एक्शन और सीरियस फिल्मों में काम करना चाहती हूं – वंदना पाठक

धारावाहिक ‘हम पांच’ से अभिनय के क्षेत्र में कदम रखने वाली अभिनेत्री वंदना पाठक के पिता अरविन्द वैद्य गुजराती थिएटर के नामचीन कलाकार है और उनकी माँ जयश्री वैद्य भी सरकारी कार्यालय में काम किया है. 5 साल की उम्र से वंदना ने अभिनय शुरू किया है, लेकिन पढाई पूरी करने के बाद ही उन्होंने अभिनय करना शुरू किया और एक अच्छा समय इंडस्ट्री में बिताया है. वंदना ने अधिकतर हास्य धारावाहिकों और फिल्मों में हास्य गुजराती किरदार निभाए है, जिसे लोगों ने खूब पसंद किया. ‘खिचड़ी’धारावाहिक की दोनों सिक्वल में जयश्री पारिख की भूमिका को भी दर्शकों ने खूब पसंद किया और वह घर-घर जानी जाने लगी. काम के दौरान ही उन्हें राइटर और डायरेक्टर नीरज पाठक से प्यार हुआ,शादी की और दो बच्चों यश पाठक (24 वर्ष) और राधिका पाठक (19 वर्ष ) की माँ बनी. स्वभाव से विनम्र और हंसमुख विनीता ने गुजराती फिल्म ‘स्वागतम’ में मुख्य भूमिका निभाई है, ये एक थ्रिलर रोमकोम फिल्म है. जिसे शेमारू मी पहली बार ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज किया है. विनीता इस भूमिका से बहुत खुश है. पेश है उनसे हुई बातचीत के कुछ अंश.

सवाल-इस किरदार को करने की खास वजह क्या है?

इस फिल्म में मैं दादी सरयू देवी की भूमिका निभा रही हूं, जो अपने पिता की प्रोपर्टी को मोटेल की तरह प्रयोग करती है. व्हील चेयर पर रहने के बावजूद मेरा सेंस ऑफ़ ह्यूमर बहुत अच्छा है और बुजुर्ग होने की वजह से मुझे सभी सम्मान देते है. आज से पहले की संयुक्त परिवार की तरह नोक-झोक वाली ये फिल्म है.

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सवाल-संयुक्त परिवार की कल्पना अभी टूट चुकी है, सभी एकाकी परिवार में रहना पसंद करते है, इसका प्रभाव बच्चों पर कितना पड़ता है?

संयुक्त परिवार के फायदे कई है, क्योंकि आज हर कोई कमाने वाला होता है, ऐसे में बुजुर्ग की छत्रछाया में पल रहे बच्चे का आत्मविश्वास बढ़ता है. मैं भी संयुक्त परिवार में दादी-नानी के साथ रहकर बड़ी हुई हूं. इसके अलावा बड़े-बुजुर्ग व्यक्ति के घरेलू नुस्खे अस्पताल जाने से पहले बहुत फायदेमंद होते है.

सवाल-25 साल की इस जर्नी से आप कितने संतुष्ट है, क्या कोई रिग्रेट रह गया है?

बहुत संतुष्ट हूं, क्योंकि अभी मैं अच्छा काम कर रही हूं. गुजराती फिल्म इंडस्ट्री का ये गोल्डन पीरियड है. नए-नए राइटर और डायरेक्टर अलग-अलग नई कहानियां लेकर आ रहे है. वे हर चीज को एक्स्प्लोर कर रहे है. इसे मैं बहुत एन्जॉय कर रही हूं. मैं बहुत खुश हूं कि मुझे ऐसे प्रतिभावान लोगों के साथ काम करने का मौका मिल रहा है. पहले हिंदी फिल्मों में काम करने वाले रीजनल में काम नहीं करना चाहते थे. आज सभी कलाकार हर तरीके की कहानियों में काम करना पसंद करते है. मैंने अभी फिल्मों में काम करना शुरू किया है और कॉमेडी में बहुत काम भी किया है, अब कुछ अलग करना चाहती हूं. एक्शन और सीरियस फिल्मों में काम करने की इच्छा रखती हूं.

सवाल-थिएटर और फिल्मों या धारावाहिकों में कुछ अंतर पाती है?

एक कलाकार के लिए माध्यम कोई माइने नहीं रखती, क्योंकि सबमें अभिनय ही करना पड़ता है. थिएटर में ढाई घंटे उसी चरित्र में रहना, इतने सारे दर्शकों के बीच अभिनय करना, जिसमे पास और फेल का हिसाब उसी वक्त मिलना एक चुनौती होती है. फिल्म की शूटिंग करते वक़्त एक छोटी सी आवाज आने पर फिर से शूट किया जाता है. ऐसे में उसी दृश्य को उसी मूड में शूटिंग करना भी बहुत मुश्किल होता है.

सवाल-कोरोना में शूटिंग करना कितना मुश्किल हो रहा है?

कोरोना में काम करना बहुत मुश्किल हो रहा है. फिल्म और धारावाहिक की शूटिंग पहले से कम हो रही है, लेकिन सावधानियां अभी पहले से अधिक लिया जा रहा है. पूरे समय काढ़ा, सेनीटाइजर, मास्क, फेस शील्ड आदि की व्यवस्था रहती है. कई बार इतना सम्हालने के बाद भी कोरोना संक्रमण हो जाता है. इस मुश्किल समय में हर कोई एक दूसरे की सहायता कर रहे है, जो अच्छी बात है.

सवाल-इस पेंडेमिक से सीख क्या मिलती है?

लापरवाही कभी न करें. मुझे इस बात दुःख होता है कि आज भी कई लोग सही तरह से मास्क नहीं लगाते. भीड़ में घूमते है. मास्क सबके लिए है और सबको इसे हमेशा पहनना है. सबसे ऊपर हेल्थ है,इसे लोग जितनी जल्दी समझ जाएँ अच्छा होगा, क्योंकि अगर हेल्थ सही रहेगी, तो हम किसी बीमारी से लड़ सकते है. कोरोना की वजह से सारा काम आज बंद है, लेकिन हमें जिन्दा रहना है, तभी हम काम कर सकेंगे. कोविड की दूसरी लहर बहुत भयंकर है. हजारों की संख्या में पिछले कुछ दिनों से रोज लोगों की मृत्यु हो रही है. इस दौरान मैंने अपनी पहचान से कईयों को बेड, ऑक्सीजन और खाना पहुंचाया है. अभी सबकी हालत ख़राब है, सबको पैसे की जरुरत है.

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सवाल-आप अपनी सफलता का श्रेय किसे देना चाहती है?

मेरे माता-पिता ने हमेशा मुझे सहयोग हर तरीके से दिया है. इसके बाद मेरे पति को देना चाहती हूं, जो हमेशा मेरे साथ रहे. मैं 8 महीने प्रेग्नेंट थी और हम पांच धारावाहिक ख़त्म किया था. सेकंड डिलीवरी के समय मैंने अंतिम समय तक काम किया था. दोनों प्रेगनेंसी में मेरे पति ने मुझे मेरी ख़ुशी को अधिक देखा. उन्होंने मुझे काम करने से कभी मना नहीं किया. मेरे बच्चे आज तक कभी शूटिंग पर जाने से मना नहीं करते, उन्हें पता रहता है कि मैं शूटिंग के लिए जा रही हूं. इसके अलावा मेरे सारे निर्माता और निर्देशक भी बहुत अच्छे रहे है. जरुरत के समय मुझे मेरी सीन जल्दी शूट कर जाने देते थे. यही वजह है कि मैंने कभी बच्चों के स्कूल के किसी भी फंक्शन और मीटिंग को मिस नहीं किया.

सवाल-क्या आपके बच्चे फिल्म इंडस्ट्री में आना चाहते है?

मैंने उन्हें पूरी आज़ादी दी है, मेरा बेटा क्रिकेट का शौक़ीन है और उस दिशा में मेहनत कर रहा है, मेरी बेटी फिल्म मेकिंग से जुडी हुई है. वह पिता की तरह राइटर, डायरेक्टर और प्रोड्यूसर बनना चाहती है. बच्चे अपनी इच्छा से काम कर रहे है, लेकिन काम में कमिटमेंट पूरी रखे इसकी सलाह मैं देती हूं.

सवाल-आपके पिता से आपने क्या सीख ली है?

मेरे पिता 80 साल की उम्र में अभी भी काम करते है, शो ‘अनुपमा’ में वे दादाजी की  भूमिका निभा रहे है. वे अभी भी फिट है और 80 के लगते भी नहीं है. उनसे मैंने सीखा है कि मेहनत से ही सफलता मिलती है और उसमें कमी कभी मत करना.

सवाल-कौन सी धारावाहिक आपके दिल के करीब है और क्यों?

मैंने जो भी काम किया बेस्ट किया और मैंने कभी बिना सोचे किसी काम को लिया नहीं. फिर चाहे अहमदाबाद में थिएटर में काम करना हो या धारावाहिक हम पांच हो, सभी एक दूसरे से अलग और खास है. सभी शोज मेरे दिल के करीब है. सभी से कुछ न कुछ मुझे मिला है.

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