Summer Special: ड्राईफ्रूट बनाना स्मूदी

समर में अगर आप ठंडी ठंडी स्मूदी ट्राय करना चाहते हैं तो ड्राईफ्रूट बनाना स्मूदी आपके लिए हेल्दी और अच्छा औप्शन है.

सामग्री

– 5 खजूर

– 5 बादाम

– 1 छोटा चम्मच किशमिश

– 5 काजू

– 5 पिस्ता

– 1 केला कटा हुआ

– थोड़ा सा गरम पानी

– 1 कप ठंडा दूध

– 1 छोटा चम्मच पाउडर

विधि

  1. ड्राईफ्रूट्स को गरम पानी में 10-15 मिनट के लिए भिगो दें.
  2. फिर ब्लैंडर में ड्राईफ्रूट्स के साथ बाकी सारी सामग्री डाल कर स्मूद मिश्रण बनाएं.
  3. फिर इसे अट्रैक्टिव सर्विंग जार में सर्व करें.

ये भी पढ़ें- Summer Special: घर में ही बनाएं काजू-पिस्ता Ice Cream

चेतावनी: क्या कामयाब हो पाई मीना

family story in hindi

रेतीली चांदी- भाग 1: क्या हुआ था मयूरी के साथ

हवाईजहाज में प्रथम श्रेणी की आरामदायक सीट पर बैठ मयूरी ने चैन की सांस ली. आज वह महसूस कर रही थी कि जब दिल में उमंग हो और दिमाग तनावरहित, तो हर चीज कितनी अच्छी लगने लगी है. मानो हर तरफ वसंत खिल उठा हो. बगल की सीट पर बैठे मात्र 24 घंटे पहले ही जीवनसाथी बने राहुल को एक नजर देख उस ने चारों तरफ नजर दौड़ाई. अभी भी लोग अंदर आ कर अपनी सीटों पर बैठ रहे थे. एयर होस्टैसेस अपने काम में मुस्तैदी से लगीं यात्रियों की जरूरतें पूरी कर रही थीं, उन्हें उन की सीट बता रही थीं.

थोड़ी ही देर बाद जहाज का द्वार बंद होते ही माइक्रोफोन पर एनाउंसर की मधुर आवाज गूंजी, ‘‘कृपया अपनी सीट बैल्ट्स बांध लें. कुछ ही मिनटों में प्लेन टेकऔफ करने वाला है.’’

सब अपनीअपनी बैल्ट्स बांधने में लग गए. मयूरी को बैल्ट बांधने में असुविधा होते देख राहुल ने उस की मदद कर के अपनी सीट बैल्ट भी बांध ली. कुछ ही मिनटों में जहाज आकाश की ऊंचाइयों को छूता उसे अपने देश, अपने परिवार से दूर ले जा रहा था.

पिछले 24 घंटों से विवाह की आपाधापी व रातभर ट्रेन के सफर की भागदौड़ से थके राहुल और मयूरी अब थोड़ा बेफिक्र हो आराम से बैठ पाए थे. पिछले 2 दिनों में तेजी से घटे घटनाक्रम ने मयूरी को ज्यादा सोचनेसमझने का मौका ही नहीं दिया था. राहुल को आंखें बंद किए बैठे देख वह भी अपनी सीट पर सिर पीछे टिका कर शीशे से बाहर नीले आकाश में हाथभर की दूरी पर हवा में उड़तेइतराते बादलों को देखने लगी. बादलों के पीछे से आती सूरज की किरणों ने हर बादल के टुकड़े पर एक सिल्वर लाइनिंग सी बना दी थी, मानो हर बादल के पीछे चांदी सा चमकता साम्राज्य छिपा है. उस का जी चाहा कि हाथ बढ़ा कर वह उसे अपनी मुट्ठी में भर ले. पर हवा की तेजी से भी तेज, विचारों के पंछी कब उसे अपने साथ उड़ाते अतीत की ओर ले चले, उसे पता ही न चला…

देहरादून के पास ही एक कसबे में अपनी मां वसुंधरा व छोटी बहन मीठी के साथ रहते उस का बचपन युवा अवस्था में बदला ही था जब उस के पिता एक दलाल की मारफत कुछ लोगों के साथ खाड़ी देशों में कारपैंटर की नौकरी करने गए थे. बेरोजगार गरीब लोगों ने ज्यादा पैसा कमाने की चाह में अपनी जमीनजायदाद या पत्नी के गहने बेच कर किसी तरह दलाल की मांगी हुई पूरी रकम एडवांस में जमा कराई, तब उन्हें पासपोर्ट व वीजा मिला.

विदेश यात्रा के बीच में ही एक जगह पहुंचने पर उन्हें पता चला कि अब इस के आगे वे सब सीधे रास्ते न जा कर, समुद्र के रास्ते एक केबिन में छिपा कर पहुंचाए जाएंगे. उन सब को केबिन में भेड़बकरियों की तरह ठूंस कर जहाज चल दिया और वह दलाल वहीं से वापस हो लिया था. पर असंवैधानिक तरीके से दूसरे देश की सीमा में प्रवेश करते वक्त चैकिंग के समय वे दूसरे लोगों के साथ ही पकड़ लिए गए.

कुछ दिनों तक वहां की जेल से उन के पत्र भी आते रहे. हर पत्र में वहां की सजाएं व किसी तरह वहां से छुड़ाए जाने की अपील होती थी. पर अचानक ही पत्र आने बंद हो गए थे. कोई कहता, उन लोगों को कहीं और ले जा कर नजरबंद कर दिया गया है, कोई कहता वहां की सरकार ऐसे कैदियों को जिंदा ही नहीं छोड़ती है.

विदेश गए लोगों के परिजन शुरू में पुलिस में शिकायत करने भी गए, परंतु बिना रिश्वत लिए कोई कुछ सुनने को तैयार न था. इस अवैध धंधे में लिप्त लोगों ने पुलिस वालों को समयसमय पर मासिक सुविधाशुल्क दे कर अपना कारोबार सुचारु ढंग से चलाते रहने का पूरा इंतजाम पहले ही कर रखा था. इसीलिए उन के खिलाफ किसी ने कोई कार्यवाही करने की जरूरत ही नहीं समझी.

इस बीच, वह दलाल व उस का आलीशान औफिस और कार्यकर्ता सब गायब हो चुके थे. गरीब शिकायत करते भी तो किस की और किस से? सही जानकारी का अभाव, ज्यादा पैसा कमाने की चाह और सस्ते में चोरीछिपे पहुंचा देने की दलाल की पेशकश, उन गरीबों को मौत के मुंह तक पहुंचा आई थी. मन मसोस कर परिजन सबकुछ समय पर छोड़ चुप बैठ गए थे.

तब से वसुंधरा ने ही एक प्राइमरी स्कूल में जौब कर किसी तरह घर को संभाला था. अपने पैरों पर खड़ा होने लायक शिक्षा प्राप्त करते ही मयूरी भी नौकरी के लिए आवेदन भेजने लगी थी. कई जगहों पर योग्य होते हुए भी सिफारिश के अभाव में उसे नौकरी नहीं मिल सकी जिस से उस में निराशा व कुंठा घर करने लगी थी.

उन्हीं दिनों देहरादून के एक औफिस से नौकरी का नियुक्तिपत्र आया. शायद उसे राहुल से मिलाने के लिए ही था. पहले तो वसुंधरा बेटी को नौकरी करने अकेले दूसरे शहर भेजने को तैयार नहीं थी, पर मयूरी की अपील व घर की डांवांडोल आर्थिक स्थिति उसे अपने फैसले पर ज्यादा देर कायम नहीं रख सकी. वसुंधरा ने बेटी को जाने की इजाजत दे दी.

देहरादून पहुंच कर अपने औफिस में ड्यूटी जौइन कर के मयूरी बहुत खुश थी. औफिस के पास ही बने महिला होस्टल में उस ने एक कमरा ले लिया था. उस की रूमपार्टनर सारा मौडर्न युवती थी, जो कसबे से आई मयूरी को देख अपनी नाखुशी छिपा न सकी थी. कुछ दिनों के अबोले के बाद आखिर उस ने ही पहल करते हुए मयूरी से बातचीत शुरू कर दी. वह भी उसी औफिस में काम करती थी.

मां की बंदिशों से दूर, हर फैसला लेने को आजाद, जल्द हर सुखसुविधा पा लेने की ललक और साथ ही चौबीसों घंटे सारा जैसी तेजतर्रार युवती का साथ, मयूरी की जीवनशैली में बदलाव लाने के लिए काफी थे.

मयूरी एक निचले परिवार से जीवन का सफर शुरू कर के मेहनत व लगन से सफलता की सीढ़ी चढ़ते हुए इस जीवनशैली में पहुंची थी. पैसों की तंगी के चलते अभी तक जो चीजें उसे चांद छूने के समान लगती थीं, पैसा हाथ में आते ही अब सुलभ हो गई थीं. सारी तनख्वाह वह अपने शौक पूरे करने में ही खर्च कर देती. जल्द ही वह ग्रामीण शैली छोड़ मौडर्न तौरतरीके अपनाने लगी. जैसे नया पैसे वाला फुजूलखर्ची को ही अपना शान समझ बैठता है, कुछ उसी मानसिकता से मयूरी भी गुजर रही थी. इन बदलावों का श्रेय वह सारा को देते नहीं थकती थी जो समयसमय पर उसे आधुनिक चालचलन से दोचार करा कर बदलने को प्रेरित करती थी.

विदेशों में सारा के डैडी का खिलौनों का व्यापार और इंपोर्टएक्सपोर्ट के बिजनैस में एक देश से दूसरे देश घूमते रहते उस के भाई का हर माह उसे एक मोटी रकम खर्च करने के लिए भेजना, मयूरी को उस से ईष्यालु बना जाता. ऐसे में उसे अपनी गरीबी पर कोफ्त होती. पर इतने अमीर घर की सारा जब उसे ही अपनी सब से प्यारी सहेली कहती तो मयूरी को खुद पर फख्र होता. मयूरी अपनी नई दुनिया में इतना रम गई थी कि मां के भेजे पत्रों का जवाब देने का भी उसे खयाल न रहा.

एक दो महीने इंतजार करने के बाद भी जब मां को कोई जवाब नहीं मिला, न ही बेटी की कुछ खबर, तो एक दिन अचानक वसुंधरा बेटी से मिलने देहरादून पहुंच गई. वहां बेटी का बदला हुआ रूप उसे चौंका गया था. रिसैप्शन से किसी के उस से मिलने आने की खबर पा कर मयूरी फौरन नीचे पहुंची तो मां को सामने खड़ा पाया.

सीधीसादी, चुन्नी के साथ कुरतासलवार पहनने वाली मयूरी को टाइट जींस व छोटी सी नाममात्र की टीशर्ट पहने, साथ ही लंबे लहराते बालों को कटा कर छोटी सी पोनीटेल बांधे देख वसुंधरा उसे ऊपर से नीचे देखती रह गई. मां को यों देख मयूरी थोड़ा झेंपी, फिर मां से लिपट गई. ऊपर अपने कमरे में ले जाते हुए, इसे आजकल समय के साथ चलने की जरूरत बता कर, मयूरी ने मां को संतुष्ट करने की कोशिश की.

आगे पढ़ें- वसुंधरा मयूरी से बोली, ‘बेटी,…

ये भी पढ़ें- मैं यहीं रहूंगी: क्या था सुरुचि का फैसला

नए साल के नए संकल्प

अपनी जिंदगी के 30-35 वसंत देखने के बाद भी हमारी बेसिक प्रौब्लम अभी तक सौल्व नहीं हो पाई है. हमारी समस्या है, नए साल पर नएनए संकल्प लेने और फिर शीघ्र ही उन्हें तोड़ डालने की. ज्यों ही नया साल आने को होता है, लोग न्यू ईयर सेलिब्रेशन की तैयारियों में डूब जाते हैं, किंतु हमें तो हमारी प्राथमिक समस्या सताने लगती है.

हम आदत से मजबूर हैं. संकल्प लेना हमारा जनून है तो उन्हें तोड़ना हमारी आदत या मजबूरी है. संकल्प लिए बिना हम नहीं रह सकते. भला नए साल का स्वागत बिना रिजोल्यूशन के कैसे संपन्न हो सकता है? हम अल्पमात्रा में ही सही, लेकिन अंगरेजी पढ़ेलिखे हैं. 10वीं की परीक्षा, अंगरेजी की असफलता के कारण, 10 बार के सतत प्रयासों के बाद पास की है. अंगरेजी का महत्त्व हम से ज्यादा कौन समझेगा भला?

जब हम ने जवानी की दहलीज पर पहला कदम रखा, तब हम ने जमाने के साथ कदमताल मिलाते हुए, नए साल के स्वागत के लिए अपने पारिवारिक पैटर्न को ‘आउटडेटेड’ समझ कर त्याग दिया. हमारे दादा, पिताश्री तो जमाने के हिसाब से निश्चित रूप से बैकवर्ड रहे होंगे. तभी तो वे फाइवस्टार कल्चर के अनुरूप मदिरा से थिरकते, लड़खड़ाते कदमों से कभी भी ‘न्यू ईयर सेलिब्रेशन’ के महत्त्व को नहीं समझ पाए. वे लोग तो ब्रह्ममुहूर्त में स्नानादि, पूजाअर्चना, देव आराधना, दानदक्षिणा या गरीबों की सहायता कर के नए साल की शुरुआत करते थे. हम ने ‘सैल्फ डिपैंडेंट’ होते ही ऐसे दकियानूसी खयालातों को तुरंत छोड़ने में ही अपनी समझदारी समझी. अंगरेजी कल्चर के चार्म से हम अपनेआप को कैसे दूर रख सकते थे?

हमें याद है कि नए साल पर संकल्प लेने का फैशन आज से 20 बरस पहले भी था. उस समय लड़कपन में हमारे ऊपर भी यह शौक चढ़ा और आज तक यह कायम है.

अगले नववर्ष पर हमारा संकल्प था- समयबद्धता. हम ने निश्चय किया कि हम नए साल में सब कुछ समय से करेंगे. समय का सदुपयोग करने का जनून चढ़ चुका था. आननफानन में हम ने अपने लिए एक आदर्श दिनचर्या निर्धारित कर डाली. इसे तैयार करने हेतु न जाने कितने महापुरुषों की जीवनियों का गहन अध्ययन करना पड़ा. लेकिन शीघ्र ही हमें एहसास हो गया कि महापुरुषों की  नकल करने में हमारा जीवन तो मशीन जैसा कृत्रिम बन चुका था.

हम गच्चा खा गए थे. शीघ्र ही हमारा टाइमटेबल गड़बड़ाने लगा. सुबह की सैर से ले कर स्टडी तक सब कुछ तो था, लेकिन मनोरंजन का तो नामोनिशान ही न था. जीवन बेहद बोरिंग लगने लगा. 2-4 दिनों बाद ही हमारे ऊपर से महापुरुष बनने का जनून उतर चुका था. कुछ दिन बाद ही हमारा जीवन पुराने ढर्रे पर उतर आया. सुबह लेट उठने में हमें तो स्वर्गिक आनंदानुभूति होती थी, इसलिए शीघ्र ही इस संकल्प से पीछा छुड़ाने की युक्ति खोज डाली गई.

युवा थे, इसलिए हमारे ऊपर देशभक्ति का जनून सवार था. अब तीसरे वर्ष हम ने एक ऐसा संकल्प चुना, जो यूनीक और सकारात्मक सोच से परिपूर्ण था. हमारा संकल्प था- ‘नए वर्ष से अब समाचारपत्र उसी दिन पढ़ेंगे, जिस दिन फ्रंट पेज पर हत्या, लूट, डकैती, बलात्कार की खबरें न छपी होंगी.’

घर में अनेक अखबार आने के बाद भी हम उन्हें पढ़ने में असमर्थ थे. कारण, हमेशा फ्रंट पेज ऐसी खबरों से भरा पड़ा रहता था, जिन से हमें एलर्जी थी अर्थात जिन्हें न पढ़ने का हम ने संकल्प ले रखा था. बड़े दुख के साथ यह संकल्प भी छोड़ना पड़ा.

चौथा संकल्प लेने वाले नए साल तक हमारा विवाह संपन्न हो चुका था. उस वर्ष हम ने ‘मृदु भाषण’ का संकल्प ले डाला. इस संकल्प में हमें कोई ‘साइड इफैक्ट’ नहीं दिख रहा था. लेकिन यह संकल्प तो शीघ्र ही समस्या की जड़ बन गया. आफिस हो या घर, भला हमारे ‘मृदु भाषणों’ को कौन सुनता? पत्नीजी हमारे मानसिक स्वास्थ्य पर ही शक करने लगीं. विवश हो कर हमें इस संकल्प से भी मुक्त होना पड़ा.

5वें वर्ष हम ने अपनी पत्नीजी को केंद्रित करते हुए संकल्प लिया कि उन पर कभी गुस्सा नहीं करेंगे. लेकिन इस संकल्प की भी हवा निकलते देर न लगी. पहले दिन से ही ठंडी चाय और गरम झिड़की ने हमारा सारा जोश ठंडा कर दिया. संकल्प का नशा उन की तनी हुई भृकुटियां देख कर ही रफूचक्कर हो गया. अंत में हमें उन के आगे नतमस्तक हो कर अपना संकल्प छोड़ना पड़ा.

छठे वर्ष हमारा संकल्प था- ‘मातापिता की सेवा में नववर्ष बिताना.’

यह संकल्प हमें सामाजिक, पारिवारिक और धार्मिक विचार से अत्यंत श्रेष्ठ लग रहा था. लेकिन कुदरत को शायद हमारी सफलता मंजूर ही न थी. हमारे संकल्प से पत्नीजी का गुस्सा सातवें आसमान पर जा पहुंचा. उन के तानों और व्यंग्यबाणों की अटूट वर्षा होने लगी, ‘अपने मातापिता का इतना खयाल? कभी सासससुर की सुध भी ली होती. बेचारे कितना प्रेम करते हैं आप से. वे तो पराए हैं न.’

7वें वर्ष एक बार फिर नववर्ष की तैयारियां होने लगीं. घरपरिवार से मुक्त हो कर हम ने अपने संकल्प का दायरा विस्तृत करते हुए ‘समाज सुधार’ पर केंद्रित किया. अब समाज सुधार का बीड़ा उठाते हुए हम नए साल पर लोगों को धूम्रपान, मदिरापान न करने की सलाह देने लगे. अब चूंकि हमारे अंदर तो कोई भी व्यसन था नहीं, इसलिए दूसरों पर सुधार पहल ही हमारा संकल्प था.

उस वर्ष नववर्ष की पूर्व संध्या पर आयोजित पार्टी से ही हम ने अपने महान संकल्प की घोषणा कर डाली. लेकिन हमारे सारे जोश, उत्साह से पार्टी के रंग में भंग पड़ गया. हमें पागल, सनकी समझ कर पार्टी से बाहर कर दिया गया. शीघ्र ही कालोनी वाले हमारा बहिष्कार करने लगे. कोई हमारी भावना समझने को तैयार नहीं था, इसलिए इस संकल्प ने भी शैशवावस्था में ही दम तोड़ दिया.

 

हम ने नियमित रूप से ‘डायरी लेखन’ का संकल्प शुरू किया. हम गंभीरतापूर्वक प्रतिदिन अपने दिल की बात सत्यानुरागी की तरह अपनी पर्सनल डायरी में लिखने लगे. लेकिन हमारी साफगोई, हमारी सचाई लोगों के लिए सिरदर्द बन गई. डायरी में वर्णित काल्पनिक प्रेमानुभूति और अपने शृंगाररस की पंक्तियों ने पत्नीजी के कान खड़े कर दिए. उन के द्वारा हमारी डायरी पढ़ते ही भूचाल आ गया. गृहस्थी टूटने के कगार पर जा पहुंची. इसलिए समझदारी का परिचय देते हुए हम ने तुरंत इस संकल्प की इतिश्री कर दी.

रचनात्मक कार्य करने के जनून के तहत हम ने 11वें संकल्प के रूप में अपनी कालोनी में सफाई अभियान चलाने का संकल्प लिया. हम ने लोगों को घरघर जा कर अच्छा नागरिक बनने और डस्टबिन में कूड़ा डालने के उपदेश देने शुरू किए. लेकिन इस कृत्य का परिणाम यह हुआ कि लोग हमें ही कूड़ाकचरा संग्रहकर्ता समझने लगे.

12वें वर्ष हम ने अपनी कालोनी में ‘योगा क्लासेज’ शुरू करने का संकल्प धारण किया. हम निशुल्क ही लोगों को बौडी फिटनैस के गुर सिखाने लगे. लेकिन हमारा यह संकल्प भी खतरे में पड़ गया. हमारे कैंप में महिलाओं की अपार भीड़ ने पत्नीजी का दिमाग घुमा कर रख दिया. इसलिए पत्नीजी की कृपा से यह संकल्प भी टूट कर बिखर गया.

13वें वर्ष में हमारा संकल्प था- ‘सब की सेवा करना.’ लेकिन सेवा से मेवा तो दूर, हम तो कंगाली के कगार पर जा पहुंचे, क्योंकि

लोग हमारी भावना को समझते हुए हमें बेवकूफ बनाने का प्रयास करने लगे. यह संकल्प भी असफल हो कर इतिहास की गाथा बन कर रह गया.

अब हमें लगता है कि हमारे संकल्प संभवत: होते ही तोड़ने के लिए हैं. हम प्रयास कर के भी उन्हें पूरा नहीं कर पा रहे हैं.

ये भी पढ़ें- मुसकान : क्यों टूट गए उनके सपने

‘जो मुझे दीवाना कर दे’ से सिंगर तुलसी कुमार भी हुई ग्लैमरस

मशहूर पाश्र्व सिंगर तुलसी कुमार अपनी पीढ़ी की बेहतरीन और सबसे सफल कलाकारों में से एक हैं. उनकी परवरिश संगीत के माहौल में ही हुई है. इसके अलावा वह हमेशा मेलोडियस गानों को स्वरबद्ध करने के साथ ही हर म्यूजिक वीडियो में देशी अवतार में ही नजर आती हैं. मगर उनकी सबसे बड़ी खूबी यह है कि वह सदैव विभिन्न संगीत शैलियों में प्रयोग करती रहती हैं. लेकिन अब तुलसी कुमार ने अपने एकल गीत ‘जो मुझे दीवाना कर दे‘ में तो अपना ‘देशी चोला’ उतारकर ग्लैमरस अवतार धारण करने के साथ ही इसमें वह पहली बार नृत्य करते हुए नजर आती हैं. इतना ही नहीं इस बार सिर्फ रोमांटिक गाना नही बल्कि फन पेपी डांस नंबर को उन्होने अपनी आवाज दी है. जी हॉ! इस फन पेपी नंबर में तुलसी कुमार ने नृत्य निर्देशक गणेश हेगड़े के निर्देशन में रोहित खंडेलवाल के साथ नृत्य किया है. दिलचस्प बात यह है कि तुलसी कुमार ने डांस का कोई प्रशिक्षण नही लिया है,मगर उनकी रूचि नृत्य में है. इस गाने में तुलसी कुमार के साथ संगीतकार मनन भारद्वाज ने भी अपनी आवाज दी है.

पेपी डांस नंबर ‘‘जो मुझे दीवाना कर दे’’ की दूसरी खासियत यह है कि तुलसी कुमार इसमें मार्डन पोशाक पहने हुए ग्लैमरस अवतार में नजर आ रही हैं,जबकि तुलसी कुमार अब तक अपने हर म्यूजिक वीडियो में पूर्णरूपेण भारतीय व देशी लुक में ही नजर आती रही हैं. वह कहती हैं-‘‘यह सच है कि मैं परदे पर हमेशा देशी पोशाक में ही नजर आती रही हॅंू. मगर निजी जीवन में मैं ज्यादातर ग्लैमरस पोशाकें ही पहनती हॅूं. इसलिए पहली बार मैने इस गाने में भी ग्लैमरस पोशाक पहन कर एक नया प्रयोग किया है. ’’

तुलसी कुमार इसे पार्टी सॉंग बताते हुए कहती हैं-‘‘ देखिए मुझे पेपी सांग ‘जो मुझे दीवाना कर दे‘  पर काम करने में बड़ा आनंद आया. इस गाने की कोरियोग्राफी मेरे व्यक्तित्व और मेरे द्वारा निभाए गए किरदार के अनुरूप की गई है. यह मेरा पहला अॉफिशियल डांस वीडियो है. जिसमें मुझे पहली बार नृत्य निर्देशक गणेश हेगड़े के साथ काम करने का मौका मिला. वह पहले दिन से ही वीडियो के पूरे विजुअलाइजेशन में शामिल थे और इस वीडियो की शूटिंग की प्रक्रिया के माध्यम से मुझे उनसे बहुत कुछ सीखने को मिला.   मैं एक ट्रेंड डांसर नही हूं लेकिन मैंने अपने मूव्ज को सही रखने के लिए खूब रिहर्सल किया. ’’

जबकि निर्देशक गणेश हेगड़े कहते हैं-‘‘तुलसी कुमार के साथ इस गाने पर काम करने का अनुभव बहुत ही शानदार रहा. वह अपने गाने  और डांस दोनों में एक मासूमियत और चंचलता लाती हैं,जिसे हमने इस गाने में अपनी कोरिओग्राफी के माध्यम से कैप्चर किया है. वह बहुत जल्दी डांस स्टेप्स को सीखने की इच्छा रखती हैं. ’’

गायक व संगीतकार मनन भारद्वाज कहते हैं, ‘‘मैंने पहले भी तुलसी के  कई कंपोजिशन पर काम किया है, लेकिन ‘जो मुझे दीवाना कर दे‘ यह मेरे लिए बहुत ही खास है. क्योंकि मुझे इस बार उनके साथ गाने का मौका मिला है. इस गाने पर एक साथ काम करते हुए हमने बहुत अच्छा समय बिताया और दर्शकों के समक्ष कुछ अलग और नया लाने का प्रयास किया.  मुझे लगता है कि इस ट्रैक में हमारी आवाज बहुत अच्छी है. ’’

ये भी पढ़ें- Sonam Kapoor के घर में हुई करोड़ों की चोरी

वैधव्य से मुक्ति: भाग 3- खूशबू ने क्या किया था

कहानी- लक्ष्मी प्रिया टांडि

‘बेटी, तब मैं तुम्हारी मदद कर दिया करूंगी. पहले भी तो मैं रसोई का काम किया करती थी,’ मैं ने उसे समझाने की गरज से कहा.

‘न…बाबा…न. मेरे पापा को पता चलेगा तो मुझे बहुत डांट पड़ेगी कि मैं आप से काम करवाती हूं. फिर जब मैं आप से ही मदद नहीं ले सकती तो बूआजी और बड़ी मां से कैसे लूं? वे तो आप से भी बड़ी हैं. एक काम किया जा सकता है. सभी के लिए एक जैसा भोजन बनाया जा सकता है. इस से मुझे भी दिक्कत नहीं होगी और सभी लोग एक जैसे भोजन का आनंद ले सकेंगे.’

‘क्यों न कल से मां के लिए सभी के जैसा खाना बनाया जाए? क्योंकि सिर्फ मां को ही मांसाहारी भोजन से परहेज है, पर बाकी लोग तो खुशी से शाकाहारी भोजन खा सकते हैं,’ खुशबू ने कहा तो सब के चेहरों की मुसकान गायब हो गई.

करीबकरीब हर रोज मांसाहारी भोजन का स्वाद लेने वाली जेठानी और ननद की जबान यह सुन कर अकुला उठी. ननद ने कहा, ‘अरे, ऐसा कैसे हो सकता है. हम रोज घासफूस नहीं खा सकते.’

‘क्यों नहीं खा सकते?’ खुशबू ने जोर दे कर कहा, ‘जिस भोजन की कल्पना से आप लोग घबरा उठी हैं वही खाना मां इतने सालों से खाती आ रही हैं, यह विचार भी कभी आप लोगों के दिलों में आया है?’

खुशबू के इस तर्क पर जेठानी ने होशियारी दिखाते हुए बात संभालने की गरज से कहा, ‘तू ठीक कहती है, बहू, खानेपीने में क्या रखा है, यह तो लता ही कहती है कि तामसिक भोजन से मन में विकार उत्पन्न होता है. इसलिए विधवा को सात्विक भोजन करना चाहिए,’ फिर मेरी तरफ देखती हुई ठसक से बोलीं, ‘देख लता, अब तेरी यह जिद नहीं चलने वाली. तुझे भी वही खाना पड़ेगा जो हम सब खाते हैं. बहू ठीक ही तो कहती है.’

इस पर ननद ने भी अनिच्छा से समर्थन जताया क्योंकि उन की चटोरी जबान सागसब्जी खा कर तृप्त नहीं हो सकती थी. सालों बाद मैं ने अपना पसंदीदा भोजन किया. मेरा दिल खुशबू को लाखलाख दुआएं देता रहा था.

मेरे साथ प्रतिबंध और नियमकानून का आखिरी दौर निशा की शादी में खत्म हुआ. शादी से एक दिन पहले निशा जोरजोर से रोए जा रही थी. पहले तो सब ने यह समझा कि मायके से बिछुड़ने का गम उसे सता रहा है पर बात कुछ और थी. खुशबू के बहुत पूछने पर निशा ने बताया कि उसे इस बात का दुख है कि मां चाहते हुए भी उस की शादी नहीं देख पाएंगी. पिता तो थे नहीं, मां भी शादी के मंडप में मौजूद नहीं होंगी.

जब खुशबू ने घर में ऐलान किया कि निशा की शादी के मंडप में मां भी बैठेंगी तो घर में मौजूद स्त्रियां भड़क उठीं कि विधवा की मौजूदगी से शुभ काम में अमंगल होगा.

ननद ने कहा, ‘बहू, तुम्हारी हर उलटीसीधी बात मैं अब तक मानती रही हूं पर इस बार तुम चुप ही रहो तो अच्छा है क्योंकि तुम्हें इस घर के रीतिरिवाजों का पता नहीं है. अपनी मर्यादा में रहा करो और मुझे अपने एस.पी. पापा के ओहदे की धौंस मत दिखाओ. हद हो गई…’

बस, यह चिनगारी काफी थी. निशा को बैठा छोड़ खुशबू तन कर खड़ी हो गई और जो बोलना शुरू किया तो सभी को काठ मार गया. बोली, ‘आप ने सही कहा, बूआजी. आज तो सच में हद हो गई. यह सही है कि मैं ठीक से आप के रस्मोरिवाजों को नहीं जानती पर मैं खुद एक औरत हूं. इसलिए एक औरत की भावना को अच्छी तरह समझ सकती हूं.

‘छोटा मुंह बड़ी बात कह रही हूं. इसलिए माफ कीजिएगा. मैं यह कहे बिना नहीं रह सकती कि जो नियम और कायदेकानून मां पर लागू होते हैं वे सब आप पर भी लागू होते तो ज्यादा बेहतर होता. मां विधवा होने का जो कष्ट भोगती  आ रही हैं, उस में उन की कहीं कोई गलती नहीं है क्योंकि यह कुदरत का नियम है कि जो जन्मा है उसे मरना है. पर आप तो जीतेजी फूफाजी और अपने बच्चों को छोड़ आई हैं. आप न तो अच्छी मां साबित हुईं न ही एक अच्छी पत्नी. फिर भी आप के लिए संसार की हर सुखसुविधा, साजशृंगार, खानपान और आमोदप्रमोद वर्जित नहीं हैं, क्यों? सिर्फ इसलिए कि आप की मांग में सुहागन होने का लाइसेंस चमक रहा है.’

सभी जड़ हो कर खुशबू के तर्क को सुन रहे थे. यद्यपि मेरे हितों के लिए वह सब को चुनौती दे रही थी फिर भी मैं ने उसे चुप होने के लिए कहा, ‘खुशबू, बेटी, बस कर, तू भी…’

इशारे से मुझे खामोश करते हुए खुशबू बोली,  ‘मां, बस, आज भर मुझे कहने से मत रोको. आज के बाद मैं इन से कुछ नहीं कहूंगी. बड़ी मां और बड़े पापा, आप लोगों ने भी बूआजी को सही रास्ता न दिखा कर उलटे उन्हीं का पक्ष  लिया. दुख तो इस बात का है कि हम यह समझ ही नहीं पाते कि पति के गुजरने के बाद तो वैसे भी औरत जीतेजी मर जाती है. जो थोड़ाबहुत सुख उसे मिल सकता है उस से भी हम धर्म और परंपरा के नाम पर यह कह कर उसे वंचित कर देते हैं कि यह सब विधवाओं के लिए नहीं है.’

फिर ननद की ओर देखती हुई बोली, ‘बूआजी, मैं ने अपनी मर्यादा और हदों को कभी पार नहीं किया और न ही कभी करूंगी परंतु इस का उल्लंघन भी अपनी ससुराल को छोड़ कर आप ही ने किया है. मेरे लिए यह खुशी की बात हो सकती है कि मेरे पापा एक नामी एस.पी. हैं पर न तो इस वजह से मैं ने किसी पर रौब गांठा है अगर मेरी कही बातें आप लोगों को गलत लगी हों तो मैं हाथ जोड़ कर आप सभी से माफी मांगती हूं.’

सहसा तालियों की आवाज से मैं वर्तमान में आ गई, मैं ने देखा कि समधीजी हमारे बीच खड़े हुए थे. उन्होंने आगे बढ़ कर खुशबू के सिर पर हाथ रखा, ‘‘बेटी, तू धन्य है. मुझे गर्व है कि ऐसे परिवार से हमारा रिश्ता जुड़ गया है जहां इतने अच्छे विचारों वाली लड़की रहती है. मैं ने सब सुन लिया है और यह मेरा वादा है कि आज से तुम्हारी सास इस घर में होने वाले हर मांगलिक कार्य में सब से पहले भाग लेंगी और यथायोग्य आशीर्वाद भी देंगी.’’

इस तरह उस दिन के बाद से मैं विधवा तो थी पर वैधव्य के कष्ट से मुझे मुक्ति मिल गई. मेरी ननद पर खुशबू की बातों  का ऐसा असर हुआ कि वह अगले दिन ही पहली गाड़ी से अपनी ससुराल रवाना हो गईं.

ये भी पढ़ें- उसकी मम्मी मेरी अम्मा: दीक्षा को क्या हुआ था

Sonam Kapoor के घर में हुई करोड़ों की चोरी

बौलीवुड एक्ट्रेस सोनम कपूर (Sonam Kapoor) की पर्सनल लाइफ आए दिन सुर्खियों में रहती है. जहां बीते दिनों एक्ट्रेस की प्रैग्नेंसी ने फैंस को हैरान कर दिया था तो वहीं अब खबर है कि एक्ट्रेस और उनके पति आनंद आहूजा (Anand Ahuja) के घर में चोरी हो गई है. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर….

दिल्ली वाले घर में हुई चोरी

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Sonam Kapoor Ahuja (@sonamkapoor)

इन दिनों मुंबई में रह रही एक्ट्रेस सोनम कपूर के दिल्ली वाले घर में चोरी हो गई है. दरअसल, खबरों की मानें तो सोनम कपूर के सास ससुर ने पुलिस कंपलेंट करवाई है. वहीं हाई प्रोफाइल केस के चलते कार्रवाई भी शुरु हो गई है. इसके अलावा बताया जा रहा है कि सोनम कपूर और आनंद आहूजा के घर में करीब 1.41 करोड़ रुपये की चोरी हुई है, जिसके कारण घर के 25 कर्मचारियों से पूछताछ भी की गई है.

घर में रहते थे सास ससुर

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Sonam Kapoor Ahuja (@sonamkapoor)

दरअसल, सोनम कपूर और आनंद आहूजा के दिल्ली वाले घर में  उनके सास-ससुर और आनंद आहूजा की दादी सरला आहूजा रहती हैं. वहीं चोरी की भनक 11 फरवरी को परिवार को लगी थी, जिसके बाद ये केस फाइल किया गया. वहीं इससे पहले खबरें थीं कि सोनम कपूर के ससुर धोखा धड़ी के शिकार हुए थे. दरअसल, बताया गया था कि 27 करोड़ की धोखाधड़ी में 10 लोगों की गिरफ्तारी भी हुई थी.

प्रैग्नेंसी को लेकर सुर्खियों में हैं एक्ट्रेस

एक्ट्रेस सोनम कपूर ने बीते दिनों अपनी प्रैग्नेंसी का खुलासा किया था, जिसके बाद वह मुंबई की एक पार्टी में बेबी बंप फ्लौंट करती नजर आईं थीं. वहीं फैंस और सेलेब्स ने भी उन्हें बधाई दी थी. हालांकि वह कई बार ट्रोलिंग का शिकार भी हो चुकी हैं. लेकिन वह ट्रोलर्स को करारा जवाब देते हुए नजर आती हैं.

बता दें, साल 2018 में सोनम कपूर ने शादी की थी, जिसके बाद उन्होंने कई बार अपनी बीमारी पीसीओस होने की बात भी फैंस के साथ शेयर की थी. वहीं अब साल 2022 में एक्ट्रेस ने अपनी प्रैग्नेंसी की खबर से फैंस को खुश कर दिया है.

ये भी पढ़ें- Kapil Sharma को बेटी अनायरा ने किया Birthday विश, देखें Cute वीडियो

Kapil Sharma को बेटी अनायरा ने किया Birthday विश, देखें Cute वीडियो

कौमेडियन कपिल शर्मा (Kapil Sharma) आए दिन सुर्खियों में रहते हैं. वहीं इसी बीच बीते दिनों उन्होंने पेड़ लगाकर अपना 41वां बर्थडे सेलिब्रेट किया. हालांकि अब कपिल शर्मा के बर्थडे (Kapil Sharma Birthday) पार्टी की वीडियो सामने आ गई है, जिसमें उनकी बेटी अनायरा (Anayra Sharma)क्यूट अंदाज में पापा को विश करती नजर आ रही है. आइए आपको दिखाते हैं वायरल वीडियो की झलक…

बेटी ने ऐसे किया पापा कपिल शर्मा को विश

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Viral Bhayani (@viralbhayani)

बीते दिनों 2 अप्रैल 2022 को अपना 41वां बर्थडे सेलिब्रेट करने वाले कपिल शर्मा ने अपनी इंस्टा स्टोरी पर वीडियो शेयर किया है. दरअसल, वीडियो में कपिल शर्मा फैमिली और दोस्तों संग बर्थडे सेलिब्रेट करते नजर आ रहे हैं. वहीं वीडियो में बेटी अनायरा अपने पापा को क्यूट वौइस में विश करते हुए केक काटती हुई दिख रही है. इस दौरान अनायरा अपनी मां गिन्नी चथरथ की गोद में तो कपिल शर्मा की गोद बेटा त्रिशान दिखाई दे रहा है. फैंस को अनायरा और कपिल शर्मा का ये वीडियो काफी पसंद आ रहा है.

हिमाचल में हैं कपिल शर्मा

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Yasir hussain (@yasir_hussain_singer)

बीते कुछ दिनों से कपिल शर्मा अपनी फैमिली संग हिमाचल प्रदेश पहुंचे हुए हैं, जिसकी फोटोज और वीडियो वह फैंस के साथ शेयर कर रहे हैं. दरअसल, एक फोटो में बर्थडे के मौके पर कपिल शर्मा पेड़ लगाते हुए नजर आ रहे हैं. हालांकि फैंस त्रिशान और अनायरा की फोटो और वीडियो देखने के लिए बेताब नजर आ रहे हैं और कपिल शर्मा से लेटेस्ट फोटोज और वीडियोज शेयर करने की बात कहते दिख रहे हैं.

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Yasir hussain (@yasir_hussain_singer)

बता दें, कपिल शर्मा की बेटी अनायरा की वीडियो और फोटोज अक्सर सोशलमीडिया पर वायरल होती रहती हैं, जिसे फैंस काफी पसंद करते हैं. बीते दिनों वायरल हुई एक वीडियो में अनायरा, शाहरुख खान के गाने लुंगी डांस पर थिरकती नजर आई थीं. वहीं बेटी को देखकर कपिल शर्मा खुश होते हुए दिखे थे.

ये भी पढ़ें- Debina-Gurmeet की बेटी से मिलने पहुंचीं ‘Babita Ji’, फोटोज वायरल

Summer Special: घर में ही बनाएं काजू-पिस्ता Ice Cream

गर्मियां आ गई हैं ऐसे में ठंडी ठंडी आइसक्रीम आपको राहत दिला सकती है. घर में आप आसानी से काजू पिस्ता आइसक्रीम बना सकती हैं. ये हेल्दी होने के साथ-आपके बच्चों को भी खूब पसंद आएगी.

साम्रगी

फूल क्रीम दूध

पाउडर चीनी -70 ग्राम

काजू – 15

छोटी इलायची – 3

पिस्ता – 14

विधि

आइसक्रीम बनाने के लिए सबसे पहले दूध को गर्म करें. दूध को तब तक गर्म करें जब तक कि वह गाढ़ा न हो जाए. अब इसमें पिसे हुए अखरोट, काजू और पिस्ता डाल दें. इसके बाद इलायची और चीनी को इसमें डालकर इस मिश्रण को गाढ़ा होने तक पकाएं.

इसके बाद जब मिश्रण गाढ़ा हो जाए तो इसे ठंडा होने दें औरइसके बाद आइसक्रीम कंटेनर में रखकर फ्रीजर में रख दें. काजू और पिस्ता के साथ सर्व करें.

ये भी पढ़ें- Summer Special: शाम के नाश्ते में बनाएं ये टेस्टी रोल

Cancer से सुरक्षि‍त रखेंगे ये सुपरफूड

कैंसर एक जानलेवा बीमारी है. दावे तो बहुत से किए जा चुके हैं लेकिन सच्चाई यही है कि अभी तक इसकी कोई सच्ची और अचूक दवा नहीं बनायी जा सकी है. हालांकि शुरुआती चरण में इसका पता चल जाए तो इसकी रोकथाम की जा सकती है लेकिन एक स्टेज के बाद इसका इलाज संभव नहीं है.

कुछ उपाय हैं लेकिन वो इतने महंगे हैं कि हर कोई उन्हें अफोर्ड नहीं कर सकता. कैंसर भी कई प्रकार के होते हैं और हर तरह के कैंसर के अपने खतरे होते हैं. वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन की एक रिपोर्ट के अनुसार, आने वाले 10-15 सालों में कैंसर मौजूदा समय से 70 फीसदी तक बढ़ जाएगा.

कैंसर होने के बहुत से कारण होते हैं लेकिन आप चाहें तो अपनी डाइट में कुछ सुधार और बदलाव करके कैंसर के खतरे को काफी कम कर सकते हैं.

1. ब्रोकली

ब्रोकली खाने से कैंसर होने का खतरा कम हो जाता है. इसे माउथ कैंसर, ब्रेस्ट कैंसर, लीवर कैंसर होने का खतरा काफी कम हो जाता है. सप्ताह में दो से तीन बार ब्रोकली खाना फायदेमंद होता है. यूं तो ब्रोकली को सब्जी के रूप में या फिर सूप के रूप में लिया जा सकता है लेकिन ब्रोकली को उबालकर हल्के नमक के साथ लेना सबसे अधि‍क फायदेमंद है.

2. ग्रीन टी

ग्रीन टी पीने से कैंसर का खतरा कम होता है. ये ब्रेस्ट कैंसर और प्रोस्टेट कैंसर से सुरक्षित रखने में मददगार है. नियमित रूप से 2-3 कप ग्रीन टी पीना फायदेमंद है.

3. टमाटर

टमाटर में भरपूर मात्रा में एंटी-ऑक्सीडेंट पाए जाते हैं, जो इम्यून सिस्टम को बूस्ट करने का काम करते हैं. टमाटर, विटामिन A, C और E का भी बेहतरीन स्त्रोत है. इसके साथ ही ये ब्रेस्ट कैंसर से भी बचाव का अच्छा उपाय है. टमाटर का जूस पीने या फिर इसे सलाद के रूप में लेना फायदेमंद होता है.

4. ब्लू बैरी

ब्लू बैरी कैंसर से बचाव का अचूक उपाय है. ब्लू बैरी स्किन, ब्रेस्ट और लीवर कैंसर से सुरक्षित रखने में मददगार है. ब्लू बेरी का रस पीना सबसे ज्यादा फायदेमंद होता है.

5. अदरक

अदरक भी कई तरह के कैंसर से बचाव में सहायक है. अदरक शरीर में मौजूद टॉक्स‍िन्स को दूर करने का काम करता है. इसके सेवन से स्किन, ब्रेस्ट कैंसर होने की आशंका बहुत कम हो जाती है.

6. लहसुन

लहसुन में कई ऐसे तत्व पाए जाते हैं जो कैंसर से सुरक्षित रखते हैं. रोजाना एक या दो कली कच्चा लहसुन खाने से कैंसर का खतरा काफी कम हो जाता है.

ये भी पढ़ें- हेल्थ के लिए भी फायदेमंद हैं ये 5 तेल

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें