Summer Special: मीठे में बनाएं पनीर जलेबी

अब तक आपने पनीर से एक से बढ़कर एक टेस्टी सब्जी बनाई होगी. लेकिन आज हम आपको बता रहे हैं पनीर से बनने वाली जलेबी जिसे खाकर आप तो खुश होंगे, आपके मेहमान भी आपकी तारीफ किए बिना रह नहीं पाएंगे. तीज-त्योहार ही नहीं, आम दिनों में भी आप इस मिठाई को घर पर बनाकर अपने परिवारवालों को खुश कर सकती हैं.

सामग्री

फुल क्रीम दूध डेढ़ लीटर

नींबू का रस डेढ़ चम्मच

मैदा- 1 चम्मच

बेकिंग पाउडर आधा छोटा चम्मच

नमक चुटकी भर

पानी- 3 कप

चीनी- 2 कप

घी- 2 कप

विधि

एक गहरे पैन में दूध लें और मध्यम आंच पर उसे गैस पर चढ़ाकर उबाल आने दें. जब दूध में उबाल आ जाए तो उसमें नींबू का रस डाल दें. नींबू का रस डालते ही दूध फटने लगेगा. जब दूध पूरी तरह से फट जाए तो उसे छान लें. उसका पानी हटा दें और पनीर को मलमल के कपड़े में रख लें.

इस कपड़े का मुंह बांधकर इसे 2 घंटे के लिए कहीं टांग दें ताकि उसका सारा पानी निकल जाए. अब इस पनीर में मैदा, बेकिंग पाउडर और नमक मिलाकर अच्छे से मिश्रण को मिला लें.

सारे मिश्रण को मिलाकर अच्छी तरह से गूंथ लें और करीब 20 मिनट के लिए फ्रिज में रख दें. गूंथे हुए मिश्रण को बाहर निकालें और उससे लंबी-लंबी रस्सी की तरह बनाकर जलेबी का शेप दें.

अब एक कढ़ाई में घी गर्म करें. जब घी अच्छी तरह से गर्म हो जाए तो उसमें जलेबी को डालें और अच्छी तरह से फ्राई कर लें.

इस बीच चीनी की चासनी तैयार करें. इसके लिए गहरे पैन में चीनी और पानी और इसे तब तक उबालें जब तक वह गाढ़ा न हो जाए. ध्यान रखें कि चासनी न ज्यादा गाढ़ी होनी चाहिए और न ज्यादा पतली.

जब चासनी तैयार हो जाए तो गैस बंद कर दें. चीनी की चासनी में पनीर जलेबी को करीब 2-3 घंटे के लिए डालकर छोड़ दें. अब गर्मा गर्म जलेबी सर्व करें.

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लम्हों ने खता की थी: भाग 2- क्या डिप्रैशन से निकल पाई रिया

‘देखो, मैं तो सिर्फ समय काटने के लिए महिला वैलफेयर सोसायटी में बच्चों को पढ़ाने का काम करती हूं. मैं कोई समाजसेविका नहीं हूं. मगर पाटनकर साहब के औफिस जाने के बाद 8 घंटे करूं क्या, इसलिए अगर तुम्हें कोई परेशानी न हो तो बच्ची को स्कूल से लौट कर तुम्हारे आने तक मेरे साथ रहने की परमिशन दे दो. मुझे और पाटनकर साहब को अच्छा लगेगा.’

‘मैडम, देखिए आया का इंतजाम…’ रिया ने फिर कहना चाहा तो उन्होंने बीच में टोक कर कहा, ‘आया को तुम रखे रहो, वह तुम्हारे और काम कर दिया करेगी.’ सब तरह के तर्कों से परास्त हो कर रिया चलने लगी तो उन्होंने कहा, ‘रिया, तुम सीधे औफिस से आ रही हो. तुम थकी होगी. मिस्टर पाटनकर भी आ गए हैं. चाय हमारे साथ पी कर जाना.’

‘जी, सर के साथ,’ रिया ने थोड़ा संकोच से कहा तो वे बोलीं, ‘सर होंगे तुम्हारे औफिस में. रिया, तुम मेरी बेटी जैसी हो. जाओ, बाथरूम में हाथमुंह धो लो.’

उस दिन से रिया की बेटी और उन में दादीपोती का जो रिश्ता कायम हुआ उस से वे मानो इस बच्ची की सचमुच ही दादी बन गईं. मगर जब कभी बच्ची उन से अपने पापा के बारे में प्रश्न करती, तो वे बेहद मुश्किल में पड़ जाती थीं. इंस्पैक्टर को यह संक्षिप्त कहानी सुना कर वे निबटी ही थीं कि डाक्टर आ कर बोले, ‘‘देखिए, बच्ची शरीर से कम मानसिक रूप से ज्यादा आहत है. इसलिए उसे किसी ऐसे अटैंडैंट की जरूरत है जिस से वह अपनापन महसूस करती हो.’’ स्थिति को देखते हुए मिसेज पाटनकर ने बच्ची की परिचर्या का भार संभाल लिया.

करीब 4-5 घंटे गुजर गए. बच्ची होश में आते ही, उसी तरह, ‘‘मुझे पापा को ढूंढ़ने जाना है, मुझे जाने दो न प्लीज,’’ की गुहार लगाती थी.

बच्ची की हालत स्थिर देखते हुए डाक्टर ने फिर कहा, ‘‘देखिए, मैं कह चुका हूं कि बच्ची शरीर की जगह मैंटली हर्ट ज्यादा है. हम ने अभी इसे नींद का इंजैक्शन दे दिया है. यह 3-4 घंटे सोई रह सकती है. मगर बच्ची की उम्र और हालत देखते हुए हम इसे ज्यादा सुलाए रखने का जोखिम नहीं ले सकते. बेहतर यह होगा कि बच्ची को होश में आने पर इस के पापा से मिलवा दिया जाए और इस समय अगर यह संभव न हो तो उन के बारे में कुछ संतोषजनक उत्तर दिया जाए. आप बच्ची की दादी हैं, आप समझ रही हैं न?’’

अब मिसेज पाटनकर ने डाक्टर को पूरी बात बताई तो वह बोला, ‘‘हम अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रहे हैं मगर बच्ची के पापा के विषय में आप को ही बताना पड़ेगा.’’ बच्ची को मिसेज सान्याल को सुपुर्द कर मिसेज पाटनकर रिया के वार्ड में आ गईं. रिया को होश आ गया था. वह उन्हें देखते ही बोली, ‘‘मेरी बेटी कहां है, उसे क्या हुआ है, आप कुछ बताती क्यों नहीं हैं? इतना कहते हुए वह फिर बेहोश होने लगी तो मिसेज पाटनकर उस के सिरहाने बैठ गईं और बड़े प्यार से उस का माथा सहलाने लगीं.

उन के ममतापूर्ण स्पर्श से रिया को कुछ राहत मिली. उस की चेतना लौटी. वह कुछ बोलती, इस से पहले मिसेज पाटनकर उस से बोलीं, ‘‘रिया, बच्ची को कुछ नहीं हुआ. मगर वह शरीर से ज्यादा मानसिक रूप से आहत है. अब तुम ही उसे पूरी तरह ठीक होने में मदद कर सकती हो.’’ मिसेज पाटनकर बोलते हुए लगातार रिया का माथा सहला रही थीं. रिया ने इस का कोई प्रतिवाद नहीं किया तो उन्हें लगा कि वह उन से कहीं अंतस से जुड़ती जा रही है.

थोड़ी देर में वह क्षीण स्वर में बोली, ‘‘मैं क्या कर सकती हूं?’’

‘‘देखो रिया, बच्ची अपने पापा के बारे में जानना चाहती है. हम उसे गोलमोल जवाब दे कर या उसे डांट कर चुप करा कर उस के मन में संशय व संदेह की ग्रंथि को ही जन्म दे रहे हैं. इस से उस का बालमन विद्रोही हो रहा है. मैं मानती हूं कि वह अभी इतनी परिपक्व नहीं है कि उसे तुम सबकुछ बताओ, मगर तुम एक परिपक्व उम्र की लड़की हो. तुम खुद निर्णय कर लो कि उसे क्या बताना है, कितना बताना है, कैसे बताना है. मगर बच्ची के स्वास्थ्य के लिए, उस के हित के लिए उसे कुछ तो बताना ही है. यही डाक्टर कह रहे हैं,’’ इतना कहते हुए मिसेज पाटनकर ने बड़े स्नेह से रिया को देखा तो उन्हें लगा कि वह उन के साथ अंतस से जुड़ गई है.

रिया बड़े धीमे स्वर में बोली, ‘‘अगर मैं ही यह सब कर सकती तो उसे बता ही देती न. अब आप ही मेरी कुछ मदद कीजिए न, मिसेज पाटनकर.’’

‘‘तुम मुझे कुछ बताओगी तो मैं कुछ निर्णय कर पाऊंगी न,’’ मिसेज पाटनकर ने रिया का हाथ अपने हाथ में स्नेह से थाम कर कहा.

रिया ने एक बार उन की ओर बड़ी याचनाभरी दृष्टि से देखा, फिर बोली, ‘‘आज से 7 साल पहले की बात है. मैं एमबीए कर रही थी. हमारा परिवार आम मध्य परिवारों की तरह कुछ आधुनिकता और कुछ पुरातन आदर्शों की खिचड़ी की सभ्यता वाला था. मैं ने अपनी पढ़ाई मैरिट स्कौलरशिप के आधार पर पूरी की थी. इसलिए जब एमबीए करने के लिए बेंगलुरु जाना तय किया तो मातापिता विरोध नहीं कर सके. एमबीए के दूसरे साल में मेरी दोस्ती संजय से हुई. वह भी मध्यवर्ग परिवार से था. धीरेधीरे हमारी दोस्ती प्यार में बदल गई. मगर आज लगता है कि उसे प्यार कहना गलत था. वह तो 2 जवान विपरीत लिंगी व्यक्तियों का आपस में शारीरिक रूप से अच्छा लगना मात्र था, जिस के चलते हम एकदूसरे के साथ ज्यादा से ज्यादा रहना चाहते थे.

‘‘5-6 महीने बीत गए तो एक दिन संजय बोला, ‘रिया, हमतुम दोनों वयस्क हैं. शिक्षित हैं और एकदूसरे को पसंद करते हैं, काफी दिन से साथसाथ घूमतेफिरते और रहते हुए एकदूसरे को अच्छी तरह समझ भी चुके हैं. यह समय हमारे कैरियर के लिए बेहद महत्त्वपूर्ण है. इस में क्लासैज के बाद इस तरह रोमांस के लिए मिलनेजुलने में समय बिताना दरअसल समय का ही नहीं, कैरियर भी बरबाद करना है. अब हमतुम जब एकदूसरे से इतना घुलमिल गए हैं तो होस्टल छोड़ कर किसी किराए के मकान में एकसाथ मिल कर पतिपत्नी बन कर क्यों नहीं रह लेते. आखिर प्रोजैक्ट में भी किसी पार्टनर की जरूरत होगी.’

‘‘‘मगर एमबीए के बीच में शादी, वह भी बिना घर वालों को बताए, उन की रजामंदी के…’ मैं बोली तो संजय मेरी बात बीच में ही काट कर बोला था, ‘मैं बैंडबाजे के साथ शादी करने को नहीं, हम दोनों की सहमति से आधुनिक वयस्क युवकयुवती के एक कमरे में एक छत के नीचे लिव इन रिलेशनशिप के रिश्ते में रहने की बात कर रहा हूं. इस तरह हम पतिपत्नी की तरह ही रहेंगे, मगर इस में सात जन्म तो क्या इस जन्म में भी साथ निभाने के बंधन से दोनों ही आजाद रहेंगे.’

‘‘मैं संजय के कथन से एकदम चौंकी थी. तो संजय ने कहा था, ‘तुम और्थोडौक्स मिडिल क्लास की लड़कियों की यही तो प्रौब्लम है कि तुम चाहे कितनी भी पढ़लिख लो मगर मौडर्न और फौरवर्ड नहीं बन सकतीं. तुम्हें तो ग्रेजुएशन के बाद बीएड कर के किसी स्कूल में टीचर का जौब करना चाहिए था. एमबीए में ऐडमिशन ले कर अपना समय और इस सीट पर किसी दूसरे जीनियस का फ्यूचर क्यों बरबाद कर दिया.’

‘‘उस के इस भाषण पर भी मेरी कोई प्रतिक्रिया नहीं देख कर वह मानो समझाइश पर उतर आया, बोला, ‘अच्छा देखो, आमतौर पर मांबाप लड़की के लिए अच्छा सा लड़का, उस का घरपरिवार, कारोबार देख कर अपने तमाम सगेसंबंधी और तामझाम जोड़ कर 8-10 दिन का वक्त और 8-10 लाख रुपए खर्च कर के जो अरेंज्ड मैरिज नाम की शादी करते हैं क्या उन सभी शादियों में पतिपत्नी में जिंदगीभर निभा पाने और सफल रहने की गारंटी होती है? नहीं होती है न. मेरी मानो तो मांबाप का अब तक का जैसेतैसे जमा किया गया रुपया, उन के भविष्य में काम आने के लिए छोड़ो. देखो, यह लिव इन रिलेशनशिप दकियानूसी शादियों के विरुद्ध एक क्रांतिकारी परिवर्तन है.

हम जैसे पढ़ेलिखे एडवांस्ड यूथ का समर्थन मिलेगा तभी इसे सामाजिक स्वीकृति मिलेगी. अब किसी को तो आगे आना होगा, तो हम ही क्यों नहीं इस रिवोल्यूशनरी चेंज के पायोनियर बनें. सो, कमऔन, बी बोल्ड, मौडर्न ऐंड फौरवर्ड. कैरियर बन जाने पर और पूरी तरह सैटल्ड हो जाने पर हम अपनी शादी डिक्लेयर कर देंगे. सो, कमऔन. वरना मुझे तो मेरे कैरियर पर ध्यान देना है. मुझे अपने कैरियर पर ध्यान देने दो.’ ‘‘एक तो संजय से मुझे गहरा लगाव हो गया था, दूसरे, मुझे उस के कथन में एक चुनौती लगी थी, अपने विचारों, अपनी मान्यताओं और अपने व्यक्तित्व के विरुद्ध. इसलिए मैं ने उस का समर्थन करते हुए उस के साथ ही अपना होस्टल छोड़ दिया और हम किराए पर एक मकान ले कर रहने लगे. ‘‘मकानमालिक एक मारवाड़ी था जिसे हम ने अपना परिचय किसी प्रोजैक्ट पर साथसाथ काम करने वाले सहयोगियों की तरह दिया. वह क्या समझा और क्या नहीं, बस उस ने किराए के एडवांस के रुपए ले व मकान में रहने की शर्तें बता कर छुट्टी पाई.

‘‘धीरेधीरे 1 साल बीत चला था. इस बीच हम ने कई बार पतिपत्नी वाले शारीरिक संबंध बनाए थे. इन्हीं में पता नहीं कब और कैसे चूक हो गई कि मैं प्रैग्नैंट हो गई. ‘‘मैं ने संजय को यह खबर बड़े उत्साह से दी मगर वह सुन कर एकदम खीझ गया और बोला, ‘मैं तो समझ रहा था कि तुम पढ़ीलिखी समझदार लड़की हो. कुछ कंट्रासैप्टिव पिल्स वगैरह इस्तेमाल करती रही होगी. तुम तो आम अनपढ़ औरतों जैसी निकलीं. अब फटाफट किसी मैटरनिटी होम में जा कर एमटीपी करा डालो. बच्चे पैदा करने के लिए और मां बनने के लिए जिंदगी पड़ी है. अगले महीने कुछ मल्टीनैशनल कंपनी के प्रतिनिधि कैंपस सिलैक्शन के लिए आएंगे इसलिए एमटीपी इस सप्ताह करा लो.’

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बिजली कहीं गिरी असर कहीं और हुआ- भाग 2: कौन थी खुशबू

इस तरह के विचार मन में आने के बाद शारदा कोशिश करने के बाद भी खुशबू के प्रति अपने व्यवहार को सामान्य नहीं कर पा रही थीं. यह बात जैसे आहिस्ताआहिस्ता शारदा के मन में घर बना रही थी कि 7 वर्ष पहले शायद नर्सिंगहोम में उस के बच्चे को भी बदल कर किसी दूसरे को दे दिया गया. अगर ऐसा हुआ था तो उस ने अवश्य एक बेटे को ही जन्म दिया होगा.

मन में उठने वाले इन विचारों ने जैसे शारदा के जीवन का सारा सुखचैन ही छीन लिया.

अपने मन में चल रहे विचारों के मंथन को शारदा अपने पति रमाकांत से छिपा नहीं सकी थी. उन ने बोलीं कि मैं ने भी तो अपने तीसरे बच्चे को इसी नर्सिंगहोम में जन्म दिया था. क्या ऐसा नहीं हो सकता कि औरों की तरह मैं ने भी कहीं धोखा ही खाया हो? खुशबू वास्तव में हमारी बच्ची न हो?’’

शारदा की बात सुन रमाकांत स्तब्ध रह गए, ‘‘उन्हें इस तरह की बातें नहीं सोचनी चाहिए. ऐसी बातों का अब कोई मतलब नहीं. 7 साल बीत चुके हैं. ऐसी बातें सोचने से हमारी ही परेशानी बढ़ेगी,’’ रमाकांत ने उन्हें सम झाने की कोशिश की.

‘‘मैं चाह कर भी इस शक को अपने मन से निकाल नहीं  सकती. क्या तुम्हें नहीं लगता कि 7 साल पहले हमारे साथ जो कुछ भी हुआ था अजीब हुआ था? अपने दिल पर जरा हाथ रख कर कहो मैं जो भी कह रही हूं गलत कह रही हूं? तुम कह सकते हो कि पंडित और ज्योतिषयों ठोंग करते हैं. उन की बातें  झूठी होती हैं. मगर क्या मशीनें भी  झूठ बोलती हैं? मैडिकल साइंस भी अंधी है?’’

‘‘तुम्हारी इन सारी बातों के मेरे पास जवाब नहीं शारदा, मगर मैं तुम से इतना ही पूछना चाहता हूं कि गड़े मुरदे को उखाड़ने से क्या फायदा होगा? मैं मानता हूं नर्सिंगहोम में बहुत से लोगों के साथ धोखा हुआ, मगर इस बात का कोई सुबूत हम लोगों के पास नहीं कि उन लोगों में हम शामिल थे ही. बेकार मन में वहम पालो कि खुशबू हमारी बेटी नहीं.’’

‘‘यह वहम नहीं, एक हकीकत हो सकती है,’’ शारदा ने शब्दों पर जोर देते हुए शारदा ने कहा.

‘‘मैं तुम्हारी बात मान भी लूं, तो इस हकीकत को साबित कौन करेगा? रमाकांत का लहजा तलख हो गया.

‘‘हमें पुलिस से संपर्क करना चाहिए.’’

‘‘क्या पुलिस इस बात का फैसला करेगी कि खुशबू हमारी बेटी है या नहीं?’’

‘‘तुम हमेशा मेरी बात का उलट मतलब निकालते हो, पुलिस सारे मामले की जांच कर रही है. वह इस मामलें में हमारी मदद कर सकती है,’’ शारदा ने कहा. उन के स्वर में बेसब्री थी.

‘‘तुम्हारे कहने का मतलब यह है कि हम अपने पैरों पर खुद ही कुल्हाड़ी मारें. पुलिस के पास जाए और उस से कहें कि हमें शक है कि खुशबू हमारी बेटी नहीं, नर्सिंगहोम वालों ने बेइमानी  कर के हमारे बच्चे को भी बदल दिया था. जानती हो इस के बाद क्या होगा? पुलिस इस मामले में हमें जांच का आश्वासन देगी, मगर इस के साथ ही वह एक काम और भी करेगी और खुशबू को हम से छीन किसी अनाथालय में भेज देगी. वह तब तक उसी अनाथालय में रहेगी जब तक पुलिस की जांच पूरी नहीं हो जाती. इस के साथ ही अगर तुम्हारे शक के मुताबिक पुलिस की जांच में यह साबित हो जाए कि नर्सिंगहोम वालों ने हमारा बच्चा भी बदला था तो इस बात की कोई गारंटी नहीं कि खुशबू के बदले में हमें कोई दूसरा बच्चा मिल ही जाएगा. अगर तुम इन सब चीजों का सामना करने के लिए तैयार हो तो मैं पुलिस स्टेशन चलने को तैयार हूं,’’ रमाकांत ने पत्नी को गहरी नजरों से देखते हुए कहा.

इस पर शारदा मानो धर्मसंकट में पड़ती हुई नजर आईं. इस के बाद पुलिस के पास जाने की बात शारदा ने पति से नहीं की. हां पंडित रामकुमार तिवारी से जरूर जिक्र किया, पर पुलिस के पास जाने को उस ने भी मना किया.

बिना कुछ हासिल किए ही कोई चीज गंवाने का रिस्क उठाने की हिम्मत शारदा में नहीं थी. अपने शक के कारण पुलिस के पास जाने का खयाल तो शारदा ने फिलहाल मन से निकाल दिया, मगर इस से उस के मन में जैसे घर बना चुका वहम नहीं निकला कि  वह भी नर्सिंगहोम वालों के धोखे की शिकार है.

शारदा के मन के वहम ने मासूम खुशबू के जीवन को बहुत ही उदास बना डाला था. वह मम्मी में पहले वाला प्यार ढूंढ़ती नजर आती थी जो उसे नहीं मिलता था. मम्मी के व्यवहार की बेरुखी देख मासूम खुशबू यह भी नहीं सम झ पाती कि उस से गलती क्या हुई है?

रमाकांत खुशबू के पति शारदा के बदले व्यवहार से परेशान थे, पर समस्या के तत्काल समाधान का रास्ता नहीं सू झ रहा था.

सारी कशमकश के बीच एक नई बात कह कर शारदा ने रमाकांत के लिए एक नया सिरदर्द पैदा कर दिया.

डीएनए के माने वास्तव में क्या थे और वह क्या था यह तो शारदा को मालूम नहीं था, मगर पंडित रामकुमार तिवारी के कहने पर और टीवी पर खबरें सुनने से उन्हें इतना अवश्य मालूम था कि उन के टैस्ट से किसी भी बच्चे के असली मांबाप का पता लगाया जा सकता है.

शारदा ने रमाकांत से कहा, ‘‘पंडितजी कह रहे थे कि एक टैस्ट होना है जिस से किसी भी बच्चे के असली मांबाप के बारे में बिलकुल सही ढंग से जाना जा सकता है. मैं ने मोबाइल पर पढ़ा था, डीएनए या ऐसा ही कोई मिलताजुलता नाम था इस टैस्ट का. क्यों न हम भी अपना व खुशबू का टैस्ट करवा लें? उस से दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा. पंडितजी ने एक लैब का कार्ड भी दिया है कि वह उन की जानपहचान की है.

शारदा की बात सुन रमाकांत कुछ पलों के लिए तो हक्काबक्का रह गए.

वे नहीं जानते थे कि  खुशबू को ले कर शारदा की सोच इस हद तक चली गई है.

‘‘इस टैस्ट को क्या तुम ने कोई मजाक सम झा है? इस पर बहुत पैसा खर्च होगा,’’ रमाकांत ने शारदा को टालने की गरज से कहा.

‘‘चाहे जितना भी खर्च आए करो, मगर किसी तरह भी मु झे मेरी दिनरात की दिमागी तकलीफ से छुटकारा दिलाओ वरना यह मु झे मार डालेगी,’’ शारदा ने कहा.

शारदा की बात से रमाकांत को लगा कि मामला एक नाजुक शक्ल ले रहा है. खुशबू को ले कर लगातार अंदर से घुल रही शारदा का तनाव खतरनाक सीमा तक बढ़ गया है. अगर जल्दी शारदा को उस की वर्तमान मनोस्थिति से बाहर निकालने का कोई रास्ता नहीं खोजा गया तो इस के बुरे नतीजे सामने आ सकते हैं.

रमाकांत ने इस बारे में बहुत सोचा, बहुत मंथन किया. अंत में इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि शारदा को उन की वर्तमान मनोस्थिति में से निकालने के लिए  झूठ का ही सहारा लेना पड़ेगा.

तभी रमाकांत को अपने बचपन के दोस्त सतीश धवन की याद आ गई, जो डाक्टर था.

सतीश धवन अपने क्लीनिक के साथसाथ एक लैब का भी मालिक था. रमाकांत ने डाक्टर सतीश धवन से मिल कर उसे अपनी सारी समस्या बताई. रामकुमार तिवारी के दिए गए लैब के कार्ड को भी दिखाया.

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Udaariyaan: तेजो का सच जानकर लगेगा फतेह को झटका, अमरीक की होगी मौत

सीरियल उड़ारियां (Udaariyaan) की शूटिंग इन दिनों लंदन में चल रही है. दरअसल, मेकर्स इन दिनों सीरियल की कहानी को दिलचस्प बनाने के लिए नए नए ट्विस्ट लाते हुए नजर आ रहे हैं. जहां एक तरफ फतेह और तेजो (Ankit Gupta And Priyanka Chahar Choudhary) को बचाते समय अमरीक की जान खतरे में पढ़ने वाली है तो वहीं तेजो फतेह को धोखा देने वाली है. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे…

अंगद चलाएगा गोली

 

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अब तक आपने देखा कि तेजो, अंगद से जान बचाकर फतेह के पास पहुंचती है. जहां वह वापस इंडिया जाने का प्लान बनाते हैं. लेकिन फतेह का प्लान फेल हो जाता है. जब अंगद तेजो को कार डिकी में किडनैप करके लेकर चला जाता है. हालांकि वह उससे लड़ने की कोशिश करती है. इसी बीच अंगद और फतेह की लड़ाई भी होती है. लेकिन अंगद, दोनों पर गोली चला देता है, जिसे देखकर जैस्मीन हैरान हो जाती है.

 

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तेजो देगी धोखा

 

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सीरियल के इस लेटेस्ट ट्रैक के बीच सीरियल के मेकर्स ने नया प्रोमो शेयर किया है, जिसमें जैस्मीन के पति अमरीक को गोली लग जाती है. वहीं तेजो, फतेह से कहती है कि वह तान्या है, जिसे सुनकर फतेह के होश उड़ जाते हैं. सीरियल का नया प्रोमो देखकर फैंस बेहद एक्साइटेड हैं औऱ सीरियल के अपकमिंग ट्विस्ट का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं.

अमरीक की जाएगी जान

खबरों की मानें तो सीरियल में अमरीक की गोली लगने से जान चली जाएगी, जिसके बाद फतेह, जैस्मीन का साथ देता नजर आएगा. वहीं तेजो, फतेह से अपनी सच्चाई छिपाकर दूर जाने का फैसला करती हुई नजर आएगी. हालांकि देखना होगा कि तेजो का तान्या बनने का क्या सच होगा और क्या वह फतेह से दूर हो पाएगी.

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Health Tips: खाने से कंट्रोल करें Cholesterol

आज के बदलते लाइफ स्टाइल में जहां लोग अपनी सेहत के प्रति जागरूक होते जा रहे हैं वहीं कई बीमारियां भी बढ़ती जा रही हैं. इन्हीं बीमारियों में एक बीमारी है कोलेस्टराल का बढ़ना. यह एक ऐसी बीमारी है जिस का सीधा संबंध हमारे हृदय से है. खून मेें कोलेस्टराल की मात्रा बढ़ जाने से ही हृदय से संबंधित कई बीमारियां उत्पन्न हो जाती हैं. हमारे शरीर की सभी कोशिकाओं और रक्त में कोलेस्टराल मौजूद है.

सवाल उठता है कि कोलेस्टराल क्या है? शरीर में इस की क्या भूमिका है तथा इस की अधिकता को क्या सिर्फ भोजन द्वारा नियंत्रण में रखा जा सकता है अथवा हमेशा दवा का प्रयोग जरूरी है. भोजन द्वारा कोलेस्टराल की अधिकता से कैसे बचाव किया जा सकता है या उस को नियंत्रण में रखा जा सकता है साथ ही कोलेस्टराल से जुड़े मिथ और फैक्ट्स क्या हैं यह सब जानकारी दे रही हैं दिल्ली के पूसा रोड क्लीनिक की सलाहकार न्यूट्रीनिस्ट गीत अमरनानी.

कोलेस्टराल क्या है

यह एक मोम जैसा पीला चिपचिपा पदार्थ है जो वसा के समान है पर वसा नहीं होता. यह व्यक्ति के लिवर में तैयार होता है और प्रतिदिन लिवर 1,500 मिलीग्राम कोलेस्टराल का निर्माण करता है. कोलेस्टराल लगभग 85 प्रतिशत शरीर से बनता है और 15 प्रतिशत भोजन से.

कोलेस्टराल की भूमिका

1. शरीर की जैविक क्रियाओं के संचालन में कोलेस्टराल की महत्त्वपूर्ण भूमिका है.

2. कोलेस्टराल से सेक्स हार्मोंस बनते हैं.

3. सूर्य की रोशनी के संपर्क में जब त्वचा आती है तो यह विटामिन ‘डी’ में परिवर्तित हो जाता है.

4. कोशिकाओं के कार्य संचालन में कोलेस्टराल की खास भूमिका होती है.

कोलेस्टराल नुकसानदेह कब

शरीर में कोलेस्टराल 2 तरह से बढ़ता है. एक तो ऐसा भोजन खाने से जिस में सैचुरेटेड चरबी ज्यादा होती है वह रक्त में ज्यादा कोलेस्टराल बनने का खास कारण होता है. यदि कोलेस्टराल वाला भोजन किया जाए तो उस का परिणाम दोगुना हो जाता है, क्योंकि कोलेस्टराल वाले भोजन में सैचुरेटेड चरबी ज्यादा होती है. दूसरा कारण होता है कोलेस्टराल का शरीर में अधिक मात्रा में बनना. दोनों में से कोई भी कारण हो पर नुकसान शरीर को ही उठाना पड़ता है, क्योंकि कोलेस्टराल के बढ़ने से सिर्फ हृदय रोग ही नहीं होता बल्कि मोटापा, हाई बल्डप्रेशर, डायबिटीज जैसी बीमारियां भी हो जाती हैं.

कोलेस्टराल का पता कैसे लगाएं

शरीर में कोलेस्टराल की कितनी मात्रा सही है और कितनी नहीं इस के लिए चिकित्सक लिपिड प्रोफाइल टेस्ट कराते हैं. इस से प्राप्त आंकड़े शरीर में कोलेस्टराल के स्तर को दर्शाते हैं. वैसे आमतौर पर कहा जाता है कि यदि रक्त में कोलेस्टराल की मात्रा 200 मिलीग्राम प्रति डेसीलिटर से कम है तो इस का स्तर सामान्य माना जाता है और यदि इस से ज्यादा है तो सावधानी बरतने की जरूरत होती है. वैसे निम्न वजहें हों तो डाक्टर से राय ले कर टैस्ट करा लेना चाहिए :

1. हाईब्लडप्रेशर, मोटापा या थायराइड जैसी कोई समस्या हो.

2. हृदय रोग का पारिवारिक इतिहास हो.

3. रक्त में कोलेस्टराल के उच्च स्तर का पारिवारिक इतिहास हो.

4. पलकों पर हलके क्रीम कलर के धब्बों के रूप में लिपिड की परत हो.

5. ज्यादा शराब का सेवन या परिवार नियोजन के लिए गोलियां लेने की हिस्ट्री हो.

कोलेस्टराल के प्रकार

रक्त में 2 तरह का कोलेस्टराल पाया जाता है. एक एलडीएल (लो डेंसिटी लाइपोप्रोटिंस), जिसे खराब कोलेस्टराल कहा जाता है. रक्त में इस के बढ़ने के मुख्य कारण होते हैं संतृप्त वसा का अधिक सेवन. कोलेस्टरालयुक्त आहार, लिवर में कोलेस्टराल का अधिक बनना, चीनी, शराब का अधिक सेवन आदि. कोलेस्टराल का दूसरा प्रकार एचडीएल (हाई डेंसिटी लाइपोप्रोटिंस), जिसे अच्छा कोलेस्टराल कहा जाता है. जब रक्त में बुरे कोलेस्टराल की अधिकता हो जाती है और अच्छा कोलेस्टराल कम हो जाता है तभी हृदय रोग या अन्य बीमारियों से शरीर घिर जाता है.

अत: बेकार कोलेस्टराल को कम कर के तथा अच्छे कोलेस्टराल को बढ़ा कर रक्त में इस के स्तर को सामान्य या कम किया जा सकता है वह भी सही भोजन का चुनाव कर के. भोजन के सही चुनाव के साथसाथ कैलोरी भी जरूरी है.

उपयुक्त तेल का चयन करें

कोलेस्टराल को भोजन द्वारा नियंत्रित करने के लिए जरूरी है कि आप जो तेल और चरबी खाते हैं उस के बारे में जान लें तभी अपने भोजन को ज्यादा वसा से दूर रख पाएंगे. मुख्यत: तेल व चरबी को 2 भागों में बांटा जा सकता है : एक, सैचुरेटेड फैट, दूसरा, अनसैचुरेटेड फैट.

सैचुरेटेड फैट यानी संतृप्त वसा की बात करें तो यह बल्ड कोलेस्टराल को बढ़ाने वाला होता है. यह पशुजन्य खाद्य पदार्थों से प्राप्त वसा जैसे मक्खन, घी, दूध, चीज, क्रीम आदि में पाया जाता है. कुछ तेल जैसे नारियल का तेल, पाम आयल में भी सैचुरेटेड फैट होता है. सामान्य तापक्रम पर यह फैट जमे हुए होते हैं. अत: इन का सेवन 5 से 10 प्रतिशत से अधिक नहीं करना चाहिए.

अब हम अनसैचुरेटेड फैट की बात करें तो यह कोलेस्टराल को कम करने में सहायक होते हैं पर यह भी 2 प्रकार के होते हैं. एक, मोनो अनसैचुरेटेड फैट और दूसरा, पौली अनसैचुरेटेड फैट. मोनो अनसैचुरेटेड फैट स्वास्थ्य की दृष्टि से सर्वोत्तम हैं क्योंकि ये खराब कोलेस्टराल को कम करते हैं. इस में जैतून का तेल बढि़या होता है क्योंकि यह ज्यादा गरम होने पर भी सैचुरेटेड नहीं होता है. रेपसीड आयल, तिल का तेल आदि भी मोनो अनसैचुरेटेड फैट की श्रेणी में आते हैं.

पौली अनसैचुरेटेड फैट कम लाभप्रद है पर इस में ओमेगा 3 और ओमेगा 6 पाए जाते हैं जो हृदय के लिए लाभकारी हैं. ये मुख्यत: सूरजमुखी के तेल, मक्की के तेल, सोयाबीन के तेल आदि में पाए जाते हैं. कहने का मतलब है कि कोलेस्टराल के स्तर को नियंत्रण में रखने के लिए वानस्पतिक तेलों का प्रयोग करना चाहिए. यह कोलेस्टराल रहित होते हैं और इस में मूफा और पूफा की मात्रा अधिक होती है. वजन घटाने व कोलेस्टराल को नियंत्रण करने के लिए तेल का प्रयोग 25 से 30 प्रतिशत कैलोरी से अधिक नहीं करना चाहिए.

मेवों का सेवन करें सीमित मात्रा में

मेवों में कोलेस्टराल नहीं होता है पर वसा की मात्रा अधिक होती है. अत: काजू, मूंगफली, अखरोट और बादाम का सेवन एक सीमित मात्रा में किया जा सकता है. ये दिल की बीमारियों के लिए बेहद मुफीद हैं क्योंकि इन में मिनरल सेलेनियम नामक तत्त्व पाया जाता है. शरीर में इस अत्यंत उपयोगी मिनरल की कमी नहीं होनी चाहिए अत: संभव हो तो रोज मुट्ठी भर मेवा का इस्तेमाल जरूर करना चाहिए.

फल, सब्जी अनाज और दालोें का सेवन खूब करें

संतरे, लाल और पीले रंग के फल, सब्जियां और गहरे रंग की बेरीज का सेवन ज्यादा से ज्यादा करना चाहिए. छिलकेदार दालें, चोकरयुक्त आटा, साबुत अनाज, दलिया, ईसबगोल आदि में घुलनशील फाइबर खूब पाए जाते हैं. इसी तरह सेब, नाशपाती में भी खूब घुलनशील फाइबर पाए जाते हैं. यह घुलनशील फाइबर कोलेस्टराल को बांध लेते हैं और शरीर में उस के जज्ब होने की क्रिया पर रोक लगा देते हैं.

मीठे और साफ्ट ड्रिंक्स से करें परहेज

मीठी चीजों जैसे केक, पेस्ट्री, मुरब्बा, चाकलेट, जैम, शहद और कोल्ड ड्रिंक्स आदि से दूर रहें क्योंकि इन सब में कैलोरीज बहुत होती है. कहने का मतलब है कि चीनी में सरल कार्बोज के अतिरिक्त अन्य कोई पोषक तत्त्व नहीं होता है. इस के अत्यधिक सेवन से ड्राइग्लिसरिन का स्तर बढ़ जाता है साथ ही वजन में भी अनचाही वृद्धि होती है. अत: वजन पर नियंत्रण रखने के लिए मीठी चीजों से दूर रहें. ध्यान रहे, कुछ कंदमूल वाली सब्जियां जैसे शकरकंदी, चुकंदर आदि भी कम इस्तेमाल करें.

कच्चा लहसुन जरूर खाएं

अपने खाने में लहसुन का इस्तेमाल जरूर करें. यह हृदय संबंधी रोगों में काफी लाभदायक रहता है. दिन में कम से कम एक जवा लहसुन सूप, कैसररोल्स और सलाद के साथ लें अथवा एक जवा लहसुन बिना चबाए पानी के साथ सुबहसवेरे निगल जाएं. इस के सेवन से कोलेस्टराल के स्तर में गिरावट आती है साथ ही खून के थक्के जमने की प्रक्रिया भी धीमी पड़ जाती है.

सलाद खूब खाएं

सिर्फ भोजन के साथ ही सलाद का प्रयोग न करें बल्कि जब भी भूख लगे तो गाजर, मूली, ककड़ी, खीरा, प्याज, टमाटर आदि खाएं. यह अल्पाहार के लिए अच्छा विकल्प है. इन का नियमित सेवन खराब कोलेस्टराल स्तर में गिरावट लाता है.

मांसाहार का सेवन न के बराबर करें

कोलेस्टराल पर नियंत्रण रखने के लिए जरूरी है कि मांस का सेवन न करें. मांस खासकर अंगों का मांस जैसे सुअर की चरबी, कलेजी, मुर्गा, अंडे का पीला भाग न खाएं. यह सभी कोलेस्टराल से भरपूर होते हैं. मांसाहारी मछली खा सकते हैं क्योंकि उस में ओमेगा फैटी एसिड पाए जाते हैं जो खून में विद्यमान हानिकारक ट्राइग्लिसराइड की मात्रा को घटाते हैं.

जंक फूड से करें तौबा

देशीविदेशी जंक और फास्ट फूड जैसे छोलेभठूरे, बर्गर, कचौड़ी, आलू की टिक्की, समोसे, पिज्जा से भी नाता तोड़ दें.

व्यायाम जरूर करें

प्रतिदिन 30 से 45 मिनट एक्सरसाइज जरूर करें. इस से रक्त में से वसा शरीर से बाहर निकलने की क्षमता में वृद्धि होती है. वसा अधिक देर रक्त में टिक नहीं पाती. उपरोक्त सावधानियां के अलावा सदैव खुश व प्रसन्न रहने की कोशिश करें. धूम्रपान न करें और न ही शराब का सेवन करें. कभीकभी जीवनशैली में बदलाव के बावजूद कोलेस्टराल का स्तर कम नहीं होता तो डाक्टर की सलाह से दवा ले कर उस को कम करना पड़ता है. जरूरी बात यह है कि सावधानी बरती जाएगी तो हमारा हृदय भी ज्यादा समय तक सुरक्षित रहते हुए सही काम करेगा.

रक्त में लिपिड स्तर को ऐसे करें कंट्रोल

1.    उचित मात्रा में भोजन करें.

2. वसा का सीमित मात्रा में सेवन करें.

3.    संतृप्त वसा का सेवन कम से कम करें.

4.    हाइड्रोजनीकृत वसा का सेवन न करें.

5.    फाइबर की पर्याप्त मात्रा का सेवन करें.

6.    कोलेस्टराल की ग्रहण की गई मात्रा को कम करें.

7.    चीनी और परिष्कृत कार्बोज का सेवन कम से कम करें.

‘‘आहार में मार्जरीन और बटर दोनों का प्रयोग कम करना चाहिए’’

-गीतू अमरनानी (न्यूट्रिनिस्ट)

बटर की जगह मार्जरीन के इस्तेमाल से कोलेस्टराल कम होता है?

मार्जरीन और बटर दोनों में ही वसा बहुत पाई जाती है. इसलिए इन का प्रयोग कम करना चाहिए. आहार के लिहाज से ब्लड में कोलेस्टराल का स्तर इस बात पर निर्भर करता है कि भोजन में सैचुरेटेड फैट कितने लिए गए हैं. सैचुरेटेड फैट की मात्रा को कम करने से ही कोलेस्टराल के स्तर को कम किया जा सकता है. मार्जरीन में सैचुरेटेड फैट कम होता है इसलिए यह दिल के लिए स्वास्थ्यकर है. अच्छा हो कि ‘फैट फ्री मार्जरीन’ का प्रयोग किया जाए.

क्या दुबले लोगों को भी कोलेस्टराल की चिंता करनी चाहिए?

मोटे लोगों में कोलेस्टराल लेबल फैटी फूड खाने से ज्यादा बढ़ता है परंतु पतले लोगों को भी अपना कोलेस्टराल चैक कराते रहना चाहिए. उन का वजन तो नहीं बढ़ता है पर उन्हें यह नहीं पता चलता है कि वे कितना सैचुरेटेड फैट खा रहे हैं.

क्या कोलेस्टराल फ्री आहार एक हाई हेल्दी फूड भी है?

ज्यादातर लो कोलेस्टराल फूड में भी हाई सैचुरेटेड फैट पाए जाते हैं. इसलिए यह ध्यान रखना चाहिए कि जो आहार लें उसे चैक करें कि उस में सैचुरेटेड फैट, टोटल फैट, कोलेस्टराल और एक सर्विंग से कितनी कैलोरी प्राप्त होगी. तभी खाएं.

हाई कोलेस्टराल को रोकने के लिए यदि दवा खाना शुरू कर दिया है तो फिर सबकुछ खापी सकते हैं या नहीं?

कोलेस्टराल के स्तर को कम करने के लिए दवा के अलावा भोजन में सावधानी बरतनी भी जरूरी है. दवा के साथसाथ आधे से 1 घंटे तक नियमित एक्ससाइज भी करनी चाहिए.

क्या अंडे खाने से कोलेस्टराल नहीं बढ़ता है? क्या सुबह के नाश्ते मेें 2 अंडे लिए जा सकते हैं?

एक अंडे में 213 मिलीग्राम कोलेस्टराल होता है. यह बहुत ज्यादा है क्योेंकि सारे दिन में 300 मिलीग्राम से अधिक कोलेस्टराल का सेवन नहीं करना चाहिए. यदि एक अंडा लेना ही है तो दिन भर भोजन में सिर्फ हरी सब्जियों का ही सेवन करें.

क्या युवावस्था में ही कोलेस्टराल की जांच जरूरी है?

अच्छा है कि युवावस्था में ही कोलेस्टराल की जांच करा लेनी चाहिए क्योंकि जिन परिवारों में दिल का दौरा पड़ने का इतिहास रहा है वहां बच्चों में भी कोलेस्टराल का स्तर ज्यादा पाया जाता है.

  कोलेस्टराल के बारे में अपने डाक्टर से पूछें ये प्रश्न

1.    मेरा ड्राइग्लिसराइड लेवल क्या है?

2.    क्या मुझे अपने कोलेस्टराल और ड्राइग्लिसराइड लेवल की जांच करानी चाहिए? खासतौर से जब घर में किसी को है?

3.    क्या मेरा शरीर ‘एप्पल शेप’ है?

4.    क्या भोजन पर नियंत्रण कर के बीमारियों से बचा जा सकता है?

5.    क्या एक्सरसाइज करने से मेरा ड्राइग्लिसराइड का स्तर कम हो जाएगा?

6.    कोलेस्टराल के कारण जो भोजन मैं करूं क्या वही भोजन मेरे परिवार के लिए भी ठीक रहेगा?

7.    क्या कोलेस्टराल का बढ़ना आनुवंशिक है?

8.    हमारे बच्चों को क्याक्या सावधानियां बरतनी चाहिए?

Summer Special: गुलाब जल के इन 5 टिप्स से निखारें रूप

मुंहासों की समस्या को दूर करने के लिए गुलाब जल का इस्तेमाल करना बहुत ही फायदेमंद होता है. यह त्वचा को साफ करने के साथ ही अपने एंटी-बैक्टीरियल गुण से संक्रमण भी दूर करता है. ये त्वचा पर मौजूद धूल और दूसरी अशुद्धियों को साफ करने का काम करता है. इसके अलावा, अगर आप नियमित रूप से गुलाब जल का इस्तेमाल करते हैं तो इससे त्वचा में कसावट आती है.

यह त्वचा के प्राकृतिक पीएच स्तर को बनाए रखने में मददगार होता है और मुंहासों के बनने के लिए उत्तरदायी बैक्टीरिया को पनपने से रोकता है. हालांकि यह बेहद धीमी गति से अपना असर दिखाता है, इसलिए अगर आप मुंहासों की समस्या के लिए गुलाब जल का इस्तेमाल कर रहें हैं तो आपको पर्याप्त धैर्य रखने की जरूरत होगी. जिन लोगों की त्वचा अति संवेदनशील है, उनके लिए गुलाब जल के इस्तेमाल से बेहतर कुछ भी नहीं.

गुलाब जल को आप रुई में भिगोकर भी चेहरे पर लगा सकते हैं लेकिन आप चाहें तो गुलाब जल को इन तरीकों से भी इस्तेमाल में ला सकते हैं –

1. नींबू के साथ गुलाब जल मिलाकर

नींबू में अम्लीय गुण होता है जबकि गुलाब जल में ठंडक देने का. जब इन दोनों को साथ में मिलाया जाता है तो यह एक बेहतरीन उत्पाद बन जाता है. मुंहासों को बढ़ने से रोकने और उनकी रोकथाम के लिए यह एक बेहतरीन उत्पाद है. नींबू के रस की जितनी भी मात्रा आप लें, गुलाब जल की मात्रा उसकी दोगुनी होनी चाहिए. इस मिश्रण को चेहरे पर पंद्रह मिनट तक लगाकर छोड़ दें और फिर साफ पानी से चेहरा साफ कर लें.

2. संतरे के छिलके के पाउडर को गुलाब जल में मिलाकर लगाएं

संतरे के छिलके को धूप में सुखाकर उसे पीस लें. यह पाउडर त्वचा में निखार लाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. इसमें पर्याप्त मात्रा में विटामिन सी पाया जाता है जो मुंहासों की समस्या को दूर करने में मददगार होता है. इस पाउडर में थोड़ी सी मात्रा में गुलाब जल मिलाकर एक पेस्ट तैयार कर लें. इस पेस्ट को प्रभावित जगह पर लगाकर कुछ देर के लिए छोड़ दें. उसके बाद गुनगुने पानी से चेहरा साफ कर लें.

3. चंदन पाउडर के साथ गुलाब जल मिलाकर लगाना भी है फायदेमंद

चंदन पाउडर के साथ गुलाब जल मिलाकर लगाने से एक ओर जहां चेहरे पर निखार आता है वहीं मुंहासों की समस्या भी दूर हो जाती है. चंदन पाउडर में एंटी-बैक्टीरियल गुण होता है जिससे बैक्टीरिया पनपने नहीं पाते हैं.

4. मुलतानी मिट्टी के साथ गुलाब जल का मिश्रण

रूप निखारने के लिए मुलतानी मिट्टी का इस्तेमाल सदियों से किया जाता रहा है. इसे गुलाब जल के साथ मिलाकर लगाने से एक ओर जहां त्वचा में निखार आता है वहीं त्वचा से जुड़ी कई समस्याएं भी दूर हो जाती हैं.

5. अदरक के साथ गुलाब जल को मिलाकर लगाना भी है फायदेमंद

अदरक में एंटी-बैक्टीरियल गुण पाया जाता है. यह मुंहासों की समस्या के लिए बेहद कारगर उपाय है. मुंहासों की समस्या को दूर करने के लिए और भविष्य में उन्हें पनपने से रोकने के लिए इस मिश्रण का इस्तेमाल करना बेहद फायदेमंद होता है.

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समर में ब्लैकहैड्स और पिंपल्स से कैसे बचें?

सवाल-

गरमियां शुरू होते ही मेरे चेहरे पर ब्लैकहैड्स और पिंपल्स निकलने शुरू हो जाते हैं. मुझे क्या करना चाहिए?

जवाब-

गरमियों में स्किन ज्यादा औयल प्रोड्यूस करती है और उस के ऊपर धूलमिट्टी व गंदगी मिल कर ब्लैकहैड बन जाते हैं. अगर इन ब्लैकहैड्स को न निकाला जाए तो इन में इन्फैक्शन हो कर ये एक्ने में तबदील हो जाते हैं. सब से ज्यादा जरूरी है कि चेहरे को साफ रखा जाए. अगर एक्ने नहीं हैं सिर्फ ब्लैकहैड्स हैं तो फेस पर रोज स्क्रब करने से एक्ने होने के चांसेज कम हो जाते हैं और अगर ऐक्टिव एक्ने हो चुके हैं तो स्किन टोनर से फेस को साफ करती रहें.

नीम के पत्ते या पुदीने के पत्ते पीस कर हरे रंग का रस निकाल लें और उसे ऐक्टिव एक्ने पर दिन में

2 या 3 बार लगाएं. इस से एक्ने निकलने भी कम हो जाते हैं. ज्यादा मीठा खाने से बचें. जब भी आप खाएं आम खाएं, उस के साथ ठंडी लस्सी पीएं. गरमियों में आम खाने की वजह से भी एक्ने बढ़ जाते हैं. गरमियों में खूब पानी पीएं. नीबू पानी भी पीती रहें.

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बेदाग स्किन की चाह हर महिला रखती है. मगर यदि चेहरे पर एक भी पिंपल आ जाए तो सुंदरता में कमी आ जाती है. पिंपल्स दूर करने के लिए महिलाएं न जाने कितने प्रयास करती हैं पर रिजल्ट कोई खास नहीं निकलता. मगर अब आप को परेशान होने की जरूरत नहीं है, क्योंकि हम आप को कुछ ऐसे होममेड फेस पैक की जानकारी दे रहे हैं, जो चेहरे पर दिखाई देने वाले दागों व जिद्दी पिंपल्स को जड़ से खत्म कर आप को देंगे चमकती-दमकती स्किन.

क्यों होते हैं मुंहासे

वैसे तो मुंहासों की समस्या तैलीय त्वचा पर ज्यादा होती है, लेकिन आजकल हरकोई मुंहासों से परेशान रहता है. इस का कारण है खराब लाइफस्टाइल, हारमोनल बदलाव और गलत व जल्दीजल्दी कौस्मैटिक प्रोडक्ट्स चेंज करना.

मुंहासे तब होते हैं जब स्किन के रोमछिद्रों में तेल व डैड स्किन इकट्ठी हो जाती है. यह मुंहासों का कारण बनती है. असल में सीबम औयल स्किन के रोमछिद्र में उत्पन्न होता है. सीबम खराब सैल्स को रोमछिद्र से बाहर लाने में मदद करता है, जिस से नए सैल्स बनते हैं. मगर कई बार हारमोंस की गड़बड़ी के कारण सीबम औयल ज्यादा मात्रा में बनने लगता है, जिस से रोमछिद्र बंद हो जाते हैं और मुंहासे हो जाते हैं.

ऐक्नों से छुटकारा पाने वाले फेस पैक

1. ऐलोवेरा व नीबू का कौंबिनेशन

ऐलोवेरा में ऐंटीऔक्सीडैंट गुण होने के कारण यह डैमेज स्किन की रिपेयर करता है. विटामिन सी, ई और जिंक की मौजूदगी मुंहासों को खत्म करने के साथसाथ दागधब्बों को हटाने का भी काम करती है, जिस से स्किन क्लीयर व स्मूद नजर आती है.

Cannes Film Festival 2022 में दोबारा हुस्न के जलवे बिखेरेंगी Hina Khan

Cannes Film Festival करीब दो साल के गैप के बाद दोबारा आयोजित होने वाला है, जिसमें ऐश्वर्या राय से लेकर दीपिका पादुकोण तक कई बौलीवुड एक्ट्रेसेस हिस्सा ले चुकी हैं. हालांकि टीवी एक्ट्रेस हिना खान (Hina Khan) भी साल 2019 में इसका हिस्सा रही थीं, जिसमें उन्होंने अपने लुक के कारण काफी सुर्खियां बटोरी थीं. वहीं एक बार फिर वह इस जश्न में शिरकत करते हुए नजर आने वाली हैं. हालांकि बीते दो साल में उनके फैशन में काफी बदलाव आ चुका है. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर…

2019 में किया था डेब्यू

 

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साल 2019 में पहली बार Cannes Film Festival का हिस्सा बनने वाली एक्ट्रेस हिना खान कई फैशन शोज का हिस्सा रह चुकी हैं. हालांकि Cannes Film Festival में उन्हें कई मुसीबतों का सामना करना पड़ा था. वहीं एक इंटरव्यू में एक्ट्रेस ने टीवी और बौलीवुड एक्ट्रेसेस के साथ होने वाले भेदभाव के बारे में भी जिक्र किया था. लेकिन इस बार वह पूरी तरह तैयार हैं.

 

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फैशन में नहीं हैं कम

 

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वेबसीरीज औऱ बौलीवुड की फिल्मों में हाथ आजमां चुकीं एक्ट्रेस हिना खान टीवी इंडस्ट्री की पौपुलर एक्ट्रेसेस में से एक हैं. वहीं फैशन की बात करें तो वह बौलीवुड हसीनाओं को कड़ी टक्कर देते हुए नजर आती हैं, जिसका अंदाजा एक्ट्रेस के औफिशियल इंस्टाग्राम अकाउंट को देखकर लगाया जा सकता है.

 

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इंडियन लुक में जीतती हैं फैंस का दिल

 

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वेस्टर्न लुक के अलावा एक्ट्रेस हिना खान का इंडियन लुक आज भी फैंस के दिलों पर राज करता है. सीरियल ये रिश्ता क्या कहलाता है में एक से बढ़कर एक लहंगे से लेकर साड़ियों में नजर आ चुकीं एक्ट्रेस हिना खान का फैशन बेहद खूबसूरत है. वह सिंपल से सिंपल लुक को स्टाइलिश बना देती है, जिसे फैंस काफी पसंद करते हैं. वहीं कई लोग उनकी फैशन टिप्स को फौलो करना नहीं भूलतें.

बता दें, एक्ट्रेस हिना खान जल्द ही Cannes Film Festival 2022 का हिस्सा बनने वाली हैं, जिसके चलते वह तैयारियों में बिजी है.

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Summer Special: North East में गुजारें खूबसूरत पल

जीवन में चाहे जितनी कठिनाइयां क्यों न आएं लेकिन अगर आप अपनों को समय देते हुए साथ साथ काम करते चलते हैं तो कठिनाइयां चुटकियों में कम हो जाती हैं. अपने बिजी शेड्यूल से कुछ वक्त चुराइए और आ जाइए नार्थ की इन रोमांटिक डेस्टिनेशन पर जाए. जहां आप और आपके पार्टनर के बीच सारी गलतफहमियां खत्म हो जायेंगी.

शादी एक ऐसा पवित्र बंधन जो न सिर्फ दो लोगों या दो परिवारों को मिलाती है बल्कि दो आत्माओं को भी एक करती है. एक ऐसी गांठ जो लाइफ को प्यार, आनंद और रोमांस की ओर ले जाता है. तो क्यों न इसमें एक ट्विस्ट डाले जो जाए एक सुखद रोमांटिक ट्रीप पर. पर ज्यादातर लोग यह सोचकर परेशान हो जाते हैं कि आखिर जाए कहां. अपने रोमांटिक ट्रीप को यादगार कैसे बनाए.

तो आइए हम आपको कुछ खूबसूरत और आनंद से भरे रोमांटिक डेस्टिनेशन के बारे में बताते हैं.

1. चंबा

उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल जिले में स्थित चंबा रोमांटिक युगल के लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं है. प्रदूषित रहित वातावरण, शांत व मनोरम दृश्य, ऊंचे ऊंचे घने वृक्ष, नदी का कल कल करता पानी और यहां की संस्कृति आपको बेहद भाएगी, कि आप यहीं रह जाने को सोचने लगेंगे. यह जगह सेब के बाग के लिए भी मशहूर है. यहां आप कई आकर्षक मंदिरों के भी दर्शन कर सकते हैं.

2. शिलांग

पूर्वोत्तर भारत का बेहद आकर्षक स्थल शिलांग पूर्वोत्तर भारत का स्कॉटलैंड कहा जाता है. हरे भरे घने जंगल, फूलों की मनमोहक खुशबु, बादलों को ओढ़े पहाड़ और पानी का शोर यह सब देखके मन शिलांग की खूबसूरती में डूब जाता है. यहाँ के लोग और उनकी संस्कृति भी बेमिसाल है, मेहमानों की खातिरदारी का यह एक जीत जागता उदाहरण हैं.

3. नुब्रा घाटी

लद्दाख के बाग के नाम से जाना जाने वाली नुब्रा घाटी फूलों की घाटी कहलाती है. गर्मियों के मौसम में यहाँ पीले रंग के जंगली गुलाब खिल जाते हैं. जिनका दृश्य बेहद लुभावना लगता है. साल बाहर बर्फ से ढकी रहने वाली नुब्रा घाटी कारण विश्व प्रसिद्ध है, जिसे हर युगल जोड़ा पसंद करती है, इसकी ठंडी वादिया प्यार को गर्म करने की कोशिश करती है.

4. सापूतारा

गुजरात का हरा भरा और गुजरात की नमी को समेटे हुए सापूतारा बेहद लोकप्रिय स्थल है. सापूतारा झील, सूर्यास्त प्वाइंट, सूर्योदय प्वाइंट, टाउन व्यू प्वाइंट और गांधी शिखर जैसे कई आकर्षणों के लिए जाना जाता है. यहाँ कई अभ्यारण,पार्क और बाग़ हैं- वंसदा नेशनल पार्क, पूर्णा अभयारण्य, गुलाब उद्यान, रोपवे सापूतारा आदि. यहाँ आकर आप प्राकृतिक नज़ारों का जी भर के लुफ्त उठा सकते हैं.

5. कलिम्‍पोंग

कलिम्‍पोंग भारत के पश्चिम बंगाल राज्‍य में स्थित यह आकर्षक स्थल हमेशा से ही पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रहा है. आप अपने पार्टनर के साथ यहाँ आ सकते हैं क्यूंकि यहाँ की बर्फ से ढकी चोटियां एक बेहद रोमांटिक दृश्य प्रस्तुत करती हैं. यहाँ की ठंडी ठंडी हवा आपकी सारी थकान पल-भर में गायब कर देगी, जिससे आप एकदम रिलेक्स फील करेंगे.

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हैप्पी मैरिड लाइफ: जीवन का आधार

शादी अपने साथ कई चुनौतियां ले कर आती है. यदि खुशी है तो गम भी आप की जिंदगी का हिस्सा होता है. ऐसे में जरूरी है कि आप उस में संतुलन बना कर चलें. पति और पत्नी एक सिक्के के दो पहलू हैं. दोनों में  से एक को कभी भी किसी मोड़ पर दूसरे की जरूरत पड़ सकती है. ऐसे में ध्यान रखना आवश्यक है कि आप उसे परेशानी नहीं समझें बल्कि अपना कर्तव्य समझ कर समझदारी से काम लें.

ऐसा ही कुछ अभिनव और आरती के साथ हुआ. अभिनव की नौकरी किसी कारणवश छूट गई जिस के चलते वह घर में रहने लगा. वह चिड़चिड़ा होने के साथ गुस्सैल स्वभाव का बरताव करने लगा. उस का ऐसा बरताव आरती से सहन नहीं हो पाया और वह अपने मायके में जा कर बैठ गई.

आरती को थोड़े संयम की आवश्यकता थी. आरती को समझने की जरूरत थी कि समय कभी एकजैसा नहीं रहता. यदि आज परेशानी है तो कल उस से छुटकारा भी मिल ही जाएगा. आइए जानें किस तरह पत्नियां स्वयं को घर में कैद न समझ, प्रेमपूर्वक अपने जीवनसाथी का साथ निभाएं :

पति, पत्नी का मजबूत रिश्ता

प्यार व विश्वास पर टिका है पतिपत्नी का रिश्ता. किसी भी इमारत को बनाते समय इस बात का ध्यान रखा जाता है कि उस की नींव मजबूत हो, अगर नींव मजबूत नहीं होगी तो इमारत गिरने का खतरा हमेशा बना रहेगा. ठीक इसी तरह पतिपत्नी के रिश्ते की इमारत के 2 आधार स्तंभ होते हैं प्यार और विश्वास. यही स्तंभ अगर कमजोर हों तो रिश्ता ज्यादा समय नहीं चल सकता. जिन पतिपत्नी के बीच ये दोनों बातें मजबूत होती हैं, उन का दांपत्य जीवन सुखमय बीतता है.

बीमार पड़ने पर

जब आप को पता चले कि आप का जीवनसाथी किसी बीमारी से ग्रस्त है तो जरूरी है कि आप प्यार और संयम से काम लें. जीवनसाथी में यदि पति किसी बीमारी से ग्रस्त है तो पत्नी ध्यान दे कि इस समय उन के पति को सब से ज्यादा उन के सहयोग की उन्हें आवश्यकता है क्योंकि ज्यादातर पुरुषों को कार्य के सिलसिले में बाहर रहना पड़ता है और जब उन्हें घर में बैठना पड़ जाता है तो उन से यह कतई बरदाश्त नहीं हो पाता है.

साथ ही, बीमार होने के कारण उन का चिड़चिड़ापन और बातबात में गुस्सा आना स्वाभाविक हो जाता है. ऐसे में पत्नियों का बेहद महत्त्वपूर्ण योगदान होता है. पत्नियां प्यार और धैर्य से उन्हें समझाती हैं और उन का ध्यान रखती हैं.

ऐसे बहुत से जोड़े देखने को मिलते हैं जो अपनी जिंदगी के मुश्किल दौर में एकदूसरे का साथ दे पाए हैं. यहां तक कि उन्होंने गंभीर बीमारी के साथ खुशीखुशी जीना भी सीख लिया है.

ऐसा ही कुछ अक्षय और पारुल के साथ हुआ. अक्षय की रीढ़ की हड्डी में चोट लगने के कारण वह बिना किसी की मदद के जरा भी हिलडुल नहीं सकता था. उस की पत्नी पारुल ने समझदारी से उस का साथ निभाया. वह हमेशा अक्षय के साथ रहती थी, उस की हर जरूरत को पूरा करती थी, यहां तक कि करवट लेने तक में भी उस की मदद करती थी. वह अपने पति और अपने रिश्ते को पहले से भी अधिक मजबूत महसूस कर रही थी.

तालमेल है जरूरी

अकसर देखा जाता है कि पति की नाइटशिफ्ट की जौब होती है जिस में पति पूरी रात औफिस में रहता है और पूरा दिन घर में आराम करता है. या फिर शिफ्ट चेंज होती रहती है. ऐसे में जौब करना चाहते हुए भी पत्नियां अपने जीवनसाथी की देखभाल के लिए घर में रहती हैं क्योंकि औरों को देखते हुए उन की दिनचर्या का पूरा सिस्टम ही अलग तरह से चलता है. जब पति पूरी रात कार्य करेंगे तो वे पूरा दिन घर में आराम करेंगे. ऐसे में पत्नी को उन के नहाने, खाने व सोने आदि का ध्यान रखते हुए अपने कार्यों का एक रुटीन बनाना होता है.

आभा, जिन के पति की नाइटशिफ्ट की नौकरी है, बताती हैं, ‘‘मेरे पति जब घर पर आते हैं तो मैं ध्यान रखती हूं कि उन के सोने के समय में कोई भी उन्हें परेशान न करे क्योंकि वे पूरी रात के जगे होते हैं. मैं उन के आने से पहले उन का नाश्ता और बाकी सभी चीजों का ध्यान रखती हूं जो उन्हें चाहिए होती हैं. हम दोनों में किसी भी तरह का मनमुटाव नहीं है.’’

जौब छूट जाने पर

औफिस में किसी परेशानी के चलते या फिर किसी कारणवश पति की अच्छीखासी जौब छूट जाती है, तो नई जौब मिलने तक पति को अपनी पत्नी की सब से ज्यादा आवश्यकता होती है. ऐसे में सब से ज्यादा साथ देने वाली पत्नियां अपने रिश्ते को और भी मजबूत बना लेती हैं. जब पति कमा कर लाता है तो हर पत्नी को अच्छा लगता है लेकिन जब वही पति घर में बैठ जाता है तो वह उन से बरदाश्त नहीं होता है.

जौब छूटने पर पति मानसिक रूप से टूट जाते हैं लेकिन एक समझदार पत्नी  उन का ध्यान रखने के साथ उन का मनोबल बढ़ाती है, घर में रह कर उन की जरूरतों को पूरा करती है जिस से पति को किसी भी तरह तनाव महसूस न हो, वह अपने को अकेला महसूस न करे. साथ ही, नई नौकरी ढूंढ़ने में पत्नी उन का पूरा साथ देती है. वह अपने पति के खानपान और रहनसहन का पूरा खयाल रखती है. इस तरह दांपत्य खुशहाल रहता है.

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