सपनों का जगह से कोई संबंध नहीं होता- समीक्षा भटनागर

मशहूर बौलीवुड अदाकारा समीक्षा भटनागर मूलत: देहरादून, उत्तराखंड की रहने वाली हैं. उन्हें बचपन से ही नृत्य व संगीत का शौक रहा. उन के इस शौक को बढ़ावा देने के मकसद से उन के पिता कृष्ण प्रताप भटनागर और मां कुसुम भटनागर देहरादून से दिल्ली रहने आ गए. यहां समीक्षा भटनागर ने अपनी कत्थक डांस अकादमी खोली. फिर 2 साल बाद अपनी प्रतिभा को पूरे विश्व तक पहुंचाने के मकसद से वे मुंबई आ गईं. सीरियल ‘एक वीर की अरदास वीरा’ सहित कई सीरियलों व फिल्मों में वे अभिनय कर चुकी हैं.

बतौर निर्माता कुछ म्यूजिक वीडियो और एक लघु फिल्म ‘भ्रामक’ भी समीक्षा ने बनाई, जिसे नैटफ्लिक्स पर काफी सराहा गया. इन दिनों वे ‘धूपछांव’ सहित करीबन पांच फिल्में कर रही हैं.

प्रस्तुत हैं समीक्षा भटनागर से हुई ऐक्सक्लूसिव बातचीत के अंश:

देहरादून जैसे छोटे शहर से मुंबई आ कर फिल्म अभिनेत्री बनने की यात्रा कैसी रही?

मेरी राय में हर लड़की को बड़ेबड़े सपने देखने और उन्हें पूरा करने के लिए प्रयास करने का हक है. सपनों का जगह से कोई संबंध नहीं होता. मेरे सपनों को पूरा करने में, मेरे पैशन को आगे बढ़ाने में मेरे पिता कृष्ण प्रताप भटनागर व मां कुसुम भटनागर ने मेरा पूरा सहयोग किया. मैं ने अपनी मां से ही कत्थक नृत्य सीखा है. वे बचपन से कत्थक नृत्य करती रही हैं. उन की इच्छा थी कि मैं भी कत्थक नृत्य सीखते हुए आगे बढ़ूं. मैं गाती भी हूं. मैं भी अपने पैशन के प्रति पूरी लगन से जुड़ी रही.

देहरादून से दिल्ली आने के बाद मैं ने काफी कुछ सीखा. कुछ समय बाद मैं ने महसूस किया कि यदि मुझे रचनात्मक क्षेत्र में कुछ बेहतरीन काम करना है, तो दिल्ली से मुंबई जाना होगा. इसलिए मुंबई आ गई. मुंबई पहुंचते ही मुझे अच्छा रिस्पौंस मिला. मुझे पहला टीवी सीरियल ‘एक वीर की अरदास वीरा’ करने का अवसर मिला.

अकसर देखा जाता है कि टीवी सीरियल में शोहरत पाने के बाद कलाकार थिएटर की तरफ मुड़ कर नहीं देखते. आप के सीरियल लोकप्रिय थे. फिर भी आपने थिएटर किया?

मुझे टीवी सीरियल में अभिनय करते देख लोग प्रशंसा कर रहे थे.लेकिन मैं अपने अभिनय से संतुष्ट नहीं हो रही थी. एक कलाकार के तौर पर मुझे लग रहा था कि मेरे अंदर इस से अधिक बेहतर परफौर्म करने की क्षमता है.

पर कहीं न कहीं गाइडैंस की जरुरत मुझे महसूस हुई. यह थिएटर में ही संभव था. थिएटर में मेरे निर्देशक मुझे डांटते थे. वे कहते थे कि एक ही लाइन को हर बार कुछ अलग तरह से बोलो. थिएटर करते हुए मेरे अंदर का आत्मविश्वास बढ़ा. वैसे भी मैं अपनेआप को आगे बढ़ाने के लिए हमेशा प्रयास करती रहती हूं. मैं अपने स्किल पर काम करती रहती हूं. मैं खुद अपने काम से कभी संतुष्ट नहीं होती. थिएटर पर मैं ने ‘रोशोमन ब्लूज’ नामक नाटक के 70 से अधिक शो में अभिनय किया. उस के बाद मुझे फिल्में मिलीं.

आप की पहली फिल्म तो ‘कलेंडर गर्ल’ थी?

मैं अपनी पहली फिल्म ‘पोस्टर बौयज’ को मानती हूं. वैसे मैं ने औडिशन देने के बाद फिल्म ‘कलैंडर गर्ल’ में बिजनैस ओमन का छोटा सा कैमियो किया था. मेरा सपना तो सिल्वर स्क्रीन ही है. मगर मैं ने शुरू में टीवी पर काम किया क्योंकि फिल्म नगरी में मैं किसी को जानती नहीं थी. जैसे ही मुझे अपनी प्रतिभा को उजागर करने का अवसर मिला, मैं ने रुकना उचित नहीं समझ. टीवी एक ऐसा माध्यम है, जहां आप जल्दी सीखते हैं. टीवी पर काम करने से आप की परफौर्मैंस को ले कर तुरंत लोगों की प्रतिक्रिया मिलती है, जिसे समझ कर आप अपने अंदर सुधार ला सकते हैं. टीवी पर काम करते हुए हम संवाद को जल्द से जल्द याद करना सीख जाते हैं. हमारी संवाद अदायगी सुधर जाती है.

फिल्म ‘पोस्टर बौयज’ में आप को पहली बार सनी देओल, बौबी देओल, श्रेयश तलपड़े सहित कई दिग्गज कलाकारों के साथ अभिनय करने का अवसर मिला था. उस वक्त आप के मन में किसी तरह का डर था या नहीं?

जब मैं टीवी सीरियल कर रही थी, उस वक्त एक सहायक निर्देशक ने मुझ से कहा था कि मैडम आप खूबसूरत हैं और अभिनय में माहिर हैं. आप को फिल्में करनी चाहिए. उस वक्तमैं ने उन से कहा था कि मौका मिलने पर वे भी कर लूंगी.

फिर एक दिन उसी ने मुझे फोन कर के ‘पोस्टर बौयज’ के लिए औडीशन कर के भेजने के लिए कहा कि मेरे पास आडिशन की स्क्रिप्ट आई और मैं ने भी आडिशन कर के भेज दिया. जिस दिन मेरे पास आडिशन की स्क्रिप्ट आई, उस के तीसरे दिन मैं इस फिल्म की शूटिंग कर रही थी. तो मैं ने सोच लिया था कि अब मुझे आगे बढ़ते जाना है. मैं ने इस फिल्म के लिए काफी मेहनत की थी. पहले ही दिन मेरा 4 पन्ने का दृश्य था. इस सीन में मैं फिल्म के अंदर बौबी को डांटती हूं.

इस के मास्टर सीन के फिल्मांकन में तालियां बज गईं और मेरा आत्मविश्वास अचानक बढ़ गया. बौबी सर ने काफी सपोर्ट किया. श्रेयश तलपड़े से अच्छी सलाह मिली. मुझे कभी इस बात का एहसास ही नही हुआ कि मैं बड़े कलाकारों के साथ काम कर रही हूं. फिल्म के प्रदर्शन के बाद मेरे व बौबी सर के अभिनय की काफी तारीफ हुई. लेकिन इस फिल्म को बौक्स औफिस पर जिस तरह की सफलता मिलनी चाहिए थी उस तरह की नहीं मिली. अब मुझे फिल्म ‘धूपछांव’ के प्रदर्शन का बेसब्री से इंतजार है.

फिल्म ‘धूप छांव’ किस तरह की फिल्म है. इस फिल्म में आप को क्या खास बात नजर आई?

मैं हमेशा एक कलाकार के तौर पर खुद को ऐक्सप्लोर करती हूं. मैं इस बात में यकीन नहीं करती कि आप ऐसा कर लोगे तो आप को किरदार मिलने लगेंगे.एक दिन निर्देशक हेमंत सरन ने मुझे इस फिल्म का औफर दिया, जिस में पारिवारिक मूल्यों की बात की गई है. रिश्तों की जो अहमियत खत्म हो गई है, उस पर यह फिल्म बात करती है.

जब आप संयुक्त परिवार या अपने परिवार के साथ रहते हैं तब आप को एहसास होता है कि परिवार कितनी अहमियत रखता है. आप बेवजह बाहर खुशियां तलाश रहे थे. फिल्म ‘धूपछांव’ में भाई, पतिपत्नी के रिश्तों की बात की गई है. यदि पति नहीं है, तो पत्नी किस तरह जिंदगी जी रही है, उस की बात की गई है. इस में जीवनमूल्यों को अहमियत दी गई है. इस में भावनाओं का सैलाब है. फिल्म ‘धूपछांव’ के अपने किरदार को लेकर क्या कहेंगी.

इस के अलावा और कौन सी फिल्में कर रही हैं?

‘धूपछांव’ के अलावा मैं ने एक फिल्म ‘जागीपुर’ की है. इसे हम ने भारतबंगलादेश की सीमा पर फिल्माया है. इस में कुछ राजनीतिक बातों के अलावा रिश्तों पर बात की गई है. मैं ने इस में वकील का किरदार निभाया है, जोकि अपने भाई के लिए लड़ती है. इस में मेरे साथ जावेद जाफरी भी हैं. वे भी वकील हैं.

एक फिल्म ‘द एंड’ की है, जोकि हिंदी व पंजाबी 2 भाषाओं में बनी है. इस फिल्म में मेरे साथ देव शर्मा, दिव्या दत्ता, दीप सिंह राणा भी हैं. इस के अलावा एक हास्यप्रधान वैब सीरीज ‘जो मेरे आका,’ की जिस में मेरे साथ श्रेयश तलपड़े व कृष्णा अभिषेक भी हैं.

आप ने अपने गायन स्किल के ही चलते म्यूजिक वीडियो बनाए. पर कत्थक डांस के लिए कुछ करने वाली हैं?

सोशल मीडिया पर मैं अपने कत्थक नृत्य के वीडियो डालती रहती हूं. इस के अलावा मेरी एक फिल्म ‘धड़के दिल बारबार’ है, जिस में मेरा किरदार एक क्लासिक डांस टीचर का है, जोकि बच्चों को क्लासिकल डांस सिखाती है. फिल्म की शुरुआत ही मेरे कत्थक डांस के साथ होती है. इस के अलावा मैं कत्थक पर कुछ खास वीडियो भी बनाने वाली हूं.

कोई ऐसा किरदार जिसे आप निभाना चाहती हों?

मैं हमेशा अलग तरह के किरदार निभाती आई हूं. मैं प्रियंका चोपड़ा की बहुत बड़ी प्रशंसक हूं. मैं ने उन की फिल्म ‘बर्फी’ देखी थी. इस में उन का अभिनय सामान्य अभिनय नहीं था. इसी तरह मुझे ‘मर्दानी’ पसंद है. मैं ने भी जिमनास्टिक और मार्शल आर्ट में ट्रेनिंग ले रखी है. बाइक चला लेती हूं. मुझे मेरी आर्मी पृष्ठभूमि वाला किरदार निभाने की इच्छा है. देशभक्ति वाला किरदार निभाना है.

ये भी पढ़ें- Anupama ने हनीमून पर दिया अनुज को Romantic तोहफा, देखें वीडियो

Karan Johar की बर्थडे पार्टी में दिखा हसीनाओं का जलवा, देखें फोटोज

बीते दिनों बौलीवुड के जाने माने प्रौड्यूसर करण जौहर ने अपना 50वां बर्थडे (Karan Johar 50th Birthday) सेलिब्रेट किया, जिसमें टीवी औऱ बौलीवुड की बड़ी बड़ी हस्तियां देखने को मिली. वहीं इस आलीशान पार्टी में एक्ट्रेसेस के फैशन के जलवे सोशलमीडिया पर छा रहे हैं. आइए आपको दिखाते हैं बौलीवुड एक्ट्रेस ऐश्वर्या राय बच्चन से लेकर टीवी एक्ट्रेस रिद्धि डोगरा के करण जौहर की पार्टी में लुक्स की झलक…

ऐश्वर्या का लुक था खास

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Viral Bhayani (@viralbhayani)

अपने फैशन से कान्स में जलवे बिखेरने वालीं एक्ट्रेस ऐश्वर्या राय बच्चन का करण जौहर की पार्टी में लुक बेहद खास था. सीक्विन और शाइनी गोल्डन गाउन में पहुंची एक्ट्रेस अपनी कर्वी फिगर फ्लौंट करती हुई नजर आ रही थीं. हगिंग मर्मेड गाउन में ऐश्वर्या किसी जलपरी से कम नहीं लग रही थीं.

अनुष्का का दिखा हौट अवतार

 

View this post on Instagram

 

A post shared by AnushkaSharma1588 (@anushkasharma)

बौलीवुड एक्ट्रेस अनुष्का शर्मा भले ही कम पार्टी का हिस्सा बनती हैं. लेकिन करण जौहर की पार्टी में उन्होंने अपने लुक्स पर कोई कसर नहीं छोड़ी. बर्थडे बैश में अनुष्का शर्मा ब्लैक कलर की थाई स्लिट ड्रेस पहनकर पहुंची थीं, जिसमें ड्रैस की नेकलाइन काफी नजर खींच रही थीं.

सेक्सी लुक में दिखीं जान्हवी कपूर

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Janhvi Kapoor (@janhvikapoor)

करण जौहर के बर्थडे बैश में जान्हवी कपूर सीक्वेंस एंब्रॉइडरी से सजे पिंक कलर के थाई स्लिट शिमरी गाउन में पहुंची थीं, जो बेहद खूबसूरत लग रहा था. पहनकर पहुंची थीं, जिसमें वह बेहद ही खूबसूरत नजर आ रही थीं. वहीं इस गाउन में वी नेकलाइन फैंस का ध्यान खींच रहा था. हालांकि इस लुक को लेकर वह ट्रोलिंग की शिकार भी हो गई हैं.

रानी और माधुरी ने खींचा ध्यान

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Viral Bhayani (@viralbhayani)

करण जौहर की पार्टी में रानी मुखर्जा और माधुरी दीक्षित भी नजर आईं थीं, जिसमें दोनों के वेस्टर्न अवतार ने फैंस का ध्यान खींचा था. वहीं फैंस को दोनों एक्ट्रेसेस का अवतार बेहद खूबसूरत लगा था.

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Viral Bhayani (@viralbhayani)

टीवी एक्ट्रेस भी नहीं रही पीछें

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Viral Bhayani (@viralbhayani)

बौलीवुड के अलावा टीवी एक्ट्रेस रिद्धि डोगरा भी करण जौहर की पार्टी का हिस्सा बनीं थीं, जिसमें ब्लैक कलर के आउटफिट में वह सिंपल लेकिन स्टाइलिश लग रही थीं. फैंस को उनका ये लुक बेहद पसंद आ रहा है.

ये भी पढ़ें- रियल लाइफ में बेहद खूबसूरत है ‘अनुज की भाभी’, Anupama के प्रोमो में दिखी झलक

वीडियो क्रेडिट- Viral Bhayani

इंटिमेट सीन्स के बारे में क्या कहती है एक्ट्रेस दीक्षा जोशी, पढ़ें इंटरव्यू 

25 साल से गुजरात के अहमदाबाद में रह रही गुजराती अभिनेत्री दीक्षा जोशी को पहली सफलता गुजराती फिल्म ‘करसनदास पे एंड यूज़’ और दूसरी फिल्म ‘शर्तो लाग से मिली. हालाँकि उन्होंने कभी भी फिल्मों में एक्टिंग करने के बारें में सोचा नहीं था, लेकिन थिएटर में काम करना पसंद करती थी. दीक्षा ने बचपन से माँ रश्मि जोशी को सितार बजाते हुए देखा है और खुद भी डांस और गाना गाती थी. दीक्षा की अभिनय क्षमता बहुत है, कही पर किसी भी किरदार को निभाने से वह डरती नहीं, उनमें एक आत्मविश्वास है, जो उन्हें बचपन से अभिनय करने की वजह से मिला है. हंसमुख और मृदुभाषीदीक्षा ने हिंदी फिल्म जयेशभाई जोरदार में रणवीर सिंह की बहन प्रीति की भूमिका निभाई है, जिसमे बड़े कलाकारों के साथकाम करने और बहुत कुछ नजदीक से जानने का मौका मिला. फिल्म रिलीज हो चुकी है. दर्शक उनके अभिनय को काफी पसंद कर रहे है. व्यस्त दिनचर्या के बीच उन्होंने गृहशोभा के लिए बात की,क्योंकि उन्हें इस पत्रिका में मेकअप वाला पार्ट पढना बहुत पसंद है. नेल आर्ट के बारें में मैंने पहली बार इस मैगजीन में पढ़ा था. आइये जानते है, दीक्षा से जुडी बातें, उनकी जुबानी

सवाल – फिल्मों में आने की प्रेरणा कैसे मिली? परिवार की प्रतिक्रिया क्या थी?

जवाब –मेरी पूरी फॅमिली में कोई भी फिल्म इंडस्ट्री से नहीं है. मेरी माँ सितार बजाती है. उन्हें पता था कि मैं भी किसी न किसी तरह से आर्ट में ही जाउंगी, फिर चाहे वह परफोर्मिंग आर्ट हो या क्रिएटिव फील्ड. मैं डांस और गाना दोनों ही करती थी, मेरी माँ मुझे हर प्रतियोगिता में भेजती थी. मेरी माँ का पूरा ध्यान मुझपर था. शुरू में वह मेरे साथ जाती थी, पर फिल्में शुरू होने पर उन्होंने मेरे साथ जाना छोड़ दिया.

सवाल – पहला अभिनय किस उम्र में किया ?

जवाब –पहला अभिनय मैंने 6 साल की उम्र में एक छोटे प्ले से किया था. फिल्मों में 21 वर्ष की उम्र में अभिनय शुरू किया.

सवाल – जयेशभाई जोरदार में काम करने की खास वजह काया रही?

जवाब – जयेशभाई जोरदार में मैं अभिनेता रणवीरसिंह की बहन प्रीति की भूमिका निभाया है.  ये चरित्र अपने आप में बहुत अलग है. पूरी फिल्म में मेरी एक अच्छी ग्राफ है. गुजराती फिल्मों में मैं अधिकतर नायक की भूमिका निभाई है, जबकि इस फिल्म में मैंने एक करैक्टर आर्टिस्ट की भूमिका निभाई है, जो मेरी फिल्मों से बहुत अलग है. मुझे हमेशा लगता है कि मुख्य भूमिका के अलावा चरित्र अभिनेत्री को अभिनय करने का अधिक मौका मिलता है. इसलिए मैंने ये मौका नहीं छोड़ा, क्योंकि ये एक लेयर्ड, इमोशनल और खूबसूरत अभिनय मेरे लिए रहा. इसमें एक नटखट और बुद्धिमती लड़की जो अपने अलग अंदाज में जीती है. दर्शक मेरी इस चरित्र को काफी पसंद कर रहे है. उनके कॉमेंट्स और बहुत सरे मेसेजआ रहे है. असल में मैंने अपने दोस्तों को मेरी भूमिका के बारें में नहीं बताया था, फिल्म रिलीज होने के बाद उन्होंने मुझे कॉल कर बधाई दी. असल में मैं एक्टिंग कर लेने के बाद खुद पहले उसे हॉल में जाकर देखती हूँ, फिर मैं किसी की प्रसंशा को स्वीकार कर पाती हूँ. कलेक्शन से अधिक मुझे दर्शकों की तालियाँ सुनना पसंद है.

सवाल – इस भूमिका से आप कितना रिलेट कर पाती है?

जवाब –प्रीति किसी भी समस्या का समाधन तुरंत ढूढ़ लेती है, पर दीक्षा किसी समस्या से पैनिक हो जाती है और उस परिस्थिति को सुलझाने में काफी समय लेती है. इसके अलावा एक चरित्र बहुत सारी चीजे देकर जाता है और उसे निभाने वाला कुछ न कुछ अवश्य उससे ले लेता है. मैंने भी लिया होगा.

सवाल – आप उत्तराखंड की होने बावजूद गुजराती फिल्मों में अधिक सक्रिय है, वजह क्या है? अपनी जर्नी से कितने संतुष्ट है?

जवाब – मैं उत्तराखंड से हूँ, मेरे पेरेंट्स भी पहाड़ से ही है. दूर-दूर तक गुजरात से मेरा कोई नाता नहीं था. मेरे पिता साइंटिस्ट होने की वजह से उन्हें लखनऊ से अहमदाबाद शिफ्ट होना पड़ा. मेरी पूरी शिक्षा अहमदाबाद में हुई. मैंने अंग्रेजी साहित्य से मास्टर किया है, पर वहां गुजराती बोलने की परमिशन नहीं थी, पर मेरी बचपन से आदत थी कि जिस भाषा में मेरी रूचि है, उसे मैं सुनकर जल्दी सीख लेती थी. गुजराती फिल्मों के लिए मैंने गुजराती सीखी. मैने बचपन से थिएटर करना शुरू कर दिया था. मैं अधिकतर हिंदी और अंग्रेजी में नाटक किया करती थी, लेकिन गुजराती फिल्मों में मैंने अच्छी कहानी और भूमिका को देखा है, तो मैं भी ऑडिशन देने लगी. पहले फिल्मों को करने में थोड़ी परेशानी हुई पर अब सभी मुझे गुजराती ही समझते है. मैं करीब 25 साल से गुजरात में रह रही हूँ.

सवाल –क्या आपको हिंदी फिल्मों में काम करने की इच्छा है ?

जवाब –हिंदी फिल्मों में मौका मिलने पर अवश्य काम करुँगी. मैंने कभी फिल्मों में एक्टिंग करने के बारें में नहीं सोचा था, मुझे थिएटर आर्टिस्ट बनने के साथ-साथ जर्नालिस्ट बनना था और आगे चलकर Phd करना था, लेकिन मैंने जब कुछ शोर्ट फिल्म की तो मुझे समझ में आया कि मैं इस दिशा को भी एक्स्प्लोर कर सकती हूँ, क्योंकि इससे पहले मुझे लगता था कि सुंदर लडकियां ही फिल्मों में अभिनय करती है और मैं उतनी सुंदर नहीं हूँ. जब मैंने कैमरे के आगे अभिनय किया, तो बहुत अच्छा महसूस हुआ. फिर मैंने इसमें आगे बढ़ने का मन बनाया. ऑडिशन देना शुरू की और थोड़े दिनों में मुझे एक के बाद एक अच्छी गुजराती फिल्मे मिलने लगी. मेरी दो गुजराती फिल्में बहुत अच्छी चली, जिससे लोग मुझे पहचानने लगे और मैंने गुजराती फिल्मों में काम करना शुरू कर दिया.

सवाल – अन्तरंग सीन्स को करने में कितनी सहज होती है?

जवाब – ये कहानी पर निर्भर होती है कि दृश्य क्या होंगे. जरुरत के बिना भी कुछ फिल्में इंटिमेट सीन्स डाल देती है. अगर कोई फिल्म रिलेशनशिप पर बन रही हो, जिसमें कहानी  गहराई तक ले जाने की कोशिश कर रहे है तो ऐसे में इंटिमेट दृश्य करना जरुरी होता है. इसमें सबसे जरुरी होता है, शूट करने के तरीके, क्योंकि मैंने भी ऐसे दृश्य किये है, मेरा अनुभव बताता है कि सेट पर 15 से 20  खड़े रहने पर ऐसे दृश्य करना असुविधाजनक होता है. ऐसे दृश्य देखने में आसान लगता है, पर ये बहुत कठिन होते है. मैंने जब ऐसी सीन्स किये, तो निर्देशक ने सबको बाहर निकाल दिया था और उन्होंने मुझे सही माहौल दिया, ताकि मैं आसानी से उस दृश्य को कर सकूँ. हिंदी फिल्मों में तो कई बार ऐसी दृश्य को फिल्माने के लिए इंस्ट्रक्टर होते है, जो सीनको सही तरीके से परफॉर्म करना सिखाते है. गुजराती में अभी अधिक ऐसे इंटिमेट सीन्स दिखाए नहीं गए है, पर अब दिखाए जा रहे है, क्योंकि ओटीटी की वजह से आज सभी दर्शक ऐसे कुछ अलग दृश्यों को गुजराती में देखना पसंद कर रहे है.

सवाल – किस शो ने आपकी जिंदगी बदली?

जवाब – करसनदास में मेरी मुख्य भूमिका एक काम वाली बाई की थी और वह ठेठ गुजराती अलग तरीके की भाषा बोलती है. मैंने तब गुजराती सीखी थी. मेरे घर पर काम वाली से मैने घंटो-घंटो बात किया करती थी. इसके अलावा निर्देशक ने भी भाषा को सीखने में काफी मदद की है. इस फिल्म में मैंने जितना भी कठिन परिश्रम किया था, उसका फल मुझे रिलीज के बाद मिली.

सवाल – आगे कौन से फिल्में रिलीज पर है?

जवाब – कई गुजराती और हिंदी फिल्में रिलीज पर है. मेरी एक फिल्म में पहली बार  अभिनेता अमिताभ बच्चन एक छोटी सी भूमिका के लिए आने वाले है. बड़े कलाकारों के साथ काम करने पर हमेशा ही कुछ सीखने को मिलता है.

सवाल – मानसून में खुद का ख्याल कैसे रखती है?

जवाब – मुझे इस साल कोविड हुआ था, लेकिन अधिक समस्या नहीं हुई, क्योंकि अभी मैं मुंबई में ही रहती हूँ. शूट करते हुए अगर किसी को कोविड हो जाता है, तो बहुत मुश्किल होती है. मानसून में मैं कुछ अधिक अपना ख्याल नहीं रख पाती, क्योंकि मैं बहुत केयरलेस लड़की हूँ,मैं अभी अहमदाबाद में हूँ, जहाँ बहुत गर्मी है. मैं मानसून को बहुत एन्जॉय करती हूँ और कुछ भी ख़राब नहीं लगता.

सवाल – क्या कोई ड्रीम रखती है?

जवाब – हिंदी फिल्मों में मैं निर्देशक मीरा नायर और नंदिता दास के साथ महिला प्रधान फिल्में करने की इच्छा रखती हूँ. इसके अलावा माँ और बेटी की एक फिल्म अगर करने को मिले तो अच्छी बात होगी. मैं खुद लिखकर उसकी फिल्म बनाना चाहती हूँ.

ये भी पढ़ें- वनराज के बाद अनुज के घरवालों का दर्द सहेगी Anupama! देगी करारा जवाब

एक बदनाम–आश्रम 3 ! मीडिया के सामने निकला प्रकाश झा का डर

अपने बेखौफ और बेबाक विषयों से समाज को सच्चाई का आइना दिखानेवाले , सत्ता की राजनीति हो या आस्था के नाम पर धर्म गुरुओं की राजनीति, बिना किसी भय के सच्ची कहानियों को बड़े पर्दे पर दिखाने की इनकी कला कमाल की हैं . जी हा, बेखौफ और निडरता से हर कहानी को बड़ी ही बारीकी से कह देनेवाले डायरेक्टर प्रकाश झा ने हाल ही में आश्रम 3 के प्रेस कॉन्फ्रेंस पहली बार कहा की हां,उन्हे भी डर लगता हैं. जब किसी अनचाही हलचल या विरोध का सामना होता हैं.

मुंबई में जुहू के पांच सितारा होटल में रखी गई MX Player की सबसे बड़ी वेब श्रृंखला एक बदनाम–आश्रम 3 के प्रेस कांफ्रेंस पर जब डायरेक्टर प्रकाश झा को पूछा गया कि आश्रम के पहले सीजन में उनके खिलाफ एफ. आई.आर दर्ज की गई और अब के सीजन में उनपर स्याही फेकी गई ऐसे में लगातार हो रहे हंगामों से क्या वो डर भी जाते हैं?

इनपर प्रकाश झा कहते हैं,“ आश्रम के बारे में ऐसा हैं कि कही कुछ भी हो सकता हैं , कोई कुछ भी कर सकता हैं. क्योंकि हमने विषय ही ऐसा चुना हैं जो समाज का विषय हैं लोगो से संबंध रखता हैं , लेकिन यहां किसी एक व्यक्ति या कल्पना की कहानी नहीं हैं. और मैं ये कहूं की मुझे डर नही लगता ये भी गलत बात हैं. लेकिन डर के जीना भी अच्छा नहीं लगता, तो उसके साथ जीता हूं. और हमेशा से मन करता हैं कि जो कहना हैं वो तो कहना ही हैं. किसी व्यक्ति को अगर व्यक्तिगत रूप से चोट पहुंचाए बिना कुछ कह सकूं,तो मैं कोशिश करता हूं की उसे कहूं अब चाहे वो राजनीतिक हो चाहे हो धार्मिक हो या चाहे वो व्यवसायिक हो. बाकी पत्थर फेंके जाते हैं , गालियां पड़ती हैं, एफ आई आर दर्ज होते हैं चलो कोई नही लोगों के हाथ मजबूत होंगे”.

आश्रम के बॉबी बाबा निराला का चोला पहनकर मायाजाल फैला रहे हैं ऐसे में, जब प्रकाश झा की पूछा गया कि उन्हें बॉलीवुड में वो किसे बाबा निराला समझते है तो उन्होंने हंसकर कहा कि” मेरे सारे दोस्त तो मुझे ही बाबा निराला समझते हैं . मुझसे बड़ा निराला तो कोई हैं ही नहीं . मैं किसी और का नाम क्यों लू”. खैर हसकर प्रकाश झा ने मीडिया के सवालों का बड़ी ही सहजता से जवाब दिया .

आपको बता दे की इस प्रेस कांफ्रेंस में डायरेक्टर और प्रोड्यूसर प्रकाश झा के अलावा दर्शन कुमार, अध्यन सुमन, सचिन श्रॉफ, राजीव सिद्धार्थ, त्रिधा चौधरी ,अनुप्रिया गोयनका और MX Player के सी सी ओ गौतम तलवार भी मौजूद थे. एक बदनाम –आश्रम 3 , MX player पर 3 जून से स्ट्रीम की जाएगी जिसे लोग मुफ्त में देख सकेंगे.

ये भी पढ़ें- GHKKPM: परिवार के प्रौपर्टी से सई को बेदखल करेगी भवानी, पाखी का प्लान होगा पूरा

राजश्री प्रोडक्शन का नया दांव

‘राजश्री प्रोडक्शंस’ के संस्थापक स्व.ताराचंद बड़जात्या की विशेषता रही है कि वह हमेशा पारिवारिक फिल्मों का निर्माण करते हुए नई प्रतिभाओं को अपनी फिल्म में काम करने का अवसर देेते रहे हैं. यॅूं तो ‘राजश्री प्रोडक्शन’ से कैरियर की शुरूआत करने वाले कलाकारों, निर्देशकों व संगीतकारों की एक लंबी सूची है.मगर यहां पर एक फिल्म का जिक्र जरुरी है.1989 में ‘राजश्री प्रोडक्शन’ के तहत फिल्म ‘‘मैने प्यार किया’’ का निर्माण हुआ था,जिससे ताराचंद बड़जात्या के पोते सूरज बड़जात्या ने बतौर निर्देशक, लेखक सलीम खान के बेटे सलमान खान व भाग्यश्री ने अपने कैरियर की शुरूआत की थी.और इस फिल्म की सफलता ने इन तीनों को बौलीवुड में स्थापित कर दिया था.

अब ताराचंद बड़जात्या और उनके बेटे राज कुमार बड़जात्या इस दुनिया में नही है.राज कुमार बड़जात्या के बेटे सूरज बड़जात्या ने बीच में कई फिल्में स्थापित कलाकरको साथ बनायी.मगर अब एक बार फिर वह भी ‘राजश्री प्रोडक्शन’ की पुरानी परंपरा के पथ पर चलते हुए अपने बेटे अवनीश बड़जात्या के लिए फिल्म बनाने जा रहे हंै,जो कि ‘राजश्री प्रोडक्शन’के बैनर तले बनने वाली 59 वीं फिल्म होगी.इस फिल्म में वह अपने बेटे अवनीश बड़जात्या (स्व.ताराचंद बड़जात्या के पड़पोते) को बतौर निर्देशक के अलावा अभिनेता धर्मेंद्र के पोते व अभिनेता सनी देओल के बेटे राजवीर देेओल को बतौर अभिनेता तथा अभिनेत्री पूनम ढिल्लों व फिल्म निर्माता अशोक ठाकरिया की बेटी पलोमा को बतौर अभिनेत्री लांच कर रहे हैं.इस फिल्म का फिल्मांकन जुलाई 2022 में शुरू होगा.

फिल्म की कहानी आज के युग की प्रेम कहानी होगी,जो एक भव्य डेस्टिनेशन शादी के दौरान पल्लवित होती है.फिल्म के निर्देशक अवनीश कहते हैं-‘‘यह फिल्म, प्यार के रिश्तों और उनकी जटिलताओं और सरलताओं की कहानी को दर्शाएगी.पलोमा एक बेहतरीन कलाकार हैं और उनकी स्क्रीन पर जबरदस्त उपस्थिति है. वह फिल्म के किरदार के लिए एकदम फिट हैं.पलोमा और राजवीर स्क्रीन पर एक साथ शानदार केमिस्ट्री साझा करते हैं.यह दोनों अपनी भूमिकाओं में सहजता से घुल-मिल गए हैं.”

देखना है कि ‘‘राजश्री प्रोडक्शन’’ की  75 वर्ष की विरासत मको अवनीश एस. बड़जात्या,राजवीर देओल और पलोमा किस तरह आगे बढ़ाते हैं.

ये भी पढ़ें- 43 साल की उम्र में Kanika Kapoor ने की दूसरी शादी, फोटोज वायरल

43 साल की उम्र में Kanika Kapoor ने की दूसरी शादी, फोटोज वायरल

बॉलीवुड हो या टीवी इंडस्ट्री, इन दिनों शादी का सिलसिला जारी है. जहां बीते दिनों एक्ट्रेस आलिया भट्ट ने अपनी सिंपल वेडिंग से फैंस को चौंका दिया था तो वहीं अब सिंगर कनिका कपूर की वेडिंग फोटोज (Kanika Kapoor Wedding) सोशलमीडिया पर छाई हुई हैं. आइए आपको दिखाते हैं बेबी डॉल फेम सिंगर कनिका कपूर की वेडिंग फोटोज की झलक…

कनिका कपूर ने की शादी

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Viral Bhayani (@viralbhayani)

हाल ही में बॉलीवुड की पौपुलर सिंगर कनिका कपूर (Kanika Kapoor) ने NRI बिजनेसमैन  गौतम संग शादी की है, जिसकी फोटोज वायरल हो रही हैं. लंदन में सात फेरे लेने वाली सिंगर कनिका कपूर ने पिंक कलर का हैवी ब्राइडल लहंगा पहना था, जिसके साथ मैचिंग ज्वैलरी सिंगर के लुक पर चांद लगा रही थी. वहीं सिंगर के पति गौतम के लुक की बात करें तो वह क्रीम कलर की शेरवानी पहने दिखे थे.

वेडिंग फंक्शन की दिखाई थी झलक

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Kanika Kapoor (@kanik4kapoor)

शादी की फोटोज के अलावा सिंगर कनिका कपूर की मेहंदी फोटोज भी इन दिनों सोशलमीडिया पर छाई हुई हैं. अपने वेडिंग फंक्शन की फोटोज को फैंस के साथ शेयर करने वाली सिंगर कनिका कपूर ने अपने पति को किस करते हुए भी फोटोज शेयर की थी.

शादी में दिए ढेरों पोज

कनिका कपूर की शादी में केवल फैमिली और करीबी दोस्त शामिल हुए थे, जिसमें दोनों ढेरों रोमांटिक पोज शेयर करते हुए नजर आए. वहीं सोशलमीडिया पर शादी की एक वीडियो वायरल हो रही है, जिसमें सिंगर कनिका कपूर  ‘फूलों की चादर’ के नीचे से एंट्री करते हुए नजर आ रही हैं.

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Kanika Kapoor (@kanik4kapoor)

बता दें, 43 साल की उम्र में सिंगर कनिका कपूर ने दूसरी शादी की है. वहीं पहले पति राज चंदोक से उनका साल 2012 में तलाक हुआ था, जिनसे उनके तीन बच्चे हैं, जिनकी फोटोज औऱ वीडियो वह सोशलमीडिया पर शेयर करती रहती हैं.

ये भी पढ़ें- GHKKPM: सम्राट की मौत होते ही सई-विराट के खिलाफ नई चाल चलेगी पाखी

REVIEW: जानें कैसी है कार्तिक आर्यन और कियारा अडवाणी की ‘Bhool Bhulaiyaa 2’

रेटिंगः डेढ़ स्टार स्टार

निर्माताः टीसीरीज

निर्देशकः अनीस बजमी

कलाकारः कार्तिक आर्यन, कियारा अडवाणी, तब्बू, मिलिंद गुणाजी, राजपाल यादव, संजय मिश्रा, अश्विनी कलसेकर,

अवधिः दो घंटे 24 मिनट

2007 में अक्षय कुमार और विद्या बालन के अभिनय से सजी फिल्म ‘‘भूल भुलैय्या’’ ने बाक्स आफिस पर सफलता दर्ज करायी थी. अब 15 वर्ष बाद उसी का सिक्वल हॉरर कॉमेडी फिल्म ‘‘भूल भुलैय्या 2’’लेकर अनीस बज़मी आए हैं, जिसमें कार्तिक आर्यन व किआरा अडवाणी के साथ महत्वपूर्ण किरदार में तब्बू हैं. फिल्म की कहानी के अनुसार 18 वर्ष बाद मंजूलिका का भूत पुनः कमरे से बाहर आ गया है. बहरहाल, यह फिल्म अंध विश्वास को फैलाने काम करने वाली निराशाजनक फिल्म है. फिल्मकार ने यह सोचकर इस फिल्म को बनाया है कि सभी दर्शक अपना दिमाग घर पर रखकर आएंगे और वह जो कुछ भी बेसिर पैर का परोसंेगेे उसे हजम कर जाएंगे.

कहानीः

फिल्म की कहानी बर्फ से ढंके पर्यटन स्थल पर रूहान रंधावा (कार्तिक आर्यन ) और रीत(किआरा अडवाणी   ) के आकस्मिक मिलन से शुरू होती है. रूहान, रीत को बताता है कि वह दिल्ली के एक बिजेस टाइकून का बेटा है,  जो दून स्कूल में शिक्षित है,  जो बिना नौकरी के गुजरात में पतंग उड़ाने के लिए उड़ान भरता है और बनारस में पान खाता है. जबकि रीत एक राजस्थानी लड़की है, जिसके पिता कड़क स्वभाव के हैं.  वह चार साल की डाक्टरी की पढ़ाई पूरी कर चुकी है और अब  अपने पारंपरिक परिवार के खिलाफ विद्रोह करती है. रीत का साथ पाने के लिए रूहान उसे वहां के एक संगीत कार्यक्रम में ले जाता है. वह दोनों जिस बस को छोड देते हैं, वह बस आगे जाकर दुर्घटनाग्रस्त हो जाती है और सभी यात्री मारे जाते हैं. रीत के परिवार के लोगो को पता चल जाता है कि रीत की मौत हो गयी. सच बताने के  लिए जब रीत अपने घर पर फोन करती है, तो वह अपनी बहन व अपने मंगेतर सागर की बातें सुनकर समझ जाती है कि यह दोेनो एक दूसरे से प्रेम करते हैं और शादी करना चाहते हैं. तब रीत सच बताने का इरादा बदल देती है.  वह चाहती है कि सागर से उसकी बहन की शादी हो जाए. अब रीत अपनी मदद के लिए रूहान को अपने साथ लेकर अपने गांव पहुंचती है और दोनों अपनी उस पुश्ैतनी हवेली मंे जाकर छिप जाते हैं, जिसे भूतिया हवेली कहा जाता है. जिसके अंदर के एक कमरे में मंजूलिका(तब्बू) का भूत कैद है. मगर चैधरी को छोटे पंडित से हवेली में ेलाइट जलने की खबर मिलती है. पूरा परिवार वहंा आता है , जहां रूहान मिलता है. रीत छिप चुकी होती है. रूहान ख्ुाद को मृत आत्माओं  से बात करने वाला बताकर मृत रीत की आत्मा की ख्ुाशी के नाम पर रीत के घर वालांे से कई काम करवाने लगता है. पूरे गांव में उसकी धाक बन जाती है.  और बड़े पंडित की दुकानदारी बंद हो जाती है. इसलिए वह साजिश रचते हैं. रीत खुद को छिपाने के लिए मंजूलिका के कमरे के अंदर चली जाती है. मंजूलिका कमरे से बहार निकलती है. अंत में पता चलता है कि काला जादू करने वाली मंजूलिका ने अपनी बहन अंजूलिका के पति को पाने के लिए अंजूलिका को मार दिया था और ख्ुाद अंजूलिका(तब्बू   ) बनकर मृत अंजूलिका के भूत को मंजूलिका बताकर तांत्रिक(गोविंद नामदेव ) की मदद से कमरे में बंद करा दिया था.

लेखन व निर्देशनः

अनीस बज़मी अतीत में कुछ बेहतरीन मनोवैज्ञानिक रोमांचक फिल्मंे दे चुके हैं. वह हास्य फिल्में भी बना चुके हैं.  मगर हॉरर कॉमेडी फिल्म ‘भूल भुलैया 2’ में वह बुरी तरह से मात खा गए है. कहानी में कुछ भी नयापन नही है. फिल्म की अवधारणाएं रूह हैं.  फिल्म की पटकथा भी काफी गड़बड़ है. 15 साल पहले आयी फिल्म ‘भूल भुलैया’ का संदेश था कि भूत या आत्मा वगैरह कुछ नही होता है. यह हमारे मन का भ्रम है. मगर ‘‘भूल भुलैया 2’’ में रूह, भूत, आत्मा ही है. इसमें भूत दीवार पर चलती हुए नजर आते हैं. बेहूदगी की हद कर दी गयी है.

फिल्म में हास्य दृश्यों का अभाव है. लेखक व निर्देशक ने चुटकुलांे का सहारा लेकर फिल्म को हास्यप्रद बनाए रखने का असफल प्रयास किया है. जी हॉ! फिल्म में मंजुलिका के सफेद-चेहरे,  लंबे-लंबे,  काले कपड़े वाले लुक के अलावा एक अधिक वजन वाले मोटे बच्चे  पर बार-बार चुटकुले हैं. इंटरवल के बाद फिल्म बेवजह खींची भी गयी है. फिल्म का क्लायमेक्स बहुत घटिया है.

अभिनयः

पूरी फिल्म में रीत के किरदार में किआरा अडवाणी के हिस्से करने को कुछ खास आया ही नही. रूहान के किरदार में कार्तिक आर्यन अपनी छाप छोड़ने मंे विफल रहे हैं. वह नृत्य वाले दृश्यों में ही अच्छे लगे हैं. कुछ दृश्यों मंे उनकी उछलकूद मंे जोश नजर आता है. तब्बू ने शानदार अभिनय किया है. सशक्त अभिनेता गोविंद नामदेव को महत्वहीन तांत्रिक के किरदार में देखकर निराश होती है. लोगों को हंसाने के लिए संजय मिश्रा और राजपाल यादव की जुगलबंदी अच्छी है. अमर उपाध्याय व मिलिंद गुणाजी के हिस्से करने को कुद राह ही नही. चाचा के किरदार में राजेश शर्मा भी निराश करते हैं. अश्विनी कलसीकर का अभिनय ठीक ठाक है.

ये भी पढ़ें- REVIEW: जानें कैसी है Kangana Ranaut की फिल्म Dhaakad

Cannes 2022 में छाया हिना खान का जलवा, बौलीवुड हसीनाओं को दे रही हैं टक्कर

इन दिनों कान्स फिल्म फेस्टिवल 2022 काफी चर्चा में हैं. जहां बौलीवुड हसीनाएं अपने लुक को लेकर ट्रोल हो रही हैं तो वहीं टीवी एक्ट्रेसेस अपना जलवा बिखेरती दिख रही हैं. एक्ट्रेसेस की इस लिस्ट में हिना खान सबसे ज्यादा सुर्खियों में हैं. दरअसल, हाल ही में एक इंटरव्यू में कान्स फिल्म फेस्टिवल 2022 में एक कार्यक्रम का हिस्सा ना बन पाने को लेकर एक्ट्रेस ने नाराजगी जताई है. हालांकि फैंस के लिए वह अपने लुक्स को फ्लौंट करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही हैं, जिसके चलते हिना खान के कान्स फिल्म फेस्टिवल 2022 के लुक्स चर्चा में हैं. आइए आपको दिखाते हैं हिना खान से लेकर कान्स फिल्म फेस्टिवल 2022 का हिस्सा बनीं टीवी हसीनाओं की झलक…

एक्ट्रेसेस की बीच चर्चा बना हिना खान का लुक

 

View this post on Instagram

 

A post shared by HK (@realhinakhan)

हाल ही में चल रहे कान्स फिल्म फेस्टिवल में दीपिका पादुकोण, उर्वशी रौतेला, पूजा हेगड़े, तमन्ना भाटिया, सिंगर मामे खान जैसे सितारों के बीच एक्ट्रेस हिना खान का लुक चर्चा में हैं, जिसकी फोटोज वह अपने फैंस के लिए सोशलमीडिया पर शेयर करती नजर आ रही हैं. कान्स 2022 के पहले दिन एक्ट्रेस हिना खान ने रेड कलर का औफशोल्डर गाउन कैरी किया था, जिसके साथ सिंपल पर्ल इयरिंग्स और शौर्ट हेयर में हिना खान एलिंगेट और स्टाइलिश लग रही थीं. फैंस को एक्ट्रेस का ये अंदाज काफी पसंद आ रहा है.

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Viral Bhayani (@viralbhayani)

दूसरे दिन भी छाया हिना खान का लुक

 

View this post on Instagram

 

A post shared by HK (@realhinakhan)

कान्स में दूसरे दिन एक्ट्रेस हिना खान ब्लैक कलर के ट्रांसपैरेंट आउटफिट में नजर आईं, जिसमें एक्ट्रेस का हौट अंदाज फैंस को काफी पसंद आ रहा है. वहीं सोशलमीडिया पर एक्ट्रेस के फैशन और लुक की काफी तारीफ हो रही हैं. वहीं फैंस उन्हें बौलीवुड एक्ट्रेस से भी ज्यादा खूबसूरत बताते नजर आ रहे हैं.

हेली शाह की हुई हिना खान की तुलना

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Helly Shah (@hellyshahofficial)

जहां हिना खान का कान्स 2022 का लुक फैंस के बीच चर्चा में है तो वहीं एक्ट्रेस हेली शाह के लुक को कई लोग हिना खान के लुक की कौपी बताते नजर आ रहे हैं, जिसके चलते वह सुर्खियों में हैं. दरअसल, कान्स 2022 के पहले दिन एक्ट्रेस हेली शाह ने सिल्वर गाउन कैरी किया था, जिसकी ट्रोलर्स हिना खान के साल 2019 में हुए कान्स लुक से तुलना कर रहे हैं.

ये भी पढ़ें- Cannes Film Festival 2022 में छाया ‘बाजी राव मस्तानी’ का देसी लुक

REVIEW: जानें कैसी है Kangana Ranaut की फिल्म Dhaakad

रेटिंगः एक स्टार

निर्माताः दीपक मुकुट और सोहे मकलाई

निर्देशकः रजनीश घई

कलाकारः कंगना रनौत,  अर्जुन रामपाल, दिव्या दत्ता, शाश्वत चटर्जी,  शारिब हाशमी और अन्य

अवधिः दो घंटे 13 मिनट

फिल्मकार रजनीश घई एक महिला प्रधान एक्शन जासूसी फिल्म ‘‘धाकड़’’लेकर आए हैं. जिसे देखने के बाद यही समझ में नहीं आया कि यह फिल्म बनायी क्यों गयी है? फिल्म में कथा पटकथा, निर्देशन, कंगना का अभिनय सब कुछ गड़बड़ है. फिल्म ‘‘धाकड़’’देखने के बाद मन में सवाल उठता है कि फिल्म ‘क्वीन’ में शानदार अभिनय करने वाली यही कंगना रानौट थी. ‘धाकड़’में कंगना की अभिनय क्षमता में जबरदस्त गिरावट नजर आती है. वैसे फिल्म देखकर यह समझ में आता है कि 2003 की सफलतम हालीवुड फिल्म ‘‘किलबिल’’ की नकल करने का प्रयास किया गया है.

कहानीः

फिल्म शुरू होती है बुद्धापेस्ट से, जहां एक महिला भारतीय जासूस अग्नि( कंगना रानौट) बंदूकों व तलवारों का उपयोग करते हुए अपनी जान को जोखिम में डाल कर ‘मानव तस्करी’ का व्यवसाय करने वालों के यहां से सैकड़ों छेाटे लड़के व लड़कियों को छुड़ाती है. यहां पर अग्नि को एक पेन ड्राइव मिलती है, जिसमें एशिया के सबसे बड़े बाल तस्कर रूद्रवीर सिंह(अर्जुन रामपाल) के बारे में जानकारी है, जो कि सरकार के खिलाफ नफरत भरकर अपनी साथी रोहिणी(दिव्या दत्ता) के साथ कोयला खदानों पर कब्जा करने के साथ ही छोटे बच्चों की मानव तस्करी करते है. अब अग्नि के बॉस(शाश्वत चटर्जी ) और जिन्होने उसे पाल पोस कर इस लायक बनाया है वह अग्नि को रूद्रवीर को खत्म करने के लिए भारत भेजते हैं. जहां अग्नि की मदद करने के लिए फजल(शारिब हाशमी) है.

पता चलता है कि रूद्रवीर जब अपने साथियों के साथ कोयला चोरी करता है, तो उसके पिता उसे रोकते हैं, तब वह अपने पिता की ही हत्या कर देता है. इसके बाद उसे रोहिणी का साथ मिलता है और देखते ही देखते वह एशिया का सबसे बड़ा मानव तस्कर बन जाता है.

अग्नि के भारत पहुंचने के बाद रूद्रवीर को खत्म करने के लिए अग्नि जुट जाती है. पर अंत में उसे रूद्रवीर को खत्म करने के लिए बुद्धापेस्ट ही जाना पड़ता है. तब रूद्रवीर से पता चलता है कि वह तो उसी इंसान की मोहरा बनी हुई है, जिसने बचपन में उसके माता पिता की हत्या की थी.

लेखन व निर्देशनः

फिल्म की कहानी रजनीश घई ने चिंतन गांधी और रिनिश रवींद्र के साथ मिलकर लिखी है. कहानी काफी घिसी पिटी है. फिल्म का हर दृश्य किसी न किसी फिल्म से चुराया हुआ है. पटकथा बकवास है. पूरी फिल्म हिचकोले लेते हुए धीमी गति से आगे बढ़ती है. फिल्म देखते हुए अहसास होता है कि संवाद लेखक रितेश शाह ने अपना दिमाग कहीं रखने  के बाद ही संवाद लिखे हैं. फिल्म में ‘‘सो जा. . .  सो जा. . ’’गाना कई बार आता है. फिल्म के सभी एक्शन दृश्य अतार्किक हैं. कई दृश्यों का दोहराव भी नजर आता है. इमोशंंस का घोर अभाव है. लेखक व निर्देशक को यही पता नही है कि जब जासूस दुश्मन से भिड़ने जा रहा है, तो बंदूक आदि के साथ ही अपनी सुरक्षा के उपाय करते हुए बुलेट प्रुफ जैकेट वगैरह पहनकर जाता है न कि बिकनी या अति छोटे कपड़े पहनकर जाता है. निर्देशन अति कमजोर है. कहीं भी बेवजह सेक्स दृश्य ठॅंूस दिए गए हैं. मानव तस्करी के व्यवसाय को भी ठीक से रेख्ंााकित नही किया गया. मानव तस्करी के लिए ले जाने वाले बच्चों के साथ किस तरह का व्यवहार होता है, उसका भी कहीं जिक्र नहीं. पूरी फिल्म में कहानी तो कहीं है ही नही. दर्शक सिर्फ यही सोचता रहता है कि यह फिल्म कब खत्म होगी. कोयला खदान के मसले को भी सही ढंग से उठाया ही नहीं गया. रूद्रवीर कोयला खदानांे के व्यवसाय ेसे क्यों जुड़े है, कुछ भी स्पष्ट नही है. दर्शक को लगता है कि उसने इस फिल्म के लिए पैसे व अपना समय खर्च करके बहुत बड़ा अपराध कर दिया है.

कमजोर कहानी, कमजोर पटकथा,  कमजोर निर्देशन, कमजोर एक्शन दृश्य व कमजोर अभिनय ने फिल्म का बंटाधार करके रख दिया है.

अभिनयः

अग्नि के किरदार में कंगना रानौट अपने अभिनय से घोर निराश करती हैं. उन्होने ‘किलबिल’ की नायिका की तरह खुद को साबित करने का असफल प्रयास किया है. वह भूल गयीं कि नकल के लिए भी अकल चाहिए. एक्शन दृश्यों में ऐसा लगता है जैसे कोई बच्चा अपने खिलौने वाली बंदूक से खेल रहा हो. हकीकत में कंगना के लिए अग्नि का किरदार है ही नहीं. रूद्रवीर के किरदार में अर्जुन रामपाल नही जंचे. यह उनके कैरियर की सबसे कमजोर फिल्म है. उनका दिव्या दत्ता, शाश्वत चटर्जी व शारिब हाशमी का अभिनय ठीक ठाक है, मगर इन्हे कहानी व पटकथा से कोई मदद नहीं मिलती.

निर्देशक और एडिटर मनोज शर्मा से जानें उनके संघर्ष की कहानी

मैं आया तो था हीरो बनने, लेकिन 6 महीने में पता चल गया कि मुझे हीरो नहीं निर्देशक बनने की जरुरत है, इसलिए मेरे संघर्ष का दौर कम समय तक चला और आज मैने एक फिल्म डायरेक्ट की है, हँसते हुए कहते है निर्देशक, पटकथा लेखक, एडिटर मनोज शर्मा, उन्होंने एक फिल्म ‘देहाती डिस्को’ का निर्माण किया है, जिसे वे अब थिएटर में रिलीज किया जाएगा, आइये जाने उनके संघर्ष की कहानी उनकी जुबानी.

मिली प्रेरणा

बचपन से ही फिल्मों में काम करने की इच्छा रखने वाले मनोज शर्मा उत्तरप्रदेश के बुलंदशहर के खुर्जा से है. खुर्जा में परिवारवाले क्रोकरी का व्यवसाय करते है, लेकिन मनोज को इस व्यवसाय में काम करना पसंद नहीं था,घर में सबसे छोटे होने की वजह से वे चंचल स्वभाव के थे, किसी का ध्यान उन पर अधिक नहीं था, इसलिए बी.कॉम. की फर्स्ट इयर पूरा करने के बाद वे मुंबई आ गए. मनोज को फिल्में देखने का बहुत शौक था,वे अमिताभ बच्चन, मिथुन चक्रवर्ती, धर्मेन्द्र आदि प्रसिद्ध कलाकारों की हर फिल्म देखा करते थे और फिल्म ने ही उन्हें इस क्षेत्र में आने की प्रेरणा दी है.उनके परिवार वालों ने पहले उन्हें मुंबई आने से मना किया था, लेकिन बाद में उन्हें अपनी इच्छा पूरी करने के लिए सहयोग भी दिया

कला को दी अहमियत

मनोज ने कई फिल्मों में निर्देशक का काम किये है, लेकिन उनकी ये फिल्म बहुत खास है, जिसमे उन्होंने भारतीय कला को आगे बढाने वाली एक इमोशनल ड्रामा फिल्म, जो पिता और बेटे की है. मनोज कहते है कि इसकी कहानी से मैं बहुत प्रभावित हुआ और इसे बनायीं. मैं अधिकतर कॉमेडी फिल्में बनाता हूं.

संघर्ष कैरियर की

मनोज अपने संघर्ष के बारें में कहते है कि मैं एक छोटे शहर से आया हूं. जैसा सभी जानते है कि छोटे शहरों में रहने वालों को बहुत कम फ़िल्मी दुनिया के बारें में पता होता है. सभी यहाँ हीरों बनने ही आते है, मैं भी हीरों बनने ही आया था, लेकिन 6 महीने के अंदर पता चल गया कि मैं हीरों नहीं बन सकता, क्योंकि ऑडिशन दिया, पर किसी ने मुझे हीरो बनने का मौका नहीं दिया. फिर मैंने मेरे एक परिचित की सहायता से फिल्म तहलका के लिए एडिटिंग का काम करने लगा. इस तरह से मैं एडिटिंग और निर्देशन में जुड़ गया और कई फिल्में बनायी. इससे मुझे प्रैक्टिकल ज्ञान अधिक मिला. इसके बाद पुलिस वाला गुंडा, माँ, आदि कई फिल्मों में निर्देशक और एडिटिंग का काम करने लगा. मुझे पहले लगता था कि फिल्मों में हीरो की अधिक क़द्र होती है, लेकिन बाद में पता चला कि एक निर्देशक, एडिटर और कैमरामैन को भी बहुत सम्मान मिलता है. इस क्षेत्र में पहले लर्निंग एसिस्टंट के आधार पर रखा जाता है, जो निर्देशक के साथ जरुरी काम करता है और फिल्म डायरेक्शन भी सीखता रहता है. इसके अलावा लोगों से परिचय बढती है और नया काम मिलने में आसानी होती है.

की मेहनत

पहले जब मनोज काम की तलाश कर रहे थे, तब उनकी मुलाकात निर्देशक अनिल शर्मा से हुई और उन्हें काम मिला. वे कहते है कि मैं उनका 10वीं नंबर का निर्देशक था, जिसका काम भागा-दौड़ी के अलावा कुछ नहीं था. इस काम में किसी को कुर्सी ला देना,पानी देना, ड्रेस को आर्टिस्ट तक पहुँचाना आदि करता था और समय मिलने पर डायरेक्शन को देखता था. एडिटिंग में होने की वजह से मैं अधिकतर डायरेक्टर के साथ रहता था. इससे मुझे काम मिलना आसान हुआ.

इंडस्ट्री में काम करना नहीं आसान

वे आगे कहते है कि कड़े अनुभव मुझे शुरू में मिले, जब मैं एक्टर बनने की कोशिश कर रहा था और सभी प्रोडक्शन हाउस में घूम रहा था, लेकिन किसी ने अभिनय में नहीं लिया. करीब 6 महीने में ही मुझे पता चल गया था की मैं हीरों नहीं बन सकता. दरअसल जब मैं अपने शहर में था, तब इंडस्ट्री की कोई जानकारी नहीं थी, लगता था, सबकुछ आसानी से हो जायेगा, लेकिन मुबई आने के बाद ही पता चला कि यहाँ कुछ भी आसान नहीं है. जब सभी ने एक्टिंग देने से मना किया, तो मैं एक वीडियो लाइब्रेरी में गया और खुद संवाद लिखकर शूट करने को कहा और जब क्लिपिंग देखी तो मुझे समझ आ गया कि एक्टिंग मुझे नहीं आती. मुझे कुछ दूसरा काम करने की जरुरत है.

नहीं भूलता बीतें दिन

मनोज अपनी जर्नी में पीछे मुड़कर उन लोगों को देखते है, जिन लोगों ने उन्हें मुसीबत के समय काम किया.  ड्रीम एक्टर आयुष्मान खुराना, राजकुमार राव के जैसे नए कलाकार है,जो बहुत अच्छा अभिनय करते है. इसके अलावा मेरी इच्छा राजकुमार हिरानी के जैसे फिल्में डायरेक्ट करने की है. एक अच्छी कहानी, प्रतिभावान कलाकारों के साथ करने की इच्छा रखता है.

है गोल्डन पीरियड

मनोज इस दौर को हिंदी फिल्म इंडस्ट्री का गोल्डन पीरियड कहते है, जो बहुत ही अच्छा है, जिसमें सभी नए कलाकारों को काम करने का अवसर मिल रहा है. कम बजट में फिल्में बन रही है, इसमें किसी को भी घाटा नहीं हो रहा है. यू-ट्यूब पर बनी एक आकर्षक क्लिप भी उस व्यक्ति के लिए लाभदायी हो सकता है अगर उसे लोग पसंद करें. इस समय सारे निर्देशक, टेक्नीशियन, सारे कलाकार सभी के लिए काम है. बड़ी फिल्में न मिलने पर, इन नए कलाकारों को लेकर वेब सीरीज बनाया जा सकता है.मैंने धर्मेन्द्र और मधु को लेकर फिल्म खली-बली बनाई है. निर्माता के अनुसार कलाकारों का चयन करना पड़ता है, ताकि फिल्म बजट के अंदर बने. इसके अलावा मैंने कोविड पर एक फिल्म ओंटू बनाई है, जो ओटीटी पर आने वाली है. मैं किसी भी फिल्म को उत्तेजित करने वाली नहीं बनाता, बैर और दुश्मनी को फिल्म में नहीं आने देना चाहिए.

ये भी पढ़ें- आर्यन के बाद Imlie ने किया प्यार का इजहार, देखें रोमोंटिक वीडियो

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें