80 और 90 के दशक में हिंदी सिनेमा जगत में बतौर अभिनेता  काम करने वाले संजय दत्त फिल्म निर्माता भी हैं. उनका जीवन काफी उतार चढ़ाव के बीच गुजरा है. लोग उन्हें प्यार से संजू बाबा, मुन्ना भाई आदि कई नामों से पुकारते हैं. फिल्म  ‘रेशमा और शेरा’ में बाल कलाकार के रूप में काम करने वाले संजय दत्त की पहली लीड स्टारर फिल्म ‘रौकी’ थी, जिसमें उनके काम को सराहना मिली और इसके बाद उनके पास फिल्मों की झड़ी लग गयी.

‘विधाता’, ‘खलनायक’, ‘बागी’, ‘वास्तव’, ‘हसीना मान जाएगी’, ‘साजन’ ‘मुन्नाभाई एमबीबीएस’ आदि कई फिल्में बौक्स औफिस पर सुपर डुपर हिट रही. उन्होंने हर बड़ी हिरोइन और हीरो के साथ काम किया है. रोमांटिक,एक्शन और कामेडी हर तरह की फिल्मों में संजय दत्त ने अपने दमदार अभिनय की झलक दिखाई. एक बार राजनीति में भी उन्होंने अपना हाथ अजमाया, पर सफल नहीं रहे. अब वे उसे एक बीता हुआ कल कहते हैं, जिसे याद करना नहीं चाहते.

संजय करियर की शुरुआती दौर से ही विवादों में रहे हैं. साल 1982 में अवैध ड्रग्स रखने के आरोप में उन्हें गिरफ्तार कर 5 महीने की जेल की सजा दी गयी. साल 1993 में मुंबई में सीरियल ‘बम ब्लास्ट’ के दौरान अवैध हथियार रखने और आतंकवादियों से बातचीत करने की वजह से टाडा की तरफ से गिरफ्तार होकर दो साल तक जेल में रहे, लेकिन अक्तूबर 1995 में उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया. फिर दिसम्बर 1995 में एक बार गिरफ्तार कर अप्रैल 1997 में जमानत पर रिहा हुए. इस तरह जेल में जाने आने का उनका लंबा सिलसिला सालों तक चलता रहा और अंत में 23 साल के बाद 25 फरवरी साल 2016 को वे पुणे की यरवदा जेल से मुक्त हुए और राहत की सांस ली. संजय दत्त जब जेल में थे तब उनकी पत्नी मान्यता अपने बच्चों को झूठा कहा करती थी कि उनके पिता शूटिंग पर गए हुए हैं.

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