बौलीवड में जहां लोगों को अपनी इज्जत की पड़ी रहती है, वहीं  यह कलाकार बदनामी को ताज समझता है. खास बात तो यह है कि शक्ति शुरुआत से ही ऐसे रहे हैं. स्कूल के दिनों में जब सजा मिलती थी, तो वह उसे मजे के तौर पर लेते थे और गर्व समझते थे. शरारतों के चलते उन्हें तीन स्कूलों से निकाला गया था.

सुनील कपूर उर्फ शक्ति कपूर ने ये यादगार किस्से तबस्सुम को बताए थे. उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा था कि उन्हें तीन स्कूलों से निकाला गया. आखिरी स्कूल में उन्हें क्रिकेट टीम का कप्तान बनाया गया था. वहां ‘रेड कोट’ नाम की सजा दी जाती थी. सजा पाने वाले को इसमें स्टेज पर बुलाया जाता था, जिसके बाद लड़कियों से उसे तीन लाल रंग के कोट पहनाए जाते थे.

यह सजा बच्चों को उनकी गलतियों का अहसास दिलाने के लिए दी जाती थीं. लेकिन शक्ति के मामले में बात कुछ उल्टी थी. वह सजा को मजे के तौर पर लेते थे. जब रेड कोट पनिशमेंट में लड़की उन्हें लाल कोट पहनाने आती, तो वह खुद को किंग समझते थे. कहते हैं कि जह वह ऊपर स्टेज पर सजा पाते थे, तो सब उन्हें नीचे से देखते थे. हालांकि, घर में इस बात पर पिटाई होती थी, लेकिन स्कूल में इसी से वह काफी मशहूर थे.

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