विष अमृत: भाग-1 एक घटना ने अमिता की पूरी जिंदगी ही बदल कर रख दी

एक घटना ने अमिता की पूरी जिदगी ही बदल कर रख दी थी और जब आकाश ने उस से शादी करने की इच्छा जताई तो वह रो पड़ी. आखिर क्या हुआ था उस के साथ. ‘‘आज जाने की जिद न करो, यों ही पहलू में बैठे रहो,’’ कनु के स्वर की मधुर स्वरलहरियां कमरे में तैर रही थीं. सब लोग मगन हो कर सुन रहे थे.

निशा रजत के कंधे पर सिर रखे आंखें बंद कर के गाने का पूरा आनंद ले रही थी बल्कि गाने की पंक्तियों को साकार कर रही थी.

आकाश दीवार से सिर टिकाए सपनों में खोया था. उस का संपूर्ण वजूद एक अक्स से आग्रह कर रहा था, ‘‘आज जाने की जिद न करो…’’नमिता खोईखोई सी नजरों से न जाने कहां देख रही थी. आकाश ने पहलू बदलने के बहाने से एक भरपूर नजर से नमिता को देखा, काश कि यह बात वह खुद नमिता से कह पाता, ‘‘मेरी निमी सिर्फ आज नहीं बल्कि तुम कभी भी इस घर से, मेरे जीवन से जाने की बात मत करो. रह जाओ न सदा के लिए यहीं मेरे पास. देखो तुम्हारे बिना यह घर और मैं दोनों कितने अकेले हैं.’’

 

मगर आकाश कभी कह नहीं पाया. कितनी मुलाकातें, एक लंबा साथ, अच्छी दोस्ती, आपसी सामंजस्य सबकुछ है दोनों के बीच लेकिन तब भी नमिता की तरफ से किसी तिनके की ऐसी ओट है जिसे पार कर वह दोस्ती की हद से आगे अपनी भावनाएं व्यक्त नहीं कर पा रहा है उस के प्रति. बस रातदिन उस के अपने ही भीतर नमिता के प्रति प्यार का रंग गाढ़ा होता जा रहा है.

तालियां बजने की आवाज से आकाश चौंक गया. कनु गाना खत्म कर चुकी थी और बाकी सब लोग तालियां बजा रहे थे. ‘‘वाह, आज तो हमें भी ऐसा लग रहा है कि हम भी तुम से यही कहें कि आज जाने की जिद न करो बस यों ही गाते रहो,’’ रजत ने कहा तो सब खिलखिला कर हंस दिए.

‘‘हां तुम तो चाहोगे ही कि कनु गाती रहे और निशा तुम्हारे कंधे पर सिर रख कर यहीं बैठी रहे. तुम दोनों अब शादी क्यों नहीं कर लेते? अब तो तुम दोनों की ही अच्छी जौब है,’’ पंकज ने रजत को छेड़ा.

‘‘अरे यार तुम्हें लगता है कि शादी के बाद हमें फुरसत मिलेगी इस तरह रोमानी शामें गुजारने की. तब तो निशा को रात का डिनर तैयार करने के लिए घर भागने की जल्दी हुआ करेगी वरना मेरी मम्मी का मुंह फूल जाया करेगा. कुछ दिन इस रोमानियत को और ऐंजौय करने दो,’’ रजत ने इस ढंग से कहा कि सब हंसने लगे.

‘‘चलो मीनाक्षी अब एक गाना तुम सुना दो,’’ निशा ने बात बदलते हुए कहा. ‘‘एक गाना सुन लिया अब एक कविता सुनी जाए आकाश से. मैं बाद में गाऊंगी,’’ मीनाक्षी ने कहा. ‘‘हां यह बात सही है, आकाश सुनाओ न हाल ही में नया क्या लिखा तुम ने?’’ पंकज ने आग्रह किया.

आकाश ने पूरे तरन्नुम में एक गजल छेड़ दी. एक दर्द भरी इश्क में डूबी गजल. उस की आवाज भी उतनी ही दर्द भरी थी. जब वह गजल गाता था तो महफिल उस में खो जाती थी. पेशे से वह एक सौफ्टवेयर इंजीनियर था लेकिन उसे लिखने और गाने का बहुत शौक था. इसी शौक ने उन सब की आपस में पहचान और दोस्ती करवाई थी और अब हर शनिवार को वे सब आकाश के घर पर इकट्ठा होते थे औफिस के बाद. चायनाश्ते के दौर के साथ ही गानों का दौर चलता रहता जिस में आकाश अपनी गजलें गाता और नमिता अपनी कविताएं सुनाती. एक छोटा सा म्यूजिक ऐंड लिटरेचर गु्रप बन गया था उन का. आकाश अपने फ्लैट में अकेला रहता था इसलिए सब यही कंफर्टेबल फील करते थे. बाकी सब अपनेअपने परिवार के साथ रहते थे.

 

आकाश की गजल के बाद मीनाक्षी ने, ‘‘आओ हुजूर तुम को बहारों में ले चलूं…’’ गाना शुरू किया तो पंकज, कनु और रजतनिशा उठ कर डांस करने लगे. मीनाक्षी ने 1-2 बार आकाश को चोरी से इशारा किया कि नमिता के साथ डांस करे लेकिन नमिता पहले ही इस आशंका से असहज लग रही थी तो आकाश ने कुछ नहीं कहा. आकाश के दिल का हाल और उस की नमिता के प्रति भावनाओं को सब जानते थे और भरसक उन दोनों को पास लाने की कोशिश करते थे लेकिन नमिता ऐसे समय एकदम से खुद में सिमट जाती थी और एक दूरी बना लेती. 9 बजे सब लोग आकाश से विदा ले कर चले गए. पंकज, कनु और नमिता को घर पहुंचाता था और रजत मीनाक्षी और निशा को. सन्नाटे भरे घर में आकाश अकेला रह गया. थोड़ी देर टीवी देखने के बाद वह कुछ लिखने बैठा और देर तक लिखता रहा. नमिता को ले कर उस की जो भावनाएं थीं, जो ख्वाब थे उन्हीं को शब्द देता रहा. उस के मन में आज यही ख्वाहिश रही थी कि काश वह नमिता के लिए कभी खुद गा पाता कि आज जाने की जिद न करो, लेकिन हर बार उस की ख्वाहिश मन में ही रह जाती है कभी होंठों तक नहीं आ पाती. ख्वाहिश को दिल से होंठों तक लाने में जाने कितने वर्षों का इंतजार करना पड़ेगा उसे. क्या जाने यह इंतजार कभी खत्म भी होगा या नहीं.

ऐसा नहीं है कि नमिता आकाश की भावनाओं से अनजान है, सम   झती तो होगी ही वह उस की चाहत को लेकिन क्यों इस तरह से एक दूरी बना कर रखती है, कभी दिल की बात वह कह पाए इतना पास ही नहीं आने देती उसे. आकाश दिल की गहराइयों से उसे चाहता था, रातरातभर उस के खयालों में जागता रहता. 4 साल हो गए हैं उसे नमिता को चाहते लेकिन यह चाहत बस आकाश के दिल तक ही सीमित थी.

 

विष अमृत: भाग-2 एक घटना ने अमिता की पूरी जिंदगी ही बदल कर रख दी

मीनाक्षी आकाश की बचपन की दोस्त थी और नमिता के प्रति उस के प्यार को सम   झती थी. वह जानती थी नमिता और आकाश की जोड़ी बहुत अच्छी रहेगी. आकाश बहुत अच्छा इंसान है. उस ने कई बार नमिता को शादी के विषय पर टटोलना चाहा लेकिन हर बार नमिता एक ही जवाब देती, ‘‘मैं अपनी जिंदगी से ऐसे ही खुश हूं. किसी बंधन में बंधना नहीं चाहती.’’‘‘लेकिन हर लड़की का एक सपना होता है कि उस का अपना एक घर हो, परिवार हो,’’ मीनाक्षी कहती.‘‘है तो मेरा परिवार, मांपिताजी हैं, भैयाभाभी हैं, एक प्यारा सा भतीजा है,’’ नमिता कहती.

‘‘हां लेकिन जैसे तुम्हारे भैया का अपना एक परिवार है क्या तुम्हारा मन नहीं करता कि वैसा ही एक परिवार तुम्हारा हो, बच्चे हों?’’  मीनाक्षी उसे उकसाती. ‘‘नहीं मैं ऐसे ही खुश हूं,’’ नमिता बात को वहीं खत्म कर देती.

मीनाक्षी को समझ नहीं आता कि नमिता आखिर शादी क्यों नहीं करना चाहती. क्या उस के मातापिता कमाऊ लड़की की शादी नहीं करना चाहते ताकि उस का पैसा उन्हें मिलता रहे, लेकिन ऐसा भी नहीं लगता क्योंकि उन्हें पैसों की कोई कमी नहीं थी, अच्छाभला व्यवसाय था उन का. मीनाक्षी का सिर घूम जाता सोचसोच कर लेकिन कोई कारण उसे समझ नहीं आता.

समय यों ही बीत रहा था. रजत और निशा की शादी हो गई और तनु और पंकज की सगाई हो गई. मीनाक्षी के लिए भी उस के घर वालों ने लड़का पसंद कर लिया था और जल्द ही उस की भी सगाई होने वाली थी. हर शनिवार अब भी आकाश के घर पर उन सब की महफिल जमती मगर जल्द ही मीनाक्षी शादी के बाद यूएस जाने वाली थी और रजतनिशा बैंगलुरु शिफ्ट होने वाले थे. कनु और पंकज भी विदेश में सैटल होने का सोच रहे थे.

आकाश के दिल में एक हौल सा उठता, दर्द की एक लकीर उस के दिल के आरपार हो जाती, यह सब चले जाएंगे तो नमिता के साथ ये जो पल वह गुजारता है वे भी छिन जाएंगे. नमिता चंद घंटों के लिए ही सही उस के घर पर तो आती है. उस का उतना आना ही दिल को अजीब सी तसल्ली देता है. अब वह भी बंद हो जाएगा. यह 7 साल से जो उन का इतना अच्छा ग्रुप बना हुआ है वह अब हमेशा के लिए टूट जाएगा. खत्म हो जाएंगी इस घर की सारी स्वरलहरियां, खामोश हो जाएंगी दीवारें संगीत के बिना. जिंदगी सूनी हो जाएगी. आकाश ने अपने ड्राइंगरूम को देखा, एक छोटा सा म्यूजिकल कैफे सा ही था. यह अब बस एक साधारण सा ड्राइंगरूम भर रह जाएगा.

2 महीने बाद ही मीनाक्षी की सगाई और    झटपट शादी हो गई और वह अपने पति के साथ यूएस चली गई. रजतनिशा बैंगलुरु चले गए. कनु और पंकज की भी शादी हो गई मगर अब भी किसी शनिवार वह नमिता को ले कर आकाश के यहां आ जाते लेकिन अकसर ही आकाश की शनिवार की शाम तनहा और उदास बीतने लगी थी.

एक दिन यूएस से मीनाक्षी का फोन आया. वह बहुत खुश लग रही थी. आकाश का हालचाल पूछने के बाद थोड़ी देर बातें करने के बाद मीनाक्षी ने पूछा, ‘‘नमिता से कुछ बात की तूने आकाश?’’‘‘नहीं वह मौका ही कहां देती है बात करने का,’’ आकाश ने कहा.

‘‘वह मौका नहीं देती तो तू मौका ढूंढ़. उस से बात कर के कुछ तो किनारा ढूंढ़. कब तक यों ही भंवर में गोते खाता रहेगा? नमिता से बात कर के इस पार या उस पार कुछ फैसला कर अपने जीवन का… या तो अपनी मुहब्बत का इजहार कर उस से या फिर उसे भूल कर आगे बढ़ जा,’’ मीनाक्षी ने कहा.

‘‘ठीक है मैं बात करूंगा उस से,’’ आकाश ने कहा. ‘‘इसी शनिवार को कर. मैं पंकज से कह दूंगी औफिस से उसे विंड ऐंड वेव्स ले आए तू भी पहुंच जाना और उस से साफसाफ बात कर लेना. यदि वह मान गई तो ठीक नहीं मानी तो उस की मुहब्बत का वहीं तालाब में विसर्जन कर देना,’’ मीनाक्षी ने कहा.

आकाश को उस के कहने के ढंग पर हंसी आ गई, ‘‘हां मेरी मां मैं बात कर लूंगा उस से. वैसे मीनाक्षी तूने ठीक ही कहा है मैं भी अब इस का कोई हल चाहता हूं, मैं भी अब किसी भ्रम के जाल में उल   झा नहीं रहना चाहता.’’ ‘‘यही अच्छा रहेगा. अब मैं शनिवार की रात को तु   झे फोन करूंगी और जवाब सुनूंगी, कोई बहाना नहीं चलेगा, ठीक है न?’’  मीनाक्षी ने उसे अल्टीमेटम दे दिया.

‘‘ठीक है मैं फैसला कर आऊंगा,’’ आकाश ने हंस कर कहा.शनिवार को मीनाक्षी के कहे अनुसार पंकज कनु और नमिता को विंड ऐंड वेव्स ले आया. आकाश भी वहीं पहुंच गया. थोड़ी देर बातें करने के बाद कनु और पंकज बोटिंग करने के बहाने वहां से चले गए. उन के जाते ही नमिता एकदम असहज हो गई. आकाश ने समय व्यर्थ गंवाना ठीक नहीं सम   झा. आज वह दृढ़ फैसला कर के ही आया था कि नमिता से उस की राय जान कर ही रहेगा.

विष अमृत: भाग-3 एक घटना ने अमिता की पूरी जिंदगी ही बदल कर रख दी

उसने बिना भूमिका बांधे अपने मन की बात उस से कह दी और उस से साफसाफ हां या न में जवाब मांगा. नमिता जिस बात से इतने बरसों से बचती आ रही थी वह सामने आ ही गई. वह कुछ क्षणों तक हतप्रभ सी आकाश को देखती रह गई. उस की आंखों में नमी तैरने लगी.

‘‘देखो अगर तुम्हारे जीवन में कोई और है तो कह दो. अगर तुम मु   झे पसंद नहीं करती तो भी बता दो लेकिन आज मैं तुम्हारे दिल की बात जानना चाहता हूं. जो भी हो साफ कह दो,’’ आकाश ने नम्रता से कहा.

‘‘म… मैं क्या कहूं. सच तो यह है कि मैं किसी से भी शादी नहीं कर सकती,’’ नमिता के माथे पर पसीना आ गया और आंखों में आंसू. ‘‘जो भी बात हो मन में वह कह डालो नमिता और कुछ नहीं तो हम दोस्त तो हैं, दोस्ती के नाते ही अपना हाल सुना दो,’’ आकाश में दोस्ताना स्वर में कहा.

नमिता कुछ देर असमंजस की स्थिति में बैठी रही मानो अपने भीतर साहस जुटा रही हो, फिर जैसे खुद को संयत कर के इस तरह कहने लगी जैसे वह भी इस स्थिति को साफ कर लेना चाहती हो.

‘‘मैं तुम्हारी भावनाओं को बरसों से सम   झ रही हूं आकाश. मु   झे पता है तुम सालों से मु   झे मन ही मन चाहते हो इसलिए मैं तटस्थ रह कर तुम से एक दूरी बना कर रखती रही,’’ नमिता बोली.

‘‘उस दूरी का ही कारण जानना चाहता हूं मैं आज,’’ आकाश ने कहा.

‘‘बचपन में हम सभी एक खेल खेलते हैं विष अमृत. उस में एक बच्चा दाम देता है और बाकी बच्चे उस से दूर भागते हैं क्योंकि दाम देने वाला जिस पर भी हाथ रख कर विष कह देता वह बच्चा खेल से अलग हो कर एक ओर स्थिर हो कर बैठ जाता है. फिर वह खेल का हिस्सा नहीं रह जाता. विष उसे मार देता है,’’ नमिता आंसू पोंछते हुए एक गहरी सांस लेते हुए कुछ पलों के लिए चुप हो गई.

आकाश दम साधे सुन रहा था. उस ने आंसुओं के साथ नमिता के मन का गुबार निकल जाने दिया.

कुछ देर बाद नमिता ने दोबारा बोलना शुरू किया, ‘‘बस ऐसे ही एक दिन खेलते हुए किसी ने मु   झे ऐसा विष दिया कि मैं सुन्न हो गई, जीते जी मर गई. अब मैं जीवन के स्वाभाविक खेल का हिस्सा नहीं रह गई. विष कह कर किसी ने मु   झे एक तरफ, सब से कट कर बैठा दिया है. आज तक…’’ आगे नमिता के बोल आंसुओं में बह गए.

‘‘कौन था वह?’’ आकाश ने गंभीर स्वर में पूछा.

‘‘पता नहीं, पड़ोस में कोई रहता था उन आंटी का भाई था. मैं उन की बेटी के साथ खेलती थी. एक दिन मैं शाम को अपनी सहेली के साथ खेलने उस के घर गई लेकिन वह और आंटी दोनों ही घर पर नहीं थे. मगर उस का मामा घर पर था. मैं बहुत छोटी थी कुछ सम   झती नहीं थी लेकिन इतना जानती थी कि मेरे साथ जो हो रहा है वह गलत है. डर के मारे मैं चिल्ला भी नहीं पाई. मगर विष भरा वह हादसा मैं आज तक भूल नहीं पाई. उसी रात को वह भाग गया. मु   झे डर के दौरे पड़ने लगे. मेरा परिवार उस शहर से दूर यहां चला आया ताकि मैं वह सब भूल जाऊं लेकिन आज तक वह विष मेरे तनमन में बसा हुआ है. मु   झे भूल जाओ आकाश और किसी अच्छी लड़की से…’’  कहते हुए नमिता की हिचकी बंध गई.

आकाश स्पष्ट देख रहा था उस हादसे के विष का कितना बुरा असर है उस के मन पर आज तक. उस ने नमिता को रोने दिया. जब वह स्थिर हो गई तब आकाश गंभीर स्वर में बोला, ‘‘तुम ने खेल का आधा हिस्सा ही बताया नमिता. उस खेल में जब कोई साथी हाथ बढ़ा कर विष वाले साथी को छू कर उसे अमृत कह देता तो वह फिर से खेल में शामिल हो जाता, जी जाता. जिंदगी में हादसे सब के ही साथ होते हैं. किसी के हाथपैर टूटते हैं, किसी को सिर में चोट लगती है. लेकिन कोई उम्रभर उन्हें याद कर के रोता नहीं रहता. जीना नहीं छोड़ देता. यह भी ऐसा ही एक हादसा भर है जिसे याद रखने की कोई जरूरत नहीं है.’’

नमिता दूर तालाब की ओर देख रही थी. वह सम   झ नहीं पा रही थी कि उस ने यह सब कह कर कहीं गलत तो नहीं किया. अभी भी उस की आंखों से आंसू बह रहे थे.

‘‘मैं तुम्हें छू कर अमृत कहना चाहता हूं नमिता. प्लीज, भूल जाओ सब पिछला जिस में तुम्हारा कोई दोष था ही नहीं. उबर जाओ इस विष से और मेरी जिंदगी को अमृत कर दो जो तुम्हारे बिना विष जैसी है. प्लीज निमी,’’ आकाश ने अपनी हथेली नमिता के सामने टेबल पर रख दी.

नमिता कभी आकाश को देखती जिस की आंखों में सच्चा प्यार और आग्रह    झलक रहा था और कभी उस की हथेली को देखती. अब भी उस की आंखों से आंसू बह रहे थे. आखिर धड़कते दिल के साथ उस ने आकाश का हाथ थाम लिया और टेबल पर उस के हाथ पर सिर रख कर सिसक पड़ी.

आकाश उस के बाल सहलाने लगा. आसमान पर डूबता सूरज सिंदूरी आभा बिखेर रहा था. उस सिंदूरी आभा में लहराता तालाब जैसे कोई प्रेम गीत गा रहा था. जब नमिता ने सिर उठाया तो आंखों में नमी के साथ ही उस के चेहरे पर मुसकान थी और डूबते सूरज की लालिमा की सिंदूरी आभा में उस का चेहरा दमक रहा था.

‘‘कल तुम्हारे घर आऊंगा तुम्हारे मातापिता से तुम्हारा हाथ मांगने,’’ आकाश बहुत प्यार से बोला.

‘‘अरे वाह यह क्या बात हुई भला. बड़े बेशर्म हो अपनी शादी की बात करने खुद

जाओगे. नहीं कल हम जाएंगे नमिता के घर तुम्हारे लिए उस का हाथ मांगने,’’ पीछे से आ कर अचानक पंकज और कनू ने आकाश के कंधे पर हाथ रख कर कहा.

‘‘बहुतबहुत बधाई हो सच में आज हम बहुत खुश हैं,’’ कनू ने नमिता को गले लगा कर कहा तो उस के कपोल लाल हो गए.

‘‘चलो इसी बात पर चारों की एक मुसकराती सैल्फी हो जाए. फिर उसे मीनाक्षी मैडम को भेज देते हैं. वहां वह खबर जानने के लिए बेताब हो रही होगी. आकाश और नमिता तुम दोनों बीच में आ जाओ,’’ कहते हुए पंकज ने चारों की सैल्फी ले कर मीनाक्षी को भेज दी जिस में नमिता के कंधे पर रखा आकाश का हाथ उस के प्यार की हां का प्रमाण था. नमिता के चेहरे पर एक खिली मुसकान थी. बरसों पहले उस की जीवनलता किसी विष के प्रभाव से मुरझा गई थी वह आज आका के प्याररूपी अमृत में भीग कर फिर से लहलहा उठी थी.

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