जब थायराइड ग्रंथि में थायराक्सिन हार्मोन कम बनने लगता है, तब उसे हाइपोथाइरॉयडिज्म कहते हैं. ऐसा होने पर शरीर का मेटाबॉलिज्म धीमा पड़ने लगता है और आप अपना वजन नियंत्रित करने में असमर्थ हो जाते हैं.
इस बीमारी से अक्सर सबसे ज्यादा महिलाएं ही पीड़ित होती हैं. जो लोग हाइपोथाइरॉयडिज्म से पीडित हैं, उन्हें वजन घटाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.
मगर डॉक्टरों के अनुसार अगर एक स्वस्थ दिनचर्या रखी जाए तो आप अपना बढ़ा हुआ वजन आराम से घटा लेंगी. आइये जानते हैं कुछ उपाय :
अपना पोषण सुधारिये: आप दिनभर में जो कुछ भी खाते हैं, उसके पोषण का हिसाब रखिये. आपकी डाइट में लो फैट वाली चीजें होनी चाहिये. ऐसे आहार शामिल करें जिसमें आयोडीन हो. आप, बिना वसा का मीट, वाइट फिश, जैतून तेल, नारियल तेल, साबुत अनाज और बीजों का सेवन कर सकते हैं.
मैदा नहीं साबुत अनाज का आटा खाइये: आपको मैदे की जगह पर साबुत अनाज या गेंहू की रोटियां खानी चाहिये. इनमें वसा नहीं होता और यह आपके ब्लड शुगर को भी कंट्रोल रखेगा.
पानी का सेवन बढ़ाएं: दिनभर ढेर सारा पानी पियें, जिससे शरीर के अंदर गंदगी जमा ना हो पाए और आपको वजन घटाने में मदद मिले. बाजारू और शक्कर मिले ड्रिंक से दूरी बनाएं.
ग्रीन टी पियें: जिन लोगों को हाइपोथाइरॉयडिज्म है, उन्हें ग्रीन टी जरुर पीना चाहिये. इसमें एंटीऑक्सीडेंट की मात्रा ज्यादा होती है और ये फैट को जल्द बर्न करती है. साथ ही यह पाचन क्रिया को दुरुस्त रखती है और थकान को भी दूर रखती है.
फाइबर खाइये: फाइबर खाने से पाचन क्रिया सही रहती है और कब्ज तथा शरीर की सूजन दूर रहती है.
भूखे मत रहिये: कभी अपना ब्रेकफास्ट मत छोडिये क्योंकि सुबह के वक्त आपके शरीर को ढेर सारी ऊर्जा की आवश्यकता होती है. अगर आप ब्रेकफास्ट छोड़ देंगे तो आपके शरीर का मेटाबॉलिज्म धीमा पड़ जाएगा और आपको बाद में तेज की भूख लगेगी जिसकी वजह से आप ढेर सारा खाना खा कर वजन बढा लेंगे.
आए ठहरे और रवाना हो गए, जिन्दगी क्या है सफर की बात है…
रोजाना बस से, ट्रेन से या मेट्रो से 9 से 5 की नौकरी करने के लिए किया जाने वाला सफर, सफर नहीं कहलाता. गौरतलब है कि, जिन्दगी है तो जिए जा रहे हैं… मशीनी दुनिया की मशीनी आदतों की बलिहारी, चंद लम्हें खुद के लिए निकालना कोई गुनाह तो नहीं है. और चंद लम्हें खुद के लिए निकालने का मतलब किसी रिश्तेदार के यहां चाय-बिस्किट खाने जाना कभी नहीं होता, न ही 1 हफ्ते की छुट्टियां लेकर किसी भीड़-भाड़ वाले पर्यटन स्थल की यात्रा, सुकून देती है. ऐसी यात्रा में मजा बहुत आता है, इसमें कोई शक नहीं है. पर अगर इंसानों से ही बचना था तो भीड़-भाड़ वाले इलाकों में जाने का कोई तुक नहीं है.
तो क्यों न किसी ऐसी जगह की यात्रा की जाए, जहां इंसानी चहल-पहल कम हो पर प्राकृतिक सौंदर्य दोगुना हो? आराम से कुछ दिन बिताने हैं तो धारचूला जरूर जाएं. यह जगह इंसानों के बीच उतनी लोकप्रिय नहीं हो पाई है, शायद इसलिए अभी तक शोषित होने से बची हुई है.
धारचूला उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में बसा एक खूबसूरत शहर है. हां, शहर के बाशिंदों को यह शहर नहीं लगेगा, क्योंकि यहां शहर जैसी सुविधायें नहीं हैं पर यहां की खूबसूरती कॉन्क्रीट के जंगलों में उपलब्ध सुविधाओं के सामने कुछ नहीं है. हिमालय की पहाड़ियों के बीचों-बीच बसा है धारचूला. यहां के स्थानीय निवासियों के अनुसार किसी जमाने में यहां से कई व्यापारी मार्ग होकर गुजरते थे. यह चारों तरफ से हिमालय की खूबसूरत पहाड़ियों से घिरा हुआ बेहद खूबसूरत कस्बा है.
यहां के निवासी पहाड़ियों के उस पर बसे दारचूला के निवासियों से काफी मिलते-जुलते हैं. दारचूला नेपाल का एक कस्बा है. जैसा कि पहले ही बताया जा चुका है कि उत्तराखंड के बाकि जगहों के मुकाबले यहां पर्यटकों की चहल-पहल नहीं रहती और यह इलाका काफी शांत रहता है.
समुद्रतल से 925 मीटर की की ऊंचाई पर भारत-नेपाल बोर्डर के पास बसा धारचूला अपने में अद्वितीय खूबसूरती समेटे हुए एक छोटा सा कस्बा है. धारचूला, ‘धार’ और ‘चूल्हा’ शब्द से बना है, क्योंकि इसका आकार, चूल्हे जैसा है. 1962 के युद्ध से पहले तक यह व्यापार का एक मुख्य शहर था. युद्ध के बाद भारतीयों और तिब्बतियों के बीच सारे व्यापारिक रिश्तें खत्म हो गए. धारचूला और नेपाल के दारचूला के बाशिंदों की संस्कृति, बोल-चाल, रहन-शहन काफी मिलते-जुलते हैं. यहां के लोगों को इतनी रियायत दी गई है कि बिना किसी कड़े पासपोर्ट चैकिंग के ये धारचूला से दारचूला और दारचूला से धारचूला आसानी से आ-जा सकते हैं.
धारचूला में देखने को है बहुत कुछ-
1. जौलजिबी
धारचूला से सिर्फ 23 किमी की दूरी पर बसा जौलजिबी गोरी और काली नदियों का संगम स्थल है. यह जगह नेपालियों के लिए भी महत्वपूर्ण है. हर साल नवंबर में यहां कुमाउंनी और नेपालियों द्वारा एक अन्तर्राष्ट्रीय मेले का आयोजन किया जाता है.
2. काली नदी
काली नदी को महाकाली या शारदा नदी भी कहा जाता है. यह नदी नेपाल और भारत की सीमा है. यहां जाएं और अपनी सारी चिंताएं नदी में डालकर नेपाल पहुंचा दें. यहां की खूबसूरती और शांति एक अलग ही सुकून देती है.
3. ओम पर्वत
इस पर्वत को छोटा कैलाश या आदि कैलाश भी कहा जाता है. यह हिन्दु धर्मियों के आस्था का केन्द्र है, पर इस खूबसूरत पर्वत के साथ धर्म को जोड़ने का कोई तुक समझ नहीं आता. यह पर्वत तिब्बत के कैलाश पर्वत से काफी मिलता-जुलता है. इस पर्वत के पास पार्वती झील और जौंगलिंगकोंग झील भी है. यह पर्वत भी भारत-नेपाल की सीमा की है.
4. अस्कोट मुस्क डियर सेन्चुरी
पिथौड़ागढ़ से 54 किमी की दूरी पर बसी यह सेन्चुरी पशु प्रेमियों को काफी पसंद आएगी. अस्कोट सेन्चुरी में कई प्रकार के पशु-पक्षी और पेड़-पौधे पाए जाते हैं. प्रकृति से घिरे और पशु पक्षियों के बीच यह जगह बहुत ज्यादा खूबसूरत है.
5. चिरकिला डैम
धारचूला से लगभग 20 किमी की दूरी पर यह डैम काली नदी पर बनाया गया है. यहां पर सरकार ने वाटर स्पोर्ट्स की भी व्यवस्था की है.
कब जाएं
धारचूला यूं तो कभी भी जाया जा सकता है. पर यहां मार्च-जून और सितंबर-दिसंबर के बीच जाना सही रहेगा. गर्मियों के मौसम में यहां ज्यादा गर्मी नहीं पड़ती और सर्दियों के मौसम में बर्फबारी भी होती है.
कैसे पहुंचे?
हवाई यात्रा : पंतनगर सबसे नजदीकी ऐयरपोर्ट है. टैक्सी से आप आसानी से पंतनगर से धारचूला पहुंच सकते हैं.
रेल यात्रा : तनकपुर सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन है. यह पिथौड़ागढ़ से तकरीबन 150 किमी की दूरी पर है. यहां से धारचूला के लिए बसें आसानी से मिल जाती हैं.
सड़क यात्रा : धारचूला रेलवे लाइनों से भले जुड़ा न हो, पर सड़क मार्ग से अच्छे से जुड़ा हैय अलमोड़ा, पिथौड़ागढ़, काठगोदाम, तनकपुर आदि से बस या टैक्सी से धारचूला पहुंच सकते हैं.
धारचूला खूबसूरती के साथ ही इस बात का भी सबूत देता है कि इंसान दीवारें खड़ी करने के लिए खूबसूरत से खूबसूरत चीजों का भी बंटवारा कर देते हैं. यहां हर जगह आपको नेपाल और भारत के बीच की समानताएं नजर आएंगी.
धूप और सूरज की तपिश से भरे इन दिनों में सुबह से लेकर शाम तक गर्म हवाएं चलती रहतीं हैं. बच्चों के स्कूल्स की छुट्टियां भी हो गईं हैं और वे इन दिनों घर में ही हैं दिन लंबे होने के कारण इन दिनों शाम तक बच्चों को तेज भूख भी लग आती है. बाजार की अपेक्षा यदि उन्हें कुछ घर पर ही ताजा बनाकर खाने को देना स्वास्थ्यप्रद भी होता है और इकोनॉमिक भी . आज हम आपको ऐसी ही कुछ डिशेज बनाना बता रहे हैं जिन्हें आप झटपट घर पर बनाकर बच्चों को खिला सकतीं हैं. तो आइये देखते हैं कि इन्हें कैसे बनाते हैं-
-मैगी पोटेटो बाइट्स
कितने लोगों के लिए 6
बनने में लगने वाला समय 30 मिनट
मील टाइप वेज
सामग्री
उबले आलू 4
चावल का आटा 1 कप
मैगी मसाला 1 टीस्पून
जीरा पाउडर 1/4 टीस्पून
चाट मसाला 1/2 टीस्पून
नमक 1/4 टीस्पून
गरम मसाला पाउडर 1/4 टीस्पून
बारीक कटी हरी मिर्च 3
बारीक कटा हरा धनिया 1 टीस्पून
तलने के लिए तेल
विधि
एक बाउल में आलू को अच्छी तरह किस लें ताकि गुठली न रहें. अब इसमें तेल को छोड़कर समस्त सामग्री को एक साथ मिलाएं. 1 टीस्पून तेल के मिश्रण को मसलें ताकि मिश्रण एकसार हो जाये. तैयार मिश्रण को लंबा रोल करके चाकू से 1 इंच के टुकड़ों में काट लें. अब इन कटे टुकड़ों को हथेली पर रखकर हल्का सा दबाएं और गर्म तेल में मध्यम आंच पर सुनहरा होने तक तलकर बटर पेपर पर निकालें. गर्म में ही 1 टीस्पून मैगी मसाला मिलाकर बच्चों को सर्व करें.
-चीजी पनीर पार्सल
कितने लोगों के लिए 6
बनने में लगने वाला समय 30 मिनट
मील टाइप वेज
सामग्री
मूंग अथवा चने के पापड़ 6
किसा पनीर 1 कप
किसा चीज 1/2 कप
बारीक कटा प्याज 1
बारीक कटी शिमला मिर्च 1
बारीक कटी गाजर 1
कॉर्न के दाने 1 टीस्पून
मटर 1 टीस्पून
नमक स्वादानुसार
चिली फ्लैक्स 1/4 टीस्पून
अमचूर पाउडर 1/4 टीस्पून
जीरा 1/4 टीस्पून
बारीक कटा हरा धनिया 1 टीस्पून
तलने के लिए तेल पर्याप्त मात्रा में
विधि
एक पैन में 1 टीस्पून गर्म तेल में जीरा तड़काकर प्याज सॉते कर लें. जैसे ही प्याज लाइट ब्राउन होने लगे सभी सब्जियां, नमक, मटर और कॉर्न डालकर भली भांति चलाएं. जब सब्जियां नरम हो जाएं तो किसा पनीर और मसाले डालकर चलाएं. 3-4 मिनट भूनकर गैस बंद कर दें.
एक फैली हुई प्लेट में पानी लें और पापड़ को उसमें डुबोकर निकाल लें. साफ सूती कपड़े पर रखकर उल्टे पलटें ताकि अतिरिक्त पानी सूख जाए. अब पापड़ के बीच में 1 टेबलस्पून फिलिंग रखकर ऊपर से 1 टीस्पून किसा चीज डालें और चारों तरफ से फोल्ड करके पार्सल जैसा तैयार कर लें. इसी प्रकार सभी पार्सल तैयार कर लें.अब इन्हें गर्म तेल में तेज आंच पर तलें. सुनहरा होने पर बटर पेपर पर निकालें और बच्चों को टोमेटो सॉस के साथ खाने को दें.
-चॉको बनाना कुकीज
कितने लोगों के लिए 6
बनने में लगने वाला समय 20 मिनट
मील टाइप वेज
सामग्री
पके केले 2
गेहूं का आटा 2 कप
ताजी मलाई 1/2 कप
पिसी शकर 1 टेबलस्पून
कोको पाउडर 1 टेबलस्पून
इलायची पाउडर 1/4 टीस्पून
बारीक कटे अखरोट। 1 टीस्पून
तलने के लिए घी
विधि
केले को छीलकर छोटे छोटे टुकड़ों में काट लें. अब इसमें घी को छोड़कर सभी सामग्री को एक साथ मिलाकर एकसार कर लें. यदि सूखा लगे तो दूध मिलाएं.तैयार मिश्रण में से थोड़ा सा मिश्रण लेकर चकले पर आधा इंच मोटा बेल लें. एक कटोरी से मनचाहे आकार में गोल कुकीज काटें और गर्म घी में मध्यम आंच पर लाइट ब्राउन होने तक तलकर बटर पेपर पर निकालें. एयरटाइट जार में भरकर प्रयोग करें.
अगर आपकी हाइट कम है तो आपको ऐसी स्टाइलिंग टिप्स अपनानी चाहिए, जिसमें आप थोड़ी लंबी दिखें. एथेनिक से लेकर वेस्टर्न ड्रेसेस को इस तरह से पहनें जो आपको लंबा दिखाने में मदद करें. स्कर्ट्स खासतौर से ऐसा आपकी टांगों को लंबा दिखाती हैं, आप ए-लाइन से लेकर एसिमिट्रिकल तक कुछ ऐसे शानदार स्कर्ट के ऑप्शन चुन सकती हैं, जो आपको लंबा दिखाने में बहुत मदद करेंगी. आपको स्कर्ट चुनते वक्त ध्यान रखना चाहिए कि जब भी आप स्कर्ट लें जो वह आपकी अपर बॉडी पर ध्यान आकर्षित करें और आपकी हाइट में एक इल्यूजन क्रिएट करें.
1. ए लाइन
आपका बॉडी टाइप भले ही कैसा हो, ए-लाइन स्कर्ट आपके ऊपर बहुत फ्लैटरिंग लगता है. चूंकि शेप क्लीन होती है और उसमें होने वाला हल्का फ्लेयर आपके पैरों को लंबा दिखाता है. अगर आपका बॉडी शेप इनवर्टेड ट्रायंगल है, तो ऐसी स्कर्ट्स आपके ब्रॉड शोल्डर्स को बैलेंस करती हैं. वहीं अगर आप मोटी और कम हाइट की हैं तो ऐसी स्कर्ट्स आपके मिडरिफ को छिपाने का काम करती हैं.
2. मैक्सी
शॉर्ट स्कर्ट आपके पैरों को लंबा दिखाने का सबसे सही तरीका है, लेकिन क्या आपको पता है कि आप लॉन्ग स्कर्ट (लॉन्ग स्कर्ट को स्टाइल करने के तरीके) से भी लंबा दिख सकती हैं. लंबी दिखने के लिए पतली-दुबली और छोटे कद की लड़कियों को अपने स्टाइल में लेंथ बढ़ाने की आवश्यकता होती है. मैक्सी स्कर्ट वह लंबा कॉलम बनाते हैं जो आपको लंबा दिखने में मदद करता है. शॉर्ट गर्ल के लिए मैक्सी स्कर्ट पहनने का सबसे अच्छा तरीका है कि इसे क्रॉप टॉप के साथ पेयर करें. ऐसा करने से फोकस ऊपर शिफ्ट होगा और लेग लेंथिंग इफेक्ट से आप लंबी दिखेंगी.
3. मिनी
मिनी स्कर्ट एक कम हाइट वाली लड़की के लिए बहुत अच्छा विकल्प है. इसे स्टाइल करना भी आसान है और यह आपके पैरों को तुरंत बहुत लंबा दिखाती है. बस मिनी स्कर्ट (बॉलीवुड एक्ट्रेस से लें मिनी स्कर्ट लुक्स के आइडियाज) खरीदते वक्त ध्यान रखें कि इसकी लंबाई आपके घुटने से 2-3 इंच ऊपर सही होगी. ये बूट्स के साथ सर्दियों में जितनी अच्छी दिखती हैं, उतनी ही समर में आपके लिए कंफर्टेबल होंगी.
4. एसिमिट्रिकल हेम स्कर्ट्स
ट्रेडिशनल सिलुएट के अलावा छोटे कद की लड़कियों पर एसिमिट्रिकल हेम वाली स्कर्ट्स भी बहुत अच्छी लगती हैं. आप आगे से शॉर्ट या घुटने के ऊपर से हेम वाली स्कर्ट चुन सकती हैं, जिसका हेम पीछे से लंबा हो. यह आगे से मिनी स्कर्ट और पीछे से मिडी जैसी प्रतीत होगी. अनइवन हेमलाइन के कारण यह कम हाइट वाली लड़कियों के ऊपर शानदार लगती है.
5. वर्टिकल
छोटे कद की लड़कियों के लिए सबसे अच्छी स्कर्ट में में वर्टिकल प्रिंट्स हो सकते हैं, जो आपके पैरों की लंबाई का भ्रम पैदा करते हैं. नेवी या ब्लैक बैकग्राउंड पर ग्रे रंग की स्ट्राइप्स छोटे कद की महिलाओं पर फ्लैटर करती हैं. हां प्रिंट चुनते समय सुनिश्चित करें कि आप बहुत ज्यादा लाउड प्रिंट्स न लें. कम हाइट वाली लड़कियों के लिए सबसे अच्छा पैटर्न खोजने के लिए थम्ब रूल है कि प्रिंट आपके शरीर के आकार के अनुपात में होना चाहिए और आपकी मुट्ठी के आकार से बड़ा नहीं होना चाहिए.
6. हाई वेस्ट
हाई वेस्ट वाली स्कर्ट पतली और छोटे कद की लड़कियों पर अच्छी लगती हैं. यह आपकी वेस्ट लाइन को एलिवेट करती है और आपके बॉडी के प्रोपोर्शन को भी इंप्रूव करता है. ध्यान रहे कि हाई वेस्ट स्टाइल की स्कर्ट चुनते वक्त आप डार्क कलर्स और सिंपल प्रिंट्स और पैटर्न को चुनें, जो आपकी हाइट को लंबा दिखाने में ज्यादा मदद करेंगे.
जीवनसाथी ही वह शख्स होता है, जिससे हम हर मुसीबत में हमारे साथ खड़े होने की उम्मीद करते हैं. इस भरोसे और आपसी समझ को मजबूत बनाने के लिए अपने रिश्तें में इन खास बातों का ध्यान जरूर रखें…
1. पर्सनल स्पेस दें
क्लोज रिलेशनशिप में भी पर्सनल स्पेस की जरूरत होती है. यह बात आपको समझनी चाहिए. हर वक्त और हर चीज में दखल देना आपको आपके पार्टनर के नजदीक लाने के बजाए, आपके बीच दूरी बढ़ने का कारण हो सकता है. इसलिए एक-दूसरे के पर्सनल स्पेस का ख्याल रखें.
2. पढ़ें नैनों की भाषा
जरूरी नहीं आपका पार्टनर आपसे अपनी हर जरूरत बोलकर ही बताए. आप एक-दूसरे को समझने का प्रयास करें. एक-दूजे को वक्त दें और हर मुद्दे पर खुलकर बात करें. ताकि आपकी आपसी समझ विकसित हो सके. वक्त और मौके की नजाकत को देखते हुए अपने पार्टनर की जरूरतों को उसके बिन बोले ही समझने का प्रयास करें. ऐसी समझ गुजरते वक्त के साथ डिवेलप होती है, लेकिन उसके बिन बोले आपका समझ जाना, उसे आपके और करीब ला देगा.
3. रखें सॉफ्ट स्किल्स का ध्यान
सॉफ्ट स्किल्स केवल प्रफेशनल लाइफ के लिए ही नहीं होती हैं. अपने रिश्ते में भी इनका ध्यान रखें. पार्टनर से प्यार और रिस्पेक्ट से बात करना, उसकी बात को तरजीह देना, बिना टोके ध्यान से उसकी बात सुनना, जैसी आदतें आपकी म्यूचुअल अंडरस्टैंडिंग को बढ़ाती हैं.
4. रखें पसंद-नापसंद का ख्याल
आपके पार्टनर को क्या पसंद है और क्या नहीं, इसका पूरा ध्यान रखें. फिर बात चाहे खाने की हो, कपड़ों में कलर सलेक्शन की हो या फिर आदतों की. इन छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखकर आप अपने रिश्ते को बहुत मजबूत बना सकते हैं.
5. झगड़ें मगर प्यार से
रिश्ते में कितना भी प्यार क्यों न हो, झगड़ा हो ही जाता है. वैसे, झगड़ा होना भी चाहिए, क्योंकि इससे आपका प्यार और भरोसा अधिक मजबूत होता है. लेकिन ऐसा तभी संभव है जबकि आप झगड़े के बीच भी अपनी सीमाओं का ध्यान रखें. नाराजगी जाहिर करने के दौरान अपनी टोन और लहजे का ध्यान रखें.
बात अगर चेहरे की आए तो कोई भी महिला इससे कोम्प्रोमाईज़ नहीं करना चाहती . क्योंकि चेहरे की खूबसूरती हमारी ओवरआल सुंदरता को बढ़ाने का काम जो करती है. फिर चाहे हम कैसा भी आउटफिट पहन लें, वे हमारे चेहरे पर फब ही जाता है. लेकिन अगर चेहरा बेजान व डल है, वे हाइड्रेट नहीं है, तो चाहे आप कितना भी अच्छा मेकअप कर लें या फिर आउटफिट्स पहन लें, वे आप पर सूट ही नहीं करेगा . ऐसे में बस आप मन ही मन यही सोच कर परेशान रहती हैं कि फेस पर कौन सा ब्यूटी ट्रीटमेंट किया जाए या कौन सा ब्यूटी प्रोडक्ट लगाया जाए , जिससे चेहरा साफ भी हो जाए , साथ ही स्किन पर मोइस्चर भी बना रहे. ऐसे में बायोडर्मा का सेंसीबायो जैल moussant आपकी स्किन के लिए मैजिक का काम करेगा. तो आइए जानते हैं इस बारे में.
– जेंटल क्लीन योर स्किन
स्किन पर जितने हार्श प्रोडक्ट लगाए जाते हैं , उतना ही स्किन का मोइस्चर खत्म होने लगता है. लेकिन आज मार्केट में हमारे सामने इतने ज्यादा ब्यूटी प्रोडक्ट्स मौजूद हैं कि हमारी स्किन प्रोब्लम हमारे सामने होते हुए भी हम ब्यूटी प्रोडक्ट्स का चुनाव ठीक से नहीं कर पाते हैं. जिसका नतीजा स्किन डल होने के साथ अपनी नेचुरल ब्यूटी को भी खोने लगती है. ऐसे में बायोडर्मा का सेंसीबायो जैल moussant आपकी स्किन को जेंटली क्लीन करके स्किन को लंबे समय तक हाइड्रेट रखने का भी काम करता है. साथ ही सेंसिटिव स्किन के लिए भी काफी सूटेबल है. यानि इसे लगाने के बाद न तो स्किन पर किसी तरह की कोई जलन होती है और न ही आंखों में.
क्यों है खास
इसमें ऐसे खास इंग्रीडिएंट्स का इस्तेमाल किया गया है, जो स्किन प्रोब्लम्स को ठीक करके स्किन के लिए किसी न्यूट्रिशन से कम नहीं होते हैं , जिससे स्किन इसके कुछ ही अप्लाई के बाद महक उठती है. आपको बता दें कि इसमें विटामिन इ , विटामिन सी की मौजूदगी, जो स्किन के कोलेजन निर्माण में मदद करने के साथ स्किन को यंग दिखाने का काम करती है. साथ ही स्किन के हैल्थी बैक्टीरिया , जो एनवायरर्मेंटल डैमेज से स्किन को बचाने का काम करते हैं , ऐसे में इसमें प्रीबायोटिक स्किन को न्यूट्रिशन प्रदान करके स्किन को हैल्दी रखने में मदद करते हैं. साथ ही इसमें एंटीओक्सीडैंट्स आपकी स्किन को फ्री रेडिकल्स व यूवी किरणों से बचाने का काम करते हैं . ये पावरफुल एंटीएजिंग का भी काम करते हैं. ऐसे में इसमें वो सभी इंग्रीडिएंट्स मौजूद हैं , जो स्किन को बिना कोई नुकसान पहुंचाए स्किन की हैल्थ के लिए काफी अहम हैं. ये स्किन की एपरडर्मिस यानि आउटर लेयर को क्लीन करके दागधब्बो को भी कम करते हैं , साथ ही सीबम सेक्रेशन को सीमित करते हैं . इसका सोप फ्री फार्मूला स्किन के पीएच लेवल को बैलेंस में रखता है.
सेंसिटिव स्किन को क्यों है खास केयर की जरूरत
2019 में फ्रंटियर ओफ मेडिसिन में प्रकाशित एक रिसर्च के अनुसार, 60 – 70 पर्सेंट महिलाओं की स्किन सेंसिटिव होती है. जिसकी वजह से स्किन में रेडनेस, डॉयनेस, इचिंग की समस्या सबसे ज्यादा देखने को मिलती है. क्योंकि सेंसिटिव स्किन नाज़ुक होने के कारण पोलुशन , स्ट्रेस व मेकअप से खुद को बचाने में ज्यादा सक्षम नहीं होती है. और अगर ऐसी स्किन पर हार्श व केमिकल वाले प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल ज्यादा किया जाता है तो स्किन ड्राई होकर स्किन की हालत और खराब हो सकती है. ऐसी स्किन की माइल्ड ब्यूटी प्रोडक्ट्स से केयर करने की जरूरत होती है. ऐसे में ये माइल्ड जैल फेसवाश, जिसका सोप फ्री फार्मूला स्किन पर बिना कोई साइड इफ़ेक्ट दिए स्किन को स्मूद बनाने का काम करता है. इसकी खास बात यह है ये है कि ये स्किन से सिर्फ गंदगी को रिमूव करता है न कि स्किन के नेचुरल आयल को.
बता दें कि ये जैल moussant नोन कोमेडिक और फ्रैग्रैंस फ्री है. यानि ये पोर्स को क्लोग नहीं करता, साथ ही इससे स्किन पर किसी भी तरह की कोई एलर्जी , जलन नहीं होती है. इसे आप सुबह व शाम इस्तेमाल करके कुछ ही हफ्तों में अपने चेहरे पर बेहतरीन रिजल्ट देख सकते हैं. .
डीएएफ काम्प्लेक्स
इसका डीएएफ काम्प्लेक्स , ऐसे एक्टिव इंग्रेडिएंट्स से मिलकर बना है, जो सेंसिटिव स्किन की टोलरैंस क्षमता को बढ़ाने का काम करते हैं. इसमें है कोको ग्लूकोसीडजैसा एक्टिव इंग्रीडिएंट , जो फोमिंग एजेंट का काम करने के साथ नेचुरल होता है. जो स्किन को किसी भी तरह का कोई नुकसान नहीं पहुंचाता है. यानि हर स्किन के लिए पूरी तरह से सेफ है.
इन बातों का भी रखें ख्याल
– हमेशा ऐसे ब्यूटी प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करें जो जेंटल हो.
– स्किन की क्लींजिंग व मॉइस्चराइजिंग जरूर करें.
– स्किन की बाहर से केयर करने के साथसाथ स्किन को अंदर से भी हैल्दी बनाने के लिए विटामिन्स, मिनरल्स से भरपूर डाइट लें.
– सेंसिटिव स्किन वालों को स्किन को टॉवल से क्लीन करने के बजाह फेसिअल क्लीनिंग वाइप्स से स्किन को क्लीन करने की कोशिश करनी चाहिए.
नीमा तो कह रही थी कि शरद बेंगलुरु में है तो फिर यहां क्या कर रहा है, फौरन ही उस का मन जवाब देता, हो सकता है आजकल यहीं हो और अपनी बहन को पहले दिन यूनिवर्सिटी छोड़ने आया हो. रहरह कर शरद का मुसकराता चेहरा उस की आंखों के सामने आ कर मुंह चिढ़ाने लगता था, क्यों, झकझोर दिया न मैं ने तुम को, हो रही हो न मुझ से मिलने को बेचैन?
‘हांहां, मैं बेचैन हो रही हूं तुम से मिलने के लिए, क्या तुम भी?’ वह अनायास ही बुदबुदा उठी.
‘क्या हुआ दीदी, तुम नींद में क्या बुदबुदा रही हो?’ बगल में सोई हुई उस की छोटी बहन ऋ तु ने पूछा.
‘क्या हुआ, कुछ भी तो नहीं. तूने कोई सपना देखा होगा,’ सुरभि ने खिसिया कर चादर में अपना मुंह ढांप लिया और सोने की कोशिश करने लगी.
दूसरे दिन हजारों मनौतियां मनाते हुए वह घर से निकली, काश कि आज भी शरद से मुलाकात हो जाए तो कितना अच्छा होगा. पूरे दिन दोनों सहेलियां साथ ही रहीं किंतु वह नहीं आया. चाह कर भी वह नीमा से कुछ भी नहीं पूछ सकी, शर्म ने उसे जकड़ रखा था. उस का मन शरद से मिलने को बेचैन हो रहा था पर संस्कारों के चाबुक की मार से उस ने खुद को साधे रखा था. इन्हीं विचारों में डूबउतर रही थी कि तभी शरद आता दिखा.
‘क्या बात है दादा, आज आप फिर यहां. आज तो मेरा दूसरा दिन है और मैं कोई अकेली भी नहीं हूं,’ नीमा ने शरद को छेड़ा.
‘नहींनहीं, ऐसी कोई बात नहीं है. मैं कल सुबह की फ्लाइट से वापस चला जाऊंगा, सोचा आज तुझे थोड़ा घुमाफिरा दूं, इत्मीनान से बातें करते हैं, तुझे कोई प्रौब्लम तो नहीं. फिर तो अरसे बाद ही मुलाकात होगी,’ शरद ने सुरभि की ओर देखते हुए कहा.
नीमा मन ही मन में मुसकरा रही थी, जबकि सुरभि का चेहरा आरक्त हो रहा था और बड़ी ही सरलता से उस के मन के भावों की चुगली कर रहा था. ‘अच्छा दादा, आप सुरभि से बातें करिए, मैं अभी कौमन हौल से हो कर आती हूं.’ नीमा यह कहने के साथ सुरभि की ओर देख कर मुसकराती हुई चली गई.
सुरभि की समझ में नहीं आ रहा था कि क्या बोले, तभी शरद बोल उठा, ‘तुम्हें कुछ कहना तो नहीं है, मैं कल सुबह चला जाऊंगा.’
‘नहीं, मुझे क्या कहना है,’ सुरभि नर्वस हो रही थी.
‘ठीक है, फिर यह न कहना कि मैं ने तुम्हें कुछ कहने का मौका नहीं दिया,’ शरद ने तनिक ढिठाई से कहा. तभी नीमा आते हुए दिखी. नीमा ने आ कर बताया, ‘आज क्लासेज सस्पैंड हो गई हैं.’ यह कहने के साथ उस ने आगे कहा, ‘चलो न दादा, कहीं घूमफिर आएं, तू चलेगी न सुरभि?’
सुरभि पसोपेश में पड़ गई, क्या करे, जाने का मन तो है पर यदि घर में यह बात पता चली, तब? मांपापा कुछ गलत न समझ बैठें. वैसे भी जब उस के दाखिले की बात हुई, तभी मामाजी ने टोका था, ‘जीजाजी, लड़की को विश्वविद्यालय भेज कर आप गलती कर रहे हैं, कहीं हाथ से निकल न जाए.’ लेकिन उस का मन चंचल हो रहा था, क्या हुआ यदि थोड़ी देर और शरद का साथ मिल जाए…और वह तैयार हो गई. तीनों ने खूब घुमाईफिराई की. शाम को नीमा और शरद ने अपनी कार से उसे उस के घर छोड़ा. उस के मांपापा भी उन दोनों से मिल कर बहुत प्रभावित हुए.
दूसरे दिन उस का मन बहुत अशांत
था. आज शरद चला जाएगा, न
जाने अब कब मुलाकात हो. वह बड़े ही अनमने ढंग से क्लासेज के लिए तैयार हो कर यूनिवर्सिटी के लिए निकल गई. सामने से नीमा आते दिखी. सुरभि को देखते ही वह चहक कर बोली, ‘पता है, दादा आज भी नहीं गए. एक माह के लिए अपनी छुट्टियां बढ़ा ली हैं. असल मे दादा के जाने के नाम से ही मम्मी परेशान होने लगती हैं. बस, दादा को रुकने का बहाना मिल गया. उन्होंने अपना जाना कैंसिल कर दिया.’ लेकिन सुरभि अच्छी तरह समझती थी कि वह क्यों नहीं गया.
अब अकसर ही दोनों की मुलाकातें होने लगीं और उस ने अपना दिल शरद के हवाले कर दिया बिना यह जाने कि शरद भी उस को प्यार करता है या नहीं. लेकिन जब शरद ने बिना किसी लागलपेट के सीधेसादे शब्दों में अपने प्यार का इजहार कर दिया तो वह झूम उठी. ऐसा लग रहा था मानो पूरा सतरंगी आसमान ही उस की मुट्ठी में सिमट आया हो. वह अरमानों के पंखों पर झूला झूलने लगी.
एक रविवार को शरद अपने पेरैंट्स और नीमा को ले कर उस के घर आ धमका. उस ने अपने कमरे की खिड़की से देखा. उसे अपनी आंखों पर यकीन ही नहीं हा रहा था. उस का दिल जोरजोर से धड़क रहा था. ‘चलो दीदी, मां ने तुम्हें ड्राइंगरूम में बुलाया है,’ ऋ तु ने आ कर उसे चौंका दिया. वह अचकचाई सी मां के बुलाने पर सब के बीच पहुंच गई. शरद के पेरैंट्स उस के पेरैंट्स से बातों में मग्न थे. उसे देखते ही शरद की मां ने उस के दोनों हाथों को पकड़ कर अपनी बगल में बिठा लिया, ‘हमें आप की बेटी बहुत ही पसंद है. हम इसे अपने घर की बहू बनाना चाहते हैं अगर आप को एतराज न हो.’
वह शर्म से लाल हो रही थी. मांपापा इसी बात पर निहाल थे कि उन्हें घर बैठे ही इतना अच्छा रिश्ता मिल गया. उन्होंने फौरन हां कर दी. उस की भावी सास ने पर्स से अंगूठी निकाली और शरद से उसे पहनाने के लिए कहा. शरद ने लपक कर उस का हाथ पकड़ लिया और उस की अनामिका में अंगूठी पहना कर अपने प्यार की मुहर लगा दी. उस ने भी मां द्वारा दी गई अंगूठी शरद को पहना कर अपनी स्वीकृति दे दी.
उसे यह सब स्वप्न सा महसूस हो रहा था. आखिर इतनी जल्दी उस का प्यार उसे मिलने वाला था. वह इस अप्रत्याशित सगाई के लिए तैयार न थी. क्या सच में जो प्यार उस के दिल के दरवाजे पर अब तक दस्तक दे रहा था, वह उस की झोली में आ गिरा. तभी, ‘भाभी’, कह कर नीमा उस से लिपट गई. लज्जा के मारे उस से वहां बैठा भी नहीं जा रहा था. वह नीमा को ले कर अपने कमरे में आ गई.
निर्देशकःहंसल मेहता, विशाल भारद्वाज, अलंकृता श्रीवास्तव, शोनाली बोस, ध्रुव सहगल और नुपूर अस्थाना
कलाकारः प्रतीक गांधी, प्रतीक बब्बर, मेयांग चैंग, रणवीर ब्रार, वामिका गब्बी, मसाबा गुप्ता, अरशद वारसी और फातिमा सना शेख आदि
अवधिः 37 से 43 मिनट की छह लघु कहानियां, कुल अवधि चार घंटे
ओटीटी प्लेटफार्मः अमेजॉन प्राइम पर 13 मई से स्ट्ीमिंग
अमरीका के दैनिक अखबार ‘न्यू यार्क टाइम्स ’’ में प्रकाशित एक स्तम्भ पर आधारित वेब सीरीज ‘‘मॉडर्न लव न्यूयार्क’’ के दो सीजन प्रसारित हो चुके हैं, जिन्हे वहां काफी पसंद किया गया. अब प्रीतीशनंदी कम्यूनीकेशन उसी को मुंबई की पृष्ठभूमि में ‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ में छपे कॉलम की छह कहानियों या यॅू कहें कि एंथेलॉजी के तहत छह लघु फिल्मों को एक साथ वेब सीरीज ‘मॉडर्न लव मुंबई’’ के नाम से लेकर आया है. जो कि 13 मई से ‘‘अमेजॉन प्राइम वीडियो’ पर स्ट्रीम हो रही है. इन्हें देखकर घोर निराशा हुई. मुंबई शहर सपनों का शहर. जहां हर दिन हजारों लोग देश के हर कोने से अपने सपनों को पूरा करने के लिए पहुॅचता है और फिर मुंबई शहर की तेज गति से भागती जिंदगी में वह खो जाता है. मुंबई की जिंदगी में काफी विविधताएं हैं. देश के हर कोने से ही नहीं बल्कि कई दूसरे देशों के लोग भी यहां आते हैं, तो उनकी जिंदगी क्या हो सकती है, यह सभी समझ सकते हैं. जिंदगी जीने के संघर्ष के साथ प्यार का होना भी स्वाभाविक है. उसी प्यार को छह भिन्न भिन्न निर्देशकों ने अलग अलग कहानियों के माध्यम से उकेरा है. मगर इन सभी छह लघु फिल्मों में कुछ भी नयापन नही है. चार घ्ंाटे का समय बर्बाद करने के बाद दर्शक खुद को ठगा हुआ महसूस करता है. यह कहानियां मुंबई की जीवनशैली, मुंबई में जीवन की आपा धापी, संघर्ष आदि को लेकर कोई बात नहीं करती. इस वेब सीरीज से मुंबई की धड़कन पूरी तरह से गायब है.
कहानी व समीक्षाः
अलंकृता श्रीवास्तव निर्देशित कहानी ‘‘माई ब्यूटीफुल रिंकल्स‘ में बोल्ड और खुर्राट दिलबर सोढ़ी (सारिका) की कहानी है. जो 25 वर्षीय बिजनेस एनालिस्ट कुणाल (दानेश रजवी) को अंग्रेजी बोलना सिखाती हैं. कुणाल एक दिन दिलबर को उनकी एक अजीब सी तस्वीर बना कर देता है और कहता है कि वह रात रात भर उनके साथ रहने का सपना देखता रहता है. वह कह जाता है कि वह उनके साथ सेक्स भी करना चाहता है. दिलबर तुरंत उसे युवा लड़कियों के सपने देखने की सलाह देेते हुए घर से निकाल देती हैं. मगर फिर अपनी सहेलियों के साथ गपशप करने के बाद दिलबर, कुणाल को बुलाकर दोस्ताना संबंध रखती है, इस शर्त पर कि उनके बीच कोई शारीरिक संबंध नहीं होगा.
‘‘लिपस्टिक अंडर बुर्खा’’से जबरदस्त शोहरत हासिल कर चुकी अलंकृता श्रीवास्तव इस फिल्म में बुरी तरह से मात खा गयी हैं. वह प्रेम कथा को भी उभार नहीं पायी. पूरी फिल्म अति धीमी गति से ही आगे बढ़ती हैै. जिसे देखते हुए दर्शक सोचने लगता है कि कि यह कब खत्म होगी.
इसमें सारिका और दानेश रजवी का अभिनय भी आकर्षणहीन है.
दूसरी कहानी ‘‘मार्गरीटा विथ स्ट्पि’’ फेम निर्देशक शोनाली बोस की ‘‘रात रानी ’’है. इस कहानी कें केंद्र में शादीशुदा कश्मीरी लड़की लाली (फातिमा सना शेख) है, जो पिछले दस साल से अपने बोरिंग व वाचमैन की नौकरी कर रहे पति लुत्फी (भूपेंद्र जदावत) के साथ मुंबई में रह रही है. लाली भी एक घर में काम करती है. लाली दस साल पहले अपने पिता का विरोध कर अपने से नीची जाति के लुत्फी संग शादी कर कश्मीर छोड़कर मुंबई आ गयी थी. उसने पति के लिए स्कूटर खरीदकर दिया. मगर एक दिन अचानक लुत्फी उसे छोड़कर चला जाता है. कुछ दिन लाली, लुत्फी को बार बार फोन कर वापस आने की बात करती है. पर एक दिन वह अकेले ही जिंदगी जीने का निर्णय लेकर सायकल चलाते हुए दिन व रात में काम कर अपने टूटे मकान को बनाने के साथ ही एक नई जिंदगी जीना शुरू कर देती है, जिसमें लुत्फी के लिए कोई जगह नहीं है.
शोनाली बोस बेहतरीन कथा वाचक और निर्देशक हैं, इसमें कोई दो राय नही है. इस फिल्म से उन्होने साबित कर दिखाया कि उन्हे नारी मन की बेहतरीन समझ हैं. वह सामाजिक बंधनों को तोड़ने की भी वकालत करते हुए नजर आती हैं. फिल्म में ट्पिल तलाक का मुद्दा भी हैं. लगभग 41 मिनट की इस लघु फिल्म में शोनाली बोस ने नारी उत्थान का मुद्दा भी खूबसूरती से उठाया है. सभी छह कहानियों में से एक मात्र यह ऐसी काहनी लघु फिल्म है, जो दर्शकों को कुछ हद तक बांध कर रखती है.
लेकिन ‘‘रात रानी’’ की कमजोर कड़ी इसके कलाकार फातिमा सना शेख व भूपेंद्र जतावत हैं. भूपेंद्र के हिस्से कुछ खास करने को आया ही नही. मगर फातिमा सना शेख ने अपनी ‘ओवर एक्टिंग’ से सब कुछ बर्बाद कर डाला.
हंसल मेहता निर्देशित फिल्म ‘‘बाई’’ की कहानी काफी बिखरी हुई है. अति धीमी गति से बागे बढ़ने वाली इस कहानी में यही नहीं समझ में आता कि यह ‘बाई’ यानी कि नायक मंजर अली उर्फ मंजू (प्रतीक गांधी) की दादी (तनुजा) की कहानी है अथवा होमोसेक्सुअल समलैंगिक मंजर अली की कहानी है. फिल्म की शुरूआत दंगों से की जाती है. खैर, मंजर के माता पिता को लगता है कि बाई यह बर्दाश्त नही कर पाएंगी कि उनका पोता समलैंगिक है. वह एक अच्छी लड़की से मंजर का निकाह करवाने की बात करते हैं. मगर मंजर मुंबई छोड़कर गोवा जाकर समलैंगी राजवीर (रणवीर ब्रार ) से विवाह कर लेता है.
हंसल मेहता बेहतरीन निर्देशक हैं. मैं उनकी कई फिल्मों का प्रशंसक हॅूं. मगर इस बार हंसल मेहता ने निराश किया है. वह समलैगिकता पर ‘अलीगढ़’जैसी फिल्म दे चुके हैं. उसके बाद ‘बाई’ तो मलमल में ताट का पैबंद ही है. इस फिल्म में समलैंगिक प्यार को लेकर उनका ताना-बाना हास्यास्पद है. मंजर व राजवीर के बीच किसिंग सीन से लेकर बिस्तर के दृश्य अजीब ढंग से फिल्माए हैं. यह हंसल मेहता की अब तक की सबसे कमजोर फिल्म है.
जहां तक अभिनय की बात है तो प्रतीक गांधी और रणवीर ब्रार दोनो ही निराश करते हैं.
नूपुर अस्थाना की फिल्म ‘कटिंग चाई‘ में उपन्यास लिख रही लतिका(चित्रांगदा सिंह) और उनके पति डैनी(अरशद वारसी) के रिश्ते की कहानी है. डैनी कभी भी सही समय पर कहीं नहीं पहुंचते.
‘‘कटिंग चाय’’ प्रेम कहानी की बजाय पति पत्नी के बीच रिश्ते की कहानी बयां करने वाली अति धीमी गति की फिल्महै. इस तरह के विषय पर सैकड़ों फिल्में बन चुकी हैं. इसमें ऐसा कुछ भी नहीं है कि दर्शक इसे देखना चाहे.
जहां तक अभिनय का सवाल है तो अरशद वारसी का अभिनय बेहतरीन है. वह अपने सदाबहार वाले अंदाज में नजर आते हैं. मगर चित्रांगदा सिंह निराश करती हैं. लगता है कि वह अभिनय भूलती जा रही हैं.
ध्रुव सहगल निर्देशित कहानी लघु फिल्म ‘‘आई लव थाणे’’ की कहानी के केंद्र में बांदरा में रहने वाली आर्किटेक्ट व लैंडस्केप डिजायनर साईबा (मासाबा गुप्ता) हैं, जो रिश्ते में बंधने के लिए परेशान हैं. इसी बीच उन्हें ठाणे म्यूनीशिपल कारपोरेशन की तरफ से एक हरा भरा पार्क बनाने का काम मिलता है. यहां उन्हें अपनी उम्र से कम उम्र के ठाणे में रहने वाले पार्थ (ऋत्विक भौमिक) के साथ काम करना है. धीरे धीरे साईबा, पार्थ की ओर आकर्षित होती है.
ध्रुव सहगल बतौर लेखक व निर्देशक बुरी तरह से असफल रहे हैं. कहानी की गति धीमी तो है ही, वहीं एडीटिंग व मिक्सिंग भी गड़बड़ है. दृश्य आने से पहले ही संवाद शुरू हो जाते हैं. कहानी में ऐसा कुछ नही है कि लोग देखना चाहें. यह फिल्म बोर ही करती हैं.
जहंा तक अभिनय का सवाल है तो जब कहानी व पटकथा मंे दम न हो तो कलाकार कुछ नही कर सकता. वैसे अभिनय उनके वश की बात नही है, इस बात को मासाबा गुप्ता जितनी जल्दी समझ जाएं, उतना ही उनके हित में होगा. ऋत्विक भौमिक भी नही जमे.
विशाल भारद्वाज निर्देशित ‘‘मुंबई ड्ैगन’’ की कहानी के केंद्र में सुई (येओ यान यान) हैं, जो कि युद्ध के वक्त अपने पिता के साथ चीन से भारत आ गयी थी. अपने पिता की तरह सुई भी अति स्वादिष्ट भोजन बनाती हैं. उनके पति का देहंात हो चुका है. बेटा मिंग(मियांग चांग) डाक्टर बनते बनते गायक बनने के लिए संघर्ष करने के साथ ही एक गुजराती लड़की मेघा के प्यार में पड़ा हुआ है. वह मेघा(वामिका गब्बी ) के साथ मेघा के पिता के घर मंे पेइंग गेस्ट है. सुई अपने बेटे मिंग का विवाह चीनी लड़की से ही करना चाहती है. इसी बात को लेकर मां बेटे के बीच टकराव है.
विशाल भारद्वाज की फिल्म ‘‘मुंबई डै्गन’’ चुं चुं का मुरब्बा के अलावा कुछ नही है. इस कहानी के साथ दर्शक जुड़ नही पाता.
जहां तक अभिनय का सवाल है तो मां सुई के किरदार में येओ यान यान का अभिनय ठीक ठाक है. मगर मियांग चांग और वामिका गब्बी निराश करती हैं.
बौलीवुड एक्ट्रेस सुष्मिता सेन (Sushmita Sen) की भाभी और एक्ट्रेस चारू असोपा (Charu Asopa Sen) आए दिन अपनी पर्सनल लाइफ को लेकर सुर्खियों में रहती हैं. जहां कई लोग उन्हें ट्रोल करते हैं तो वहीं फैंस उनकी लाइफ से जुड़ी नई बात जानने के लिए बेताबा रहते हैं. इसी बीच एक्ट्रेस ने डिलीवरी के बाद आने वाली परेशानियों का खुलासा किया है. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर…
बीते दिनों चारू असोपा अपने पति राजीव सेन और बेटी जियाना सेन के साथ समय बिताती नजर आईं थीं, जिसके बाद वह ट्रोलिंग का शिकार भी हुईं थीं. वहीं अब अपनी प्रैग्नेंसी और डिलीवरी के बारे में बात करते हुए एक्ट्रेस ने एक इंटरव्यू में बताया कि बेटी जियाना के जन्म के बाद पहले महीने में वह एंग्जाइटी से जूझ रही थीं, जिसके कारण वह बेटी जियाना को 6-7 दिन तक ब्रेस्टफीड नहीं करवा पाई थीं. हालांकि एक्ट्रेस की ननद यानी एक्ट्रेस सुष्मिता सेन ने उनकी काफी मदद की.
सुष्मिता सेन के भाई राजीव सेन (Rajeev Sen) से जून 2019 में शादी करने वाली एक्ट्रेस चारू असोपा के बीच शादी के कुछ ही महीने बाद मनमुटाव होने लगा था. वहीं खबरें थीं कि वह पति से अलग भी रहने लगी थीं. हालांकि बाद में सब ठीक हो गया था. वहीं कई बार दोनों के बीच अनबन की खबरें आती रही हैं. लेकिन सोशलमीडिया पर शेयर की गई फोटोज से एक्ट्रेस अफवाहों का खारीज कर देती है, जिसके चलते कई बार वह ट्रोलिंग की शिकार भी हो जाती हैं.
एक्ट्रेस चारू असोपा भले ही एक्टिंग करियर से दूर हैं. लेकिन वह अपनी लाइफ को पूरी तरह एन्जौय कर रही हैं. एक्ट्रेस अपनी बेटी और परिवार के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिता रही हैं, जिसकी फोटोज और वीडियोज वह सोशलमीडिया के जरिए फैंस के साथ शेयर कर रही हैं.
सीरियल ‘अनुपमा’ (Anupama) की कहानी इन दिनों फैंस का दिल जीत रही है. जहां अनुपमा-अनुज (Anuj-Anupama Romance) का रोमांस फैंस को पसंद आ रहा है तो वहीं बा और वनराज की जलन दर्शकों को अच्छी लग रही है. हालांकि शादी में एक के बाद एक मुसीबत आती हुई नजर आ रही है. जहां बीते दिनों बापूजी के कारण शादी रुकने की नौबत आ गई थी तो वहीं अब मालविका के कारण अनुज शादी रोकने का फैसला करने वाला है. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर…
अब तक आपने देखा कि हल्दी की रस्मों में अनुज और अनुपमा रोमांटिक होते हुए नजर आते हैं, जिसे देखकर वनराज औऱ बा का चेहरा उतर जाता है. वहीं अनुपमा-अनुज की हल्दी में किन्नर आकर दोनों को दुआएं देते हुए नजर आते हैं, जिसके बाद देविका, बा और वनराज को ताना मारते हुए नजर आती है.
अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि लीला रसोई में हल्दी वाला दूध बनाएगी और चिल्लाते हुए कहेगी कि शादी जल्द से जल्द खत्म हो जाए और अनुपमा जल्द ही अपने घर से निकल जाए. इसी बीच अनुपमा उनसे टकरा जाएगी और हल्दी उस पर गिर जाएगी, जिसके चलते अनुपमा, बा को हल्दी लगाने के लिए शुक्रिया कहेगी और गले लगा लेगी. वहीं बा शांत रहेगी. दूसरी तरफ, वनराज, काव्या को सौतन की शादी में खुश होने का कारण पूछेगा, जिसका जवाब देते हुए काव्या कहेगी कि अनुपमा कभी उनकी दुश्मन नहीं थीं और हमेशा उनकी मदद करती थीं, जिसे सुनकर वनराज हैरान होगा.
इसके अलावा आप सीरियल में देखेंगे कि अनुपमा, बच्चों को भरोसा दिलाते हुए कहेगी कि वह शादी के बाद भी अपने बच्चों के लिए कभी नहीं बदलेगी. वहीं मालविका, अनुज को शादी के दिन ही यूएसए लौटने की बात कहेगी, जिसे सुनकर अनुज उसकी मौजूदगी के बिना शादी नहीं करने का फैसला लेगा.