झीलों की नगरी भोपाल की रहने वाली ईशा सिंह ने जब मिस एमपी का खिताब अपने नाम किया था तभी यह निर्णय ले लिया था कि उन्हें अभिनय जगत में ही कुछ कर के दिखाना है. महज 16 साल की उम्र में अपने पहले ही शो ‘इश्क का रंग सफेद’ में 20 साल की जवान विधवा धानी का किरदार निभा कर ईशा ने अपने जीवंत अभिनय का सब को परिचय दे दिया.

अपने माता पिता की लाडली ईशा भोपाल में ही पली बढ़ी हैं. ‘एक था राजा एक थी रानी’ में रानी का किरदार निभा रहीं ईशा से एक इवेंट के दौरान मिलना दिलचस्प रहा. पेश हैं, उस दौरान उन से हुई बातचीत के कुछ अंश:

क्या यहीं पर आना सपना था?

मैं जब चौथी क्लास में पढ़ती थी तभी टीवी पर ऐक्टरऐक्ट्रैस को देख कर यही सोचा करती थी कि मुझे उनके जैसा बनना है. मुझे तो याद नहीं पर मेरे पेरैंट्स बताते हैं कि मैं सब ऐक्ट्रैस की नकल उतारा करती थी.

बड़ा होने के साथ मेरा माइंड भी चेंज होता गया. इस दौरान मेरे दिमाग में डाक्टर, इंजीनियर से ले कर एयर होस्टेस तक बनने का खयाल आया. 10वीं कक्षा की परीक्षा देने के बाद मैं ने तय कर लिया कि मुझे ऐक्टिंग में ही अपना कैरियर बनाना है.

जब मैंने अपने पहले शो के लिए औडिशन दिया तो मैं बहुत नर्वस थी, क्योंकि मुझे पता था कि मेरा किरदार मेरे स्वभाव के विपरीत है. ईशा जहां बहुत ज्यादा बोलती है वहीं धानी को मर्यादा में रहना पढ़ता है और कम बोलना पड़ता है. थोड़ी परेशानी हुई, लेकिन मैंने धानी के किरदार को बहुत अच्छी तरह से निभाया.

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