मार्च 2020 से कोरोना का कहर न केवल भारत बल्कि पूरे विश्व में तबाही मचाये हुए है. भारत में आयी दूसरी लहर के कारण एक बार फिर से लॉक डाउन चल रहा है. कोरोना से पूर्व आमतौर पर ढाई साल का होते ही अभिभावक अपने बच्चों को प्री नर्सरी स्कूल में भेजना प्रारम्भ कर देते थे ताकि वह कम से कम बैठना और कुछ समय के लिए अपने माता पिता से दूर रहना तो सीख सके परन्तु अब कोरोना के कारण तो सभी स्कूल बंद है. लॉक डाउन के कारण बाहर आना जाना भी प्रतिबंधित है ऐसे में लंबे समय तक लगातार घर में रहने से बच्चे चिड़चिड़े होने लगते हैं. परन्तु यदि उन्हें किसी न किसी काम में इंगेज रखा जाए तो उन्हें समय का पता ही नहीं चलता. आजकल बच्चों के परेशान होने पर अभिभावक उन्हें मोबाइल पर कोई गेम इस टी वी पर मूवी लगाकर इंगेज करके निश्चिंत हो जाते हैं. परन्तु बाल्यावस्था से ही उन्हें इस तरह के गजेट्स में व्यस्त करना न केवल उनके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है बल्कि उनके मस्तिष्क की रचनात्मकता पर भी विपरीत प्रभाव छोड़ता है. चूंकि इन दिनों आप घर पर ही हैं इसलिए इस समय का उपयोग उनकी स्किल का विकास करने और उन्हें  छोटे मोटे घरेलू कार्य सिखाने के लिए किया जा सकता है. अक्सर माताएं उनके कार्य को बिगाड़ देने या गन्दगी कर देने से उन्हें अपने साथ काम नहीं करने देतीं परन्तु उनके रचनात्मक विकास के लिए उनका चीजों को बनाने और बिगाड़ने की प्रक्रिया से  गुजरना अत्यंत आवश्यक है. यहां पर प्रस्तुत हैं कुछ टिप्स इनसे बच्चे इंगेज भी रहेंगे और कुछ नया भी सीखेंगे-

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