सुरभि जब कभी भी धूप में निकलती थी, तेज धूप से उस की आंखों को परेशानी होने लगती थी. उसे समझ में नहीं आ रहा था, क्या करे? घर के लोगों ने उसे सलाह दी कि सनग्लासेज लगा कर धूप में जाया करे. इस से धूप आंखों के सामने बेअसर रहेगी. सुरभि ने चश्मा लगाया तो वह अपनी उम्र से बड़ी नजर आने लगी. उस के साथ काम करने वाले उसे बहनजी कह कर चिढ़ाने लगे. सुरभि की एक सहेली ने उसे राह दिखाई और सनग्लासेज के अच्छे शोरूम में उसे ले कर गई. वहां सुरभि ने अपनी आंखों पर कई तरह के सनग्लासेज लगा कर देखे. उन में से एक बहुत अच्छा लगा. सुरभि ने उसे खरीद लिया. अब जब सनग्लासेज लगा कर सुरभि बाहर निकलती है तो लोग बस देखते ही रह जाते हैं.

कई बार देखा गया है कि आंखों पर लगाए जाने वाले चश्मे खरीदते समय लोग केवल उस के रूप और रंग को ही देखते हैं, जिस से वे खराब किस्म का चश्मा खरीद लेते हैं. इस का खराब प्रभाव आंखों और उस के आसपास की त्वचा पर पड़ता है. खराब चश्मा लगाने से दृष्टि दोष भी पैदा हो जाता है. इसलिए आंखों का चश्मा खरीदने से पहले कुछ बातों को जानना व कुछ सावधानियां बरतने की जरूरत है.

आंखों पर पड़ने वाले प्रभाव

सूर्य की अल्ट्रावायलेट किरणें आंखों के रैटिना पर सीधा प्रभाव डालती हैं. धूलमिट्टी, हवा में मौजूद बैक्टीरिया आंखों को नुकसान पहुंचाते हैं. चश्मा आंखों पर कवच के रूप में काम करता है, आंखों को इन सब परेशानियों से दूर रखता है. आंखों की सुरक्षा के लिए चश्मा बहुत ही जरूरी होता है, लेकिन इस का चुनाव बहुत ही सोचसमझ कर करना चाहिए. सस्ते किस्म का लैंस आंखों की सुरक्षा करने में सफल नहीं होता है.

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