अमूमन जब भी कोई फिल्मकार किसी कलाकार को अपनी फिल्म के साथ जोड़ने से पहले उसके सामने ऑडिशन देने का प्रस्ताव रखता है तब कलाकार विफर जाता है और साफ साफ कह देता है कि वह कलाकार के रूप में फलां फलां फिल्मों में अपनी प्रतिभा को साबित कर चुका है और अब वह ऑडिशन नहीं देगा.

मगर ‘गैंग्स आफ वासेपुर’, ‘डीडे’, ‘डेढ़ इश्कियां’ व ‘बदलापुर’ सहित कई फिल्मों में अभिनय कर अपना जलवा दिखा चुकीं और इन दिनों फिल्म ‘जॉली एलएलबी 2’ को लेकर उत्साहित अभिनेत्री हुमा कुरैशी का दावा है कि उन्हें तो ऑडिशन देने पर गर्व महसूस होता है. मशहूर अंतर्राष्ट्रीय फिल्मकार गुरिंदर चड्ढा की फिल्म ‘वायसराय हाउस’ भी उन्हें ऑडिशन देने के बाद ही मिली.

खुद हुमा कुरैशी ने बताया कि ‘‘मुझे इस बात पर गर्व है कि मैंने अब तक अपने करियर में जो भी बड़े कार्य किए हैं, वह सारे काम मुझे ऑडिशन से ही मिले हैं. मैं तो इस बात को गर्व के साथ स्वीकार करती हूं, अन्यथा यहां लोग कहते हैं कि वह ऑडिशन नहीं देते जबकि मैं ऑडिशन को बहुत जरूरी मानती हूं. ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ हो या ‘डेढ़ इश्कियां’, मैंने हमेशा ऑडिशन दिया है. इसकी वजह यह है कि मुझे कोई चीज विरासत में नहीं मिली है और ना ही किसी चीज को मेरे लिए सेटअप किया गया है. मैंने अपनी हर फिल्म के लिए मेहनत की और ऑडिशन के वक्त भी मेहनत की.”

आगे हुमा ने कहा कि “गुरिंदर चड्ढा ने ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ देखी थी. वह मेरी प्रतिभा से वाकिफ थीं, लेकिन मैंने ‘वायसरस हाउस’ के लिए ऑडिशन दिया. लंदन में गुरिंदर से मेरी मुलाकात हुई. हमने वहां पटकथा को भी पढ़ा. मेरे लिए खुशी की बात है कि मैं एक भारतीय कलाकार हूं. पर इसलिए नहीं बल्कि उन्हें लगा कि मैं उनकी इस फिल्म के किरदार में फिट बैठूंगी, इसलिए उन्होंने मुझे चुना. मुझे खुशी है कि जो भी भारतीय कलाकार पश्चमी देशों की फिल्में कर रहे हैं वे सीख रहे हैं कि एक स्टूडियो सिस्टम में कैसे काम किया जाता है क्योंकि इन फिल्मों में आपको अपनी प्रतिभा के अनुसार काम मिलता है.”

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