Coronavirus Effect: न घराती न बराती यही है नई शादी

देश में कोरोना वायरस की वजह से लौकडाउन घोषित किया गया है. यह लौकडाउन उस समय घोषित किया गया है, जब देश में शादीविवाह का मौसम है. लौकडाउन को देखते हुए कई जोड़ों ने अपने विवाह की तारीख को आगे बढ़ा दिया. लेकिन कुछ जोड़े ऐसे भी हैं जो विवाह के बंधन में बंध जाना चाहते हैं, इसलिए लौकडाउन का तोड़ निकाल कर वे एकदूजे के हो गए. दरअसल, इस लौकडाउन के बीच इन जोड़ों ने औनलाइन विवाह किया. इस में मेहंदी, संगीत और बाकी सभी रस्में भी औनलाइन की गईं. लोगों को औनलाइन ही आमंत्रित किया गया. लौकडाउन के नियमों को तोड़ा न जाए, इसलिए औनलाइन शादी रचाई गई.

दूल्हा कहीं और दुलहन कहीं

उत्तर प्रदेश के शहर बरेली में एक ऐसी ही अनोखी शादी देखने को मिली. यहां एक जोड़े ने औनलाइन शादी की. दूल्हा सुषेण का कहना है कि भले ही अगले कुछ दिनों में लौकडाउन खत्म हो जाएगा, पर हम अपनी शादी का इंतजार नहीं करना चाहते थे. लिहाजा, एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते हम ने महसूस किया कि यह एक सोशल डिस्टैंसिंग बनाए रखने का बेहतर तरीका है. यह एक बहुत अच्छा विचार था और इस का एक हिस्सा बनना हमारे लिए गर्व की बात है.

उन की इस शादी को शादी डौट कौम द्वारा कराया गया. शादी डौट कौम ने वैडिंग फ्रौम होम सर्विस लौंच की है. इस सर्विस के तहत सभी मेहमान औनलाइन शामिल हुए और फेरे भी औनलाइन ही लिए गए. इतना ही नहीं, इस शादी में ढोलनगाड़े की भी औनलाइन व्यवस्था की गई थी. यह शादी बिलकुल अन्य शादियों की तरह सोशल डिस्टैंसिंग का पालन करते हुए संपन्न कराई गई.

भारत में जहां शादी की तैयारियां कई महीने पहले से शुरू हो जाती हैं वहीं वह मात्र 2 घंटों में शादी हो जाना हैरानी की ही बात है.

फाइनेंशियल जानकारी: लंबी अवधि+लगातार जमा= करोड़पति

शादी समारोह को भव्यता का उत्सव माना जाता रहा है. हर साल देश में करीब एक करोड़ शादियां होती हैं. जिस में परिधान, गहने, मेहमान नवाजी, फूलों की सजावट, ट्रांसपोर्ट और कैटरिंग आदि पर बेतहासा खर्चे किए जाते हैं. भारत में होने वाली शादियां तो दुनिया में मशहूर हैं. यहां शादी की तैयारियां महीनों पहले से शुरू हो जाती हैं. शादी में मेहमान भी सैकड़ों की संख्या में आते हैं. करीबी नातेरिश्तेदार तो कुछ दिन पहले से ही आ कर गानाबजाना होहल्ला शुरू कर देते हैं.

लेकिन कोरोना महामारी ने जिंदगी को बदल कर रख दिया है. इसी बदलाव में बदल गई हैं भारतीय शादियां, वही शादियां जिस में लड़का और लड़की के साथसाथ घराती, बराती और न जाने कितने दोस्त शामिल होते थे. महीनों पहले से तैयारियां होती थी और फिर हलदी, मेहंदी की ढेरों रस्मों के बाद आता था वह खास दिन, जब दूल्हादुलहन हमेशाहमेशा के लिए एक हो जाते थे. लेकिन अब कोरोना काल ने मैरिज हौल, मंडप, कैटरिंग के कौंसैप्ट को कुछ यों बदला है कि मैरिज सागा में सोशल डिस्टैंसिंग और औनलाइन वैडिंग जैसी कइ नई चीजें जुड़ गई हैं.

आज कई कपल्स वीडिया कालिंग ऐप्स के जरिए शादी कर रहे हैं. बीते महीने दिल्ली, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश आदि जगहों से कई ऐसे जोड़े सुर्खियां बने जिन्होंने वर्चुअल वैडिंग का रास्ता चुना. इस तरह से शादी करने वाले कुछ दूल्हों का कहना था कि दिल तो बैंडबाजा बारात लाने का था लेकिन औनलाइन शहनाई ही सही. वहीं कुछ ने सादगी से चंद लोगों के बीच हो रही शादियों के कौंसैप्ट को अच्छा बताया.

खुद ही सज रही है दुलहन

जिस चेहरे पर दूल्हे शादी से 2-3 महीने पहले ही खास ध्यान देने लग जाते थे, दुलहन खासतौर से महंगे से महंगा प्री ब्राइडल पैकेज लेती थी. अब कोरोना के इस दौर में शादी होने पर बन्नी और बन्ना का वही चेहरा मास्क से ढका नजर आ रहा है. इतना ही नहीं, शादी में शामिल होने वाले सीमित रिश्तेदार भी मास्क लगाए हुए दिख रहे हैं. अब शादी के लिए दुलहन किसी पार्लर में नहीं, बल्कि अपने सीमित ब्यूटी प्रोडक्ट्स से खुद या अपनी किसी रिश्तेदार की मदद से तैयार हो रही है.

परिवार के लोग बने फोटोग्राफर

यों तो शादियों में मुख्य आयोजन के अलावा प्री वैडिंग, मेहंदी और हलदी की फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी कराई जाती थी, लेकिन अब जो शादियां हो रही हैं, उस में दूल्हादुलहन के भाईबहन या करीबी रिश्तेदार लोग ही तस्वीरें खींचते या वीडियो बनाते नजर आते हैं. इस दौर ने दोनों ही पक्षों के एक बड़े खर्चे को कम किया है और तसवीरें खींचने के बाद फाटोग्राफर के साथ बैठ कर उन में से खास तसवीरों को चुनने का समय भी बचाया है.

घर बन गया मैरिज हाल

शादी के दिन जैसे बारात मैरिज हाल में उतरती है तो एक खुशी का माहौल बन जाता है, इधर बैंड, बाजे की धुन बजती है और उधर बन्नो रानी का दिल धड़कने लगता है. लेकिन अब शादियां एकदम शांतिपूर्ण माहौल में हो रही हैं. कोई बैंडबाजा नहीं, कोई बाराती नहीं. दूल्हा अपने चंद करीबी रिश्तेदारों के साथ लड़की के घर आ कर शादी करता और उसे अपनी दुलहन बना कर ले जाता है. अब

न तो घरवालों को कोई कार्ड छपवाने की जरूरत है और न अतिथि सत्कार करने की जरूरत. शादी में दोनों ही पक्षों के लाखों रुपए बच रहे हैं. जाहिर है इस से दानदहेज की परंपरा भी टूटती नजर आ रही है. मास्क लगाए दूल्हादुलहन बंध रहे हैं पवित्र बंधन में.

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वैसे तो औनलाइन ने हमारे जीवन पर बहुत पहले से ही असर दिखाना शुरू कर दिया है. इंटरनैट के इस युग में बहुत कुछ बदला, मगर जीवन की जिजीविषा जस की तस रही. अभी जिस तरह से औनलाइन हो रही शादियों का विरोध हो रहा है. उसी प्रकार कभी गैस और कुकर पर भी हुआ था. गांव में किसी के घर टीवी आने पर भी हुआ था. लोग इसलिए अपने बच्चों को बाहर पढ़ने नहीं भेजना चाहते थे कि वे अपने संस्कार भूल जाएंगे. ऐसी बहुत सारी बातें, जिस का कल विरोध हुआ था लेकिन आज आम हो गया है. उसी तरह औनलाइन शादियां भी आम बात है.

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