो जाती है. यूरिन बर्निंग के कारण पेशाब करने में दिक्कत होती है और दर्द भी होता है.

खानपान का वैजाइनल इन्फैक्शन से कोई संबंध है?

जी हां, बिलकुल है. अगर आप हमेशा इन्फैक्टेड, बासी स्ट्रीट फूड खाएंगे जोकि अधिक एसिटिक होते हैं या आप फंगल फूड खाते हैं तो इस से शरीर पर बुरे प्रभाव पड़ते हैं. इस कारण वैजाइना में जलन होने लगती है. सड़ागला खाना या फर्मेंट किया हुआ खाना बिलकुल भी नहीं खाना चाहिए. खासकर बरसात के दिनों में अंडरकुक्ड, सेमीकुक्ड या पार्शलकुक्ड फूड नहीं खाना चाहिए. इन से वैजाइनल इन्फैक्शन बढ़ भी सकते हैं. डीपफ्राइड या रोस्टेड फूड खाना सही रहता है.

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नवविवाहित लड़कियों को अकसर यूरिन इन्फैक्शन क्यों हो जाता है?

ऐसा इसलिए होता है क्योंकि शादी के तुरंत बाद उन का सैक्स बहुत फ्रीक्वैंट हो जाता है. इस से वैजाइनल एरिया सोअर हो जाता है, सूज जाता है. रैडनैस भी आ जाती है. यूट्रस के पास ही पेशाब की थैली होती है जो नियमित सैक्स के कारण इन्फैक्ट होती है. इसी कारण बारबार पेशाब जाने का मन होने लगता है और जलन होने लगती है. लेकिन अगर यूरिन टैस्ट कराया जाए तो जांच में इन्फैक्शन नहीं आता, बल्कि इसे हनीमून सिस्टाइटिस कहते हैं. मतलब, मूत्राशय की सूजन. सैक्स के दौरान बारबार रगड़ खाने से यह परेशानी हो जाती है.

सैक्स के दौरान किन चीजों का ध्यान रखें?

सैक्स करते समय पर्सनल हाइजीन का बहुत ध्यान रखना चाहिए. आप का पार्टनर अपने प्राइवेट एरिया को क्लीन रखे और आप भी. दोनों इंटिमेट हाइजीन रखें. एबनौर्मल पौस्चर्स और एबनौर्मल सैक्स अवौइड करना चाहिए.

क्या करें कि वैजाइनल इन्फैक्शंस न हों?

सब से जरूरी तो यही है कि आप अपने वैजाइनल एरिया का ध्यान रखिए. इंटिमेट हाइजीन रखिए. लूज फिटिंग के कपड़े पहनिए जिस से हवा पास होती रहे, एयर वैंटिलेशन प्रौपर हो. खासकर रात को ढीला पायजामा या नाइटी पहन कर सोएं. रोज नहाएं, बाथटब यूज करने के बजाय शावर बाथ लें. बाथटब से नहाने पर भी वैजाइनल इन्फैक्शन हो सकता है. लोग बाथटब में शावर जैल या बौंब डाल लेते हैं जो वैजाइनल इरिटेंट का काम करते हैं. ऐसा नहीं करना चाहिए. नौर्मल शावर से नहाना ज्यादा हाइजीनिक होता है.

बाजार में जितने भी तरह के वैजाइनल वाश उपलब्ध हैं उन में से कोई भी यूज न करें. यह एक मिथ्या है कि पीएच बनाए रखने के लिए वैजाइनल वाश का इस्तेमाल करना चाहिए. वैजाइना अपना पीएच नैचुरली बनाए रखती है. वैजाइनल वाश एक तरह का कैमिकल है जिस से दूर रहना चाहिए. और अगर इस्तेमाल कर भी रही हैं तो डेली बेसिस पर बिलकुल न करें. कुछ लड़कियां वैजाइनल हाइजीन के लिए हमेशा ही पैंटी लाइनर्स का इस्तेमाल करती हैं. ऐसा नहीं करना चाहिए. पैंटी लाइनर्स नौर्मल वैजाइना की वैटनैस और मौइस्चर को एब्जौर्ब कर लेते हैं.

किस तरह के पैड्स का इस्तेमाल करना चाहिए?

आजकल लड़कियां ड्राई फील सेनेटरी नैपकिंस का बहुत इस्तेमाल करती हैं. आप को इन्हें इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. ड्राई फील वाले पैड्स से स्किन अरोड हो जाती है, बहुत ज्यादा ड्राई हो जाती है. ये स्किन से रगड़ खाते हैं, जिस से इन्फैक्शन का खतरा बढ़ जाता है. वैजाइनल एरिया का मोइस्चर बनाए रखने के लिए कौटन पैड्स का इस्तेमाल करना चाहिए. लड़कियां जो दिनभर व्यस्त रहने के कारण पैड्स चेंज नहीं कर पातीं उन्हें यह अधिक हो सकता है.

व्हाइट डिस्चार्ज का होना क्या इन्फैक्शन का कारण हो सकता है?

नौर्मल वाटरी डिस्चार्ज तो होता रहता है जिसे ओवुलैट्री डिस्चार्ज कहते हैं. यह अंडा गिरने पर होता है, उन लड़कियों में जो प्रैग्नैंट हो सकती हैं और जिन में मेनोपौज नहीं हुआ है. लड़कियों में मिड मैंस्ट्रुअल साइकिल अंडा गिरता है तो यह वेटनैस और डिस्चार्ज नौर्मल होता है. लेकिन कभी आप को फटे दही की तरह डिस्चार्ज हो रहा हो, येल्लोइश, पिंकिश या ब्राउनिश डिस्चार्ज हो, स्मैली डिस्चार्ज हो, डिस्चार्ज में म्यूकस जैसा कुछ दिखे तो तुरंत डाक्टर से कंसल्ट करें. यह वैजाइनल इन्फैक्शन के कारण हो सकता है.

बार-बार वैजाइनल इन्फैक्शंस हों तो क्या करें?

अगर बारबार वैजाइनल इन्फैक्शन हो तो डाक्टर को दिखा कर प्रौपर एग्जामिनेशन कराएं. इस को टालें नहीं. जैसा पहले भी बताया गया है, इस से नलें बंद होने का डर रहता है. आप को पूरे रिप्रौडक्टिव सिस्टम के और्गंस का इन्फैक्शन हो सकता है. बहुत दिनों तक इन्फैक्शन हो तो कैंसर भी हो सकता है.

कुछ लड़कियां इन्फैक्शन को घरेलू नुस्खों से दूर करने की कोशिश करती हैं. क्या यह सही है?

बहुत से लोग कहते हैं कि सिरके के पानी से वाश करने से इन्फैक्शन ठीक होता है या साबुन या लहसुन लगा लेने से, जबकि ये चीजें बिलकुल भी इस्तेमाल नहीं करनी चाहिए. मैं इन सब चीजों की सलाह नहीं देती.

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क्या इन्फैक्शन के दौरान सैक्स करने से पार्टनर को भी खतरा हो सकता है?

जी हां, बिलकुल हो सकता है. पार्टनर भी इन्फैक्शन के कैरियर हो सकते हैं. यह एकदूसरे में जा सकता है. और अगर एक बार यह इन्फैक्शन आप के पार्टनर को हो जाए और आप अपना ट्रीटमैंट करा लें तो अगली बार सैक्स करने पर पार्टनर से एक बार फिर आप को इन्फैक्शन हो सकता है. इसलिए अगर आप इन्फैक्शन के दौरान सैक्सुअली ऐक्टिव हैं तो अपना और अपने पार्टनर का ट्रीटमैंट एकसाथ कराएं.

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