बौलीवुड के गानों को अपनी आवाज दे चुके शेखर रावजुआनी ने हिंदी के अलावा मराठी और गुजराती गानों को भी अपनी आवाज दी है.

8 साल की उम्र से संगीत को अपना साथी बनाने वाले शेखर ने छोटे परदे पर अपने कैरियर की शुरुआत रिऐलिटी शो ‘सारेगामा पा’ के जज से की थी. लेकिन फिल्मी कैरियर की शुरुआत ‘प्यार में कभीकभी...’ गाने से की. यह गाना म्यूजिक लवर्स को बेहद पसंद आया था. लेकिन शेखर को पहचान 2003 में फिल्म ‘झंकार बीट्स’ से मिली. इस फिल्म में उन की गायकी ने उन्हें ‘न्यू टेलैंट हंट आर.डी बर्मन’ का पुरस्कार भी दिलाया था.

संगीत के अलावा अंगरेजी थिएटर में भी काम कर चुके शेखर ने फिल्म ‘नीरजा’ से अपने ऐक्टिंग कैरियर की शुरुआत की थी. फिल्म में सोनम के साथ उन के छोटे से अभिनय की भी प्रशंसा हुई, लेकिन इस के बावजूद उन्होंने अभिनय को कैरियर बनाने में जल्दबाजी नहीं की.

उन के संगीत व ऐक्टिंग के बारे में हुई उन से गुफ्तगू के कुछ अंश पेश हैं.

विशाल के साथ आप की जोड़ी कैसे बनी?

हम दोनों में कोई पारिवारिक संबंध नहीं है. सिर्फ दोस्ती और संगीत का रिश्ता है, जो हम दोनों को आज तक एकसाथ जोड़े हुए है. 1999 में हम दोनों एक साथ आए और कई फिल्मों को संगीत दिया. 2003 में आई फिल्म ‘झंकार बीट्स’ से ले कर ‘चेन्नई ऐक्सप्रैस’, ‘सुलतान’, ‘बैंजो’, ‘बेफिक्रे’ सहित कई सुपरहिट फिल्मों का संगीत हमारे नाम है.

हम दोनों आज भी एकदूसरे का सम्मान करते हैं. हम संगीत को हलके में नहीं लेते. जब हम काम करते हैं, तो न ईगो होता है और न ही प्रतिस्पर्धा की भावना. एक और बात हम दोनों में समान है कि जब किसी फिल्म की धुन बनानी होती है तो हम लोगों के विचार काफी हद तक मिलते हैं.

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