हर इंसान गलतियां करता है और फिर उन गलतियों से सबक सीखता हैं. मगर बॉलीवुड की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यहां कोई गलती करता ही नहीं है. फिल्म सफल हो गयी, तो सारा श्रेय खुद ले लेते हैं. फिल्म असफल हो गयी तो दर्शकों के सिर पर सारा दोष थोप दिया जाता है. लोग कहने लगते हैं कि दर्शकों ने फिल्म पसंद नहीं किया, हमने तो अच्छी फिल्म बनायी थी. हमारी फिल्म समय से पहले आ गयी. इस वर्ष 8 नवंबर के बाद से तो हर किसी को नोटबंदी बहाना मिला हुआ है.

4 वर्ष पहले की सफलतम फिल्म ‘कहानी’ की फ्रेंचाइजी वाली फिल्म ‘कहानी 2’ दो दिसंबर को प्रदर्शित हुई. पहले दिन फिल्म को बहुत बुरी ओपनिंग मिली. जबकि इस सप्ताह ‘कहानी 2’ अकेले बॉक्स ऑफिस पर प्रदर्शित हुई है. सूत्रों की मानें तो महज 15 प्रतिशत दर्शक ही थिएटर में नजर आए. मगर फिर शाम तक दर्शकों की संख्या बढ़ती गयी. आखिर इस फिल्म के साथ ऐसा क्यों हुआ?

वास्तव में फिल्म ‘कहानी 2’ की बुरी शुरूआत के लिए इस फिल्म से जुड़ा हर शख्स जिम्मेदार है. खासकर फिल्म की मार्केटिंग से जुड़े लोग. यह सभी शुरू से ही फिल्म ‘कहानी 2’ को ‘कहानी’ फ्रेंचाइजी की फिल्म, रहस्य व रोमांचक फिल्म, दुर्गारानी सिंह या अपहरण कर्ता जैसे श्लोगन के साथ प्रचारित करते रहे. जबकि फिल्म रोमांच व रहस्य के मामले में काफी कमजोर फिल्म है. यानी कि यह सभी लोग फिल्म के कमजोर पक्ष को ही प्रचारित करते रहे.

इस फिल्म का सबसे ज्यादा सशक्त पक्ष ‘बाल यौन उत्पीड़न’ है. मगर फिल्म में ऐसा कुछ है, जिसकी भनक फिल्म से जुड़े लोगों ने मीडिया व दर्शकों को फिल्म के प्रदर्शन से पहले नहीं लगने दी. फिल्म में बाल यौन उत्पीड़न पर भी बात की गयी है, इस बारे में फिल्म से जुड़े कलाकार विद्या बालन व अर्जुन रामपाल तथा निर्देशक सुजॉय घोष ने बात तक नहीं की. यह सभी रहस्य व रोमांच की ही बात करते रहे.

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