मोहित राठौर, (दिल्ली)

अभी तो जानने लगा था मैं तुम्हे
फिर क्यों इतनी जल्दी चले गए
अभी तो समझने लगा था मैं तुम्हे
फिर क्यों मुझे अकेला छोड़ के चले गए
अभी तो तुम्हारी डांंट समझने लगा था मैं
फिर क्यों मुझे प्यार से वंचित कर चले गए
अभी तो अपनी गोद में खिलाया करते थे तुम हमे
फिर क्यों हमें बीच भंवर में छोड़ चले गए
अभी तो तुम्हारी जरूरत महसूस होने लगी थी हमें
फिर क्यों दुनिया को अलविदा कह गए
आखिर क्यों पा??

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