सैलाब से पहले

भाग-1

कमरे में धीमी रोशनी देख इंदु ने सोचा शायद विनय सो चुके हैं. वह दूध का गिलास लिए कमरे में आई तो देखा विनय आरामकुरसी पर आंखें मूंदे बैठे हुए हैं. उन्हें माथे पर लगातार हथेली मलते देख इंदु ने प्यार से पूछा, ‘‘सिर में दर्द है क्या? लो, दूध पी लो और लेट जाओ, मैं बाम मल देती हूं,’’ और इसी के साथ इंदु ने दूध का गिलास आगे बढ़ाया.

‘‘मेज पर रख दो, थोड़ी देर बाद पी लूंगा,’’ आंखें खोलते हुए विनय ने कहा, ‘‘पुरू, क्या कर रही है…सो गई क्या?’’

‘‘नहीं, लेटी है. नींद तो जैसे उस की आंखों से उड़ ही गई है,’’ पुरू के बारे में बात करते ही इंदु का स्वर भर्रा जाता था, ‘‘क्या सोचा था और क्या हो गया. सच ही है, आदमी के चेहरे पर कुछ नहीं लिखा होता. अब दीनानाथजी और सुभद्रा को देख कर क्या कोई अंदाज लगा सकता है कि अंदर से कितने विद्रूप हैं ये लोग…कितने कू्रर…असुर. कुदरत ने दोनों बेटे ही दिए हैं न. एक बेटी होती तो जानते कि बेटी का दर्द क्या होता है. इन्हें हमारी फूल सी बेटी नहीं बस, पैसा नजर आ रहा था और वही चाहिए था,’’ इंदु सिसक पड़ी.

‘‘अब बस करो, इंदु…क्यों बारबार एक ही बात ले कर बैठ जाती हो,’’ विनय ने चुप कराते हुए कहा.

‘‘तुम कहते हो बस करो…मैं तो सहन कर लूंगी  पर जानती हूं कि तुम्हारे जी में जो आग लगी है वह अब कभी ठंडी नहीं पड़ेगी. बचपन से पुरू का पक्ष ले कर बोलते रहे हो…पुरू में तो जैसे तुम्हारे प्राण बसे हैं, क्या मैं यह जानती नहीं हूं? जब से पुरू ससुराल से इस तरह लौटी है, तुम्हारे दिल पर क्या बीत रही है, अच्छी तरह समझ रही हूं मैं. अपने दुखों को अंदर ही अंदर समेट लेने की तुम्हारी पुरानी आदत है.’’

इंदु लगातार बोले जा रही थी पर विनय आरामकुरसी पर अधलेटे, शून्य में टकटकी बांधे सोच में डूबे हुए थे…फिर अचानक बोल पड़े, ‘‘इंदु, सुबह जल्दी उठ जाना और हां, पुरू को भी जल्दी नहाधो कर तैयार होने के लिए कह देना… पुलिस स्टेशन चलना है. कुछ आवश्यक काररवाई बाकी है.’’

‘‘उन लोगों की जमानत तो नहीं हो गई? 4 दिन लाकअप में बंद रह कर होश ठिकाने आ गए होंगे दीनानाथजी और सुभद्रा के…और अरविंद, उसे तो कड़ी सजा मिलनी चाहिए. पराई बेटी पर अत्याचार करते इन लोगों को शर्म नहीं आई. पर विनय, इन लोगों को यों ही नहीं छोड़ना है…कड़ी से कड़ी सजा दिलवाना ताकि फिर किसी लड़की को ये लोग दहेज के लिए सताने की हिम्मत न कर सकें,’’ बोलतेबोलते इंदु की सांसों की गति तेज हो गई और वह लगभग हांफने सी लगी.

सच है, खुद कष्ट उठाना उतना कठिन नहीं होता जितना अपने प्रिय को कष्ट झेलते हुए देखना और बच्चे तो मांबाप के कलेजे के टुकड़े होते हैं…वे कष्ट में हों तो मांबाप चैन की सांस कैसे ले सकते हैं भला.

‘‘हां, इंदु, सजा जरूर मिलेगी…और मिलनी ही चाहिए… दोषी को सजा मिलनी ही चाहिए…’’ विनय ने दृढ़ता से कहा, ‘‘चलो, सो जाओ, सुबह जल्दी उठना है तुम्हें.’’

विनय के स्वर की दृढ़ता से आश्वस्त हो कर इंदु अपने पल्लू के छोर से आंसू पोंछती हुई कमरे से बाहर निकल गई. पिछले हफ्ते जब से पुरुष्णी ससुराल से दहेज के लिए प्रताडि़त हो कर बच कर भाग आई, इंदु ने एक पल को भी उसे अकेला नहीं छोड़ा था. रात में भी वह पुरू के पास ही लेटती थी और रातरात भर जाग कर कभी उस के माथे को तो कभी बालों को सहलाती रहती…मानो पुरू नन्ही बच्ची हो.

विनय की आंखों से नींद कोसों दूर थी. इंदु के जाते ही उन्होंने मेज पर नजर डाली…पीने के लिए दूध से भरा गिलास उठाया…दो घूंट जैसेतैसे गटके फिर मन नहीं हुआ, सो गिलास वापस मेज पर रख दिया. मन की बेचैनी को कम करने के लिए वह दोनों हाथों को कमर के पीछे बांधे कमरे में ही चहलकदमी करने लगे.

कभीकभी लगता है मानो समय रुक सा गया है पर समय कहां रुकता है…वह तो घड़ी की टिकटिक के साथ हमेशा गतिमान रहता है. हम ही आगेपीछे हो जाते हैं. जब पुरुष्णी छोटी थी तो विनय उस के लिए कितने आगे तक की सोच लेते थे और आज न चाहते हुए भी बारबार वह पीछे की ओर…अतीत में ख्ंिचे चले जा रहे थे. जिस गति से घड़ी की सुइयां निरंतर आगे की ओर बढ़ रही थीं उसी तीव्रता से विनय का विचारचक्र विपरीत दिशा में घूमने लगा था.

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विवाह के दिन कितनी प्यारी लग रही थी उन की पुरू. पुरू ही क्यों अरविंद भी. दोनों की जोड़ी देख मेहमान तारीफ किए बिना नहीं रह पा रहे थे. सुयोग्य वर और घर दोनों ही लड़की के सौभाग्य से प्राप्त होते हैं…ऐसा ही कुछ उस दिन विनय ने सोचा था. गर्व से सीना ताने अपने बेटे वरुण के साथ दौड़दौड़ कर व्यवस्था देखने में जुटे हुए थे. अपने दोस्त केदार पर भी उन्हें उस दिन नाज हो रहा था…वाह, क्या दोस्ती निभाई है दोस्त ने.

केदार ने ही तो यह इतना सुंदर रिश्ता सुझाया था. अरविंद कंप्यूटर इंजीनियर था और यहीं दिल्ली में ही कार्यरत था. पिता दीनानाथ महाविद्यालय में हिंदी विभागाध्यक्ष और मां सुभद्रा सीधीसादी घरेलू धार्मिक महिला थीं. छोटा भाई मिलिंद अभी कालिज में पढ़ रहा था. छोटा सा सुसंस्कृत परिवार. यदि चिराग ले कर ढूंढ़ते तो भी इस जन्म में ऐसा घरवर नहीं ढूंढ़ पाते, यह सोच कर केदार के प्रति विनय कृतज्ञ हो गए थे.

‘रिश्ता तो अच्छा है पर थोड़ी तहकीकात तो करवा लेते,’ इंदु ने कहा तो विनय तुरंत बोल पड़े, ‘अरे, केदार ने रिश्ता सुझाया है… अविश्वास का तो प्रश्न ही नहीं उठता, तहकीकात भला क्या करवानी है. भई, मुझे तो दीनानाथजी से बात कर के ही तसल्ली हो गई. ऐसे घर में पुरू को दे कर तो मैं निश्ंिचत हो जाऊंगा.’

इतना कहने के बाद विनय ने शरारत से मुसकरा कर इंदु की ओर देखा और बोले, ‘और एक बात इंदु, तुम्हारे मुकाबले तो सुभद्राजी 10 प्रतिशत भी नहीं हैं.’

‘किस बात में?’ इंदु ने इठला कर आतुरता से पूछा.

‘अरे भई, तेजतर्रारी में और किस में,’ विनय ने जोरदार ठहाका लगाया तो इंदु ने भी बनावटी गुस्से में आंखें तरेरीं. इतना उन्मुक्त हास्य आज पहली बार ही विनय के चेहरे पर देखा था. बेटी के भविष्य को ले कर आज कितने निश्ंिचत हो गए हैं विनय. यही सोच कर इंदु का मन तृप्ति से भर गया था.

पर यह सुखद स्वप्न चार दिन की चांदनी बन कर ही रह गया. पहली बार जब पुरू मायके आई तो इंदु की अनुभवी आंखों ने उस के चेहरे पर चढ़ी उदासी की परत को तुरंत ही ताड़ लिया था. खूब कुरेदकुरेद कर इंदु ने पूछताछ की फिर भी पुरू की उदासी का कारण जानने में असमर्थ ही रही. हर बार पुरू का एक ही उत्तर होता, ‘कहां मां…कुछ तो नहीं है… आप का वहम है यह…खुश तो हूं मैं.’

पुरू ससुराल लौट गई पर भ्रम के कांटे इंदु की मनोधरा पर जहांतहां बिखेर गई थी. पुरू के व्यवहार में कई अनपेक्षित बातें अवभासित हुई थीं इंदु को, जो समझ से परे थीं. बचपन से हर बात मां को बताने वाली पुरू अचानक इतनी चुपचुप सी क्यों हो गई…कहीं कोई कष्ट तो नहीं है ससुराल में…नाना प्रकार की अटकलों के बीच मन घूमता रहता.

और एक दिन चिंताओंदुश्ंिचताओं के बीच पुरू का वह पत्र, ‘आप नानानानी बनने वाले हैं…वरुण मामा बनेगा…’ ऐसा पुलकित कर गया था कि आनंदातिरेक में खुशी के आंसू बह निकले. अचानक ही सारे भ्रम, शंकाएंकुशंकाएं इस बहाव में जाने कहां तिरोहित हो गईं. मन पुन: स्वच्छ आकाश सा साफ हो गया.

विनय और वरुण तो खुशी के मारे फूले नहीं समा रहे थे. जहांजहां, जोजो ध्यान आया हरेक को फोन, ई-मेल, पत्र लिख कर यह शुभसमाचार दे रहे थे. इंदु तो भविष्य में आने वाले नन्हे मेहमान की क्याक्या तैयारी करनी होगी इसी सोच में रम गई थी.

इंदु ने गणित लगाया कि तीसरा महीना लगभग पूरा होने को है पुरू का. बस, केवल 6 माह की ही तो प्रतीक्षा है. पर ये 6 माह भी इंदु को 6 युग की तरह लंबे लग रहे थे. फिर भी समय निर्बाध गति से सरकता जा रहा था…सुख भरे दिन यों भी समय की लंबाई का एहसास नहीं कराते.

2 माह ही तो हुए थे इन सुखों की सौगात भरे एहसासों को चुनचुन कर समेटते हुए कि अचानक एक दिन सूटकेस ले कर दरवाजे पर पुरू को खड़ी पाया तो सब के सब खुशी से झूम उठे थे, ‘अरे बेटी, अचानक कैसे आना हुआ…फोन भी नहीं किया,’ खुशी से पुरू को गले लगाते हुए इंदु ने पूछा, ‘अरविंद कहां है?’ अरविंद को साथ न देख कर पुरू के पीछे आजूबाजू उत्सुकतावश इंदु झांकने लगी.

‘मैं अकेली आई हूं, मां. हमेशाहमेशा के लिए वह घर छोड़ कर,’ पुरू, इंदु से लिपट कर बिलख पड़ी और क्षण भर में ही वे सारे  सपने, जो विनय, वरुण और इंदु ने बड़े जतन से बुने थे, जल कर भस्म हो गए.

पुरू की बातों ने सब को स्तब्ध कर दिया था. विनय का तो इस बात पर रत्ती भर भी विश्वास नहीं जम रहा था कि सुभद्रा जैसी सीधीसादी महिला ने उन की पुरू को दहेज के लिए प्रताडि़त किया होगा. और दीनानाथ? दीनानाथजी पर तो उन्हें स्वयं से अधिक विश्वास था. एक बार वह स्वयं पुरू के साथ डांटफटकार कर सकते थे परंतु दीनानाथजी तो वात्सल्य की साक्षात मूर्ति थे.

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‘रहने दीजिए अपने तर्क…ये सब दुनिया को दिखाने के लिए पहने हुए मुखौटे हैं. ये तो अच्छा हुआ कि पुरू उन के चंगुल से बच कर निकल आई वरना कल को न जाने क्या सलूक करते वे लोग,’ इंदु क्रोधावेश से तप्त हो रही थी.

‘पर इंदु, यदि पुरू जो कह रही है वह सच भी हो तो क्या अरविंद ने उन्हें रोका नहीं होगा. अरविंद पर तो तुम्हें भरोसा है न. हमारे बेटे जैसा है वह. मुझे एक बार फोन कर के बात कर लेने दो उन लोगों से, वैसे भी पुरू के अचानक बिना बताए आ जाने से परेशान होंगे वे लोग,’ विनय अब भी वस्तुस्थिति पर भरोसा नहीं कर पा रहे थे.

‘पापा, आप भी न बस,’ वरुण झल्ला पड़ा, ‘अब भी उन्हीं लोगों की भलाई के बारे में सोच रहे हैं आप. वे परेशान हो रहे होंगे तो होने दीजिए. परेशान वे पुरू दीदी के लिए नहीं अपनी इज्जत के लिए हो रहे होंगे, जो अब हमारे हाथ में है. पुरू दीदी ठीक ही कह रही हैं कि उन सब के खिलाफ हमें पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करा देनी चाहिए,’ वरुण का नया खून अपनी पुरुष्णी दीदी को कष्ट में रोतेसिसकते देख पूरे उबाल पर आ गया था.

तत्क्षण विनय ने विरोध करते हुए कहा, ‘चलो, मान लेते हैं कि उन लोगों ने पुरू के साथ ज्यादती की है पर उन से मिले बिना…पूरी बात जाने बिना सीधे पुलिस काररवाई करना मुझे तो कुछ ठीक नहीं लगता,’ विनय कुछ सोचते हुए फिर बोले, ‘वरुण, एक काम करो. केदार को फोन मिलाओ, पहले उस से बात कर लूं फिर दीनानाथजी से मैं खुद जा कर मिल लूंगा.’

चिंताग्रस्त होने के बावजूद विनय अपने विवेक और विचारशीलता का धैर्यपूर्वक उपयोग करना अच्छी तरह जानते थे. हालांकि बेटी के कष्ट ने उन्हें अंदर तक हिला कर रख दिया था, फिर भी उन्हें यह एहसास था कि बेटी अब केवल उन की ही नहीं दीनानाथजी के घर की भी इज्जत है और फिर इस वक्त यह गर्भवती भी है. सारी स्थितियां रिश्तों के नाजुक धागों से गुंथी हुई थीं. विनय नहीं चाहते थे कि किसी भी झटके से एक भी धागा खिंच कर टूट जाए.

‘देखो, इंदु, पुरू तो अभी नादान है. भावावेश में यह जो कदम उठा बैठी है उस का नतीजा कभी सोचा है इस ने? जिस स्थिति में यह है…तुम तो अच्छी तरह समझती हो इंदु, फिर भी इस की बातों को शह दे रही हो. अरे, इतने करीबी रिश्ते क्या इतने कमजोर होते हैं, जो जरा सी विषमता से टूट जाएं. पुरू के साथ उस नन्ही जान के भविय के बारे में भी हमें सोचना होगा, जो इस वक्त उस के गर्भ में पल रही है,’ विनय धैर्य से स्थिति संभालने का पुरजोर प्रयास कर रहे थे.

पर बेटी के दुख से विचलित इंदु लगातार विनय पर जोर डाल रही थी कि अब दोबारा उस नरक में पुरू को नहीं भेजना है.

‘पानी सिर से गुजरने तक इंतजार करना तो मूर्खता होगी. उन लोगों ने लगातार पुरू पर दबाव डाला है कि मायके से 4-5 लाख की व्यवस्था कर दे. बहाना यह कि अरविंद को खुद का बिजनेस शुरू करवाना है. वह तो पुरू थी जो अड़ी रही कि मैं अपने मांबाप को क्यों परेशानी में डालूं…और नतीजा देखा? जान से मारने की धमकी दे डाली सुभद्रा ने तो.’

‘यदि यह बात थी तो पुरू ने हमें पहले कभी क्यों नहीं बताया…बोलो, पुरू,’ विनय ने पुरू का कंधा पकड़ कर झकझोरते हुए पूछा.

‘पापा, मैं आप को परेशान नहीं करना चाहती थी,’ पुरू की सिसकियां हिचकियों में बदलने लगीं.

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‘कुछ भी हो, पहले हमें दीनानाथ और सुभद्रा से मिल कर इस मामले को स्पष्ट तो कर लेना चाहिए कि वास्तविकता क्या है?’ विनय ने कहा.

पुरू फिर बिलख पड़ी, ‘मैं झूठ बोलूंगी, ऐसा लगता है क्या पापा आप को?’ इंदु की गोद में सिर छिपा कर पुरू लगातार रोए जा रही थी,

हनी ग्लेज्ड साबूदाना मिनी कटलेट

आपने कटलेट तो बहुत खाया होगा लेकिन क्या आपने कभी हेल्दी हनी ग्लेज्ड सागूदाना मिनी कटलेट ट्राई किया है. अगर आपको भी अपनी फैमिली को कुछ टेस्टी और हेल्दी खिलाना है तो हनी ग्लेज्ड सागूदाना मिनी कटलेट आपके लिए बेस्ट डिश है, जिसे आप बिना हेल्थ की टेन्शन लिए खा सकते हैं.

हमें चाहिए

1/2 कप साबूदाना

1 आलू उबला व मसला

1/2 कप ब्रैडक्रंब्स

50 ग्राम पनीर

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1 बड़ा चम्मच बारीक कटा अदरक व हरीमिर्च

1 छोटा चम्मच चाट मसाला

2 छोटे चम्मच शहद

1/4 छोटा चम्मच कालीमिर्च चूर्ण

1 छोटा चम्मच अमचूर पाउडर

कटलेट डीप फ्राई करने के लिए रिफाइंड औयल

1 छोटा चम्मच चाट मसाला

नमक स्वादानुसार.

बनाने का तरीका

साबूदाना को 6-7 घंटे पानी में भिगो कर रखें. फिर पानी निथार 1/4 कप फूले हुए साबूदाना को मिक्सी में ब्रश कर के अलग रख लें.

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बचे साबूदाना में पनीर, आलू व बाकी सारे मसाले मिलाएं. मनचाहे आकार के कटलेट बना कर साबूदाना के पेस्ट में लपेट कर डीप फ्राई कर लें.

शहद में चाट मसाला और नीबू का रस मिला कर प्रत्येक कटलेट पर थोड़ा सा डाल दें.

शायद यही सच है

भाग-1

बैंक से निकलते हुए भारती ने घड़ी पर निगाह डाली तो 6 बजे से अधिक का समय हो चुका था. यद्यपि उस के तमाम सहयोगी कर्मचारी 5 बजे से ही घर जाने की तैयारी में जुट जाते हैं, पर भारती को घर जाने की कोई जल्दी नहीं रहती. उस अकेले के लिए तो जैसे बैंक वैसे घर. एक अकेली जीव है तो किस के लिए भाग कर घर जाए. बैंक में तो फिर भी मन काम में लगा रहता है लेकिन तनहा घर में सोने व दीवारों को देखने के अलावा वह और क्या करेगी.

पार्किंग से भारती ने अपनी कार बाहर निकाली और घर की ओर चल दी. वही रास्ते, वही सड़कें, वही पेड़, कहीं कोई बदलाव नहीं, कोई रोमांच नहीं. एक बंधे बंधाए ढर्रे पर जीवन की गाड़ी जैसे रेंग रही है. सुस्त चाल से घर पहुंच कर वह सोफे पर निढाल सी जा पड़ी. अकसर ऐसा ही होता है, खाली घर जैसे उसे खाने को दौड़ता है. एक टीस सी उठती है, काश, कोई तो होता जो घर लौटने पर उस से बतियाता, उस के सुखदुख का भागीदार होता.

यद्यपि भारती अतीत की गलियों में भटकना नहीं चाहती, मन पर कठोरता से अंकुश लगाने की कोशिश करती रहती है लेकिन कभीकभी मन चंचल बच्चे सा मचल उठता है. आज भी भारती ने सोफे पर पड़ेपड़े आंखें बंद कीं तो उस का मन नियंत्रण में नहीं रहा. पलों में ही लंबीलंबी छलांगें लगा कर मन ने उस के अतीत को सामने ला खड़ा किया.

उन दिनों वह बी. काम. अंतिम वर्ष की छात्रा थी. कुदरत ने उसे आकर्षक व्यक्तित्व प्रदान किया था. ऊंची कद- काठी, गोरे रंग पर तीखे नाकनक्श, लंबे घने काले बाल जिन्हें चोटी के रूप में गूंध देती तो वह नागिन का रूप ले लेती.

उसे बनसंवर कर रहने का भी बेहद शौक था. जब भी वह परिधान के साथ मेल खाते टौप्स, चूडि़यां पहन पर्स लटकाए कालिज आती तो उस की सहेलियां उसे छेड़ते हुए कहतीं, ‘वाह, आज तो गजब ढा रही हो. रास्ते में कितनों को घायल कर के आई हो?’

वह भी बड़ी शोख अदा के साथ कहती, ‘तुम ने देखा नहीं, अभीअभी बेहोश लड़कों से भरी एम्बुलेंस यहां से गुजर कर अस्पताल की ओर गई है. वे सभी मुझे देख कर ही तो बेहोश हुए थे.’ फिर जोरदार ठहाके लगते.

पढ़ाई में भी वह अव्वल थी. उस की दिली इच्छा थी कि पढ़लिख कर वह बड़ा अफसर बने. इस के लिए प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी भी उस ने शुरू कर दी, लेकिन मांबाप उस की शादी कर के जिम्मेदारी से मुक्त होना चाहते थे. जब उस ने आगे पढ़ने की बहुत जिद की तो वे इस शर्त पर तैयार हुए कि जब तक कोई अच्छा मनपसंद लड़का नहीं मिल जाता वह पढ़ाई करेगी, लेकिन जैसे ही उपयुक्त वर मिल गया उसे पढ़ाई छोड़नी पड़ेगी.

एम. काम. का पहला सत्र शुरू हो गया था. वह पढ़ाई में व्यस्त हो गई थी और मांबाप उस के लिए लड़का ढूंढ़ने में. 2 भाइयों के बीच इकलौती बहन होने के कारण भारती मांबाप की लाड़ली भी थी और भाइयों की दुलारी भी. अपनी सुंदरता का गुमान तो उसे था ही, इसलिए जब पहली बार मांबाप ने उस के लिए लड़का देखा और बात चलाई तो उस का फोटो देखते ही वह बिदक कर बोली, ‘इसे आप लोगों ने पसंद किया है? इस की लटकी सूरत देख कर तो लगता है कहीं से दोचार जूते खा कर आया हो. मुझे नहीं करनी इस से शादी.’

मांबाप ने बहुतेरा समझाया कि लड़का पढ़ालिखा अफसर है, लेकिन भारती ने साफ मना कर दिया.

अगली बार उन्होंने भारती को न तो लड़के की फोटो दिखाई और न परिचय- पत्र. सीधेसीधे लड़के व उस के मातापिता को होटल में मुलाकात का समय दे दिया. इस बार भारती और चिढ़ गई, ‘जिस के बारे में मुझे कुछ जानकारी नहीं है, न उस की फोटो देखी है, उस के सामने अपनी प्रदर्शनी करने चली जाऊं?’

मांबाप ने समझाया, ‘देखो बेटी, हमें इन के बारे में संतोषप्रद जानकारी प्राप्त हुई है. तुम जो भी पूछना चाहो पूछ सकती हो. आखिर शादी तो तुम्हें ही करनी है. तुम्हारी तसल्ली के बाद ही बात आगे बढ़ेगी. तुम बेकार तनाव क्यों ले रही हो, कोई जबरदस्ती तो है नहीं,’ तब जा कर वह कुछ सामान्य हुई.

बातचीत केदौरान भारती ने लड़के के घर वालों से स्पष्ट कह दिया कि वह शादी के बाद घर बैठने वाली लड़कियों में से नहीं है. उस का कैरियर माने रखता है. वह महत्त्वाकांक्षी है और शादी के बाद भी वह नौकरी करेगी.

लड़के की मां ने साफ कह दिया, ‘बेटा, हमें तो घर संभालने वाली पढ़ीलिखी बहू चाहिए. अगर तुम 8-10 घंटे की नौकरी करोगी, सारा दिन घर के बाहर रहोगी तो हमें ऐसी बहू का क्या फायदा?’

बात खत्म हो गई पर घर आ कर मां ने भारती को फटकारा, ‘यह सब अभी से कहने की क्या जरूरत थी? शादी के बाद भी तो ये बातें की जा सकती थीं.’

इस पर तुनक कर भारती बोली थी, ‘अच्छा हुआ, अभी खुली बात हो गई. देखा नहीं आप ने, लड़के की मां को घर संभालने वाली, घर का काम करने वाली बहू नहीं नौकरानी चाहिए. इतना पढ़लिख कर भी रोटीदाल बनाओ, बच्चे पैदा करो, उन के पोतड़े धोओ और घर के कामों में जिंदगी बरबाद कर दो.’

कुछ समय गुजरने के बाद एक दिन मां ने भारती को विश्वास में लेते हुए कहा, ‘बेटा, हम देख रहे हैं कि हमारे पसंद किए लड़के तुम्हारी कसौटी पर खरे नहीं उतर रहे. अगर तुम ने अपनी तरफ से किसी को पसंद कर के रखा है तो हमें बता दो. तुम्हारी खुशी में ही हम सब की खुशी है.’

‘मम्मी, ऐसी कोई बात नहीं है,’ भारती बोली थी, ‘अगर होगी तो आप को जरूर बताऊंगी.’

लेकिन असलियत यह थी कि पिछले कुछ समय से अपने सहपाठी हिमेश के साथ भारती का प्रेमप्रसंग चल रहा था. भारती उसे अच्छी तरह से परख कर ही कोई फैसला लेना चाहती थी. वह जानती थी कि प्रेमी और पति में काफी फर्क होता है. उस ने सोच रखा था, हिमेश अगर उस की कसौटी पर खरा उतरेगा तभी वह अंतिम निर्णय लेगी और मां को इस बारे में बताएगी. 2 बहनों के बीच अकेला भाई होने के कारण हिमेश के मांबाप की सभी आशाएं उसी पर टिकी थीं.

छुट्टी का दिन था. भारती तथा हिमेश ने आज घूमने तथा किसी अच्छे से होटल में खाना खाने का प्रोग्राम बनाया. सिद्धार्थ पार्क के एक कोने में प्रेमालाप करते हुए हिमेश व भारती अपने भविष्य के रंगीन सपने बुनते रहे. तभी भारती ने कहा, ‘हिमेश, मैं बैंक की प्रतियोगिता परीक्षा में बैठ रही हूं. तैयारी शुरू कर दी है. तुम्हारी क्या योजना है भविष्य की?’

‘डैडी का अपना कारोबार है, जो दूसरे शहरों तक फैला हुआ है. मुझे तो वही संभालना है. बस, इस वर्ष की अंतिम परीक्षा के बाद मेरा सारा ध्यान अपने व्यवसाय में ही होगा.’

‘यह भी ठीक है. तुम अपने व्यवसाय में व्यस्त रहोगे और मैं अपनी बैंक की नौकरी में व्यस्त रहूंगी. वरना दिन भर घर में अकेली कितना बोर हो जाऊंगी,’ भारती ने कहा तो हिमेश हैरानी से बोला, ‘तुम अकेली कहां होेगी, मेरी बहनें और मां भी तो रहेंगी तुम्हारे साथ.’

‘हिमेश, एक बात अभी से स्पष्ट कर देना चाहती हूं, मैं संयुक्त परिवार में तालमेल नहीं बैठा पाऊंगी. छोटीछोटी बातों पर रोकटोक वहां आम बात होती है, जो मुझ से सहन नहीं होगी. फिर मैं शादी के बाद भी नौकरी पर जाती रहूंगी. तुम्हारी बहनों की पटरी भी मेरे साथ जम पाएगी, इस में मुझे शक है, इसलिए तुम्हें अपने परिवार से अलग रहने की मानसिकता अभी से बना लेनी चाहिए.’

भारती की बातें सुन कर हिमेश स्तब्ध रह गया. फिर भी अपनी ओर से उसे समझाते हुए बोला, ‘भारती, हर मांबाप की चाह होती है कि उन की बहू संस्कारी हो और घर के सदस्यों के साथ हिलमिल कर रहे, बड़ों को मानसम्मान दे. मेरे मातापिता की भी तो यही ख्वाहिश होगी, आखिर मैं उन का इकलौता बेटा हूं. उन की मुझ से कुछ उम्मीदें भी होंगी. मैं उन्हें छोड़ अलग कैसे रह सकता हूं?’

‘तो फिर मेरे और तुम्हारे रास्ते आज से अलगअलग हैं. मैं तो अपनी इच्छा से जीवन जीने वाली लड़की हूं. कल को मेरे उठनेबैठने और नौकरी करने पर तुम्हारे मम्मीडैडी किसी तरह का एतराज करें, यह मैं सहन नहीं कर सकती. इस से अच्छा है हम इस रिश्ते को यहीं समाप्त कर दें.’

‘भारती, तुम्हारी बातों से स्वार्थ की बू आ रही है,’ हिमेश बोला, ‘जिंदगी में केवल अपनी ही सुखसुविधाओं का ध्यान नहीं रखा जाता बल्कि दूसरों के लिए भी सोचना पड़ता है. केवल अपने लिए सोचने वाले स्वार्थी लोग अंदर से कभी खुश नहीं रह पाते…’

हिमेश की बात को बीच में काटते हुए भारती बोली, ‘अपनी दार्शनिकता अपने पास ही रहने दो. मुझे इन में कोई दिलचस्पी नहीं है और अब इस रिश्ते का कोई अर्थ नहीं रह जाता,’ वह उठ कर चल दी. हिमेश उसे पुकारता रहा लेकिन वह नहीं रुकी.

बैंक की प्रतियोगी परीक्षा में सफल हो कर भारती अधिकारी के पद पर नियुक्त हो गई. अब उस में बड़प्पन व अहम की भावना और बढ़ने लगी. इस बीच मांबाप द्वारा पसंद किए 2-3 और रिश्तों को उस ने ठुकरा दिया. कहीं लड़का स्मार्ट नहीं, कहीं उस की आय कम लगी तो कहीं परिवार बड़ा. उस के भाई की उम्र भी शादी के लायक हो गई थी. बेटी की कहीं बात बनती न देख कर मांबाप ने भारती के भाई की शादी कर दी. 2-3 साल और सरक गए. दोचार रिश्ते भारती के लिए आए तो कहीं लड़का अच्छी नौकरी न करता, कहीं लड़के की उम्र उस से कम होती. एक परिवार ने तो दबे स्वर में कह भी दिया कि लड़की इतनी नकचढ़ी है, खुद को आधुनिक मानती है, कैसे विवाह के बंधन को निभा पाएगी.

अब भारती की छवि नातेरिश्तेदारों में एक बिगडै़ल, क्रोधी, नकचढ़ी, बदमिजाज लड़की के रूप में स्थापित हो गई थी. इस बीच दूसरे बेटे के लिए रिश्ते आने लगे तो मांबाप ने अपनी जिम्मेदारी मान कर उस की भी शादी कर दी. भारती अब 30 वर्ष की उम्र पार कर चुकी थी. अब चेहरे का वह लावण्य कम होने लगा था, जिस पर उसे नाज था.

एक दिन पिता सोए तो सवेरे उठे ही नहीं. उन्हें जबरदस्त दिल का दौरा पड़ा था. घर भर में कोहराम मच गया. मां तो बारबार बेहोश हो जाती थीं. जब होश आता तो विलाप करतीं, ‘हमें किस के भरोसे छोड़े जा रहे हो…भारती के हाथ तो पीले करवा जाते. अब कौन करेगा.’

पिता की मृत्यु के बाद घर में उदासी पसर गई. दोनों बेटेबहुओं का व्यवहार भी बदलने लगा. छोटीछोटी बातों पर उलझाव, तनाव, कहासुनी होने लगी. इन सब के केंद्र में अधिकतर भारती ही होती. सालभर में ही दोनों बेटे अपनेअपने परिवारों को ले कर अलग हो गए. इस से मां को गहरा सदमा पहुंचा. एक दिन अपने गिरते स्वास्थ्य की दुहाई देते हुए वह बोलीं, ‘भारती बेटा, अगर मेरे जीतेजी तेरी शादी हो जाए तो मैं चैन से मर सकूंगी. मुझे दिनरात तेरी ही चिंता रहती है. मेरे बाद तू एकदम अकेली हो जाएगी. मेरी मान, मेरे दूर के रिश्ते में एक पढ़ालिखा इंजीनियर लड़का है, घर खानदान सब अच्छा है, एक बार तू देख लेगी तो जरूर पसंद आ जाएगा.’

‘मम्मी, तुम मेरी शादी को ले कर इतनी परेशान क्यों होती हो? अगर शादी नहीं हुई तो कौन सा पहाड़ टूट पड़ेगा? क्या जीवन की सार्थकता केवल शादी में है? आज मैं प्रथम श्रेणी की अफसर हूं. अच्छा कमाती हूं, क्या यह उपलब्धियां कम हैं?’

‘बेटा, औरत आखिर औरत होती है. अभी इस उम्र में ऊर्जा, सामर्थ्य होने के कारण तू ऐसी बातें कर रही है लेकिन उम्र ठहरती तो नहीं. एक दिन ऐसी स्थिति भी आती है जब व्यक्ति थक जाता है. तब वह अपनों का प्यार, संबल और आराम चाहता है. उम्र के उस पड़ाव पर जीवनसाथी का संग ही सब से बड़ा संबल बन जाता है. तुम खुद इतनी पढ़ीलिखी हो कर भी इन बातों को क्यों नहीं समझतीं? एक औरत की पूर्णता उस के पत्नी, मां बनने पर ही होती है. बेटी, अभी भी वक्त है, मेरी बातों पर गौर कर के इस रिश्ते को स्वीकार कर लो.’

मां की इन बातों का इतना असर हुआ कि भारती राजी हो गई. मोहित को देखने के बाद उस ने अपनी स्वीकृति दे दी. मोहित उम्र में परिपक्व था. 35 पार कर चुका था. उस ने भी भारती को पसंद कर लिया. मां उन की शादी जल्द से जल्द करना चाहती थीं ताकि कहीं कोई अड़चन न आ जाए. उन्हें आशंका थी, अत: शादी की तारीख भी एक महीने बाद की तय कर दी गई.   -क्रमश:

मेरी मां- ‘मां तू है तो लगता है महफूज हूं मैं’

रूना सिंघल,

मेरी मां मेरी सबसे अच्छी दोस्त, सबसे अच्छी सलाहकार. मेरी मां ने हर कदम पर मेरा साथ दिया मुझे हर काम करने के लिये प्रोत्साहित किया है. हमेशा मेरे एग्जाम की तैयारी कराना. घण्टो मेरे साथ बैठ कर ड्राइंग करवाना. एक वक्त ऐसा भी आया जब मैं बिल्कुल टूट गयी तब सिर्फ मां तुमने भरोसा किया तुम ने साथ दिया. मेरी जिंदगी के हर पहलू में हर फैसले में हर सही गलत का परिचय कराया. मेरे बाहर पढ़ने जाने के जब सब खिलाफ थे मां बस तुमने सबको मनाया और भरोसा भी दिलाया. जितना भी मां तुम्हारा धन्यवाद करूं कम है. बस दो पंक्तियां मां तुम्हारे लिये—-

“मां से बढ़कर कोई जन्नत नही होती, मां के बिना कोई खुशी पूरी नही होती

मां तू है तो लगता है महफ़ूज हूं मैं, क्योंकि मां तेरे बिना तो कुछ भी नही हूं मैं”

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मेरी मां- ‘हर गलती पर ऐसे बचा लेती थी मां…’

राखी लखन, (जानकीपुरम)

मां,

अथाह प्यार और त्याग का प्रतीक होती है. उसका सुख-दुख अपने परिवार में ही निहित होता है. बच्चा खुश हो तो मां खुश, उसे कोई परेशानी हो तो मां को दुगुनी परेशानी. ऐसी होती है मां. मेरी मां भी ऐसी ही थी. उनकी शादी 13 साल में होने के कारण वो बहुत ज्यादा पढ़ नहीं पाई थीं, लेकिन जितना भी पढ़ा था वो सब हम सबको बताया करती थीं. पढ़ाई और खाने के मामले में सख्त और वैसे बहुत ही प्यारी.

हर गलती पर बचा लेती मां…

घर में सबसे छोटी होने के कारण हमें विशेष प्यार करती थीं. हमेशा हर गलती पर ये कहकर बचा लेती थी हमें कि अभी छोटी है. बड़ी बहन कहती थी कि मां ये कब तक छोटी रहेगी. तो कहती थी मेरे लिए तो हमेशा ही रहेगी. आज मैं भी मां हूं एक बेटे की और आज उनकी कही हर बात समझ में आती है. उनकी चिंता, उनकी डांट और गुस्से के पीछे छुपा प्यार सब कुछ समझ में आता है.

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मुश्किल वक्त में नहीं मानी हार…

कुछ ही साल पहले की बात है जब वो बहुत बीमार हुईं और आईसीयू में एडमिट थी. हम सब जब उनसे मिलते और पूछते कि कैसी तबियत है तो यहीं कहती कि मैं ठीक हो जाऊंगी, तुम लोग चिंता मत करना. हम सब भी जानते थे कि कुछ ठीक नहीं है फिर भी वो हम लोगों को हिम्मत देती कि सब ठीक है. सब ठीक हो जाएगा. उनसे सीख मिली की परिस्थितियां कैसी भी हो हार नहीं माननी चाहिए.

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इस साल नहीं होगी वरुण-नताशा की शादी, पिता ने किया खुलासा

बौलीवुड में कुछ भी स्थायी नहीं होता. कब क्या बदल जाए, कह नहीं सकते. तभी तो वरूण धवन और उनकी प्रेमिका नताशा दलाल के विवाह की तारीखें भी बार-बार बदलती जा रही हैं. 2018 में चर्चाएं गर्म हुई थी कि वरूण धवन और नताशा 2019 की शुरूआत में शादी कर लेंगे. फिर खबर आयी कि वरूण धवन के जन्मदिन पर इनकी सगाई होगी और मई माह में दोनों गोवा में शादी होगी. पर वरूण धवन अपने जन्मदिन से एक दिन पहले विदेश चले गए थे. उसके बाद वरूण धवन के पिता डेविड धवन ने मीडिया के सामने आकर कहा था कि शादी टूटी नहीं है. यह शादी होगी जरुर.

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पिता ने किया खुलासा…

फिलहाल कुछ दिनो से खबरें गर्म थी कि वरूण धवन और नताशा दलाल इसी साल नवंबर या दिसंबर माह में जोधपुर में शादी करेंगे. लेकिन अब एक बार फिर वरूण धवन के पिता डेविड धवन ने ही पत्रकारों से कहा है कि नवंबर या दिसंबर माह में वरूण की शादी नहीं हो रही है.

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जल्द होगी अनाउंसमेंट…

इस बार डेविड धवन ने थोड़ा गुस्से मे पत्रकारों से कहा -‘‘कुछ पत्रकार बिना हमसे पूछे वरूण की शादी की तारीखें घोषित कर रहे हैं. सच यह है कि वरूण इस वर्ष शादी नहीं कर रहे हैं. वरूण धवन 2020 में शादी करेंगे. शादी की तारीख की घोषणा जल्द ही की जाएगी.’’ॉ

EDITED BY- NISHA RAI

9 टिप्स: गरमी में रखें बालों का ख्याल

कई बार नए हेयर लुक के चक्कर में नुकसान वाले कैमिकल या ऐलर्जी वाले प्रौडक्ट्स से बालों को नुकसान उठाना पड़ता है. इसके अलावा बालों को रोजाना पौल्यूशन, धूल, गंदगी और धूप का सामना भी करना पड़ता है, जिससे यह नुकसान कई गुना बढ़ सकता है. कोई भी इस तरह के नुकसान झेलना नहीं चाहता. लिहाजा अगर आप ड्रायर, ब्लोअर और स्ट्रेटनर जैसे स्टाइलिंग प्रोडक्ट्स या जैल या अल्कोहल वाले स्प्रे या अन्य खतरनाक कैमिकल प्रोडक्ट्स के इस्तेमाल से अपने बालों पर बहुत ज्यादा इस्तेमाल कर रही हैं, तो सावधान हो जाएं और अपने बालों की अतिरिक्त देखभाल पर ध्यान देना शुरू कर दीजिए. इसीलिए आज हम आपको कैम्कल वाले प्रोडक्टस से बालों की केयर कैसे करें इसके बारे में बताएंगे.

1. हेयर की सफाई है जरूरी

देखभाल की बुनियादी शुरुआत बालों की सफाई से होती है. यदि आप अपने बाल नियमित रूप से नहीं धोती हैं और उन्हें साफ नहीं रखतीं तो बालों की जड़ें कमजोर पड़ जाएंगी और हेयरस्टाइलिंग प्रोडक्ट्स का नियमित इस्तेमाल बालों का नुकसान बढ़ा देगा. इसके अलावा डीप कंडीशनिंग का नियमित इस्तेमाल आप के बालों को स्वस्थ रखेगा. उससे हेयरस्टाइलिंग उत्पादों के अत्यधिक इस्तेमाल से बेजान और शुष्क नजर आने वाले बाल भी सुरक्षित और पोषित रहेंगे.

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2. बालों की केयर के लिए डर्मेटोलौजिस्ट से मिलें

विटामिन ए, फौलिक ऐसिड, विटामिन बी कौंप्लैक्स, प्रोटीन तथा कैल्सियम जैसे सप्लिमैंट्स बालों के लिए अच्छे होते हैं. यदि आपके बाल पतले हो रहे हैं, तो किसी अच्छे डर्मेटोलौजिस्ट से मिलें, जो आप को उचित विटामिन लेने की सलाह दे सके.

3. बालों को सुखाने के लिए ड्रायर के इस्तेमाल से बचें

गरम हवा वाले ड्रायर का इस्तेमाल कम करना ही अच्छा होता है. इसके बजाय आप बालों से टपकते पानी को सावधानी से निचोड़ लें और फिर तौलिए से पोंछ लें. यदि आप को ड्रायर का इस्तेमाल करना ही पड़ जाए तो याद रखें कि ब्लोअर से निकलने वाली गरम हवा बालों पर तेजी से पड़ती है और इस प्रक्रिया में रोमकूपों (हेयर फौलिकल्स) को काफी नुकसान पहुंचता है. इस नुकसान से बचने के लिए नर्म मूस (एक प्रकार का जैल) लगा कर बालों को ड्रायर से सुखाएं. कोई भी मूस जहां बालों के स्टाइल बदलने में कारगर होता है, वहीं नर्म मूस बालों की बेहतर सुरक्षा भी करता है.

4. अल्कोहल या कैमिकल प्रौडक्टस के इस्तेमाल से बचें

अल्कोहल या अन्य हानिकारक रासायनिक तत्त्वों वाले स्टाइलिंग प्रोडक्ट्स भी बालों को नुकसान पहुंचाते हैं. इसलिए ऐसे तत्त्वों वाले उत्पादों के इस्तेमाल से बचें या जहां तक संभव हो सके, इन का कम से कम इस्तेमाल करें.

5. हेयर कलरिंग का करें कम इस्तेमाल

बालों की स्टाइलिंग के लिए हेयर कलरिंग करने का चलन भी बढ़ा है, लेकिन हमें सिलिकौन युक्त हेयर कलर और अल्कोहल युक्त हेयर कलर के इस्तेमाल से बचना चाहिए. इन से बालों में रूसी, खुजली तथा बालों के झड़ने जैसी समस्याएं पैदा हो सकती हैं.

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6. हीट वाले प्रौडक्टस की बजाय बालों में करें औयलिंग

बालों को हीट देने, आयरनिंग करने या घुंघराला बनाने के लिए स्टाइलिंग उत्पादों के इस्तेमाल से बचें. बालों को पोषण देने का खयाल भी रखें. इस के लिए अपनी स्कैल्प की नियमित रूप से मालिश करें. स्कैल्प और बालों की मालिश के लिए कुनकुने औलिव औयल या नारियल तेल का इस्तेमाल करें. इस से बालों में नमी लौट आएगी और बालों का सूखापन दूर होगा. बहुत ज्यादा तेल लगाना भी अच्छा नहीं होता. सप्ताह में एक बार ही तेल लगाना पर्याप्त होता है. पूरी रात बालों में तेल लगाए रखना भी जरूरी नहीं है, बल्कि 2-3 घंटे ही पर्याप्त होते हैं. बालों पर बहुत ज्यादा मालिश या बहुत ज्यादा तेल का इस्तेमाल न करें, क्योंकि तब आप को तेल से छुटकारा पाने के लिए बहुत ज्यादा शैंपू लगाना होगा और इस का भी बालों पर बुरा असर ही होगा.

7. मैडिकल थेरैपीज भी रहेगा बालों के लिए बेस्ट

स्कैल्प में नई ऊर्जा का संचार करने वाली कुछ मैडिकल थेरैपीज हमेशा अच्छी मानी जाती हैं. मसलन स्टेम सेल थेरैपी, पेप्टाइड थेरैपी, एलईडी थेरैपी और रिजुविनेटिंग औरेंज लाइट थेरैपी. ये बालों के विकास में तेजी लाती हैं और रूसी तथा बालों से संबंधित अन्य समस्याओं से बचाए रखती हैं.

8. नेचुरल कंडीशनर का करें इस्तेमाल

नेचुरल कंडीशनर का इस्तेमाल भी फायदेमंद रहता है. दही, अंडे की सफेदी, हिना आदि चीजें प्राकृतिक कंडीशनर का काम करती हैं और बालों को स्वस्थ बनाए रखने में कारगर होती हैं. इन से आप के बेजान और शुष्क बालों को भी नवजीवन मिलता है.

9. अपनी रेगुलर डाइट का करें इस्तेमाल

पौष्टिक खानपान का पालन करें क्योंकि आप के बालों की सेहत इस पर भी निर्भर करती है. अंडा, चिकन, ओमेगा 3 फैटी ऐसिड जैसे प्रोटीनयुक्त भोजन और मछली, बादाम और अखरोट जैसी आयरन युक्त चीजों के अलावा गाजर और दालों का सेवन करें, जिन में विटामिन और फौलिक ऐसिड की प्रचुरता होती है. इन चीजों से आप के बाल स्वस्थ बने रहेंगे.

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Edited by Rosy

जानें क्यों वायरल हो रहा है एकता कपूर और स्मृति ईरानी का ये VIDEO

लोकसभा 2019 में हुए चुनावों में राहुल गांधी को हराने के बाद सांसद स्मृति ईरानी अपनी दोस्त और टीवी क्वीन एकता कपूर के साथ गरमी में 14 किमी दूर पैदल चलकर मुंबई के सिद्धिविनायक पहुंचीं. इसी बीच एकता कपूर का स्मृति ईरानी से सवाल पूछते हुए एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है.

टीवी प्रोड्यूसर एकता कपूर ने शेयर किया वीडियो

ये वीडियो एकता कपूर ने तब बनाया, जब दोनों उनकी कार से वापस लौट रहे थे. इस वीडियो में स्मृति एकता को अपनी मन्नत के बारे में बता रही हैं. एकता कपूर के सवाल पर स्मृति ईरानी बोल रही हैं कि ‘ईश्वर ने मन्नत पूरी की है’ इस वायरल वीडियो के साथ एकता कपूर ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर एक फोटो शेयर करते हुए कैप्शन में लिखा- ’14 किलोमीटर सिद्धिविनायक के बाद वाला ग्लो’

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14 kms to SIDDHI VINAYAK ke baaad ka glow ?

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फैंस को पसंद आ रहा है वीडियो

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सोशल मीडिया पर ये फोटो और वीडियो तेजी से वायरल हो रहा हैं. वहीं कुछ घंटे पहले शेयर किए इस वीडियो को अब तक लाखों लोगों ने देखा है.

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बता दें कि साल 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को भारी बहुमत से विजय मिली है.वहीं स्मृति ईरानी ने कांग्रेस अध्क्षय राहुल को अमेठी से हराया है. जिसके बाद स्मृति ईरानी अपनी खास दोस्त एकता कपूर से मिलने मुंबई पहुंचीं थीं

फिर ट्रोल हुई अजय देवगन की बेटी, जानें क्यों फूटा लोगों का गुस्सा

बौलीवुड सेलेब्स आए दिन सोशल मीडिया का शिकार होते रहते हैं और अब इस कड़ी में बौलीवुड के स्टार किड्स का नाम भी जुड़ता जा रहा है. वहीं अब इस लिस्ट में एक्टर अजय देवगन और एक्ट्रेस काजोल की बेटी न्यासा देवगन नाम भी जुड़ गया है. न्यासा की कुछ फोटोज सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं, जिसके कारण वह सोशल मीडिया पर ट्रोलिंग का शिकार हो गई.

दादा के निधन के बाद सलून जाते दिखीं न्यासा

इस फोटो में अजय देवगन की बेटी कुछ इस अंदाज में ब्यूटी सलून के बाहर दिखाई दी. वो ट्रोलिंग का शिकार इसलिए हुई क्योंकि एक दिन पहले ही उनके दादा वीरू देवगन का निधन हुआ है. ऐसे में न्यासा का इस तरह घूमना लोगों को पसंद नहीं आया.

सैलून के बाहर हौट अंदाज में दिखीं न्यासा

 

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#nysadevgan spotted after salon session

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न्यासा देवगन सलून के बाहर ब्राउन कार्गो पैंट के साथ वाइट स्नींकर्स में दिखाई दी. इस ड्रेस में न्यासा क्यूट दिख रही थीं. सलून के बाहर न्यासा देवगन मुस्कुराते हुए मीडिया के कैमरों में कैद हो गईं.

दादा वीरू देवगन के निधन पर न्यासा के लुक पर हुईं ट्रोल

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दादा वीरू देवगन के निधन के सिर्फ एक दिन बाद न्यासा देवगन का हौट लुक में दिखना उनके लिए मुसीबत बन गया है. सोशल मीडिया पर उनकी इन फोटोज को लेकर यूजर कई तरह के कमेंट्स कर रहे हैं. देवगन परिवार में दादा वीरू देवगन के निधन के बाद शोकाकुल का माहौल है. ऐसे में पोती न्यासा का इस तरह घूमने पर सोशल मीडिया पर ट्रोल होना लाजिमी है.

दोस्तों के साथ चिल करती दिखीं न्यासा देवगन

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सोशल मीडिया पर वायरल फोटोज में न्यासा देवगन सलून के बाहर फ्रेंड्स के साथ बातें और चिल करती दिखाई दी.

परिवार में गमगीन माहौल 

बता दें, एक्टर अजय देवगन के पिता वीरू देवगन के निधन के बाद ना सिर्फ देवगन फैमिली बल्कि पूरे बौलीवुड में शोक की लहर छाई हुई है.  वहीं वीरू देवगन के अंतिम संस्कार के दौरान अजय देवगन ने जहां नम आंखों से उनको आखिरी प्रणाम किया था तो वहीं काजल भी फूट- फूटकर रोती हुईं दिखाई दीं.

दलिया विद हनी

गरमी में हेल्थ का ख्याल रखना जितना जरूरी है. उतना ही सही खाना भी जरूरी होता है. इसलिए आज हम आपको हेल्दी डिश दलिया विद हनी के बारे में बताएंगे, जिससे आप अपनी हेल्थ का भी ख्याल रख सकती हैं. तो आपको बताते हैं दलिया विद हनी की रेसिपी के बारे में…

हमें चाहिए…

1/2 कप दलिया

2 छोटे चम्मच ब्राउन शुगर

3 बड़े चम्मच शहद

1 बड़ा चम्मच घी

1 बड़ा चम्मच किशमिश

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1 छोटी इलायची

1 इंच टुकड़ा दालचीनी

1 बड़ा चम्मच बादाम की कतरन

1/4 छोटा चम्मच इलायची चूर्ण.

बनाने का तरीका

1 बड़ा चम्मच दलिए को सूखा भून लें. फिर पानी में 1/2 घंटा भिगो कर रखें. एक नौनस्टिक कड़ाही में घी गरम कर के छोटी इलायची व दालचीनी का तड़का लगा कर पानी निथार कर दलिया डाल दें.

दलिए को 2 मिनट उलटेपलटें. अब उस में 1 कप कुनकुना पानी डाल कर धीमी आंच पर दलिए के गलने और पानी सूखने तक पकाएं. फिर इस में शहद और चीनी डालें.

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किशमिश और बादाम की आधी कतरन डाल कर धीमी आंच पर मिश्रण के थोड़ा सूख जाने तक पकाएं. इलायची चूर्ण और बची बादाम कतरन से सजा कर सर्व करें.

Edited by Rosy

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