दलिया विद हनी

गरमी में हेल्थ का ख्याल रखना जितना जरूरी है. उतना ही सही खाना भी जरूरी होता है. इसलिए आज हम आपको हेल्दी डिश दलिया विद हनी के बारे में बताएंगे, जिससे आप अपनी हेल्थ का भी ख्याल रख सकती हैं. तो आपको बताते हैं दलिया विद हनी की रेसिपी के बारे में…

हमें चाहिए…

1/2 कप दलिया

2 छोटे चम्मच ब्राउन शुगर

3 बड़े चम्मच शहद

1 बड़ा चम्मच घी

1 बड़ा चम्मच किशमिश

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1 छोटी इलायची

1 इंच टुकड़ा दालचीनी

1 बड़ा चम्मच बादाम की कतरन

1/4 छोटा चम्मच इलायची चूर्ण.

बनाने का तरीका

1 बड़ा चम्मच दलिए को सूखा भून लें. फिर पानी में 1/2 घंटा भिगो कर रखें. एक नौनस्टिक कड़ाही में घी गरम कर के छोटी इलायची व दालचीनी का तड़का लगा कर पानी निथार कर दलिया डाल दें.

दलिए को 2 मिनट उलटेपलटें. अब उस में 1 कप कुनकुना पानी डाल कर धीमी आंच पर दलिए के गलने और पानी सूखने तक पकाएं. फिर इस में शहद और चीनी डालें.

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किशमिश और बादाम की आधी कतरन डाल कर धीमी आंच पर मिश्रण के थोड़ा सूख जाने तक पकाएं. इलायची चूर्ण और बची बादाम कतरन से सजा कर सर्व करें.

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‘‘संघर्ष और प्रतिद्वंद्विता तो हमेशा रहेगी, इन्हें हमेशा सकारात्मक नजर से देखें.’’

तान्या रस्तोगी ज्वैलरी ऐक्सपर्ट और क्यूरेटर हैं. उन्हें सुंदर और आकर्षक ज्वैलरी मास्टरपीस बनाने के लिए जाना जाता है. इन का संबंध नवाबों के परिवार ‘लाला जुगल किशोर ज्वैलर्स’ से है, जो सदियों से अवध के नवाबों के ज्वैलर रहे हैं. तान्या रस्तोगी को ‘लाइफटाइम अचीवमैंट अवार्ड’ और ‘रिटेल ज्वैलर इंडिया अवार्ड’ से सम्मानित भी किया जा चुका है. ‘गोल्ड ज्वैलरी औफ द ईयर’ में नौमिनेशन के लिए भी वे पहचानी जाती हैं. उन्होंने अपना खुद का इनहाउस प्रोडक्शन भी स्थापित किया है, जो डिजाइन कौन्सैप्ट पर आधारित है. पेश हैं, तान्या रस्तोगी से हुई गुफ्तगू के कुछ अंश:

इस फील्ड में आने की प्रेरणा कैसे मिली?

मेरा झुकाव शुरू से ही डिजाइनिंग और कला की ओर रहा है. ज्वैलरी पहनावे की कला का एक रूप है और इस की यही बात मुझे हमेशा आकर्षित करती है. मैं ने दिल्ली के एक संस्थान से जैमोलौजी और डिजाइनिंग का कोर्स किया है. मेरे पिता का वाराणसी में बनारसी साडि़यों का व्यापार था और यह संयोग की बात है कि मेरी शादी भी ज्वैलर्स के घर हुई.

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ऐसी कौन सी बात है, जो आप को ये सब करने को प्रेरित करती है?

मैं अपनी ऐग्जिबिशन कर्णफूल के लिए ज्वैलरी डिजाइन कर रही थी. मुझे हमेशा अलग डिजाइनें बनाना पसंद रहा है. इसी दौरान पता चला कि मुझे 150 साल पुरानी खानदानी अवधी नवाबों की विंटेज ज्वैलरी पर काम करने की अनुमति मिली है. मैं ने इसे नई जैसा बनाया और इस तरह ‘ज्वैल्स औफ अवध’ का पहला लिमिटेड ऐडिशन तैयार किया. इसे मिली जबरदस्त प्रतिक्रिया से ‘ज्वैल्स औफ अवध’ का नाम बना जो अब लखनऊ स्थित लाला जुगल किशोर ज्वैलर्स के आउटलेट में एक लाउंज है, जहां मैं दुलहनों की सजावट पर काम करती हूं.

इस फील्ड में महिलाओं के लिए कितना स्कोप है?

यह एक कलात्मक क्षेत्र है. फिर भी कुछ मूल बातों की जानकारी होनी आवश्यक है. डिजाइनिंग कैरियर का एक अहम हिस्सा है, लेकिन अपनी धातुओं और रत्नों की समझ ही कैनवास को वास्तविकता में बदलने में अहम भूमिका निभाती है. इस क्षेत्र में आने की उत्सुक सभी महिलाओं को मेरी सलाह है कि वे बुनियादी बातें सीखने पर ध्यान दें. किसी मैंटोर के साथ काम करने से आप को कलाकारी के बेहतरीन तरीके सीखने में मदद मिलेगी.

यहां तक पहुंचने के क्रम में किन संघर्षों का सामना करना पड़ा?

मैं एक प्रगतिशील परिवार से हूं, जो मुझे इस बिजनैस में देखना चाहता था. मुझे ज्वैलरी डिजाइनिंग व जैमोलौजी में डिग्री लेने के लिए प्रोत्साहित किया गया. लेकिन यह तब तक आसान नहीं था जब तक कि मैं उन के भरोसे पर खरी नहीं उतरती. दिनप्रतिदिन बाजार बदल रहा है. एक महिला के तौर पर आप को अपनी जगह बनानी होती है. इंडस्ट्री के अन्य लोगों के बीच खुद को स्थापित करना होता है. यह सुनिश्चित करने के लिए मैं लगातार पढ़ती रही और खुद को अपडेट रखा. आज मैं इंडस्ट्री फोरम और बिजनैस चैनल में इस इंडस्ट्री का प्रतिनिधित्व करती हूं. मुझे इंडस्ट्री को यह समझाने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा कि मैं एक साधारण ज्वैलरी डिजाइनर से कहीं बढ़ कर हूं.

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अपना मैंटोर किसे मानती हैं?

अपने ससुर अंबुज रस्तोगीजी को. उन्होंने ही मुझे ज्वैलरी और रत्नों की पेचीदगियां सिखाईं.

सकारात्मक दृष्टिकोण बनाए रखने के लिए किन बातों पर ध्यान देना आवश्यक है?

मुझे लगता है कि सकारात्मकता बनाए रखना एक निरंतर प्रयास है. जीवन में कई उतारचढ़ाव आते हैं. आप को बुरे समय में भी अपना उत्साह बनाए रखना चाहिए. संघर्ष और प्रतिद्वंद्विता तो हमेशा रहेगी. इन्हें सकारात्मक नजर से देखें. इन की वजह से खुद का मनोबल न गिरने दें.

समाज में स्त्रियों के प्रति लगातार हो रहे अपराधों के संदर्भ में क्या कहेंगी?

यह काफी दुखद है. इस से भी बुरा यह है कि महिलाएं अपने लिए लड़ने से डरती हैं और किसी भी तरह की मदद लेने से मना कर देती हैं. हालांकि मीडिया जिस तरह से विभिन्न अभियानों के माध्यम से उन्हें उन के अधिकारों के बारे में शिक्षित और प्रोत्साहित कर रहा है उस की मैं तारीफ करती हूं. मेरी निजी सोच यह है कि जब तक आप स्वयं की मदद नहीं करेंगी, कोई अन्य आप की मदद नहीं कर पाएगा.

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मेरी मां- “जब दंगों के दौरान मां ने दिखाई ऐसी हिम्मत”

मेरी प्यारी मां,

हमारी उम्र चाहे कितनी भी  हो जाएं लेकिन जब भी हमे सहारे की जरूरत होती है या यूं कहे कि जब दुनियाभर में आपको कोई अपना नजर नहीं आता तब हमें मां की गोद ही नजर आती है. जहां हम सब कुछ भूल कर सुकून प्राप्त कर सकते है, बस ऐसी ही जगह है मेरे लिए मेरी मां की गोद.

बचपन से मैने जब भी उन्हें देखा, हमेशा दूसरों के लिए समर्पित पाया. एक बार मेरी दादी ने उन्हें देख कर कहा था कि इसकी ट्रेनिंग बड़ी ही सधे हुए हाथों में हुई है. तब तो मुझे उसका मतलब समझ नही आया था पर आज जब मै भी ब्याह कर अपने घर आ  गई हूं और खुद भी एक मां बन गई हूं तब मुझे मां की फुर्ती का अहसास होता है. मैं आज भी जब अपने घर को संभालती हूं तो ऐसा लगता है कि मां साए की तरह मेरे साथ है और मुझे हर काम सिखा रही हैं.

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कुछ भी नहीं भूलती थी मां…

वह ज्यादा पढ़ी-लिखी नहीं थी. पर हम सब को इंग्लिश में पोयम याद कराती थी, बाबा कहते थे कि मां जो एक बार सुन लेती है वह भूलती नहीं हैं, इसलिए बाबा जब हमें पढ़ाते थे तब पास में सेव बनाती वह सब याद कर लेती और फिर परीक्षा के समय याद दिलाती कि यह पाठ याद कर लिया.

याद है मां की ये खूबी…

उनकी एक बड़ी ही दिलचस्प खूबी है जो हम भाई, बहनों को भाती थी और आज हमारे बच्चों की भी इसी खूबी के कारण वह प्रिय है. जब भी बच्चे  खाना खाते वह कहानी सुनाती और वह कहानी तब तक खत्म नहीं होती. जब तक बच्चे अपना खाना खत्म नहीं कर लेते. उनकी यही खूबी मुझे विरासत में मिली और मै भी बचपन से ही कहानियां लिखने लगी.

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दंगों के दौरान देखा मां का ये रूप…

मैंने उनके कई रूप देखे हैं. उनमें से उनका एक रूप मेरे  जहन में आज भी सुरक्षित है  अक्टूबर,1984 में दिल्ली में दंगे हो रहे थे. सब लोग डरे हुए थे. हमारी गली में सिंह अंकल का परिवार काफी डरा हुआ था.  मेरी मां ने पिताजी को साथ लिया और उनके घर से उन्हें हमारे घर ले आई थी. हमारे आस-पड़ोस वाले बहुत से लोगों ने उन्हें समझाने की कोशिश की  कि उन्हें इससे खतरा हो सकता है पर वह अपने फैसले पर अडिग रही. इसीलिए सिंह अंकल और उनका परिवार आज हमारे अपनों में से एक है.

मां तो सबके लिए खास होती है और उन पर कुछ भी कहना हो तो वह हर बच्चे के लिए अनमोल पल होगा. बस मेरे लिए तो ऐसी ही हैं मेरी प्यारी “मां”.

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मेरी मां- “मां का साया”  

मेरे लिए सबसे सुकून भरा हुआ करता था जो,
और कुछ नहीं था बस मेरी मां का साया था वो,

जिसकी छावं में मेरी पूरी ज़िंदगी बस्ती थी,
जब मुझे एक नज़र देख कर मेरी मां हस्ती थी,
मेरे सारे दर्द कम हो जाया करते थे
जब वो अपना हाथ प्यार से मेरे माथे पर रखती थी

मेरे लिए सबसे सुकून भरा हुआ करता था जो,
और कुछ नहीं था बस मेरी मां का साया था वो,

मेरी छोटी से छोटी गलती भी अपने दमन में छुपा लेती
मेरी आंखों के आंसू को अपनी अपनी आंखों में बसा लेती
मैं अगर नाराज़ भी हो जाऊं तो मां बस मुस्कुरा देती
अपने अनगिनत तरीकों से मुझे मना ही लेती…..

मेरे लिए सबसे सुकून भरा हुआ करता था जो,
और कुछ नहीं था बस मेरी मां का साया था वो,

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मैंने हमेशा यूथ ओरिएंटेड शो किये है– शांतनु माहेश्वरी

‘दिल दोस्ती डांस’ शो से एक्टिंग क्षेत्र में कदम रखने वाले एक्टर शांतनु माहेश्वरी कोलकाता के बिजनसमैन फैमिली से है. मुंबई वे अपनी शिक्षा पूरी करने के लिए आये थे, लेकिन उन्हें अभिनय का मौका एक डांस क्लास में डांस सीखते हुए मिला और वे इंडस्ट्री में आ गए. अभिनय के अलावा वे एक अच्छे डांसर, कोरियोग्राफर और शो होस्ट करने वाले भी है. वे अपनी जर्नी को हमेशा संघर्षपूर्ण मानते है और खुश रहना पसंद करते है. अभी उनकी वेब सीरीज ‘मेडिकली योर्स’ रिलीज पर है. उनसे बात करना रोचक था, पेश है अंश.

इस वेब सीरीज को करने की वजह क्या रही? मेडिकली योर्स में आप क्या बताना चाह रहे है?

इसमें हमने दिखाया है कि अधिकतर डौक्टर खुद अपनी इच्छा से डौक्टर नहीं बनते. उन्हें किसी प्रेशर या पारिवारिक बैकग्राउंड के चलते बनना पड़ता है. ऐसे में मेडिकली वे आप के लिए होते है पर असल जिंदगी में कुछ और बनने की इच्छा रखते है. ये विषय मुझे चुनौतीपूर्ण लगा और अबतक मैंने जो भूमिका निभाई है, उससे ये बिल्कुल अलग है.

आपकी जिंदगी में कभी ऐसा दौर आया, जब आप बनना कुछ चाहते थे और कुछ बन गए?

नहीं ऐसा नहीं हुआ मैंने जो करना चाहा, उसे किया और मैं इससे बहुत खुश हूं.

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आप कोलकाता से मुंबई कैसे पहुंचे?

मैं मुंबई पढ़ने आया था और यहां आकर मैंने डांसिंग क्लासेज ज्वाइन कर लिया. डांस अच्छा करता था, इसलिए कई स्टेज शो भी करता रहा, ऐसे में मुझे कौलेज से ही अभिनय का मौका मिला, औडिशन हुए और मैं इस क्षेत्र में आ गया. इस दौरान मैंने अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी कर ली थी.

संघर्ष कितना रहा?

मुझे संघर्ष तो हमेशा ही रहता है और ये अच्छी बात है. मुझे अच्छी कहानी और एक्टिंग के लिए संघर्ष अधिक रहता है. पहला काम मिलने में संघर्ष अधिक नहीं था, लेकिन उसके बाद काफी रहा, क्योंकि एक प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद आगे क्या रहेगा? इसकी संघर्ष चलती रहती है. मैंने टीवी पर बहुत काम किये है. पैसे से लेकर स्क्रिप्ट की संतुष्टि ये सारे जब एक साथ आते है, तभी कुछ अच्छा होता है.

परिवार का सहयोग कितना रहता है?

पिता की तरफ से सहयोग हमेशा रहा है. चाहे मैं अच्छा काम करूं या न करूं, वे हमेशा मेरे साथ रहते है.

टीवी से वेब सीरीज की तरफ मुड़ना कैसे हुआ?

मैंने हमेशा यूथ ओरिएंटेड शो किये है और टीवी पर ये बनना बंद हो गया है, इसलिए मुझे वहां  काम नहीं मिल रहा था. इस शो का औफर आया और मैं राजी हो गया.

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वेब सीरीज में सेक्स और गाली-गलौज अधिक होते है, जिसे पूरा परिवार साथ बैठकर नहीं देख सकता, आपकी राय इस बारें में क्या है?

वेब सीरीज की आज़ादी का गलत फायदा निर्माता और निर्देशक को नहीं उठानी चाहिए. रीयलिस्टिक दिखाने के लिए अगर कुछ करते है, तो मैं उसे गलत नहीं मानता, लेकिन अपनी प्रोडक्ट को बेचने के लिए अगर करते है तो उसे में सही नहीं मानता.

अब तक की कौन सी शो आपके दिल के करीब है और क्यों?

मेरी पहली शो ‘दिल दोस्ती डांस’ मेरे दिल के बहुत करीब है. इस शो ने मेरी जिंदगी बदल दी.

अभी आपकी जिंदगी कितनी बदली है?

बहुत बदली है. जब भी मैं कोलकाता जाता हूं, तो वहां के लोग मेरे काम की बहुत तारीफ करते है ,जो मुझे बहुत अच्छा लगता है.

आपके आदर्श कौन है?

प्रभु देवा और माइकल जैक्सन मेरे आदर्श है, उनके डांस को देखते हुए मैं बड़ा हुआ हूं. इसके अलावा मेरे पहले शो की टीम के साथ डांस पर आधारित फिल्में बनाना चाहता हूं.

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आपका ड्रीम प्रोजेक्ट क्या है?

मैंने अभी फिल्में की नहीं है, इसलिए हर तरह की फिल्में करना ही मेरा ड्रीम है.

एक्टिंग के क्षेत्र में आने वाले यूथ को क्या मेसेज देना चाहते है?

आप ईमानदारी से अपनी कला को निखारे. फेम के लिए इस क्षेत्र में आना गलत है. अगर आपमें प्रतिभा और मेहनत करने का जज्बा है, तो आप एक दिन अवश्य सफलता प्राप्त करेंगे.

फिटनेस के लिए क्या करते है?

मैं डांस बहुत करता हूं इसलिए वही मेरे लिए फिटनेस का काम करती है. इसके अलावा बौडी वेट एक्सरसाइज करता हूं.

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बिग बौस के घर में होगी ‘हेट स्टोरी गर्ल’ की एंट्री, देखें फोटोज

बौलीवुड के दबंग खान यानी सलमान खान के पौपुलर शो बिग बौस का इंतजार उनके फैंस को बेसब्री से रहता है. जिसके शुरू होने से पहले ही शो की थीम हो या कंटेस्टेट सभी सुर्खियों में बने रहते हैं. वहीं कुछ दिनों पहले खबर थी की इस बार बिग बौस 13 में कामनर्स नही दिखाई देंगे पर अब खबर है कि इस बार शो का हिस्सा सलमान की फेवरेट को स्टार्स में से एक एक्ट्रैस जरीन खान होंगी.

बौलीवुड के बाद अब टेलीविजन में नजर आएंगी

बौलीवुड एक्ट्रेस  जरीन खान ‘वीर’, ‘हेट स्टोरी 3’ और ‘अक्सर 2’ जैसी फिल्मों में नजर आ चुकी हैं. खबरों की मानें तो पौपुलर शो बिग बौस 13 के होने वाले सदस्यों की लिस्ट में सबसे पहला नाम जरीन का आ रहा है. वैसे अभी तक इस खबर पर मेकर्स ने कोई भी अधिकारिक बयान नहीं दिया है.

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पौपुलर शो बिग बौस के जरिए चमक चुके हैं कईं स्टार्स

 

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सलमान खान के पौपुलर शो बिग बौस का हिस्सा बनने के बाद कई स्टार्स की किस्मत चमक चुकी है. ऐसे में एक्ट्रेस जरीन खान भी इस शो के जरिए अपने सितारें चमकाना चाहती हैं. भले ही जरीन खान का चेहरा कटरीना कैफ से काफी मिलता जुलता हो लेकिन वो अभी तक भी बौलीवुड में अपनी अलग छाप छोड़ने में कामयाब नही हो पाईं हैं. शायद यही वजह है कि, सलमान खान इस शो में जरीन को हिस्सा बनाकर करियर चमकाना चाहते हैं.

टीवी के दूसरे रियेलिटी शो से बहुत अलग है बिग बौस

बिग बौस में टिक पाना किसी के लिए भी इतना आसान नहीं होता है. हर दिन बिग बौस के घर में होने वाले झगड़े किसी भी कंटेस्टेंट का कौन्फिडेंस लेवल गिरा सकता है. ऐसे में जरीन खान खुद को इस घर में कैसे संभाल पाएंगी यह देखना काफी मजेदार होगा.

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खाएं ये 4 फूड और झुर्रियों से रहें हमेशा दूर…

बढ़ती उम्र में भी खूबसूरत दिखना सबको अच्छा लगता है. पर जैसे-जैसे आपकी उम्र बढ़ती है, आपकी त्वचा लूज होती जाती है और चेहरें पर फाइन लाइन यानी झुर्रियां आ जाती हैं. पर अगर आप बढ़ती उम्र में भी जवान दिखना चाहते हैं, तो वैज्ञानिकों ने आपके सवाल का जवाब ढूंढ लिया हैं.

वैज्ञानिकों ने एक प्रोटीन की पहचान की है जो स्किन सेल्स को बढ़ाती है, जो आपके स्किन टिशूज को फिट रखने के लिए ममद करती है. यह प्रोटीन कमजोर कोशिकाओं को मिटाता है.

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प्रोटीन हैं आपके लिए वरदान

प्रोटीन आपकी त्वचा को युवा बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, इसलिए प्रोटीन से भरे आहार का सेवन करना महत्वपूर्ण है. यहां, 4 फूड आइटम्स हैं जिन्हें आपको अपने खाने में शामिल करना चाहिए ताकि आप अपनी फाइन लाइन यानी झुर्रियां को कम कर सके.

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1.साल्‍मन मछली का करें सेवन

यह सबसे आम समुद्री साल्मन मछली है. जो आमतौर पर  सभी मांसाहारी लोग खाते हैं. ओमेगा-3 फैटी एसिड के साथ समृद्ध होने के अलावा, यह चिकन के बराबर प्रोटीन और न्यूट्रिएंट्स को आपके शरीर में पहुंचाता है. 100 ग्राम साल्‍मन में 20 ग्राम प्रोटीन होता है.

2.कोलेजन प्रोटीन है फायदेमंद

कोलेजन आपके शरीर के अंदर एक प्रोटीन है जो आपकी त्वचा को संरचना प्रदान करता है. इसमें प्रोलिन, ग्लाइसिन और आर्जिनिन जैसे अमीनो एसिड होते हैं जो आपके शरीर के कनेक्टिव टिशूज को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं. आप बाजार में आसानी से इस प्रोटीन के पूरक पा सकते हैं, लेकिन इस प्रोटीन का सेवन करने से पहले आपको एक फूड स्पेशलिस्ट से राय लेनी चाहिए.

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3.ड्राई फ्रूट खाना है जरुरी

बादाम और अखरोट जैसे ड्राई फ्रूट प्रोटीन का एक बहुत सोर्स हैं. अगर आप 50 ग्राम बादाम का खाते हैं, तो आपको 10 ग्राम प्रोटीन मिलेगा. इसके अलावा, बादाम आपके कोलेस्ट्रौल के स्तर को मैनटेन करने में मदद करता हैं जो हृदय से संबंधित समस्याओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.

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4.एवोकाडो है स्किन के लिए असरकारक

एवोकाडो को सुपरफूड माना जाता है जो फाइटोकेमिकल्स और अन्य महत्वपूर्ण पोषक तत्वों को ले जाता है, जो आपको उम्र बढ़ने में मदद करते हैं. एवोकाडोस 73% पानी, 15% वसा, 8.5% कार्बोहाइड्रेट और 2% प्रोटीन से बना है.

‘‘मैं खुश हूं कि मेरी पहल के बाद कई महिलाओं ने अपने शोषण की बात कहने की हिम्मत जुटाई.’’

मिस इंडिया यूनिवर्स का खिताब जीत कर मौडलिंग और फिल्मों में काम करने वाली अभिनेत्री तनुश्री दत्ता झारखंड के जमशेदपुर की हैं. हिंदी फिल्म ‘आशिक बनाया आप ने’ उन की पहली फिल्म थी. तनुश्री बेहद साहसी हैं. हर बात को खुल कर कहती हैं. 2008 में फिल्म ‘हौर्न ओके प्लीज’ के दौरान उन्होंने नाना पाटेकर के खिलाफ आवाज उठाई थी, क्योंकि नाना पाटेकर का गलत तरीके से छूना और फिल्म में इंटिमेट सीन की मांग करना उन्हें खराब लगा था. वे फिल्म को बीच में ही छोड़ कर अमेरिका चली गई थीं, क्योंकि उन की बात को न सुना जाना उन के लिए डिप्रैशन का कारण बना था. ‘मीटू मूवमैंट’ में उन्होंने अपनी बात एक बार फिर से सब के सामने रखी, जिसे ले कर बहुत हंगामा हुआ. पिछले दिनों जब तनुश्री से मिलना हुआ, तो वे शांत, सौम्य और धैर्यवान दिखीं. पेश हैं, उन से हुए कुछ सवाल-जवाब:

फिल्म इंडस्ट्री में अच्छी तरह तालमेल बैठाने के बाद आप विदेश क्यों चली गईं और वहां क्या कर रही हैं?

‘हौर्न ओके प्लीज’ फिल्म की इस घटना ने मुझे हिला दिया था. अभिनेता नाना पाटेकर, निर्माता समीर सिद्दीकी, निर्देशक राकेश सारंग और कोरियोग्राफर गणेश आचार्य ने मिल कर मुझे परेशान किया था. इस के बाद मेरी इच्छा बौलीवुड में काम करने की नहीं रही थी. मैं ने जो फिल्में साइन की थीं, उन्हें पूरा किया. कुछ नई फिल्में भी साइन की थीं पर बाद में उन्हें करने की इच्छा नहीं हुई. हालांकि मैं उस समय अच्छा अभिनय कर रही थी. मैं ने फिल्मों का चयन करना भी सीख लिया था, लेकिन इस घटना से मैं डर गई थी. मुझे विश्वास ही नहीं हो रहा था कि मेरे साथ ऐसा कुछ हो सकता है. हैरसमैंट के अलावा महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के गुंडे बुला कर मेरी गाड़ी भी तुड़वा दी. उस से मुझे बहुत धक्का लगा. उस समय मेरे साथ मेरे मातापिता भी थे. वे मुझे उस माहौल से निकालने के लिए आए थे. इस के बाद मुझे इस माहौल में नहीं रहना था.

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आज से 10 साल पहले जब ये सारी बातें कहीं गई थीं, तो इन्हें न सुनने की वजह क्या थी?

मैंने उस समय पूरे साहस के साथ सारी बातें कही थीं. टीवी पर कई दिनों तक मेरा इंटरव्यू चलता रहा. उस समय मेरी उम्र कम थी, जोश बहुत था, लेकिन मीडिया और लोग बहुत अलग थे. सोशल मीडिया इतना ताकतवर नहीं था. लोगों में जागरूकता कम थी. हैरसमैंट को लोग सीरियसली नहीं लेते थे. उन का कहना था कि थोड़ा परेशान कर दिया तो क्या हुआ, रेप तो नहीं किया? भूल जाओ. ‘मीटू कैंपेन’ का शुरुआती दौर बहुत मजबूत था, लेकिन अब यह कुछ धीमा पड़ने लगा है.

क्या आप को नहीं लगता कि इस के अंजाम तक पहुंचने की जरूरत है?

इस का अंजाम हो चुका है, क्योंकि लोगों में जागरूकता बढ़ी है, जो मैं चाहती थी. पहले ये सारी बातें यों ही बातोंबातों में कही गई थीं. अब यह एक अभियान बन चुका है. मुझे जो कहना था वह मैं ने कह दिया है. यह कोई फिल्म नहीं जिस का प्रमोशन हो रहा है और बाद में लोग हाल में जा कर इसे देखेंगे. पहले भी मैं ने अपनी बातें कहने की कोशिश की थी, लेकिन अब अधिक सुनी गईं और इस की वजह लोगों में जागरूकता बढ़ना है.

क्या इस मुहिम से पुरुषों की मानसिकता में कुछ बदलाव आएगा?

आना तो चाहिए, क्योंकि महिलाओं को सम्मान देने की काफी बातें धर्मग्रंथों में कही गई हैं, जिन्हें कोई नहीं सुनता. जब सीधी उंगली से घी नहीं निकलता है, तो उंगली टेढ़ी करनी ही पड़ती है. अगर मुझे पता होता कि इतनी परेशानी और लांछन इतने सालों बाद भी झेलने पड़ेंगे, तो शायद मैं इस चक्कर में नहीं पड़ती, लेकिन मैं खुश हूं कि मेरे कहने के बाद कई महिलाओं ने अपनी बात कहने की हिम्मत जुटाई.

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इस दौरान परिवार ने कैसा सहयोग दिया?

मेरे मातापिता बहुत परेशान थे, क्योंकि पहले भी जब मैं ने कहने की कोशिश की थी तो किसी ने नहीं सुना था. मेरे मातापिता खुश थे कि मैं अमेरिका चली गई हूं. उन्होंने मुझे तनाव में देखा है और नहीं चाहते थे कि मैं फिर से इस से जुडूं. मैं यहां छुट्टियां बिताने आई थी. यहां पर अपने उतारचढ़ाव के बारे में मैं ने थोड़े इंटरव्यू दिए थे, जिन के द्वारा मैं मानसिक तनाव को ठीक करना चाहती थी और हो भी रहा था. ऐसे में ऐसी घटना हुई. पहले तो वे परेशान हुए, पर इस मुहिम को देख कर वे खुश हैं.

आलमंड हनी सैंडविच

घर पर सबसे आसान सैंडविच बनाना होता है, लेकिन उसका टेस्ट नौर्मल होता है. अगर आप को भी टेस्टी सैंडविच ट्राई करना है तो ये रेसिपी जरूर ट्राई करें. आलमंड हनी सैंडविच बनाना आसान है इसे आप स्नैक्स या ब्रेकफास्ट में अपनी फैमिली को परोस सकते हैं.

हमें चाहिए

1/4 कप व्हाइट बटर

8 बादाम

2 बड़े चम्मच शहद

1/2 छोटा चम्मच दालचीनी पाउडर

1/4 छोटा चम्मच कालीमिर्च चूर्ण

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2 बड़े चम्मच किशमिश

1 बड़ा चम्मच बादाम कतरे व रोस्टेड किए

1 केला पका मीडियम साइज का

4 आटा ब्रैडस्लाइस.

बनाने का तरीका

बादामों की मिक्सी में क्रश कर उन में बटर, शहद, दालचीनी पाउडर व कालीमिर्च चूर्ण डाल कर पुन: मिक्सी में 20 सैकंड चलाएं.

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चारों ब्रैडस्लाइस पर मक्खन लगाएं. 2 ब्रैड स्लाइस पर किशमिश, बादाम व केले के टुकड़े लगाएं और फिर दूसरे ब्रैड स्लाइस से ढक दें. तिरछा काट कर सर्व करें.

Edited by Rosy

प्यार को प्यार ही रहने दो : भाग-5

 आजकल घर में भी रजत पहले से अधिक प्रसन्न रहने लगा. थोड़ीबहुत चुहल निरंजना से भी करता रहता. यही तो एक अच्छा साइड इफैक्ट है फ्लर्टिंग का. पति महोदय बाहर फ्लर्टिंग करते हैं और घर में पत्नी को भी खुश रखते हैं. उन का अपना दिल जो उत्साहित रहता है.

प्रसन्नचित्त तो आजकल निरंजना भी बहुत रहने लगी है. सोशल मीडिया साइट पर आखिर उस ने नसीम को खोज जो निकाला. नसीम आजकल दूसरे शहर में रहता है, किंतु काम के चलते उस का दिल्ली आना होता रहता है. दोनों ने मिल कर यह तय किया कि अगली बार जब वह दिल्ली आएगा, तब दोनों मुलाकात अवश्य करेंगे.

और बहुत जल्दी वह दिन भी आ गया, जब नसीम का दिल्ली आना हुआ. सुबह से फटाफट सारा काम निबटा कर, स्वयं पर मेकअप की पूरी मेहरबानी करने के बाद निरंजना उस से मिलने तय रैस्टोरैंट के लिए घर से चल पड़ी.

रास्ते से ही उस ने रजत को एसएमएस भेज दिया कि वह अपने ओल्ड टाइम फ्रैंड से मिलने जा रही है. हो सकता है कि शाम को थोड़ी देर हो जाए.

उधर, रजत ने साक्षात्कार के लिए श्वेता को कंपनी द्वारा बुलावा भिजवा दिया था. उस से मिलने के लिए औफिस नहीं, बल्कि रैस्टोरैंट में मुलाकात तय की गई. इस का कारण श्वेता को यह बताया गया कि जिन सर को इंटरव्यू लेना है, वह उस दिन किसी मीटिंग के लिए औफिस में उपस्थित नहीं होंगे. सो, जहां वे उपस्थित होंगे, आप वहीं पहुंच जाइए.

श्वेता को भी इस में कुछ अटपटा नहीं लगा, क्योंकि आजकल कई साक्षात्कार औफिस के बाहर भी होते हैं.

तय समय से पहले रजत उस रैस्टोरैंट में पहुंच कर श्वेता की प्रतीक्षा करने लगा.

नसीम को रैस्टोरैंट में पहले से अपने लिए प्रतीक्षारत पा कर निरंजना का दिल एकबारगी जरा जोर से उछला. तो क्या आज भी नसीम उसी से प्यार करता है?

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अपने पहले प्यार को सामने पा कर निरंजना कभी उत्तेजना से भरने लगी, तो कभी विवाहिता होने के कारण संकोच से अपने रेशमी बालों को बारबार अपने गुलाबी गालों पर गिरने से रोकने के लिए अपनी कोमल उंगलियों से कानों के पीछे धकेलने लगी.

‘‘रहने दो ना इन जुल्फों को अपने सुंदर चेहरे पर. तुम भूल गई क्या कि मुझे तुम्हारी यह जुल्फें कितनी पसंद हैं,‘‘ नसीम के कहने पर निरंजना केवल मुसकरा कर नजरें नीचे किए रह गई.

फिर बातों का दौर चला. कुछ नसीम ने अपनी कही, तो कुछ निरंजना ने अपनी सुनाई. आज उस से अपने दिल की बात कह कर निरंजना काफी हलका महसूस कर रही थी. इसी पल के लिए वह ना जाने कितने समय से तरस रही थी.

‘‘मुझे यह जान कर अत्यंत अफसोस हो रहा है, नसीम, कि तुम ने अभी तक शादी नहीं की. काश, मैं तुम्हें उस समय मिल पाती. बस एक बार तुम्हें अपनी मजबूरी बता देना चाहती थी… आज वह बोझ भी दिल से उतर गया. पर समय निकल गया इस बात का. अफसोस शायद हमेशा खलेगा,‘‘ निरंजना ने अपनी बात पूरी की.

नसीम खामोशी से निरंजना के चेहरे को निहारता रहा, फिर हौले से कहने लगा, ‘‘समय तो अपने हाथ में होता है. अगर सोचो कि बीत गया तो अलग बात है. वरना आज भी समय हमारे साथ ही है. देखो, हम आज भी एकसाथ हैं. यदि तुम चाहो तो…‘‘

‘‘लेकिन, अब मेरी शादी हो चुकी है,‘‘ निरंजना उस की बात बीच में ही काटते हुए बोली, ‘‘यदि मेरी शादी ना हुई होती तब बात अलग थी, पर अब मैं रजत की पत्नी हूं. ऐसे में हमारा रिश्ता पाप कहलाएगा.‘‘

‘‘ऐसा क्यों कहती हो भला. पहले हम दोनों ने प्यार किया, रजत तो तुम्हारी जिंदगी में बाद में आया. सो, इस रिश्ते में तीसरा वो है. अगर तुम्हारे और मेरे घर वाले धर्म के चक्कर में ना पड़ कर हमारे प्यार के लिए राजी हो गए होते और आननफानन तुम्हारी शादी दूसरी जगह ना करवा दी होती, तो आज हम एकसाथ होते.‘‘

जब श्वेता आरक्षित टेबल पर पहुंची, तो वहां रजत को बैठा देख उस का चौंकना स्वाभाविक था, ‘‘रजत तुम यहां?‘‘

‘‘हां श्वेता, मैं ही हूं, जिस के साथ आज तुम्हारा साक्षात्कार है. हो गई ना सरप्राइज… मैं तो तुम्हारा बायोडाटा पढ़ते ही तुम्हें पहचान गया था. और तुम से मिलने के इस मौके को मैं किसी भी कीमत पर गंवा नहीं सकता था.‘‘

सारी स्थिति समझने के बाद श्वेता और रजत हंसहंस कर एकदूसरे के साथ आज तक बीती जिंदगी के अनुभव बांटने लगे.

‘‘कितना अच्छा लग रहा है तुम से मिल कर. न जाने क्यों इतने समय से हम मिले नहीं. तुम तो मेरे बीएफएफ (बैस्ट फ्रैंड फार ऐवर) रहे हो.‘‘

श्वेता उसे अपनी शादी, गृहस्थी, बच्चों के किस्से सुनाने लगी. वह काफी खुश लग रही थी. जाहिर था कि अपनी जिंदगी में श्वेता अच्छी तरह रम चुकी है और उसे कोई शिकायत भी नहीं.

प्यार हमारा दिल नहीं तोड़ सकता. वह तो अधूरी ख्वाहिशों और निराश सपनों के कारण टूटता है. रजत को समझ आ रहा था कि उस का प्यार वाकई एकतरफा था. तभी उस की नजर रैस्टोरैंट के दूसरे कोने में बैठी निरंजना पर पड़ी.

निरंजना को देखते ही वह असहज हो उठा. यदि उस ने रजत को यहां किसी अन्य महिला के साथ बैठे देख लिया तो…? ना जाने उस के बारे में क्या सोचने लगे. उसे याद आया कि आज निरंजना भी अपने एक पुराने दोस्त से मिलने गई है. इत्तेफाक देखिए, दोनों एक ही रैस्टोरैंट में पहुंच गए. लेकिन मौजूदा स्थिति में रजत उस चोर की तरह था, जो अपनी दाढ़ी के तिनकों को छिपाने के प्रयास में जुटा हो.

वह आगे कुछ कहता, इस से पहले ही श्वेता बोल पड़ी, ‘‘रजत, मैं ने नौकरी के लिए आवेदन अवश्य दिया था, किंतु कल ही मेरे पति का तबादला दूसरे शहर में हो गया है. इस कारण यह नौकरी मैं कर नहीं पाऊंगी.

‘‘मैं यहां यही बताने आई थी, लेकिन कितना अच्छा हुआ, जो तुम से मुलाकात हो गई. आगे भी हम टच में रहेंगे.‘‘

घर लौटते समय कैब में बैठी निरंजना आज नसीम के साथ बिताई दुपहरी को रिवाइंड करने लगी. नसीम आज भी उसे चाहता है. आज भी उस की राह देख रहा है, शायद… अगर वह चाहे तो नसीम के पास जा सकती है. पर क्या वह ऐसा चाहती है? क्या रजत के साथ बिताए शादीशुदा जिंदगी के पांच साल इतने हलके हैं कि उन से हाथ छुड़ाना उस के लिए संभव है?

इस सारे प्रकरण में रजत कहां खड़ा होता है? उस की क्या गलती है? निरंजना दोनों पलड़ों के बीच झूलने लगी. जेहन के कांपते हुए पानी पर असमंजस की नाव बह निकली. तभी एफएम पर गाना बजने लगा, ‘प्यार को प्यार ही रहने दो, कोई नाम ना दो ‘

नहीं, वह रजत को नहीं छोड़ सकती. जिस के साथ उस ने अपनी गृहस्थी बसाई, जिस ने उस का हमेशा ध्यान रखा, उसे पूरा प्यार दिया, अपने परिवार में सम्मान दिया, उसे वह कैसे बिसरा दे.

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यदि उस ने एक गलत कदम उठाया तो रजत का प्यार पर से विश्वास उठ जाएगा. अपनी जिंदगी में रंग भरने के लिए वह अपने पति की जिंदगी को स्याहा नहीं कर सकती.

कई बार हमारे जीवन के कुछ ऐसे अंश होते हैं, जिन्हें हम न भूल सकते हैं और न मिटा सकते हैं. जो हमें सुकून भी देते हैं और कष्ट भी. परंतु उन्हें हम अपने दिल के कोनों में हिफाजत से संजो कर रखना चाहते हैं. पहला प्यार इस सूची में संभवतः सब से ऊपर आता है.

रजत की कार में भी एफएम पर गाना बज रहा था, ‘सिर्फ एहसास है यह रूह से महसूस करो, प्यार को प्यार ही रहने दो कोई नाम ना दो…‘

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