बेटी को जरूर बताएं पीरियड्स से जुड़ी ये बातें

ज्यादातर मांएं पीरियड्स के बारे में बेटी से खुल कर बात नहीं करतीं. यही कारण है कि इस दौरान किशोरियां हाइजीन के महत्त्व पर ध्यान नहीं देतीं और कई परेशानियों का शिकार हो जाती हैं. पीरियड्स को लेकर जागरूकता का न होना भी इन परेशानियों की बड़ी वजह है. पेश हैं, कुछ टिप्स जो हर मां को अपनी किशोर बेटी को बतानी चाहिए ताकि वह पीरियड्स के दौरान होने वाली परेशानियों से निबट सकें:

1. कपड़े के इस्तेमाल को न कहें 

आज भी हमारे देश में जागरूकता की कमी के चलते माहवारी के दौरान युवतियां कपड़े का इस्तेमाल करती हैं. ऐसा करना उन्हें गंभीर बीमारियों का शिकार बना देता है. कपड़े का इस्तेमाल करने से होने वाली बीमारियों के प्रति अपनी बेटी को जागरूक बनाना हर मां का कर्तव्य है. बेटी को सैनिटरी पैड के फायदे बताएं और उसे अवगत कराएं कि इस के इस्तेमाल से वह बीमारियों से तो दूर रहेगी ही, साथ ही उन दिनों में भी खुल कर जी सकेगी.

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2. पैड बदलने के बारे में बताएं

हर मां अपनी बेटी को यह जरूर बताए कि आमतौर पर हर 6 घंटे में सैनिटरी पैड बदलना चाहिए. इस के अलावा अपनी जरूरत के अनुसार भी सैनिटरी पैड बदलना चाहिए. हैवी फ्लो के दौरान आप को बारबार पैड बदलना पड़ता है, लेकिन अगर फ्लो कम है तो बारबार बदलने की जरूरत नहीं होती. फिर भी हर 4 से 6 घंटे में सैनिटरी पैड बदलती रहे ताकि इन्फैक्शन से सुरक्षित रह सके.

3. इनर पार्टस की करें नियमित सफाई

पीरियड्स के दौरान गुप्तांगों के आसपास की त्वचा में खून समा जाता है, जो संक्रमण का कारण बन सकता है. इसलिए गुप्तांगों को नियमित रूप से धो कर साफ करने की सलाह दें. इस से वैजाइना से दुर्गंध भी नहीं आएगी.

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4. इन चाजों से दूर रहने की दें सलाह

वैजाइना में अपने आप को साफ रखने का नैचुरल सिस्टम होता है, जो अच्छे और बुरे बैक्टीरिया का संतुलन बनाए रखता है. साबुन योनि में मौजूद अच्छे बैक्टीरिया को नष्ट कर सकता है. इसलिए इस का इस्तेमाल न करने की सलाह दें.

5. धोने का सही तरीके बारे में बताएं

बेटी को बताएं कि गुप्तांगों को साफ करने के लिए योनि से गुदा की ओर साफ करे यानी आगे से पीछे की ओर. उलटी दिशा में कभी न धोए. उलटी दिशा में धोने से गुदा में मौजूद बैक्टीरिया योनि में जा सकते हैं और संक्रमण का कारण बन सकते हैं.

6. सैनिटरी पैड के डिस्पोजल की दें जानकारी

इस्तेमाल किए गए पैड को सही तरीके से और सही जगह फेंकने को कहें, क्योंकि यह संक्रमण का कारण बन सकता है. पैड को फ्लश न करें, क्योंकि इस से टौयलेट ब्लौक हो सकता है. नैपकिन फेंकने के बाद हाथों को अच्छी तरह से धोना भी जरूरी है.

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7. रैशेज से कैसे बचें इसके बारे में भी बताएं

पीरियड्स में हैवी फ्लो के दौरान पैड से रैश होने की संभावना बहुत अधिक बढ़ जाती है. ऐसा आमतौर पर तब होता है जब पैड लंबे समय तक गीला रहे और त्वचा से रगड़ खाता रहे. इसलिए बेटी को बताएं कि नियमित रूप से पैड चेंज करे. अगर रैश हो जाए तो नहाने के बाद और सोने से पहले ऐंटीसैप्टिक औइंटमैंट लगाए. इस से रैश ठीक हो जाएगा. अगर औइंटमैंट लगाने के बाद भी रैश ठीक न हो तो उसे डाक्टर के पास ले जाएं.

8. एक ही तरह का सैनिटरी प्रोडक्ट का करें इस्तेमाल

जिन किशोरियों को हैवी फ्लो होता है, वे एकसाथ 2 पैड्स या 1 पैड के साथ टैंपोन इस्तेमाल करती हैं या कभीकभी सैनिटरी पैड के साथ कपड़ा भी इस्तेमाल करती हैं यानी कि ऐसा करने से उन्हें लंबे समय तक पैड बदलने की जरूरत नहीं पड़ती. ऐसे में बेटी को बताएं कि एक समय में एक ही प्रोडक्ट इस्तेमाल करे. जब एक-साथ 2 प्रोडक्ट्स इस्तेमाल किए जाते हैं तो जाहिर है इन्हें बदला नहीं जाता, जिस कारण इन्फैक्शन की संभावना बढ़ जाती है.

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Edited by Rosy

ठंडा कैरी शोरबा (कच्चे आम का सूप)

गरमी में हर किसी का कुछ हल्का और ठंडा सूप या फिर ड्रिंक पीने का मन करता है. और अगर वो आम से बनी हो तो खाने में और भी मजा आता है. इसीलिए आज हम आपको आम से बनी डिश के बारे में बताएंगे, जिसे आप गरमियों में बनाकर अपनी फैमिली और फ्रेंडस के साथ मिलकर कूलिंग का एहसास कर सकते हैं.

हमें चाहिए

कच्चा आम (छिलका) 1 किलो

अदरक पूरे 3 बड़े चम्मच

सोंठ पाउडर 1 चम्मच

पुदीना के पत्ते 4 बड़े चम्मच

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चीनी 2-3 बड़े चम्मच

मसाला (नमक और काली मिर्च) स्वाद के लिए

जीरा पाउडर एक चुटकी

काला नमक एक चुटकी

इलायची पाउडर एक चुटकी

बनाने का तरीका

– कच्चे आम को छील लें और उसके गूदे को क्यूब्स में काट लें. आम को पानी में अदरक के साथ पकाएं. जब तक वह सौफ्ट न हो जाए.

– फिर आम को पानी को अलग कर लें और उसमें चीनी, काला नमक, इलायची और जीरा पाउडर के साथ पुदीने की पत्तियां डालकर मिला लें.

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– देख लें कि आम का सूप न ज्यादा पतला हो और न ही ज्यादा गाढ़ा.

– सीजनिंग करने के बाद इसे फ्रिज में रखें और ठंडा करके फैमिली को सर्व करें.

Edited by Rosy

Father’s Day 2019: इस फादर्स-डे पर दुनिया को बताइए अपने पापा की कहानी

पापा, बाबा, डैड, अब्बू या पिता जी…

नाम भले ही अलग हो, लेकिन हर शब्द में प्यार समाया है. अपने सुख-दुख भूलकर जो हरदम हमारी खुशियों के लिए जीता है. वो अपना प्यार तो नहीं दिखाते, लेकिन उनका साया हमे हर मुश्किल से बचाता है. लेकिन जरूरी नहीं है कि जन्म देना वाला इंसान ही पिता कहलाए… जिंदगी में कई बार ऐसा होता है जब किसी मुश्किल में कोई आपकी मदद करता है और आपको अपने पिता की याद आ जाती है…

वो कोई भी हो सकता है दादा जी, ताया, चाचा जी, बड़ा या छोटा भाई, कोई टीचर या कोई सीनियर, कोई दोस्त या आपका हमसफर… वो हर शख्स जिसने बुरे दौर में आपका साथ दिया… आपको मुसीबत से बाहर निकाला… मुश्किल घड़ी में आपको रास्ता दिखाया…

तो इस ‘फादर्स डे’ पर दुनिया को बताइए अपने पापा से जुड़ी वो कहानी जिसने आपकी जिंदगी पर गहरी छाप छोड़ी हो. वो बातें जो आप कभी अपने पिता से नहीं कह पाए.

पेरिस में रोमेंटिक अंदाज में नजर आईं हिना खान

टीवी की कोमोलिका यानी एक्ट्रेस हिना खान इन दिनों सोशल मीडिया पर अपनी फोटोज के लिए छाई हुई हैं. हिना इन दिनों फ्रांस में है और वहीं पर वह अपनी नई फिल्म विशलिस्ट की शूटिंग भी करने के साथ वेकेशन का भी लुत्फ उठा रही हैं. जिसकी फोटोज वह सोशल मीडिया पर अपने फैंस के लिए लगातार शेयर कर रही है.

सोशल मीडिया पर किया प्यार का इजहार

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एफिल टौवर पर खिंचवाई फोटोज को सोशल मीडिया पर शेयर करते हुए हिना अपने बौयफ्रेंड के लिए प्यार का इजहार करती हुईं नजर आईं.

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दोस्तों के साथ पहुंचीं एफिल टौवर

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हिना एफिल टौवर पर पहुंचकर खुशी से झूम उठी और इस दौरान उन्होंने बौयफ्रेंड रौकी जायसवाल और पूरी टीम के साथ खूब मस्ती भी की.

शूटिंग के साथ वेकेशन का भी मजा ले रही हिना

एक्ट्रेस हिना की फिल्म के कुछ हिस्सों की शूटिंग स्विट्जरलैंड में हो रही है, इसलिए दिन में शूटिंग खत्म करके हिना शाम को पेरिस घूमने निकल जाती हैं.

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खूब शौपिंग कर रही हैं हिना

 

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When your dress paints the sky blue ? #HappyMe

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हिना ने पेरिस में घूमने के दौरान खूब शौपिंग करती नजर आईं, तो वहीं अपने फैशन को भी फ्लौंट करती हुई भी नजर आईं.

सोशल मीडिया पर कर रहीं हैं फोटोज अपडेट

 

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Morning Breeze ?

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हिना अपनी शूटिंग के साथ-साथ घूमने की फोटोज को भी लगातार सोशल मीडिया के जरिए शेयर कर रही है.

कुछ ऐसे बिताई शाम रहीं हैं पेरिस में हिना अपनी शाम

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पेरिस में दिन में शूटिंग के बाद हिना शाम को हिना घूमने निकली तो उन्होंने कई फोटोज भी खींचवाई.

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फोटोज में अदाएं दिखाती नजर आईं हिना

 

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Keep your face to the sun, and you will never see the shadows ☀️

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फोटोज खिचवाने के दौरान हिना कैमरे के सामने कईं पोज देती नजर आईं.

बता दें, अभी हाल ही में हुए कान्स फिल्म फेस्टिवल 2019 में हिना अपने लुक के लिए काफी पौपुलैरिटी बटोर चुकी हैं.

चतुरनाथ फिल्म रिव्यू: डबल मीनिंग डायलौग से बनी बेसिर पैर की कहानी

फिल्म रेटिंगः एक स्टार

निर्माता: ‘‘आर्गन इंटरटेनमेंट के तहत अरविंद अग्रवाल

निर्देशकः स्वदेश

कलाकारः ओंकारदास माणिकपुरी, स्पेन की अदाकारा नीरा सुआरेज,देश दीपक,राजेश मौर्य,अरविंद अग्रवाल, लल्लन लाहिरी,मनोज अग्रवाल,महिमा तिवारी,कंचन भारद्वाज,आरती, अखिलेश गौड़ व अन्य

संगीतकारः सिंह बदर्स और डी जे भरली,

गीतकारः पं.किरण मिश्र,एस आर भारती,निरंजन

कैमरामैनः पप्पू के शेट्टी

उपदेशपरक व एक अजेंडे के तहत जब फिल्मकार फिल्म बनाने निकलता है,तो वह अपने मन की सारी भड़ास निकालने के चक्कर में फिल्म का बंटाधार कर बैठता है.ऐसा ही फिल्मकार स्वदेश ने फिल्म ‘चतुरनाथ’के साथ किया है.अफसोस की बात यह है कि इस फिल्म के साथ फिल्म के लेखक व निर्देशक स्वदेश के पिता व मशहूर वरिष्ठ गीतकार पं.किरण मिश्र भी जुड़े हुए  हैं.

कहानी

कहानी चतुरनाथ की है,जो  कि हर गरीब इंसान की मदद करना चाहते हैं. वह गरीब को कानून से न्याय दिलाने के लिए फर्जी वकील तक बन जाते हैं. वास्तव में वह बेरोजगार हैं और ईंट भट्टा के अलावा कई तरह के गैर कानूनी धंधों में लिप्त गजराज उन्हें अपने वकील विराट टंडन से कहकर फर्जी वकील बनवा देते हैं. जिससे चतुरनाथ गरीब मजदूरों को मूर्ख बनाते रहें. मगर वकीलों का काला कोट पहनते ही चतुरनाथ के अंदर का इमान जाग उठता है और वह वकीलों के लिए गजराज से ही भिड़ जाते हैं. चतुरनाथ अपनी चतुराई दिखाते हुए बाइक चालक को हेल्मेट लगाने, कार चालक को बेल्ट लगाने,कहॉं थूंके सहित कई उपदेश बांटते नजर आते हैं.

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एक दिन ईंट भट्टा के मजदूर बताते हैं कि गजराज ने उन्हें छह माह से पैसे नहीं दिए, तो वह गजराज से फोन पर बात करते हैं और फिर गजराज के महलनुमा मकान पर पहुंचकर गजराज से माफी मांगते हैं. यहीं पता चलता है कि विराट टंडन ने भी अब गजराज के गलत कामों में साथ देने से मना कर दिया.उसी दिन अदालत में गजराज के आदमी बम विस्फोट करते हैं, जिसमें विराट टंडन सहित कई लोग मारे जाते हैं. चतुरनाथ अपना एक पैर खो बैठते हैं. सरकार इसे आतंकवादी घटना घोषित करती है. क्योंकि सरकार के मंत्री भी गजराज से मिले हुए हैं.चतुरनाथ को बीमा कंपनी की तरफ से से मिले दस लाख और सरकार द्वारा दिए गए पॉंच लाख रूपए भी गजराज हड़प जाते हैं. एक दिन चतुरनाथ से गजराज खुद सब कुछ कबूल देते हैं.

उसके बाद एक बार फिर गजराज काला कोट पहनकर योजना बनाते हैं. इस योजना में नाचने वाली, गजराज के यहां काम करने वाली बिजली, डौक्टर सहित कई लोग चतुरनाथ के साथ होते हैं. पता चलता है कि चतुरानाथ का पैर ठीक है.वह अपने पैरों पर चल सकते हैं. विराट टंडन भी जिंदा हैं. अंत में बीमा कंपनी से तीन सौ करोड़ रूपए पाने के लिए गजराज की योजना विफल होती है. पूरी जनता मिलकर गजराज को मौत की नींद सुला देती है.

लेखन

कहानी के स्तर पर फिल्म में कुछ भी नया नही है. फिल्मकार ने एक ही फिल्म में फूहड़ हास्य के साथ माफिया गुंडे, भ्रष्ट नेता, भ्रष्ट पुलिस, भ्रष्ट प्रशासन और उपदेश देने वाले इमानदार चतुरनाथ सहित जो कुछ भी पिरो सकते थे, वह सब कुछ बेतरतीब तरीके से ठूंसा है. फिल्म देखकर अहसास होता है कि किसी अनाड़ी ने फिल्म की पटकथा लिखी है. फिल्म में अविश्वसनीय घटनाक्रमों व किरदारों की भरमार है. दर्शकों को जबरन हंसाने के लिए चतुरनाथ सायकल से गिरते हैं, डौक्टर जब देखो, तब अपने सहायक डाक्टर के गाल पर तमाचा जड़ते रहते हैं. नर्स सिर्फ आंख मारती रहती है. जिस फिल्म में सब कुछ बेसिर पैर हो, उस फिल्म के क्लायमेक्स के अच्छे होने की उम्मीद करना ही बेवकूफी है.

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निर्देशन

बतौर निर्देशेक स्वदेश बुरी तरह से विफल रहे हैं. यह उनकी विफलता ही है कि उन्होने ओंकारदास माणिकपुरी की प्रतिभा को भी जाया कर डाला. किसी भी किरदार को सही ढंग से चित्रित नहीं कर पाए.

अभिनय

फिल्म ‘पीपली लाइव’ फेम अभिनेता ओंकारदास माणिकपुरी ने इस फिल्म में चतुरनाथ के मुख्य किरदार के साथ ही उनके दो भाई बटुकनाथ व भैरवनाथ के भी किरदार निभाए हैं. फिल्म के वह नायक हैं, मगर अपने अभिनय से वह प्रभावित कर पाने में बुरी तरह से विफल रहे हैं.

फिल्म का गीत संगीत भी प्रभावहीन है.

Edited by Rosy

6 टिप्स: ऐसे करें औयली स्किन की देखभाल

अगर आपका भी स्किन औयली है तो आपके केयर करने की काफी जरुरत है क्‍योंकि इसका कोई इलाज नहीं है. आपको मार्केट में भी इसके लिए बहुत तरह की क्रीम मिलेगी. पर ये जरूरी नहीं कि ये क्रीम आपके लिए फायदेमंद साबित हो.

आपके किचन में ही इतनी सारी चीज हैं कि आपको मार्केट से क्रीम लेने की जरुरत ही नहीं है. अगर आप अपनी औयली स्किन से परेशान हैं तो अपनाएं ये टिप्स.

  1. चेहरे पर औयल रहित मौस्‍चोराइजर लगाएं यह अधिक साबुन और एस्ट्रिजेंट का असर कम करने में सहायक है. वरना चेहरा रुखा लगने लगेगा. जब चेहरे पर मौस्‍चोराइजर लगाएं तो बचा हुआ मौस्‍चोराइजर टिशू पेपर से पोंछ दें.

2. दिन में अपने चेहरे को किसी हल्‍के साबुन या फेसवौश से जरुर धोएं. चेहरे को साफ करने के लिए कोई हर्बल स्‍क्रब लें.

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3. खीरे के रस में कुछ बूंदे नींबू की मिला कर चेहरे पर 15 मिनट तक लगाएं और उसे ठंडे पानी से धो लें.

4. चेहरे की सफाई करने के लिए एस्‍ट्रिजेंट लोशन का उपयोग करें. रुई को उसमें डुबो कर अपने पूरे चेहरे पर लगाएं.

5. सेब और नींबू का रस एक मात्रा में मिलाएं और इसे चेहरे पर10-15 मिनट तक के लिए लगाएं. यह आपकी त्‍वचा को बिल्‍कुल निखार देगा.

6. चेहरे पर अंडे का सफेद भाग लगाएं और थोड़ी देर के बाद जब वह सूख जाए तो उसे बेसन के आंटे से साफ कर लें.

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नौतपा: धूप में इन 8 तरीकों से रखें अपने लिप्स का ख्याल

गरमी में हम जितना ख्याल स्किन का रखते हैं उतना हम अपने ब्यूटीफुल नही रख पाते. वहीं नौतपा में चलती लू और गरम हवाओं से लिप्स को भी नुकसान होता है. लिप्स ड्राई के साथ-साथ फट जाते हैं. जिससे हमारा फेस अच्छा नही लगता. डेली लाइफस्टाइल की वजह से भी हम लिप्स की केयर नही कर पाते. वहीं कुछ लोगों के लिए तो लिपबाम साथ रखना उतना ही जरूरी होता जाता है जितना कि पर्स रखना. क्योंकि लिप्स का मौइश्चर या औयल तेल की ग्रंथियां नहीं होतीं और न ही पौल्यूशन से बचाने के लिए बाल होते हैं. यही वजह है कि लिप्स जल्दी ड्राई हो जाते हैं और फटने लगते हैं. ऐसे में इस नौतपा यानी सबसे ज्यादा गरमी के नौ दिन में कैसे लिप्स की केयर करें इसके बारे में कुछ टिप्स आपको बताएंगे…

1. लिप्स पर मौइश्चर के लिए पानी है जरूरी

स्किन के लिए पानी सबसे ज्यादा जरूरी होता है जो लिप्स को पर्याप्त नमी प्रदान करना. स्किन और लिप्स में पर्याप्त नमी बरकरार रखने के लिए हर मौसम में बौडी को पानी की जरूरत होती है. इसलिए हो सके तो ज्यादा से ज्यादा पानी पिएं.

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2. लिप्स पर जीभ लगाने की आदत को भूलने की करें कोशिश

लिप्स पर बार-बार जीभ फिराने से लिप्स ड्राई हो जाते हैं या लिप्स की स्किन खिंचने लगती है. तब लिप्स को मुलायम और नम बनाए रखने के लिए मौइश्चर की जरूरत होती है. इसलिए कोशिश करें कि लिप्स पर जीभ फिराने की आदत छोड़ दें.

3. खाने में विटामिन बी शामिल करें

विटामिन बी पर्याप्त मात्रा में न लेने से न सिर्फ आप का पाचनतंत्र सही रहता है, बल्कि इससे आपके लिप्स की सेहत भी प्रभावित होती है. लिप्स के किनारे और मुंह के कोने ड्राई होकर फट जाते हैं. विटामिन बी की कमी से मुंह में अल्सर भी हो जाता है. ऐसे में लिप्स को हेल्दी रखने के लिए पर्याप्त मात्रा में विटामिन बी लें.

4. धूम्रपान से रहें दूर

धूम्रपान से लिप्स काले और ड्राई हो जाते हैं, इसलिए पिंक लिप्स के लिए तुरंत धूम्रपान छोड़ दें. सिगरेट पीने वालों के लिप्स काले रहते हैं.

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5. होममेड टिप्स का करें इस्तेमाल

शहद और नीबू की कुछ बूंदें मिला कर नियमित रूप से लिप्स पर लगाएं. इससे लिप्स की रंगत ठीक होगी और वे मुलायम भी रहेंगे. तेल भी लिप्स के लिए अच्छा होता है. आप औलिव औयल, सरसों का तेल या लौंग का तेल लिप्स पर लगा सकती हैं. इस से होंठ मुलायम और चमकदार रहेंगे. कैस्टर औयल भी लिप्स के लिए बेहतरीन है. यह लिप्स को फटने अथवा रंगत खराब होने से बचाता है.

6. यूवी किरणों से करें सुरक्षा

गरमी के दिनों में हम अधिकतर वक्त घर में बिताना चाहती हैं लेकिन औफिस और डेली लाइफस्टाइल के कारण आपको बाहर निकलना पड़ता है. ऐसे स्किन की तरह लिप्स को भी यूवी किरणों से सुरक्षित रखने की जरूरत होती है. लिप्स को ड्राई और काला होने से बचाने के लिए लिप बाम या जैल का इस्तेमाल करें, जो सूर्य की यूवी किरणों से सुरक्षा देता हो.

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7. लिप्स को भी चाहिए स्क्रबिंग

पिंक लिप्स के लिए उन पर नियमित रूप से स्क्रब लगाने की जरूरत होती है. लिप्स को स्क्रब करने के लिए आप औलिव औयल और शुगर पाउडर का मिक्सचर इस्तेमाल कर सकती हैं.

8. लिप्स की रंगत सुधारें

लिप्स को काला होने से बचाना चाहती हैं, तो नीबू का इस्तेमाल करें. नीबू में नेचुरल ब्लीच होती है, जिससे लिप्स के धब्बे आसानी से हल्के हो जाते हैं. लिप्स को पिंक कलर देने, उन्हें ठंडा रखने, मौइश्चराइज करने और ऐक्सफोलिएट करने के लिए चुकंदर और गुलाबजल का इस्तेमाल करें.

लिव-इन में कानून का हस्तक्षेप क्यों?

सही कहा है कि कानून अंधा होता है. असल में कानून की व्याख्या करते हुए हर जज अपनी भावनाओं और मान्यताओं को आस्तीनों पर चढ़ाए रखता है जिस में से निर्णय लिखते समय उस की व्यक्तिगत चाहत टपकती रहती है. राजस्थान उच्च न्यायालय के जज संजीव प्रकाश शर्मा ने एक निर्णय में कहा है कि लिवइन में रहना एक तरह से विवाह है और जोड़े में से कोई भी कहीं और विवाह नहीं कर सकता.

उन के सामने मामला आया था जब एक युवती ने अपने पार्टनर की शादी रुकवाने की अर्जी दी थी. कानून इस बात पर अब तक अड़ा रहा है कि जब तक विधि सम्मत तरीके से विवाह न हो साथ रहना विवाह नहीं है और साथ रहना और सोना अवैध नहीं है. शादी से दोनों को एकदूसरे के प्रति कुछ अधिकार मिलते हैं पर बिना शादी साथ रहने पर कोई अधिकार नहीं मिलता.

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लिवइन की आजादी जज संजीव प्रकाश शर्मा ने एक झटके में छीन ली. लिवइन का अर्थ ही यह है कि दोनों में से कोई भी बिना कारण बताए जब चाहे अलग हो जाए. ठीक है, दूसरे को इस में बहुत दर्द होता है पर इस ब्रेकअप का उत्तर न्यायालय या पुलिस में नहीं है. यह दर्द तो खुद ही झेलना होगा.

ब्रेकअप का दर्द जीवन में बहुत मोड़ों पर होता है. हर माता-पिता अपनी बेटी का विवाह बड़े यत्न से करते हैं पर वह विवाह बेटी का घर से ब्रेकअप होता है जिस का दुख सालों तक मातापिता को सताता है. यह प्रकृति का नियम है कि बड़े होने पर बच्चे अपने घोंसलों से जाएंगे. दर्द माता-पिता को ही नहीं भाईबहनों को भी होता है. यह ब्रेकअप लिवइन के ब्रेकअप से ज्यादा दर्द देता है. कानून क्या इस में भी टांग अड़ाएगा?

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ब्रेकअप सामाजिक प्रक्रिया है. यह बिना शादीशुदा में भी हो सकता है, शादीशुदा में भी. मानसिक रूप से ब्रेकअप के बाद साथ रहना एक जेल में रहने के समान है जिस में आप के पास कोई विकल्प नहीं होता. लिवइन पार्टनर कहीं विवाह कर रहा है तो इसलिए कि वह स्थायी, सुरक्षित माहौल चाहता है. दूसरा उस में अड़चन न डाले, यही अच्छा है.

Edited by-Rosy

जानें कैसा हो आपके नवजात शिशु का आहार…

नवजात शिशु की सिर्फ 3 मांगें होती हैं. पहली, वह अपनी मां के बाजुओं की गरमाहट चाहता है, तो दूसरी, वह स्तनपान का अपना आहार चाहता है और तीसरी, वह मां की उपस्थिति में अपनी सुरक्षा चाहता है. उस की ये तीनों ही मांगें स्तनपान से पूरी हो जाती हैं. बच्चे के जन्म के पहले ही दिन से बच्चा और मां एक अटूट बंधन में बंध जाते हैं, जो स्तनपान द्वारा और मजबूत होता जाता है. लेकिन पहले बच्चे के जन्म के समय मां को उस की देखभाल और आहार के बारे में ज्यादा पता नहीं होता, इसलिए कई बार वह गलतियां कर बैठती है.

नवजात शिशु का आहार कैसा हो इस के बारे में बता रहे हैं एशियन इंस्टिट्यूट औफ मैडिकल साइंस के सीनियर कंसल्टैंट जसप्रकाश सेन मजूमदार.

शुरुआती आहार: शिशु जब जन्म लेता है तो वह सिर्फ मां के दूध पर ही निर्भर रहता है. उसे पानी देने की भी जरूरत नहीं पड़ती. मां का दूध शिशु के लिए शुद्ध, मिलावट रहित और पोषक तत्त्वों से भरपूर होता है. इस का सही मात्रा में सेवन करवाने से बच्चा स्वस्थ रहता है और मां व शिशु में इस से भावनात्मक रिश्ता बन जाता है. ब्रैस्ट मिल्क में इम्युनोग्लोबुलिन (सुरक्षात्मक प्रोटीन) मिला होता है, जो शिशु को बाहरी संक्रमण से बचाता है.

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6 माह का होने तक आहार: नवजात शिशु शुरू में कुछ दिनों तक दिन में लगातार कई बार कुछ अंतराल पर दूध की मांग करता है. उस में पहले हफ्ते में वह दिन में 8 से 15 बार दूध की मांग करता है, तो पहले हफ्ते के बाद 6 से 8 बार. जो शिशु स्तनपान करते हैं वे डब्बाबंद दूध पीने वाले शिशुओं की तुलना में अधिक बार दूध पीने की मांग करते हैं. फिर 6 से 8 सप्ताह के बीच शिशु स्तनपान और सोने के नियम का पालन करने लग जाता है.

जसप्रकाश सेन मजूमदार का कहना है कि शिशु के जन्म से ले कर 6 महीने तक सिर्फ ब्रैस्ट फीडिंग करवानी चाहिए. इस में पहले दिन से 15 से 20 दिन तक हर 2 घंटे पर दोनों ब्रैस्ट से फीडिंग कराएं. इस के अलावा यदि शिशु की मांग और है, तो इस से ज्यादा भी फीडिंग करा सकती हैं. ऐसा करने से उसे पानी की भी जरूरत नहीं पड़ती है.

6 माह का होने पर: 6 माह की आयु से शिशु की अच्छी सेहत, बढ़त और विकास के लिए ऊर्जा के अतिरिक्त स्रोत और अन्य आवश्यक तत्त्व जरूरी होते हैं. उस के लिए मां का दूध पर्याप्त नहीं होता. इसलिए जब शिशु 6 माह का हो जाए तब मां के दूध के साथ उसे अर्ध ठोस आहार भी देना शुरू कर देना चाहिए. वह आहार ठोस आहार इसलिए नहीं होना चाहिए, क्योंकि ठोस आहार वक्त से पहले खिलाने से मोटापा, मधुमेह, उदर रोग, ऐलर्जी तथा अन्य विकृतियों का जोखिम बढ़ जाता है. इसी तरह अगर 6 महीने के बाद आहार देने में देरी की जाए तो बच्चे की सेहत पर बुरा असर पड़ सकता है.

6 महीने से 24 महीने का होने तक: यह समय किसी भी बच्चे के लिए अति संवेदनशील समय होता है, क्योंकि बच्चे के शरीर का सब से तीव्र विकास इसी समय होता है. बच्चे के शारीरिक वजन के आधार पर पोषण की जरूरत इस समय उच्चतम स्तर पर होती है. यही वह समय होता है जब कई बच्चों में कुपोषण की शुरुआत होने लगती है. बच्चे की पाचन प्रणाली 6 महीने की उम्र में ही इस काबिल हो जाती है कि वह अर्ध ठोस आहार को पचा पाए, क्योंकि 4 से 6 माह के दौरान उस का पेट और गुरदे परिपक्व हो जाते हैं. इस से मां के दूध के अलावा अन्य आहार को पचाने में उसे दिक्कत नहीं होती.

क्या दें आहार 6 महीने के शिशु को

– 6 महीने के शिशु को मां के दूध के साथ फू्रट जूस दें, जिस में संतरा, मौसमी, कीनू व सेब का जूस हो. ध्यान रखें कि जूस घर पर ही निकाल कर दें. वह बाजार का न हो.

– केले को मैश कर के दही या दूध के साथ दें.

– कस्टर्ड बना कर खिलाएं.

– चावल, सूजी की खीर व दलिया को दूध में पका कर खिलाएं.

– लौकी, गाजर, आलू जो उसे पसंद आए, उस का सूप बना कर दें. इन सब्जियों को मूंग की दाल की खिचड़ी में भी मिला कर दे सकती हैं.

– चावल के साथ मूंग की दाल मिला कर प्लेन खिचड़ी दें.

– ग्लूकोज बिस्कुट और दूध, दही दें.

– इडली, सांभर दें.

– इन सब ठोस आहार के साथ पानी हमेशा उबाल कर ठंडा कर के ही दें और कम से कम डेढ़, 2 साल तक बच्चे को ब्रैस्ट फीडिंग कराएं.

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आहार कैसे दें

पहली बार शिशु को कोई भी आहार कम मात्रा में ही देना चाहिए ताकि वह उस के स्वाद से परिचित हो सके. फिर धीरेधीरे उस की मात्रा बढ़ाती जाएं.

वैसे कोई भी नया भोजन देने से वह बच्चे को शुरुआत में अपच हो सकता है, इसलिए कोई भी एक खाद्यपदार्थ नियमित न दें. उसे बदलबदल कर दें और उस का असर देखें कि कहीं उसे उस से ऐलर्जी तो नहीं हो रही है. यह भी समों कि किसी भी फूड से अगर किसी बच्चे को ऐलर्जी हो रही है, तो यह जरूरी नहीं कि वह दूसरे बच्चे को भी नुकसान पहुंचाएगा.

क्यों होती है ऐलर्जी

बच्चे की सेहत की बुनियाद स्वस्थ खानपान पर ही टिकी होती है, लेकिन कई बार किसी खाने की चीज से बच्चे को ऐलर्जी हो जाती है. दरअसल, खानेपीने के जरीए जब बच्चे के शरीर में कोई बाहरी पदार्थ आता है तो उस का इम्यून सिस्टम शरीर की अन्य बीमारियों से लड़ने के बजाय उस बाहरी पदार्थ के प्रति अत्यधिक संवेदनशील हो कर गंभीर प्रतिक्रिया व्यक्त करने लगता है. इसी वजह से बच्चे में ऐलर्जी के लक्षण दिखने लगते हैं. अगर कोई चीज खाने के बाद बच्चे को पेट या सिर में दर्द, जीमिचलाना, खांसी, त्वचा पर चकत्ते, खुजली या दाने निकलने जैसी कोई समस्या हो तो उसे नजरअंदाज न करें.

इन के अलावा बच्चे में ऐलर्जी के कई और लक्षण भी देखने को मिलते हैं.

फिक्स्ड फूड ऐलर्जी: जिस चीज से बच्चे को ऐलर्जी होती है उसे खाते ही उस के होंठों में सूजन और गले में खुजली होने लगती है. ऐसी ऐलर्जी की पहचान और उपचार आसान है.

साइक्लिकल फूड ऐलर्जी: ज्यादातर बच्चों को यही ऐलर्जी होती है, लेकिन इस की पहचान और उपचार बहुत मुश्किल है. इस तरह की ऐलर्जी के लक्षण कभीकभी 3 दिन बाद दिखाई देते हैं, क्योंकि इस की प्रतिक्रिया इम्यून सिस्टम पर निर्भर करती है. आमतौर पर इस के लक्षण अलगअलग तरह से प्रकट होते हैं. अगर किसी बच्चे को दूध से ऐलर्जी है तो ऐसा भी हो सकता है कि उसे पनीर, दही या आइसक्रीम से भी ऐलर्जी हो. कुछ बच्चों को गेहूं, अंडा, मछली, लीची, अंगूर और अजीनोमोटो से भी ऐलर्जी होती है. इस ऐलर्जी के लक्षण अलगअलग होते हैं. कुछ बच्चों में उम्र बढ़ने के साथ ये लक्षण खत्म हो जाते हैं और कुछ में हमेशा बने रहते हैं.

ऐलर्जी से बचाव

– बच्चे की एक फूड डायरी बनाएं जिस में रोज सुबह से रात तक उसे खाने को कब क्या दिया गया और वह खाना किनकिन चीजों से मिल कर बना था, उस का पूरा विवरण दर्ज करें. इस से उपचार में मदद मिलेगी.

– रोज यह देखें कि कौन सी चीज खाने के बाद बच्चे में ऐलर्जी के लक्षण दिखते हैं. उस खास चीज के आगे स्टार का निशान लगा दें और बच्चे को कम से कम 4 दिनों तक उस खास चीज से दूर रखें.

– 5वें दिन बच्चे को वही चीज फिर से खाने को दें जिसे बंद किया था. उस खाने के बाद की प्रतिक्रिया का बारीकी से निरीक्षण करें. अगर वही चीज दोबारा शुरू करने से बच्चे में ऐलर्जी के लक्षण दिखें तो समों उसे साइक्लिकल ऐलर्जी है. उसे तुरंत डाक्टर के पास ले जाएं.

– ऐलर्जी से बचाने के लिए खानेपीने की चीजों के पैकेट पर लिखा विवरण ध्यान से पढ़ लें ताकि पहले से ही यह मालूम रहे कि जो बच्चे को खिलाने जा रही हैं उस में कोई ऐसा तत्त्व नहीं है जिस से उसे ऐलर्जी हो.

– जिस चीज से बच्चे को बारबार ऐलर्जी होती हो, उसे उस चीज से दूर रखें.

– बच्चे में ऐलर्जी का कोई भी लक्षण दिखाई दे तो पहले उस का टैस्ट कराएं और किसी अच्छे डाक्टर से इलाज कराएं, क्योंकि थोड़ी सी सावधानी से ऐलर्जी की समस्या से निबटा जा सकता है.

– इन सब बातों का कोई भी मां ध्यान रखेगी तो आसानी से अपने बच्चे को ऐलर्जी से बचा पाएगी.

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ध्यान देने वाली बातें

– 6 माह के बाद बच्चे के दांत निकलने शुरू हो जाते हैं. इस समय उस के दांतों में इरिटेशन होता है. उस इरिटेशन को शांत करने के लिए वह किसी भी चीज को मुंह में डाल लेता है और अपने मुंह में रखे रहता है. इस से दस्त होने की संभावना होती है. इस आदत को कम करने के लिए बच्चे को बिस्कुट या टोस्ट दें जिसे वह चूसता रहे.

– बच्चे का खाद्यपदार्थ पूरी तरह से पका हो.

– खाद्यपदार्थ मिर्चमसाले वाला व वसायुक्त न दें. वही दें जो वह पचा पाए.

– कैफीन युक्त पदार्थ न दें. इस से नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा.

– बहुत से बच्चों में अंगूठा चूसने की आदत होती है और यह आदत छुड़ाई न जाए तो उस के बड़े होने तक बनी रहती है. इस के लिए डाक्टर से सलाह ले कर अपने बच्चे के अंगूठे में दवा लगा दें, जिस से अंगूठा चूसने की उस की आदत छूट जाएगी. इस के अलावा घर पर ही आप उस के हाथों में कौटन के ग्लब्स पहना दें या अंगूठे पर नीम की पत्ती का लेप लगा दें. एक बार इस का टेस्ट लेने के बाद वह दोबारा मुंह में उंगली नहीं डालेगा.

एक्टिंग के साथ पढ़ाई में भी अव्वल हैं ‘सैराट’ की रिंकू राजगुरू

मराठी सिनेमा में नए इतिहास का सूत्रपात करने वाली मराठी भाषी फिल्म ‘‘सैराट’’ की अदाकारा रिंकू राजगुरू ने इस फिल्म के प्रदर्शन के बाद मिली शोहरत के बावजूद हाई स्कूल की परीक्षा में 66 प्रतिशत नंबर अर्जित किए थे.

लोगों ने दी थी पढ़ाई के बजाय एक्टिंग में ध्यान देने की राय

लोगों ने रिंकू राजगुरू को पढ़ाई की बजाय अभिनय पर ही ध्यान केंद्रित करने की सलाह दी थी. मगर रिंकू राजगुरू ने अभिनय के साथ पढ़ाई पर जोर दिया.‘सैराट’ के बाद रिंकू राजगुरू ने एक कन्नड़ फिल्म की. उसके बाद मराठी फिल्म ‘‘कागर’’ की,जो कि 26 अप्रैल 2019 को सिनेमाघरो में पहुंची. मगर उससे पहले 21 फरवरी से 15 मार्च के बीच रिंकू राजगुरू ने ‘‘महाराष्ट् राज्य उच्च माध्यमिक उच्चतर माध्यमिक शिक्षा बोर्ड’’द्वारा संचालित हायर सेकंडरी यानी कि 12वीं कक्षा की ‘कला’विभाग की परीक्षा दी थी.

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फिल्म रिलीज की बदली गई थी डेट

मजेदार बात यह है कि पहले ‘कागर’ 14 फरवरी को सिनेमाघरों में पहुंचने वाली थी और रिंकू राजगुरू ने फिल्म का प्रमोशन करना शुरू कर दिया था, पर 12 वीं की परीक्षा की तारीख घोषित होते ही इस फिल्म के प्रदर्शन की तारीख बदलकर 26 अप्रैल की गयी थी.

रिंकी राजगुरू ने 82% से 12th पास की

अब मंगलवार, 28 मई को ‘‘महाराष्ट् राज्य उच्च माध्यमिक उच्चतर माध्यमिक शिक्षा बोर्ड’’ने 12वीं कक्षा के परीक्षा परिणाम घोषित कर दिए हैं. इस परीक्षा को रिंकू राजगुरू ने 650 में से 533 नंबर यानी कि 82 प्रतिशत से पास कर ली है.जबकि हाई स्कूल में उन्हे सिर्फ 66 प्रतिशत अंक आए थे.

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12वीं कक्षा में रिंकू राजगुरू को सबसे कम नंबर अंग्रेजी भाषा में 100 में से 54 मिले हैं.जबकि सबसे अधिक भूगोल में 100 में से 98 अंक मिले हैं.मराठी और इतिहास में 86,पोलीटिकल साइंस में 83 और इकोनॉमिक्स में 77 अंक प्राप्त किए हैं.

ज्ञात हो कि जब 12वीं कक्षा की परीक्षा देने रिंक राजगुरू गयी थी, तब सोलापुर के तेम्भार्नी कौलेज ने सरकार से सुरक्षा के लिए ज्यादा पुलिस बल की मांग की थी. रिंकू राजगुरू का दावा है कि अब वह स्नातक की पढ़ाई मुंबई विश्वविद्यालय से कारोस्पेंडेंस @पत्राचार से करेंगी. इन दिनों वह ‘सैराट’ फेम निर्देशक नागराज मंजुले के ही निर्देशन में हिंदी फिल्म ‘‘झुंड’’ कर रही हैं.  इस फिल्म में उनके साथ अमिताभ बच्चन भी हैं.

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