Weight Loss Tips : मोटापा आज की एक आम स्वास्थ्य समस्या बन गई है. बेशक शरीर में वसा यानी फैट अपनेआप में कोई बीमारी नहीं है लेकिन जब आप के शरीर में बहुत ज्यादा अतिरिक्त वसा होती है तो यह उस के काम करने के तरीके को बदल सकती है और जिस से स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है. यही वजह है कि यह न केवल हमारे शरीर को भारी बनाता है बल्कि कई गंभीर बीमारियों का कारण भी बन सकता है.
वयस्कों में 30 या उस से ज्यादा का बीएमआई होना मोटापे की निशानी है जबकि 40 या उस से ज्यादा का बीएमआई गंभीर मोटापा माना जाता है. बचपन के मोटापे को विकास चार्ट के आधार पर मापा जाता है. मोटापा केवल खानेपीने की गलत आदतों के कारण नहीं होता बल्कि इस में जीवनशैली, मानसिक तनाव और अन्य कई कारण जुड़े होते हैं.
मैक्स हौस्पिटल, वैशाली के डा. विवेक बिंदल बता रहे हैं कि इस की सही समय पर पहचान कर कैसे रोकें ताकि हम स्वस्थ और खुशहाल जीवन जी सकें:
मोटापे के कारण
गलत खानपान: हमारे भोजन में जब ज्यादा कैलोरीज, तलेभुने और जंक फूड्स का अधिक सेवन होता है तो यह हमारे शरीर में फैट को जमा करता है. असंतुलित आहार जैसे अधिक मिठाई, चौकलेट, पिज्जा, बर्गर इत्यादि मोटापे का मुख्य कारण हैं.
व्यायाम की कमी: आजकल की जीवनशैली में ज्यादातर लोग बैठेबैठे काम करते हैं, जिस से शारीरिक गतिविधियों की कमी हो जाती है. यदि हम नियमित रूप से व्यायाम नहीं करते हैं तो शरीर की कैलोरी बर्न नहीं होती और फैट बढ़ता जाता है.
मानसिक तनाव: स्ट्रैस से बचने के लिए लोग अधिक खाने लगते हैं खासकर तलीभुनी चीजों और मिठाइयों का सेवन बढ़ जाता है. तनाव के दौरान हमारा शरीर अधिक फैट स्टोर करता है, जिस से वजन तेजी से बढ़ता है.
पारिवारिक इतिहास (जेनेटिक): यदि परिवार में किसी को मोटापा है तो उस की संभावना बच्चों में भी बढ़ जाती है. यह जेनेटिक कारणों से हो सकता है लेकिन इस में जीवनशैली का भी बहुत बड़ा योगदान होता है.
नींद की कमी: नींद पूरी न होने पर शरीर की ऐनर्जी कम हो जाती है, जिस से हमारा शरीर अधिक खाने की मांग करता है. इस से अनावश्यक कैलोरीज बढ़ती हैं जो मोटापे का कारण बनती हैं.
हारमोनल असंतुलन: कुछ विशेष हारमोनल समस्याएं जैसे थायराइड, पीसीओडी/पीसीओएस भी मोटापे का कारण बन सकती हैं. इन स्थितियों में शरीर का मैटाबौलिज्म धीमा हो जाता है और वजन तेजी से बढ़ने लगता है.
दवाइयों का सेवन: कुछ दवाइयां जैसे ऐंटीडिप्रैशन, स्टेराइड्स आदि का लंबे समय तक सेवन मोटापे का कारण बन सकता है. ये दवाइयां शरीर में पानी और फैट को बढ़ाती हैं, जिस से वजन बढ़ता है.
प्रिवैंशन
संतुलित आहार: सब से पहले यह जरूरी है कि हमारा भोजन संतुलित और पौष्टिक हो. अधिक तलाभुना, जंक फूड और चीनी युक्त खाद्यपदार्थों से दूरी बनाएं. खाने में हरी सब्जियां, फल, अनाज और प्रोटीन युक्त चीजों का अधिक सेवन करें. छोटेछोटे हिस्सों में खाना खाएं और भोजन में फाइबर की मात्रा बढ़ाएं ताकि पेट भरा हुआ महसूस हो और अधिक खाने की इच्छा न हो.
नियमित व्यायाम: मोटापे को कंट्रोल के लिए नियमित रूप से व्यायाम करना बहुत जरूरी है. रोजाना कम से कम 30 मिनट पैदल चलना, दौड़ना, स्विमिंग, योग या कोई अन्य शारीरिक गतिविधि करनी चाहिए. इस से शरीर की कैलोरी बर्न होती है और वजन कंट्रोल में रहता है.
नींद पूरी करना: दिन में 7-8 घंटे की अच्छी नींद लेना बहुत जरूरी है. पूरी नींद लेने से शरीर का मैटाबोलिज्म सही रहता है और वजन कंट्रोल में रहता है. नींद की कमी से भूख बढ़ाने वाले हारमोन ऐक्टिव हो जाते हैं जो अधिक खाने की इच्छा पैदा करते हैं.
सही समय पर खाना: भोजन को समय पर करना और रात को हलका भोजन लेना वजन को कंट्रोल रखने में मदद करता है. रात को देर से और भारी भोजन करने से पेट में फैट बढ़ने की संभावना रहती है.
पानी अधिक पीना: पानी शरीर से टौक्सिक पदार्थों को बाहर निकालता है और मैटाबोलिज्म को बेहतर बनाता है. दिन में कम से कम 8-10 गिलास पानी पीना चाहिए. पानी पीने से भूख कम लगती है और अधिक खाने की संभावना कम होती है.
डाक्टर से नियमित जांच: यदि आप को हारमोनल समस्या है तो डाक्टर से नियमित जांच करानी चाहिए. समयसमय पर ब्लड टैस्ट, थायराइड और शुगर की जांच कराएं. सही समय पर बीमारी की पहचान होने से मोटापे को नियंत्रित किया जा सकता है.
स्वास्थ्य शिक्षा: मोटापे की रोकथाम के लिए लोगों में स्वास्थ्य शिक्षा का प्रसार होना चाहिए. उन्हें सही खानपान, व्यायाम और स्वस्थ जीवनशैली के बारे में जागरूक करना जरूरी है. स्कूलों, कालेजों और औफिसों में भी स्वास्थ्य से जुड़े कार्यक्रम आयोजित करने चाहिए.