सिंगापुर नहीं देखा तो क्या देखा

लेखक- राजेश गुप्ता

वैसे तो सिंगापुर के बाजार,  सैंटोसा आइलैंड्स, नाइट सफारी, भव्य मौल, पर्यटन पौइंट आदि के बारे में बहुत कुछ लिखा जाता है पर डाउनटाउन ईस्ट अछूता सा है. किसी जमाने में सिंगापुर के कर्मचारियों के लिए बनाया गया क्लब अब पूरी तरह एक रिजौर्ट बन गया है जिसमें वाटर गेम हैं, खाने-पीने की कईं सुविधाएं हैं, मनमोहक वातावरण है और सिंगापुर का स्ट्रिक्ट अनुशासन भी नहीं है.

अपने आप में एक स्वतंत्र छोटा सा शहर आप को कहीं और जाने की जरूरत ही नहीं देता. इसके बीच से न सड़कें गुजरती हैं न ट्रैफिक का शोर है. रहने की कई लेवल की सुविधाएं हैं और भारतीय पर्यटकों के लिए देशी खाना भी आसानी से मिल जाता है.

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कई सौ एकड़ में फैला नदी किनारे हरा-भरा डाउनटाउन ईस्ट मेन सिंगापुर से अलग लगता है. यह छंगी एअरपोर्ट से बहुत ज्यादा दूर नहीं है और रहने की सुविधाएं सस्ती हैं. एक बार इस में आकर कोई भी पर्यटक अपने 2-3 दिन आराम से बिना बाहर निकले निकाल सकता है.

ये देखना न भूलें…

डाउनटाउन ईस्ट का मुख्य आकर्षण उस का वाइल्डवाइल्ड वैट वाटर पार्क है जिस में ट्यूब से निकलने वाला वोर्टेक्स है, पानी में खासी ऊंचाई से फिसलने वाले ब्रोकन रेसर्स है. वोर्टेक्स की ऊंचाई 18.5 मीटर तक है और स्लाइड 134 मीटर की है जिस में फिलसते हुए स्पीड 600 मीटर प्रति मिनट तक हो जाती है. आप का वजन थोड़ा ज्यादा हो तो चिंता न करें, 136 किलोग्राम तक के पर्यटकों को अनुमति है. ब्रोकन रेसर्स 13 मीटर के हैं और स्लाइड 91 मीटर की है. वाटर पार्क में रौयन फ्लश भी है जिस में चक्कर लेते पानी में नया थ्रिल पैदा होता है. यह भी 16 मीटर ऊंचा है. फ्री फाल एकदम सीधा पानी के साथ हिम्मती को बहा कर लाता है और 55 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से एक बड़े पौंड में पटक देता है. अगर इन थोड़े डरावने वाटर गेम्स से बच्चों को डर लगे तो उन के लिए किड्स जोन, वैट एंड वाइल्ड फौउंटेन, स्प्लैश प्ले भी हैं. आराम करने के लिए टैंट टाइप कबाना भी मिल जाते हैं.

विदेश में बढि़या देशी खाना और शौपिंग भी करें ट्राई

डाउनटाउन ईस्ट में खाने के 50 से ज्यादा रेस्ट्रां पगपग पर मौजूद हैं. कुछ में बढि़या देशी खाना भी है. शौंपिग का शौक है तो सस्ता टिकाऊ सामान भरपूर है. एक से एक दुकान में कपड़े, घरेलू सामान, ज्वैलरी, जूते, चश्मे हैं. ब्यूटी ट्रीटमैंट भी कराया जा सकता है. चीयर्स कनवीनीऐंस स्टोर है जो 24 घंटे खुला रहता है. लौंड्री लौफ्ट से कपड़े धुलवा सकते हैं जो भारतीय मुद्रा वालों को तो महंगे लगेंगे पर पर्यटन में कपड़े गंदे तो होंगे ही. गैजेट मिक्स से नएनए से इलैक्ट्रौनिक गैजेट खरीदे जा सकते हैं. सिंगटेल से लोकल सिम कार्ड लिया जा सकता है. डाउनटाउन ईस्ट चाहे कभी सिंगापुर के हजारों कर्मचारियों के लिए बना शौपिंग और मनोरंजन केंद्र हो पर अब यह सिंगापुर का एक मुख्य क्षेत्र है जहां रह कर विदेशी मौजमस्ती का आनंद लिया जा सकता है.

लिटिल इंडिया

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पीकौक चौक यानी मोरों वाला चौक के पास ही एक लिटिल इंडिया नाम का इलाका बसता है, जिसे सिंगापुर का सेंटर प्वाइंट भी कहा जा सकता है. यह इलाका भारतीय लोगों के लिए बहुत ही आकर्षण का केंद्र है, क्योंकि एक तो इसका नाम हमारे देश से जुड़ा हुआ है दूसरा वहां पर बहुत से भारतीय लोग रहते और काम करते हैं. वहां का वातावरण काफी हद तक भारतीय है. लिटिल इंडिया में ज्यादातर मद्रासी लोगों की दुकानें हैं. यहां पर पंजाबी खाना भी आसानी से उपलब्ध हो जाता है. इसी इलाके में एक बहुत बड़ा बहुमंजिला मौल भी है जहां बहुत सारा सामान मिलता है. इस का नाम मुस्तफा मौल है. इसकी इमारत 2-3 भागों में बंटी है. यह चौबीस घंटे और सातों दिन खुला रहता है. इस में बहुत सारे भारतीय और पाकिस्तानी लोग काम करते हैं. लिटिल इंडिया में एक आम भारतीय को हिंदी, तमिल और पंजाबी बोलने वाले लोग मिल ही जाते हैं. उन लोगों को जिन को अंगरेजी बोलनी नहीं आती, वे भी यहां आराम से अपनी बात कह और सुन सकते हैं. यहां का वातावरण काफी हद तक भारत जैसा ही है, इसलिए इसे छोटा भारत भी कहा जाता है. भारतीय लोग जोकि सिंगापुर में रहते या काम करते हैं यहां पर अकसर आम दिनों के अलावा छुट्टी यानी शनिवार और रविवार को खरीदारी करते या घूमते हुए मिल जाते हैं.

इसी इलाके में भारतीय और पाकिस्तानी लोगों के होटल भी हैं. यहां पर उन्हें अपनेअपने देश जैसा खाना मिल जाता है. इन होटलों में अकसर अंगरेज लोग भी भारतीय और पाकिस्तानी भोजन का आनंद लेते देखे जा सकते हैं. यहां पर आनंदभवन नाम का एक मद्रासी रैस्टोरैंट है. यहां पर स्वादिष्ठ मद्रासी खाना रिजनेबल प्राइस में मिलता है.

क्राइम रेट है जीरो

यहां पर जीरो क्राइम रेट है. लोग भी काफी ईमानदार हैं. व्यवसाय भी सुचारु ढंग से चलती है. सारे का सारा सिंगापुर सीसी टीवी कैमरों से युक्त है. अपहरण करने वाला यहां से बच कर नहीं जा सकता है. इसलिए भी यह देश अपराधमुक्त है. यहां पर आप को कहीं भी यह लिखा हुआ नहीं मिलेगा कि जेबकतरों से सावधान. यहां की इंटरनेट सेवा भी उत्तम स्तर की है. यहां पैदावार के नाम पर शायद ही कुछ पैदा होता हो. ज्यादातर सामान दूसरे देशों से ही मंगवाया जाता है. जैसे पानी मलयेशिया से, दूध, फल, सब्जियां न्यूजीलैंड व आस्ट्रेलिया से, दाल-चावल और रोजाना इस्तेमाल की चीजें थाईलैंड और इंडोनेशिया से आयात की जाती है.

व्यवस्थित यातायात

सिंगापुर का यातायात अंतर्राष्ट्रीय स्तर का है. सड़कें बहुत ही खूबसूरत और सुव्यवस्थित हैं. बड़ी और छोटी गाडि़यों के लिए अलगअलग लेन बनी हैं. पैदल चलने और साइकिल चलाने वालों के लिए भी अलगअलग रास्ते बने हैं. पैदल चलने वालों के लिए रास्ते में थोड़ीथोड़ी दूर पर उन के आराम करने के लिए जगहजगह शीशे के वाटरप्रूफ शैड और बड़ेबड़े वाटरप्रूफ टैंट लगे हैं जिन के नीचे वे लोग बारिश और गरमी से राहत पाने के लिए सोए या बैठे मिल जाते हैं.

बीच वेकेशन के लिए सबसे जरुरी चीज़ें ले जाना ना भूलें

पर्यटक देश होने के कारण यहां बहुत से स्थान देखने योग्य हैं. जैसे सिंगापुर शहर, सिंगापुर फ्लायर, यूनिवर्सल स्टूडियो, सी ऐक्वेरियम, सैंटोसा, बीच, मैरीनाबे, जू, नाइट सफारी, जोरांगबर्ड पार्क, केबल कार राइड, स्काई राइड, लक्यूज, स्काई टावर, गार्डन बाय द बे आदि. मूलरूप से सिंगापुर मैन मेड देश है, जिसे पर्यटन की दृष्टि से बहुत ही योजनाबद्ध ढंग से विकसित किया गया है. इन सभी स्थानों और चीजों को बहुत ही आधुनिक ढंग से डिजाइन किया गया है ताकि देखने वाले की उत्सुकता बनी रहे.

कैसे जाएं

सिंगापुर जाने के लिए हमारे पास सब से पहले पासपोर्ट होना जरूरी है. पंजाब के लोगों के लिए अमृतसर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा सब से बढि़या विकल्प है. दिल्ली से भी सिंगापुर जाने के लिए उड़ाने मिल सकती हैं. भारतीय लोगों को होटल बुक करवाने से पहले यह जरूर ध्यान कर लेना चाहिए या फिर जान लेना चाहिए कि वे लिटिल इंडिया में ही हो ताकि आप को बाजार घूमनेफिरने और खरीदारी करने में आसानी रहे.

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पीकौक चौक के एक तरफ लिटिल इंडिया है, तो दूसरी तरफ बुग्गी स्ट्रीट है जोकि हमारे बाजारों जैसे ही बाजार है जहां हर तरह के सामान की दुकानें हैं. यहां दिनभर काफी भीड़ रहती है. सिंगापुर एक पर्यटन प्रधान देश है, इसलिए यहां पर आप को हर देश के पर्यटक मिल ही जाएंगे.

यहां जाना न भूलें

– मैरिलिन पार्क में पर्यटकों की बहुत भीड़ होती है. यह शहर के सैंटर में स्थित है. यह पार्क मरीना बे पर स्थित है. यहां फोटो खिंचवाने के लिए बहुत ही उपयुक्त वातावरण है. यहां पर शेर का एक बुत बना हुआ है, जिस के मुख से जल की धारा निरंतर चलती रहती है. इस बुत का सिर शेर का है और धड़ मछली का है.

हवाई यात्रा के दौरान इन चीजों से बना लें दूरी

– सैंटोसा में केबल कार राइड लोकप्रिय है. यह लोहे का एक बहुत ही बढि़या वातानुकूलित कैबिन होता है जोकि बहुत ही आधुनिक ढंग से बनाया गया है जिस में में 8 जने बैठ सकते हैं. यह माउंट फैबर से सैंटोसा तक 15 मिनट में पहुंच जाता है. यह रोप वे 1650 मीटर लंबा है. कैबिन से नीचे सारे का सारा समुद्र दिखता है साथ ही उस के आसपास के जंगल इस के चारों तरफ लगे खूबसूरत शीशों के भीतर से बाहर देखना बहुत ही अच्छा अनुभव देता है. इसे पूरी तरह से सुरक्षित बनाया गया है.

– मैडम तुसाद म्यूजियम इंबाह, सैंटोसा में स्थित है. यहां पर आप को सिंगापुर के शुरुआत से ले कर वर्तमान तक की पूर्ण कहानी एक फिल्म और फिर वहां बुतों के रूप में आवाज और रोशनी के माध्यम से दर्शायी और बताई जाती है कि कैसे एक साधारण सा देश अपनी सोच, मेहनत और साफ नीयत के कारण कहां से कहां पहुंच गया, जिस में कि हमारे भारतीयों का भी बहुत बड़ा योगदान है. इस म्यूजियम में संसार के प्रसिद्ध क्रांतिकारियों, राजनेताओं, कलाकारों, खिलाडि़यों के मोम के पुतले बनाए गए हैं.

– स्काई राइड मैडम तुसाद के बिलकुल बगल में ही है. यह एक सोफा सैटी नुमा झूला है जिस पर 4 व्यक्ति बैठ सकते हैं. यह बिलकुल खुले रूप में होता है. इस पर बैठ कर आप हवा से बातें कर सकते हैं. यह लोहे के मजबूत तारों पर चलता है. इस की सीट के आगे एक लोहे का हैंडलनुमा लौक होता है, जिस से आप की सीट को लौक भी किया जाता है और आप इस की अपनी सुरक्षा के लिए पकड़ कर बैठ भी सकते हैं. यह भी रोप वे से चलता है.

समर वेकेशन के लिए बेस्ट है दार्जिलिंग

– विंग्स औफ टाइम यानी समय के पंख, यह भी वहीं सैटोसा में ही मौजूद है जोकि समुद्र के किनारे एक लेजर प्रकाश द्वारा प्रस्तुत किया जाने वाला शो है. रोशनी का शो होने के कारण यह शाम के समय ही चलता है. यह शो सैंटोसा में ही सिलीसी बीच पर समुद्र से पानी की हवा में उछाल कर उस पर लेजर प्रकाश से एक फिल्म के रूप में प्रस्तुत किया जाता है.

– यूनिवर्सल स्टूडियो एक बहुत बड़ा यानी एशिया का दूसरा सब से बड़ा और थीम बेस पार्क है. इसे 49 एकड़ क्षेत्र में बनाया गया है. यह सैंटोसा आइलैंड में ही स्थित है. यह मनोरंजक पार्क बहुत ही बुद्धिमत्ता से बनाया गया है. इसमें 21 राइड में 6 रोलर झूले और 2 वाटर राइड हैं जोकि बहुत ही साहसिक लय पैदा करने वाली हैं.

– गार्डन बाय द बे एक प्राकृतिक पार्क है. यह सिंगापुर के मध्य मरीना बे में मौजूद है. यह अच्छा पिकनिक प्लेस भी है. यहां लोग आ कर पिकनिक मनाते हैं. यहां पर छोटे और बड़े बच्चे अपनेअपने विद्यालय की तरफ से भी पिकनिक मनाने आते हैं.

– जोरांग बर्ड पार्क के नाम से ही स्पष्ट हो जाता है कि यह पक्षियों का पार्क है. यहां कुछ पक्षी पिंजरों में, कुछ बाड़ों में, कुछ के लिए खुला स्थान तो कुछ के लिए झील जैसा वातावरण बनाया गया है. यहां हर पक्षी को उसके स्वभाव अनुसार वातावरण दिया गया है. जोरांग बर्ड पार्क एक बहुत ही बड़ा जंगलनुमा पार्क है.

– नाइट सफारी, जिस के लिए शाम तक का इंतजार करना होता है. यह यात्रा सूर्य के ढलने के साथ शुरू होती है और यह आधी रात तक चलती है. यह सिंगापुर की ही नहीं, अपितु विश्व की पहली विशेष नाइट सफारी है. इस में लगभग 120 नस्ल के 1040 जानवर मौजूद हैं. यह जंगल चार लाख स्क्वेयर मीटर में बसाया गया है. इस जंगल को सात जोन में बांटा गया है. रात को चमकते चांद और टिमटिमाते सितारों की लौ में इन जानवरों की कुदरती हरकतों को आप देख कर एक अद्भुत आनंद प्राप्त कर सकते हैं.

5 टिप्स: शादी से पहले पाएं हैल्दी बाल

हर दुलहन चाहती है कि वह अपने वैडिंग डे पर बहुत ही गजब की लगे, जिसके लिए वह हर चीज चाहे वह ब्राइडल ड्रैस हो, बाल हो या मेकअप सब को परफैक्ट रखना चाहती है. इस दिन बालों का भी अहम रोल होता है, क्योंकि ये ब्राइड के पूरे लुक को चेंज करने के साथ-साथ उसे और ज्यादा कौन्फिडैंट और गौर्जियस फील कराने का काम करते हैं. लेकिन यह सब तभी संभव है जब आप अपनी शादी के 2 महीने पहले से अपने बालों की केयर करना शुरू कर दें. इसके लिए हम आप को बहुत आसान से तरीके बताते हैं, जिस से आप स्मूद, शाइनी और स्टाइलिश बाल पा सकती हैं.

1. अपने बालों के बारे में जानना है जरूरी…

बात चाहे चेहरे की हो या बालों की जब तक हम बालों के टाइप के बारे में नहीं जानते तब तक ट्रीटमैंट सही नहीं हो पाता. इसलिए सब से पहले अपने बालों के टाइप के बारे में जानें कि वे स्ट्रेट हैं या कर्ली ताकि बिग डे पर बेहतर रिजल्ट आ पाए.

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2. हफ्ते में 2-3 बार धोएं बाल

अपने बालों को साफ रखना बहुत जरूरी है, क्योंकि प्रदूषण इतना ज्यादा बढ़ गया है कि बालों व स्कैल्प पर धूलमिट्टी जम जाती है जो बालों को बेजान व डल बनाने का काम करती है. अत: हफ्ते में 2-3 बार बालों को जरूर धोएं. इस से भी ज्यादा जरूरी यह है कि आप बालों को सही तरीके से धोएं ताकि बाल ड्राई न हों. इसके लिए आप सब से पहले अपने बालों पर पानी डालें. फिर स्कैल्प पर माइल्ड शैंपू लगा कर हलके हाथों से मसाज करें. फिर बालों को पानी से धो कर कंडीशनर अप्लाई करें ताकि बालों में सौफ्टनैस रहे.

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3. हेयर ट्रिमिंग जरूरी

अगर आप चाहती हैं कि आप के बाल जल्दी बढ़ें तो इस के लिए रैग्युलर ट्रिमिंग करवाती रहें, क्योंकि इस से आप के बिग डे पर स्टाइल बनवाने में आसानी होने के साथसाथ आप को बेहतरीन लुक भी मिलेगा. बस ध्यान रखें कि हेयर स्टाइलिंग टूल्स का प्रयोग ज्यादा न करें, क्योंकि इस से बाल डैमेज होने का डर बना रहता है.

4. हेयर स्पा व औयलिंग करवाएं

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पौल्यूशन, गरमी व अनहैल्दी डाइट की वजह से बाल डल हो जाते हैं. ऐसे में डल बालों को प्रोटीन देने की जरूरत होती है, जिस के लिए स्पा ट्रीटमैंट से बैस्ट कुछ नहीं. इस के लिए आप महीने में 1-2 बार स्पा ट्रीटमैंट जरूर लें. हम बालों में चिपचिपाहट के डर से औयलिंग से दूर रहते हैं, जबकि आप को बता दें कि औयलिंग से बाल तेजी से बढ़ने के साथसाथ उन में शाइनिंग भी आती है. इसलिए रैगुलर स्पा व औयलिंग को इग्नोर न करें.

5. डीप कंडीशनिंग

बालों को धोने व कंडीशनिंग करने के बाद उन्हें डीप कंडीशनिंग करने की जरूरत होती है, जिस के लिए अच्छे हेयर मास्क की जरूरत होती है. यह आप के बालों को सौफ्ट व फ्रिजीनैस से दूर रखने का काम करता है.

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कूल औरेंज डिलाइट

अक्सर गरमियों में खाना खाने का मन नहीं करता, लेकिन दिनभर की भागदौड़ के लिए हम फ्रूट्स का सहारा लेते हैं. पर जरूरी नही की फ्रूटस को हम काटकर ही खाएं. हम अलग-अलग और नई चीजें ट्राई करके भी गरमी से बच व खुद को रिफ्रेश महसूस करा सकते हैं. और आज आपको गरमी में रिफ्रैश महसूस कराने के लिए आज हम आपको कूल औरेंज डिलाइट की रेसिपी बताएंगे.

हमें चाहिए…

1 लिटर दूध फुलक्रीम

1 कप औरेंज जूस

1 बड़ा चम्मच काजू व बादाम

1 छोटा चम्मच टूटी फ्रूटी

1/2 छोटा चम्मच इलायची पाउडर

औरेंज जेस्ट गार्निशिंग के लिए.

बनाने का तरीका

-दूध में काजूबादाम डाल कर दूध के आधा रह जाने तक उबालें.

-ठंडा होने पर ग्राइंडर में फेंट कर फ्रिज में रखें. ठंडा हो जाए तो इस में इलायची पाउडर, टूटी फ्रूटी, औरेंज जूस मिला कर गिलास में डालें. ऊपर से ठंडा दूध डाल कर औरेंज जेस्ट से गार्निश करें.

4 टिप्स: ऐसे सजाएं घर कि ठहर जाए सबकी निगाहें

हमारे घर के डेकोरेशन में लाइटिंग का विशेष महत्व है. इसका सबसे ज्यादा प्रभाव हमारे मूड पर पड़ता है. इसलिए हम लाइटिंग से भी घर को सजाते हैं. आइए एक नजर ड़ालते हैं बाजार में उपलब्ध लाइटिंग प्रोड़क्टस पर….

अगर आप चाहते हैं कि घर-आंगन रोशनी से सराबोर हो, तो घर को खूबसूरती से रोशन करने के लिए आजकल बाजार में कई शानदार विकल्प उपलब्ध हैं. ये घर को रोशन तो करते ही हैं, इनका कलात्मक डिजाइन घर को बेहद खूबसूरत लुक भी देता है.

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एलईडी कैंडल्स

आजकल बाजारों में एलईडी कैंडल्स भी आ गई हैं. बिना किसी झंझट के त्योहारों में घर को रोशन करने के लिए ये बेहतरीन हैं. इसके अलावा आप पिलर कैंडल्स, अनूठे आकारों की सजावटी कैंडल्स, प्रिंटिड मोटिफ्स वाली कैंडल्स से भी घर को रोशनी से सराबोर कर सकते हैं.

डिजाइनर लैम्प्स

टिप्पणियां छिद्रों वाले सजावटी ब्रास लैम्प्स रोशनी को एक खूबसूरत आयाम देते हैं. इन लैंप्स में सजावटी पैटर्न में बने छिद्रों में से चारों ओर छनकर बिखरती रोशनी पूरे माहौल को चकाचौंध से सराबोर कर देती है. साथ ही इस तरह के कुछ खास लैंप्स की रोशनी से दीवारों पर फूलों या अन्य तरह की खूबसूरत आकृतियां बनती हैं, जो घर को उत्सवी आभा देती हैं.

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मिट्टी के दीपक आज भी हैं फेमस

अपने घर को खूबसूरत, झिलमिलाता और दमकता हुआ रूप देने के लिए मिट्टी के परंपरागत दीयों से लेकर, टी लाइट्स, फ्लोटिंग कैंडल्स और फंकी लैम्प्स के जरिए सजाया जा सकता है. इसके अलावा मद्धम रोशनी बिखेरते बेहद छोटे साइज के मिट्टी के दीये भले ही घर-आंगन को रोशन करने का पांरपरिक तरीका हो, लेकिन आजकल इनमें भी काफी खूबसूरत बदलाव आ गया है. कांच, झिलमिलाते गोटा और किनारी से सजे डिजाइनर दीये कई खूबसूरत रंगों और अनोखे डिजाइन में मिलते हैं.

स्ट्राइप पैटर्न से इस तरह आप भी सजा सकती हैं अपना घर

फ्लोटिंग कैंडल्स

फ्लोटिंग कैंडल्स भी एक खास अंदाज में रोशनी के साथ ही घर को खूबसूरत अंदाज भी देती हैं. मिट्टी या मेटल के किसी बड़े बाउल या दीये में पानी भरकर कई सारे छोटे फ्लोटिंग कैंडल्स इसमें रख दें. पानी में तैरते इन खूबसूरत फ्लोटिंग कैंडल्स का समूह बेहद आकर्षक दिखाई देगा. इस पानी में गुलाब के फूलों की पत्तियां डालकर आप इसमें रोशनी के साथ रंग का खूबसूरत तालमेल कर सकती हैं. इसे आप सेंटरपीस के तौर पर सजा सकते हैं.

रिफ्रैशिंग समर ड्रिंक्स: वाटरमैलन चुसकी

गरमी में जितना पानी पीएं कम होता है. चाहे हम उसे किसी भी रूप में लें, लेकिन अगर उसे किसी फ्रूट या जूस के रूप में ले तों उसके फायदे बढ़ जाते हैं. इसीलिए आज हम आपको तेज गरमी में कौसे रिफ्रैश रहें इसके लिए घर में एक रिफ्रैशिंग ड्रिंक के बारे में बताएंगे. जिससे आपकी प्यास भी बुझेगी और आपको ताजा भी महसूस होगा.

हमें चाहिए…

1 बाउल तरबूज के टुकड़े

थोड़ी सी पुदीनापत्ती

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1 बड़ा चम्मच नीबू का रस

1 छोटा चम्मच चीनी पिसी

1 कप बर्फ का चूरा.

बनाने का तरीका

-तरबूज को मिक्सर में पुदीनापत्ती के साथ ग्राइंड कर रस निकाल लें.

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-फिर उसे कांच के गिलास में भर कर इस में नीबू का रस व चीनी डाल कर मिक्स करें. ऊपर से बर्फ का चूरा भर ठंडी चुसकी सर्व करें.

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मुसीबत का दूसरा नाम सुलभ शौचालय

घटना दिल्ली के कौशांबी मैट्रो स्टेशन के नीचे बने सुलभ शौचालय की है. रविवार का दिन था. सुबह के 8 बजे का समय था. राजू को उत्तम नगर पूर्व से वैशाली तक जाना था. उस ने उत्तम नगर पूर्व से मैट्रो पकड़ी और कौशांबी तक पहुंचते-पहुंचते पेट में तेजी से प्रैशर बनने लगा. मैट्रो में ही किसी शख्स से पूछ कर राजू कौशांबी मैट्रो स्टेशन उतर गया.

मैट्रो से उतरने के बाद नीचे मौजूद तमाम लोगों से सुलभ शौचालय के बारे में पूछा, पर कोई बताने को तैयार नहीं था क्योंकि सभी को अपने गंतव्य की ओर जाने की जल्दी थी. तभी एक बुजुर्ग का दिल पसीजा और उस ने वहां जाने का रास्ता बता दिया.

सैक्स संबंधों में उदासीनता क्यों?

सुलभ शौचालय कौशांबी मैट्रो के नीचे ही बना था, पर जानकारी न होने के चलते राजू दूसरी ओर उतर गया. एक आटो वाले ने कहा कि उस तरफ जाओ जहां से तुम आ रहे हो. राजू फिर वहां पहुंचा तब जा कर शांति मिली कि चलो, सुलभ शौचालय जल्दी ही सुलभ हो गया.

अंदर जाते ही एक मुलाजिम वहां बैठा नजर आ गया. उस से इशारे में कहा कि जोरों की लगी है तो उस ने हाथ से इशारा कर के बता दिया कि उस टौयलेट में चले जाओ.

टौयलेट में गंद तो नहीं पसरी थी, पर बालटीमग्गे गंदे थे. पोंछा भी ज्यादा साफ नहीं था. जब वह फारिग हो कर बाहर निकला तो उस मुलाजिम को 10 रुपए का नोट थमाया. उस ने पैसे गल्ले में डाले और कहा कि जाओ, हो गया हिसाब.

राजू ने वहां उसी के ऊपर टंगी सूची की तरफ इशारा कर के कहा कि यहां पर तो 5 रुपए लिखा है तो उस ने जवाब दिया कि सफाई के भी 5 रुपए और जोड़ लिए गए हैं. इस हिसाब से 10 रुपए हो गए. राजू अपना सा मुंह ले कर बाहर आ गया. राजू के निकलने के बाद उसी टौयलेट में दूसरा शख्स भी गया और उस से भी 10 रुपए वसूले गए. वह भी अपना सा मुंह ले कर बाहर निकला. वहां न तो शिकायतपुस्तिका थी और न ही कोई पक्का बिल. शिकायत का निवारण करने के लिए न कोई सुनने वाला अफसर. जबकि सरकार पैसों के लेनदेन के डिजिटाइजेशन पर जोर दे रही है. सरकार मोबाइल ऐप के जरीए औनलाइन पेमैंट करने की बात कहती है, पर यहां ऐसी कोई सुविधा नहीं थी.

गरीब की ताकत है पढ़ाई

वैसे, टौयलेट के 5 रुपए और पेशाब करने के 2 रुपए निर्धारित किए गए हैं, पर किसी न किसी तरह से ज्यादा पैसे वसूले जाते हैं. भले ही 5-10 रुपए ज्यादा देना अखरता नहीं है पर जो तय कीमत रखी गई है, वही वसूली जाए तो न्यायपूर्ण होगा.

वैसे, शौचालय को ले कर तमाम खामियां हैं. कई जगह शौचालय ऐसी जगहों पर बना दिए गए हैं जहां हर कोई नहीं पहुंच सकता. ज्यादातर शौचालाय पानी की कमी से जूझ रहे हैं, इसलिए कहींकहीं ताला लटका मिलता है, तो कहीं कूड़ेकचरों के बीच शौचालय बना दिए गए हैं. गंदगी के ढेर पर बने शौचालयों में कोई नहीं जाता, ऐयाशी का अड्डा बने हुए हैं.

ये तो महज उदाहरण मात्र हैं. ऐसे न जाने कितने लोग शौचालय में कभी खुले पैसे को ले कर जूझते होंगे या फिर ज्यादा वसूली का रोना रोते होंगे. यही वजह है कि लोग शौचालय में जाने से कतराते हैं. इतना ही नहीं, कई सुनसान शौचालयों में तो देहधंधा होने तक की शिकायतें सुनी गई हैं.

एक ओर स्वच्छता अभियान जोरों से चल रहा है. ‘हर घर शौचालय’, ‘चलो स्वच्छता की ओर’, ‘शौचालय का करें प्रयोग गंदगी भागे मिटे रोग’, ‘बेटी ब्याहो उस घर में शौचालय हो उस घर में’ जैसी मुहिम चल रही है तो कहीं बड़ेबड़े इश्तिहार दे कर लोगों को जागरूक किया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर इस योजना पर काम करने वाले ही इसे पलीता लगा रहे हैं. कई निजी संस्थाएं भी आम आदमी को सहूलियतें देने के नाम पर सरकार को चूना लगा रही हैं. सरकार तो तमाम उपायों को अमल में लाने की कोशिश कर रही है, पर लोग हैं कि सुधरने को तैयार ही नहीं.

खतरे में है व्यक्तिगत स्वतंत्रता

सच तो यह है कि हम भले ही कितने पढ़लिख जाएं, पर सुधरने के नाम पर अगलबगल झांकने लगते हैं. ऐसे लोगों का मानना है कि हमारे बापदादा यही सब करते रहे हैं तो हम भी यही करेंगे. सुलभ शौचालय के मुलाजिमों पर किसी तरह का कोई शिकंजा नहीं है. सरकारी अमला खुले में शौच करने वालों को पकड़पकड़ कर जुर्माना लगा रहा है वहीं आम आदमी घर में बने टौयलेट में जाने से कतरा रहा है. वह कहता है कि खुले में शौच ठीक से आ जाती है, वहीं टौयलेट में बैठना नहीं सुहाता. वहीं दूसरी ओर घर की औरतेंबच्चे भी वहीं जाते हैं और मारे बदबू के चलते दिमाग ही हिल जाता है और पेट खराब रहता है, गैस बनती है, इसलिए मजबूरन खेत में ही जाना पड़ता है.

सुलभ शौचालय की शुरुआत करने वाले बिंदेश्वरी पाठक ने साल 1974 में जब इस की कल्पना की थी तब उन्हें भी तानेउलाहने सुनने को मिले होंगे, पर अब यही शौचालय नजीर बन कर उभरा है और देश में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी इस ने अपना परचम फहराया है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वच्छता मुहिम को एक मिशन मानते हैं. वे स्वच्छ भारत का सपना साकार करने में लगे हैं. तमाम ग्रामीण,शहरी, अपढ़ व पढ़ेलिखों को इस मुहिम में शामिल कर जागरूक करने में लगे हैं और शौचालय बनाने को ले कर गांवों तक में अपनी मुहिम चला रहे हैं. शौचालय तो बन गए हैं, लेकिन तमाम तरह की दिक्कतें हैं.

गरीब व वंचित लोगों की सुविधाओं को ध्यान में रख कर सुलभ शौचालय बनाए गए थे. शौचालय की सुविधा तो मिली, पर दूसरी ओर इस पर किराया लगना आम लोगों को काफी अखर रहा है. भले ही शौच करने की कीमत काफी कम रखी गई है, फिर भी असलियत वहां जाने पर ही पता चलती है. कर्मचारियों का अपना दुखड़ा है, वहीं आम आदमी की अपनी परेशानी.

दलितों की बदहाली

यही वजह है कि जो भी शख्स वहां फारिग होने जाता है, उसे हलाल करने की कोशिश की जाती है. यानी तय कीमत से ज्यादा वसूली. न देने पर कहासुनी,  मारपीट. हैरानी तो तब होती है जब शौचालय कर्मियों पर किसी तरह की निगरानी नहीं होती.

सुबहसवेरे फारिग होने के लिए तमाम लोग लाइन में खड़े नजर आते हैं. चाहे वह जगह बसअड्डा हो या रेलवे स्टेशन या फिर भीड़ वाली जगह, वहां जाने पर ही पता चलता है कि बिना किसी सूचना के शौचालय में ताला लटका हुआ है तो कहीं पूछने पर दूसरे शौचालय का दूरदूर तक पता भी नसीब नहीं होता.

क्या है नियम

नियमानुसार शौचालयों में केवल शौच व नहाने के पैसे लिए जा सकते हैं, लेकिन ठेकेदार और शौचालय में तैनातकर्मी की मनमानी से नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही है. पैसे देने के बावजूद इन शौचालयों में सफाई नहीं रहती है.

दिल्ली शहर में जितने भी सुलभ शौचालय बने हैं उन में लघुशंका का शुल्क प्रति व्यक्ति महज 2 रुपए है जबकि टौयलेट का 5 रुपए, वहीं नहानेधोने के लिए 10 रुपए. हालांकि कहींकहीं ज्यादा पैसा वसूले जाते हैं.

सुलभ शौचालय द्वारा आम लोगों की सुविधा के लिए दिल्ली के विभिन्न चौकचौराहों पर शौचालय बनाए गए हैं. इन के बनाने के पीछे यह मकसद है कि आम आदमी मामूली शुल्क दे कर जरूरत पडऩे पर इन का इस्तेमाल कर सके. लेकिन अब ये शौचालय कमाई का जरीया बन गए हैं. बाहर से आने वालों से शौचालय कर्मी मनमाना पैसा वसूल रहे हैं, जो गलत है.

सुलभ शौचालय की शिकायत कहां करें, इस का कोई खुलासा नहीं है. आम आदमी को ये बातें पता ही नहीं हैं. जागरूकता का सिर्फ ङ्क्षढढोरा पीटने से काम नहीं चलने वाला. अनपढ़ को भी समझाना होगा और शौचालय की अहमियत बतानी होगी, तभी हम जागरूक हो पाएंगे. पढ़ेलिखे भी अपनी शिकायत दर्ज नहीं करा पाते तो वहीं आम आदमी के लिए ये शौचालय कितने सुलभ रह पाएंगे.

‘‘कारगिल शेरशाह’’: विक्रम बत्रा की बायोपिक को रक्षा मंत्रालय से मिली हरी झंडी

आर्मी के कैप्टन विक्रम बत्रा की बायोपिक फिल्म ‘‘कारगिल्स शेरशाह’’ के फिल्मांकन की सारी बाधाएं दूर हो चुकी हैं. इस फिल्म की पटकथा और फिल्म के नाम को भी रक्षा मंत्रालय से हरी झंडी मिल चुकी है. अब मई महीने से चंडीगढ़ में इस फिल्म की शूटिंग शुरू होगी. इस फिल्म में विक्रम बत्रा का किरदार सिद्धार्थ मल्होत्रा निभाने वाले है. फिल्म के लिए इन दिनों सिद्धार्थ मल्होत्रा खास तरह की सैन्य ट्रेनिंग ले रहे हैं.

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लोकेशन के लिए परमिशन का इंतजार…

वैसे सूत्रों का दावा है कि इस फिल्म के फिल्मांकन के लिए लोकेशन को लेकर अभी तक हरी झंडी नही मिली है. पर निर्माताओं को यकीन है कि बहुत जल्द उन्हें लोकेशन को लेकर भी हरी झंडी फिल्म जाएगी.

Sidharth-Malhotra-preps-for

निर्माता ने कही ये बात…

फिल्म के सह निर्माता शब्बीर बाक्सवाला कहते हैं- ‘हमारी फिल्म की पटकथा और नाम को रक्षा मंत्रालय से स्वीकृति मिल गयी है. नियमानुसार जब भी किसी सेना के अफसर पर फिल्म बनानी हो, तो उसके घर वालों के साथ-साथ रक्षा मंत्रालय से स्वीकृति लेनी जरूरी होती है. हमने रक्षा मंत्रालय के पास अपनी फिल्म की पटकथा के साथ-साथ सभी जरूरी दस्तावेज जमा किए थे. अब फिल्म के नाम के साथ साथ स्क्रिप्ट को भी रक्षा मंत्रालय ने मंजूरी दे दी है. इसलिए हम बहुत जल्द शूटिंग शुरू करने वाले हैं.’’

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बता दें कि इस फिल्म को करण जौहर की कंपनी धर्मा प्रोडक्शन प्रोड्यूस कर रही है. फिल्म में सिद्धार्थ के साथ कियारा आडवाणी अहम रोल में नजर आएंगी.

Edited By- Nisha Rai

वैक्स करवाते समय रखें इन 5 बातों का खास ख्याल

आप अपनी बौडी को खूबसूरत और आकर्षक बनाए रखने की ख्वाहिश रखती हैं. इसके लिए आप हेयर वेक्सिंग का सहारा लेती हैं, पर  कुछ लड़कियों को वेक्स कराने  के बाद कई तरह की स्किन प्रोब्लम हो जाती हैं. इसलिए आज हम आपके लिए ये खास खबर लेकर आए हैं. इस खबर में  आपको बताएंगे कि वैक्स करवाते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए.

  1. प्रोफेशनल से ही कराएं वैक्सिंग

वैक्सिंग कराते समय हमेशा ध्यान रखें कि आपने जिस भी सैलून का चयन किया है या जो भी आपकी वैक्सिंग कर रहा है वह प्रोफेशनल है या नहीं.

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2. इन दिनों में वैक्स न कराए

अगर आपको पीरियड्स है या पीरियड्स से 2-3 पहले और बाद में वैक्स कराने से बचें. क्योंकि इन दिनों में स्किन बहुत सेंसटिव होती है, जिस वजह से इस समय में वैक्सिंग कराने से स्किन को नुकसान हो सकता है.

3. अच्छे प्रोडक्ट का चयन करें

वैक्सिंग कराते समय कभी भी सस्ते प्रोडक्ट का चयन न करें. अपनी स्किन के साथ किसी तरह का समझौता न करें. इसके अलावा मौसम के हिसाब से अपनी वैक्स का चयन करें.

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4. रूम टेम्प्रेचर

अगर वैक्स करवाते वक्त आपको पसीना आएगा तो वैक्स अच्छे से नहीं हो पाएगी. ऐसी जगह वैक्स कराएं जहां रूम टेम्प्रेचर मेंटेन करके रखा गया हो.

5. साफ सफाई

बहुत जगह साफ सफाई का ख्याल नहीं रखते हैं. गंदा पफ से पाउडर लगाना, एक ही स्ट्रीप से वैक्स करते रहना, गंदे टावल का इस्तेमाल करने से आपको स्किन से संबंधित परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. वैक्सिंग ऐसी जगह कराए जहां साफ सफाई का अच्छे से ध्यान रखा गया हो.

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posted by-saloni

Avengers Endgame Review: शानदार कहानी का बेहतरीन अंत

फिल्म समीक्षाः‘‘अवेंजर्स एंड गेम- बेहतरीन समापन फिल्म’’

निर्माताः केविन फिएग

निर्देशक: एंथनी रूसो, जौ रूसो

कलाकार: रौबर्ट डाउनीक्रिस इवांस, क्रिस हेम्सवर्थ, स्कारलेट जोहानसन और अन्य

रेटिंग: चार स्टार

बुराई पर अच्छाई की जीत पर भारत में सैकड़ों फिल्में बन चुकी हैं. मगर हौलीवुड ने अपने सुपर हीरो द्वारा पूरे विश्व को बुरी शक्तियों से बचाने वाली 22वीं फिल्म बना डाली, जिसका अंत ‘‘अवेंजर्स गेम एंड’ के साथ हो गया. बहरहाल, इस फिल्म में इसी सीरीज की पुरानी फिल्मों के सीन्स के साथ कई जटिल नाटकीय घटनाक्रमों के साथ ही कभी न मरने वाले यानी कि अजेय सुपर हीरो को श्रृद्धांजली भी दी गयी है.

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कहानीः

थैनोस (जोश ब्रोलिन) के खिलाफ आइरन मैन (रौबर्ट डाउनी), कैप्टन अमरीका (क्रिस इवांस), थौर (क्रिस हैम्सवर्थ), हल्क (मार्क रैफलो), ब्लैक विडो (स्कारलेट जोहानसन), जरेमी रेनर, ऐंट मैन (पौल रड), कैप्टन मार्वल (ब्री लार्सन) ने एकजुट होकर जंग छेड़ दी हैं. वास्तव में एंट मैन (पौल रड) इन सुपर हीरोज को आकर बताता है कि क्वांटम थ्योरी के जरिए वह अतीत में जाकर थैनोस से पहले उन मणियों को हासिल करें, तो इंफीनिटी वार की स्थिति से बचा जा सकता है. उस जंग में जिन अपनों को खो दिया गया था,उन्हें भी वापस लाया जा सकता है.

लेकिन क्या यह सभी क्वांटम थियरी को चाक चैबंद करके अतीत में जाकर विभिन्न जगहों से मणियों को हासिल कर पाएंगे. क्या अब थैनोस की बुराइयों का अंत हो पाएगा? क्या अवेंजर्स अपने प्यारों को वापस ला पाते हैं? क्या सुपर हीरोज का जलवा बरकरार रह पाता है? इन सारे दिलचस्प सवालों व कहानी के उतार चढ़ाव के लिए आपको अवेंजर्स देखनी होगी.

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कैसी है फिल्म…

इस साल की बहुप्रतीक्षित यह फिल्म दर्शकों की उम्मीदों पर खरी उतरती है. मार्वल सिनेमैटिक यूनिवर्स के लिए यह शानदार एंडिंग है. दर्शकों ने इसके कुछ पात्रों को काफी पसंद किया. इसमें जिस तरह से कहानी का विस्तार होता रहा है, वह सदैव रोमांचक रहा. क्रिस्टोफर मार्कस व स्टीफन एम सी फीली की पटकथा फिल्म की असली हीरो तो इसकी पटकथा ही है. लेखक व निर्देशक ने हिंसा व नाटकीय घटनाक्रमों के बीच भावनाओं के सागर को भी बरकरार रखने में अद्भुत सफलता पायी. इसफिल्म से क्वांटम भौतिकी थियरी को नए आयाम मिले.

डायरेक्शन…

फिल्म ‘‘अवेंजर्स एंडगेम’’की गति धीमी है, पर लगता है कि ऐसा जान बूझकर किया गया. जिससे चरित्रों का गहन विकास और उनसे मिलने वाली सशक्त प्रेरणा अच्छे ढंग से उभर सके. निर्देशक ने इंफरनिटी वार के बाद के हालात में सबसे पहले सुपर हीरो को स्थापित किया, कि वह किस तरह अपने कारनामों और सुपर पावर्स से दूर आम जीवन बिता रहे हैं. मगर जब एंट मैन आकर उनके अंदर अपनों को दोबारा वापास लाने का जज्बा भरता है, तब कहानी सरपट दौड़ती है. इस तरह तीन घंटे की फिल्म में से आखिरी आधे घंटे की फिल्म ही महत्वपूर्ण है, इसके बावजूद फिल्म बोर नही करती है. इसके लिए फिल्म के एडीटर भी बधाई के पात्र हैं.

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एक्टिंग….

जहां तक एक्टिंग का सवाल है, तो हर कलाकार ने बेहतरीन अभिनय किया है. आइरन मैन (रौबर्ट डाउनी जूनियर), कैप्टन अमरीका (क्रिस इवांस), थौर (क्रिस हैम्सवर्थ),हल्क (मार्क रैफलो), ब्लैक विडो (स्कारलेट जोहानसन), जरेमी रेंटर, ऐंट मैन (पौल रड) सुपर हीरो का रोल करते हुए अपनी अभिनय प्रतिभा की छाप छोड़ जाते हैं. (थैनोस) जोश ब्रोलिन तो लार्जर देन लाइफ ही नजर आते हैं.

Edited by- Nisha Rai

कागर रिव्यू: राजनीति के बीच दम तोड़ती प्रेम कहानी

फिल्म समीक्षाः कागर

निर्देशक: मकरंद माने

कलाकार: रिंकू राजगुरूशुभंकर तावड़े, शशांक शिंदे, शांतनु गांगने व अन्य

अवधिदो घंटे, दस मिनट

रेटिंगतीन स्टार

मराठी फिल्म ‘‘रिंगणे’’के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त फिल्मकार मकरंद माने इस बार देश की कुल्सित राजनीति के चेहरे और रक्तरंजित राजनीति के चेहरे को बेनकाब करती फिल्म ‘‘कागर’’ लेकर आए हैं. इसमें चुनाव के चलते राजनीतिक प्रचार, कार्यकर्ताओं द्वारा किया जा रहा प्रचार,राजनीतिक उठापटक,  राजनीतिक शत्रुता, शतरंजी चालें और गुरू जी राजनीतिक महत्वाकांक्षा के चलते बहते रक्त के बीच रानी व युवराज की प्रेम कहानी भी है. मगर गुरूजी की राजनीतिक महत्वाकांक्षा के चलते अंततः युवराज का भी रक्त बहता है.

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कहानीः

कहानी शुरू होती है मुंबई से, युवराज (शुभंकर तावड़े) अपने तीन साथियों के साथ महाराष्ट्र के वीराई नगर से मुंबई में मुख्यमंत्री के बंगले वर्षा पर आता है और बंगले पर मुख्यमंत्री के पी ए गुप्ते को प्रभाकर देशमुख उर्फ गुरूजी (शशांक शिंदे) द्वारा दिया गया बैग देकर चल देता है, तभी उनमें से एक वापस लौटकर गुप्ते को एक लिफाफा पकड़ाता है. इस लिफाफे के बारे में युवराज भी नहीं जान पाता. युवराज के कहने पर गुप्ते व गुरूजी के बीच बात होती है, जिससे यह बात साफ होती है कि इस बार गुरूजी के इशारे पर विधायक का चुनाव लड़ने के लिए भैयाजी (शातंनु गांगने) को टिकट मिलेगी. दूसरे दिन से वीराई नगर में भैयाजी चुनाव प्रचार करने लगते हैं. इस प्रचार में युवराज व उसके साथियों के साथ-साथ गुरूजी की बेटी प्रियदर्शनी देशमुख उर्फ रानी (रिंकू राजगुरू) भी हिस्सा लेती है. इससे विधायक भावदया नाराज होते हैं. हर कोई हैरान है कि पिछले 15 सालों से भावदया के साथ रहने वाले गुरूजी ने अचानक एक नए युवा भैयाजी के कैसे खडे हो गए, इस पर गुरूजी कहते हैं कि बदलाव चाहिए. युवा पीढ़ीको आगे लाना चाहिए.

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इसी बीच रानी और युवराज मंदिर में शादी करने का निर्णय लेते हैं. इसकी भनक गुरूजी को लगती है, तो गुरूजी अपनी शतंरजी चाल में युवराज को ऐसा फंसाते हैं कि युवराज शादी भूलकर गुरूजी की मदद के लिए दौड़ता है, उधर मंदिर में रानी इंतजार करती रह जाती है. गुरूजी अपनी पिस्तौल युवराज को देते हैं.

युवराज, भावदया की हत्या करने के लिए निकलता है, उसे गलत जानकारी दी जाती है जिसके चलते युवराज के हाथों भावदया की बजाय भैयाजी की हत्या हो जाती है. पर गुरूजी ऐसी चाल चलते है कि भैयाजी की हत्या के जुर्म में भावदया जेल पहुंच जाते हैं. युवराज नही समझ पाता कि गुरूजी ने तो उसे अपना मोहरा बनकार पीटा है. अब गुरूजी अपनी बेटी रानी को चुनाव मैदान में यह कह कर उतार देते है कि उन्होने युवराज को राजनीति की शिक्षा लेने के लिए पार्टी मुख्यालय भेज रखा है.

रानी जोरदार तरीके से चुनाव प्रचार में जुट जाती है. पर चुनाव से पहले ही रानी को सच पता चल जाता है कि उसके पिता यानी कि गुजी ने ही भैयाजी की हत्या करवाई है. क्योंकि वह रानी को विधायक बनाना चाहते हैं. जहां युवराज छिपा है, वहां रानी जाकर युवराज से जुर्म कबूल करने के लिए कहती है. रानी कहती है कि वह सजा काटकर आने तक युवराज का इंतजार करेगी, पर तभी गुरूजी अपने दलबल के साथ पहुंच जाते हैं.

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कई लोग मौत के घाट उतारे जाते हैं. अंततः रानी के विरोध के बावजूद युवराज को भी गुरूजी मौत दे देते हैं. रानी को गुरूजी समझाते हैं कि वह जो खुद नहीं बन सके, वह उसे बनाना चाहते है. रानी अपनी कलाई काटकर आत्महत्या करने का असफल प्रयास करती है. अंततः चुनाव के दिन वोट देने के लिए जाते समय रानी अपने पिता से कहती है कि वह इस बात को कभी नहीं भूलेगी कि उसके पिता हत्यारे हैं. बेटी की बातों से आहत गुरूजी आत्महत्या कर लेते हैं. रानी विधायक बन जाती है. पर वह अपने प्यार व युवराज को भुला नही पाती हैं.

लेखन व निर्देशनः

चुनाव के वक्त राजनीतिक दलों के अंदर होने वाली उठा पटक, एक ही दल से जुड़े लोगों के बीच एक दूसरे के खून के प्यासे हो जाने की हद तक की आपसी दुश्मनी, चुनाव प्रचार, चुनाव प्रचार रैली सहित जिस तरह से लोग अपनी अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा और अपनी अपनी कुर्सी बचाने के लिए दूसरों का खून बहाने पर आमादा रहते हैं, उसका यथार्थपरक चित्रण करने में फिल्मकार मकरंद माने पूर्णरूपेण सफल रहे हैं.मगर लेखक के तौर पर वह दिग्भ्रमित सा लगते है. इसी के चलते इंटरवल तक यह फिल्म पूर्णरूपेण प्रेम कहानी नजर आती है. इंटरवल के बाद अचानक यह रोमांचक और राजनीतिक फिल्म बन जाती है. परिणामतः प्रेम की हार होती है और स्वार्थपूर्ण रक्त रंजित राजनीति की विजय होती है.

निर्देशक के तौर पर मकरंद माने फिल्म के क्लाइमेक्स को गढ़ने में मात खा गए. फिल्म के कुछ सीन्स को जिस तरह से गन्ने के खेतों, गांव आदि जगह पर फिल्माया गया है, उससे फिल्म सुंदर बन जाती है. फिल्म के कुछ संवाद काफी अच्छे बन पड़े हैं. निर्देशक के तौर पर महाराष्ट्र में खुरदरी ग्रामीण राजनीति के साथ ही छोटे शहर के रोजमर्रा के जीवन का सटीक चित्रण करने में मकरंद माने सफल रहे हैं. लेकिन फिल्म को एडीटिंग टेबल पर कसे जाने की भी जरुरत थी.

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एक्टिंग…

जहां तक अभिनय का सवाल है तो प्रियदर्शनी देशमुख उर्फ रानी के किरदार को परदे पर जीवंतता प्रदान कर रिंकू राजगुरू ने एक बार फिर साबित कर दिखाया कि अभिनय में उनका कोई सानी नहीं है. मगर निर्देशक रिंकू राजगुरू की प्रतिभा का सही ढंग से उपयोग नहीं कर पाए, यह उनके लेखन व निर्देशन दोनों की कमियों को उजागर करता है. एक चतुर राजनीतिज्ञ के हाथों की कठपुतली बने युवराज के किरदार में नवोदित अभिनेता शुभंकर तावडे़ में काफी संभावना नजर आती हैं. गुरूजी के किरदार में शंशाक शिंदे की भी तारीफ की जानी चाहिए. अन्य कलाकारों ने भी ठीक ठाक काम किया है. फिल्म का गीत संगीत उत्कृष्ट होने के साथ ही सही जगह पर उपयोग किया गया है.

Edited by- Nisha Rai

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