घर पर बनाएं हेल्दी चुकंदर की चटनी

चुकंदर को सलाद में शौक से खाते हैं. लेकिन जब बात कुछ नया ट्राई करने की आती है तो हम घबराते हैं कहीं कुछ बेकार न हो जाए. आज हम आपको चुकंदर को एक नया रूप देने के बारे में बताएंगें. चटनी कई तरह की होती है, पर क्या आपने कभी चुकंदर की चटनी ट्राई की है. आइए जानते हैं इसे बनाने की रेसिपी…

इसे बनाने के लिए हमें चाहिए…

1 कसा हुआ चकुंदर   ,

1 टहनी कढ़ी पत्ता

2 हरी मिर्च

चुटकी भर हींग

1/2 टेबलस्पून तिल का तेल

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1 टेबलस्पून चना दाल

1 टेबलस्पून काली उरद दाल

1/3 कप कसा हुआ नारियल

1/2 कप पानी

स्वादानुसार नमक     ,

तड़के के लिए

1 टेबलस्पून तिल का तेल

1/2 टेबलस्पून राई

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1 स्प्रिंग कढ़ी पत्ता

1 पिंच हींग

बनाने का तरीका

-चकुंदर की चटनी बनाने के लिए सबसे पहले एक कढ़ाई में तेल गरम कर ले. अब इसमें चना दाल और काली उरद दाल डाले.

-20 सेकण्ड्स बाद इसमें हींग, कढ़ी पत्ता डालें और 10 सेकण्ड्स तक पकने दे. अब इसमें कसी हुई चकुंदर और हरी मिर्च डाले. 5 से 6 मिनट के लिए पकने दे. गैस बंद करें और इसमें नारियल डालें. अच्छी तरह से मिला ले.

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-ठंडा होने के बाद इसे मिक्सर ग्राइंडर में नमक और थोड़े पानी के साथ डालें. स्मूद पेस्ट में पीस लें और एक बाउल में निकाल ले.

-अब तड़के के लिए एक तड़का पैन में तेल गरम करें. इसमें राई डालें और 10 सेकण्ड्स तक पकने दे.

-अब इसमें कढ़ी पत्ता, हींग डालें और गैस बंद कर लें. इस तड़के को चटनी में डाले और मिला ले. चकुंदर की चटनी को किरई सांबर, चाउ-चाउ थोरन और चावल के साथ परोसें.

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जानें… क्यों है ग्रीन कौफी हेल्थ के लिए फायदेमंद

आजकल हर चीज में काफी वैराइटी आ गई हैं. रिफ्रेशिंग माने जाने वाली चाय-कौफी की बात करें तो पहले के मुकाबले इनमें भी अब कई वैराइटी आप को मिल जाएंगी, कभी स्वाद को ले कर तो कभी हेल्थ बेनिफिट्स के बेस पर. ग्रीन टी के हैल्दी बेनिफिट्स देखते हुए आज काफी लोग इसे पीने लगे हैं, लेकिन ग्रीन कौफी भी हेल्थ के लिए कम लाभकारी नहीं है. असल में ग्रीन कौफी सामान्य कौफी का एक नैचुरल रूप है.

यह ग्रीन कौफी के फायदे…

इसे बनाने में कौफी के नार्मल बीजों का ही प्रयोग किया जाता है. कौफी के बीजों को अगर भूना नहीं जाए तो वे बीज हरे रंग के ही बने रहते हैं. इन्हीं बीजों से ग्रीन कौफी तैयार की जाती है. कौफी सीड्स में एक खास तत्त्व क्लोरोजेनिक एसिड होता है, जो कौफी के बीज भूने जाने से खत्म हो जाता है. वैज्ञानिक मानते हैं कि ग्रीन कौफी में यह तत्त्व बना रहता है और यह हेल्थ के लिए बहुत अच्छा होता है.

1. वजन कम करने में है मददगार

ग्रीन कौफी में मौजूद घटक के बौडी में होने से वेट लौस में मदद मिलती है. एंटीऔक्सिडेंट गुणों से भरपूर ग्रीन कौफी मेटोबोलिजम की प्रक्रिया को तेज करती है. इसलिए इसे पीने से वजन नहीं बढ़ता और साथ ही जमा हुआ फैट भी घटना शुरू होता है. उपापचय तेज रहने से एनर्जी का स्तर भी लगातार बना रहता है.

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2. ब्लड शुगर करें कंट्रोल

डायबिटीज के मरीजों के लिए ग्रीन कौफी को फायदेमंद माना जाता है. इसके नियमित सेवन से ब्लड शुगर लेवल नार्मल रहता है.

3. हार्ट के लिए फायदेमंद

ग्रीन कौफी में मौजूद क्लोरोजेनिक एसिड हार्ट के लिए बेनिफिशियल है. इसमें मौजूद एंटीऔक्सीडेंट्स रक्त नलिकाओं को फैलने में मदद करते हैं और इससे नेचुरल तरीके से ब्लडप्रेशर कम होता है. ब्लडप्रेशर कम होने पर हृदय की सेहत पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है जिसके कारण हृदय लंबे समय तक सेहतमंद बना रहता है.

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4. सिरदर्द में दे राहत

ग्रीन कौफी में मौजूद कैफीन सिर के दर्द को तेजी से कम करने के लिए बेहतर उपाय है.

5. कैंसर में कारगर

cancer

ग्रीन कौफी में उपस्थित तत्त्व शरीर में होने वाले चार तरह के कैंसर को रोकने में शरीर की मदद करता है. अत: अपनी दिनचर्या में इसके नियमित सेवन से कैंसर जैसी जान लेने वाली बीमारी से बच सकते हैं.

6. डिमेन्शिया से मिलेगी राहत

ग्रीन कौफी में मौजूद क्लोरोजनिक एसिड दिमागी सेहत के लिए बहुत प्रभावी है. यह संज्ञानात्मक क्रियाओं को बेहर करने के साथ-साथ मानसिक समस्याओं को भी ठीक करने में सहायक होता है. बढ़ती उम्र के साथ-साथ डिमेन्शिया या मतिभ्रम की स्थिति में इसका इस्तेमाल करना बहुत लाभदायक माना जाता है.

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7. बढ़ती उम्र छिपाए

बढ़ती उम्र के निशान हमारी त्वचा पर साफ नजर आने लगते हैं. ग्रीन कौफी में मौजूद एंटीऔक्सिडेंट इन सभी निशानों को कम करने में मदद करते हैं और स्किन को नया जीवन देते हैं. इसके नियमित सेवन से झाइयां, पतली लाइन्स, डार्क सर्कल्स आदि जल्दी ही दूर होने लगते हैं.

8. मूड बनाए बेहतर

ग्रीन कौफी का सीधा असर आपकी मनोदशा पर पड़ता है. यह हमारे दिमाग पर असर डालती है और हमारे मूड को बेहतर बनाती है. यह नींद या आलस को दूर कर हमें एक्टिव बनाए रखती है.

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वक्त बदल रहा है

पूर्व कथा

सुबह अखबार पढ़ कर लीना चौंक जाती है कि हरिनाक्षी ने जिला कलक्टर का पद ग्रहण कर लिया है. यह खबर पढ़ते हुए वह अतीत में खोने लगती है. दलित परिवार की हरिनाक्षी और उस के बीच कभी गहरी दोस्ती नहीं रही.

एक दिन हरिनाक्षी की सहेली अनुष्का का बलात्कार हो जाता है. प्रतिष्ठित व्यापारी का बिगड़ैल बेटा होने के कारण बलात्कारी सुबूतों के अभाव में जमानत पर छूट जाता  है. कालिज की राजनीतिक गतिविधियों से जुड़ी होने के कारण अनुष्का लीना के पास मदद के लिए जाती है, लेकिन वह मना कर देती है. उधर, अनुष्का आत्महत्या कर लेती है.

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अपने उत्तराधिकारी के रूप में लीना के पिता उसे राजनीति में उतारते हैं और उस की शादी ऊंचे व्यापारिक घराने में कर देते हैं. उस का देवर ही अनुष्का का बलात्कारी था इसी वजह से लीना इस रिश्ते को स्वीकार करने में हिचकिचाती है. अंतत: शादी कर लेती है.

आज लीना एक लोकप्रिय राजनीतिक पार्टी की सचिव है. वह अपने राजनीतिक रुतबे का इस्तेमाल पति कमलनाथ के एक बहुत बड़े प्रोजेक्ट के लिए करती है. इस प्रोजेक्ट के लिए उसे हरिनाक्षी की मदद की जरूरत पड़ती है.

शहर के व्यस्ततम इलाके के एक पुराने मकान को कमलनाथ खाली करवाना चाहते हैं लेकिन मकान मालिक शिवचरण खाली नहीं करता क्योंकि इस मकान से उस की बेटी अनुष्का की यादें जुड़ी हैं. कमलनाथ पुलिस विभाग में अपने रौबदाब की वजह से मकान खाली करवाना चाहते हैं लेकिन शिवचरण अपनी फरियाद ले कर जिला कलक्टर हरिनाक्षी के पास जाते हैं तो वह शिवचरण को पहचान लेती है. अनुष्का के पिता होने के नाते वह उन की मदद करने का आश्वासन देती है. वह एस.पी. को बुला कर पुलिस अधिकारियों की बैठक बुलाती है और बैठक को संबोधित करने लगती है. अब आगे…

अंतिम भाग

गतांक से आगे…

हरिनाक्षी मीटिंग पूरी कर के चली गई. वह जानती थी कि उस की बात अब लीना, कमलनाथ और निर्मलनाथ के कानों तक जरूर पहुंचेगी और वे लोग भागेभागे उस के पास आएंगे और ऐसा हुआ भी.

शिवचरण के इलाके का थानेदार लीना के घर हाजिरी लगाने पहुंच गया.

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‘‘क्या उस बुड्ढे का मकान खाली हो गया?’’ लीना ने पूछा.

‘‘मैडम, मकान खाली कराना तो दूर की बात है अब तो आप पर मुकदमा दर्ज करना होगा,’’ थानेदार ने घिघियाते हुए कहा.

‘‘क्या बकते हो?’’ लीना बुरी तरह भड़क गई.

‘‘हां, मैडम. मैं मजबूर हूं. आज कलक्टर साहिबा ने सारे पुलिस वालों की मीटिंग बुलाई और साफ शब्दों में आदेश दिया कि किसी भी फरियादी को थाने से खाली हाथ लौटने न दिया जाए. लिहाजा, हमें भी शिवचरण की शिकायत पर काररवाई करनी होगी,’’ थानेदार की आवाज थोड़ी डरी हुई थी.

कमलनाथ का चेहरा उतर गया.

लीना भी परेशान हो गई.

‘‘डी.एस.पी. साहब ने कुछ नहीं कहा,’’ कमलनाथ की आवाज में बेचैनी झलक रही थी.

‘‘कहां साहब, मैडम के सामने सब की बोलती बंद थी,’’ थानेदार ने कहा.

‘‘अब क्या होगा?’’ कमलनाथ ने लीना की तरफ देखते हुए कहा.

‘‘होगा क्या. चलो, मिलने चलते हैं. अपनी सहेली से और आप की साली साहिबा से,’’ लीना ने माहौल को हलका करने की कोशिश करते हुए कहा.

‘‘भाभी, मैं भी चलूंगा,’’ निर्मलनाथ ने कहा.

‘‘हां, हां, क्यों नहीं,’’ लीना बोली.

दूसरे ही दिन लीना, कमलनाथ और निर्मलनाथ कलक्टर साहिबा के बंगले पर पहुंच गए. मुलाकाती कक्ष में कई महिलापुरुष बैठे हुए थे. कई लोग लीना को पहचानते भी थे और सब की आंखों में एक सवाल भी था कि लीना जैसी हस्ती भी मिलने के लिए मुलाकाती कक्ष में बैठने पर मजबूर है.

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लीना ने अपना कार्ड चपरासी को देते हुए कहा, ‘‘मैडम को दे दो.’’

चपरासी कार्ड ले कर अंदर चला गया और फिर तुरंत बाहर आ कर अपनी जगह खड़ा हो गया.

‘‘मैडम ने क्या कहा?’’ वह पूछे बगैर न रह सकी.

‘‘कुछ नहीं,’’ चपरासी ने टका सा जवाब दिया.

लीना ठंडी पड़ गई. लीना के साथसाथ कमलनाथ और निर्मलनाथ भी परेशान दिखाई दे रहे थे. उन्हें अपनी बारी का इंतजार करते हुए 2 घंटे हो गए.

‘‘चलिए, मैडम ने आप लोगों को अंदर बुलाया है,’’ चपरासी ने कहा तो तीनों के चेहरे पर थोड़ी राहत नजर आने लगी.

तीनों ने अंदर कमरे में प्रवेश किया.

लीना देख रही थी कि हरिनाक्षी आज भी सुंदर दिखाई दे रही है जैसा कालिज के जमाने में दिखाई देती थी. ऊंचे पद की गरिमा ने उस की आंखों की चमक और बढ़ा दी है.

‘‘आइए, बैठिए,’’ कुरसियों की तरफ इशारा करते हुए हरिनाक्षी ने कहा.

‘‘हरिनाक्षीजी, पहचाना आप ने? मैं लीना सिंह. हम सब सेंट जेवियर्स कालिज में साथ पढ़ते थे,’’ लीना ने मुसकराते हुए कहा.

‘‘अरे, आप को कैसे नहीं पहचान सकती…आप मुझ से सीनियर थीं और मुझ जैसी नई छात्राओं की बहुत मदद करती थीं,’’ हरिनाक्षी ने हंसते हुए उत्तर दिया.

लीना समेत सब की जान में जान आई.

‘‘आप के ही सहयोग के चलते मैं आज यहां पर बैठी हूं. खैर, बताइए क्या काम है?’’ हरिनाक्षी ने चुभते हुए स्वर में कहा.

‘‘यह मेरे पति हैं, कमलनाथ और साथ में इन के छोेटे भाई निर्मलनाथ हैं.’’

‘‘मैं इन्हें खूब पहचानती हूं. मेरी स्मरण शक्ति इतनी खराब नहीं है. बात क्या है? इस गरीब को कैसे याद किया?’’ हरिनाक्षी मुसकराई.

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‘‘कुछ दिन हुए, एक मकान का सौदा किया था और मकान मालिक को इन्होंने मकान की आधी कीमत चुकाई थी. मगर आज इस बात को मकान मालिक मानने को तैयार ही नहीं हो रहा है. उलटे इन्हें गुंडों से धमकी दिलवा रहा है,’’ लीना और भी कुछ कहने जा रही थी मगर हरिनाक्षी ने बीच में ही कहना शुरू किया, ‘‘वह आदमी आप लोगों से कहीं ज्यादा पहुंच और पैसे वाला होगा. है न? गुंडे भी वरदी वाले होंगे. खादी हो या खाकी वरदी, क्या फर्क पड़ता है,’’ हरिनाक्षी ने कटाक्ष करते हुए कहा.

तीनों के चहेरों का रंग उड़ गया. उन्हें धरती घूमती नजर आने लगी.

‘‘बात यह है कि …’’ कमलनाथ ने कुछ कहने की कोशिश की.

‘‘सारे शहर को मालूम है कि शिवचरण की हैसियत में और आप लोगों की औकात में जमीनआसमान का अंतर है. फिर भी अगर आप को शिकायत दर्ज करानी है तो अपने निकट के थाने में उस के खिलाफ एफ.आई.आर. दर्ज करवाइए. प्रशासन से मदद चाहिए तो एक आवेदन- पत्र दीजिए. ध्यान रहे कि दस्तावेज पूरे होने चाहिए,’’ हरिनाक्षी ने ठंडे स्वर में कहा.

‘‘मैं तो यह सोच कर आई थी कि हमारी पुरानी दोस्ती का लिहाज करते हुए तुम हमारी मदद करोगी,’’ लीना ने अपने नेतागीरी वाले अंदाज में कहा.

‘‘हम कितने गहरे दोस्त थे यह बताने की शायद मुझे जरूरत नहीं. और मैं यह बता देना जरूरी समझती हूं कि मैं इस शहर में दोस्ती निभाने नहीं आई हूं. मेरा फर्ज यहां के आम नागरिकों के जानमाल की रक्षा करना है,’’ हरिनाक्षी ने बिना किसी लागलपेट के कहा.

लीना के अंदर छिपा हुआ राजनीतिज्ञ जोर मारने लगा. हरिनाक्षी से पहले आए जिला अधिकारियोें की नाक में दम कर देने वाली लीना अपनी खादी वरदी का असर देख चुकी थी.

‘यह हरिनाक्षी की बच्ची किस खेत की मूली है?’ लीना ने सोचा.

‘‘देखिए, हरिनाक्षीजी, अब तक हम सिर्फ एक आम नागरिक की तरह आप से प्रार्थना कर रहे थे, लेकिन ऐसा लगता है कि अफसरी की वरदी ने आप के खून में कुछ ज्यादा ही उबाल ला दिया है,’’ लीना के तेवर अचानक ही बदल गए.

हरिनाक्षी उत्तर देने को तत्पर हुई कि इस बीच कमलनाथ बोल पड़ा, ‘‘आप को शायद दौलत और ‘पहुंच’ की ताकत का अंदाज लगाने का अवसर नहीं प्राप्त हुआ है,’’ कमलनाथ के बोलने का अंदाज शतप्रतिशत धमकी भरा था.

‘‘अब मालूम हुआ कि आप सब यहां केवल धमकी देने और अपनी ताकत का बखान करने आए हैं. खैर, मैं ने सुन लिया. अब मेरी भी एक बात ध्यान से सुन लीजिए कि राजनेता और पूंजीपति कभी मेरे प्रिय पात्रों में से नहीं रहे. इसलिए मुझे उन से न तो कभी दोस्ती निभाने की जरूरत पड़ी और न कभी डरने की जरूरत समझी. आप लोग जो भी कदम उठाना चाहें बडे़ शौक से उठा सकते हैं. अब आप लोग जा सकते हैं,’’ हरिनाक्षी ने गंभीरतापूर्वक कहा.

लीना के चेहरे का रंग उड़ गया. उसे अंदाजा नहीं था कि हरिनाक्षी उस के राजनीतिक रसूख की धज्जियां उड़ा कर रख देगी. वह पिटी हुई सूरत ले कर बाहर निकली. उधर कमलनाथ का चेहरा भी उतर गया था. बाहर निकलते ही लीना  पति व देवर को दिलासा देते हुए बोली, ‘‘तुम घबराओ मत. मैं इसे जब तक अपनी हैसियत और इस की औकात न बता दूंगी तब तक चैन से नहीं बैठूंगी.’’

इस के बाद लीना अपनी पार्टी के कई आला नेताओं से ले कर गृहमंत्री तक से मिली. आश्चर्यजनक था कि हर जगह उसे निराशा ही मिली.

चुनाव सामने आ रहे थे और कोई भी नेता इस समय किसी दलित अधिकारी को केवल किसी के कहने पर कुछ भी बोलने को तैयार नहीं था. सब को अपने दलित वोट बैंक का खाता खाली होने का डर सता रहा था.

लीना बुरी तरह निराश हो उठी. उसे अपने बुरे दिन नजदीक दिखाई देने लगे थे. वह अपने बंगले में बैठी आने वाले दिनों के बारे में सोच रही थी.

इधर हरिनाक्षी एक पत्रकार सम्मेलन को संबोधित कर रही थी.

‘‘मैडम, पुलिस और प्रशासन पर से जनता का विश्वास क्यों उठता जा रहा है?’’ एक बुजुर्ग पत्रकार ने पहला सवाल दागा.

‘‘दरअसल, लोगों को केवल अपनी पहुंच और पैसे पर भरोसा रह गया है और भरोसे का यह माध्यम हर वर्ग के लोगों पर अपनी पैठ कायम कर चुका है. कई बार यह महसूस कर काफी दुख होता है कि लोग पुलिस और कानून से बचना चाहते हैं. लोग सामने नहीं आते. इस में कोई दोराय नहीं कि ऐसी स्थिति के लिए हम भी कहीं न कहीं दोषी हैं. मैं पूरी कोशिश करूंगी कि लोगों का पुलिस और प्रशासन पर फिर से भरोसा कायम हो जाए,’’ हरिनाक्षी के स्वर में दृढ़ता थी.

‘‘इस शहर में महिलाएं भी खुद को असुरक्षित महसूस करती हैं. छेड़खानी, बलात्कार जैसी घटनाएं आएदिन होती ही रहती हैं. अभी भी कई सारे अपराधी आरोपी होने के बावजूद खुलेआम घूम रहे हैं क्योंकि उन के पास खादी और खाकी दोनों की ताकत है. ऐसे अपराधियों के लिए प्रशासन क्या कदम उठाने जा रहा है?’’ यह एक महिला पत्रकार का सवाल था.

‘‘ऐसे सारे मामलों की फाइल दोबारा खोली जाएगी. मैं मीडिया को विश्वास दिलाती हूं कि अपराधी चाहे कितना भी रसूख वाला हो. उसे बख्शा नहीं जाएगा,’’ हरिनाक्षी ने जवाब दिया.

‘‘क्या आप खादी की ताकत से नहीं घबरातीं?’’ एक पत्रकार ने व्यंग्यात्मक स्वर में पूछा.

‘‘बिलकुल नहीं,’’ हरिनाक्षी ने दो शब्दों में जवाब दिया.

‘‘क्या अनुष्का को न्याय मिलेगा, हरिनाक्षीजी?’’ एक गंभीर और उदास आवाज गूंजी. अपना नाम लिए जाने पर हरिनाक्षी चौंक उठी और उस पत्रकार की तरफ देखा. वह रवि था, जो अनुष्का से प्यार करता था.

अनुष्का ने रवि से उसे एकदो बार मिलाया था. रवि उन दिनों दिल्ली में पत्रकारिता की पढ़ाई कर रहा था जब अनुष्का के साथ वह दर्दनाक हादसा हुआ था.

‘‘रविजी, आप प्रशासन पर भरोसा रखें. आप के इस सवाल का जवाब बहुत जल्दी मिलेगा,’’ हरिनाक्षी ने गंभीरता से जवाब दिया.

‘‘मैं तो आप को देखते ही पहचान गया था. अब आप से उम्मीद लगा रहा हूं तो कुछ गलत तो नहीं कर रहा?’’ रवि ने पूछा.

‘‘नहीं. कतई नहीं,’’ हरिनाक्षी ने उत्तर दिया और पूछा, ‘‘अभी आप किस अखबार से जुडे़ हैं?’’

‘‘एक राष्ट्रीय अखबार ‘दैनिक प्रभात समाचार’ से जुड़ा हूं.’’

‘‘अनुष्का को आप अभी तक नहीं भूल पाए,’’ हरिनाक्षी ने जैसे रवि की दुखती रग पर हाथ रख दिया.

‘‘अनुष्का को मैं अपने मरने के बाद ही भूल पाऊंगा,’’ रवि का स्वर भीगा हुआ था.

‘‘क्षमा करें, मैं आप से व्यक्तिगत सवाल पूछ बैठी,’’ हरिनाक्षी अब धीरेधीरे औपचारिकता छोड़ रही थी.

‘‘आज आप को इस ओहदे पर देख कर मुझे कितनी खुशी हो रही है, आप अंदाजा नहीं लगा सकतीं,’’ रवि के स्वर में खुशी झलक रही थी. वह उठते हुए बोला, ‘‘आशा है, आप अनुष्का को इंसाफ जरूर दिलाएंगी.’’

‘‘हां, अनुष्का को भी और उस के पिता को भी. साथ ही शहर के उन सभी नागरिकों को जो चुप रहते हैं और शैतानों के डर से सामने नहीं आते.’’

उस के बाद हरिनाक्षी ने नंबर डायल करने शुरू किए.

दोचार दिनों के बाद शहर में जैसे एक हंगामा हुआ. नई जिलाधिकारी की चर्चा हर गलीचौराहों पर आम हो गई. स्थानीय अखबारों के साथसाथ राष्ट्रीय अखबारों में भी हरिनाक्षी सुर्खियों में छाने लगी. शहर के तमाम सफेदपोश परेशान हो उठे थे. उन के खाकी और खादी वरदी वाले दोस्त उन से दूरदूर रहने लगे थे.

पुरानी फाइलें खुल रही थीं. दोषियों को फौरन पकड़ा जा रहा था.

लीना भी बेहद परेशान थी. उसे ऐसा लग रहा था कि बस, पुलिस आज या कल उस के घर पर धावा बोलने ही वाली है. कमलनाथ और उन का बिगड़ा हुआ छोटा भाई निर्मलनाथ भी डरेडरे से रहते थे.

आज भी लीना अपने बंगले के लान में बैठी अखबार पलट रही थी. लगभग हर पन्ने में हरिनाक्षी का नाम पढ़ कर बुरी तरह चिढ़ रही थी.

उस ने सामने देखा तो घर का नौकर शंकर घबराया हुआ उन की तरफ दौड़ता आ रहा था.

‘‘मालकिन, पुलिस आई है. तिवारीजी आए हुए हैं,’’ शंकर की आवाज में अभी भी घबराहट थी.

इंस्पेक्टर तिवारी का नाम सुन कर लीना ने इत्मिनान की सांस ली, क्योंकि तिवारी तो उन का अपना आदमी था.

वह बरामदे में बैठे तिवारी के सामने पहुंची. उस के साथ 2-3 सिपाही भी बैठे थे.

‘‘क्या बात है, तिवारी?’’ लीला ने डरते हुए पूछा.

‘‘कमलबाबू और निर्मलबाबू के नाम से गिरफ्तारी वारंट है. शिवचरण ने इन दोनों के खिलाफ एफ.आई.आर. दर्ज कराई है. कलक्टर साहिबा ने फौरन काररवाई करने का आदेश दिया है,’’ इंस्पेक्टर तिवारी ने भरे हुए स्वर में कहा.

‘‘तो फिर?’’ लीना के माथे पर बल पड़ गए.

‘‘इन्हें गिरफ्तार करना ही होगा,’’ इंस्पेक्टर तिवारी का स्वर थोड़ा बदला.

‘‘ठीक है,’’ लीना ठंडी पड़ गई.

फरार होने के बजाय दोनों भाई कमलनाथ व निर्मलनाथ नीचे आ गए तो इंस्पेक्टर तिवारी ने उन्हें हथकडि़यां पहना दीं.

कुछ ही पलों के बाद दोनों भाइयों को पुलिस जीप में बैठा कर थाने ले जाया गया. लीना यह सब बेबसी से देखती रही.

अब तो अदालत के चक्कर काटने होंगे. गवाह भी खुल कर सामने आएंगे. दोनों भाइयों को सजा होनी  निश्चित थी.

लीना को कालिज का वह जमाना याद आ रहा था जब वह हरिनाक्षी जैसी लड़कियों का खुल कर मजाक उड़ाया करती थी. हरिनाक्षी पर तो फुर्सत निकाल कर फिकरे कसने का दौर वह शुरू करती थी.

दलितों को कमजोर समझना एक भयंकर भूल होगी. देश भर के दलित अगर ऊंचे पदों पर बैठ गए तो ऊंची जाति वालों का क्या होगा?

उधर हरिनाक्षी को भी कमलनाथ और निर्मलनाथ की गिरफ्तारी की खबर मिली. उस ने संतोष की सांस ली. अब जब तक वह शहर में है. ऐसे लोगों को उन की औकात याद दिलाती रहेगी जो कानून और पुलिस को अपनी जेब में ले कर चलने का दावा करते हैं. चाहे वह किसी भी समुदाय से संबंध रखते हों. ऐसे सफेदपोशों को वह उन की सही जगह पहुंचाती रहेगी.

लीना अगर समझती है कि उस ने प्रतिशोध लिया है तो वह गलत समझती है. हां, उसे यह एहसास जरूर होना चाहिए कि वक्त बदल रहा है. अनुष्का जैसी मासूम लड़कियों को इनसाफ मिलना ही चाहिए.

शिवचरण जैसे असहाय बुजुर्गों या किसी भी नागरिक को उस के घर से बेदखल करने का किसी भूमाफिया को अधिकार नहीं है.

कमलनाथ और निर्मलनाथ की गिरफ्तारी की खबर से रवि की प्रसन्नता का ठिकाना न रहा.

उस ने तुरंत अपने मोबाइल पर संदेश लिखना शुरू किया.

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‘‘इस शहर का चेहरा बदल रहा है और वक्त भी. अनुष्का और शिवचरण जैसे लोग सारे देश में फैले हुए हैं और इंसाफ की तलाश में भटक रहे हैं. उन्हें आप जैसे रहनुमा की खोज है.’’

हरिनाक्षी को यह संदेश मिला. वह सोच रही थी, ‘ऐसे लोग सामने आ रहे हैं. हमें आशावान होना चाहिए क्योंकि वक्त बदल रहा है.’ और यही संदेश उस ने अपने मोबाइल पर लिखना शुरू किया.

खतरे में है व्यक्तिगत स्वतंत्रता

व्हाट्सऐप, ट्विटर, फेसबुक आजकल दुनियाभर में सरकारों और समाजों के निशाने पर हैं. जब से फेसबुक का कैंब्रिज एनालिटिक्स को अपने से जुड़े लोगों के व्यवहार के बारे में डेटा बेच कर पैसा कमाने की बात सामने आई है, तब से लगातार डिजिटल मीडिया, डिजिटल संवादों पर सवाल उठ रहे हैं. गूगल के सुंदर पिचाई ने अमेरिकी संसद को बताया है कि गूगल चाहे तो मुफ्त भेजे जाने वाले जीमेल अकाउंटों के संवाद भी वे पढ़ सकता है.

असल में डिजिटल क्रांति दुनिया के लिए खतरनाक साबित हो रही है कुछ हद तक परमाणु बमों की तरह. परमाणु परीक्षणों का विनाशकारी उदाहरण बाद में देखने को मिला पर उस दौरान किए गए शोध का फायदा बहुत से अन्य क्षेत्रों में बहुत हद तक हुआ है और आजकल जो रैडिएशन के दुष्प्रभाव की बात हो रही है वह परमाणु परीक्षणों से ही जुड़ी है. डिजिटल क्रांति में उलटा हुआ है. पहले लाभ हुआ है, अब नुकसान दिख रहे हैं.

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न केवल आज डिजिटल मीडिया या सुविधा से अपनी बात मित्रों, संबंधियों, ग्राहकों तक पहुंचाई जा सकती है, इस का जम कर फेक न्यूज फैलाने में भी इस्तेमाल हो सकता है.

दुनियाभर में फेक मैसेज भेजे जा रहे हैं. स्क्रीनों के पीछे कौन छिपा बैठा है यह नहीं मालूम इसलिए करोड़ों को मूर्ख बनाया जा रहा है और लाखों को लूटा भी जा रहा है. लोग फेसबुक, व्हाट्सऐप के

जरीए प्रेम करने लगते हैं जबकि असलियत पता ही नहीं होती.

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जो बात 2 जनों में गुप्त रहनी चाहिए वह सैकड़ों में कब बंट जाए, कुछ कहा नहीं जा सकता. पीठ पीछे की आप की बात कहां से कहां तक जाएगी आप को पता भी नहीं चलेगा. सरकारों के लिए ये प्लैटफौर्म बहुत काम के हैं. वे कान मरोड़ कर उन से अपने विरोधियों के मेल, मैसेज, बातें सब पता कर लेती हैं. आज मोबाइल पर कही गई बात भी सुरक्षित नहीं है, क्योंकि उस का रिकौर्ड कहीं रखा जा रहा. न केवल आप ने कहां से किस को फोन किया यह रिकौर्डेड है, क्या बात की यह भी रिकौर्डेड है. हां, उसे सुनना आसान नहीं यह बात दूसरी है. पर खास विरोधी का हर कदम सरकार जान सकती है. टैक कंपनियां असल में व्यक्तिगत स्वतंत्रता का सब से बड़ा अंकुश बन गई हैं. पहले लगा था कि इन से अपनी बात लाखोंकरोड़ों तक पहुंचाई जा सकती है.

आप कागज पर ही लिखें, यह तो नहीं कहा जा सकता पर यह जरूर ध्यान में रखें कि सरकारी शिकंजा आप के गले में तो है ही आप व्यापारियों के लिए भी टारगेट बन रहे हैं. वे आप की सोच, आप के खरीदने के व्यवहार को भी नियंत्रित कर रहे हैं.

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नए घर में शिफ्ट होने से पहले कर लें ये 4 काम

अगर आप किसी नए घर में शिफ्ट हो रहे हैं तो बहुत जरूरी है कि शिफ्ट होने से पहले आप उस घर की सफाई कर लें. ऐसा करना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि एक बार घर में शिफ्ट हो जाने के बाद घर सामान से भर जाता है और कोनों की अच्छे तरीके से सफाई नहीं हो पाती है. कई बार ऐसा भी होता है कि नया घर हमें देखने में तो साफ लगता है लेकिन असल में वह होता नहीं है. ऐसे में घर को पूरी तरह साफ करने के बाद ही उसमें प्रवेश करें. ताकि घर और खूबसूरत नजर आए.

घर के बाथरूम को चमकाने के बेहतरीन उपाय

सबसे पहले आपको कुछ ऐसी चीजों की जरूरत है जिनसे घर की सफाई का काम आसान हो जाए. एक सींक और एक फूल झाड़ू, पोंछा, डस्ट‍िंग के काम के लिए कौटन के कुछ कपड़े, एक डस्टपैन और हाथों में पहनने के लिए दस्ताने.

अगर आपको धूल से एलर्जी है तो फेस मास्क रखना न भूलें. इसके अलावा सफाई के लिए डिटर्जेंट और दूसरे क्लीनिंग एजेंट्स भी याद से अपने पास रख लें. आप चाहें तो सफाई के दौरान डेटौल या फिर कोई दूसरा एंटी-सेप्ट‍िक भी प्रयोग कर सकते हैं. सफाई की शुरूआत हमेशा ऊपर से नीचे करनी चाहिए. जिस घर में आप प्रवेश करने जा रहे हैं, अगर वह काफी समय से बंद है तो सकता है कि वहां मकड़ियों के जाले हों. सबसे पहले उन्हें साफ कर लें. उसके बाद पूरे घर में झाड़ू लगाकर धूल साफ कर लें. धूल साफ करने के बाद दीवार में बनी आलमारियों को भी साफ कर लें. अगर फर्श पर दाग हों तो उन्हें भी इसी समय साफ कर लें.

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घर साफ करने के दौरान आप चाहें तो ये उपाय अपना सकते हैं:

1. भूले-बिसरे कोनों और चीजों को साफ करना है बहुत जरूरी

हर घर में कुछ कोने ऐसे होते हैं जिस पर लोगों का ध्यान कम जाता है लेकिन अभी तो आप शिफ्ट कर रहे हैं और उन कोनों को आसानी से साफ कर सकते हैं. अलमारियों के भीतर के रैक, पंखे, ट्यूब-लाइट और खिड़की-दरवाजों की जालियों को अभी ही साफ कर लेने में समझदारी है.

2. बेडरूम साफ करना है सबसे महत्वपूर्ण

बेडरूम वो कमरा है जहां एक शख्स अपना सबसे ज्यादा समय बिताता है. ऐसे में बेडरूम की खासतौर पर सफाई करनी चाहिए. खिड़कियों के कोने और जालियों में अक्सर धूल रह जाती है, शिफ्ट होने से पहले ही इन जगहों को साफ कर लीजिए. इसके अलावा अगर आपके कमरे में एसी लगा हुआ है तो उसे भी अभी ही साफ कर लीजिए.

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3. टायलेट की सफाई

टायलेट को साफ करना बहुत जरूरी है. आप चाहें तो किसी भी बेहतर क्वालिटी के टायलेट क्लीनर से टायलेट साफ कर लें. इसके अलावा बदबू आने पर बेकिंग सोडा का भी इस्तेमाल कर सकती हैं.

4. किचन की सफाई भी है बहुत अहम

किसी भी नए घर में प्रवेश करने से पहले वहां के किचन को अच्छी तरह से साफ कर लें. ये घर का वो कोना है जहां सबसे अधिक कीटाणु पनपते हैं. किचन के सिंक को अच्छी तरह से साफ कर लें. इसके अलावा किचन में सारा सामान सजाने से पहले हर रैक की चिकनाहट दूर कर लें.

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सोनाली बेंद्रे: पहले लड़ी कैंसर से जंग, अब मिला आई एम वुमन अवार्ड

सुष्मिता सेन और सोनम कपूर के बाद अब सोनाली बेंद्रे को आई एम वूमन अवौर्ड से नवाज़ा गया. हार्वर्ड और IE के भूतपूर्व छात्र करण गुप्ता और IE बिज़ेनस स्कूल द्वारा शुरू किये गये अनोखे आई एम वूमन अवौर्ड्स महिला की उपलब्धियों का जश्न मनाता है और उनकी ताक़त को पहचानता है. इसकी शुरुआत चार साल पहले की गई थी. ये कार्यक्रम एक ऐसा अभियान है जिसका मानना है कि महिलाएं शक्ति का भंडार हैं. इस मंच पर हर साल ताक़तवर महिलाएं अपनी निजी और प्रोफ़ेशनल ज़िंदगी के बारे में बात करती हैं जिसके ज़रिए वो तमाम महिलाओं को प्रेरित करती हैं.

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आई एम वूमन अवौर्ड्स के चौथे संस्करण के‌ दौरान एक बार फिर से महिला अचीवर्स द्वारा अलग-अलग क्षेत्रों में कामयाबी हासिल करने का जश्न‌ मनाया गया और ऐसी महिलाओं द्वारा किये गये अद्भुत कार्यों को सम्मानित किया गया. इस साल इस पुरस्कार से नवाज़े जानेवालों की फ़ेहरिस्त में अभिनेत्री और लेखिका सोनाली बेंद्रे, व्यवसाई और‌ डिज़ाइनर नीता लुल्ला, सामाजिक कार्यकर्ता सिंधुताई सकपाल, इंफ़ोसिस की लर्निंग हेड किशा गुप्ता, जेनेसिस की को-फ़ाउंडर दीपिका गेहानी, लेखिका प्रिया कुमार, सामाजिक‌ कार्यकर्ता और वकील दीपिका सिंह रजावत और सामाजिक कार्यकर्ता निहारी मंडाली शामिल हैं. इस शो को होस्ट किया पावर वूमन मानसी जोशी रौय और गायिका मानसी स्कौट ने. दोनों‌ के साथ साथ कार्यक्रम का संचालन अभिनेता और निर्देशक रोहित रौय, तनुज विरमानी और प्रवीण दबास ने किया. इस प्रतिष्ठित पुरस्कार समारोह में ज़ाएद खान,‌ सुलेमान मर्चेंट, आरती और कैलाश सुरेंद्रनाथ, संदीप सोपारकर आदि उपस्थित थे. इनके अलावा 2017 में हुए आई एम वूमेन अवौर्ड्स की विजेता क्रिषिका लुल्ला और 2016 की विजेता किरण बावा, महेका मीरपुरी और रेश्मा मर्चेंट भी मौजूद थीं.

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इस साल हुई परिचर्चा में इस बात पर विशेष ज़ोर दिया गया कि किस तरह से बिज़नेस में दिलचस्पी लेनेवाली महिलाओं का सशक्तिकरण किया जाये और किस तरह से वो सभी मिलकर अपने-अपने समाज की मदद कर सकती हैं.

एक लम्बे समय तक न्यूयौर्क में हाई ग्रेड कैंसर का इलाज कराकर हाल ही में काम पर लौटीं सोनाली बेंद्रे ने‌ कहा, “मेरी मां अक्सर कहा करती थी कि कब तक जब कि आप आर्थिक रूप से स्वतंत्रत न हो जाओ, तब तक शादी मत करो. अगर आप आर्थिक रूप से स्वतंत्र नहीं हो तो आप अपने लिये कभी खड़े नहीं हो सकोगे. फिर ये आप पर निर्भर करता है कि आप अगले दिन ही हार मान जाओ. वो अलग बात है.‌ ये आपकी च्वाइस है. मगर आपको अपनी शुरुआत आर्थिक रूप से एक स्वतंत्र व्यक्ति के तौर पर करनी पड़ेगी.
इस तरह से रिश्तों में एक किस्म की बराबरी भी बनी रहती है।”

बेहद उत्साहित नज़र आ रहीं सोनाली ने आगे कहा, “मुझे हमेशा से अवौर्ड्स और रिवौर्ड्स दोनों ही पसंद रहे हैं मगर अवौर्ड्स के लिए मेरे दिल में एक अलग ही जगह रही है. मुझे लगता है कि करण गुप्ता एज्युकेशन फ़ाउंडेशन बहुत अच्छा काम‌ कर रहा है. ऐसे में मेरे लिए ये अवौर्ड और ज़्यादा मायने रखता है.”

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अन्य पुरस्कार विजेताओं ने भी इस साल पुरस्कार जीतने पर अपनी ख़ुशी साझा की. 2018 में आई एम वूमन अवौर्ड से सुष्मिता सेन, टाटा ग्रुप की इंडस्ट्रियलिस्ट लिया टाटा, अभिनेत्री और आरजे मलिश्का मेंडोसा, सामाजिक कार्यकर्ता ज्योति धावाले और प्रीति श्रीनिवासन, एडवोकेट आभा सिंह और दानदाता मिशेल पूनावाला, अंतर्राष्ट्रीय डिज़ाइनर शेन पिकॉक और व्यवसायी भावना जसरा को दिया गया था. वहीं 2017 में आई एम पुरस्कार अमृता फ़डनवीस, लक्ष्मी अग्रवाल, गौरी सावंत, फ़राह अली खान, मालिनी अग्रवाल, शाहीन मिस्त्री और क्रिषिका लुल्ला को प्रदान किया गया था. अगर 2016 की बात की जाये तो ये पुरस्कार सोनम कपूर, रेशमा मर्चेंट,‌ महेका मीरपुरी, रौनक रौय, देविता सराफ़, किरण बावा, निशा जामवाल, अमृता रायचंद, रूबल नागी और लकी मोरानी को दिया गया था.

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आखिर क्यों पति विराट पर अनुष्का ने तानी बंदूक, देखें वीडियो…

चाहे मैच हो या फिल्म अनुष्का सुर्खियों में बनी रहती हैं. अनुष्का शर्मा और विराट कोहली लोगों के चहेते सेलिब्रिटी कपल में से एक हैं. सोशल मीडिया पर भी आए दिन दोनों के वीडियो वायरल होते रहते हैं. वहीं इस बार भी अनुष्का का पति विराट पर बंदूक तानने का वीडियो वायरल हो रहा.

 

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Zombie kill ? #ViratKohli #AnushkaSharma

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अनुष्का और विराट की इस वीडियों में दोनों टौय गन से खेलते हुए नजर आ रहें हैं. वहीं अनुष्का पति  विराट को शूट करती दिख रही हैं और विराट मरने की ऐक्टिंग कर रहे हैं. विडियो काफी क्यूट है और विराट की ऐक्टिंग भी जबरदस्त है.

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बता दें संडे को मैच जीतने के बाद अनुष्का और विराट ने अपनी टीम के साथ गेमिंग पार्लर में मस्ती की. जहां लोगों ने उनकी फोटोज और वीडियो वायरल की है.

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इस साल दूल्हा बन सकते हैं वरुण धवन, ‘दीपवीर’ की तरह करेंगे डेस्टिनेशन वेडिंग

बौलीवुड के दूसरे गोविंदा के रूप में फेमस एक्टर वरुण धवन आज यानी 24 अप्रैल को अपना बर्थडे सेलिब्रेट कर रहे हैं. वहीं इस खास मौके पर खुशखबरी आई है कि एक्टर वरुण इसी साल यानी 2019 में अपनी गर्लफ्रेंड नताशा दलाल के साथ शादी करने वाले हैं. वरुण और नताशा के परिवारों को उनके रिश्ते के बारे में पता है और वह जल्द से जल्द दोनों को शादी के बंधन में बंधा देखना चाहते हैं.

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खबरों के अनुसार, ‘वरुण धवन और नताशा दलाल की फैमिलज इस साल नवम्बर में कोई तारीख फाइनल करने की सोच रहे हैं. साथ ही सुनने में आ रहा है कि दीपिका-रणवीर की तरह नताशा-वरुण भी डेस्टिनेशन वेडिंग करेंगे. पहले वरुण-नताशा सोच रहे थे कि वो साल 2020 की शुरूआत में शादी करें लेकिन दोनों के परिवारों ने ये आइडिया नकारते हुए इसी साल शादी करने का फैसला सुनाया है. वहीं वरुण धवन की मां चाहती हैं कि उनकी शादी बड़ी धूमधाम से हो.’

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बता दें, वरुण धवन और नताशा दलाल काफी लम्बे समय से एक-दूसरे को डेट कर रहे हैं, लेकिन इन्होंने कभी भी इस बारे में मीडिया से खुलकर बात नहीं की है. हालांकि दोनों बौलीवुड पार्टीज में साथ देखे जाते रहे हैं. वहीं प्रोफेशनल लाइफ की बात की जाए तो वरुण इस समय इंडस्ट्री के काफी बिजी एक्टर्स में से एक हैं. इस समय वो डायरेक्टर रेमो डिसूजा ‘स्ट्रीट डांसर’ में व्यस्त हैं, जो 8 नवम्बर 2019 को रिलीज होनी है. इसके बाद वो अपने पापा की ‘कुली नं. 1’ रीमेक में व्यस्त हो जाएंगे, जिसमें उनके साथ सारा अली खान दिखाई देंगी.

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दलितों की बदहाली

सुप्रीम कोर्ट भी किस तरह दलितों को जलील करता है इस के उदाहरण उस के फैसलों में मिल जाएंगे. देशभर में दलितों को बारबार एहसास दिलाया जाता है कि संविधान में उन्हें बहुत सी छूट दी हैं पर यह कृपा है और उस के लिए उन्हें हर समय नाक रगड़ते रहनी पड़ेगी. महाराष्ट्र म्यूनिसिपल टाउनशिप ऐक्ट में यह हुक्म दिया गया है कि अगर दलित या पिछड़ा चुनाव लड़ेगा तो उस को अपनी जाति का सर्टिफिकेट नौमिनेशन के समय या चुने जाने के 6 महीने में देना होगा.

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यह अपनेआप में उसी तरह का कानून है जैसा एक जमाने में दलितों को घंटी बांध कर घूमने के लिए बना था ताकि वे ऊंची जातियों को दूर से बता सकें कि वे आ रहे हैं. यह वैसा ही है जैसा केरल की नीची जाति की नाडार औरतों के लिए था कि वे अपने स्तन ढक नहीं सकतीं ताकि पता चल सके कि वे दलित अछूत हैं. दोनों मामलों में इन लोगों से जीभर के काम लिया जा सकता था पर दूरदूर रख कर.

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कानून यह भी कहता है कि हर समय अपना जाति प्रमाणपत्र रखो. क्यों? ब्राह्मणों को तो हर समय या कभी भी अपना जाति सर्टिफिकेट नहीं चाहिए होता तो पिछड़े दलित ही क्यों लगाएं? क्यों वे कलक्टर, तहसीलदार से अपना सर्टिफिकेट बनवाएं? उन्होंने किसी आरक्षित सीट के लिए कह दिया कि वे पिछड़े या दलित हैं तो मान लिया जाए. आज 150 साल की अंगरेजी पढ़ाई, बराबरी के नारों के बावजूद भी क्यों जाति का सवाल उठ रहा है? क्या पढ़ेलिखे विद्वानों के लिए 150 साल का समय कम था कि वे जाति का सवाल ही नहीं मिटा सकते थे? जब हम मुगलों और ब्रिटिशों के राज से छुटकारा पा सकते थे तो क्या दलित पिछड़े के तमगों से नहीं निकल सकते थे?

यहां तो उलट हो रहा है. शंकर देवरे पाटिल के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उस कानून को सही ठहराया है जिस ने यह जबरन कानून थोप रखा है कि आरक्षित सीट पर खड़े होना है तो सर्टिफिकेट लाओ. यह अपमानजनक है. यह दलितों, पिछड़ों को एहसास दिलाने के लिए है कि वे निचले, गंदे, पैरों की धूल हैं. यह बराबरी के सिद्धांत के खिलाफ है.

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दलितों और पिछड़ों को जो भी छूट मिले उन्हें बिना किसी प्रमाणपत्र लटकाए मिलनी चाहिए. अगर ऊंची जाति का कोई उस का गलत फायदा उठाए तो उस के लिए सजा हो, दलित पिछड़े के लिए नहीं. वैसे भी ऊंची जाति का कोई दलित पिछड़े को दोस्त तक नहीं बनाता, वह उन की जगह कैसे लेगा? ऊंची जातियों का आतंक इतना है कि नीची जाति वाले तो हर समय चेहरे पर ही वैसे ही अपने सर्टिफिकेट गले में लटकाए फिरते हैं. नरेंद्र मोदी कहते रहें कि हिंदू आतंकवादी नहीं हैं पर लठैतों के सहारे दलितों और पिछड़ों पर जो हिंदू आतंक 150 साल में नई हवा के बावजूद भी बंद नहीं हुआ, वह सुप्रीम कोर्ट की भी मोहर इसी आतंकवाद की वजह से पा जाता है.

3 टिप्स: गरमी में इन टिप्स से बचाएं आंखें

कुदरत का खूबसूरत तोहफा है आंखें. किसी भी काम को करने के लिए सबसे जरूरी हमारी आंखें होती है, लेकिन गरमियों में सूरज से निकलने वाली नुकसानदायक अल्ट्रावायलट किरणें बौडी के साथ-साथ आंखों पर भी बुरा असर डालती है. दरअसल, आंखों को दिमाग से जोड़ने वाली बारीक शिराएं आंखों की स्किन के बहुत नजदीक होती हैं, इसलिए ज्यादा देर धूप में रहने से आंखों को नुकसान पहुंचता है. वहीं पौल्यूशन का भी असर आपकी आंखों पर पड़ता होगा. जिन्हें बचाना बेहद जरूरी है…

1. आंखों में परेशानियों को पहचानें

अगर आपकी आंखों में जलन, आंखें लाल होना, आंखों से पानी आना, आंखों में चुभन, कंजंक्टिवाइटिस की बिमारी होती है.

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2. ठंडे पानी से आंखों को धोएं

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धूप से लौटने के बाद बौडी का तापमान बढ़ जाता है इसलिए पहले बौडी को धीरे-धीरे नार्मल टैम्प्रेचर पर आने दें. इसके लिए पंखे के नीचे पांच मिनट तक बैठ जाएं. इसके बाद ठंडे पानी से चेहरे और आंखों को अच्छी तरह धोएं. आंखों पर ठंडे पानी के छींटे मारें और फिर मुलायम टावल से फेस को पोछें. अगर आंखों में जलन ज्यादा है और आंखें लाल हैं तो बर्फ से आंखों की सिंकाई करें.

3. आंखों को बार-बार न रगड़ें

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आंखों में चुभन, जलन हो या कोई धूल कण चला जाए तो कुछ लोग फौरन ही आंखों को रगड़ने लगते हैं. ऐसा करने से आंखों को कई तरह के नुकसान होते हैं लिहाजा, ऐसा कभी न करें. अगर आंखों में किसी तरह की दिक्कत हो तो साफ रुमाल या कपड़े से इसे हल्के हाथों से सहलाएं और ठंडे पानी से धोएं.

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4. धूप में निकलें तो जरूर पहनें सनग्लासेज

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धूप के सनग्लासेज सूरज से निकलने वाली घातक यूवी किरणों से आंखों की रेटीना को बचाने का काम करता है. तेज धूप की वजह से आंखों की रोशनी पर प्रतिकूल असर पड़ने के साथ ही धूल के कण रेटिना को नुकसान पहुंचा सकते हैं. इसके अलावा तेज धूप में यूवी किरणों से आंखों के ऊपर बनी टीयर सेल यानी आंसूओं की परत टूटने लगती है. यह स्थिति कौर्निया के लिए हानिकारक हो सकती है. आंखों के कौर्निया को भी यूवी किरणों से उतना ही नुकसान पहुंचता है जितना रेटीना को. लिहाजा धूप में निकलते वक्त सनग्लासेज पहनने से इस परेशानी से बचा जा सकता है.

जानिए क्यों कभी मिस नहीं करना चाहिए सुबह का नाश्ता

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