लॉकडाउन के साइड इफेक्ट: युवाओं की भी निकल आयी है तोंद

रिसर्च एजेंसी गैलप द्वारा हाल में किया गया एक रिसर्च सर्वे इन दिनों खूब चर्चा में है. इसके मुताबिक 4 मई के बाद जिन कुछ शहरों में लॉकडाउन में रियायतें दी गई है और दफ्तरों को खोल दिया गया है, हैरानी की बात है कि यहां के बहुत सारे लोग काम पर जाना ही नहीं चाहते. सरकारों ने जितनी संख्या में कर्मचारियों को ऑफिस आने की इजाजत दी है लोग उतनी संख्या में भी नहीं पहुँच रहे.

हद तो यह है कि जो लोग घरों से काम कर रहे हैं,उनमें से भी ज्यादातर लोगों के लिए ये छुट्टियों जैसा टाइम है और ये इसे खत्म होना नहीं देखना चाहते. हालांकि घरों से काम करते हुए भी ये लोग ईमानदार नहीं हैं. रिसर्च सर्वे के निष्कर्ष के मुताबिक़ ऐसा इसलिए है क्योंकि भारत के ज्यादातर लोगों के लिए आलस्य से बढ़कर कुछ नहीं है. इस सर्वे का तो यहां तक मानना है कि बहुत सारे लोग तो इस बात के लिए भी तैयार हैं कि भले ही उनकी तन्ख्वाहें कम कर दी जाएं लेकिन उन्हें काम पर अब न न बुलाया जाए.

वास्तव में यह इस लॉकडाउन का सबसे बुरा साइड इफेक्ट है. लेकिन युवाओं का आलस्य कोई पहली बार निकलकर सामने नहीं आया. सच्चाई तो यह है कि तमाम जिम कल्चर के हल्ले के बावजूद हिन्दुस्तान का कामकाजी युवा दुनिया में सबसे ज्यादा आलसी है और दैहिक नजरिये से दुनिया में सबसे बेडौल भी है. सिर्फ इस लॉकडाउन की ही बात नहीं है,वैसे भी पूरी दुनिया में ऑफिस जाने वाले युवाओं में भारतीय युवा ही ऐसे हैं जिनकी सबसे ज्यादा तोंद निकली हुई होती है. इन दिनों तो आलस्य का कारण लॉकडाउन और उसमें तय रूटीन का न होना है लेकिन जब सामान्य दिन होते हैं तब भी युवाओं का घंटों कुर्सी पर बैठकर काम करना.  काम की अधिकता और समय की कमी की स्थितियों का होना तथा दिन भर अस्त-व्यस्त रहना.  ये कुछ ऐसी बातें हैं जिनके चलते हमारे युवाओं का स्वास्थ्य दुनिया में सबसे खराब है.

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बेतरतीब लाइफस्टाइल के कारण हमारी यह अस्वस्थ्यता सबसे पहले  हमारी बढ़ी हुई तोंद के रूप में ही दिखती है. यह अकारण नहीं है कि लॉकडाउन के पहले भी हर पांचवा भारतीय नौजवान औसत से ज्यादा मोटा था और हर आठवें नौजवान की तोंद बाहर निकली हुई थी. यह अलग बात है कि युवाओं की तोंद अधेड़ों जितनी तीखी या स्पष्ट नहीं दिखती. लेकिन नाभि के पास से अगर पेट खींचने पर पेट का एक बड़ा हिस्सा रबर की तरह खिंच जाए या हाथ पर आ जाए तो समझो तोंद निकली हुई . कई बार यह तोंद हमारे लिए इंबैरेसमेंट की वजह भी बन जाती है.  लेकिन अगर हम इससे शर्मिंदा न भी हों तो भी तो यह हमारे लिए कई किस्म की स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं की वजह तो बनती ही है.

सवाल है इस स्थिति के लिए जिम्मेदार कौन है? आप कहेंगे लाइफस्टाइल. अगर लाइफस्टाइल जिम्मेदार है तो इसे बदल दो. आप कहोगे आपके लिए यह संभव नहीं है; क्योंकि बाजार की यही डिमांड है. अगर लाइफस्टाइल बदलना संभव नहीं है; क्योंकि भूमंडलीकरण के चलते दुनिया आपस में एक जैसा जीवन जीने के लिए बाध्य है तो क्या पूरी दुनिया का भी यही हाल है ? इस सवाल का जवाब है-‘नहीं’. दुनिया में और कहीं भी युवाओं के स्वास्थ्य का ऐसा हाल नहीं है जैसे हमारे यहाँ है . वास्तव में हम हिंदुस्तानी चाहे युवा हों या अधेड़ इस कहावत को बेहद संजीदगी से अपनाते हैं कि आराम सबसे बड़ी चीज है.

हम लोग कसरती काम को बिल्कुल भी तरजीह नहीं देते हैं.  पांच  साल पहले हुए ‘मैक्सबूपा वॉक फॉर हेल्थ सर्वे’  में यह निष्कर्ष निकलकर सामने आया था कि हर चौथा हिंदुस्तानी कसरत से जी चुराता है,चाहे वह युवा हो या अधेड़. सर्वे के मुताबिक जो लोग तथाकथित वर्जिश करते भी हैं वे भी दौड़ने या तैरने जैसी मेहनत भरी वार्जिशों से बचते हैं. इसकी जगह बागो बहार में टहलना पसंद करते हैं.  दिल्ली, मुंबई और कोलकाता जैसे महानगरों के लोगों से बातचीत के आधार पर हुए सर्वे के मुताबिक 56 फीसदी लोग वर्जिश के नाम पर टहलना पसंद करते हैं. इसी सर्वे के निष्कर्षों के मुताबिक 42 फीसदी लोग स्वस्थ रहना चाहते हैं, इसलिए टहलते हैं जबकि 34 फीसदी लोग ब्लड प्रेशर की समस्या से जूझ रहे हैं इसलिए टहलते हैं.  इसी क्रम में 24 फीसदी ऐसे भी हैं, जिन्हें डॉक्टर साहब ने कहा तो टहलने लगे वरना इनका अपना कोई एजेंडा नहीं था.

सबसे चिंताजनक बात यह है कि 50% युवा मानते हैं स्वास्थ्य की चिंता करना तो बुड्ढों का काम है ,हम क्यों इसे लेकर परेशान रहें  हम क्या कोई बुड्ढे हैं ? कुल मिलकर कहने की बात यह है कि निकलती तोंद लाइफस्टाइल या बदले हुए वर्क नेचर का नतीजा नहीं बल्कि हमारी नासमझी और स्वास्थ्य को लेकर जागरूक न होने का नतीजा है.  बहरहाल इस सब पर आपकी कितनी भी आलोचना कर ली जाए कोई फायदा नहीं. इसलिए आइये देखते हैं कि खानपान की सजगता से बढ़ती हुई तोंद पर कैसे काबू पाया जा सकता है? अगर आपकी तोंद निकली हुई है तो आपके लिए पुदीना काफी फायदेमंद साबित हो सकता है.  नियमित रूप से इसकी चटनी और पुदीने से बनी चाय  पीजिये.  जल्द ही मोटापा से निजात मिलेगा और तोंद से भी.  आपके लिए सौंफ भी कापी फायदेमंद साबित हो सकती है.  इसके लिए आधा चम्मच सौंफ को एक कप पानी में उबालें और फिर करीब 10 मिनट तक के लिए इसे ढक कर रख दें.  इसके बाद इस पानी का सेवन करें.  लगातार तीन महीने तक ऐसा करने से वजन में फर्क पड़ेगा और मोटापे में भी.

मूली को सलाद में तो खाते ही होंगे. अब इसके रस का भी सेवन करना शुरू करिए. दो बड़े चम्मच मूली के रस में शहद मिलाकर बराबर मात्रा मिलाकर इसे पानी के साथ पीयें.  एक महीना ऐसा करने से आपका वजन में निश्चित फर्क दिखेगा.  टमाटर और प्याज भी फैट कम करने में काफी फायदेमंद साबित होते हैं.  इसके लिए खाने के साथ टमाटर और प्याज के सलाद पर काली मिर्च और नमक डालकर खाइए.  इससे बढ़ता वजन कम होने लगेगा.  साथ ही आपके शरीर में पर्याप्त मात्रा में विटामिन सी, विटामिन ए, विटामिन के, आयरन, पोटैशियम, लाइकोशपीन और ल्यूटिन भी पहुंचेगा.

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करेले की सब्जी खाने से भी वजन में फर्क पड़ता है.  इसके लिए कम तेल में कटे हुए करेले की सब्जी खाएं न कि तले हुए करेले. ग्रीन टी भी मोटापा कम करने में सहायक है.  ग्रीन टी का सेवन शुरू करें बिना चीनी और दूध.  इसमें मौजूद एंटी ऑक्सिडेंट्स आपके चेहरे से झुर्रियों को भी हटाता है और साथ ही साथ वजन को भी नहीं बढ़ने देता. लौकी का जूस वजन घटाने का एक अच्छा माध्यम है. इससे आपका पेट भी भरा रहता है और लौकी में मौजूद फाइबर भी शरीर को स्वस्थ रखते हैं.  जाहिर है मोटापा तो कंट्रोल में रहता ही है.  हरी मिर्च भी आपके इस अभियान में सहायक बन सकती है बशर्ते तीखी हो और उसे खाते हुए बार बार आप पानी न पीयें.

आपके लक्ष्य को हासिल करने में गाजर की भी काफी उपयोगिता है.  इसके लिए करें ये कि खाना खाने से कुछ देर पहले गाजर खाएं. गाजर का जूस भी वजन कम करने में सहायक होता है. लेकिन बाजार में पीयें तो ध्यान रखें उसमें चीनी या स्क्रीन न हो. पपीता भी फायदेमंद है. पपीता हर मौसम में उपलब्ध है. लंबे समय तक पपीते का सेवन चर्बी कम करता है.  मोटापा कम करने के लिए छाछ भी काफी उपयोगी है. लेकिन लस्सी की तरह से पीने में नहीं.  इसके लिए आंवले और हल्दी को बराबर मात्रा में पीसकर इसका पाउडर बना लें और इसे रोजाना छाछ के साथ पीयें. बहरहाल मेहनत करके तोंद नहीं सिकोड़ना चाहते तो खानपान की सजगता से ऐसा कर सकते हैं. तोंद कम होगी.

4 टिप्स: ऐसे करें घर में एक्सरसाइज

बिजी लाइफस्टाइल के चलते हमारा वजन हमारे कंट्रोल में नही रहता अक्सर हम हेल्दी खाते हैं, लेकिन फिर भी हम अपना वजन कंट्रोल नही कर पाते. वहीं जिम जाने का टाइम भी हमारे पास नही रहता और अगर जिम चले भी जाएं तो खोखले दावे करते स्लिमिंग सेंटर हमारे पैसे बर्बाद कर देते हैं. आज हम आपको फिट व चुस्त रहने के कुछ एक्सरसाइज बता रहे हैं, जिन्हें आप घर में ही कर के आकर्षक दिखने का अपना सपना बिना इन सेंटरों में पैसे और समय गंवाए ही पूरा कर सकती हैं. ये एक्सरसाइज खासतौर पर उन अंगों के लिए बेहद असरदार हैं, जो या तो बढ़ती उम्र के कारण दुर्बल होने लगते हैं या फिर शरीर का भार बढ़ने के कारण फैलने लगते हैं जैसे – पेट, जांघें, बाजुओं का पिछला हिस्सा व कमर आदि. इन व्यायामों के जरिए आप को निश्चय ही बेहतरीन परिणाम मिलेंगे.

1. टखनों व पिंडलियों यानी घुटनों के लिए एक्सरसाइज

थोड़ी सी जौगिंग या स्किपिंग से वार्म होने के बाद सब से पहले टखनों व पिंडलियों के लिए एक्सरसाइज करना चाहिए. इस के लिए एक कुरसी के किनारे बैठ जाएं. घुटने एकसाथ जोड़ लें. पैरों के बीच की दूरी डेढ़ फुट हो. ध्यान रहे, पंजे अंदर की ओर इशारा करते हुए हों. अब पंजों को जितना ऊपर उठा सकती हैं, उठाएं, फिर नीचे लाएं. इसे 16 बार दोहराएं. अब पैरों को बाहर की ओर मोड़ते हुए घुटने मिला कर पैरों में फासला रखते हुए एक बार फिर 16 बार उठाएं. अंत में एडि़यों को जमीन पर जमाते हुए दोनों पैरों को जमीन के साथ रगड़ते हुए अंदर की ओर लाएं. अब पांवों को स्वीप करते हुए बाहर की ओर लाएं और दोबारा उठाएं. इसे 16 बार दोहराएं.

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2. सपाट पेट व कमर को सही आकार

पीठ के बल लेट जाएं व हाथों को सिर के पीछे ले जाएं. टांगें मोड़ते हुए पैरों के तलवों से जमीन पर दबाव डालें, ताकि दोनों टांगों के बीच कुछ फासला आ जाए. अब बाईं कुहनी को ऊपर की ओर उठाएं व दाएं घुटने की तरफ झुकें, फिर वापस जाएं. इसे 12 बार दोहराएं. अब दाएं पांव को जमीन से 2 इंच ऊपर उठाएं और बाईं कुहनी को दाएं घुटने की तरफ सामने 16 बार लाएं. अब इन व्यायामों को दूसरी तरफ से दोहराएं. पीठ के बल लेट जाएं. दोनों टांगों को ऊपर की ओर उठा कर घुटनों से ऊपर व नीचे के भाग को 90 डिग्री पर आपस में जोड़ लें. टखनों को क्रास कर लें तथा घुटनों के बीच करीब आधा इंच का फासला रखें. अब धीरेधीरे शरीर के निचले हिस्से को जितना ऊपर उठा सकती हैं, उठाने का प्रयास करें. सर्वोत्तम परिणाम के लिए पेट को एक्सरसाइज के दौरान अंदर ही रखें.

3. जांघों की मजबूती के लिए एक्सरसाइज

सब से पहले बाईं तरफ करवट ले कर लेट जाएं, शरीर के ऊपरी हिस्से को कुहनी पर टिकाते हुए. अब दाईं टांग को इस तरह मोड़ें जिस से कि घुटना ऊपर की तरफ इशारा करता हुआ हो. अब पेट अंदर की तरफ रखते हुए दाएं पांव को हलके मुड़े घुटने के पीछे ले आएं. ध्यान रहे कि बायां पांव छत की तरफ इशारा करता हुआ हो. बाईं टांग को काफी ऊंचा उठाएं. इसे 24 बार दोहराएं. अब दूसरी तरफ से इसे करें.

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4. ऊपरी बाजू के लिए एक्सरसाइज

ऊपरी बाजू में पहले जैसा खिंचाव व सही शेप देने के लिए यह एक्सरसाइज बहुत ही कारगर सिद्ध हो सकता है. कुरसी के किनारे बैठ जाएं व दोनों हाथों से कुरसी के किनारे थाम लें. कुरसी पर बैठेबैठे ही इस प्रकार आगे की तरफ तब तक बढ़ें, जब तक कि केवल आप के हाथ  ही कुरसी पर टिकें रहें जाएं. अब धीरेधीरे शरीर के ऊपरी भाग को ऊपर व नीचे ले जाएं, बाजुओं को मोड़ते व सीधा करते हुए इसे 12 बार दोहराएं. आप इन एक्सरसाइज की मात्रा और समय धीरे-धीरे बढ़ा सकती हैं. घर पर नियमित रूप से इन्हें करने पर आप का नत, मन व धन तीनों स्वस्थ और सुडौल रेगे.

क्या हंसने को व्यायाम के रूप में देखना सचमुच विवेकपूर्ण है?

सवाल-

मेरे पति और मैं रोजाना सुबह पास के पार्क में घूमने जाते हैं. वहां हर दिन हमारा कुछ ऐसे लोगों से सामना होता है, जो सामूहिक रूप से कई मिनटों तक खूब जोरजोर से हंसते हैं. मुझे उन का यह बनावटी हंसना कुछ समझ में नहीं आता, पर मेरी एक मित्र का कहना है कि यह हास्य योग है जो स्वास्थ्य के नजरिए से बेहद लाभकारी सिद्ध होता है. क्या यह सोच वैज्ञानिक है? क्या हंसने को व्यायाम के रूप में देखना सचमुच विवेकपूर्ण है?

जवाब-

यह बात बिलकुल सच है कि हंसना स्वास्थ्य के लिए हर लिहाज से बहुत अच्छा है. हास्य योग की सोच सदियों से जीवित है. समाज में इसी सोच के अंतर्गत लाफ्टर थेरैपी की बात कही गई है और आधुनिक वैज्ञानिक शोध से भी हंसने के शरीर और मन पर पड़ने वाले सद्प्र्रभावों की पुष्टि हो गई है.

भौतिक स्तर पर हंसना एक भरपूर व्यायाम है. उस से छाती, पेट और हाथों की पेशियों की कसरत तो होती ही है, दिल, फेफड़ों और रक्तसंचार व्यवस्था का भी खूब अच्छा व्यायाम हो जाता है. दिल और संचरण की गति तेज हो जाती है और सांस नलियों में कहीं बलगम हो तो वह बाहर आ जाता है. यह मन के लिए भी बहुत अच्छा टौनिक है. खुल कर हंस लेने से आदमी जीवन की नीरसता, एकाकीपन, तनाव, अवसाद और थकान से भी छुटकारा पाता है.

इतना ही नहीं शोध चिकित्सकों ने हंसने के उपयोगी गुणों का जैव रासायनिक आधार भी तलाश किया है. पाया गया है कि हंसने से मस्तिष्क में अनेक महत्त्वपूर्ण जैव रसायन उत्पन्न होते हैं. उन में स्ट्रैस में काम आने वाले कुछ प्राकृतिक पीड़ाहारी जैव रसायन प्रमुख हैं.

बात यहीं खत्म नहीं हो जाती. हंसने के बहुपयोगी गुणों को देखते हुए आधुनिक चिकित्सा में हास्य का प्रयोग रोगोपचार औषध के रूप में होने लगा है. बीते कई दशकों से लाफ्टर थेरैपी अमेरिका में कई अस्पतालों में उपचार का अंग बनी हुई है.

स्वस्थ बने रहने के लिए आप और आप के पति भी लाफ्टर थेरैपी क्लब के सदस्य बनें और खूब हंसें. इस से सस्ती, अच्छी चिकित्सा भला और क्या हो सकती है.

  -डा. यतीश अग्रवाल 

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#coronavirus: घर पर रहकर करें नियमित व्यायाम

कोरोना के दिनों दिनों बढ़ते केसेज और इसे पेंडेमिक रोग के तौर पर घोषित किये जाने से पूरे विश्व में इंडस्ट्री, वर्क प्लेस, जिम, स्कूल कॉलेज, फिटनेस के सभी सेंटर्स आदि सब इस महीने के अंत तक बंद है,ऐसे में यूथ और फिटनेस फ्रीक सभी को सबसे अधिक समस्या आ रही है. वे घर में कैद होकर अपने आप को रेस्टलेस फील कररहे है. ये सही है कि सरकार इसे कम्युनिटी में फैलने नहीं देना चाहती, इसलिए हर संभव प्रयास की जा रही है,ताकि अधिक से अधिक लोग घर में रहकर इस रोग को फैलने से रोके . इस बारें में फिटरनिटी कीसीनियर वाईस प्रेसिडेंटधारा तन्ना कहती है कि जिममेम्बेर्स और अपने कर्मचारियों की फिटनेस को लेकर मैं बहुत जागरूक है, इसलिए कुछ जिम ओपरेटर्स, इन्टरनेट के ज़रिये अपने ट्रेनर को शिक्षित कर रहे है और ये ट्रेनर ऑनलाइन के ज़रिये सबकी फिटनेस को बनाये रखने में समर्थ हो रहे है. उनके  कुछ  सुझाव निम्न है,

 1. सोशल डिस्टेंस को ध्यान में रखते हुए और जब तक सबकुछ नार्मल नहीं हो जाता तब तक हेल्थ और फिटनेस सेंटर्स ने वीडियो कॉल और वर्चुअल वर्कआउट के द्वारा उन्हें फिट रखने की कोशिश कर रहे है, इतना ही नहीं इनमें ऑनलाइन फ्री वर्कआउट सुझाव, स्काइप के द्वारा वन एन वन पर्सनल ट्रेनिंग और फ्री फिटनेस एप भी शामिल है.

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2. मेम्बरशिपएकाउंट को अभी फ्रीज कर दिया गया है ताकि सोशल डिस्टेंस बनी रहे और उन्हें कुछ पैसे देने की भी अब जरुरत नहीं, जब सब नार्मल हो जायेगा, वे जिम में आ सकते है, तब उनके दिए गए पैसे तबसे लागू होंगे,उन्हें घबराने की जरुरत नहीं, वे घर पर रहकर अपनी फिटनेस को बनाये रख सकते है,

3. जब आप आइसोलेशन रूम में है औरअधिक से अधिक समय सोशल मीडिया पर एक्टिव है, ऐसे में फ्री फिटनेस गाइड को फोलो करें, जो हर जिम सेंटर ने निकाले है,इसमें हर वर्कआउट के सही तरीके को पूरी पिक्चर और मूवमेंट के साथ दिखाया गया है,इसकेअलावा कुछ जिम ट्रेनर ने बहुत ही कम दाम मेंऑनलाइन प्रोग्राम और फिटनेस के तरीके कोभी शामिल किये है.

4. कुछ वर्कआउट जिन्हें कर आप फिट रह सकते है, मसलनपुश अप और कार्डियो एक्सरसाइज करने से शरीर में ब्लड सर्कुलेशन बढेगा और आप फिट रहेंगे,

5. इसके अलावा नियमित प्राणायाम और सूर्यनमस्कार भी फिटनेस के लिए काफी फायदेमंद होता है, नियमित तरल पदार्थ का सेवन अवश्य करें, अच्छी संतुलित भोजन करें और घर पर रहकर अपने शिड्यूल का पालन करें.

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6. ये सही है कि बाहर खुले में जाकर फिटनेस की प्रैक्टिस करना सबसे अधिक अच्छा होता है, लेकिन जब समस्या ऐसी हो और आपको घर पर कैद में रहना है तो घबराएं नहीं,बल्किबताये गए तरीके से अपने आपको फिट और स्वस्थ रखें.

जानें क्या हैं मसल बिल्डिंग से जुड़े मिथ

लेखक- मेहा गुप्ता

मसल बिल्डिंग से स्त्री मर्दाना लगती है?

विशेषज्ञों का मानना है कि मसल बिल्डिंग में टेस्टोस्टेरौन हारमोन का खास योगदान होता है, पर आप यह जान लें कि स्त्रियों में यह हारमोन पुरुषों की तुलना में काफी कम होता है. इस वजह से वे पुरुषों की तरह मसल नहीं बना सकती हैं तो मर्दाना लगने का तो प्रश्न ही नहीं उठता है.

लंबे समय तक जिम जाने से जोड़ों के दर्द की समस्या बढ़ती है?

सच तो यह है कि ऐक्सरसाइज और वेट लिफ्टिंग मसल्स को मजबूत बनाती है. मसल्स जौइंट्स को सहारा देने का काम करती हैं. हमारे शरीर के जोड़ों को मसल्स और लिगामैंट्स की जरूरत होती है. इस के बिना हड्डियां टूट सकती हैं. यही कारण है कि उम्र बढ़ने के साथ जरा सा गिरने या चोट लगने पर फ्रैक्चर का खतरा बढ़ जाता है. इसलिए जिमिंग जोड़ों के दर्द की समस्या को घटाता है बढ़ाता नहीं.

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हैवी ऐक्सरसाइज से हैवी पीरियड्स फ्लो की समस्या बढ़ती है?

63% टौप फीमेल ऐथलीट्स का मानना है कि वर्कआउट से पेल्विक एरिया में रक्तप्रवाह बढ़ जाता है, जिस से पीरियड्स में होने वाले दर्द से राहत मिलती है. इस के अलावा इन दिनों कई बार डिप्रैशन या मूड स्विंग की समस्या देखी जाती है जैसाकि पहले ही कहा जा चुका है कि वर्कआउट से हारमोंस स्रावित होते हैं, जो मूड को अच्छा रखने में सहायक होते हैं. इस के अलावा नियमित ऐक्सरसाइज पीरियड्स को नियमित करती है. अगर आप को इन दिनों जिम में असुविधा महसूस हो तो वाकिंग की जा सकती है.

वर्कआउट से प्रजनन अंगों और प्रजनन क्षमता पर बुरा असर पड़ता है?

आधुनिक जीवनशैली के चलते हमारे भोजन में पेस्टिसाइड्स और दवाइयों का प्रयोग बढ़ गया है. कई बार स्त्रियों में 35 की उम्र के आसपास ऐस्ट्रोजन का स्राव बढ़ने से ब्रैस्ट कैंसर की समस्या जन्म लेती है. नियमित वर्कआउट ऐस्ट्रोजन के स्तर को कम करता है. ऐस्ट्रोजन की बढ़ी मात्रा ब्रैस्ट कैंसर के लिए मुख्य रूप से उत्तरदायी है. यही नहीं ऐस्ट्रोजन के संतुलित रहने से ओव्युलेशन और प्रजनन क्षमता में वुद्धि होती है.

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मजबूत बनेंगी तो सुंदर दिखेंगी

लेखक- मेहा गुप्ता

कोई भी स्त्री तब तक संपूर्ण रूप से सुंदर नहीं कहला सकती जब तक वह मानसिक या अंदर से मजबूत न हो. हौलीवुड की अभिनेत्रियां की जिम फ्रिकनैस सर्वविदित है. प्रसिद्ध अभिनेत्रियों जेसिका अल्बा, जेनिफर गार्नर और 76 साल की जेन फोंडा काफी हैवी वेट ऐक्सरसाइज करती हैं. इस से इन की खूबसूरती में आंच नहीं आई है और इन की खूबसूरती का सारा जमाना दीवाना है.

हमारे देश में फैशन और बौलीवुड भी इस से अछूता नहीं है. अब बौलीवुड अभिनेत्रियां हौलीवुड अभिनेत्रियों से प्रभावित हो कर अपनी दैनिक दिनचर्या में से 1-2 घंटे जिम के लिए निकालती हैं. इस में सिर्फ साइक्लिंग, जौगिंग, हलकीफुलकी फ्लोर ऐक्सरसाइज ही नहीं, बल्कि वेट लिफ्ंिटग जैसी मसल बिल्डिंग ऐक्सरसाइज भी शामिल हैं. आजकल इस के लिए ‘पाइलौक्सिंग’ शब्द का समावेश हुआ है, जिस में मसल बिल्डिंग ऐक्सरसाइज और बौक्सिंग सम्मिलित है. शारीरिक मजबूती कितनी जरूरी है और इस का सुंदरता से कितना गहरा नाता है, आइए, जानें:

1. स्वास्थ्य

बढ़ती टैक्नोलौजी ने इंसान की जिंदगी को आरामदेह बना दिया है. पहले औरतें सारे काम हाथ से करती थीं. मगर अब सारा काम मशीनों से होने लगा है. इसलिए कसरत करना जरूरी हो गया है. शारीरिक कार्यों की कमी से मोटापे की समस्या बढ़ी है जो हाई ब्लड प्रैशर और डायबिटीज के लिए जिम्मेदार है. 40 की

उम्र के बाद या मैनोपौज के समय स्त्रियों में औस्टियोपोरोसिस की समस्या आम बात है, जिस का कारण बढ़ती उम्र के साथ बोन डैंसिटी का कम होना है. कैल्सियम की गोलियां राहत दे सकती हैं पर लंबे समय तक इन का सेवन पथरी का कारण बन सकता है. वेट लिफ्टिंग एक बेहतर विकल्प है.

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2. मानसिक स्वास्थ्य

नियमित व्यायाम से शरीर की अधिक कैलोरी की आवश्यकता बढ़ती है, जिस से शरीर में रक्त का प्रवाह बढ़ता है और नींद अच्छी आती है. अच्छी नींद मानसिक स्वास्थ्य के लिए पहली शर्त है. अच्छी नींद लेने से आधी मानसिक बीमारियां दूर हो जाती हैं. नियमित वर्कआउट टैंशन को घटाने में मदद करता है.

‘हार्वर्ड स्कूल औफ पब्लिक हैल्थ’ की रिसर्च के अनुसार नियमित कसरत 26% तक डिप्रैशन को थामने में मदद करती है. यह अटैंशन डैफिसिट हाईपर ऐक्टिविटी सिंड्रोम नामक मानसिक बीमारी के इलाज में प्रयुक्त दवाइयों रैटेनिल और ऐनाड्रोल के समान कार्य करती है. यह बीमारी मुख्य रूप से बच्चों और टीनऐजर्स को अपना शिकार बना रही है. वर्कआउट से हारमोंस डोपामाइन और सैरोटोनिन का स्तर बढ़ता है. ये हमें खुश रखते हैं, साथ ही सकारात्मक सोच को भी बढ़ाते हैं.

3. खूबसूरती

नियमित वर्कआउट से रक्तप्रवाह बढ़ता है, जिस का खूबसूरती से सीधा संबंध है. लगभग सभी स्त्रियां पार्लर जा कर फेशियल करवाती हैं, क्योंकि इस से रक्तप्रवाह बढ़ता है, जिस से वे खूबसूरत नजर आती हैं. संपूर्ण वर्कआउट से पूरा शरीर खूबसूरत बनता है. त्वचा टोन होती है. डर्मैटोलौजिस्ट के अनुसार वर्कआउट से स्ट्रैस संबंधित हारमोन कोर्टिसोल का लैवल कम होता है, जिस से सिरम का नियंत्रित निर्माण होता है जो कीलमुंहासों के लिए जिम्मेदार होता है. इस के अलावा अधिक कोर्टिसोल कोलोजन का निर्माण बढ़ाता है, जिस से त्वचा कसी रहती है, चेहरे पर  झुर्रियां नहीं पड़ती हैं और लंबी उम्र तक जवां दिख सकते हैं.

4. सैक्सुअल लाइफ

डेली वर्कआउट लिबिडो किलर है. लिबिडो में सैक्स इच्छा कम हो जाती है. वर्कआउट से उन हारमोंस का कौकटेल बनता है जो आप के शरीर में ऐडे्रनलिन और ऐंडोर्फिन का स्तर बढ़ाते हैं. ऐस्ट्रोजन सब से महत्त्वपूर्ण सैक्स हारमोन है, जो प्रमुख स्त्री जननांग जैसे स्तन का निर्माण और प्रजनन क्षमता के लिए आवश्यक है. हमारे सैक्सुअल और्गेज्म में रक्तप्रवाह बढ़ने से सैक्स ड्राइव में इजाफा होता है. इस के अलावा और्गेज्म तक पहुंचने में भी अतिरिक्त ऊर्जा की आवश्यकता होती है, जिस के लिए वर्कआउट उपयोगी साबित हो सकता है. अब वह समय नहीं रह गया है जब स्त्री अपने पति को दांपत्य सुख देना भर अपना कर्तव्य सम झती थी, बल्कि आज की स्त्री अपनी संतुष्टि के प्रति भी सजग रहती है.

5. आत्मरक्षा

एक समय था जब स्त्री को पुरुष के मुकाबले शारीरिक रूप से कमजोर माना जाता था, पर आज की स्त्री कमजोर नहीं है. स्त्री के लिए आत्मरक्षा खूबसूरती से भी अधिक आवश्यक हो गई है. डेली वर्कआउट से ही

मसल मास और बोन डैंसिटी बढ़ेगी जो किसी पुरुष के अचानक आक्रमण का विरोध करने में कवच का काम करेगी और इस के लिए कोई शौर्टकट नहीं है.

6. आत्मनिर्भरता

सब से बड़ी बात शारीरिक मजबूती से आप की आत्मनिर्भरता में इजाफा होगा. फिर गैस सिलैंडर खत्म हो जाने पर या टू व्हीलर चलाते समय स्लिप होने या संतुलन बिगड़ जाने पर मदद के लिए आप को किसी का मुंह नहीं ताकना पड़ेगा या फिर रात को 8-9 बजे घर से निकलने पर घर के बड़ों का यह जुमला कि साथ में भैया या पापा को लेती जाओ, नहीं सुनना पड़ेगा.

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7. सावधानियां

– धीरेधीरे शुरुआत करें. ऐसा न हो कि एकदम से हैवी ऐक्सरसाइज या वेट लिफ्टिंग शुरू कर दें. इस से उलटे परिणाम यानी जौइंट्स पेन जैसी समस्या का सामना करना पड़ सकता है.

– हलके वजन वाले डंबल्स से ज्यादा रैप्स करें न कि जोश में आ कर भारी डंबल्स के कम रैप्स करें.

– हैवी वर्कआउट से पहले 10 मिनट वार्मअप करना न भूलें. इस के लिए स्ट्रैचिंग आदि कर सकती हैं. इस से जौइंट्स लुब्रिकैंट्स बनाते हैं, जिस से वे आसानी से मूव करेंगे.

– पर्याप्त मात्रा में पानी पीएं, जिस से अधिक मात्रा में कैलोरी जलती है और वेट लौस जल्दी होता है.

– वर्कआउट नियमित रूप से करें. ऐसा नहीं कि हफ्ते में एक बार कर के छोड़ दिया. हफ्ते में कम से कम 3 दिन घंटेभर का वर्कआउट पर्याप्त है.

– अगर वर्कआउट के दौरान या बाद में जौइंट पेन की शिकायत होने लगे तो वर्कआउट करना बंद कर दें.

– सब से महत्त्वपूर्ण कोई भी वेट ट्रेनिंग ऐक्सपर्ट की निगरानी में ही करें.

– शरीर की बड़ी मसल्स जैसे ऐब्स, बटक और चैस्ट से वर्कआउट की शुरुआत करें और बाद में प्लैंक्स करें.

कम करना है वजन तो खाएं ये पांच चीजें

बढ़ते हुए वजन से अक्सर लोग परेशान रहते हैं. यही कारण है कि अपने वजन को समान्य करने  के लिए वो तरह तरह के उपाय करते रहते हैं. जैसे डाइटिंग और जिम. हालत से होती है कि लाख कोशिशों के बाद भी उनकी सेहत पर कुछ खास असर नहीं होता है और वो अवसादग्रस्त हो जाते हैं.

वजन कम करने के लिए लोग डाइटिंग करते हैं पर इससे कोई खास फायदा नहीं होता. उल्टे वो कमजोर होते जाते हैं. खानापीना कम करने से सेहत पर भी खासा बुरा असर पड़ता है. वजन कम करने के लिए जरूरी है कि आपकी डाइट काफी बैलेंस्ड हो. जिससे आपका वजन भी कंट्रोल में रहे और आपको जरूरी उर्जा भी मिलती रहे.

इस खबर में हम आपको ऐसी डाइट के बारे में बताएंगे जिससे आपको जरूरी उर्जा भी मिलेगी और आपका वजन भी काबू में होता. तो आइए जाने कि क्या खाना आपकी सेहत के लिए अच्छा होगा.

1. वेजिटेबल और फ्रूट सैलड

जितना फैट हम बर्न करते हैं उससे ज्यादा कैलोरी कंज्यूम करते हैं जिसके कारण हमारा वजन बढ़ जाता है. हेल्दी रहने के लिए और वजन को कंट्रोल में रखने के लिए जरूरी है कि हम हरे साग, सब्जियों और फलों का सेवन करें. आपको बता दें कि हरे साग सब्जियों और फलों में पानी की मात्रा भरपूर होती है. इसके अलावा इनमें फाइबर भी प्रचूर मात्रा में पाई जाती है. इनका सेवन करने से वजन नहीं बढ़ता और सेहत भी अच्छी रहती है.

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2. फलियां

आपको बता दें कि फलियों में प्रोटीन की मात्रा काफी अधिक होती है. फाइबर का भी ये प्रमुख स्रोत है. मेटाबौलिज्म को मजबूत करने में इनका काफी अहम योगदान होता है. इनका सेवन करने से प्रोसेस्ड फूड की क्रेविंग नहीं होती, जिससे वजन काबू में रहता है.

3. नट्स

भरपूर मात्रा में एनर्जी, प्रोटीन और अनसैचूरेटेड फैट का स्रोत होते हैं नट्स. कई तरह की बीमारियों में हमें बचाने में ये काफी कारगर होते हैं. हालांकि जरूरी है कि इनका प्रयोग सीमित मात्रा में हो.

4. पानी

अगर आप वजन कम करना चाहती हैं तो जरूरी है कि आप खूब पानी पिएं. डीहाइड्रेटड मांसपेशियां वजन कम करने में सबसे बड़ी बाधा होती हैं. कम पानी पीने से शरीर के मेटाबौलिज्म पर काफी बुरा असर होता है. ज्यादा पानी पीने से भूख भी काबू में रहती है जिससे वजन नहीं बढ़ता है.

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5. अंडा

लोगों में ये धारणा आम है कि अंडा खाने से वजन बढ़ता है. पर हम आपको बता दें कि आपका सोचना गलत है. अंडे में प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है, वहीं उसके पीले हिस्से में, जिसे जर्दी कहते हैं, प्रोटीन का प्रमुख स्रोत है. जानकारों की माने तो नाश्ते में अंडा खाना हमारी सेहत के लिए काफी लाभकारी होता है. इससे हमारे शरीर को जरूरी पोषण भी मिलता है और वजन भी कंट्रोल में रहता है. एक रिपोर्ट की माने तो जिन लोगों ने 5 दिनों तक ब्रेकफास्ट में अंडे खाए, उन लोगों का वजन दूसरे लोगों के मुकाबले 65 फीसदी ज्यादा कम हुआ.

ये रोग छीन सकते हैं आपके आंखों की रोशनी

जिस्म का हर अंग बेहद अहम है, लेकिन आंखों से ज्यादा अहम दूसरा अंग नहीं होता. आप के आंखों की रोशनी सही है, देखने में कोई दिक्कत नहीं है तो आप को इस बात की फिक्र नहीं होगी कि आंखों पर कोई आंच आ सकती है. यह और बात है कि उम्र बढ़ने के साथ आंखों की रोशनी आज जैसी मजबूत नहीं रहेगी.

आंखों के सिलसिले में आंख खोलने वाली बात यह है कि आंख से जुड़ी बीमारियों के अलावा भी कुछ बीमारियां ऐसी होती हैं जो आंखों की रोशनी को इतना ज्यादा प्रभावित कर सकती हैं कि इंसान अंधेपन के करीब पहुंच जाए.

विशेषज्ञ डाक्टरों का कहना है कि ऐसी कई बीमारियां हैं जो आंखों से जुड़ीं नहीं होती हैं लेकिन वे आंखों की रोशनी को नुकसान पहुंचा सकती हैं. वे कहते हैं कि डायबिटीज और हाइपरटेनसिव रेटिनोपैथी, तम्बाकू और अल्कोहल एम्ब्लौयोपिया, स्टेरौयड का इस्तेमाल और ट्रामा इंसान को अंधा बना सकते हैं और लोगों को इस का पता बहुत देर से चलता है.

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गौरतलब है कि लांसेट ग्लोबल हेल्थ जर्नल की पिछले साल की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि 3.6 करोड़ अंधे लोगों में से 88 लाख अंधे भारत में थे. भारत के राज्यों में ब्लाइंडनेस यानी अंधेपन को कंट्रोल करने के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम चलाया जाता है जो कहता है कि अंधेपन के करीब 80-90 फीसदी मामलों का या तो इलाज हो सकता है या उस की रोकथाम की जा सकती है.

जांच है अहम

आंखों को सेहतमंद रखने की लिए उन की जांच कराते रहना चाहिए और जांच के बाद डाक्टर जो सलाह दें उस पर अमल करना चाहिए. डाक्टरों का कहना है कि शुगर और ग्लूकोमा के मरीजों में अंधेपन के मामले रेगुलर जांच नहीं कराने के चलते होते हैं. रोग का इलाज जितना अहम होता है उतना ही अहम फौलो-अप होता है यानी रेगुलर जांच कराना.

बच्चों में रेफ्रेक्टिव एरर के कई मामलों में मातापिता उन्हें चश्मा पहनने के लिए हतोत्साहित करते हैं. कई बच्चों की आंखें कमजोर होती हैं, उन की आंखों का इलाज नेत्र विशेषज्ञ से कराना चाहिए.

वहीं, उम्र और मौडर्न लाइफ के तनावों से ज्यादातर लोगों को आंख पर दबाव महसूस होता है. इस बारे में डाक्टरों का कहना है कि अकसर लोगों को यह एहसास ही नहीं होता कि प्रदूषण, धूम्रपान, ज्यादा शराब पीने के अलावा डायबिटीज, मोटापा और हाइपरटेंशन जैसी जीवनशैली से जुड़ीं बीमारियां आंखों की रोशनी पर बुरा असर डालती हैं.

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20 से 25 साल की उम्र वाले काफी लोग आंखों की कमजोर रोशनी की समस्या से जूझ रहे होते हैं लेकिन उन्हें इस के बारे में पता तक नहीं होता है. वे अपनी आंखों की जांच कभी नहीं करवाते. उन्हें लगता है कि सिरदर्द तनाव से हो रहा है. यहां पर डाक्टरों का कहना है कि अगर मरीज को इस का एहसास हो जाए और वह फौरन अपनी आंखों की जांच कराए तो कभीकभी रोशनी खराब होने से रोका जा सकता है.

इस प्रकार, आप सावधान हो जाएं और कोई भी बीमारी होने पर डाक्टर से कंसल्ट करें और उन की बताई सलाह पर अमल करें ताकि आप की आंखें इस खूबसूरत दुनिया को आप की आखिरी सांस तक निहारती रहें.

फिट हैं तो हिट हैं

लेखक- पारुल श्री

‘‘आज भी सुबह नहीं उठ पाई मैं. मुझ से यह ऐक्सरसाइज और डाइटिंग नहीं होगी. मैं मोटी ही ठीक हूं,’’ 23 साल की रिचा ने मुंह बनाते हुए अपनी दोस्त नगमा से कहा.  ‘‘हां, बस रोज अपने आलस के कारण सोती रहना और फिर मेरी बौडी देख कर जलना,’’ जौगिंग से आई नगमा ने रिचा को डांटते हुए कहा. हर सुबह रिचा का यही रोना होता कि कल से पक्का सुबह जल्दी उठ कर जौगिंग करने जाएगी और ऐक्सरसाइज करेगी. लेकिन वह दिन कभी आया ही नहीं.

नगमा जहां फिटनैस को ले कर पूरी तरह चौकस रहा करती थी, वहीं रिचा के पास बहानों की कमी नहीं थी. उसे ऐसा लगता था कि बस कोई जादू की छड़ी घुमाए और वह दुबलीपतली व स्मार्ट हो जाए. न उसे अपनी पसंद का खाना छोड़ना पड़े और न ही सुबह की नींद खराब हो.

रिचा जैसा हाल आज तकरीबन हर लड़की का है और केवल लड़की ही क्यों, लड़कों का भी यही हाल है. सैक्सी वैल टोंड बौडी की चाहत तो सभी को है लेकिन उस के लिए मेहनत करने को कोई तैयार नहीं है.

लड़कों को वरुण धवन और रितिक रोशन जैसे सिक्स पैक एब्स तो  चाहिए, लेकिन जिम में पसीना बहाने में आफत आती है. कभी सही डाइट न मिल पाने की मजबूरी, तो कभी नौकरी और पढ़ाई से समय न मिल पाने का रोना.

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अक्सर लोग पैसा कमाने और अच्छे लाइफस्टाइल के चक्कर में भूल जाते हैं कि जब उन का शरीर ही फिट नहीं रहेगा तो क्या फायदा पैसे और लग्जरी लाइफ का.  जिंदगी में हर छोटीबड़ी बात को तवज्जुह देते लोग अपने शरीर को ही तवज्जुह देना भूल जाते हैं. कहीं आप भी तो इसी लाइन में नहीं खड़े हैं? अगर ऐसा है तो कोई बात नहीं, अब भी देर नहीं हुई है, अब भी हैल्दी लाइफस्टाइल अपनाना मुश्किल नहीं है.

  1. दिमाग के लिए भी जरूरी है अच्छी डाइट

केवल शरीर के लिए ही नहीं, बल्कि मस्तिष्क पर भी अच्छी डाइट का गहरा प्रभाव पड़ता है. आप यदि फिट होंगे तभी आप का दिमाग भी फिट होगा. आप का दिमाग आप की हरेक हरकत पर ध्यान रखता है. आप के सोचने, सांस लेने, काम करने और यहां तक कि आप के खाने तक का हिसाब होता है आप के दिमाग के पास. इसलिए आप जो कुछ भी खाते हैं उस का सीधा असर आप के दिमाग की संरचना और कार्य पर पड़ता है. और फिर, इस से आप का मूड भी प्रभावित होता है.

कह सकते हैं कि एक हैल्दी डाइट से मानसिक स्थिति पर ठीक वैसा ही प्रभाव पड़ता है जैसा कि अच्छे ईंधन का प्रभाव गाड़ी के इंजन पर होता है. सही पोषण वाला भोजन हमारे शरीर ही नहीं, हमारे दिमाग की सेहत का भी खयाल रखता है. विटामिन, मिनरल्स और एंटीऔक्सिडैंट तत्त्वों से भरपूर आहार हमारे दिमाग की कोशिकाओं को नष्ट होने से बचाता है.

  1. आहार निश्चित करें

बर्गर, पिज्जा, फ्रैंच फ्राइज, चौकलेट्स, आइसक्रीम, यम्मी केक… क्यों आ गया न मुंह में पानी. लेकिन, पेट आप का है तो इस का मतलब यह नहीं कि जो जी में आया, खाते गए. इसलिए जरा अपनी मनमानियां कम करें. इन यम्मी और टेस्टी फास्टफूड को खाने की मात्रा और दिन निश्चित करें. जब आप भूख छोड़ कर स्वाद के लिए खाते हैं तो आप के शरीर का मोटापा बढ़ता है.

फोर्टिस ला फेम्मे हौस्पिटल की डाक्टर नीना बहल का कहना है, ‘‘एक बार में ज्यादा खाना खाने से बचें. बारबार लेकिन थोड़ाथोड़ा खाएं. इस से शरीर को उचित ऊर्जा मिलेगी.  अगर आप पूरे दिन के खाने में अधिक समय का अंतराल रखते हैं तो आप के शरीर का बीएमआई यानी बौडी मास इंडैक्स कम हो जाता है. बौडी मास इंडैक्स एक ऐसा मापदंड है जिस से पता चलता है कि आप के शरीर के अनुपात में शरीर की चरबी कितनी अधिक है.

बौडी मास इंडैक्स बताता है कि शरीर की लंबाई की तुलना में कितना वजन उचित है. इसलिए, पूरे दिन के खाने में अधिक गैप रखना आप की फिटनैस पर बुरा असर डाल सकता है. पूरे दिन कुछ न खा कर एक ही बार रात में 4,000 कैलोरी वाले आहार लेना भी नुकसानदेह साबित होता है. फिजिकल ऐक्टिविटी कम होने के बाद जब हम हाई कैलोरी की चीजें खाते हैं तो वह फैट के रूप में शरीर में जमा होने लगता है.

  1. आसान है हैल्दी डाइट

डाइट पर जाने का मतलब यह नहीं है कि आप खुद को भूखा रखें. ध्यान रखें, शरीर का खयाल रखना है, उसे भूखा रख कर सताना नहीं है. इसलिए ऐसी डाइट लें जिस से आप को कमजोरी या भूख न लगे.

-अपनी डाइट में मौसमी फलों को शामिल करें. अगर सलाद खाना है तो उस में  अलग रंगों वाले फलों और सब्जियों को रखें.

-नाश्ते में पनीर, सैंडविच के साथ ताजा जूस लें या मिलीजुली सब्जियों वाला परांठा खाएं. आप 2 इडली के साथ सांभर भी ले सकते हैं.

-अगर आप अंडा खाते हैं, तो एक से दो अंडे के साथ एक गिलास दूध लें या 2 अंडे के साथ ब्रैडऔमलेट खाएं. ब्रैड के साथ पीनट बटर भी ले सकते हैं.

नाश्ते में आप नमकीन या मीठा दलिया, ओट्स, पोहा या उपमा भी शामिल कर सकते हैं. इस से आप के नाश्ते में विविधता आएगी और आप बोर नहीं होंगे. रोजरोज सादा या आलू का परांठा खाने से बचें. इस की जगह आप पनीर या मिक्स वैजिटेबल वाला परांठा खा सकते हैं.

-नाश्ते और दोपहर के भोजन के बीच 4 से 5 घंटे का अंतराल होता है. इस बीच बिलकुल भूखे न रहें. एक सेब या ड्राई फ्रूट्स या स्प्राउट्स (अंकुरित मूंग या सोयाबीन) ले सकते हैं.

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-दोपहर के खाने में 2 चपाती के साथ हरी सब्जी, दाल, दही एक भरपूर आहार का स्रोत होता है. हरी सब्जी में मौसमी सब्जियों का सेवन कर सकते हैं.

शाम के स्नैक्स में भुने चने, मूंगफली, मखाने या ड्राई फ्रूट्स के साथ ग्रीन टी लें. ग्रीन टी मंु कैलोरी नहीं होती, इसलिए इसे दूध की चाय की जगह लेना बेहतर होता है.

-रात के खाने में आप 2 चपाती या एक कटोरी चावल, एक कटोरी दाल और सब्जी, सलाद खा सकते हैं.  अगर आप मांसाहारी हैं तो चिकन या मछली भी खा सकते हैं. रैड मीट का सेवन सप्ताह के केवल एक दिन करें. अगर आप का मन मीठा खाने का होता है तो किशमिश खाएं.

-ज्यादा तली चीजें लेने से परहेज करें और साल्ट यानी जिन फूड प्रोडक्ट्स में सोडियम की मात्रा अधिक है उसे कम से कम लें. कोशिश करें कि कम से कम दिन में 4 से 5 वक्त का आहार लें. एक सेब भी एक वक्त के आहार में आता है. पूरे दिन के 3 भरपूर और 3 हलके आहार लें.

  1. एब्स बनाने के लिए

जिम में पसीने बहाने और थकाने वाली कसरत करने भर से एब्स नहीं आते. उस के लिए सही मात्रा में सही आहार भी लेना जरूरी है.  लक्ष्मीनगर में लाइफलाइन युनिसैक्स जिम के ट्रेनर टीटू त्यागी बताते हैं, ‘‘जिम में एब्स के लिए वर्कआउट करने से 20-25 प्रतिशत फायदा ही होता है. एब्स बनाने के लिए मसल्स को ऊर्जा देने और शरीर में जमा फैट को बर्न करने के लिए उचित और भरपूर आहार लेना जरूरी है.

50-60 प्रतिशत काम केवल हैल्दी डाइट ही कर सकती है, जिस में कार्ब्स और फाइबर वाले आहार के साथ उबले और भुने हुए आहार भी शामिल होने चाहिए. उस के साथ ही 20 प्रतिशत काम शरीर को मिले आराम से हो जाता है जिस के लिए कम से कम 6-7 घंटे की अच्छी नींद लेना जरूरी है.’’

सिक्स पैक एब्स के लिए मुख्यतौर पर पुशअप, सिटअप, क्रंचेस, प्लैंक्स, स्क्वैट्स आदि किया जा सकता है. कुछ आसान एक्सरसाइजेस हैं जिन्हें आप कर सकते हैं.

  1. पुशअप

पुशअप से शरीर का ऊपरी भाग मजबूत होता है. इस से मुख्यतया छाती मजबूत और चौड़ी होती है. कंधे, बांह, कमर और पैरों की मांसपेशियां मजबूत होती हैं.

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पुशअप कैसे करें

-जमीन पर घुटनों के बल लेट जाएं.

-अपनी हथेलियों और उंगलियों को जमीन पर रख कर शरीर को ऊपर की तरफ उठाएं.

-शरीर ऊपर उठाते समय हाथों को बिलकुल सीधा रखें.

-ध्यान रखें कि आप के हिप्स नीचे की तरफ न आएं.

-इस मुद्रा में एक मिनट तक बने रहें, फिर शरीर को नीचे की तरफ लाएं.

-इस प्रक्रिया को 10 से 12 बार दोहराएं.

जानें फिटनेस के लिए कितना फायदेमंद है नींबू का छिलका

हेल्थ और फिटनेस को बनाए रखने के लिए आजकल हम कई तरह के एक्सपेरिमेंट करते हैं, लेकिन घर में ही मौजूद कुछ ऐसी चीजें हैं जो हमारी हेल्थ और फिटनेस को बनाए रखने में मदद करती है. अक्सर आपने नींबू के रस से नींबू पानी बनाकर पीते हैं और उसका छिलका फेक देते हैं. पर नींबू का छिलका हमारी हेल्थ के लिए कितना फायदेमंद है इसके बारे में आज हम बताएंगे. नींबू के छिलके बहुत गुणकारी तत्व मौजूद होते हैं. तो आइए जानते हैं नींबे के छिलके के हेल्थ के लिए फायदे…

कैंसर से होता है बचाव

कैंसर से बचने के लिए नींबू का छिलका बेहद फायदेमंद है, इस बारे में बहुत कम लोगों को जानकारी है. नींबू के छिलके कैंसर से बचाने और उसके इलाज में काफी मददगार होते हैं. इसमें मौजूद तत्त्व कैंसर सेल्स से लड़ने में मददगार होते हैं.

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कमर के एकस्ट्रा इंच घटाने में है मददगार

नींबू के छिलके वजन घटाने में भी मदद करते हैं. इनमें पेक्टिन होता है, जो बौडी में जमा अतिरिक्त चर्बी को दूर रखता है. तो अगर आप वजन कम करना चाहते हैं, तो नींबू के छिलकों का सेवन जरूर करें.

कौलेस्ट्रौल घटाए नींबू का छिलका

यह कौलेस्ट्रौल का स्तर कम करने में भी मदद करते हैं. बौडी में कौलेस्ट्रौल की अधिक मात्रा दिल को नुकसान पहुंचाती है.

स्किन को रखे फ्रेश

झुर्रियों, एक्ने, पिग्मेंटेशन और गहरे निशानों से बचाने में नींबू के छिलकों का कोई सानी नहीं. इसमे मौजूद फ्री-रेडिकल्स इस प्रक्रिया में काफी अहम किरदार निभाते हैं. इसके साथ ही इसमं ऐंटि-औक्सिडेंट्स स्किन को डिटौक्सीफाई करते हैं, जिससे आपका रूप निखरता है.

हड्डियों की बढ़ाए मजबूती

नींबू के छिलके हमारी हड्डियों को मजबूत बनाने का काम करते हैं. इसमें उच्च मात्रा में कैल्शियम और विटमिन सी होता है. इसके अलावा यह हड्डियों से जुड़ीं बीमारियों जैसे औस्टियोपोरोसिस, रहेयूमेटौयड अर्थराइटिस और इंफ्लेमेटरी पोलीअर्थराइटिस से भी बचाने में मदद करता है.

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बौडी से टौक्सिन हटाए

हमारे बौडी में कई तरह के टौक्सिन होते हैं. ये पदार्थ न केवल हमारे बौडी को अंदर से कमजोर बनाते हैं, बल्कि साथ ही साथ हमारे भीतर ऐल्कोहल और अन्य नुकसानदेह खाद्य पदार्थों के सेवन की लालसा भी बढ़ाते हैं. नींबू के छिलके अपने खट्टे स्वाद और स्वभाव के कारण, इन विषैले पदार्थों को दूर करने में मदद करते हैं, जो हमारी हेल्थ और फिटनेस के लिए बेहद फायदेमंद होता है.

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