पलटवार : भाग 2- जब स्वरा को दिया बहन और पति ने धोखा

‘‘नहीं तो, रोज ही तो खाना वापस आता है. मैं ने सोचा क्यों बरबाद किया जाए और श्रेया तो यों भी फिगर कौंशस है. वह तो दोपहर में जूस आदि ही लेती है. ऐसे में खाना बनाने का फायदा ही क्या?’’ स्वरा ने तनिक कटाक्ष के साथ कहा, ‘‘और हां अमित, घर की डुप्लीकेट चाबी लेते जाना क्योंकि आज शाम को मैं घर पर नहीं मिलूंगी. मेरा कहीं और अपौइंटमैंट है.’’

‘‘कहां?’’ अमित को आश्चर्य हुआ. उन के विवाह को 2 वर्ष बीत चले थे. कभी भी ऐसा नहीं हुआ था कि अमित आया हो और स्वरा घर पर न मिली हो.

‘‘अरे, मैं तुम्हें बताना भूल गई थी, विशेष आया हुआ है,’’ स्वरा के स्वर में चंचलता थी.

‘‘कौन विशेष? क्या मैं उसे जानता हूं?’’ अमित ने तनिक तीखे स्वर में पूछा.

‘‘नहीं, तुम कैसे जानोगे. कालेज में हम दोनों साथ थे. मेरा बैस्ट फ्रैंड है. जब भी कोई सांस्कृतिक कार्यक्रम कालेज में होता था, हम दोनों का ही साथ होता था. क्यों श्रेया, तू तो जानती है न उसे,’’ स्वरा श्रेया से मुखातिब हुई. श्रेया का चेहरा बेरंग हो रहा था, धीमे से बोली, ‘‘हां जीजू, मैं उसे जानती हूं. वह घर भी आता था. आप की शादी के समय वह कनाडा में था.’’

‘‘अरे, स्वरा ने तो कभी अपने किसी ऐसे दोस्त का जिक्र भी नहीं किया,’’ अमित के स्वर में रोष झलक रहा था.

‘‘यों ही नहीं बताया. अब भला अतीत के परदों को क्या उठाना. जो बीत गया, सो बीत गया,’’ स्वरा ने बात समाप्त की और तैयार होने के लिए चली गई. अमित तथा श्रेया भौचक एकदूसरे को देख रहे थे.

‘यह कौन सा नया रंग उस की पत्नी उसे दिखा रही थी.’ अमित हैरान था, सोचता रह गया. वह तो यही समझता था कि स्वरा पूरी तरह उसी के प्रति समर्पित है. उसे तो इस का गुमान तक न था कि स्वरा के दिल के दरवाजे पर उस से पूर्व कोई और भी दस्तक दे चुका था और वह बंद कपाट अकस्मात ही खुल गया.

‘‘जीजू चलें?’’ श्रेया तैयार खड़ी थी.

‘‘आज मैं औफिस नहीं जाऊंगा, तुम अकेली ही चली जाओ,’’ अमित ने अनमने स्वर में कहा और अपने कमरे में चला गया. भड़ाक, दरवाजा बंद होने की आवाज से श्रेया चिहुंक उठी. ‘तो क्या जीजू को ईर्ष्या हो रही है विशेष से,’ वह सोचने को विवश हो गई.

इधर अमित बेचैन हो रहा था. वह सोचने लगा, ‘मैं पसीनेपसीने क्यों हो रहा हूं. आखिर क्यों मैं सहज नहीं हो पा रहा हूं. हो सकता है दोनों मात्र दोस्त ही रहे हों. तो फिर, मन क्यों गलत दिशा की ओर भाग रहा है. मैं क्यों ईर्ष्या से जल रहा हूं और फिर पिछले 2 वर्षों में कभी भी स्वरा ने ऐसा कुछ भी नहीं किया जिस से मेरा मन सशंकित हो. वह पूरी निष्ठा से मेरा साथ निभा रही है, मेरी सारी जरूरतों का ध्यान रख रही है. मेरा परिवार भी उस के गुणों और निष्ठा का कायल हो चुका है. तो फिर, ऐसा क्यों हो रहा है.

‘क्या तू ने उस के प्रति पूरी निष्ठा रखी?’ उस के मन से आवाज आई, ‘क्या श्रेया को देख कर तेरा मन डांवाडोल नहीं हो उठा, क्या तू ने श्रेया के संग ज्यादा अंतरंगता नहीं दिखाई? कितने दिनों से तू ने स्वरा को अपने निकट आने भी नहीं दिया, क्यों? आखिर क्यों? क्या तेरे प्यार में बेवफाई नहीं है?’

‘नहींनहीं, मेरे प्यार में कोई भी बेवफाई नहीं’, वह बड़बड़ा उठा, ‘श्रेया हमारी मेहमान है. उस का पूरी तरह खयाल रखना भी तो हमारा फर्ज है, इसीलिए स्वरा को श्रेया के साथ, उसी के कमरे में सोने के लिए कहा ताकि उसे अकेलापन न लगे. मेरा ऐसा कोई बड़ा अपराध भी नहीं है.’ अमित ने स्वयं को आश्वस्त किया लेकिन शंका का नाग फन काढ़े जबतब खड़ा हो जाता था.

शाम के 7 बज गए. ‘कहां होगी, अभी तक आई नहीं, अमित कल्पनाओं के जाल में उलझता जा रहा था. क्या कर रहे होंगे दोनों, शायद फिल्म देखने गए होंगे. फिल्म, नहींनहीं, आजकल कैसीकैसी फिल्में बन रही हैं, पता नहीं दोनों स्वयं पर काबू रख पा रहे होंगे भी, या नहीं. अमित का मन उद्वेलित हो रहा था, जी में आ रहा था कि अभी उठे और दोनों को घसीटते हुए घर ले आए. शादी मुझ से, प्यार किसी और से. अरे, जब उसी का साथ निभाना था तो मना कर देती शादी के लिए,’ अमित का पारा सातवें आसमान पर चढ़ता जा रहा था.

‘अब तो सिनेमा भी खत्म हो गया होगा, फिर कहां होंगे दोनों, क्या पता किसी होटल में गुलछर्रे उड़ा रहे हों. आखिर विशेष होटल में ही तो ठहरा होगा. हो सकता है दोनों एक भी हो गए हों,’ उस का माथा भन्ना रहा था. तभी मोबाइल बज उठा, ‘अरे, यह तो स्वरा का फोन है. अच्छा तो जानबूझ कर छोड़ गई है ताकि मैं उसे कौल भी न कर सकूं. देखूं, किस का फोन है.’ उस ने फोन उठाया. स्वरा के पापा का फोन था. ‘‘हैलो’’ उस का स्वर धीमा किंतु चुभता हुआ था.

‘‘अरे बेटा अमित, मैं बोल रहा हूं, स्वरा का पापा. कैसे हो बेटा? स्वरा कहां है? जरा उसे फोन देना.’’

‘‘स्वरा अपने किसी दोस्त के साथ बाहर गई है. मैं घर पर ही हूं. बताइए, क्या बात है?’’ अमित के स्वर में खीझ स्पष्ट थी.

‘‘गुड न्यूज है. तुम्हें भी सुन कर खुशी होगी. अरे भई, श्रेया का विवाह निश्चित हो गया है. बड़ा ही अच्छा लड़का मिल गया है. अब श्रेया को नौकरी छोड़नी पड़ेगी क्योंकि लड़का कनाडा में सैटल्ड है. वह तो अचानक ही आ गया, घर भी आया था. हम उसे पहले से जानते हैं. विशेष नाम है उस का. स्वरा के साथ ही तो पढ़ता था.’’

अब यह कौन सा मित्र है स्वरा का जो अचानक ही आ गया और जिस का नाम भी विशेष ही है, और जो श्रेया से विवाह करने को भी राजी हो गया, अमित सोचने पर विवश हो गया. ‘‘अच्छा, बड़ी खुशी हुई. वैसे स्वरा का एक कोई और भी मित्र है विशेष, जो यहां आया हुआ है और पूरे दिन से स्वरा उसी के साथ है, अभी तक घर नहीं लौटी,’’ अमित का स्वर व्यंग्यात्मक था लेकिन उधर से फोन पर टूंटूं की आवाज आ रही थी. शायद नैटवर्क चला गया था.

आने दो स्वरा को, आज फैसला करना ही होगा. आखिर वह चाहती क्या है. अरे जब उसी के साथ रंगरेलियां मनानी थीं तो मुझ से विवाह क्यों किया. मेरे प्यार में उसे क्या कमी नजर आई, जो वह दूसरे के साथ समय बिता रही है. मैं चुप हूं, इस का मतलब यह तो नहीं कि मुझे कुछ बुरा नहीं लग रहा है. और ये विशेष, बड़ा चालाक लगता है, इधर स्वरा से संबंध बनाए हुए है और उधर श्रेया से विवाह करने को भी तैयार है. मतलब यह कि अपने दोनों हाथों में लड्डू रखना चाहता है. आखिर यह क्या रहस्य है, कहीं वो दोनों को तो मूर्ख नहीं बना रहा है.

डोरबैल बज उठी. उस ने दरवाजा खोला. स्वरा ही थी. दरवाजा खोल वह कमरे में आ कर चुपचाप लेट गया. स्वरा ने अंदर आ कर देखा, कमरे में अंधेरा है और अमित लेटा हुआ है. ‘‘अरे, अंधेरे में क्यों पड़े हो, लाइट तो जला लेते.’’ उस ने स्विच औन करते हुए कहा.

‘‘रहने दो स्वरा, अंधेरा अच्छा लग रहा है. हो सकता है रोशनी में तुम मुझ से आंखें न मिला सको’’, उस के स्वर में तड़प थी.

‘‘क्यों, ऐसा क्या हो गया है जो मैं तुम से आंखे न मिला सकूंगी,’’ स्वरा ने तीखे स्वर में कहा.

‘‘तुम अच्छी तरह जानती हो, क्या हुआ है और क्या हो रहा है. मैं बात बढ़ाना नहीं चाहता. मुझे नींद आ रही है, लाइट बंद कर दो, सोना चाहता हूं,’’ कह कर उस ने करवट बदल लिया.

स्वरा मन ही मन मुसकरा उठी, ‘तो तीर निशाने पर लगा है, जनाब बरदाश्त नहीं कर पा रहे हैं.’ उस ने भी तकिया उठा लिया और सोने की कोशिश करने लगी.

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भ्रम भंग: भाग 2- क्या अभय को सजा दिला पाई लतिका

रात को खाना खाते समय लतिका ने हमेशा की तरह भाई नकुल को सब बता दिया. हालांकि नकुल 2-3 साल ही लतिका से बड़ा था पर ज्यादातर बाहर रहने वाले पिता ने बेटी की सारी जिम्मेदारी बेटे को ही सौंप रखी थी. वह लतिका का भाई कम पिता अधिक था और उस के रहते लतिका भी अपने को बहुत सुरक्षित अनुभव करती थी.

नकुल को लतिका की चिंता भी बहुत रहती थी. अगर कालिज या पुस्तकालय से लौटने में उसे जरा भी देर हो जाती तो फौरन साइकिल से लतिका को खोजने निकल पड़ता था. कई बार लतिका उसे पुस्तकालय से आती हुई उन सुनसान रास्तों पर मिली है फिर दोनों भाईबहन पैदल ही साथसाथ आए हैं.

खाने के बाद जब लतिका अपने कमरे में पढ़ने चली गई तो कुछ देर बाद एक फाइल में कुछ कागज लिए नकुल उस के पास आया और उस के बिस्तर पर ही बैठ गया.

‘‘पहचानो इन चित्रों को. पुलिस के रिकार्ड से इन की फोटोकापी कराई है.’’

एकदम चौंक पड़ी लतिका, ‘‘अरे, यह तो अभय, परमजीत और योगी हैं. इन का रिकार्ड पुलिस में?’’ अचरज से उस की आंखें फैल गईं.

‘‘अच्छे लोग नहीं हैं ये पुलिस की नजरों में,’’ नकुल बोला, ‘‘अब तक कई अपराधों को अंजाम दे चुके हैं. अनेक लड़कियां इन की हवस का शिकार हुई हैं. ये पहुंच वाले बड़े लोगों के बिगड़ैल बेटे हैं. अभय तो शहर के प्रसिद्ध नेता का लड़का है. मेरी सलाह है कि तुम इन लोगों से दूर ही रहो. हम लोग इतने साधन संपन्न नहीं हैं कि इन का कुछ बिगाड़ पाएंगे.’’

‘‘जानते हो नकुल,’’ लतिका गंभीर स्वर में बोली, ‘‘मैं तुम्हें पापा के बराबर ही मान देती हूं. सवाल सिर्फ उम्र का नहीं है जिस तरह तुम मेरी रक्षा करते हो, मेरा खयाल रखते हो, मेरी चिंता करते हो, उस सब का महत्त्व मैं समझती हूं. कोई भी लड़की तुम्हारे जैसे भाई को पा कर धन्य हो सकती है. मैं ने आज तक कभी तुम्हारी सलाह की अनदेखी नहीं की. पर भैया, मैं अभय को पसंद करती हूं.’’

‘‘अभय के जाते समय जो चमक तुम्हारी आंखों में मैं ने देखी थी उसे देख कर ही मैं समझ गया था,’’ नकुल बोला, ‘‘इसलिए यह सच भी तुम्हारे सामने रखा है वरना यह रिकार्ड मेरे पास काफी दिनों से है और मैं ने तुम्हारे सामने नहीं रखा था.’’

‘‘ठीक है भाई, मैं सावधान रहूंगी,’’ लतिका ने कुछ सोच कर कहा.

इश्क एक अजीब तरह का बुखार है. आंखों से चढ़ता है और शरीर के सारे अंगप्रत्यंग को कंपकंपा देता है. इतना सब जानने, सुनने के बावजूद लतिका अभय की सूरत को दिलोदिमाग से निकाल नहीं पाती थी. शरीर इस कदर उत्तेजित हो जाता था कि वह अपने तनाव और उत्तेजना को शांत करने के लिए अनेक उपाय करती थी. फिर उस मुक्ति के बाद वह देर तक हांफती हुई बिस्तर पर निढाल पड़ी रहती थी.

दूसरे दिन सुबह लतिका कालिज जाने लगी तो नकुल ने नाश्ते की मेज पर उस से कहा, ‘‘देखो, गलत रास्ते पर तुम बहुत आगे निकल जाओ उस से पहले ही मैं ने तुम्हें आगाह कर दिया है. आशा है तुम मेरी बात मानोगी.’’

रात को जो कुछ अभय को ले कर सोते समय लतिका ने अपने शरीर के स्तर पर महसूस किया था, उस के बाद वह नकुल की बात को बहुत मन से नहीं मान पाई थी. अभय को ले कर उस के मन में अभी भी कहीं कमजोर भावना थी.

कालिज जाते समय लतिका ने जल्दीजल्दी अखबार की खास खबरों पर नजरें दौड़ाईं तो अचानक एक खबर पढ़ कर वह हड़बड़ा गई, ‘‘नकुल भाई, यह खबर पढ़ो.’’

शहर के पास वाले कसबे में एक एकांत मकान के बूढ़े पतिपत्नी की हत्या कर सारी जमापूंजी लूट ली गई.

‘‘बेचारे ये बूढ़े दंपती तो अब अकसर ही मारे जाते हैं. कभी उन के अपने ही बच्चे उन्हें जमीनजायदाद पर कब्जा पाने के लिए मार देते हैं तो कभी बदमाश, लुटेरे यह काम कर देते हैं,’’ नकुल बोला, ‘‘कोई खास बात नहीं है. अब तो यह रोज की बात हो गई है.’’

‘‘खास बात है, नकुल,’’ लतिका कुछ सोच कर बोली, ‘‘मैं कल इसी कसबे में अभय और परमजीत के साथ गई थी और जिस मकान का विवरण यहां छपा है उस मकान के सामने अभय और परमजीत बहुत देर तक न केवल रुके बल्कि उन्होंने मोटरसाइकिल से उस मकान के कई चक्कर भी लगाए थे.’’

‘‘लेकिन हमारे पास पुलिस को देने के लिए सुबूत क्या है?’’ नकुल बोला, ‘‘फिर तुम खुद उन के साथ थीं. खामखा पुलिस तुम्हें भी लपेटेगी. इसलिए इस मामले में चुप रहना बेहतर होगा.’’

उस घटना के बाद काफी दिनों तक अभय, परमजीत और योगी कालिज में दिखाई नहीं दिए. अखबार में छपी वह घटना कुछ दिन चर्चा का विषय भी बनी रही पर जल्दी ही दूसरी घटनाओं की तरह वह भी भुला दी गई.

लतिका केंद्रीय पुस्तकालय आतीजाती रही. नोट्स लेती रही. प्रो. चोपड़ा के दिशा- निर्देशन में फ्रांस की महान उपन्यासकार बोऊवा के उपन्यासों और उन के समाजदर्शन, स्त्री की स्वतंत्रता संबंधी विचारों का मंथन करती रही. इस बीच वह चोपड़ा साहब से बोऊवा की पुस्तकों पर लंबी बहस भी करती रहती थी.

लतिका के प्रयास और मेहनत को देख कर प्रो. चोपड़ा बहुत खुश हो कर बोले, ‘‘पहले इस लघु शोध को पूरा कर लो. एम.ए. के बाद मैं तुम्हें इसी विषय पर दीर्घ शोध ग्रंथ लिखने का काम दूंगा.’’

‘‘धन्यवाद सर, आप ने मुझे इस योग्य समझा,’’ कह कर जब वह चोपड़ा साहब के बंगले से बाहर निकली तो कनक मुसकराई, ‘‘बूढ़े पर तो दिल नहीं आ गया मेरी गुल की बन्नो का?’’

‘‘कनक, मैं धर्मवीर भारती की कहानी की कुबड़ी नहीं हूं,’’ बेसाख्ता, ठहाका लगा कर लतिका हंसी, ‘‘तू जानती है कि मैं अपने मन में अभी भी अभय को पसंद करती हूं.’’

‘‘इस के बावजूद कि पास के कसबे में हुई बूढ़े दंपती की हत्या और लूट में पुलिस को उन लोगों पर ही संदेह है.’’

‘‘मेरा विश्वास है कि अंत में सब ठीक हो जाता है,’’ लतिका बोली.

‘‘क्यों जीते जी जलती आग में कूद कर जान देने पर उतारू है, लतिका.’’

बूढ़े दंपती की हत्या का मामला जब रफादफा हो गया तो अभय, परमजीत और योगी फिर कालिज में दिखाई देने लगे.

एक दिन लतिका को रास्ते में रोक कर अभय हंसहंस कर उस से बातें कर रहा था और वह भी उस की बातों में रुचि ले रही थी कि परमजीत निकट आया और बड़े आदर से उस ने लतिका को नमस्कार किया तो उसे अच्छा लगा. कोई कुछ भी कहे, ये लड़के उस से तो हमेशा ही तमीज से पेश आते हैं.

जब परमजीत जाने लगा तो अभय ने जेब से एक परची निकाल कर परमजीत को देते हुए कहा, ‘‘योगी को दे देना.’’

लतिका ने यह सोच कर ध्यान नहीं दिया कि लड़कों की आपस की बातों में वह क्यों पड़े.

कालिज के बाद जब वह चाय वगैरह पीने कैंटीन पहुंची तो एक सीट पर किसी लड़की से बात करते योगी को देखा. लेकिन वह जल्दी ही उठ गया और काउंटर पर जा कर चायनाश्ते के पैसे देने लगा. वह लड़की भी उस के साथ थी. दोनों कुछ जल्दी में थे.

लतिका ने देखा, पर्स निकालते समय योगी की जेब से एक कागज का टुकड़ा निकल कर गिरा है. वह लपक कर गई और झुक कर उसे उठा लिया. वेटर ने उस के लिए चाय, पानी और डोसा मेज पर लगा दिया था. वह उस परची को ले कर अपनी मेज पर आ गई. उसे यह पहचानते देर न लगी कि यह वही परची है जो अभय ने योगी को देने के लिए परमजीत को दी थी. परची में लिखा था:

‘‘रात 8 बजे के करीब सी.एल. से एक मुरगी निकलेगी. बाएं रास्ते से जाते समय आज उसे हलाल करना है.’’

डोसा खाती लतिका कई बार उस परची को पढ़ गई पर ‘मुरगी के हलाल’ करने का मतलब वह ठीक से समझ नहीं पाई. सी.एल. का मतलब भी उस की समझ में बहुत देर के बाद आया कि हो न हो यह सेंट्रल लाइब्रेरी की बात है. इतना समझ में आते ही वह एकदम हड़बड़ा गई. इस का मतलब मुरगी कोई और नहीं या तो खुद लतिका है या उस जैसी कोई अन्य लड़की, क्योंकि रात के 8 बजे तक लगभग सभी लड़कियां वहां से निकल आती हैं.

लतिका की समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करे. वह अपने को बचाने के लिए आज पुस्तकालय न जाए पर जो हलाल होने वाली लड़की है उसे कैसे बचाए. फिर मन में एक फैसला ले कर वह वहां से चल दी.

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मोस्ट अवेटिड फिल्म ‘Jersey’ की स्टार कास्ट ने दिल्ली में किया प्रमोशन

हाल ही में शाहिद कपूर और मृणाल ठाकुर अपनी जल्द रिलीज होने वाली फिल्म ‘जर्सी’ के प्रमोशन के सिलसिले में दिल्ली के पंचतारा होटल ली मेरिडियन पहुंचे. लगभग दो साल बाद फिल्मों में वापसी कर रहे शाहिद कपूर फिल्म ‘जर्सी’ में संघर्षशील क्रिकेटर के रोल में नजर आने वाले हैं.

आपको बता दें कि ‘जर्सी’ साउथ की इसी नाम से बनी पॉपुलर फिल्म का हिंदी रीमेक है. यह एक स्‍पोर्ट्स ड्रामा है, जिसमें एक क्र‍िकेटर के संघर्ष को दिखाया गया है. फिल्म में दिखाया है कि कैसे एक खिलाड़ी राजनीति के कारण क्रिकेट छोड़ देता है. स्पोर्ट्स कोटे से मिली नौकरी भी चली जाती है. उसका सात साल का बेटा एक जर्सी की फरमाइश करता है. जर्सी खरीदने के लिए रुपये चाहिए. इस रकम के बंदोबस्त के लिए वह फिर मैदान में उतरता है, तो इस बार सफलता उसके कदम चूमती है. लेकिन, मैच जीतने के बाद उसके दिल की धड़कनें थम जाती हैं. यह फिल्म 14 अप्रैल को बॉक्स ऑफिस पर दस्तक देने जा रही हैं.

 

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शाहिद ने बताया, ‘मैंने इस फिल्म के लिए अपने पिता (पंकज कपूर, जो इस फिल्म में शाहिद के कोच की भूमिका निभा रहे हैं) से बहुत कुछ सीखा. मैंने वास्तव में सेट पर लोगों से पंजाबी में बात करने के लिए कहा, ताकि मैं उन्हें सुन सकूं, क्योंकि भाषा को सुन—बोलकर ही इसे आत्मसात किया जा सकता है. इसे वास्तविक स्पर्श देने के लिए हमने फिल्म के एक हिस्से की शूटिंग पंजाब में की है क्योंकि जब आप उस माहौल में शूटिंग करते हैं, तो अभिनय करना और सीखना अपेक्षाकृत और आसान हो जाता है.’

फिल्म में शाहिद कपूर के अपोजिट मृणाल ठाकुर हैं. मृणाल और शाहिद पहली बार किसी फिल्म में साथ काम कर रहे हैं.  मृणाल ने बताया, ”जर्सी’ में मैं एक मजबूत महिला का किरदार निभा रही हूं. मुझे उम्मीद है कि हर महिला इस किरदार के साथ खुद को जोड़ने में सक्षम होगी, क्योंकि खुद को पीड़ित और प्रताड़ित करने के बजाय वह चमकने में सक्षम है.’

फिल्म का ट्रेलर तो पिछले साल नवंबर में ही रिलीज कर दिया गया था, जिसे दर्शकों की तरफ से शानदार रिस्पॉन्स मिला था. अब देखना ये है इस फिल्म को दर्शकों का कितना प्यार मिलता है.

Alia Bhatt के औनस्क्रीन पिता Shiv Subrahmanyam का निधन

बौलीवुड एक्ट्रेस आलिया भट्ट (Alia Bhatt) की जहां जल्द शादी होने की खबरे हैं तो वहीं उनके पिता के रोल में नजर आ चुके एक्टर शिव सुब्रमण्यम (Shiv Subrahmanyam) का निधन हो गया है. दरअसल, दिग्गज एक्टर और अवौर्ड विनर पटकथा लेखक शिव सुब्रमण्यम का बीमारी के चलते निधन हो गया है. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर….

फिल्म निर्माता ने दी जानकारी

आलिया भट्ट और अर्जुन कपूर की फिल्म ‘2 स्टेट्स’ में नजर आ चुके एक्टर शिव सुब्रमण्यम का निधन रविवार रात हो गया. दरअसल, फिल्म निर्माता हंसल मेहता ने एक्टर के निधन की खबर शेयर करते हुए लिखा, “गहन और हार्दिक दुख के साथ, हम आपको सबसे प्रतिष्ठित और महान एक्टर में से एक के निधन की सूचना देना चाहते हैं – हमारे सबसे प्यारे शिव सुब्रह्मण्यम. अविश्वसनीय रूप से प्रतिभाशाली, उन्हें व्यक्तिगत रूप से बहुत प्यार और सम्मानित किया गया था. पेशेवर रूप से भी. हम उनकी पत्नी दीया, उनके माता, पिता, रोहन, रिंकी और परिवार के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करते हैं. भानु चिट्टी और शिव के परिवार के सभी और उनके दोस्तों और उनके फैंस को संवेदना.

सेलेब्स और फैंस ने दी श्रद्धांजलि

निधन की खबर मिलते ही एक्टर के फैंस और सेलेब्स ने सोशलमीडिया के जरिए श्रद्धांजलि दी है. खबरों की मानें तो एक्टर का अंतिम संस्कार आज यानी सोमवार को होने वाला है. कई हिंदी फिल्मों और वेब सीरीज का हिस्सा रह चुके हैं, जिनमें ‘मीनाक्षी सुंदरेश्वर’, ‘नेल पॉलिश’, ‘2 स्टेट्स’, ‘हिचकी, ‘रॉकी ​​हैंडसम’, ‘स्टेनली का डब्बा’ जैसी फिल्म शामिल हैं. हालांकि फिल्म 2 स्टेट्स के जरिए एक्टर शिव को काफी पौपुलैरिटी मिली थी. दरअसल, फिल्म में एक्टर ने आलिया भट्ट के पिता का किरदार निभाया था, जिसे फैंस ने काफी पसंद किया था. वहीं लोगों में उनकी पौपुलैरिटी बढ़ गई थी.


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‘पाखी’ के बाद Anupama बनीं Shinchan, वायरल हुआ वीडियो

सीरियल अनुपमा (Anupama) जहां टीवी पर सबसे हिट सीरियल्स में से एक हैं तो वहीं जल्द ही ओटीटी की दुनिया में उसका प्रीक्वल अनुपमा नमस्ते अमेरिका (Anupama Namaste America) धूम मचाने वाला है. इसी बीच अनुपमा यानी रुपाली गांगुली (Rupali Ganguly) Shinchan बनी नजर आ रही हैं, जिसे फैंस काफी पसंद कर रहे हैं. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर…

अनुपमा बनीं शिनचैन 

 

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रुपाली गांगुली (Rupali Ganguly) इन दिनों सीरियल के प्रीक्वल की शूटिंग में बिजी चल रही हैं. हालांकि इस दौरान भी वह अपने फैंस के लिए अपडेट शेयर करना नहीं भूल रही हैं. एक्ट्रेस ने सोशलमीडिया अकाउंट पर एक वीडियो शेयर किया है, जिसमें वह शिनचैन के डायलॉग को रीक्रिएट करती नजर आ रही हैं. दरअसल, वीडियो में अनुपमा यानी रूपाली गांगुली के साथ वनराज की बहन के रोल में नजर आ रही एकता सरैया Shinchan बनीं नजर आ रही हैं.

पाखी भी बन चुकी हैं शिनचैन 

 

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रुपाली गांगुली ही नहीं इससे पहले गुम हैं किसी के प्यार में की पाखी यानी ऐश्वर्या शर्मा भी शिनचैन  की एक्टिंग कर चुकी हैं, जिसे फैंस ने काफी पसंद किया था. वहीं सोशलमीडिया पर एक्ट्रेस की वीडियो भी काफी वायरल हुई थी.

 

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सीरियल में आएगा नया ट्विस्ट

अनुमपा सीरियल की बात करें तो जल्द ही शो में शादी का माहौल देखने को मिलने वाला है. दरअसल, शो में जल्द ही अनुपमा और अनुज की शादी होने वाली है, जिसकी तैयारियां भी शुरु हो गई हैं. वहीं वनराज की नौकरी जाने के बाद काव्या ने तलाक लेने की बात कह दी है, जिसे सुनकर वनराज को झटका लगा है. हालांकि बा के कहने पर बापूजी, वनराज को समझाने की कोशिश करते नजर आते हैं. इसके अलावा अपकमिंग एपिसोड में बापूजी, बा को शादी में आने के लिए मनाते नजर आएंगे. हालांकि देखना होगा कि क्या बापूजी का ये प्लान पूरा होगा.

 

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वापसी की राह: भाग 3- बल्लू की मदद लेना क्या सही फैसला था

लेखक- विनय कुमार सिंह

वहां पर किसी ऐसे को वह जानता भी नहीं था जिस से मदद के लिए कह सके. बल्लू इन्हीं विचारों में खोया हुआ था कि उसे एक उम्मीद दिखी. उस ने फोन उठाया और इलाके के इंस्पैक्टर को लगाया. सारी बात बताने के बाद उस ने उस से मदद मांगी, लेकिन इंस्पैक्टर यह मानने को तैयार ही नहीं था कि बल्लू बिना पैसे लिए यह काम करने जा रहा है. बल्लू ने उसे समझाया कि वह वहां की पुलिस से बात करे, उन सब को उन का हिस्सा मिल जाएगा.

‘‘ठीक है, एक पेटी मुझे चाहिए, बाकी वहां वाला जो मांगेगा, वह देना पड़ेगा.’’

‘‘ठीक है साहब, आप बात करो, पैसा मिल जाएगा,’’ बल्लू ने कहा तो एक बार खुद उसे अपनी बात पर भरोसा नहीं हुआ. बिना पैसे के आज तक कोई काम नहीं किया था उस ने और आज सिर्फ एकसाथ पढ़ने वाली लड़की के लिए इतना बड़ा काम अपने पैसे से करने जा रहा है. लेकिन कुछ तो था जरीना की आंखों में, जिस ने उसे यह सब करने पर मजबूर कर दिया था.

उस इलाके के इंस्पैक्टर से बात हुई, सौदा 3 लाख रुपए में पक्का हुआ. पैसों का इंतजाम कर बल्लू ने इंसपैक्टर को पैसे भिजवाए और अब बेसब्री से जरीना की बेटी की रिहाई के बारे में सोचने लगा.

जरीना हर समय फोन को देखती, उसे भी जैसे पूरा भरोसा था कि बल्लू जरूर उस की बेटी को छुड़ा लाएगा. जब भी फोन बजता, वह भाग कर उठाती. लेकिन, फोन बल्लू के अलावा किसी और का ही होता. एक दिन बीत गया था और उसे अफसोस हो रहा था कि उस ने क्यों बल्लू का नंबर नहीं लिया. अगले दिन फिर चलूंगी बल्लू के पास और एक बार और हाथ जोड़ूंगी उस के, यही सब सोच रही थी वह कि बल्लू का फोन आया.

उस ने जरीना को बता दिया कि उस की बेटी का पता चल गया है और उम्मीद है अगले 2 दिनों में वह उसे घर ले आएगा. बस, वह इस का जिक्र किसी से न करे और परेशान न हो. जरीना की आंखों से गंगाजमुना बह निकली, उस का मन खुशियों से सराबोर हो गया था. वह जब तक बल्लू को धन्यवाद देने के बारे में सोचती, फोन कट गया था. उस ने लपक कर बेटी का फोटो उठाया और उसे बेतहाशा चूमने लगी. उस के आंसू फोटो के साथसाथ उस के दामन को भी भिगोते रहे.

इंस्पैक्टर ने बल्लू को फोन कर के उस जगह का नाम बताया जहां उसे जरीना की बेटी मिलने वाली थी. अब बल्लू को बिलकुल भी चैन नहीं था और वह अपनी जीप में कुछ साथियों के साथ निकल गया. शाम होतेहोते वह उस इलाके के इंस्पैक्टर के पास पहुंच गया. उस ने अड्डे का पता बताया और बल्लू से कहा कि वह लड़की को ले कर निकल जाए, किसी को कानोंकान खबर न हो.

बल्लू अड्डे पर पहुंचा. जरीना की बेटी बुरी हालत में थी. पिछले कुछ दिन उस ने जिस हालत में बिताए थे, उस के चलते और कुछ की उम्मीद भी नहीं थी. पुलिस को देख कर जरीना की बेटी एकदम से चौंकी और उसे समझ में आ गया कि अब शायद उस की रिहाई हो जाए.

इंस्पैक्टर ने उस की मां से उस की बात कराई और बताया कि उस ने बल्लू को भेजा है उसे लाने के लिए. जरीना की बेटी निखत ने बल्लू को कस के पकड़ लिया और उस के कंधे पर सिर रख कर फूटफूट कर रोने लगी. कुछ देर तक तो बल्लू को कुछ समझ नहीं आया, लेकिन फिर उस की आंखों से भी आंसू बह निकले.

‘‘अब चिंता मत कर बेटी, मैं आ गया हूं,’’ बोलते हुए उस ने बेटी को दिलासा दी और फिर वह इंस्पैक्टर को धन्यवाद दे कर जीप से वापस चल पड़ा. पूरे रास्ते निखत भयभीत रही, रहरह कर वह रो पड़ती थी. बल्लू उस के पास ही बैठा था और उसे दिलासा देता रहा. शाम होतेहोते बल्लू निखत को ले कर अपने शहर पहुंच गया और सीधे जरीना के घर पहुंचा. जरीना को लगातार खबर मिल रही थी उस के पहुंचने की और वह बेसब्री से दरवाजे पर ही खड़ी थी कई घंटों से.

जैसे ही जीप रुकी, निखत उतर कर भागी जरीना की तरफ. जरीना ने भी बेटी को देखा और वे दोनों एकदूसरे से लिपट कर बुरी तरह रोने लगीं. बल्लू कुछ देर ऐसे ही खड़ा जरीना और उस की बेटी को देखता रहा और फिर वह वापस अपने अड्डे पर चलने के लिए मुड़ा.

जरीना ने उस की बांह पकड़ी और फिर निखत को ले कर तीनों घर के अंदर चले गए. सब की आंखों के किनारे भी भीगे हुए थे. जरीना की बेटी तो उस से चिपक कर ही बैठी थी. अभी भी वह उस सदमे से उबर नहीं पाई थी. बल्लू भी मांबेटी को देख कर मन ही मन भीग गया. शायद पिछले कई सालों में पहली बार उस ने कोई अच्छा काम किया था जिस से उस के दिल को संतुष्टि हुई थी.

वापस आ कर बल्लू सोच में डूबा हुआ था, अब इस नेक काम को करने के बाद उसे अपना काम खटकने लगा. उसे जरीना के रूप में अब एक बहन मिल गई थी क्योंकि उस की बेटी को उस ने अपना मान लिया था.

अब उस के सामने एक बेहतर जिंदगी बिताने के लिए एक मकसद भी दिख रहा था. लेकिन जिस पेशे में वह था, उस से निकलना इतना आसान कहां था. न जाने कितने दुश्मन बन चुके थे और पुलिस में भी उस के नाम से एक बड़ी और बदनाम फाइल थी. इतना तो उसे पता ही था कि वह तभी तक बचा हुआ है जब तक वह इस पेशे में है. जिस दिन उस ने हथियार डाले, या तो दुश्मन और या फिर पुलिस उस का काम तमाम कर देगी. एक झटके में उस ने इन सब सोचों को विराम दिया और फिर वर्तमान में आ गया. हां, इतना परिवर्तन जरूर हो गया था उस में कि अब से किसी महिला या लड़की को प्रताडि़त करने वाला कोई काम नहीं करेगा.

उधर, जरीना ने फैसला कर लिया था कि अब उसे इस घटिया समाज की कोई परवा नहीं करनी है. उस समाज का क्या फायदा जो वक्त आने पर पीछे हट जाए और किसी का भला न कर सके. उस ने सोच लिया कि बल्लू को अपने घर में बुलाएगी और सारे रिश्तेदारों के सामने उसे अपना भाई बना लेगी. इसी बहाने उस की बेटी को भी एक पिता जैसे शख्स का साया मिल जाएगा. उस ने बल्लू को फोन लगाया, लेकिन उधर से आने वाली आवाज ने उसे हैरान कर दिया, ‘यह नंबर मौजूद नहीं है.’

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तीसरे ‘सरस सलिल भोजपुरी सिने अवार्ड’ में सितारों की धूम

अप्रैल महीने की शुरुआत में एक खुशनुमा शाम को बस्ती, उत्तर प्रदेश के होटल ‘बालाजी प्रकाश’ के प्रांगण में भोजपुरी सितारों का लगा जमघट, मौका था तीसरे ‘सरस सलिल भोजपुरी अवार्ड शो’ का. साल 2021 में रिलीज हुई भोजपुरी फिल्मों के आधार पर अलग अलग कैटेगरी की फिल्मों के चयन के आधार पर फिल्म अवार्ड वितरित किए गए.

शाम 6 से ही यह अवार्ड शो शुरू हो गया था, जिस में भोजपुरी गानों, डांस और हंसी की ठहाकों का ऐसा तड़का लगा कि कब रात के 12 बज गए पता ही नहीं चला.

इस समारोह में संजना ‘सिल्क’ को ‘बेस्ट आइटम डांसर’ का अवार्ड मिला. फिल्म ‘फर्ज’ के लिए अनूप तिवारी ‘लोटा’ को ‘बेस्ट कॉमिक रोल इन क्रिटिक्स’ दिया गया, तो भोजपुरी के दमदार विलेन संजय पांडेय की झोली में फिल्म ‘घूंघट में घोटाला 2’ के लिए ‘बेस्ट विलेन’ का अवार्ड आया. रोहित सिंह ‘मटरू’ को फिल्म ‘प्यार तो होना ही था’ के लिए ‘बेस्ट कॉमेडी एक्टर’ का अवार्ड मिला, तो प्रमोद शास्त्री को फिल्म ‘प्यार तो होना ही था’ के लिए ‘बेस्ट डायरेक्टर’ का अवार्ड दिया गया.

फिल्म ‘बेटी नंबर वन’ के लिए विनय बिहारी को ‘बेस्ट सांग राइटर’ का अवार्ड मिला. शुभम तिवारी को फिल्म ‘बबली की बारात’ के लिए ‘फुल कॉमेडी मूवी श्रेणी’ में ‘बेस्ट एक्टर’ का अवार्ड मिला. तारकेश्वर मिश्र ‘राही’ को भोजपुरी सिनेमा में उन के शानदार योगदान के लिए ‘भिखारी ठाकुर लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड’ से सम्मानित किया गया. अदिति रावत को फिल्म ‘जुगुनू’ के लिए ‘बेस्ट चाइल्ड आर्टिस्ट’ का अवार्ड मिला, तो अनीता रावत को फिल्म ‘बाबुल’ के लिए ‘बेस्ट नैगेटिव रोल (फीमेल) दिया गया.

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संजय श्रीवास्तव को फिल्म ‘दूल्हा ऑन सेल’ के लिए ‘बेस्ट डायरेक्टर इन सोशल मूवीज’ का अवार्ड मिला, तो देव सिंह को फिल्म ‘प्यार तो होना ही था’ के लिए ‘बेस्ट विलेन’ (क्रिटिक्स) का अवार्ड दिया गया.

भोजपुरी के स्टार कलाकार अरविंद अकेला कल्लू को फिल्म ‘प्यार तो होना ही था’ के लिए ‘बेस्ट एक्टर’ और फिल्म ‘प्यार तो होना ही था’ के लिए ही खूबसूरत यामिनी सिंह को ‘बेस्ट एक्ट्रेस’ का अवार्ड मिला. इसी फिल्म के लिए अमित हिंडोचा को ‘बेस्ट डायरेक्टर’ का अवार्ड दिया गया.

इस कार्यक्रम की सफल एंकरिंग शुभम तिवारी और डॉक्टर माही खान ने की और बहुत से नामचीन कलाकारों ने अपने डांस और गाने की प्रस्तुति से लोगों का भरपूर मनोरंजन किया.

सैक्स फैंटेसीज: बदल रही है सोच

कौमेडी सीरियल ‘भाबीजी घर पर हैं’ की कहानी कई बार सैक्स फैंटेसीज दिखाने की कोशिश करती है. इस सीरियल में अनिता और विभू मिश्रा नामक पतिपत्नी एक रोमांटिक कपल है. अनीता के करैक्टर में वह कई बार समाज की सैक्स फैंटेसीज को दिखाने की कोशिश भी करती है. अनीता जब बहुत रोमांटिक मूड में होती है, तो पति विभू से कहती है कि वह किसी दूसरे रूप में प्यार करना चाहती है. कभी वह उसे प्लंबर बनने को कहती है, कभी इलैक्ट्रीशियन तो कभीकभी गुंडामवाली तक बनने को कहती है. पति विभू उसी गैटअप में आता है. वह पत्नी से उसी अंदाज में बात करता है. इस से पत्नी अनीता को बहुत खुशी महसूस होती है. वह दोगुनी ऐनर्जी से प्यार करती है. यह कौमेडी सीरियल भले ही हो, पर इस में पतिपत्नी संबंधों को बहुत ही नाटकीय ढंग से दिखाया जा रहा है.

सैक्स को ले कर महिलाओं पर रूढिवादी सोच हमेशा हावी रही है. लेकिन अब समय के साथ यह टूटने लगी है. अब पुरुषों की ही तरह महिलाएं भी सैक्स को पूरी तरह ऐंजौय करना चाहती हैं. इसे ले कर उन के मन में कई तरह के सपने भी होते हैं. अब ये बातें भी पुरानी हो गई हैं कि कौमार्य पति की धरोहर है. अब शादी के पहले ही नहीं शादी के बाद भी सैक्स की वर्जनाएं टूटने लगी हैं. शादी के बाद पतिपत्नी खुद भी ऐसे अवसरों की तलाश में रहते हैं जहां वे खुल कर अपनी हसरतें पूरी कर सकें.

परेशानियों से बचाव

सैक्स के बाद आने वाली परेशानियों से बचाव के लिए भी महिलाएं तैयार रहती हैं. प्लास्टिक सर्जन डाक्टर रिचा सिंह बताती हैं, ‘‘शादी से कुछ समय पहले लड़कियां हमारे पास आती हैं, तो उन का एक ही सवाल होता है कि उन्होंने शादी के पहले सैक्स किया है. इस बात का पता उन के होने वाले पति को न चले, इस के लिए वे क्या करें? लड़कियों को जब इस बारे में सही राय दी जाती है तो भी वे मौका लगते ही सैक्स को ऐंजौय करने से नहीं चूकतीं. शादी के कई साल बाद महिलाएं हमारे पास इस इच्छा से आती हैं कि वे शारीरिक रूप से कुंआरी सी हो जाएं.’’

विदेशों में तो सैक्स को ले कर तमाम तरह के सर्वे होते रहते हैं पर अपने देश में ऐसे सर्वे कम ही होते हैं. कई बार ऐसे सैंपल सर्वों में महिलाएं अपने मन की पूरी बात सामने रखती हैं. इस से पता चलता है कि सैक्स को ले कर उन में नई सोच जन्म ले रही है. डाक्टर रिचा कहती हैं कि शादी से पहले आई एक लड़की की समस्या को एक बार सुलझाया गया तो कुछ दिनों बाद वह दोबारा आ गई और बोली कि मैडम एक बार फिर गलती हो गई.

सैक्स रोगों की डाक्टर प्रभा राय बताती हैं कि हमारे पास ऐसी कई महिलाएं आती हैं, जो जानना चाहती हैं कि इमरजैंसी पिल्स को कितनी बार खाया जा सकता है. कई महिलाएं तो बिना डाक्टर की सलाह के इस तरह की गोलियों का प्रयोग करती हैं. कुछ महिलाएं तो गर्भ ठहर जाने के बाद खुद ही मैडिकल स्टोर से गर्भपात की दवा ले कर खा लेती हैं. मैडिकल स्टोर वालों से बात करने पर पता चलता है कि बिना डाक्टर की सलाह के इस तरह की दवा का प्रयोग करने वाले पतिपत्नी नहीं होते हैं.

बदल रही सोच

सैक्स अब ऐंजौय का तरीका बन गया है. शादीशुदा जोड़े भी खुद को अलगअलग तरह की सैक्स क्रियाओं के साथ जोड़ना चाहते हैं. इंटरनैट के जरीए सैक्स की फैंटेसीज अब चुपचाप बैडरूम तक पहुंच गई है, जहां केवल दूसरे मर्दों के साथ ही नहीं पतिपत्नी भी आपस में तमाम तरह की सैक्स फैंटेसीज करने का प्रयास करते हैं. इंटरनैट के जरीए सैक्स की हसरतें चुपचाप पूरी होती रहती हैं. सोशल मीडिया ग्रुप फेसबुक और व्हाट्सऐप इस में अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं. फेसबुक पर महिलाएं और पुरुष दोनों ही अपने निक नेम से फेसबुक अकाउंट खोलते हैं और मनचाही चैटिंग करते हैं. इस में कई बार महिलाएं अपना नाम पुरुषों का रखती हैं ताकि उन की पहचान न हो सके. वे चैटिंग करते समय इस बात का खास खयाल रखती हैं कि उन की सचाई किसी को पता न चल सके. यह बातचीत चैटिंग तक ही सीमित रहती है. बोर होने पर फ्रैंड को अनफ्रैंड कर नए फ्रैंड को जोड़ने का विकल्प हमेशा खुला रहता है.

इस तरह की सैक्स चैटिंग बिना किसी दबाव के होती है. ऐसी ही एक सैक्स चैटिंग से जुड़ी महिला ने बातचीत में बताया कि वह दिन में खाली रहती है. पहले बोर होती रहती थी. जब से फेसबुक के जरीए सैक्स की बातचीत शुरू की है तब से वह बहुत अच्छा महसूस करने लगी है. वह इस बातचीत के बाद खुद को सैक्स के लिए बहुत सहज अनुभव करती है. पत्रिकाओं में आने वाली सैक्स समस्याओं में इस तरह के बहुत सारे सवाल आते हैं, जिन्हें देख कर लगता है कि सैक्स की फैंटेसी अब फैंटेसी भी नहीं रह गई है. इसे लोग अपने जीवन का अंग बनाने लगे हैं.

समाजशास्त्री डाक्टर मधु राय कहती हैं, ‘‘पहले ऐसी बातचीत को मानसिक रोग माना जाता था. समाज भी इसे सही नहीं मानता था. अब इस तरह की घटनाओं को बदलती सोच के रूप में देखा जा रहा है. हमारे पास सैक्स समस्याओं पर चर्चा करने आए व्यक्ति ने बताया कि वह अपनी पत्नी के साथ सैक्स करने में असमर्थ था. उस ने कई डाक्टरों से अपना इलाज भी करवाया, लेकिन कोई लाभ न हुआ. ऐसे में उस की पत्नी ने घर के नौकर के साथ संबंध बना लिए. एक दिन पति ने पत्नी को नौकर के साथ संबंध बनाते देख लिया. मगर उसे गुस्सा आने के बजाय अपने में बदलाव महसूस हुआ. उस दिन उस ने अपनी पत्नी के साथ खुद भी सैक्स संबंध बनाने में सफलता पाई. अब वह खुद को सहज महसूस करने लगा था.’’

तरहतरह के लोग

फेसबुक को देखने, पसंद करने और चैटिंग करने वालों में हर वर्ग के लोग हैं. ज्यादातर लोग गलत जानकारी देते हैं. व्यक्तिगत जानकारी देना पसंद नहीं करते.

छिबरामऊ की नेहा पाल की उम्र 20 साल है. वह पढ़ती है. वह लड़के और लड़कियों दोनों से दोस्ती करना चाहती है. 32 साल की गीता दिल्ली में रहती है. वह नौकरी करती है. उस की किसी लड़के के साथ रिलेशनशिप है. वह केवल लड़कियों से सैक्सी चैटिंग पसंद करती है. उस की सब से अच्छी दोस्त रीथा रमेश है, जो केरल की रहने वाली है. वह दुबई में अपने पति के साथ रहती है. अपने पति के साथ शारीरिक संबंधों पर वह खुल कर गीता से बात करती है. ऐसे ही तमाम नामों की लंबी लिस्ट है. इन में से कुछ लड़कियां अपने को खुल कर लैस्बियन मानती हैं और लड़कियों से दोस्ती और सैक्सी बातों की चैटिंग करती हैं. कुछ गृहिणियां भी इस में शामिल हैं, जो अपने खाली समय में चैटिंग कर के मन को बहलाती हैं. कुछ लड़केलड़कियां और मर्द व औरतें भी आपस में सैक्सी बातें और चैटिंग करते हैं.

कई लड़केलड़कियां तो अपने मनपसंद फोटो भी एकदूसरे को भेजते हैं. फेसबुक एकजैसी रुचियां रखने वाले लोगों को आपस में दोस्त बनाने का काम भी करता है. एक दोस्त दूसरे दोस्त को अपनी फ्रैंडशिप रिक्वैस्ट भेजता है. इस के बाद दूसरी ओर से फ्रैंडशिप कन्फर्म होते ही चैटिंग का यह खेल शुरू हो जाता है. हर कोई अपनीअपनी पसंद के अनुसार चैटिंग करता है. कुछ लड़कियां तो ऐसी चैटिंग करने के लिए पैसे तक वसूलने लगी हैं. वाराणसी के रहने वाले राजेश सिंह कहते हैं, ‘‘मुझ से चैटिंग करते समय एक लड़की ने अपना फोन नंबर दिया और कहा इस में क्व500 का रिचार्ज करा दो. मैं ने नहीं किया तो उस ने सैक्सी चैटिंग करना बंद कर दिया.’’

इसी तरह से लखनऊ के रहने वाले रामनाथ बताते हैं, ‘‘मेरी फ्रैंडलिस्ट में 4-5 लड़कियों का एक ग्रुप है, जो मुझे अपने सैक्सी फोटो भेजती हैं. मेरे फोटो देखना भी वे पसंद करती हैं. कभीकभी मैं उन का नैटपैक रिचार्ज करा देता हूं. इन से बात कर मैं बहुत राहत महसूस करता हूं. मुझे यह अच्छा लगता है, इसलिए मैं कुछ रुपए खर्च करने को भी तैयार रहता हूं.’’

फेसबुक के अलावा अब व्हाट्सऐप पर भी इस तरह की चैटिंग होने लगी है.

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Anemia से ऐसे पाएं छुटकारा

खून की थोड़ी सी भी कमी व्यक्ति की कार्यक्षमता पर खासा प्रभाव डालती है और रोग की जितनी गंभीर स्थिति होती है उसी अनुपात में मरीज की कार्यक्षमता भी घट जाती है.  प्रयोगों द्वारा यह पता चला है कि रक्त में केवल 1.5 ग्राम हीमोग्लोबिन कम होने से रोगी की शारीरिक श्रम करने की शक्ति काफी घट जाती है.

कार्यक्षमता में कमी

खून की कमी जिसे अंगरेजी में एनीमिया कहते हैं, खून में लाल रक्त कणिकाओं की कमी के कारण होती है. कणिकाओं के एक महत्त्वपूर्ण घटक हीमोग्लोबिन की मात्रा भी इस स्थिति में कम हो जाती है. हीमोग्लोबिन लौह तत्त्व को मिला कर बना एक जटिल यौगिक होता है और इसी के कारण रक्त और रक्त कणिकाओं का रंग लाल रहता है.

हीमोग्लोबिन रक्त द्वारा शरीर के विभिन्न अंगों को आक्सीजन पहुंचाने का खास कार्य करता है लेकिन खून में जब इस की मात्रा कम हो जाती है तो शरीर के विभिन्न अंगों को आक्सीजन भी कम मिलती है. इस कारण जैविक आक्सीकरण की क्रिया घट जाने से ऊर्जा भी कम उत्पन्न हो पाती है. यही वजह है कि रोगी की शारीरिक श्रम करने की क्षमता घट जाती है और वह जरा सा शारीरिक श्रम करने के बाद हांफने लगता है.

एनीमिया और कुपोषण

आंतों द्वारा भोजन को अवशोषित करने की शक्ति का प्रमुख कारण कुपोषण अथवा अल्प पोषण है. कुपोषण के कारण ही शरीर को पर्याप्त मात्रा में लौह तत्त्व अथवा विटामिन बी-12 और फौलिक एसिड की मात्रा नहीं मिल पाती और वह खून की कमी का शिकार हो जाता है. हमारे यहां लौह तत्त्व की कमी के कारण होने वाली रक्ताल्पता सामान्य है. सर्वेक्षणों के अनुसार 56.8 प्रतिशत गर्भवती स्त्रियां और 35.6 प्रतिशत अन्य युवा स्त्रियों के शरीर में लौह तत्त्व की मात्रा कम होने के कारण खून की कमी पाई जाती है. भारत में 20 से 50 प्रतिशत स्त्रियों में फौलिक एसिड की कमी भी पाई जाती है. रक्ताल्पता का एक प्रमुख कारण यह भी है.

खून की कमी के कुछ अन्य कारण भी हैं, जैसे, मलेरिया, पेट में कृमियों की शिकायत होना आदि. इस तरह से शरीर में खून की कमी बीमारी दूर होने पर स्वयं ठीक हो जाती है. कुछ दवाइयों जैसे क्लोरेफेनीकाल आदि को बगैर चिकित्सक के परामर्श के लंबे समय तक लेने से भी खून की कमी की स्थिति बन सकती है.

रक्त की कमी का दुष्प्रभाव मानसिक दशा पर भी पड़ता है. रोगी खून की कमी के चलते चिड़चिड़ा हो सकता है. उसे सिरदर्द की भी शिकायत रहती है. कभीकभी सीने में दर्द और हलका बुखार भी रह सकता है. अन्य लक्षण जैसे, नाखूनों, हथेलियों और चेहरे का सफेद होना एवं आखों की निचली पलक के अंदरूनी भाग की लालिमा घट जाना आदि भी मिलते हैं. खून की कमी के सही निदान के लिए इन लक्षणों के दिखाई देने पर रोगी को तुरंत चिकित्सक से संपर्क कर जांच करवानी चाहिए. आमतौर पर खून की जांचों में लाल रक्त कणिकाओं की खून में संख्या और हीमोग्लोबिन की मात्रा का पता करते हैं. एक स्वस्थ पुरुष में हीमोग्लोबिन की मात्रा 13.5 से 18 ग्राम प्रति डेसीलीटर और एक स्वस्थ स्त्री में 12 से 16 ग्राम प्रति डेसीलीटर होती है. हीमोग्लोबिन की मात्रा 10 ग्राम के आसपास होने पर उसे साधारण कमी की श्रेणी में रखते हैं और जब हीमोग्लोबिन 7 ग्राम प्रति डेसीलीटर के आसपास हो जाता है तो इसे गंभीर स्थिति माना जाता है.

यहां एक बात का उल्लेख करना जरूरी है कि कई बार खून की कमी शरीर में बगैर कोई लक्षण या परेशानी उत्पन्न किए भी हो जाती है, तब इस की पहचान केवल प्रयोगशाला में ही संभव हो पाती है. लेकिन आमतौर पर मिलने वाले लक्षणों जैसे थोड़े से श्रम पर थकान अथवा सांस फूलना, सिरदर्द आदि होने पर शीघ्र ही व्यक्ति को किसी अच्छे चिकित्सक को दिखाना चाहिए. गर्भवती माताओं एवं श्रमिकों को तो जरा सी शिकायत होने पर अपने हीमोग्लोबिन की जांच अवश्य करवा लेनी चाहिए. याद रखें खून की कमी का निदान जितनी शीघ्रता से होगा उस का इलाज भी उतना ही सरल होगा.

चिकित्सा

अब सवाल उठता है खून की कमी की समस्या को कैसे कम किया जाए तो इस से निबटने का एक प्रमुख तरीका यह है कि लोग अपने खानपान की आदतें बदलें और संतुलित आहार की ओर पर्याप्त ध्यान दें. वे प्रोटीन, विटामिन और आयरन युक्त आहार जैसे, दूध, अंडे, सोयाबीन, गुड़ पालक की भाजी एवं अन्य हरी सब्जियां तथा फल भरपूर मात्रा में खाएं. पेट में कीड़ों की शिकायत होने पर बच्चों को चिकित्सक के परामर्श पर शीघ्र दवाइयां दें. खून की कमी पैदा करने वाली बीमारियां जैसे मलेरिया आदि का इलाज भी अतिशीघ्र करवाएं. गर्भवती महिलाएं लौह और फालिक एसिड युक्त गोलियां तब तक लेती रहें जब तक उन के खून में हीमोग्लोबिन की मात्रा पर्याप्त न हो जाए. खून की कमी से पीडि़त बच्चों को भी यही दवाइयां चिकित्सक की सलाह पर कम मात्रा में देनी चाहिए.

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9 Tips: कम खर्च में इस तरह सजाएं घर

इंटीरियर का ट्रैंड हर साल बदलता रहता है. ऐसे में घर को सजाना जेब पर काफी भारी पड़ता है, क्योंकि सजावटी सामान का दाम हर साल बढ़ता है.

यहां पेश हैं, कुछ सुझाव जो आप के घर को देंगे ब्यूटीफुल लुक और वह भी आप का बजट बिगाड़े बगैर.

बजट में ऐसे सजाएं घर

1. डाइनिंग टेबल को आप आसानी से नया लुक दे सकती हैं. आजकल बाजार में कौटन, सिल्क व प्लास्टिक से बने डिजाइनर टेबलक्लौथ काफी कम दाम पर मिल जाते हैं. इन्हें खरीद कर समयसमय पर डाइनिंगटेबल पर बिछाती रहें. इसे और अच्छा लुक देने के लिए टेबल पर थोड़ीथोड़ी दूरी पर 2 छोटेछोटे फ्लावर पौट्स रखें.

2. इस के अलावा डाइनिंगटेबल के सिटिंग अरेंजमैंट के हिसाब से डाइनिंग मैट भी सजाएं. टेबल के सैंटर में नैपकिन होल्डर भी रखें, जिस में समयसमय पर अलगअलग रंग के नैपकिंस लगाएं.

3. घर को नैचुरल लुक देने के लिए आर्टिफिशियल फ्लौवर्स और कैंडल का प्रयोग बहुत किफायती रहता है.

4.  घर के कोनों को ग्रीन और रिफ्रैशिंग लुक देने के लिए इंडोर प्लांट्स का भी प्रयोग कर सकती हैं.

रूम डैकोरेशन

5. कमरों में फ्लौवर वास रखते समय यह ध्यान रखें कि हर कमरे में 1 से ज्यादा फ्लौवर वास न हो. यदि 1 से ज्यादा फ्लौवर वास कमरे में रखना चाहती हैं तो अलगअलग साइज के फ्लौवर वास खरीदें.

6. घर के अन्य कमरों की दीवारों को नया लुक देने के लिए कोलाज फोटोफ्रेम अच्छा औप्शन है. यह दीवारों को नया लुक देने के साथसाथ इस में लगी तसवीरों के जरीए यह आप की स्वीट मैमोरीज को भी हमेशा तरोताजा रखता है.

7. अगर ड्राइंगरूम बड़ा हो तो चारों कोनों में या 2 कोनों में हैंगिंग लैंप लगवाएं. ड्राइंगरूम में ट्यूबलाइट से परहेज करना बेहतर है.

8. आजकल के घरों को देखते हुए मल्टीपर्पज फर्नीचर बेहतर विकल्प है. इस की सब से बड़ी खासीयत यह है कि इसे जल्दीजल्दी बदलना नहीं पड़ता और फिर यह ज्यादा जगह भी नहीं घेरता.

9. घर में मार्बल फ्लोरिंग कराना यदि आप के बजट से बाहर है तो टाइल्स फ्लोरिंग का विकल्प चुनें. टाइल्स फ्लोरिंग कराने के कई फायदे हैं जैसे- इन्हें साफ करने के लिए ज्यादा मेहनत की जरूरत नहीं पड़ती. यदि कोई टाइल टूट जाए तो उसे बदलवाना भी आसान है और सस्ता भी पड़ता है.

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