हर महीने आप खुद से एक वादा करती हैं अपने जरूरी खर्चों से कुछ पैसे बचा कर बचत करने का. लेकिन महीने गुजरते जाते हैं और आप का वादा अधूरा ही रह जाता है. इस के अतिरिक्त कामकाजी महिलाएं जो अपने वेतन में से कुछ पैसे बचा कर बचत करती भी हैं, तो उन का तरीका बहुत प्रभावशाली नहीं होता यानी बचत के लिए वे आवर्ती जमा खाता (आरडी) चुनती हैं, जो उन्हें उन के लक्ष्य को पूरा करने हेतु जरूरी धनराशि जुटा पाने की सुविधा नहीं देता.

मसलन, बच्चे की उच्च शिक्षा हेतु या फिर बेटी के विवाह के लिए जितने धन की आवश्यकता भविष्य में पड़ सकती है, उसे आवर्ती जमा खाते के लाभ से पूरा नहीं किया जा सकता.

एसआईपी क्यों जरूरी

मान लीजिए आप का लक्ष्य अपनी बेटी की उच्च शिक्षा के लिए पैसे की बचत करना है. पहले से ही महंगी उच्च शिक्षा हर वर्ष 10-12% की दर से और भी महंगी होती जा रही है. ऐसे में यदि आप अपनी 2 वर्ष की बेटी को 18 वर्ष बाद एमबीए कराना चाहती हैं तो आप को फीस के लिए उस वक्त 80 लाख की आवश्यकता पड़ सकती है जबकि वर्तमान में इस कोर्स की फीस लगभग 15 लाख ही है.

व्यावहारिक रूप से इस लक्ष्य को प्राप्त करने में सिर्फ बैंक खाते में पैसे की बचत या आवर्ती जमा खाते के माध्यम से 8-9% का लाभ पाने के लिए निवेश काफी नहीं है, बल्कि इस के लिए आप को 12% या इस से भी अधिक ब्याज दर से रिटर्न प्रदान करने वाले निवेश की आवश्यकता है. यहां म्यूचुअल फंड लक्ष्य को प्राप्त करने में एक बड़ी भूमिका निभाते हैं.

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