आज रिश्ते से ऊपर पैसे की अहमियत हो गई है, तो बचत भी बहुत जरूरी है. महिलाएं आर्थिक तौर पर अब किसी पर निर्भर नहीं रहीं, खुद कमाने, खुद खर्च करने के लिए स्वतंत्र हैं. आमतौर पर कहा जाता है कि महिलाएं बहुत खर्चीली होती हैं लेकिन अब जब उन्हें आफिसों में दिनरात खटना पड़ता है, कड़ी मेहनत करनी पड़ती है तो पैसे की वैल्यू भी वे अच्छी तरह जानती हैं.ताजा बजटों में हालांकि निवेश में महिलाओं को अलग से कोई फायदा नहीं दिया गया है.

निवेश संबंधी मामलों की सलाहकार एवं एक्समार्ट इंटरनेशनल की डायरेक्टर प्रीति जैन कहती हैं कि कमाई के साथसाथ महिलाओं को अपनी बचत का निवेश कई जगह करना चाहिए. ताकि वे अपना और परिवार का भविष्य सुरक्षित तथा चिंतारहित बना सकें. निवेश के लिए कई फैक्टर हैं. आप अविवाहित हैं या विवाहित, बच्चे और आश्रित कितने हैं, इन सब बातों को देखते हुए निवेश की प्लानिंग करनी चाहिए. सब से महत्त्वपूर्ण बात यह है कि आप केवल एक ही जगह नहीं, कई जगह निवेश करें ताकि कम से कम आप अपना और परिवार का भविष्य सुरक्षित बना सकें.

पी.पी.एफ., पी.एफ. (लौंग टर्म निवेश)

आप चाहे वेतनभोगी हों या बिजनेस विमन, अपनी बचत का करीब 25% लौंग टर्म योजनाओं में निवेश कर सकती हैं. दीर्घकालीन निवेश में पब्लिक प्रोविडेंट फंड, प्रोविडेंट फंड और लाइफ इंश्योरेंस में 15 से 25 साल तक का निवेश किया जाना चाहिए.

पी.पी.एफ. और पी.एफ. योजनाओं में मौजूदा समय में 8% वार्षिक रिटर्न मिल रहा है.

एल.आई.सी.

एल.आई.सी. में महिलाओं के लिए कई स्कीमें हैं. इन में बीमारी, एक्सीडेंट, लोन सुविधा कवर होने के साथसाथ परिपक्वता में मोटी राशि मिल जाती है. एल.आई.सी. में 5 से 7% रिटर्न मिलता है. यह सेल्फ इनवेस्टमेंट है. प्रीति जैन बताती हैं कि इस से आप खुद और आप की फैमिली सुरक्षित रहती है. परिवार पर दबाव नहीं पड़ता. मुसीबत के समय बच्चों की पढ़ाई, बीमारी, विवाह जैसे काम रुकते नहीं.

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