आर्यन के सामने जाएगी Imlie की जान! देखें वीडियो

सीरियल इमली (Imlie ) की टीआरपी इन दिनों बढ़ती जा रही है, जिसके चलते वह नागिन 6 को भी पीछे छोड़ चुकी है. दरअसल, सीरियल में आर्यन (Fehmaan Khan) और इमली (Sumbul Tauqeer Khan) की नोकझोंक फैंस को बेहद पसंद आ रहा है. हालांकि अपकमिंग एपिसोड में इमली की जान खतरे में पड़ने वाली है. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे (Imlie Serial Update)…

किडनैप हुई इमली

अब तक आपने देखा कि पूरन सिंह, इमली पर हमला करता है और उसे किडनैप कर लेता है. हालांकि इमली उसके खिलाफ सबूत जुटाने में कामयाब हो जाती है. लेकिन पूरन सिंह, इमली को जान से मारने की बात कहता है. वहीं इमली को बचाने के लिए आर्यन आता है, जिसके बाद गुंडों और आर्यन के बीच लड़ाई होती है. लेकिन वह हार जाता है.

आर्यन को पता चलेगा सच

अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि पूरा परिवार इमली और आर्यन के लिए परेशान होगा और उनकी सलामती की दुआ करेगा. वहीं इमली, आर्यन को अरविंद की हत्या के सबूत के बारे में बताएगी. लेकिन आर्यन उससे कहेगा कि सबूत से ज्यादा उसकी जान कीमती है. इसी के साथ पूरन आर्यन को बताएगा कि उसने ही अरविंद को जलाया और मारा था.

आर्यन के सामने जाएगी इमली की जान

 

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इसी के आगे आप देखेंगे कि पूरन सिंह, आर्यन को ये भी बताएगा कि उसने ही आदित्य पर दोष लगाया और रिपोर्ट करने के लिए आदित्य को गलत सबूत भेजे और अरविंद के बारे में अफवाहें उड़ाईं. वहीं पूरण सिंह कहेगा कि पहले उसने अपने जीजा को मरते देखा और अब वह अपनी पत्नी इमली को मरता हुआ देखेगा, जिसके बाद पूरन सिंह, इमली को एक वैन में जंजीरों से बांध कर डाल देगा, जिसमें जहरीला धुआ भर देगा. वहीं इमली की जान को खतरे में देख आर्यन असहाय महसूस करेगा. हालांकि देखना होगा कि क्या इमली की जान जाएगी.

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अनाम रिश्ता: भाग 4- क्या मानसी को मिला नीरस का साथ

जितनी देर दादी रहतीं बकुल बहुत खुश रहता. वे अपने साथ उसे ले जातीं कभी आइस्क्रीम पार्लर तो कभी डिनर या लंच पर धीरेधीरे उन्होंने उन के साथ भी नजदीकियां बढ़ा लीं. वे बोलीं कि यहां अकेले रहती हो. वहां इस के बाबा तो तुम लोगों को देखने के लिए तरस रहे हैं… आदि वहां अपना बुटीक चला ही रहा है, उसी में काम बढ़ा लेना.

अनिश्चित सी धारा में जीवन बहे जा रहा था. बकुल भी बड़ा हो रहा था. वह उद्दंड और जिद्दी होता जा रहा था. उन के लिए उसे अकेले संभालना मुश्किल होता जा रहा था. वह उन्हें ही दोषी मानता था कि दादी का घर आप ने क्यों छोड़ा. वह कहता कि किसी दिन बाबा के पास अकेले ही चला जाएगा.

वह स्कूल नहीं जाना चाहता था, ट्यूशन

नहीं पढ़ना चाहता. बस मोबाइल या लैपटौप पर गेम खेलने में मशगूल रहता. वे तरहतरह से समझया करतीं.

मम्मी कभी किसी गुरु से ताबीज ला कर पहनातीं तो कभी उन की भभूत या जल उद्दंड बकुल उन्हीं के सामने उठा कर फेंक देता. उन्हें भी इन चीजों पर कोई विश्वास नहीं था.

पापा का पैसे का दिखावा बंद ही नहीं होता था. आज ये गुरुजी आ रहे हैं तो कल अखंड रामायण हो रही है. बेटी तुम इस मंत्र का जाप करते हुए 11 माला किया करो. बिटिया तुम्हारा मंगल भारी है इसीलिए वैवाहिक जीवन में संकट आ जाता है. मंगल का व्रत किया करो. बाबूजी मैं ऐसी पूजा करूंगा कि बिटिया के जीवन में खुशियां लौट आएंगी.

वे क्रोध में धधक पड़ी थीं, ‘‘पापा आप मेरी चिंता बिलकुल छोड़ दें. यदि ये गुरुजी मेरे जीवन में खुशियों की गारंटी लेते हैं तो ये अपना जीवन क्यों नहीं सुधार लेते? पाखंडी ठग कहीं के. बस लोगों को मूर्ख बना कर पैसा ऐंठना ही इन का धंधा है.’’

पापा भी उस दिन उन से नाराज हो गए कि यह जनम तो बिगड़ ही रखा है अगला भी बिगाड़ रही है. जो मन आए वह करो. कह कर चले गए.

मांपापा से उन्हें चिढ़ हो गई थी. पापा की जल्दबाजी में ही उन का जीवन बरबाद हुआ था. यदि पढ़लिख कर अपने पैरों पर खड़ी होतीं तो भला उन के साथ यह सब होता.

स्वप्निल को दुनिया से विदा हुए 10 वर्ष पूरे हो चुके थे. पापाजी ने उन

की याद में एक मंदिर बनवाया था, जिस का उद्घाटन वे बकुल और उन के हाथों से करवाना चाहते थे, इसलिए पापाजी खुद उन्हें बुलाने के लिए आए थे. बकुल तो उन को देखते ही उन से लिपट गया और उन के साथ ही लखनऊ जाने के लिए मचल उठा. वहां चलने की जिद्द करता हुआ खानापीना छोड़ कर बैठ गया.

वे बकुल की बढ़ती उद्दंडता, उस का मोटापा, उस की बद्तमीजी के कारण परेशान हो चुकी थीं. मम्मीपापा उन को लखनऊ भेजने के लिए बिलकुल भी राजी नहीं थे, परंतु जब वन्या दी गाड़ी ले कर खुद आईं तो वे उन को देख कर भावुक हो गईं और उन के साथ लखनऊ पहुंच गई थी. वहां सब का लाड़प्यार पा कर उन्हें खुशी महसूस हुई थी.

एक बार उन्होंने स्त्रीधन और बकुल की परवरिश व खर्च की बात उठाई तो पापाजी ने उन के सामने सारे कागजात चाहे ऐक्सीडैंट का क्लेम, एफडी, प्रौपर्टी, लौकर से उन के गहने ला कर रख दिए. जब उन्होंने महीने के खर्च की बात करी तो फिर से माहौल गरम हो गया, लेकिन इस बार मम्मीजी ने बीचबचाव कर के यह कह दिया कि यदि यहां नहीं रहना चाहती तो गोमती नगर वाले फ्लैट में रह सकती हो. तुम मेरी बेटी हो, मेरी आंखों के सामने रहोगी और बकुल भी यहां रहेगा तो हम लोगों को खुशी होगी.

पापाजी भावुक हो कर बोले, ‘‘स्वप्निल तो  हम लोगों को छोड़ गया. अब उस की निशानी हम लोगों से मत दूर करो. जितना कुछ है सब बकुल के बालिग होने पर उसे मिलने वाला है. तब तक वे बकुल की कस्टोडियन बनी रहेंगी.’’

मम्मीजी का बुटीक था वे उसे उन्हें सौंपने को तैयार थीं.

एक तरह से सब उन के मनमाफिक हो रहा था. सब से खास बात तो यह थी कि बकुल उन लोगों के बीच बहुत खुश था और वहीं रहने की जिद कर रहा था.

उन्होंने अपनेआप फैसला किया कि बकुल की खुशी के लिए वे यहां रुकने को तैयार हैं. सब के चेहरे पर खुशी छा गई. बकुल दादीबाबा के पास आ कर बहुत ही खुश था.

बकुल का एडमिशन सिटी मौंटेसरी स्कूल में पापा ने करवा दिया. घर के कामों के लिए मम्मीजी ने सुरेखा को भेज दिया. सबकुछ उन के अनुकूल ही हो रहा था. बकुल की ट्यूशन के लिए पापाजी ने नीरज को भेज दिया.

लगभग 35-40 का नीरज गेहुएं रंग का सुदर्शन सा युवक था. वह सहमासहमा सा रहता, लेकिन पहली नजर में ही उन्हें वह अपनाअपना सा लगा. वह बकुल को पढ़ाने के साथसाथ इतना लाड़दुलार करता कि वह उन की बातों को बहुत ध्यान से सुनता और उन का कहना मानता. उस के स्वभाव में जल्द ही परिवर्तन दिखने लगा. वह अपने सर का इंतजार करता और उन का दिया होमवर्क पूरा कर के रखता.

धीरेधीरे नीरज उन से भी खुलने लगे थे. उन की पत्नी भी अपने बेटे को

ले कर उन्हें छोड़ कर अपने आशिक के साथ चली गई थी, इसलिए बकुल में उन्हें अपना बेटा सा नजर आता था.

वे स्वयं भी अपनी परित्यक्ता मां के इकलौते चिराग थे. अपनी मां के संघर्षों को, उन के अकेलेपन को, उन की मुसीबतों को बहुत नजदीक से देखा और महसूस किया था और अब किसी तरह से पोस्ट ग्रैजुएट हो कर एक कालेज में लैक्चरर बन गए थे, जहां क्व12 हजार दे कर क्व40 हजार पर साइन करवाते थे. अखिल अंकल उन के पापा के पुराने दोस्त थे और उन पर उन के बहुत एहसान भी थे. उन्हें पैसे की जरूरत भी थी. बस वे इस ट्यूशन के लिए तैयार हो गए थे.

बकुल को देख उन्हें अपने बचपन की दुश्वारियां और अकेलापन याद आने लगता था, इसलिए उन्हें अपना खाली समय उस के साथ बिताना अच्छा लगता था. वे छुट्टी वाले दिन बकुल को ले कर कभी अंबेडकर पार्क, कभी जू तो कभी इमामबाड़ा ले कर जाते और दोनों साथ में मस्ती कर के खुश होते. शायद बकुल को नीरज के अंदर अपने पापा की प्रतिमूर्ति दिखने लगी थी. बकुल के सुधरने की वजह से वे उन की बहुत एहसानमंद थी.

कभी नीरज अपनी दुख की कहानी सुनाते तो कभी वे अपने जीवन की व्यथा सुनातीं. बस दोनों को एकदूसरे से बातें करना अच्छा लगता. वे मन ही मन उन्हें प्यार करने लगी थीं. नीरज के लिए नाश्ता बनातीं, उन के आने से पहले तैयार हो जातीं और उन का इंतजार करतीं. जब नीरज के चेहरे पर मुसकराहट आती तो उन्हें बहुत अच्छा लगता था. जब वहे उन की बनाई चाय या खाने की तारीफ करते तो वे खुश हो जातीं.

चाहे उन की इच्छा हो या बकुल को पूरा करने के लिए वे हर समय तैयार रहते.

उन का बुटीक भी अच्छा चल रहा था. बकुल को हाई स्कूल में 98% मार्क्स मिले उन के तो पैर ही जमीं पर नहीं पड़ रहे थे.

मम्मीजीपापाजी उन की और नीरज की नजदीकियों से नाराज हो गए थे, लेकिन अब उन्हें किसी की परवाह नहीं थी. बकुल अपने दोस्तों और कोचिंग में बिजी हो गया था, परंतु नीरज के साथ वह अपनी सारी बातें शेयर करता.

नीरज के बिना अब उन्हें अपनी जिंदगी अधूरी लगने लगी थी. बकुल बड़ा हो

चुका था. वहीं लखनऊ से ही इंजीनियरिंग कर रहा था. उन्हें अपनी जिंदगी से कोई शिकायत नहीं थी और न ही अब कोई परवाह थी कि कौन क्या कह रहा है. जिसे मन हो रिश्ता जोड़ें न मन हो तो तोड़ दे. वे अपनी दुनिया में खुश थीं, नीरज को पहली नजर में देखते ही उन्हें एहसास हुआ था कि हां यही प्यार है. प्यार में कोई ऐक्सपैक्टेशन नहीं होती. बस बिना किसी चाहत के किसी को दिलोजान से चाहो. शायद इसे ही प्यार में डूब जाना कहते हैं.

नीरज ने हर कदम पर उन का साथ दिया था यद्यपि दोनों ने ही इस रिश्ते को कोई नाम नहीं दिया था, लेकिन इस अनाम रिश्ते ने उन के जीवन में पूर्णता ला दी थी.

घंटी की आवाज से उन की तंद्रा टूटी.

नीरज तैयार हो कर आए तो वे अपने पर कंट्रोल नहीं कर सकीं और बच्चे की तरह उन की बांहों में झल गईं.

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#aliakishaadi: भाई रणबीर की शादी में मां से लेकर बहन रिद्धिमा तक, जानें किसने बिखेरे जलवे

Alia Ranbir Wedding Looks: हाल ही में बौलीवुड के कपल एक्टर रणबीर कपूर (Ranbir Kapoor) और एक्ट्रेस आलिया भट्ट (Alia Bhatt) शादी के बंधन में बंधे हैं, जिसके चलते दोनों सुर्खियों में हैं. दुल्हा दुल्हन के शादी के लुक से लेकर मेहमानों का लुक सोशलमीडिया पर वायरल हो रहा है. वहीं आलिया भट्ट की सासूमां नीतू कपूर से लेकर उनकी ननद के लुक्स के फैंस कायल हो गए हैं. आइए आपको दिखाते हैं कपूर हसीनाओं के लुक्स की झलक…

रणबीर की बहन ने दिखाया जलवा

ज्वैलरी डिजाइन और रणबीर कपूर की बहन रिद्धिमा कपूर साहनी का भाई की शादी में लुक बेहद खास था. वह गोल्डन कलर के लहंगे के साथ कुंदन की ज्वैलरी पहने बेहद खूबसूरत लग रही थीं. वहीं इस लुक के साथ वह एलीगेंट पोज देती नजर आईं थीं.

करिश्मा कपूर ने साड़ी को दिया रौयल लुक

एक्ट्रेस सोनम कपूर का फिटनेस और फैशन काफी सुर्खियों में रहता है. वह इंडियन ड्रैस में आए दिन अपने लुक्स शेयर करती रहती हैं. वहीं भाई रणबीर कपूर की शादी में करिश्मा कपूर वाइट कलर की नेट वाली साड़ी पहने नजर आईं, जिस पर फूलों की एम्ब्रौयडरी की गई थी. वहीं इस साड़ी के साथ एक्ट्रेस ने औरेंज कलर का हैवी ब्लाउज और ज्वैलरी के लिए माथापट्टी पहनी थी, जिसमें वह बेहद खूबसूरत लग रही थीं.

करीना कपूर भी नहीं रही पीछें

बहन करिश्मा को साड़ी में टक्कर देने के लिए एक्ट्रेस करीना कपूर ने भी शादी के लिए लाइट पिंक कलर की साड़ी का इस्तेमाल किया. इस लुक के साथ एक्ट्रेस ने चोकर नेकलेस और मांगटीका पहने नजर आईं. करीना कपूर का ये लुक बेहद खूबसूरत लग रहा था.

मां नीतू कपूर ने भी दी कड़ी टक्कर

एक्टर रणबीर कपूर की शादी में उनकी बहनें ही नहीं मां नीतू सिंह भी फैशन के जलवे बिखेरती नजर आईं. पीले कलर के लहंगे पर मल्टी कलर बौर्डर वाला गोटा बेहद खूबसूरत लग रहा था. वहीं इसके साथ मैचिंग ज्वैलरी एक्ट्रेस के लुक को कंपलीट कर रहा था.

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बढ़ते वजन पर रखें नजर

दिल्ली की 32 वर्षीय गृहिणी शुचिका चौहान अपने बढ़ते वजन को अपनी शारीरिक सुंदरता में एक बड़ी कमी मानते हुए कहती है, ‘‘खाने की अधिकता और शारीरिक श्रम की कमी के कारण बढ़ता मोटापा ही मेरी परेशानी की वजह है और मु झे डर है

कि कहीं आगे यह और न बढ़ जाए, इसलिए मैं ने इसे नियंत्रित करने पर ध्यान देना शुरू कर दिया है.’’

मगर उच्च रक्तचाप, कैंसर, मधुमेह, हृदय संबंधी रोग आदि भयंकर बीमारियों को बुलावा देने वाले इस मोटापे की चपेट में आने के कई कारण हो सकते हैं जिन्हें नजरअंदाज कर लोग बढ़ते वजन की समस्या का शिकार होते चले जाते हैं.

इस की असल वजह है अस्वास्थ्यकर खुराक भरी स्टार्चयुक्त भोजन, फलों तथा सब्जियां रहित खाना और शारीरिक श्रम का अभाव. महिलाओं के लिए भी खतरा कम नहीं है. देश में पुरुषों से ज्यादा स्त्रियां खासकर 35 से ज्यादाकी आयु वाली अधिक वजन की है.

कारण

महिलाओं में मोटापे के कारणों पर गौर किया जाए तो इस के प्रमुख कारणों में सब से अहम कारण है आरामतलबी होना और परिश्रम न करना जिसे इस परिप्रेक्ष्य में देखा जा सकता है कि घरों में रहने वाली साधनसंपन्न महिलाएं अधिकतर कामों के लिए नौकरों पर निर्भर रहती हैं तथा घर में ही बैठेबैठे मनोरंजन के साधनों टीवी, मोबाइल और इंटरनैट आदि से दिनभर का टाइम पास करती हैं और इसी के साथ ही जब चाहें खाने का मन होने पर अपने मनपसंद भोजन का लुत्फ  उठाना भी उन की रोजमर्रा की आदतों में शुमार हो जाता है जिस का नतीजा होता कि मोटापा शरीर के कुछ अंगों- पेट, जांघों, नितंबों, कमर आदि को अनावश्यक रूप से फुलाते हुए अपने आसपास के अंगों को दबाता चला जाता है और पूरे शरीर को अपने कब्जे में ले लेता है.

स्वास्थ्य के लिए शारीरिक श्रम को महत्त्वपूर्ण बताते हुए ‘केयर’ की डाइटीशियनों का कहना है जितनी मात्रा में प्रतिदिन भोजन से कैलोरी प्राप्त की जाती है उस का उतनी मात्रा में उपयोग न हो पाने के कारण शरीर में कैलोरी की मात्रा बढ़ती चली जाती है और फैट जमा होने लगता है. यही कारण है कि एक ही जगह बैठे रह कर काम करते रहने वाले ऐसे लोग जो ज्यादा वर्कआउट नहीं करते मोटे होते चले जाते हैं.

मौडर्न लाइफस्टाइल

समय की कमी होने की वजह से जहां नौकरीपेशा व पढ़ाई में व्यस्त युवकयुवतियों को मजबूरी में ज्यादातर जंकफूड या बाहर के खाने का सहारा लेना पड़ता है तो कुछ लोगों जैसे कालेज स्टूडैंट्स आदि के लिए भूख लगने पर उन के पसंदीदा भोजन के रूम में पिज्जा, बर्गर चाउमीन आदि फास्ट फूड ही लेना होता है.

इस के अतिरिक्त ज्यादा से ज्यादा घर से बाहर रैस्टोरैंट आदि और फूड डिलिवरी पर निर्भर रहने वालों में खाना खाने का शौक रखने वाली महिलाएं स्वाद लेने के चक्कर में उस औयली खाने के दुष्प्रभावों की ओर भी ध्यान नहीं देतीं जिस का परिणाम यह होता है कि कुछ समय बाद स्टेटस सिंबल समझते हुए रैस्टोरैंट में लंच या डिनर करने का यह शौक अथवा मौडर्न लाइफस्टाइल मोटापे के रूप में बहुत महंगा पड़ता है. कोविड के दिनों में रैस्टोरैंटों का खाना घर पर पहुंचने लगा है और एक तरह से अब या फैशन हो गया है. डिलिवरी ऐप्स के खाने को पोर्शन बड़ा होता है और ज्यादा खाया जाता है.

खानपान से परहेज

हमारे यहां गर्भवती होने पर स्त्रियों को गर्भवती के नाम पर अनावश्यक खिलाते रहना एक नियम सा बना हुआ है. प्रसव के बाद भी मेवों का अधिक सेवन कराना और शारीरिक श्रम कम करना व कहीं बाहर जाने के बजाय घर में ही बने रहने आदि से भी मोटापा बढ़ने लगता है.

स्त्रियों में 3 बार बड़े शारीरिक बदलाव होते हैं- मासिकधर्म पर, गर्भधारण पर और मासिकधर्म बंद होने पर. इन तीनों मौकों पर उन के शरीर का वजन आमतौर पर बढ़ता ही है. इस विषय में हमें जानकारी देते हुए डाक्टर कहते हैं कि यदि कोई महिला डिलिवरी के बाद अधिक रैस्ट करती है या फिर उस समय संतुलित मात्रा में सही भोजन का सेवन नहीं करती तो उसे वजन बढ़ने की समस्या का सामना करना पड़ सकता है.

इसी तरह मासिकधर्म होने के समय हारमोनल डिस्टरबैंस की वजह से पीरिएड्स लेट होने या अनियमित होने व मेनोपौज के बाद भी वजन बढ़ सकता है. ऐसी स्थिति में जब तक ऐक्सरसाइज न की जाए तब तक मोटापा कम नहीं होता.

वैसे इस के अतिरिक्त भी अगर वजन बढ़ने के कारणों पर ध्यान दिया जाए तो मोटापे का एक कारण जेनेटिक भी हो सकता है. मांबाप से आने वाले डीएनए के वे छोटेछोटे हिस्से ही जो बालों या आंखों का रंग निर्धारित करते हैं वजन बढ़ाने में भी अहम भूमिका निभा सकते हैं.

आजकल और्गेनिक फूड के नाम पर कुछ भी खा लेना एक और खतरा बनता जा रहा है. और्गेनिक फूड नुकसान नहीं करेगा, यह सोच खाने की मात्रा को भी प्रभावित कर डालती है.

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Periods में क्लौट्स आने से हीमोग्लोबिन कम हो गया है, मैं क्या करुं?

सवाल-

मैं 31 साल की विवाहिता हूं. 7 महीने पहले कंडोम फट जाने से मेरा गर्भ ठहर गया था. लेकिन हम बच्चा नहीं चाहते थे, इसलिए मैं ने डी ऐंड सी करवा ली थी. सफाई के बाद मुझे अगले 15 दिन रक्तस्राव होता रहा. समस्या यह है कि तभी से मुझे मासिकधर्म के समय अधिक खून जाने लगा है, जिस में क्लौट्स भी आते हैं. मेरा हीमोग्लोबिन घट गया है और मुझे बहुत कमजोरी लगने लगी है. मुझे क्या करना चाहिए?

जवाब-

मासिकधर्म के समय अधिक खून जाने के कई कारण हो सकते हैं. इन में पेड़ू की सूजन, गर्भाशय की रसौली, डिंब ग्रंथि की रसौली, एंडोमिट्रियासिस और कौपर टी वगैरह आम कारण हैं. कई शारीरिक विकार जैसे थायराइड, ऐनीमिया, रक्त कैंसर और ब्लड क्लौटिंग तत्त्वों की कमी होने से भी अधिक रक्त जा सकता है. आप की समस्या किस वजह से है, इस का पता लगाने के लिए आप किसी कुशल स्त्रीरोग विशेषज्ञा से चैकअप करवाएं. शरीर में आई खून की कमी को दूर करने के लिए अपने आहार पर विशेष ध्यान दें. कुछ महीनों के लिए आयरन और विटामिनों की पूर्ति के लिए गोली या कैप्सूल भी ले सकती हैं.

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क्या आप आपके शरीर में हीमोग्लोबिन की पर्याप्त और सही मात्रा के बारे में जानते हैं. पुरुषों में हीमोग्लोबिन की सही मात्रा 14 से 17 ग्राम/100 मिली. रक्त होती है, वहीं स्त्रियों में ये मात्रा 13 से 15 ग्राम/100 मिली. रक्त होती है. शिशुओं के शरीर में हीमोग्लोबिन की मात्रा लगभग 14 से 20 ग्राम/100 मिली. रक्त होनी चाहिए.

यहां हम आपको एक बहुत ही साधारण सी बात बता देना चाहते हैं कि दिन में एक सेब अवश्य खाकर आप आपके शरीर में हीमोग्लोबिन स्तर को सामान्य बनाए रख सकते हैं. इसके अलावा इन बातों का ध्यान रख कर भी आप अपने शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी होने से रोक सकते हैं.

स्वास्थ्यवर्ध्क गुणों से भरपूर लीची, रक्त कोशिकाओं के निर्माण और पाचन-प्रक्रिया में सहायक होती है. लीची में बीटा कैरोटीन, राइबोफ्लेबिन, नियासिन और फोलेट जैसे विटामिन बी उचित मात्रा में पाया जाता है. इसमें मौजूद विटामिन लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण के लिए आवश्यक है.

शरीर में हीमोग्लोबिन का स्तर बढ़ाने के लिए चुकंदर सबसे अच्छा खाद्य प्रदार्थ है. चुकंदर पोषक तत्वों की खान है. इसमें आयरन, फोलिक एसिड, फाइबर, और पोटेशियम ये सभी सही मात्रा में पाया जाता है. ये शरीर की लाल रक्त कोशिकाओं की संख्या में तेजी से वृद्धि करता है.

इनके अलावा अनार हीमोग्लोबिन बढ़ाने में बहुत लाभकारी होता है. अनार में आयरन और कैल्शियम के साथ-साथ प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और फाइबर जैसे तत्व होता हैं, जिनसे शरीर में हीमोग्लोबिन की मात्रा बढ़ाने में मदद मिलती है.

गुड़ का सेवन करना भी एक बेहद उत्तम तरीका है. गुड़ में आयरन फोलेट और कई विटामिन बी शामिल हैं जो हीमोग्लोबिन स्तर को बढ़ाने के लिए और लाल रक्त कोशिकाओं के उत्पादन में मददगार होते हैं.

पूरी खबर पढ़ने के लिए- हीमोग्लोबिन की कमी को ऐसे पूरा करें

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

कोरोना के बहाने: पति-पत्नी शोध का प्रबंध

‘तुम को सौगंध है कि आज मोहब्बत बंद है…’, ‘शायद मेरी शादी का खयाल दिल में आया है इसीलिए मम्मी ने मेरी तुम्हें चाय पे बुलाया है…’ फिल्म ‘आप की कसम’ की मोहब्बत भी क्वारंटीन यानी संगरोध में हो कर बंद होगी. और फिल्म ‘सौतन’ के गीत में तो राजेश जी को पंछी अकेला देख कर चाय पर बुलाया गया था, लेकिन आजकल छींक, खांसी और किसी के नजदीक जा कर बात तक करना किसी सौतन से कम नहीं है.

जो मित्र बातबात पर मिलते ही गले लग कर हग करते थे, वह भी आजकल दूर से ही ‘नमस्ते जी’ कह कर पास से निकल जाते हैं.

अब नकारा लोगों को तो छींक मारने जैसा एक अहिंसक हथियार मिल गया है, वह अपने बौस के पास जा कर बस छींक या खांस देते हैं तो बौस खुद अपनी जेब से नया रूमाल निकाल कर दूर से पकड़ाते हुए उन्हें अपने चैंबर से बिना कुछ कहे तुरंत बाहर भेज देते हैं. खुद ही उन के घर पर रहो और ‘वर्क फ्राॅम होम’ का आर्डर भी निकाल देते हैं.

कोरोना संपर्क में आने पर मार डालता है, पत्नी संपर्क में आ कर मरने नहीं देती. जिन्हें घर से बाहर रह कर हाथ साफ करने की आदत थी, वह भी अब घर पर रह कर पत्नी से नजरें मिलते ही हाथ धोने बाशरूम में भाग जाते हैं, क्योंकि आंखों का पुराना इशारा कहीं उन्हें भावनाओं में बहा कर नजदीक ला कर गले न मिला दे.

आपने  सुना ही होगा, -‘पति, पत्नी और वो’. तो जनाब, ये कोरोना भी पति, पत्नी को ‘वो‘ की तरह ही परेशान करता है.

मगर यहां एक नई परेशानी यह है कि यह ‘वो’ ऐसी है जो किसी को भी कहीं भी दिखती ही नहीं ससुरी. अदृश्य रहती है.

कोरोना के सामने सांस लेना दूभर होता है, तो पत्नी के सामने बात करना. ऐसे में किसी की पत्नी यदि चिड़चिड़ी, तुनकमिजाज हो तो उस बेचारे को तो दूर से ही बातबात पर एक के बाद एक इतने आदेश मिलते हैं कि वह उस के आदेशानुसार प्रत्येक काम  करने के बाद खुद ही बारबार कई बार हाथ धोता है. वह सारे झूठे बरतन और बाथरूम के सेनेटरी पाॅट भी खुद धोता है. बाद में बारबार हाथ धोता है. सेनेटाइजर लगाता है, जनाब.

आजकल कोरोना ने पतियों को घर में क्वारंटाइन कर रखा है, तो पत्नियां तो पहले भी बातबात पर अपने पति से नाराज हो कर अपनेआप को धाड़ से तुनक कर शयन कक्ष में बंद कर लेतीं थीं यानी जबतब शयन कक्ष का ‘कोप पलंग’  उन्हें अपने आगोश में शांत रखता था. और फिर घर का कामकाज बेचारे पति को ही संभालना पड़ता था.

हां, यह बात अलग है कि इस बार क्वारंटाइन में रह कर समस्त पति प्रजाति अपने नाकमुंह को मास्क से ढक कर व कानों में मोबाइल का ईयर फोन ठूंस कर गीतसंगीत सुनते हुए आराम से चुपचाप एकांतवास फीलिंग में काम कर रही है. बेचारे पति जाएं भी तो जाएं कहां. घर में तुनकमिजाज पत्नी है, बाहर जानलेवा कोरोना. दोनों तरफ ही उस की जान पर बन आई है, जी. बस, उस ने अपने कोरोनाघात निरोध के लिए सेनेटाइजर की बोतल को अपनी जेब में सुरक्षित कर रखा है और दिनभर में कई बार अपने हाथों पर मल कर भविष्य हेतु पुनः समर्थ और सुरक्षित महसूस करता है.

लौकडाउन अवस्था में क्वारंटाइन में रह कर भी मोहब्बत बंद है. एकांतवास में रह कर सबकुछ डाउन है, इसलिए पहले अपनेअपने फेफड़ों और सांसों को बचाने का लगाव है. क्या करें, जान है तो जहान है, न जनाब मेरे भाई.

कोरोना से बचने का सही और सुरक्षित इलाज है कि लौकडाउन में रहते हुए पत्नी से भी 1 मीटर की शारीरिक दूरी बनानी बहुत जरूरी है.

वैसे जो समझदार अच्छे पति हैं, वह पत्नी के नजदीक खास मौके पर पहले ही सुरक्षित हो कर आते हैं या सुरक्षित साधनों को जेब में रख कर ही उन के नजदीक आते हैं. सावधानी हटी, परिवार बढ़ा का सिद्धांत यहां लगता है.

समझदार पति तो प्रत्येक माह की पहली और दूसरी तारीख को अपनी पत्नी के नजदीक बिलकुल भी नहीं फटकना चाहता. फिर भी पत्नी समझदार होती है, इसलिए वह इन दिनों में पति से ज्यादा उस के बटुए पर अपनी पैनी नजर रखती है. कार्यालय से पति बेचारे को घर पहुंचते ही अपनी तनख्वाह से हाथ धोना पड़ता है.

समझदार पत्नी कुछ रुपए तो घरेलू मासिक खर्च के नाम पर ले लेती हैं और कुछ अच्छे सौंदर्य प्रसाधनों की खरीद के नाम पर. वह बेचारा पति इसलिए भी दे देता है कि आज नहीं तो कल जब नजदीकियां बढ़ेंगी तो इन के सौंदर्य प्रसाधन काम तो मेरे ही आने हैं. वह जानता है कि अच्छा सौंदर्य प्रसाधन पत्नी के चेहरे की सुंदरता के साथसाथ पति के स्वास्थ्य को भी नुकसान नहीं पहुंचाता.

वैसे, कोराना ने परमाणु बमों की ताकत को भी बौना बना दिया. कोराना अदृश्य दानव बन कर सामने आया तो हम सब उस से बचने के लिए अपनेअपने घरों में छिपने लगे. घरों में ही रहना एकमात्र सहारा बताया गया. बाहर निकले तो हमारी सांसों पर ऐसा आक्रमण हो सकता है कि सांसें फूल कर समाप्त हो सकती हैं और हमारी विश्व रंगमंच की पात्रता एकदम समाप्त हो सकती है. रोल खत्म हो सकता है यानी खेल समाप्त न हो, इसलिए बड़ेबड़े परिवारों तक में लोग ‘दालरोटी खाओ, प्रभु के गुण गाओ’ को अब फोलो कर रहे हैं. यहां ’बने रहो अपनी कुटिया में वरना दिखाई दोगे लुटिया में‘ का कोरोनायुग नवसिद्धांत जगहजगह लागू हो गया है.

कुल मिला कर, हमारे फेफड़ों पर हुआ इस भयानक वायरस का आक्रमण हमें अपने परस्पर मानवीय मूल्यों, आपसी संबंधों, जीवजंतुओं, पेड़पौधों और तरहतरह के भूगर्भ वैज्ञानिकी शोध, रहस्य और विज्ञान को फिर से समझने का मौका दे गया.

आज नहीं तो कल कोरोनासुन वापस जाएंगे और हम पुनः नवसंदर्भों के साथ जीवनयापन फिर शुरू कर देगें. जो इस बार तामसिक नहीं, पवित्र और सात्विक होगा. और मेरा विश्वास है कि मेरे नव शोध प्रबंध को भी जरूर गति मिलेगी.

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खुश रहो और खुश रखो

हमारे समाज में ऐसे पुरुषों की कमी नहीं है, जो पूरी तरह से मूड के गुलाम हैं. मूड ठीक है तो अपनी पत्नी पर ऐसे प्यार लुटाएंगे, जैसे उन से ज्यादा प्यार करने वाला पति इस दुनिया में दूसरा कोई है ही नहीं. और जिन दिनों उन का मूड ठीक नहीं रहता, तो पत्नी के खिलाफ शिकायतों का वे पिटारा खोल देते हैं और तब, पत्नी से वे ऐसा बेरुखा व्यवहार करना शुरू कर देते हैं, जैसे कोई अपरिचित महिला जबरदस्ती उन के घर में घुस आई हो, जिस से बात करना भी उन्हें पसंद न हो. बारबार ऐसा व्यवहार करने वाले पति को पत्नी समझ नहीं पाती कि जब उस ने अपने जीवनसाथी का मूड खराब करने वाला कोई काम ही नहीं किया है, उन की प्रौब्लम उन के दफ्तर या कारोबार से जुड़ी है और इस प्रौब्लम में उस का कहीं कोई हाथ ही नहीं है, तो फिर वे अपने खराब मूड का शिकार उसे बना रहे हैं?

क्यों खराब मूड के चलते घर में अपनी पत्नी के साथ बेरुखे व्यवहार को सहतेसहते एक वक्त के बाद पत्नी यह बात सोचना शुरू कर देती है कि ऐसे इनसान के साथ जिंदगी के लंबे वर्ष कैसे निभाए जा सकते हैं? ऐसे में पत्नी भी तब ईंट का जवाब पत्थर से देने की तर्ज पर, पति की ही तरह, घर में पति के रहते भी पति की उपस्थिति को अनदेखा करना शुरू कर देती है या फिर पति की ही तरह चुप्पी साध लेती है. ऐसे में दोनों के बीच दूरियां बढ़ती जाती हैं और ये बढ़ती दूरियां कई बार तो उन्हें संबंधविच्छेद के बारे में सोचने को भी मजबूर कर देती हैं.

बिना किसी ठोस वजह के, संबंध तोड़ने की राह पर चलने की सोचने वाले पतिपत्नी दोनों ही तब इस बात को सोचना मुनासिब नहीं समझते कि रिश्तों का टूटना बहुत दर्द देने वाला होता है और एक बार टूटने के बाद अगर फिर से जुड़ भी गए तब भी टूटने के निशान तो रह ही जाते हैं. और ये निशान आगे की जिंदगी में हर पल उन्हें याद दिलाते रहते हैं कि प्यार के रिश्ते के मामले में वे कैसे नासमझ थे और अपने ही हाथों उन्होंने अपनी जिंदगी बदमजा बना ली है. यहां कुछ ऐसे नुसखे बताए जा रहे हैं, जिन से कमजोर होते जा रहे गृहस्थ जीवन के रिश्तों को मजबूत ही नहीं, बल्कि अटूट बनाया जा सकता है.

अपनी समस्या बताएं, दूसरे की समझें

समस्या यह है कि ज्यादातर जोड़े आलोचना और शिकायत के अंतर को समझ ही नहीं पाते. किसी काम या कथन की साधारण आलोचना को भी वे अपने पर की गई गंभीर शिकायत मान कर नाराज हो जाते हैं और अपने जीवनसाथी के साथ बोलचाल बंद कर के एक चुप्पी वाला व्यवहार अपना लेते हैं. इस से रिश्तों के रस में खटास आ जाती है. जबकि वाजिब तरीका तो यह है कि अगर पति को पत्नी के और पत्नी को पति के किसी व्यवहार से समस्या है भी तो एकदूसरे की समस्या समझने से किसी समस्या को सहज ही दूर किया जा सकता है. पति व पत्नी दोनों को ही इस बात को समझना चाहिए कि चुभने वाली किसी बात से या व्यवहार से दुखी होने पर, जब आप अपनी तकलीफ बताएंगे ही नहीं तो दूसरा उस बात को कैसे समझेगा? और आगे कैसे उस चुभने वाली बातें कहने पर रोक लगा पाएगा. इसलिए आपस की छोटीमोटी बातों को धैर्य के साथ सुने व समझें.

चुप्पी को हथियार न बनाएं

चुप्पी साधने के मामले में पति लोग हमेशा अपनी पत्नियों के मुकाबले तेजी से चलते हैं. ऐसे पति गृहस्थ जीवन में आने वाली मुश्किलों को तब ऐसे निर्विकार भाव से लेना शुरू कर देते हैं, जैसे ऐसी बातों से उन का कोई सीधा सरोकार ही न हो. उन की पार्टनर अगर उन को राह पर लाने के लिए चेहरे पर मीठी चितवन ला कर बात भी करती है, तो वे ऐसे बने रहते हैं, जैसे उन्होंने कुछ देखा ही न हो. रात को बिस्तर पर भी वे पत्नी की तरफ ऐसे पीठ कर के सोना शुरू कर देते हैं, जैसे वह कोई बेगानी औरत हो. यह स्थिति बहुत ही खतरनाक होती है. ऐसी स्थिति आने पर कई बार उन की पत्नी सोचने लगती है कि उस के रूप और यौवन के दीवाने उस के पति आखिर उस के प्रति ऐसी बेरुखी क्यों दिखा रहे हैं? कहीं उन के किसी दूसरी औरत के साथ रिश्ते तो नहीं बन गए? निराधार ही सही, पर ऐसी सोच की वजह से सुखी जीवन में दरार आ सकती है. सो पति लोग चुप्पी को हथियार बनाने से बचें.

अपनी आदतों में लाएं बदलाव

पतिपत्नी दोनों में ही कुछ ऐसी आदतें होती हैं, जो उन के जोड़ीदार को नापसंद होती हैं. जैसे, पति का अपना मोबाइल इधरउधर रख कर भूल जाना और पत्नी को जल्द ढूंढ़ कर देने को कहना. और न मिलने पर कहना, ‘‘यार, तुम तो मेरा कोई भी काम ठीक से नहीं कर पाती हो. यहां मेरे साथ ही तुम्हारा गुजारा हो रहा है, किसी दूसरे के पल्ले पड़तीं तो तुम्हें बहुत मुश्किल होती.’’ इस के अलावा पत्नी व बच्चों के साथ रहते भी तेज गाड़ी चलाना और पत्नी के इस अनुरोध के बावजूद कि ‘धीरे चलो जी, हमारे बच्चे हमारे साथ हैं,’ अनुरोध को नजरअंदाज कर के उसी स्पीड पर गाड़ी दौड़ाते रहना. पत्नी के मना करने के बावजूद, शौपिंग के समय गैरजरूरी चीजें खरीदते जाना. ऐसी तमाम बातें पतिपत्नी के बीच मनमुटाव की वजह बन जाती हैं. बहुत सी पत्नियां भी ऐसी हैं, जो दिन में तो टीवी पर अपने मनपसंद कार्यक्रम देखती ही हैं, शाम को व रात को भी उन की कोशि  यही रहती है कि उन का पति देश और दुनिया की खबरें सुनने के बजाय, इस समय भी वही सब कुछ देखे जो उस की पत्नी को पसंद है. ऐसी बातों से आपसी चिढ़ बढ़ती है.

एकदूसरे को चिढ़ाने वाले काम करने के बजाय पतिपत्नी दोनों को ही एकदूसरे की भावनाओं को सम्मान देते हुए, अपनी आदतों में बदलाव ला कर, जीवनसंगी को खुश रखने की कोशिश करनी चाहिए.

सहयोग और समझौता

इंसान का व्यवहार सब समय एक सा नहीं रहता. कभी तीखा और कभी मीठा होना तो मानव व्यवहार के अंग हैं, जो लोग जीवनसाथी के तीखे और मीठे व्यवहार को समान रूप से झेल जाते हैं, उन के जीवनसाथी उन का सम्मान कई गुना बढ़ जाता है. असल में शादी नाम है सहयोग और समझौतों का. जो लोग इस बात को समझ लेते हैं, उन के जीवन में खुशियों का संदेश देने वाली शहनाइयों की मधुर गूंज हमेशा बजती रहती है और ऐसे लोग एकदूसरे के साथ सुखपूर्वक लंबा जीवन जीते हैं. खुद खुश रहो और जीवनसाथी को खुश रखो, क्योंकि यही तो है जिंदगी.

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Summer Special: हनीमून के लिए बेस्ट हैं India के ये 10 डेस्टिनेशन

भारत में कई ऐसे लोकेशन हैं जो हनीमून कपल्स के लिए बहुत खास हैं. बीच, हिल स्टेशन और वाइल्ड लाइफ जैसी कई हनीमून स्पॉट हैं जो अपनी प्राकृतिक सौंदर्य, शीतल हवाएं और समुद्र की लहरों से हनीमून को और यादगार बना देती हैं. अपने लाइफ पार्टनर की पसंद की जगह पर उसके साथ प्यार के अविस्मरणीय पल व्यतीत करना आपको ताउम्र याद रहेगा. अगर आपने अपने हनीमून की प्लानिंग नहीं की है या कर रहे हैं तो हनीमून डेस्टिनेशन के चुनाव में हम आपकी मदद कर देते हैं. आइए जानते हैं भारत के टॉप 10 हनीमून डेस्टिनेशंस..

1.गोवा

गोवा एक ऐसा स्थान है, जहां आप जिंदगी का भरपूर मजा ले सकते हैं. नवविवाहितों के लिए गोवा एकमात्र ऐसा हनीमून डेस्टीनेशन कहा जा सकता है जहां आप चाहें तो शांत सागरतट पर सपनों भरी दुनिया में खो जाएं. यह स्थान अपने आप में रोमांटिक और मनमोहक है.

राजधानी पणजी के निकट मीरामार बीच है जहां शाम के समय सूर्यास्त का दृश्य काफी सुकून देता है. जब रात को खुले आसमान के नीचे बीच के किनारे अपने साथी को अपनी बांहो में लेकर घूमेंगे वह पल कितना यादगार होगा. दोना पाउला, कलंगूट, अंजुना और बागा के अलावा कई अन्य बीचों की सुंदरता देखने लायक हैं.

मडगांव व वास्को डी गामा मुख्य स्टेशन हैं.

2.लक्षद्वीप

अरब सागर में स्थित छोटे द्वीप अपनी सुंदरता में अद्वितीय और आकर्षक हैं. इस जगह को वॉटर स्पोर्ट के लिए एक बेहतरीन जगह माना जाता है. यहां के द्वीप नए जोड़ों को बरबस ही अपनी ओर खींच लेते हैं. लक्षद्वीप में बने रिसॉर्ट्स आपकी हनीमून को और भी बेहतर बना देंगे.

3.कन्याकुमारी

कन्याकुमारी हिंद महासागर, बंगाल की खाड़ी और अरब सागर का संगम है. भिन्न सागर अपने विभिन्न रंगो से मनोरम छटा बिखेरते हैं. दूर-दूर फैले समुद्र के विशाल लहरों के बीच यहां का सूर्योदय और सूर्यास्त का नजारा बेहद आकर्षक लगता है.

4.अंडमान निकोबार

अंडमान निकोबार को ‘गार्डेन ऑफ इडेन’ भी कहा जाता है. नारियल की सघन छाया, घने जंगल, असंख्य प्रजातियों के फूल और पक्षी, ताजी हवा प्रकृति प्रेमियों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं. इस द्वीप पर आप स्कूबा डाइविंग जैसे रोमांचक खेलों का भी लुत्फ उठा सकते हैं.

5.पुदुच्चेरी

पुदुच्चेरी के समुद्र तट पर हनीमून मनाने वाले कुछ बेहतरीन समय एक साथ गुजार सकते हैं. पेराडाइज बीच के एक ओर छोटी खाड़ी है. यहां केवल नाव द्वारा ही जाया जा सकता है. नाव पर जाते समय पानी में डॉल्फिन के करतब देखना एक सुखद अनुभव है.

6.दार्जिलिंग

‘क्वीन ऑफ हिल्स’ के नाम से मशहूर दार्जिलिंग हमेशा से एक बेहतरीन हनीमून डेस्टिनेशन रहा है. कपल्स हनीमून के लिए आमतौर पर ठंडी जगहों का चयन करते हैं. यहां पर बर्फ से ढकी कंचनजंगा की चोटियां और प्राकृतिक सौंदर्य से लदे खूबसूरत पहाड़ आपको किसी स्वपन लोक से लगेंगे. ट्वाय ट्रेन में आप पहाड़ों और घाटियों के बीच प्रकृति के सौंदर्य को निहारते हुए सफर का आनंद ले सकते हैं. चाय के बगान और देवदार के जंगल का अति सुंदर नजारा देखा जा सकता है.

7. नैनीताल

नैनीताल में आप कम खर्च में हिल टूरिज्म का भरपूर आनंद उठा सकते हैं. नैनीताल उत्तराखंड का पहाड़ी पर्यटन स्थल है. शहर के बीचोंबीच नैनी झील इस पर्यटन स्थल में चार चांद लगा देती है. चीड़ के घने जंगल पर्यटकों का मन मोह लेते हैं. काठगोदाम और नैनीताल के बीच ज्योलीकोट स्थान पड़ता है. यहां पर दिन गरम और रातें ठंडी होती हैं. यहां भीनताल, नौकुचियाताल, माल रोड, मल्लीताल, तल्लीताल अनेक स्थान घूमने लायक हैं.

8. शिमला

हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला हनीमून पर आए कपल्स के लिए बहुत ही प्यारा हिल स्टेशन है. यहां की खूबसूरती एक बार तो देखने वालों को आश्चर्यचकित कर देती है. यहां के सादगी भरे सौंदर्य में ऐसा आर्कषण है कि वापस जाने को मन ही नहीं करता. यहां पर आप बलखाती पहाड़ियों पर सुरंगों में से होते हुए ट्वाय ट्रेन का लुत्फ उठा सकते हैं. ट्वाय ट्रेन के सफर के दौरान आपको बहुत सारे हसीन नजारे दिखाई देंगे जिनको देखकर आप आश्चर्य में पड जाएंगे. माल रोड पर आप शॉपिंग का आनंद ले सकते हैं. जाखू हिल्स शिमला का सबसे ऊंचा स्थान है. यहां से पूरे शहर की खूबसूरती को देखा जा सकता है.

9. मनाली

मनाली की वादियां हनीमून कपल्स की सबसे पसंदीदा जगहों में से एक है. मनाली कुल्लु घाटी के उत्तर में स्थित हिमाचल प्रदेश का लोकप्रिय हिल स्टेशन है. यहां पर आपको जंगलों से घिरी मनाली घाटी में पक्षियों का कलरव सुनाई देगा. साथ ही गिरते जलप्रपात और फलों से लदे बाग-बगीचे पर्यटकों को अपनी ओर आर्कषित करते हैं. कुदरत ने मनाली को सदाबहार खूबसूरती से नवाजा है. यहां हर मौसम में मस्ती, रोमांस और रोमांच का पैकेज आपको मिलेगा. मनाली का हिडिंबा मंदिर अपने चार मंजिला पैगोड़ा और लकड़ी की नक्काशी के लिए प्रसिद्ध है. सोलंग घाटी में हैंड ग्लाइडिंग के रोमांच का मजा लूटा जा सकता है.

10.केरल

केरल को कुदरत ने बड़ी खूबसूरती से संवारा है इसलिए हनीमून के लिए केरल सबसे उपयुक्त जगह है. ऊंचे-ऊंचे पहाड़, मनोहारी समुद्री किनारा, नारियल और खजूर के पेड़ों के झुरमुट के बीच में से नाव पर सवारी, चारों ओर हरियाली और बेहद खूबसूरत नजारे, ये सब हैं केरल की खूबसूरती की असली पहचान. इन रुमानी नजारों में प्यार भरे दिलों की धड़कनें बढ़ना स्वाभाविक हैं.

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महंगे खिलौनों से खेल खेल में पढ़ना सीखेंगे उत्तर प्रदेश में आंगनबाड़ी केंद्रों पर बच्चे

यूपी के आंगनबाड़ी केन्द्र बहुत जल्द प्ले स्कूलों के रूप में नजर आएंगे। यहां 03 से 06 वर्ष के बच्चों को खेल-खेल में पढ़ना-लिखना सिखाया जाएगा। खेलने के लिए खिलौने दिये जाएंगे जिससे केंद्र की तरफ बच्चों का आकर्षण बढेगा और उनकी संख्या में भी बढ़ोत्तरी होगी। संस्कार डालने के साथ उनके संर्वांगीण विकास के कार्यक्रम भी चालू किये जाएंगे। इसके लिए प्रदेश सरकार 16 करोड़ रुपये की लागत से ग्राम पंचायतों और शहरों में स्थित लाखों आंगनबाड़ी केन्द्रों में नन्हे-मुन्हों को प्री-स्कूल किट बांटेगी। इस प्री-स्कूल किट में खिलौने ओर शिक्षा प्रदान करने वाली लर्निंग ऐड होगी।

सरकार की योजना से आंगनबाड़ी केन्द्रों पर आने वाले 03-06 वर्ष के बच्चों को प्री-स्कूल किट के माध्यम से गतिविधि और खेल आधारित पूर्व शिक्षा प्रदान करने में मदद मिलेगी। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता बच्चों के बौद्धिक विकास के लिए उन्हें चार्टर, टेबल और वॉल पेंटिंग पर बनाई हिंदी और अंग्रेजी की वर्णमाला, गिनती आदि सिखाएंगी। इसके साथ ही प्रदेश के 31 जनपदों के 6 करोड़ की लागत से आंगनबाड़ी केन्द्रों में बच्चों को ईसीसीई सामग्रियां (एक्टीविटी बुक, पहल, गतिविधि कैलेण्डर) भी वितरित की जाएंगी। बाल विकास पुष्टाहार विभाग को इन कार्यक्रमों को तेजी से आंगनबाड़ी केन्द्रों पर लागू कराने की जिम्मेदारी गई है।

आंगनबाड़ी केन्द्रों के निर्माण से लाभार्थियों को एक अच्छे वातावरण में सुविधाएं उपलब्ध कराने के प्रयास भी सरकार कर रही है। इसके लिए वो आने वाले समय में 175 करोड़ रुपये से 199 आंगनबाड़ी केन्द्र भवनों का शिलान्यास करेगी। जिसकी तैयारी के लिए विभाग तेजी से जुटा है। बता दें कि सरकार ने आंगनबाड़ी केन्द्रों को सुंदर बनाने के प्रयास किये हैं। आंगनबाड़ी केन्द्रों पर फर्नीचर, पुस्तकें, खिलौने और दीवार पर पेंटिंग के कार्य कराए हैं। सरकार की योजना को सफल बनाने में सामाजिक संस्थाएं भी सहयोग में जुटी हैं। खासकर ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों को बुनियादी शिक्षा प्राप्त करनें में काफी लाभ मिला है।

REVIEW: जानें कैसी है KGF Chapter 2

रेटिंगः दो स्टार

निर्माताः विजय किरगंडूर

निर्देशकः प्रशांत नील

कलाकारः यश,  श्रीनिधि शेट्टी , संजय दत्त,  प्रकाश राज, रवीना टंडन, अनंत नाग, रामचंद्र राजू,  मालविका अविनाश, अच्युत राजू,

अवधिः दो घंटे 48 मिनट

दक्षिण भारत में तमिल,  मलयालम, तेलगू और कन्नड़ यह चार भाषायी फिल्म इंडस्ट्री हैं, जिनमें से कन्नड़ फिल्म इंडस्ट्री सबसे कमतर यानीकि चैथे पायदान पर मानी जाती रही है. मगर 2018 में प्रदर्शित कन्नड़ स्टार यश की फिल्म ‘‘केजीएफ’’ ने  इस तथ्य को झुठला दिया था और हिंदी सहित अन्य भाषाओं में डब होकर प्रदर्शित इस फिल्म ने कन्नड़ फिल्म इंडस्ट्री को एक नया मुकाम दिलाया था. मगर अब अभिनेता यश और निर्देशक प्रशांत नील उसी फिल्म  का सिक्वअल ‘‘ के जी एफ चैप्टर 2’’ लेकर आए हैं, जिसने दर्शकों को घोर निराश करने के साथ ही 2018 में कन्नड़ फिल्म इंडस्ट्री की जो ईमेज चमकी थी, उसे भी धूमिल कर दी. फिल्म महज एक गेंगस्टर @ अपराधी को ग्लोरीफाई करती हैं,  जिसके लिए जो तर्क दिए गए हैं, वह सब पूर्णरूपेण गलत है.

कहानीः

फिल्म की शुरुआत लेखक आनंद इंगलागी के बेटे विजयेंद्र इंगलागी(प्रकाश राज )से होती है,  जो कि एक टीवी चैनल की संपादक दीपा हेगड़े(मालविका अविनाश) के जोर देने पर विजयेंद्र अपने पिता की लायब्रेरी में जाकर ‘केजीएफ’के दूसरे हिस्से की कहानी तलाशकर दीपा हेगड़े को सुनाते हैं.  कहानी के अनुसार गरुड़ को मारने के बाद रॉकी(यश) केजीएफ का कार्यभार संभाल लेता है. इससे गुरु पांडियन(अच्युत कुमार),  एंड्रयूज(बी एस अविनाश) और दया(तारक ),  राजेंद्र देसाई( लक्की लक्ष्मण ) और कमल(तवाहिद राइक जमन) की झुंझलाहट बढ़ जाती है. क्योकि यह सभी केजीएफ पर शासन करने और इसकी अपार संपत्ति पर कब्जा करने की उम्मीद लगाए हुए थे. पर रॉकी तो गरीबों का मसीहा बना हुआ है. रॉकी, गरुड़ के भाई विराट और केजीएफ सिंहासन के उत्तराधिकारी को भी मार देता है. और राजेंद्र देसाई की बेटी रीना देसाई (श्रीनिधि शेट्टी) को जबरन अपने साथ रखता है. रॉकी हालांकि केजीएफ में सेना के कमांडर वानाराम को बख्श देता है. वानाराम,  पहले गुस्से में,  रॉकी से जुड़ जाता है और छोटे बच्चों को प्रशिक्षित करता है, जो क्षेत्र के नए गार्ड बन जाते हैं. रॉकी को पता चलता है कि इस क्षेत्र में कई बिना खुदाई वाली खदानें हैं और वह पुरुषों को इन जगहों से सोना निकालने का आदेश देता है. विचार यह है कि कम से कम समय में अधिक से अधिक सोने की खोज की जाए. इस बीच केजीएफ के संस्थापक सूर्यवर्धन के भाई अधीरा(संजय दत्त ) को मृत मान लिया गया. पता चलता है कि वह जीवित है और बदला लेने और स्वामित्व का दावा करने के लिए केजीएफ पहुंचता है. वह चालाकी से रॉकी को केजीएफ से बाहर निकालता है और उसे गोली मार देता है. वह रॉकी को जीवित रहने देता है ताकि केजीएफ में यह बात फैले कि भयानक अधीरा पहुंच चुका है. रॉकी स्वस्थ हो जाता है.  लेकिन रॉकी को पता चलता है कि कोई भी केजीएफ से बाहर नहीं निकल सकता, क्योंकि अधीरा के आदमियों ने खदानों को घेर लिया है.  इस बीच बॉम्बे में रॉकी के पूर्व बॉस शेट्टी ने पश्चिम और दक्षिण भारत के साथी गैंगस्टरों के साथ करार किया है,  और रॉकी के खिलाफ कार्रवाई करने की योजना बना रहा है. वह दुबई के एक खूंखार गैंगस्टर इनायत खलील के साथ भी काम कर रहे हैं. इतना ही नही रॉकी का सामना प्रधान मंत्री रमिका सेन(रवीना टंडन ) से भी होता है, जो उसे खत्म करना चाहती है. अब रॉकी इन सभी तत्वों से कैसे लड़ता है, इसके लिए फिल्म देखनी पड़ेगी.

लेखन व निर्देशनः

2018 में प्रदर्शित फिल्म ‘केजीएफ’ ने कन्नड़ भाषी सिनेमा को लेकर जो उम्मीदें जगायी थीं, उसी की सिक्वअल फिल्म ‘‘के जी एफ चैप्टर 2’’ ने काला दाग लगा दिया. और इसके लिए अभिनेता यश, निर्देशक  प्रशांत नील, साउंड इंजीनियर और एडीटर सभी दोषी हैं. सीधी सपाट कहानी पेश करने की बजाय जिस तरह से कहानी में कई दूसरे ट्रैक जिस तरह से जोड़े गए हैं, वह सब  भ्रम ही पैदा करते हैं. फिल्म में प्रेम कहानी का अस्तित्व न के बराबर है. फिल्म में एक जगह रॉकी औरतों व बच्चों का सम्मान करने की बात करता है, मगर वह खुद उनका शोषण कर रहा है. रॉकी, रानी की मर्जी के विपरीत जबरन उसे अपने साथ रखता है और अंततः एक दिन रानी को उसके साथ विवाह के लिए हां करना ही पड़ता है. तो वही फिल्मकार ने एक अपराधी को ग्लोरीफाई करते हुए उसके अपराध को सही ठहराने के लिए एक कहानी गढ़ी है कि रॉकी तो महज अपनी मां का वचन पूरा करने के लिए काम कर रहा है, इसीलिए वह स्वार्र्थी भी है. इसीलिए वह अपराध कर्म करता है. क्या यह तर्क जायज है. कम से कम एक भारतीय मां हमेशा अपने बच्चों को सही राह पर चलने, जिस पर अपना हक न हो, वैसी दूसरों की फूटी कौड़ी भी न लेने की ही सलाह देती है. तो वही रॉकी बात बात में अमीर व अमीरी को कोसता है, मगर खुद गरीबों का शोषण करता है. वह गरीबों पर भावनात्मक शोषण करते हुए उनसे सोने की खान खोदकर जल्द से जल्द ज्यादा से ज्यादा सोना निकालने का आदेश देता रहता है. अमीरों को कोसने वाला रॉकी अक्सर सूटेड बूटेड एक मॉडल की ही तरह नजर आता है. हेलीकोप्टर व हवाई जहाज से यात्रा करता है.

फिल्म के कुछ एक्शन दृश्य काफी अच्छे बन पड़े हैं.

फिल्म का पाश्र्वसंगीत बहुत ही ज्यादा कान फोड़ू है. . एडीटिंग में भी त्रुटियां हैं. कई जगहों पर फिल्म के युद्ध व एक्शन दृश्य वीडियो गेम जैसे लगते है.

लेखक व निर्देशक के दिमागी दिवालिए पन की सबसे बड़ी मिसाल भारतीय संसद का वह दृश्य है, जहां रॉकी अपने हाथ में मशीन गन थामें बेधड़क मुख्य द्वार से निडरता के साथ जाता है. उसे देखकर सारे सांसद भाग जाते हैं. प्रधानमंत्री व एक सांसद पांडियन ही रूकते हैं और रॉकी पूरी मशीनगन सांसद पांडियन पर खाली कर आराम से अपने केजीए्फ के अड्डे पर पहुॅच जाता है. माना कि यह फिल्म है और इसकी कहानी व घटनाक्रम पूरी तरह से काल्पनिक हैं. मगर कल्पना के नाम पर इस तरह के दृश्यों को कैसे जायज ठहराया जा सकता है. यह अफसोस की बात है कि यह फिल्म एक खलनायक को नायक की तरह पेया करती है, जिसका डेमोके्रसी में यकीन नही है. वह तो डेमोक्रेसी के खिलाफ बात करता है. आखिर इस तरह की फैंटसी व एक्शन प्रधान फिल्म हमें कहां ले जाना चाहती हैं?यह बहुत ही ज्यादा चिंता का विषय है.

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अभिनयः

रॉकी के किरदार में यश अभिनेता कम मॉडल ही ज्यादा नजर आते हैं. उन पर सुपर स्टार का हौव्वा हावी है. प्रधानमंत्री रमिका सेन के किरदार में रवीना टंडन अपनी छाप छोड़ गयी हैं. अधीरा के किरदार में संजय दत्त कई जगह थके हुए नजर आते हैं. उनका गेटअप जरुर लाजवाब है. रीना देसाई के किरदार में श्रीनिधि के हिस्से करने को कुछ आया ही नही.

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