Cancer से सुरक्षि‍त रखेंगे ये सुपरफूड

कैंसर एक जानलेवा बीमारी है. दावे तो बहुत से किए जा चुके हैं लेकिन सच्चाई यही है कि अभी तक इसकी कोई सच्ची और अचूक दवा नहीं बनायी जा सकी है. हालांकि शुरुआती चरण में इसका पता चल जाए तो इसकी रोकथाम की जा सकती है लेकिन एक स्टेज के बाद इसका इलाज संभव नहीं है.

कुछ उपाय हैं लेकिन वो इतने महंगे हैं कि हर कोई उन्हें अफोर्ड नहीं कर सकता. कैंसर भी कई प्रकार के होते हैं और हर तरह के कैंसर के अपने खतरे होते हैं. वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन की एक रिपोर्ट के अनुसार, आने वाले 10-15 सालों में कैंसर मौजूदा समय से 70 फीसदी तक बढ़ जाएगा.

कैंसर होने के बहुत से कारण होते हैं लेकिन आप चाहें तो अपनी डाइट में कुछ सुधार और बदलाव करके कैंसर के खतरे को काफी कम कर सकते हैं.

1. ब्रोकली

ब्रोकली खाने से कैंसर होने का खतरा कम हो जाता है. इसे माउथ कैंसर, ब्रेस्ट कैंसर, लीवर कैंसर होने का खतरा काफी कम हो जाता है. सप्ताह में दो से तीन बार ब्रोकली खाना फायदेमंद होता है. यूं तो ब्रोकली को सब्जी के रूप में या फिर सूप के रूप में लिया जा सकता है लेकिन ब्रोकली को उबालकर हल्के नमक के साथ लेना सबसे अधि‍क फायदेमंद है.

2. ग्रीन टी

ग्रीन टी पीने से कैंसर का खतरा कम होता है. ये ब्रेस्ट कैंसर और प्रोस्टेट कैंसर से सुरक्षित रखने में मददगार है. नियमित रूप से 2-3 कप ग्रीन टी पीना फायदेमंद है.

3. टमाटर

टमाटर में भरपूर मात्रा में एंटी-ऑक्सीडेंट पाए जाते हैं, जो इम्यून सिस्टम को बूस्ट करने का काम करते हैं. टमाटर, विटामिन A, C और E का भी बेहतरीन स्त्रोत है. इसके साथ ही ये ब्रेस्ट कैंसर से भी बचाव का अच्छा उपाय है. टमाटर का जूस पीने या फिर इसे सलाद के रूप में लेना फायदेमंद होता है.

4. ब्लू बैरी

ब्लू बैरी कैंसर से बचाव का अचूक उपाय है. ब्लू बैरी स्किन, ब्रेस्ट और लीवर कैंसर से सुरक्षित रखने में मददगार है. ब्लू बेरी का रस पीना सबसे ज्यादा फायदेमंद होता है.

5. अदरक

अदरक भी कई तरह के कैंसर से बचाव में सहायक है. अदरक शरीर में मौजूद टॉक्स‍िन्स को दूर करने का काम करता है. इसके सेवन से स्किन, ब्रेस्ट कैंसर होने की आशंका बहुत कम हो जाती है.

6. लहसुन

लहसुन में कई ऐसे तत्व पाए जाते हैं जो कैंसर से सुरक्षित रखते हैं. रोजाना एक या दो कली कच्चा लहसुन खाने से कैंसर का खतरा काफी कम हो जाता है.

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शादी की 7 नई परिभाषाएं

शादी जिंदगी का सब से महत्त्वपूर्ण रिश्ता है. हर रिश्ते में कुछ उसूल, सिद्धांत और नियम होते हैं. मगर यह जरूरी नहीं कि जो नियम एक रिश्ते पर सही साबित हों वे दूसरे पर भी लागू हो जाएं. समय के साथ हर चीज बदलती है तो फिर पतिपत्नी के रिश्ते में भी बदलाव लाजिम है. कुछ वर्षों से दांपत्य के रिश्ते में भी बदलाव आए हैं. कुछ मान्यताएं पुरानी मानी जाने लगी हैं और उन की जगह नई मान्यताएं लेने लगी हैं. वे अच्छी हैं या बुरी इस का फैसला हर दंपती अपने हिसाब से करता है.

जानिए, किस तरह बदल रहे हैं आज के दंपती शादी की पुरानी परिभाषाओं को:

1. पार्टनर की इच्छा

पुरानी परिभाषा: शादी में पार्टनर की इच्छा को महत्त्व देना जरूरी है.

नई परिभाषा: वैसे तो नया नियम इस पुराने नियम को खारिज नहीं करता, पर यह जरूर कहता है कि शादी में इतना समर्पित होना भी अच्छा नहीं कि अपना वजूद ही खत्म हो जाए. अपनी इच्छाओं और जरूरतों को समझना जरूरी है. तभी रिश्ते खुश रह सकेंगे. अगर रिश्ते खुश नहीं रहेंगे तो जीवन में किसी मोड़ पर शिकायतें जन्म लेने लगेंगी. इसलिए अपनी इच्छाओं व जरूरतों में फर्क करना और उन्हें समझना जरूरी है. खुद की खुशी नहीं चाहेंगे तो दूसरे को भी खुश नहीं रख सकेंगे.

2. संबंधों में पहल

पुरानी परिभाषा: सैक्स संबंधों में पहल पुरुष को करनी चाहिए.

नई परिभाषा: नए दंपती मानते हैं कि सैक्स संबंधों में पहल कोई भी कर सकता है. स्त्रियां भी अब ऐक्टिव पार्टनर हैं. वे अपनी सैक्सुअल संतुष्टि को ले कर खुल कर बात करती हैं. पुरुष भी फीमेल पार्टनर की इच्छा, पसंदनापसंद का खयाल रखते हैं. सैक्स पर खुल कर बात करना अब टैबू नहीं रहा. ये कपल्स फैमिली प्लानिंग, सैक्सुअल हैल्थ पर कोर्टशिप के दौरान ही बात करना ठीक समझते हैं. नई व्यस्त दिनचर्या में तो वे डेट प्लानिंग भी करने लगे हैं. सैक्स संबंधों को वे ऐंजौय करते हैं. साथ ही लंबे समय तक सैक्सुअली ऐक्टिव रहने के लिए अपने स्वास्थ्य पर भी ध्यान देने लगे हैं. पतिपत्नी के रिश्ते में सबकुछ अच्छा चले, इस के लिए प्यार ही नहीं, सैक्सुअल कंपैटिबिलिटी भी जरूरी है. इस सैक्सुअल कैमिस्ट्री में कई पहलू शामिल हैं जैसे चाह, अभिव्यक्ति का तरीका, सैक्स वैल्यूज और सैक्सुअल पर्सनैलिटी.

कई कपल्स के बीच मानसिक, भावनात्मक अनुकूलता तो होती है, लेकिन सैक्सुअल स्तर पर सोच एकजैसी नहीं होती. इस से रिश्ते का एक पहलू उपेक्षित होता है. नतीजा होता है असंतुष्टि, सैक्सुअल कुंठाएं, अवसाद, बेचैनी, भावनात्मक दूरी, गुस्सा और कई बार नपुंसकता भी. दोनों पार्टनर्स को सैक्स में संतुष्टि नहीं मिलती तो धीरेधीरे एक पार्टनर सैक्स से भागने लगता है. इस से कम कामेच्छा (लो लिबिडो) की भावना पनपने लगती है, जो समय के साथ जीरो लिबिडो में बदल सकती है. इस से रिश्ते के बाकी पहलू भी प्रभावित होने लगते हैं.

रश्मि और मानस शादी के 3 साल बाद काउंसलर से मिलने पहुंचे. पत्नी की लो डिजायर्स और पति की अधिक इच्छा के बीच तालमेल नहीं बैठ पा रहा था. बातचीत में दोनों ने माना कि उन्होंने कभी एकदूसरे से अपनी सैक्स डिजायर्स नहीं बांटीं. सैक्स सिर्फ शारीरिक ही नहीं भावनात्मक क्रिया भी है. हर कपल के लिए जरूरी है कि वे इस पर बात करें. इंटरकोर्स के बाद उन्हें कैसा महसूस होता है? वे अंतरंग रिश्ते से क्या चाहते हैं? इसे वे करीब आने का जरीया मानते हैं या शारीरिक रसायनों को रिलीज करने का माध्यम? उन्हें सैक्स में ऐक्स्प्लोर करना अच्छा लगता है या वे सिर्फ इसे निभाते हैं? यदि एक के लिए सैक्स का अर्थ प्यार और इंटीमेसी है और दूसरे के लिए केवल रिलैक्स होने का तरीका तो उन के बीच सैक्सुअल कैमिस्ट्री मुश्किल हो सकती है.

3. झगड़ा और दांपत्य

पुरानी परिभाषा: झगड़ों से रिश्तों में दरार पड़ती है.

नई परिभाषा: झगड़ों से रिश्ते में प्यार बढ़ता है. बशर्ते उन्हें सही समय पर सुलझा लिया जाए और तार्किक ढंग से उन पर सोचा जाए. नए जोडे़ मानते हैं कि पतिपत्नी होने का अर्थ यह नहीं कि हर बात पर समान ढंग से सोचा जाए. मतभिन्नता हो सकती है और कई बार छोटीछोटी बातों पर बहस हो सकती है. बहस हो भी क्यों नहीं. आखिर अपनी बात रखने का यह सब से प्रभावशाली तरीका है.

4. अलगाव

पुरानी परिभाषा: शादी 7 जन्मों का बंधन है. इस में तलाक की बात नहीं करनी चाहिए.

नई परिभाषा: शादी इसी जन्म में निभाया जाने वाला रिश्ता है. यह बंधन नहीं. कई बार ऐसी स्थितियां आ जाती हैं जब पतिपत्नी का साथ चलना असंभव हो जाता है. पुरजोर कोशिशों के बावजूद यदि मुद्दे नहीं सुलझते तो रिश्तों को ढोते रहने के बजाय नए कपल समझदारी से अलग हो जाते हैं. कई कपल्स ऐसे भी हैं जिन के बच्चे हैं और अलग होने के बावजूद वे परवरिश से जुड़ी जिम्मेदारियां मिलजुल कर निभा रहे हैं.

5. जब न सुलझे विवाद

पुरानी परिभाषा: घर की बात घर में रहे, बाहर न जाए.

नई परिभाषा: पतिपत्नी को आपसी मामले खुद सुलझाने चाहिए. उन्हें किसी से शेयर नहीं किया जाना चाहिए. इस पुरानी धारणा को नए दंपती एक सीमा के भीतर ही स्वीकार करते हैं. जब तक उन्हें लगता है कि वे खुद समस्या को सुलझा सकते हैं, तब तक वे मुद्दों को तीसरे तक नहीं पहुंचने देते. लेकिन जैसे ही उन्हें लगने लगता है कि कुछ बातें ऐसी हैं, जिन्हें दोनों मिल कर नहीं सुलझा पा रहे हैं तो वे किसी तीसरे की मदद लेने से नहीं हिचकिचाते.

6. किस का ज्यादा महत्त्व

पुरानी परिभाषा: घर में मेल (पति) मैंबर का महत्त्व ज्यादा है. वह जो कहे उसे मानना होगा.

नई परिभाषा: शादी एक कंपैनियनशिप है, जिस में दोनों की बातों, राय या विचारों का बराबर महत्त्व है. इसीलिए दूसरे को सुनना और उदारता से प्रतिक्रिया करना जरूरी है. नए दंपती पार्टनर की बातों को सुनना, स्वीकारना जानते हैं, मगर उन्हें आदेशमान कर उन का अनुकरण नहीं करते. पार्टनर से सहमत नहीं हैं तो गुस्सा या तुरंत प्रतिक्रिया करने के बजाय वे शांति से अपनी राय व्यक्त करना जानते हैं.

7. औपचारिकता की सीमा

पुरानी परिभाषा: औपचारिकता की क्या जरूरत है? पतिपत्नी प्रेमीप्रेमिका नहीं.

नई परिभाषा: दांपत्य जीवन के शुरुआती दिनों में पतिपत्नी एकदूसरे के लिए नई किताब की तरह होते हैं, जिस का हर चैप्टर अपने में रहस्य और रोमांच समेटे होता है. लेकिन पूरी किताब पढ़ लेने के बाद उन में यह सोच पैदा हो जाती है कि अब तो वे एकदूसरे को अच्छी तरह जान चुके हैं. अब उन्हें एकदूसरे से किसी भी तरह की औपचारिकता की जरूरत क्यों? इसी के चलते वे एकदूसरे को कई बातें बताना या पूछना जरूरी नहीं समझते. यह विचार उन के रिश्ते को प्रभावित करना शुरू कर देता है. कोई भी काम करने से पहले एकदूसरे को उस की जानकारी देने, गलती हो जाने पर माफी मांगने और कुछ खास मौकों पर एकदूसरे की तारीफ करने जैसी औपचारिकताएं इस रिश्ते की गरमाहट को बरकरार रखने के लिए जरूरी होती हैं. भागदौड़ भरी जिंदगी और घरपरिवार की बढ़ती जिम्मेदारियों के बीच पतिपत्नी भूल जाते हैं कि उन का एकदूसरे के प्रति भी कुछ दायित्व बनता है.

लंबा समय साथ बिताने के बाद कई बार पतिपत्नी एकदूसरे को फौर ग्रांटेड लेने लगते हैं. लेकिन नए कपल्स पुरानी पीढ़ी की इस धारणा को खारिज करते हैं. रिश्तों का नया फौर्मूला कहता है कि शादी में भी थोड़ी औपचारिकता जरूरी है. खास मौकों पर गिफ्ट्स का आदानप्रदान, नाइट आउट, डिनर प्लान करना और कभीकभी प्रेमीप्रेमिका की तरह अपने लिए कुछ क्षण चुराना जरूरी है. यों भी महानगरीय नौकरीपेशा दंपती बहुत कम समय साथ बिता पाते हैं. ऐसे में एकदूसरे को यह एहसास कराना जरूरी है कि उन्हें पार्टनर का खयाल है और व्यस्त दिनचर्या में भी वे पार्टनर को कभी नहीं भूलते. शादी एक लौंगटर्म इन्वैस्टमैंट की तरह है. जितना प्यार डालेंगे, भविष्य में दोगुना वापस मिलेगा. ज्यादातर झगड़ों का तार्किक आधार नहीं होता. वे किसी भी बात पर हो सकते हैं, लेकिन उन्हें सुलझाने के लिए तार्किक होने की जरूरत पड़ती है. शादी को निभाने के लिए त्याग, समर्पण, परस्पर भरोसा, समझौता, तालमेल आदि जरूरी है. मगर इन में से किसी भी एक पर अति से रिश्ते में खटास पैदा हो सकती है.

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Summer Special: स्प्रिंग समर सेल्फ स्टाइलिंग लुक्स

गर्मियों में रंग बिरंगे कपड़ों के साथ अगर आपका मन भी काफी नए नए तरह के हेयर स्टाइल ट्राई करने को करता है तो अब आपको चिंता करने की जरूरत नहीं है. अगर आप एक अच्छी हेयर स्टाइलिस्ट भी नहीं हैं और आपसे बहुत बेसिक लुक तैयार होते हैं तो भी आप यह लुक क्रिएट कर सकती हैं. आइए जानते हैं गर्मियों में ट्राई करने वाले सेल्फ स्टाइलिंग लुक्स के बारे में. यह हेयर स्टाइल प्रियंका बोरकर जोकि एक सेलिब्रिटी हेयर स्टाइलिस्ट हैं, द्वारा डिजाइन किए गए हैं जो हर हेयर टाइप की महिला ट्राई कर सकती है.

सॉफ्ट अप डू :

अगर आपके बाल थोड़े थोड़े वेवी हैं तो आप ट्रेडिशनल बन बनाने की बजाए यह स्टाइल ट्राई कर सकती हैं. शुरुआत में अपने बालों को ब्लो ड्राई कर लें. ब्लो ड्राई करने के बाद बालों को आधे आधे भाग में बांट लें. अब बालों के आधे हिस्से को लें और एयर रैप से लपेट दें ताकि बाल थोड़े थोड़े कर्ल हो सकें. बालों के हर सेक्शन को 5 सेकंड्स तक हीट दें. इसके बाद तीन सेकंड्स तक बालों को कोल्ड शॉट सेटिंग पर रखें. अब बालों की एक लो पोनी टेल बना लें. अब पोनी टेल को आधे हिस्से में करें और घुमा दें, इसके बाद पिंस से सिक्योर कर लें. ऐसा ही दूसरे भाग के साथ भी करें.

कैजुअल एलिगेंट :

अगर आप किसी फेंसी डेट पर जा रही हैं और थोड़ा एलिगेंट लुक पाना चाहती हैं तो यह हेयर स्टाइल जरूर ट्राई करें. सबसे पहले बालों को ब्लो ड्राई कर लें. इसके बाद बालों को दो भागों में बांट लें और एक सेंटर पार्ट बना लें. अब बालों का एक हॉफ लें और इस भाग को हाई एयर फ्लो सेटिंग पर एयर रैप में हीट कर लें. पहले 5 सैकंड्स तक नॉर्मल हीट सेटिंग रखें उसके तीन सेकंड बाद कर्ल बनाने के लिए कोल्ड शॉट सेटिंग पर रखें. सारे बालों के साथ ऐसा ही रिपीट करें. जब बाल पूरी तरह से कर्ल हो जाएं तो एक स्मूदनिंग ब्रश लें और कर्ल्स को थोड़ा थोड़ा लूज कर लें.

थोड़ा मैसी लुक भी करें ट्राई :

अगर आप बहुत कैजुअल रहना पसंद करती हैं और कॉलेज या किसी सामान्य जगह पर थोड़ा मैसी लुक चाहती हैं तो यह हेयर स्टाइल ट्राई करना तो बनता है. सबसे पहले बालों को ब्लो ड्राई कर लें. इसके बाद बालों को दो भागों में बांट लें और एक सेंटर पार्ट बना लें. अब बालों का एक हॉफ लें और इस भाग को हाई एयर फ्लो सेटिंग पर एयर रैप में हीट कर लें. पहले 5 सैकंड्स तक नॉर्मल हीट सेटिंग रखें उसके तीन सेकंड बाद कर्ल बनाने के लिए कोल्ड शॉट सेटिंग पर रखें. सारे बालों के साथ ऐसा ही रिपीट करें. जब सारे बाल कर्ल हो जाते हैं तो बालों के थोड़े थोड़े सेक्शन में उंगलियां फिरा लें ताकि आपके कर्ल प्राकृतिक रूप से थोड़े मैस्ड अप या थोड़े लूज हुए लगें.

70s कर्ल :

अगर आप थोड़ा पुराना स्टाइल ट्राई करने में रुचि रखती हैं तो यह लुक आप पर खूब खिलने वाला है. सिर को अच्छे से धोने के बाद बालों में मीडियम होल्ड मोसे लगा लें. अब अपने बालों की सारी नमी को हटाने के लिए बालों को ब्लो ड्राई कर दें ताकि बाल 80% तक सूख जाएं. अब एयर रैप ले और उसे अपने चेहरे की ओर से स्टाइलिंग करना शुरू करें. यह ध्यान रखें कि उसके एरो चेहरे से दूर रहें. टूल को फुल हीट पर सेट कर दें. अब बालों का एक सेक्शन लें और बैरल में उसे लगभग 30 सेकंड्स तक रहने दें. इसके बाद 5 से 10 सेकंड्स के लिए कोल्ड शॉट सेटिंग पर भी रख सकते हैं. आपके सारे कर्ल्स चेहरे से दूसरी ओर जाते हुए नजर आने चाहिए. जब सारे बाल कर्ल हो जाएं तो बालों को थोड़ा शेक कर लें और उनमें अपनी उंगलियां चला लें ताकि सॉफ्ट कर्ल प्राप्त हो सकें.

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4 Tips: घर के अंदर ही बनाएं गार्डन

अब वो समय गया जब गार्डन घर के बाहर आउटडोर में हुआ करता था. अब तो गार्डन ने हमारे अपार्टमेंट के अंदर ही जगह बना ली है. इंडोर गार्डन का यह ट्रेंड धीरे-धीरे काफी फेमस होता जा रहा है. ऐसे में अगर आपके घर में भी बालकनी की सुविधा उपलब्ध नहीं है तो निराश होने की जरुरत नहीं. आप चाहें तो कई तरीकों से अपने घर के अंदर ही एक छोटा सा गार्डन बना सकती हैं. अपनी जरुरत और घर के अंदर की जगह को देखते हुए गार्डन बनाने का विचार करें. आप अपने घर में इस तरह के गार्डन बना सकती हैं.

1. वर्टिकल या लंबा गार्डन

इस तरह के गार्डन में पौधों को पैनल्स में लगाया जाता है और ये पैनल्स घर के अंदर या घर के बाहर की दीवारों पर लगे होते हैं. इसके अलावा बाजार में हरी दीवारों के गतिशील ढांचे भी मिलते हैं जिसे किसी भी हार्ड सरफेस पर आसानी से स्लाइड किया जा सकता है. आप चाहें तो इन गतिशील ढांचों को किसी दीवार के सहारे या फिर कमरे के बीचों बीच रख सकती हैं. इन हरी दीवारों को इंस्टाल करना और मेनटेन रखना दोनों ही बेहद आसान है.

2. इंडोर गार्डन

इंडोर गार्डन में आप अपनी पसंद के हिसाब से कई तरह से एक्सपेरिमेंट कर सकती हैं. अगर आपके पास थोड़ी ज्यादा जगह है तो आप अपने इंडोर गार्डन में झूला, फव्वारा, लाइट, पत्थर की फ्लोरिंग आदि कई चीजों का इस्तेमाल कर सकती हैं.

3. मेडिटेरेनियन गार्डन

अगर आप अपने घर के आंगन के किसी हिस्से को हाइलाइट करना चाहती हैं तो इस तरह का गार्डन आपके लिए परफेक्ट च्वाइस है. मेडिटेरियन स्टाइल गार्डन बनाने के लिए सबसे पहले टेरेकोटा के पौट्स यानी गमलों से शुरूआत करें. आप चाहें तो छोटे पौधे, झाड़ी, साइट्रस प्लांट्स, हर्ब्स और फूल पत्तियों से शुरूआत कर सकती हैं.

4. कंटेनर गार्डन

इन दिनों तो गार्डन में कंटेनर्स को भी पौट्स के तौर पर रीसाइकल किया जा रहा है. पौट के साइज के हिसाब से अब अलग-अलग तरह के पौधे और जड़ी बूटियों को भी घर पर आसानी से उगा सकती हैं.

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पलटवार : भाग 1- जब स्वरा को दिया बहन और पति ने धोखा

‘‘दीदी.’’ स्वरा चौंक उठी, अरे, यह तो श्रेया की आवाज है. वह उल्लसित मन से छोटी बहन की ओर लपकी, ‘‘अरे तू, आने की सूचना भी नहीं दी, अचानक  कैसे आना हुआ?’’

‘‘कुछ न पूछो दीदी, कंपनी का एक सर्वे है, उसी के लिए मुझे 2 माह तक यहीं रहना है. बस, मैं तो बहुत ही खुश हुई, आखिर इतने दिन मुझे अपनी बहन के साथ रहने को मिलेगा,’’ कह कर श्रेया अपनी दीदी स्वरा के गले में झूल गई. स्वरा को भी खूब खुशी हो रही थी, आखिर श्रेया उस की दुलारी बहन जो थी.

‘‘स्वरा, एक कप चाय देना,’’ अमित ने गुहार लगाई.

जी, अभी लाई, कह कर स्वरा चाय ले जाने को तत्पर हो गई.

‘‘लाओ दीदी, मैं जीजू को चाय दे आती हूं,’’ कह कर श्रेया ने बहन के हाथ से चाय की ट्रे ले ली और अमित के कमरे की ओर बढ़ी. कमरा खुला था, परदे पड़े थे. उस ने झांक कर देखा, अमित की पीठ दरवाजे की ओर थी. वह अपना कोई प्रोजैक्ट तैयार कर रहा था. श्रेया ने चाय साइड टेबल पर रख दी और अमित की आंखों को अपने हाथों से बंद कर दिया. अमित हड़बड़ा गया, ‘‘क्या है स्वरा, आज बड़ा प्यार आ रहा है. क्या दिल रंगीन हो रहा है. अरे भई, दरवाजा तो बंद कर लो.’’ अमित ने श्रेया को स्वरा समझ कर अपनी ओर खींच लिया, श्रेया भरभरा कर अमित की गोद में आ गिरी.

‘‘हाय, जीजू क्या करते हैं, मैं आप की पत्नी नहीं, बल्कि श्रेया हूं, आप की इकलौती साली. क्यों, चौंक गए न,’’ श्रेया संभलती हुई बोली.

‘‘हां, चौंक तो गया ही, चलो कोई बात नहीं, आखिर साली भी तो आधी घरवाली होती है,’’ अमित ने ठहाका लगाया.

‘‘क्या बात है, बड़े खुश हो रहे हो,’’ स्वरा भी वहीं आ गई.

‘‘हां भई, खुशी तो होगी ही. अब इतनी सुंदर साली को पा कर मन पर काबू कैसे रखा जा सकता है. दिल ही तो है, मचल गया,’’ अमित ने शोखी से कहा.

‘‘हुं, ज्यादा न मचलें, थोड़ा काबू रखो. मेरी बहन कोई सेंतमेत की नहीं है, जो किसी का भी दिल मचल जाए,’’ स्वरा ने अमित को छेड़ा और दोनों बहनें हंसती हुई कमरे से बाहर आ गईं.

दिन के साढ़े 10 बजे रहे थे. श्रेया को सर्वे के लिए निकलना था. वह तैयार होने चली गई. अमित भी औफिस के लिए तैयार होने चला गया. दोनों साथ ही निकले. श्रेया आटो के लिए सड़क की ओर बढ़ने लगी कि तभी अमित ने पीछे से आवाज दी, ‘‘रुको साली साहिबा, तुम्हारी प्रोजैक्ट साइट मेरे औफिस के रास्ते में ही है, मैं तुम्हें ड्रौप कर दूंगा.’’ स्वरा ने भी हां में हां मिलाई और श्रेया लपक कर अमित की बगल वाली सीट पर बैठ गई.

अमित ने कहा, ‘‘बैल्ट लगा लो श्रेया, यहां ट्रैफिक रूल्स बहुत सख्त हैं.’’

श्रेया ने बैल्ट लगाने की कोशिश की लेकिन वह लग नहीं रही थी. शायद कहीं फंसी हुई थी. उस ने बेबसी से अमित की ओर देखा. अमित समझ गया और थोड़ा झुक कर बैल्ट को खींचने लगा कि अचानक बैल्ट खुल गई. श्रेया झटका खा कर अमित की ओर लुढ़क गई. ‘‘सौरी,’’ उस ने धीरे से कहा. ‘‘ओके, जरा ध्यान रखा करो.’’ अमित ने गाड़ी बढ़ाते हुए कहा.

अब यह प्रतिदिन का नियम बन गया था. अमित श्रेया को उस की साइट पर छोड़ता और शाम को लौटते हुए उसे साथ में ले भी लेता था. वैसे तो यह एक सामान्य बात थी. जब दोनों का समय और रास्ता भी एक ही था तो साथ आनेजाने में कोई बड़ी बात नहीं थी लेकिन यह प्रतिदिन का जो साथ था, वह बिना किसी रिश्ते के एक अनजाने रिश्ते की ओर बढ़ रहा था.

अमित युवा था और उस का दिल सदैव उन्मत्त रहता था. रूपसी पत्नी के साहचर्य ने उसे और भी अधिक शोख बना दिया था. सुंदर स्त्रियों के साथ उसे आनंद आता था. अब हर समय उसे स्वरा का साथ तो उपलब्ध नहीं होता था तो वह अकस्मात ही अन्य स्त्रियों की ओर आकर्षित होने लगता था. वह सोचता भी था कि यह गलत है, किंतु आंखें? उन का क्या, उन्हें बंद तो नहीं किया जा सकता था. उन्हें देखने से कोई कैसे रोक सकता था.

श्रेया भी युवा थी, अपरिमित सौंदर्य की स्वामिनी थी. उस का हृदय जबतब मचलता रहता था. पुरुषों की सौंदर्यलोलुप दृष्टि का वह आनंद उठाती थी. पुरुष साहचर्य की कामना भी करती थी परंतु अपनी मर्यादाओं को समझते हुए. एक बार उस की किसी नवविवाहिता सहेली ने उसे बताया था, ‘पुरुष का प्रथम स्पर्श बहुत ही मधुर होता है.’ यह सुन कर वह रोमांचित हो उठी थी.

उसे अमित का साथ अच्छा लगने लगा था. यद्यपि कि उसे अपने पर शर्म भी आती थी कि वह जो कुछ भी कर रही है, वह गलत है. अमित उस की ही बहन का सुहाग है. जिस की ओर देखना भी उचित नहीं है, किंतु मन, उस का क्या, उस पर तो किसी का वश नहीं चलता है.

श्रेया यौवन के नशे में चूर थी और पुरुष साहचर्य की कामना करती रहती थी जो विवाह से पूर्व संभव न था. लेकिन अमित के साथ सट कर बैठना, उस के साथ घूमनाफिरना सब बहुत लुभावना लगता था.

उसे अपनी बहन की आंखों में देखते हुए भय लगता था क्योंकि उन आंखों में अनेक संशयभरे प्रश्न होते थे जिन का उस के पास कोईर् जवाब नहीं होता था. वह कभी भी अपनी दीदी से आंख मिला कर बात नहीं कर पाती थी.

स्वरा सब देख, समझ रही थी. उसे आश्चर्य भी होता था और दुख भी. आश्चर्य अमित के रवैए पर था, वह पत्नी को कम से कम समय देता, खानेपीने में अरुचि दिखाता, उस के व्यवहार में आए इस परिवर्तन से स्वरा अनभिज्ञ नहीं थी. दुख इस बात का था कि उस की प्यारी छोटी बहन उसे ही धोखा दे रही थी.

दिनप्रतिदिन श्रेया और अमित की नजदीकियां बढ़ती जा रहीं थी. अब उन्हें इस बात की कोई भी चिंता नहीं होती थी कि स्वरा शाम की चाय पर उन की प्रतीक्षा कर रही होगी. वे दोनों तो घूमतेफिरते रात्रि के 8 बजे से पूर्व कभी भी घर नहीं पहुंचते थे. स्वरा जब भी अमित से देरी का कारण पूछती तो उत्तर श्रेया देती, ‘‘हां दीदी, जीजू तो समय पर लेने के लिए आ गए थे किंतु मेरा मन कुल्फी खाने का कर रहा था और मार्केट वहां से दूर भी बहुत है. अब समय तो लगता ही है न.’’ और कभी कौफी का बहाना, कभी ट्रैफिक का बहाना. स्वरा इन सब बातों का मतलब समझती थी. ‘‘और चाय,’’ वह धीमे से पूछती.

‘‘अब चाय क्या पिएंगे, सीधे खाना ही खिला देना, क्यों जीजू.’’

‘‘हां, और क्या, वैसे भी बहुत थक गया हूं. जल्दी ही सोना चाहूंगा,’’ अमित उबासी लेने लगता.

इधर सुबह दोनों जल्दी ही उठ कर कंपनीबाग सैर करने जाते थे. कभी भी स्वरा से चलने के लिए नहीं कहते थे. स्वरा मन ही मन कुढ़ती थी और समस्या के निराकरण का उपाय भी सोचती थी जो उसे जल्दी ही मिल गया. वह भी अकेली ही सैर पर निकल पड़ी और जौगिंग करते हुए अमित तथा श्रेया की बगल से हाय करते हुए मुसकरा कर आगे बढ़ गई. दोनों भौचक्के से उस की ओर देखने लगे. स्वरा को ट्रैक सूट में देख कर अमित अपनी आंखें मलने लगा, यह स्वरा का कौन सा अनोखा रूप था जिस से वह अपरिचित था.

घर आ कर स्वरा ने टेबल पर नाश्ता लगा दिया और उन दोनों का इंतजार किए बिना स्वयं नाश्ता करने लगी. तभी अमित भी आ गया, ‘‘यह क्या मैडम, आज मेरा इंतजार नहीं किया, अकेले ही नाश्ता करने बैठ गई.’’

‘‘तो क्या करती? जौगिंग कर के आई हूं. भूख भी कस कर लग आई है, फिर खाने के लिए किस का इंतजार करना.’’ स्वरा ने टोस्ट में औमलेट रख कर खाते हुए कहा. अमित तथा श्रेया दोनों ने ही स्वरा में आए इस बदलाव को महसूस किया. दोनों ने अपनाअपना नाश्ता खत्म किया और तैयार होने कमरे में चले गए.

‘‘स्वरा, मेरा टिफिन लगा दिया?’’ अमित ने हांक लगाई.

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भ्रम भंग: भाग 1- क्या अभय को सजा दिला पाई लतिका

बहुत तेज रफ्तार से दौड़ती उस मोटरसाइकिल पर बीच में बैठी होने के बाद भी लतिका भय से कांप रही थी. भय कम हो जाए इस के लिए उस ने अभय की कमर कस कर पकड़ ली. अभय के साथ उस की मोटरसाइकिल पर वह पहली बार बैठी थी पर अब मन ही मन सोच रही थी कि आज किसी तरह बच जाए तो फिर कभी इस के साथ मोटरसाइकिल पर नहीं बैठेगी.

‘‘तुम गाड़ी धीरे नहीं चला सकते, अभय?’’ उस से सटी पीछे बैठी लतिका एक प्रकार से चिल्लाते स्वर में बोली.

हर हिचकोले के साथ लतिका से और अधिक सटने का प्रयत्न करता परमजीत हंसा और बोला, ‘‘डरो नहीं, डार्ल्ंिग, इस का अभय नाम यों ही नहीं है. इसे तो मौत का सामना करते हुए भी डर नहीं लगता.’’

‘‘लेकिन मैं लड़की हूं. इतनी तेज रफ्तार से डरती हूं. प्लीज, रोको न इसे वरना मैं चिल्लाने लगूंगी कि ये लोग मुझे जबरन कहीं भगाए लिए जा रहे हैं,’’ लतिका ने धमकी दी.

अपनी पीढ़ी की तरह रफ्तार और तेज रफ्तार जिंदगी तो लतिका को भी पसंद थी पर यह रफ्तार तो एकदम हवाई रफ्तार थी. इस में होने वाली दुर्घटना का मतलब था, शरीर का एकएक कीलकांटा बिखर जाना.

मोटरसाइकिल पर बैठेबैठे उसे याद आया कि फैसला करने में उस से गलती हो गई थी. कनक ठीक कहती थी कि ये लोग भरोसे के लायक नहीं हैं. तुम्हें अभय के प्रेम में पड़ने से पहले उस के बारे में ठीक से जान लेना चाहिए.

उस समय लतिका ने कनक की बातों पर इसलिए ध्यान नहीं दिया था क्योंकि कनक कभी खुद अभय की तरफ आकर्षित थी पर अभय ने उसे भाव नहीं दिया था क्योंकि वह एक साधारण नाकनक्श की लड़की थी.

लतिका उस के मुकाबले अपने को हर तरह से बेहतर पाती थी. शक्लसूरत में ही नहीं पढ़ाई में भी अंगरेजी से एम.ए. कर रही लतिका ने प्रथम वर्ष की परीक्षा में 75 प्रतिशत अंक पाए थे और कालिज के प्राध्यापकों ने उस की पीठ ठोंकी थी. प्रो. चोपड़ा तो उस से इतने प्रभावित हुए थे कि उन्होंने उसे एम.ए. फाइनल में एक पेपर के रूप में लघु शोध लिखने का महत्त्वपूर्ण काम भी सौंप दिया था और स्वयं ही उस के लिए एक उपयुक्त विषय का चुनाव किया था. विषय था फ्रांस की सुप्रसिद्ध उपन्यासकार  ‘साइमन बोऊवा की स्त्री स्वतंत्रता की अवधारणा और उन के उपन्यास.’ चोपड़ा साहब ने बोऊवा की एक खास पुस्तक ‘द सेकंड सेक्स’ अपने निजी पुस्तकालय से निकाल कर लतिका को पढ़ने को दी थी. यही नहीं उन्होंने खुद पत्र लिख कर लतिका को विश्वविद्यालय के केंद्रीय पुस्तकालय का सदस्य बना दिया था और इसी के बाद लतिका अपने इस महती कार्य में जुट गई थी.

केंद्रीय पुस्तकालय एक विशाल बगीचे के बीचोंबीच बना हुआ था. मुख्य गेट से उस तक आने के लिए जो पक्की सड़क बनी थी वह उस बगीचे के घने वृक्षों और ऊंची झाडि़यों से हो कर गुजरती थी. चूंकि वहां आम लोग नहीं आतेजाते थे और वाहनों को भी बाहर ही रोक दिया जाता था इसलिए वहां भीड़भाड़ नहीं रहती थी. ज्यादातर सन्नाटा पसरा रहता था, जिसे देख कर दिन में भी भय लगता था.

लतिका 1-2 बार अपने भय को कम करने के लिए कनक को साथ लाई थी, ‘यार, बगीचे में रास्ता बेहद सुनसान हो जाता है. डर लगता है कि कहीं कोई गुंडाबदमाश दबोच ले तो क्या होगा?’

‘शहर में अभय ही एक ऐसा गुंडा है जो हमेशा अपने कालिज की लड़कियों के साथ छेड़छाड़ करता रहता है,’ कनक बोली.

‘कौन अभय? वही जो फेडेड जींस और चमड़े की काली जैकेट पहने मोटरसाइकिल पर फर्राटे भरता घूमता रहता है?

‘हां, वही. और वह कभी मोटरसाइकिल पर अकेला नहीं चलता. हमेशा 3 लड़के उस के साथ होते हैं.’

‘कुछ भी हो, मुझ से तो वह बहुत तमीज से पेश आता है,’ लतिका ने उस का पक्ष लेते हुए कहा, ‘विभाग में आतेजाते जब भी वह सामने पड़ा उस ने मेरा रास्ता छोड़ दिया.’

‘तेरा भ्रम जल्दी भंग हो जाएगा लाड़ो,’ कनक भी हंस दी थी, ‘जब किसी से इश्क हो जाता है तो बुद्धि काम नहीं करती, तर्क के तीर तरकस में पड़े जंग खाते रहते हैं और वह अंधा बना प्रेम की तरफ दौड़ता चला जाता है.’

कनक की कही हुई सब बातें अचानक मोटरसाइकिल पर बैठी लतिका को याद आ गईं. कनक के समझाने के बाद भी वह अभय व उस के दोस्तों पर विश्वास कर के इस सुनसान इलाके में उन के साथ चली आई. अगर वे इस सुनसान इलाके में उस के साथ मनमानी करने लगें तो वह इन 2 राक्षसों का क्या कर लेगी?

यह सोचते ही भय और आतंक से किसी तरह साहस कर के पूछा ही लिया, ‘‘हम लोग आखिर जा कहां रहे हैं?’’

‘‘डरो नहीं, लतिका,’’ बहुत देर की खामोशी के बाद अभय बोला, ‘‘हम लोग तुम्हारे साथ ऐसा कुछ नहीं करेंगे जिस से तुम्हें किसी तरह का नुकसान पहुंचे. असल में तुम इस मोटरसाइकिल को जिस प्यार भरी नजरों से देखती

थीं, उसे देख कर ही मैं ने तय किया था कि एक दिन तुम्हें इस पर बैठा कर

सैर कराई जाए. आज तुम साथ आने को तैयार हो गईं तो हम इधर सैर को

आ गए.’’

‘‘लेकिन इस सुनसान इलाके में क्यों?’’ किसी तरह थूक निगल कर लतिका ने कहा. उसे अब अपने पर ही गुस्सा आ रहा था कि उस ने जरा भी बुद्धि से काम नहीं लिया जबकि रोज ही अखबारों में बलात्कार की घटनाएं वह पढ़ती है. यहां तक कि केंद्रीय पुस्तकालय तक आतेजाते भी कई बार लड़कियों के साथ छेड़छाड़ हुई है फिर यह तो एकदम सुनसान और एकांत स्थान है. यहां तो ये लोग कुछ भी कर सकते हैं उस के साथ.

इसी तरह के डरावने विचारों में डूबतीउतराती लतिका को अनायास ही अपने भाई नकुल के मनोविज्ञान में चल रहे शोध की याद आ गई. वह टीनएजर्स और बाल अपराधों के मनोविज्ञान पर शोध कर रहा है. उस के शोध को टाइप करते समय उन्हें पढ़ कर वह अकसर आश्चर्यचकित हो जाती है कि इतनी कम उम्र के लड़के बलात्कार का अपराध कर गुजरते हैं.

अचानक लतिका को लगा वह गलत फंस गई. उसे इन लोगों की बातों में नहीं आना चाहिए था. पुस्तकालय गई थी. भाई अब घर पर इंतजार कर रहा होगा पर अब वह क्या करे, कैसे बचे. कैसे सुरक्षित घर पहुंचे.

लतिका की जान में तब जान आई जब अभय की मोटरसाइकिल आ कर एक छोटी बस्ती में रुक गई. उस बस्ती के बाहर ही एक पुराना सा मकान था. उस के फाटक और टूटीफूटी चारदीवारी को अभय और परमजीत गौर से देखते रहे. फिर उस मकान के चारों तरफ एक चक्कर भी लगाया.

‘‘हम यहां क्यों आए हैं?’’ लतिका ने पूछा.

‘‘एक दोस्त को देखने आए हैं,’’ अभय बोला.

‘‘दोस्त को देखना है तो अंदर जा कर देखो. तुम तो इस मकान का बारबार चक्कर लगा रहे हो.’’

परमजीत बोला, ‘‘चलो, लतिका को योगी के घर ले कर चलते हैं.’’

‘‘यह योगी कौन है?’’ लतिका ने मुसकराने का प्रयास किया.

‘‘योगी, हमारा जिगरी दोस्त है और वह यहीं रहता है,’’ अभय ने कहा और मोटरसाइकिल एक सड़क पर दौड़ा दी.

लतिका को कुछ तसल्ली हुई कि चलो, यह जगह इन के लिए अनजान जगह नहीं है. यहां भी इन का एक दोस्त रहता है जिसे वह शक्ल से पहचानती है. नाम आज जान गई….अजीब नाम है…योगी.

बहुत आवभगत की योगी ने लतिका की. काफी अच्छा मकान था उस का. मां बहुत सरल स्वभाव की. एक छोटी बहन थी जो 10वीं कक्षा में पढ़ती थी. उस से देर तक लतिका बातें करती रही. चायनाश्ते के बाद वह अभय और परमजीत के साथ वापस लौटी.

अब उसे उतना डर नहीं लग रहा था. पर एक सवाल उस के दिमाग में बारबार उठ रहा था कि आखिर अभय और परमजीत उस पुराने मकान को क्यों चारों तरफ  से घूमघूम कर गौर से देख रहे थे? अगर उन्हें योगी से ही मिलना था तो सीधे उसी के घर क्यों नहीं चले गए?

अभय लतिका को ले कर सीधे उस के घर आया. नकुल बाहर ही बेचैनी से लतिका का इंतजार कर रहा था. उन लोगों के साथ लतिका को देख कर वह गुस्से को किसी तरह जज्ब किए रहा.

अभय और परमजीत को घर में बुला कर लतिका ने पानी पिलाया. नमकीन और मिठाई खाने को दी और अपने भाई से उस का परिचय कराया. जब अभय को विदा करने लगी तो वह बोला, ‘‘मैं नकुलजी को अच्छी तरह जानता हूं. ये कम उम्र के लड़कों और बच्चों के अपराधों पर शोध कर रहे हैं और उस के लिए अकसर बालसुधार गृह और जेल व पुलिस वालों के पास आतेजाते रहते हैं. आप के पिताजी एक इंजीनियरिंग कंपनी के उत्पाद बेचने के सिलसिले में दूसरे शहरों की यात्रा करते रहते हैं. घर की देखरेख और तुम्हारी रक्षा नकुलजी ही करते हैं. मां हैं नहीं इसलिए घरगृहस्थी का सारा काम तुम करती हो. तुम प्रोफेसर चोपड़ा की खास छात्रा हो. केंद्रीय पुस्तकालय में अपने लघु शोध के सिलसिले में कनक के साथ आतीजाती हो और कनक मुझे कोसती रहती है,’’ एक सांस में सब कह गया अभय.

‘‘अरे, तुम तो मेरा पूरा इतिहास जानते हो और यह भी कि तुम्हारे बारे में कनक मुझसे क्या कहती है.’’

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खिलाड़ियों के खिलाड़ी: भाग 3- क्या थी मीनाक्षी की कहानी

विशाल चाहता था कि मीनाक्षी और अरुण नाईक के गुंडों में जल्दी ही रजामंदी हो जाए, इस के लिए वह अपने लैवल पर बहुत कोशिश कर रहा था. उस ने इस बारे में पुलिस के आला अफसरों से भी बात कर ली थी. मीनाक्षी आएदिन उसे फोन करकर के परेशान कर रही थी.

एक दिन रात को करीब 2 बजे मीनाक्षी बिना पूर्व सूचित किए अपने 4 बैग ले कर विशाल के बंगले पर पहुंच गई. उस ने बताया कि अरुण नाईक के गुंडे उसे जान से मारने का प्लान बना रहे हैं. अब वह एक दिन भी अरुण नाईक के घर में नहीं रहेगी.

‘‘मीनाक्षी, अरे तुम इतनी रात को अचानक कैसे आ गईं. लोग देखेंगे तो क्या कहेंगे? हमारे बंगलों के आसपास मीडिया वाले दिनरात मंडराते रहते हैं. कोई प्रैस वाला देख लेगा, तो हमारी शामत आ जाएगी, नौकरी से हाथ तो धोने पड़ेंगे और बदनामी होगी, सो अलग,’’ विशाल ने परेशान होते हुए कहा.

‘‘विशाल, वे लोग मुझे जान से मार डालेंगे. उन्हें पता चल गया है कि मैं उन को पकड़वाने या मरवाने की कोशिश कर रही हूं. उन्हें यह भी मालूम हो गया है कि अब मेरी ऊपर तक पहुंच है,’’ कहते हुए मीनाक्षी दोनों हाथ जोड़ कर अपने जीवन की भीख मांगने लगी.

विशाल भी कोई कच्चा खिलाड़ी नहीं था. राज्य का चीफ सैक्रेटरी होने के कारण उस का कई तरह के लोगों से पाला पड़ता था. आज ऊंट पहाड़ के नीचे आ रहा था. विशाल इस मौके का पूरापूरा फायदा उठाना चाहता था. वह बहुत प्यार से बोला, ‘‘मीनाक्षी, बिलकुल चिंता न करो, कोई तुम्हारा बाल तक बांका नहीं कर सकता है. मैं हूं न.’’

विशाल आगे बोल ही रहा था कि मीनाक्षी सिसकते हुए विशाल से लिपट गई. विशाल ने उस की जुल्फों में उंगलियां फेरते हुए कहा, ‘‘पर मीनाक्षी, पहले मेरा एक काम कर दो न, वह वीडियो क्लिप डिलीट कर दो न जो तुम्हारे पास है. सुना है तुम ने मुख्यमंत्री के साथ वालों का भी वीडियो बनाया है, उसे भी डिलीट कर दो. अगर तुम दोनों वीडियो ईमानदारी से डिलीट कर देती हो तो मैं मुख्यमंत्री से बात कर के तुम्हारे लिए अपने फ्लैट में रहने की व्यवस्था कर सकता हूं.

‘‘यह फ्लैट मुझे मुख्यमंत्री ने अपने विशेष कोटे से अलौट किया है जिस में उन के और मेरे खास दोस्त ही ठहर सकते हैं. तुम कुछ दिन वहां रह लो, फिर मैं मुख्यमंत्री से बात कर के तुम्हें निराश्रित और आर्थिकरूप से कमजोर विधवा बता कर तुम्हारे नाम से एक आलीशान फ्लैट भी अलौट करवा दूंगा जहां तुम आराम से रहना, फिर रूपयोंपैसों की तो तुम्हारे पास कमी है नहीं. अगर जरूरत पड़ जाए तो हम लोग हैं ही.’’

‘‘लो, तुम्हारे सामने ही मैं वे सभी वीडियो डिलीट कर देती हूं,’’ कहते हुए मीनाक्षी ने अपना मोबाइल निकाला और विशाल के सामने सारे वीडियो डिलीट कर दिए, फिर लैपटौप में सेव किए हुआ वीडियोज का एक फोल्डर भी डिलीट कर दिया.

विशाल बड़े ध्यान से सब देख रहा था मगर उस ने मीनाक्षी के साथ जिस तरह की दोस्ती थी उस से उस ने यह जरूर जान लिया था कि मीनाक्षी बहुत शातिर है. जितनी सहजता से वह सब डिलीट कर रही है, इस का मतलब यही है कि उस ने ये सब कहीं और जरूर छिपा कर रखा होगा. विशाल ने देखा कि मीनाक्षी अपने लैपटौप और अन्य कुछ इलैक्ट्रौनिक डिवाइसेज हरे रंग के एक छोटे से बैग में रख कर उसे लाल रंग के सूटकेस में रख रही है.

विशाल ने मीनाक्षी के सामने सुनहरे सपनों का एक महल खड़ा कर दिया था. वह बेहद खुश हो गई थी. विशाल की बातें सुन कर मीनाक्षी खयालों में खो गई और अपने सुरक्षित एवं सुखद भविष्य की कल्पना करने लगी. कल्पना की दुनिया में खोई मीनाक्षी सोचने लगी कि उस ने अरुण के साथ हमेशा तनावग्रस्त जिंदगी जी है, अरुण उस के साथ बहुत अत्याचार करता था, अपनी जान बचाने के लिए वह अपनी पत्नी का उपयोग करने से भी बाज नहीं आता था. अब उसे इस तरह की घिनौनी जिंदगी से छुटकारा मिल जाएगा.

लेकिन, मीनाक्षी अपने गिरेबान में नहीं झंक रही थी. उस ने भी तो अरुण के नाम से बहुत फायदा उठाया था. ऐशोआराम की जिंदगी जीने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी. महंगी कारों में घूमने और बड़े होटलों में पार्टियों से उसे फुरसत कहां मिलती थी. जब से उस ने सैक्रेटियट में एंट्री की थी तब से उस का रोब और भी बढ़ गया था. कई अफसरों व मंत्रियों से उस के बैडरूम कौन्टैक्ट्स भी थे. उस ने मुख्यमंत्री तक को अपना मोहरा बना कर रखा था.मीनाक्षी 2 दिनों बाद विशाल के वीआईपी फ्लैट में रहने के लिए चली गई. अब मीनाक्षी बहुत खुश थी और सोच रही थी कि अब उस के दिन बदल रहे हैं. मगर वह मुख्यमंत्री और विशाल के बीच जो खिचड़ी पक रही थी, उस से नावाकिफ थी. मुख्यमंत्री को उन के बहुत ही करीबी एक मीडियाकर्मी दोस्त ने सावधान करते हुए कहा था कि विरोधी पार्टी ने मीनाक्षी को उन के खेमे में सेंध लगाने के लिए भेजा है. विरोधी पार्टी के एक बड़े नेता के घर में मीनाक्षी का आनाजाना बढ़ गया है. उस ने यहां तक सुना है कि अगर वह सरकार गिराने मे सहयोग करेगी तो उसे मंत्री भी बनाया जा सकता है. कहते हैं कि राजनीति में कोई किसी का दोस्त नहीं होता. आप का जिगरी दोस्त तक आप की आस्तीन का सांप बन जाता है.

एक दिन मुख्यमंत्री ने विशाल को अपने बंगले पर बुलाया और सारी बातें बताते हुए सचेत रहने की सलाह दी. फिर दोनों ने यह तय किया कि मीनाक्षी को रास्ते से हटाना ही उन के हित में होगा. दोनों ने रात देर तक बातें कर के अपने प्लान को अंतिम रूप दिया और एकदूसरे से गले मिलते हुए जुदा हुए.

4 दिनों बाद विशाल ने मीनाक्षी को फोन किया, ‘‘हैलो मीनाक्षी, कैसी हो, कोई परेशानी तो नहीं हो रही है तुम्हें?’’

‘‘नहीं तो, यहां तो बहुत अच्छा लग रहा है. मु?ो कोई तकलीफ नहीं है,’’ मीनाक्षी ने खुश होते हुए कहा.

‘‘मीनाक्षी, दरअसल, मैं ने इसलिए फोन किया कि मुख्यमंत्री के 2 खास दोस्त कल अपनी फैमिली के साथ यूएस से किसी बहुत ही जरूरी काम के लिए उन से मिलने आ रहे हैं. वे केवल 4 दिन इंडिया में रुकेंगे. मुख्यमंत्री उन से सीक्रेटली’ मिलना चाहते हैं. इस के लिए उन्होंने मुझ से अनुरोध किया है कि उन के ठहरने की व्यवस्था वीआईपी फ्लैट में करूं. मैं उन के अनुरोध को टाल नहीं सकता. तुम्हें थोड़ी परेशानी तो होगी मगर क्या कर सकते हैं.

‘‘प्लीज, मेरे लिए तुम्हें थोड़ी तकलीफ उठानी पड़ेगी. बस, 4 दिन की बात है. तुम अपना बहुत जरूरी सामान ले कर होटल हिलटोन में पहुंच जाना. वहां मैं ने तुम्हारे लिए एक डीलैक्स सूट 4 दिन के लिए तुम्हारे नाम से ही बुक करवा दिया है. सारा पेमैंट मैं ने एडवांस में ही पेड कर दिया है. तुम्हें वहां 4 दिन तक एक भी पैसा अपनी जेब से खर्च नहीं करना है. मुख्यमंत्री के दोस्त जैसे ही यूएस के लिए रवाना होंगे, तुम अपने फ्लैट में लौट जाना.’’

‘‘हां, क्यों नहीं विशाल, 4 दिन की ही तो बात है. मैं कल सुबह ही चली जाऊंगी, डोंट वरी.’’ शहर के सब से बड़े फाइवस्टार होटल में 4 दिन तक शान से मुफ्त में रहने को मिलेगा, इस खुशी में उछलते हुए मीनाक्षी ने आगे कहा, ‘‘थैंक्यू.’’

विशाल ने फोन काट दिया और तुरंत मुख्यमंत्री को सारी बात बता दी.

‘‘वैरी गुड विशाल, तुम अब तैयार हो जाओ. हम दोनों आज रात 11 बजे की फ्लाइट से उदयपुर मेरे पिता से मिलने जा रहे हैं. उन की तबीयत बहुत खराब है. हमारे टिकट बुक हो चुके हैं,’’ मुख्यमंत्री ने खुश होते हुए कहा.

विशाल की समझ में नहीं आ रहा था कि मुख्यमंत्री अचानक उदयपुर जाने के लिए क्यों कह रहे हैं. प्लान तो कुछ अलग बना था. खैर, वह तैयार हो कर निश्चित समय पर एअरपोर्ट पहुंच गया. रात में करीब एक बजे वे दोनों उदयपुर पहुंच गए. मुख्यमंत्री के पिताजी बिलकुल स्वस्थ लग रहे थे, घर के बाकी सभी सदस्य भी ठीक लग रहे थे.

विशाल ने मुख्यमंत्री की तरफ देखा, तो उन्होंने अपनी बाईं आंख दबाते हुए कहा, ‘‘विशाल, एवरी थिंग इज गोइंग वैल. डोंट वरी. जा कर अपने कमरे में सो जाओ, सुबह बात करेंगे.’’

विशाल सुबह जल्दी उठ कर तैयार हो गया. मगर मुख्यमंत्री देर तक सोते रहे. वे 10 बजे के बाद उठे और करीब 12 बजे तक नहाधो कर तैयार हुए. बाहर हौल में आ कर उन्होंने विशाल से कहा, ‘‘विशाल, जरा टीवी लगा कर समाचार तो सुनो.’’

विशाल ने जल्दी से टीवी औन किया, एक न्यूज चैनल लगाया जिस पर ब्रेकिंग न्यूज आ रही थी- ‘कुख्यात गैंगस्टर अरुण नाईक की पत्नी मीनाक्षी नाईक की एक सड़क दुर्घटना में मौत. वे अपनी कार खुद चला रही थीं. एक विकट मोड़ पर उन की कार एक ट्रक से टकरा गई. कार का पैट्रोल टैंक फट जाने से उन का पूरा शरीर जल गया तथा कार में रखा सामान भी जल कर राख हो गया.’’

मुख्यमंत्री विशाल की पीठ पर हाथ रखते हुए बोले, ‘‘विशाल, हम भी पहुंचे हुए खिलाड़ी हैं. हम ने कच्ची गोटियां नहीं खेली हैं. तुम ने जिस लाल सूटकेस को हमारे लिए खतरा बताया था, उसे मीनाक्षी कार में अपने साथ ले जा रही थी. पलभर में खेल खत्म हो गया और हम दोनों शहर से बाहर हैं.’’ यह कहते हुए मुख्यमंत्री ने जोर से ठहाका लगाया और ताली के लिए अपना हाथ आगे बढ़ाया.

विशाल ने भी ठहाका लगा कर उन्हें ताली देते हुए कहा, ‘‘सरजी, आप केवल खिलाड़ी नहीं, आप तो खिलाडि़यों के भी खिलाड़ी हैं.’’

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वैधव्य से मुक्ति: भाग 2- खूशबू ने क्या किया था

कहानी- लक्ष्मी प्रिया टांडि

यही वजह थी कि मेरे घर वाले जल्द ही गिरगिट की तरह रंग बदल कर मेरे सामने हाजिर हो गए कि चल कर उसे आशीर्वाद दे दो, जब उसे ही अपनी चिंता नहीं है तो फिर भाड़ में जाए. मैं दुविधा की स्थिति में न चाहते हुए खुशबू के सामने जा खड़ी हुई. जब उस ने स्निग्ध मुसकान के साथ मेरे पैरों को हाथ लगा कर अपनी आंखों से लगाया तो मैं खुद पर काबू न रख सकी और उसे अपने कदमों से उठा कर सीने से लगा लिया.

हम दोनों की पलकें भीग उठीं. उफ, मैं बता नहीं सकती कि कैसी अजीब सी तृष्णा थी जो उसे हृदय से लगाने पर तृप्त होता मैं ने अनुभव किया. खुशबू तो बिन मां की बड़ी हुई थी सो उस के पास इतना भावुक होने की वजह थी पर मेरा मन क्यों भर आया, मैं आज तक न जान सकी.

विवाह की अगली सुबह साढ़े 5 बजे ही अपने कमरे के दरवाजे पर दस्तक सुन कर मैं ने दरवाजा खोल कर देखा तो सामने खुशबू नाइटी पहने खड़ी थी. ‘क्या बात है, बेटी, तू इस तरह इतनी सुबह यहां…’ मैं कुछ घबरा सी उठी.

जवाब में उस ने आंखें खोल कर भरपूर नजरों से मुझे देखा और मुसकराते हुए बोली, ‘मां, मैं चाहती थी कि आप का स्नेहमयी और ममतामयी चेहरा देख कर ही मैं ससुराल में अपना दिन शुरू करूं.’

उस की बातें सुन कर मुझे अजीब सी अनुभूति हुई क्योंकि अब तक अपने लिए मैं यही सुनती आई थी कि सुबहसुबह विधवा का मुंह देख लिया, बड़ा अपशकुन हो गया.

अब जब रोज खुशबू का दिन मेरा चेहरा देख कर शुरू होने लगा तो धीरेधीरे मेरे मन से यह वहम निकल गया कि मेरा मुख देखने से किसी का अमंगल भी हो सकता है.

निखिल की शादी के करीब महीने भर बाद उस के एक अंतरंग  मित्र राजेश की शादी की पहली वर्षगांठ थी. इस मौके पर पूरे परिवार को न्योता दिया था. राजेश के घर जाने के लिए उस दिन सभी  लोग बनसंवर कर तैयार हो गए थे. मैं भी झटपट एक सफेद सूती साड़ी बांध कर तैयार हो गई. महेश के गुजरने के बाद से घर हो या बाहर यही मेरा पहनावा था.

हम सब घर से निकलने ही वाले थे कि खुशबू मुझे देख कर चौंक गई, ‘यह क्या मां? तुम पार्टी में इस तरह चलोगी?’

जवाब जेठानी ने दिया, ‘अरे, तो क्या एक विधवा सोलह शृंगार कर के जाएगी? तू नहीं जानती बहू, हमारे में एक विधवा को इसी रूप में रहना पड़ता है.’

खुशबू ने विनम्र किंतु दृढ़ स्वर में कहा, ‘आप सही कह रही हैं बड़ी मां, विधवा औरत का शृंगार करना कुछ जंचता नहीं पर शृंगार के बगैर फंक्शन में सुरुचिपूर्ण तरीके से तैयार हो कर हलके रंगों का परिधान तो पहना ही जा सकता है. आप लोग बस 5 मिनट ठहरिए, हम अभी आते हैं और वह मेरा हाथ पकड़ कर मुझे खींचती हुई ले गई.’

कमरे में आ कर मैं ने खुशबू को फिर समझाया, ‘मैं ऐसे कपड़े ही पहनती हूं और अब तो मुझे इस की आदत पड़ गई है.’

हमेशा की तरह उस ने मुझे अपने  प्रेम और न्यायअन्याय का तर्क दे कर परास्त कर दिया और मुझे ऐसे तैयार किया जैसे एक मां अपनी बच्ची को तैयार करती है.

तैयार करने के बाद जब उस ने मुझे अलमारी में लगे आदमकद आईने के सामने खड़ा किया तो मैं खुद को देख कर ठगी सी रह गई. मुझे देख कर कोई नहीं कह सकता था कि मेरी उम्र 42 से  ऊपर हो चुकी है.

बैठक में घुसते ही परिवार वालों की नजरें मुझ से चिपक सी गईं. उन में से कुछ नजरों में मेरे लिए प्रशंसा और आदर के भाव थे तो कहीं ईर्ष्या और उलाहना भी शामिल था परंतु मेरी छवि को अशोभनीय कहने  लायक कोई बहाना खुशबू ने नहीं छोड़ा था. इसलिए चाहते हुए भी कोई कटाक्ष न कर पाया.

हलकी वसंती रंग की साड़ी के साथ मेल खाता चिकन का ब्लाउज, हाथों, गले और कानों में सोने के हलके आभूषण, माथे पर वसंती रंग की छोटी सी बिंदी के साथ ढंग से बांधे गए ढीले जूड़े ने मेरे पूरे व्यक्तित्व को ही बदल डाला था. होश संभालने के बाद से पहली बार मेरे बच्चे मुझे इस रूप में देख रहे थे. निशा तो खुशी से रो ही पड़ी थी.

उस दिन पार्टी में शायद ही कोई परिचित बचा हो जिस ने मेरी नई वेशभूषा की भूरिभूरि प्रशंसा न की हो. उन के तारीफ करने पर उन सभी को मैं यह बताना नहीं भूली कि इस का श्रेय सिर्फ खुशबू को जाता है. उस दिन मैं ने अपने खोए हुए औरतपन को फिर से महसूस किया और जिंदगी को नई नजरों से देखना शुरू किया.

इस के कुछ ही दिन बाद की बात है. खुशबू और निशा ने मिल कर ढेर सारे पकवानों के साथ चिकनबिरयानी भी बनाई थी. उस दिन भी मुझे ले कर जबरदस्त भूचाल आया. हमेशा की तरह जब मैं अपने लिए अलग से बनाए सादे भोजन को लेने रसोई की ओर चली तो खुशबू ने  मुझे टोक दिया, ‘मां, हमारे साथ ही खाओ न. अकेले खाना क्या अच्छा लगता है?’ तब मैं उसे टाल न सकी थी.

खाने की मेज पर जब उस ने सब के साथ मेरे लिए भी वही खाना परोसा तो मेरे साथ ही सब की आश्चर्य भरी नजरें मेरी थाली की ओर उठ गईं.

निशा ने कहा, ‘भाभी, लगता है तुम ने गलती से किसी और की थाली मां के सामने रख दी. तुम तो जानती ही हो कि मां यह सब नहीं खाती हैं.’

‘हां, बेटी, मेरा खाना रसोई में अलग रखा है. जा कर ले आओ,’ मैं ने अपनी पसंदीदा चिकनबिरयानी को परे सरकाते हुए कहा तो सब के चेहरों के तनाव कुछ कम हो गए.

‘मां, तुम्हारे लिए रखा गया भोजन मैं ने कामवाली को दे दिया है. क्योंकि आज उस ने कुछ खाया नहीं था,’ खुशबू ने लोगों के चेहरे की ओर देखते हुए कहा, ‘आज से तुम भी वही खाना खाओगी जो सब के लिए बनेगा. मैं इतना काम नहीं कर सकती कि एक बार तुम्हारे लिए खाना बनाऊं फिर दोबारा पूरे परिवार के लिए बनाऊं. अभी तो निशा मेरा हाथ बंटा देती है पर 2 महीने बाद जब वह ससुराल चली जाएगी तब क्या होगा?’

आगे पढ़ें- करीबकरीब हर रोज…

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Debina-Gurmeet की बेटी से मिलने पहुंचीं ‘Babita Ji’, फोटोज वायरल

देबीना बनर्जी (Debina Bonnerjee) और गुरमीत चौधरी (Gurmeet Choudhary)हाल ही में शादी के 11 साल बाद बेटी के माता-पिता बने हैं, जिसके चलते वह सोशलमीडिया पर छाए हुए हैं. वहीं बेटी से जुड़ी खुशी वह अपने सोशलमीडिया पेज पर शेयर कर रहे हैं. इसी बीच ‘तारक मेहता का उल्टा चश्मा’ (Taarak Mehta Ka Ooltah Chashmah) की ‘बबीता जी’ (Babita Ji) भी एक्ट्रेस की बेटी से मिलने पहुंची. आइए आपको दिखाते हैं वायरल फोटोज…

देबीना से मिलने पहुंचीं मुनमुदत्ता

बबीता के रोल में नजर आ रही हैं मुनमुन दत्ता (Munmun Dutta) हाल ही में अपनी बेस्ट फ्रेंड देबीना बनर्जी (Debina Bonnerjee) और गुरमीत चौधरी (Gurmeet Choudhary) की बेटी से मिलने पहुंची, जिसकी फोटोज एक्ट्रेस ने सोशलमीडिया पर शेयर की. इसके साथ ही एक प्यारा सा कैप्शन शेयर करते हुए एक्ट्रेस ने लिखा, ‘और फाइनली मैं कल रात इस लिटिल एंजेल से मिली. मेरे बेस्ट फ्रेंड्स अब पैरेंट्स बन गए हैं और मैं बहुत इमोशनल हूं. मेरे मोस्ट फेवरेट कपल. मैं इमोशनल हो गई हूं. देबीना और गुरमीत की इतनी खूबसूरत जर्नी. मैं जब भी इस बच्ची से मिलूंगी, हर बार इस पर ढेर सारा प्यार बरसाऊंगी.’

बेटी के साथ कुछ यूं वक्त बिता रही हैं देबीना

 

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मां बनने के बाद देबीना और गुरमीत अपनी बेटी के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताते नजर आ रहे हैं. हाल ही में देबीना बनर्जी ने एक वीडियो फैंस के साथ शेयर किया था, जिसमें वह अपनी बेटी को गोद में लिए नजर आ रही थीं. तो वहीं गुरमीत चौधरी बेटी को झूले में झुलाते हुए दिख रहे थे. फैंस को दोनों का ये वीडियो और फोटो काफी पसंद आ रहा है.

 

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बता दें, एक्ट्रेस देबीना बनर्जी और गुरमीत चौधरी की शादी 15 फरवरी 2011 में हुई थी, जिसके बाद वह कई रियलिटी शोज में भी हिस्सा ले चुके हैं. वहीं साल 2021 में कपल ने दोबारा शादी की, जिसके बाद 3 अप्रैल 2022 को उनकी बेटी हुई.

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भारत की प्राचीन नगरी अयोध्या वायु सेवा से जोड़ा जा रहा है : मुख्यमंत्री

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी की उपस्थिति में आज यहां उनके सरकारी आवास पर मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम इण्टरनेशनल एयरपोर्ट, अयोध्या के प्रथम चरण के विकास हेतु राज्य सरकार द्वारा क्रय की गयी 317.855 एकड़ भूमि भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण को हस्तांतरित की गयी. इसके लिए प्रदेश के नागरिक उड्डयन विभाग एवं भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण के मध्य लीज एग्रीमेण्ट का निष्पादन किया गया. मुख्यमंत्री जी की उपस्थिति में अपर मुख्य सचिव नागरिक उड्डयन एवं भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण के अध्यक्ष के मध्य लीज एग्रीमेण्ट दस्तावेजों का आदान-प्रदान किया गया.

इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री जी ने कहा कि अयोध्या में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की पावन स्मृतियों को समर्पित होने वाले अन्तर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट के निर्माण की प्रक्रिया की आज शुरुआत हुई है. इस शुरुआत के अवसर पर प्रदेश सरकार के नागरिक उड्डयन विभाग व भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण के मध्य भूमि लीज एग्रीमेंट की कार्यवाही सम्पन्न होना अत्यन्त अभिनन्दनीय पहल है. उन्होंने भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण को राज्य सरकार के साथ समयबद्ध ढंग से इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए हृदय से धन्यवाद दिया.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि आज बासन्तिक नवरात्रि की पावन तिथि है. नवरात्रि की पावन तिथि भारत की सनातन परम्परा में ऊर्जा के संचार की तिथि के रूप में मानी जाती है. ऊर्जा एक सकारात्मक विकास का प्रतीक भी है. विकास का यह प्रतीक अयोध्या जैसी पावन नगरी के साथ जुड़ा हो, तो देश व दुनिया को प्रफुल्लित करता है. उन्होंने कहा कि आज हमारे लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण दिन है. जब भारत की एक प्रमुख प्राचीन नगरी अयोध्या, जिसे भारत के आस्थावान नागरिक एक पवित्र नगरी के रूप में देखते हैं, उसे वायु सेवा से जोड़ा जा रहा है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि अयोध्या में वर्ष 2023 में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम का भव्य मन्दिर का निर्माण कार्य पूरा हो चुका होगा. रामलला अपने स्वयं के मन्दिर में विराजमान होंगे. रामलला के भव्य मन्दिर निर्माण के साथ ही हमें इस एयरपोर्ट को क्रियाशील करने की तैयारी भी करनी चाहिए.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि देश में विगत 05 वर्ष के अन्दर उत्तर प्रदेश ने बेहतरीन वायुसेवा की कनेक्टिविटी के लिए अच्छी प्रगति की है. प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के मार्गदर्शन व प्रेरणा से ही यह सम्भव हो पाया है. प्रधानमंत्री जी ने वायुसेवा को विकास के लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण माना है. प्रधानमंत्री जी का कहना है कि वायुसेवा केवल एक विशेष तबके तक सीमित नहीं रहनी चाहिए, बल्कि हवाई चप्पल पहनने वाला कॉमन मैन भी हवाई जहाज की यात्रा कर सके, ऐसी वायुसेवा उपलब्ध करानी होगी.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि वर्ष 2017 तक प्रदेश में सिर्फ 02 एयरपोर्ट पूरी तरह क्रियाशील थे. पहला देश की राजधानी लखनऊ का तथा दूसरा प्राचीनतम नगरी काशी का. गोरखपुर व आगरा में मात्र एक वायुसेवा थी, जो कभी-कभी चल पाती थी. उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि वर्तमान में प्रदेश में 09 एयरपोर्ट पूरी तरह से क्रियाशील हैं. वर्ष 2017 तक राज्य वायुसेवा के माध्यम से सिर्फ 25 गंतव्य स्थानों से जुड़ा था, उसमें भी निरन्तरता का अभाव था. आज 75 से अधिक गंतव्य स्थानों के लिए प्रदेश से हवाई सेवाएं उपलब्ध हैं.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रदेश में 10 नये एयरपोर्ट के निर्माण की कार्यवाही चल रही है. प्रदेश में वर्तमान में 03 अन्तर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट क्रियाशील हैं. एशिया के सबसे बड़े जेवर एयरपोर्ट का निर्माण कार्य राज्य सरकार द्वारा युद्धस्तर पर कराया जा रहा है. अयोध्या में आज से अन्तर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट बनाने की कार्यवाही प्रारम्भ हो रही है. जब यह दोनों अन्तर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट क्रियाशील हो जाएंगे तो किसी भी राज्य की तुलना में प्रदेश के पास सर्वाधिक एयरपोर्ट होंगे. तब उत्तर प्रदेश 05 अन्तर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट वाला राज्य होगा, जो अपनी बेहतरीन वायु कनेक्टिविटी के माध्यम से प्रत्येक नागरिक को बेहतरीन वायुसेवा की सुविधा उपलब्ध करवाने के बड़े कार्यक्रम को आगे बढ़ाने में सफल होगा.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि अयोध्या इण्टरनेशनल एयरपोर्ट के पहले फेज के कार्य के लिए भूमि की जितनी आवश्यकता थी, अयोध्या के जिला प्रशासन ने इस कार्य को समयबद्ध ढंग से आगे बढ़ाया है. इससे सम्बन्धित पूरी धनराशि राज्य सरकार द्वारा स्वीकृत करके पहले ही जिला प्रशासन को उपलब्ध करवायी जा चुकी है. इस अन्तर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट के लिए जितनी भूमि की आवश्यकता है, उसमें से मात्र 86 एकड़ भूमि ही बाकी है. उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि जिला प्रशासन तीव्र गति से शेष 86 एकड़ भूमि उपलब्ध कराने का कार्य करेगा. इस एयरपोर्ट के तीनों फेजों के निर्माण के लिए जितनी भूमि की आवश्यकता पड़ेगी, उतनी भूमि प्रदेश सरकार द्वारा उपलब्ध करवायी जाएगी. उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि समयबद्ध ढंग से इस एयरपोर्ट के विकास को आगे बढ़ाकर अयोध्या नगरी को दुनिया की सुन्दरतम नगरी के रूप में स्थापित करने के साथ ही हम बेहतरीन कनेक्टिविटी को उपलब्ध कराने में सफल होंगे.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि राज्य सरकार इस एयरपोर्ट के निर्माण के लिए सकारात्मक सहयोग देने के लिए पूरी तरह तैयार है. वायुसेवा की बेहतरीन कनेक्टिविटी विकास के अनेक द्वार खोलती है. उन्होंने कहा कि जनपद गोरखपुर के वायुसेवा से जुड़ते ही वहां विकास की गतिविधियां तेज हुई हैं. वर्ष 2017 तक गोरखपुर मात्र एक वायुसेवा से जुड़ा था. आज यह 12 से 13 वायुसेवा से जुड़ा हुआ है. जैसे हवाई जहाज की यात्रा एक नई उड़ान होती है, वैसे ही विकास की नई उड़ान के साथ गोरखपुर तेजी के साथ आगे बढ़ रहा है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रदेश के विभिन्न शहरों-वाराणसी, लखनऊ, कानपुर, बरेली, प्रयागराज, गाजियाबाद (हिण्डन) इत्यादि में हवाई सेवाएं उपलब्ध हैं. जनप्रतिनिधियों सहित समाज के विभिन्न वर्गाें के नागरिकों की हमेशा मांग रहती है कि उनके क्षेत्र को वायुसेवा से जोड़ा जाए. जहां वायुसेवा के लिए बड़े एयरपोर्ट बनाना कठिन होता है, वहां पर लोग हेलीकॉप्टर सेवा से जुड़ने की मांग करते हैं, जिससे वे भी विकास की प्रक्रिया का हिस्सा बन सकें.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि यह एक सकारात्मक एप्रोच है. उस सकारात्मक एप्रोच को तेजी से आगे बढ़ाना चाहिए. प्रदेश सरकार की सकारात्मक सोच ने प्रत्येक क्षेत्र में प्रधानमंत्री जी के विजन को जमीनी धरातल पर उतारने का कार्य किया है. उसी का परिणाम है कि प्रदेश अगले वर्ष तक 05 अन्तर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट देश को देने की स्थिति में होगा. उन्होंने कहा कि प्रदेश में युद्धस्तर पर निर्मित हो रहे 10 नये एयरपोर्ट जब क्रियाशील होंगे, तब प्रदेश 19 एयरपोर्ट के साथ देश में वायुसेवा के साथ जुड़ने वाला सबसे बड़ा राज्य होगा.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रदेश सरकार बेहतरीन कनेक्टिविटी के माध्यम से नागरिकों के जीवन को और भी सरल करने और विकास की सभी सम्भावनाओं को आगे बढ़ाने का कार्य करेगी, जो अपेक्षाएं आजादी के बाद से उत्तर प्रदेश वासियों ने की थीं. उन्होंने कहा कि वायुसेवा लोगों के जीवन को आसान बनाने, अधिक से अधिक युवाओं को रोजगार प्रदान करने और विकास की सभी सम्भावनाओं को तेजी से आगे बढ़ाने का माध्यम है. नागरिकों की यात्रा को और सहज, सरल, सुलभ बनाने का भी वायु सेवा बेहतर माध्यम है. राज्य सरकार इस दिशा में भरपूर सहयोग करेगी.

इस अवसर पर मुख्य सचिव श्री दुर्गा शंकर मिश्र ने धन्यवाद ज्ञापित किया. अपर मुख्य सचिव नागरिक उड्डयन श्री एसपी गोयल ने स्वागत सम्बोधन किया. भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण के अध्यक्ष श्री संजीव कुमार ने भी अपने विचार व्यक्त किये.

ज्ञातव्य है कि मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम अन्तर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट, अयोध्या के विकास हेतु 821 एकड़ भूमि चिन्हित की गयी है. प्रथम चरण के विकास हेतु 317.8 एकड़ भूमि भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण को लीज पर दी जा रही है. राज्य सरकार द्वारा इसके विकास हेतु 1008.77 करोड़ रुपये की धनराशि स्वीकृत की गयी है. इस एयरपोर्ट का विकास तीन चरणों में होगा. प्रथम चरण में वायुयानों हेतु 2200 मीटर ग 45 मीटर रनवे सहित अन्य सुविधाओं का निर्माण होगा.

इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव सूचना एवं एमएसएमई श्री नवनीत सहगल, मेम्बर प्लानिंग भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण श्री एके पाठक, सूचना निदेशक श्री शिशिर सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे.

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