ब्लैकहैड्स की समस्या सभी स्किन टोन पर हो जाती है. त्वचा कई प्रकार की होती है, जैसे नौर्मल, ड्राई, औयली और टीशेप्ड जिस में माथे और नाक की त्वचा गालों की अपेक्षा ज्यादा औयली होती है. ब्लैकहैड्स की समस्या ज्यादातर औयली और टीशेप्ड त्वचा पर होती है. सिबेशस गं्रथि के सीबम के अत्यधिक रिसाव से ब्लैकहैड्स, वाइट हैड्स, पिंपल्स, एक्ने जैसी समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं. त्वचा के औयली होने के कई कारण हो सकते हैं, जैसे आनुवंशिकता, खानपान, हारमोनल परिवर्तन, गर्भधारण, बर्थ कंट्रोल पिल्स, गलत कौस्मैटिक्स, आर्द्रता या गरम वातावरण. युवावस्था में औयली स्किन की समस्या ज्यादा परेशान करती है और आयु बढ़ने के साथ एक्ने में भी तबदील हो सकती है.

कैसे उत्पन्न होते हैं ब्लैकहैड्स 

त्वचा की बनावट 3 प्रमुख भागों में होती है- एपिडर्मिस, डर्मिस और सबडर्मिस. औयल ग्लैंड डर्मिस पार्ट में होती है. यही सीबम उत्पन्न करती है. जब सीबम हेयर फौलिकल ट्यूब में जम जाता है, तो ट्यूब ब्लौक हो जाती है. प्रत्येक हेयर फौलिकल, र्मिस लेयर से एपिडर्मिस लेयर में छोटेछोटे छिद्रों के द्वारा खुलता है. जब ये छिद्र ब्लौक हो जाते हैं, तब ब्लैकहैड्स बन जाते हैं. आमतौर पर ये नाक और चेहरे पर उत्पन्न होते हैं.

नियमित देखभाल

किशोरावस्था में ही यह समस्या शुरू हो जाती है. 12 से 16 साल की आयु में ब्लैकहैड्स ज्यादा हो सकते हैं. ये न हों, इस के लिए त्वचा की नियमित देखभाल जरूरी है. दिन में 2-3 बार फेसवाश इस्तेमाल करें या किसी अच्छे माइल्ड सोप से चेहरा धोएं ताकि चेहरे पर मैल जमा न हो. मैल से ब्लैकहैड्स पिंपल्स में तबदील हो जाते हैं. इन से नजात पाने के लिए क्लींजिंग करें ताकि सीबम डिजौल्व हो जाए. इस से ब्लैकहैड्स होने की संभावना कम हो जाती है. खासतौर से औयली स्किन वाली महिलाओं को माह में 1 बार फेशियल जरूर कराना चाहिए और औयली स्किन के हिसाब से सूटेबल सौंदर्य उत्पाद ही इस्तेमाल करने चाहिए. तैलीय त्वचा के लिए सूटेबल नाइट क्रीम का इस्तेमाल करें. रोज रात को चेहरा धो कर इसे लगाएं.

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