गंभीर मामले

1. यदि आप का हार्ट वाल्व दोषपूर्ण है या विकृत है या फिर आप को कृत्रिम वाल्व लगाया गया है तो आप को गर्भधारण के दौरान अधिक जोखिमपूर्ण स्थिति का सामना करना पड़ सकता है.

2. गर्भावस्था के दौरान रक्तप्रवाह स्वत: बढ़ जाता है, इसलिए आप के हार्ट वाल्व को इस बदले हालात से निबटने के लिए स्वस्थ रहने की जरूरत है अन्यथा बढ़े हुए रक्तप्रवाह को बरदाश्त करने में परेशानी भी उत्पन्न हो सकती है.

3. जरूरी सलाह यही है कि गर्भधारण से पहले संभावित खतरे की विस्तृत जांच करा ली जाए.

4. जिन महिलाओं को कृत्रिम वाल्व लगे हैं, उन्हें अकसर रक्त पतला करने वाली दवा भी दी जाती है जबकि कुछ दवाओं का इस्तेमाल गर्भावस्था के दौरान वर्जित माना जाता है.

5. यदि आप में जन्म से ही कोई हृदय संबंधी गड़बड़ी है, तो आप का गर्भधारण जोखिमपूर्ण हो सकता है, दिल की जन्मजात गड़बडि़यों से पीडि़त महिलाओं से जुड़े जोखिम मां और भ्रूण दोनों को प्रभावित कर सकते हैं और इस के परिणामस्वरूप मां तथा बच्चे की परेशानियां बढ़ सकती हैं.

2 साल पहले 32 वर्षीय समीरा की जांच से पता चला कि उसे ऐरिथमिया यानी अनियमित रूप से दिल धड़कने की बीमारी है. हालांकि उस की स्थिति बहुत ज्यादा गंभीर नहीं थी यानी उसे बड़े इलाज की जरूरत नहीं थी, लेकिन समीरा को चिंता थी कि इस बीमारी का असर कहीं उस के होने वाले बच्चे पर न पड़े. शिशुरोग विशेषज्ञ और कार्डियोलौजिस्ट से विचारविमर्श के बाद ही वह आश्वस्त हो पाई कि गर्भावस्था के दौरान उस के ऐरिथमिया को काबू में रखा जा सकता है और इस से उस के होने वाले बच्चे के स्वास्थ्य को कोई खतरा नहीं होगा. हमारे समाज में महिलाओं की स्वास्थ्य स्थितियों को ले कर अकसर गलत धारणा बनी रहती है कि महिला की किसी बीमारी का असर उस के होने वाले बच्चे पर पड़ेगा. कुछ लोग यह समझते हैं कि मां की बीमारी बच्चे में हस्तांतरित हो सकती है, जबकि कुछ लोगों की चिंता मां बनने जा रही महिला की सेहत को ले कर रहती है. ऐसा बहुत कम ही होता है कि गर्भावस्था के दौरान किसी मरीज की दिल की बीमारी पर काबू नहीं पाया जा सके. नियमित निगरानी और प्रबंधन से गर्भावस्था का वक्त बीमारी हस्तांतरित किए बगैर काटा जा सकता है.

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