Married Life : मेरी वाइफ बहुत झगड़ालू है… मैं क्या करूं?

Married Life : अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है, तो ये लेख अंत तक जरूर पढ़ें…

सवाल

मैं सरकारी स्कूल में शिक्षक हूं. घर में किसी चीज की दिक्कत नहीं है पर मेरी परेशानी मेरी पत्नी है, जो निहायत ही झगड़ालू और क्रोधी है. घर में मेरी मां के साथ वह हमेशा लड़ती रहती है और मुझ पर दबाव डालती है कि कहीं और फ्लैट ले लो, मुझे तुम्हारी मां के साथ नहीं रहना. मैं किसी भी हाल में अपनी मां को खुद से अलग नहीं कर सकता. बताएं मैं क्या करूं?

जवाब-

पहले तो आप यह जानने की कोशिश करें कि आप की पत्नी ऐसा क्यों चाहती है? तह तक जाए बगैर फिलहाल कोई निर्णय लेना सही नहीं होगा. पत्नी को समझा-बुझा सकते हैं. संभव हो तो पत्नी के मातापिता को भी मध्यस्थ बनाएं. पत्नी के साथ अधिक से अधिक समय बिताएं और साथ घूमनेफिरने जाएं. इन सब से पत्नी सही रास्ते पर आ सकती है.

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वैवाहिक बंधन प्यार का बंधन बना रहे तो इस रिश्ते से बढि़या कोई और रिश्ता नहीं. परंतु किन्हीं कारणों से दिल में दरार आ जाए तो अकसर वह खाई में परिवर्तित होते भी देखी जाती है. कल तक जो लव बर्ड बने फिरते थे, वे ही बाद में एकदूसरे से नफरत करने लगते हैं और बात हिंसा तक पहुंच जाती है.

अतएव पतिपत्नी को परिवार बनाने से पहले ही आपसी मतभेद सुलझा लेने चाहिए और बाद में भी वैचारिक मतभेदों को बच्चों की गैरमौजूदगी में ही दूर करना उचित है ताकि उन का समुचित विकास हो सके.

छोटीछोटी बातों से झगड़े शुरू होते हैं. फिर खिंचतेखिंचते महाभारत का रूप ले लेते हैं. ज्यादातर झगड़े खानदान को ले कर, कमतर अमीरी के तानों, रिश्तेदारों, अपनों के खिलाफ अपशब्द या गालियों, कमतर शिक्षा व स्तर, कमतर सौंदर्य, बच्चे की पढ़ाई व परवरिश, जासूसी, व्यक्तिगत सामान को छूनेछेड़ने, अपनों की आवभगत आदि को ले कर होते हैं. यानी दंपती में से किसी के भी आत्मसम्मान को चोट पहुंचती है तो झगड़ा शुरू हो जाता है, फिर कारण चाहे जो भी हो.

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मां के लाड़ले को कैसे संभालूं

औफिस से आते ही महाशय शर्ट उतार कर ऐसे फेंकते हैं जैसे वह शर्ट न हो गेंद हो. जूते कभी शू रैक में नहीं मिलेंगे. वे या तो सोफे के नीचे पड़े होंगे या फिर बैड के नीचे सरका दिए जाते हैं. औफिस बैग भी आते ही इधरउधर फेंक दिया जाता है. कपड़े भी अलमारी में कम दरवाजे के पीछे ज्यादा टंगे मिलते हैं. कुछ खाएंगे तो महाशय कूड़ा डस्टबिन में डालने के बजाय बाहर ही फेंक देंगे. यह हालत किसी एक पुरुष की नहीं वरना ऐसा करीबकरीब सभी करते हैं और फिर उन के फैले सामान को या तो नौकरानी की तरह उन की मां समेटती है या फिर पत्नी.

ऐसे पुरुष विरले ही होते हैं, जो घर के हर काम में पत्नी की मदद करते हैं. मदद तो छोडि़ए कम से कम पति अपना सामान ही समेट ले वही काफी है.

क्या कभी आप ने सोचा है पुरुष के काम न करने के पीछे क्या वजह है? आखिर काम करना पुरुष को अखरता क्यों है? क्यों वह काम से जी चुराता है?

महिलाएं हैं जिम्मेदार

पुरुष की इस आदत के पीछे मांएं जिम्मेदार हैं. घर में रहने की वजह से घर के सारे काम की जिम्मेदारी समझ लेती हैं. पूरा दिन घर के काम करते निकल जाता है. लेकिन औफिस या स्कूल से आते ही फिर सामान बिखर जाता है. उसे समेटने वाली मां अकेली जान होती है. अकेले ही सारा काम करती है. विवाह बाद पत्नी यह काम करने लगती है. पति को कभी यह नहीं बोलती कि आप फलां काम कर दो या सामान न फैलाओ. अकसर महिलाएं बेटों से काम नहीं करातीं. मां के यही डायलौग होते हैं- ‘छोड़ बेटा तू मत कर, मैं कर लूंगी,’ ‘मेरा तो रोज का काम है.’ मां की इसी आदत की वजह से बेटा धीरेधीरे काम से जी चुराने लगता है, जिस के चलते वह और काम करना तो दूर की बात अपना खुद का सामान संभालना भी बंद कर देता है.

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पति कामचोर, पत्नी की आफत: मां के साथ रहतेरहते आदत इतनी खराब हो जाती है कि उस का परिणाम पत्नी को भुगतना पड़ता है. पूरा दिन घर का सामान समेटतेसमेटते निकल जाता है.   कर चूर होने के बावजूद खाना बनाती है, जबकि पति आते ही सामान फैला देते हैं और खाना खा कर सो जाते हैं. पति की यह आदत सविता को बहुत अखरती है.

वरना बढ़ेगी तकरार: अगर आप के लाड़ले की आदत ऐसी ही रही तो घर में पतिपत्नी के बीच तकरार बढ़ेगी. आएदिन झगड़े होंगे, क्योंकि हर चीज की एक सीमा होती है. नौकरानी बन कर काम करना किसी को पसंद नहीं. कई बार देखा गया है कि पुरुष अपने अंदरूनी वस्त्र भी ऐसे ही छोड़ कर चले जाते हैं. उन को भी या तो मां धोती है या फिर बीवी, यह सरासर गलत है.

मां बच्चे की पहली पाठशाला: कहा जाता है कि मां बच्चे की पहली पाठशाला होती है. मां से ही बच्चा सब चीजें सीखता है- बोलना, चलना, हंसना आदि. लिहाजा अपने बच्चे में शुरू से ही अपने काम करने की आदत डालें.

बेटी के साथसाथ बेटे को भी सिखाएं: सिर्फ बेटी को ही घर का काम न सिखाएं, बल्कि बेटे को भी सिखाएं. खाना बनाना, पेड़पौधों को पानी देना, घर की साजसज्जा करना ताकि उस का इंटै्रस्ट बना रहे और भविष्य में होने वाली परेशानी से बचा जा सके.

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सास भी संभल जाए जरा: अगर बेटा बहू की काम में मदद करता है, तो सास चिढ़े नहीं.  कई मामलों में देखा जाता है कि सास बहू  को ताना मारने से बाज नहीं आती. अगर बेटा घर के काम में मदद कर रहा है तो कौन सा आसमान टूट पड़ा? सास बहू को बेटी समान समझे. काम लादने के बजाय उस की मदद करे ताकि वह हर काम खुशीखुशी निबटा सके. अगर काम का बोझ ज्यादा होगा तो काम उस के लिए तनाव बन जाएगा.

बातबात पर न करें गुस्सा: अगर आप पति की आदतों से परेशान हैं तो बातबात पर गुस्सा न करें. गुस्से को काबू करना सीखें. अगर आप को अपने पति की आदतें पसंद नहीं हैं तो पति को प्यार से समझाएं. बेहतर होगा कि अकेले में समझाएं, क्योंकि प्यार से बड़ी से बड़ी जंग जीती जा सकती है. लड़ाई करने से कुछ हासिल नहीं होगा.

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