आसाम की खूबसूरत वादियों से निकल कर मुंबई आकर अपने आप को बौलीवुड सिंगर के रूप में सिद्ध करना अंगराग महन्तो यानि पापोन के लिए आसान नहीं था. वे एक सिंगर और म्यूजिक कंपोजर हैं.

उन्होंने कई एकल म्यूजिक एल्बम भी बनाये हैं जो काफी प्रसिद्ध रहे. उनके बैंड ‘पापोन एंड द ईस्ट इंडिया कंपनी’ ने केवल भारत में ही नहीं विदेशों में भी नाम कमाया है.

बचपन में संगीत की तालीम उन्होंने अपने माता-पिता से ली, उनके पिता आसामी लोकगीत ‘बिहू’ के लिये काफी प्रसिद्द थे. उन्हें बिहू सम्राट कहा जाता है. पापोन संगीत को चुनौती नहीं, बल्कि एक सुंदर एहसास मानते हैं, जो मन में खुशी मिलते ही होठों तक आ जाती है.

पापोन के इस सफर में साथ दे रही हैं उनकी पत्नी श्वेता मिश्रा महंता और दो बच्चे पुहर और पारिजात. ‘एम टीवी अनप्लग्ड’ के शो के लौंच पर उनसे बातचीत हुई. पेश है अंश.

प्र. इस तरह के प्लेटफार्म म्यूजिक कंपोजर के लिए कितना फायदेमंद होते हैं?

म्यूजिक अरेंजर के लिए ऐसे मंच काफी आकर्षक होते हैं, क्योंकि मैं खुद संगीत बनाता और गाता हूं. ऐसे में कोशिश ये रहती है कि किसी गाने को कितना अलग तरीके से सजाया जाये, ताकि लोगों को गाने अच्छे लगे.

प्र. म्यूजिक की जर्नी कैसे शुरू हई और आपका रियल नाम अंगराग महन्तो से पापोन कैसे हुआ?

पहले मैं आसाम से निकलकर पढ़ने के लिए दिल्ली गया था, फिर मुंबई आया. अभी मैं घूमता ही रहता हूं. लगता है मैं कहीं का भी नहीं और सब जगह का बन चुका हूं, लेकिन अच्छा यह लगता है कि मुंबई में हर जगह से लोग आते हैं. सबको यहां सबसे मिलने और सीखने का मौका मिलता है.

पापोन मेरा ‘पेट’ नाम है, पहले यह ‘पोन’ अर्थात प्रण था, लेकिन बाद में मेरी दादी ने इसे बड़ा करने करने के लिए ‘पा’ लगाकर पापोन बना दिया. अभी इसका कुछ अर्थ नहीं रहा, लेकिन जब मैं आसाम में गाता था तो मेरा नाम अंगराग ही था. जब मैं मुंबई आया और संगीत से जुड़ा, तो मुझे सोचना पड़ा कि मैं अपना नाम क्या रखूं. उसी दौरान एक बार मैं केरल में गीतकार गुलजार से मिला और बातचीत के दौरान नाम के बारे में पूछने पर उन्होंने पापोन नाम सुझाया और तबसे यही नाम पड़ा.

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