आपके लिए पेश हैं 11 विंटर ब्यूटी टिप्स

सर्दी के मौसम में जब आप की त्वचा रूखी व बाल बेजान से होने लगते हैं, तो चाहे आप कितने भी महंगे व मौडर्न आउटफिट्स क्यों न पहन लें, न देखने वाले अट्रैक्ट हो पाते हैं और न ही आप खुद को आईने में देख कर अच्छा फील करती हैं. ऐसे में ये विंटर ब्यूटी टिप्स आप के लिए बड़े काम के सिद्ध होंगे.

स्किन को करें मौइश्चराइज

सर्दियों में त्वचा की नमी बरकरार रखने के लिए वाटर बेस्ड मौइश्चराइजर की जगह औयल बेस्ड मौइश्चराइजर का प्रयोग करें. इस से त्वचा की नमी बनी रहती है, जो सौफ्ट टच देती है. लेकिन ध्यान रखें कि अपनी स्किन टाइप को ध्यान में रख कर ही प्रोडक्ट खरीदें, क्योंकि प्रोडक्ट सही होगा तभी परिणाम भी बेहतर मिलेगा. दिन भर सौफ्ट टच के लिए 2-3 बार त्वचा पर मौइश्चराइजर अप्लाई कर सकती हैं.

न भूलें सनस्क्रीन लगाना

अकसर महिलाओं की सोच होती है कि सिर्फ गरमी के मौसम में ही तेज धूप त्वचा पर हानिकारक प्रभाव डालती है. मगर ऐसा नहीं है, क्योंकि सर्दियों में भी हम ज्यादा धूप के संपर्क में आते हैं जिस से स्किन टैन होने का खतरा बढ़ जाता है. ऐसे में जरूरी है कि जब भी बाहर जाएं सनस्क्रीन लगाना न भूलें. इस से स्किन की प्रौपर केयर हो पाएगी.

खूब पानी पीएं

भले ही सर्दियों में आप को कम प्यास लगे, फिर भी 8-10 गिलास पानी जरूर पीएं वरना पानी की कमी होने के कारण आप बीमारियों की गिरफ्त में तो आएंगी ही, त्वचा भी रूखी होने के साथसाथ चेहरे की चमक  भी फीकी पड़ जाएगी.

स्क्रबिंग जरूरी

स्क्रबिंग हर मौसम के लिए जरूरी है, क्योंकि इस से स्किन की ऊपरी परत से डैड सैल्स और ब्लैकहैड्स रिमूव होते हैं, जिस से स्किन साफसुथरी लगती है. लेकिन ध्यान रखें कि सर्दियों में हफ्ते में सिर्फ 1 बार ही स्क्रबिंग करें वरना ड्राईनैस की समस्या हो सकती है.

टोनिंग से लाएं स्किन में चमक

स्किन की टोनिंग बहुत जरूरी है, क्योंकि हमारा संपर्क रोजाना धूलमिट्टी से होता है. ऐसे में स्किन पर जमी धूलमिट्टी को हटाना बहुत जरूरी है. यह न सिर्फ स्किन पर ग्लो लाने का काम करती है, बल्कि स्किन को मौइश्चर भी प्रदान करती है, जिस से स्किन चमकतीदमकती दिखती है.

फेसपैक कारगर

घर पर अनेक ऐसी चीजें होती हैं, जिन्हें चेहरे पर अप्लाई कर उस की अतिरिक्त देखभाल कर सकती हैं जैसे थोड़े से मसले हुए केले से फेस की 10 मिनट तक अच्छी तरह मसाज करें और फिर उसे साफ पानी से धो लें. उस के बाद शहद से अच्छी तरह चेहरे की मसाज कर के उसे साफ कर लें.

इसी तरह मलाई में चुटकी भर हलदी मिला कर फेस पर 10 मिनट तक लगाए रखने के बाद चेहरे को कुनकुने पानी से धो लें. ऐलोवेरा में स्किन को मौइश्चराइज करने के गुण होते हैं. अत: इस से चेहरे की मसाज करें. चेहरा चमक उठेगा.

हाथपैरों को दें ऐक्स्ट्रा केयर

सर्दियों में सिर्फ फेस को ही नहीं, बल्कि हाथपैरों को भी ऐक्स्ट्रा केयर की जरूरत होती है. अत: बादाम या जोजोबा औयल से हाथपैरों की मसाज करें. इस से उन में सौफ्टनैस आएगी वरना फटी एडि़यां आप का कौन्फिडैंस लूज करेंगी.

बचें गरम पानी से

चाहे कितनी भी ठंड हो ज्यादा गरम पानी से न नहाएं, क्योंकि इस से त्वचा का मौइश्चर खत्म होने के कारण वह बेजान हो जाती है. कुनकुने पानी से ही नहाएं और नहाने के तुरंत बाद बौडी पर मौइश्चराइजर अप्लाई करें, इस से स्किन में नमी बनी रहती है.

हेयर केयर भी है जरूरी

फ्रिजी व डल हेयर्स से बचने के लिए उन पर गरम पानी भूल कर भी न डालें. साथ ही सर्दियों में डैंड्रफ की समस्या का भी ज्यादा सामना करना पड़ता है. इसलिए  नियमित कोकोनट औयल से बालों की मसाज करें. हफ्ते में 1 बार औयल में नीबू की कुछ बूंदें मिला कर मसाज करें. नियमित ट्रिमिंग कराना भी न भूलें.

लिप्स को बनाएं मुलायम

अगर आप चाहती हैं कि सर्दियों में भी हर कोई आप के होंठों की तारीफ करे, तो उन्हें मौइश्चराइज करने वाला ग्लौस, लिपबाम लगाएं. ये न केवल होंठों को शाइनी लुक देंगे, बल्कि इन से होंठ इतने सौफ्ट लगेंगे कि हर कोई वाउ कह उठेगा. ग्लौस वाली लिपस्टिक ही यूज करें.

आंखों के नीचे की ड्राईनैस करें दूर

सर्दियों में ज्यादा ड्राईनैस आने के कारण आंखों के नीचे पपड़ी बनने लगती है, जो न दिखने में अच्छी लगती है और साथ ही टच करने पर दर्द भी होता है. ऐसे में औयली क्रीम लगाएं. इस से ड्राईनैस कम होगी.

कैसी हो डाइट

सर्दियों में पर्याप्त मात्रा में विटामिन और मिनरल्स लेने की जरूरत होती है. ज्यादा से ज्यादा पानी पीएं. खट्टेमीठे फल जैसे संतरा वगैरह खाएं. इन से बौडी को ऐनर्जी मिलती है और वह बीमारियों से लड़ने में सक्षम होती है. जंक फूड से दूर रहें.

वार्डरोब भी हो परफैक्ट

अगर स्पेस है तो आप विंटरवियर के लिए अलग से वार्डरोब रख सकती हैं, जिस में वूलन स्टोल, स्वैटर, लैदर जैकेट्स, श्रग, कोट, वूलन कुरती, लैगिंग्स रख कर खुद की स्मार्टनैस को और बढ़ा सकती हैं. विंटर बूट्स के लिए भी अलग से शू रैक रख सकती हैं.

फिल्म रिलीज का इंतजार नहीं कर सकती : दीपिका पादुकोण

फिल्म पद्मावती रिलीज को तैयार है. जहां एक तरफ इस फिल्म को लेकर विरोध चल रहा है तो वहीं दूसरी तरफ अभिनेत्री दीपिका पादुकोण अपनी फिल्म ‘पद्मावती’ के प्रमोशन में व्यस्त हैं. वो फिल्म पद्मावती को लेकर काफी उत्साहित हैं और इसके प्रमोशन का कोई भी मौका अपने हाथ से नहीं जाने देना चाहतीं, इसीलिए दीपिका फिल्म को प्रमोट करने के लिए ‘वैन ह्यूसेन एंड जीक्यू फैशन नाइट्स’ में भी शामिल हुईं. इस मौके पर दीपिका डिजाइनर सब्यासाची की इंडो-वेस्टर्न साड़ी में बेहद खूबसूरत लग रही थीं और इस पूरे इवेंट के बीच वह लोगों को आकर्षण का केंद्र बनी रही हैं. फैशन नाइट्स में मीडिया से बातचीत के दौरान दीपिका ने कहा कि वह संजय लीला भंसाली निर्देशित फिल्म ‘पद्मावती’ रिलीज होने का इंतजार नहीं कर सकतीं, लेकिन वह इसे हर किसी के साथ साझा करना चाहती हैं.

दीपिका ने अपनी फिल्म के बारें में बात करते हुए कहा, “मैं बस इतना ही कहूंगी कि चाहे पोस्टर हो या फिल्म का गाना या ट्रेलर हो.. सभी के लिए हमें लोगों का बेहद प्यार मिल रहा है. मुझे लगता है कि हम सब फिल्म को मिल रही प्रतिक्रिया से उत्साहित और अभिभूत हैं. यह एक अद्भुत सफर रहा है और वास्तव में हम फिल्म रिलीज होने का दिन गिन रहे हैं. इस फिल्म को हम हर किसी के साथ साझा करना चाहते हैं, लेकिन इंतजार नहीं कर सकते.”

करणी सेना और कुछ अन्य हिंदूवादी संगठनों ने इतिहास से छेड़छाड़ करने का आरोप लगाकर ‘पद्मावती’ का विरोध कर रहे हैं. उन्हें अंदेशा है कि इस फिल्म में इतिहास के साथ छेड़छाड़ किया गया है और इसमें रानी पद्मावती और अलाउद्दीन खिलजी के बीच प्रेम प्रसंग को काफी बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया गया होगा, जबकि इतिहास में पद्मावती का अलाउद्दीन खिलजी से मिलने जैसा जिक्र तक नहीं किया गया है.

निर्देशक भंसाली हालांकि एक वीडियो जारी कर कह चुके हैं कि फिल्म में ऐसा कुछ नहीं है, जिस पर किसी को आपत्ति हो. यह फिल्म देखकर राजपूत समुदाय खुद पर गर्व महसूस करेगा. अफवाहों पर ध्यान न दिया जाए. 

भंसाली चाहे कितनी भी सफाई देते रहें, सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष प्रसून जोशी उन्हें सम्मान की दृष्टि से देखें, लेकिन देश में अजब किस्म की जो राजनीति पनपी है, वह कला को ‘कला’ के नजरिए से नहीं देखती, हंगामा और दंगा-फसाद के मौके तलाशती रहती है. इस फिल्म को लेकर कई जगह रिलीज पर पाबंदी लगाने की बात चल रही है तो कहीं कुछ नेताओं ने इसके रिलीज होने पर सिनेमा हाल तक को जला देने की धमकी तक दे दी है. खैर इसका जितना भी विरोध किया जाए पर भंसाली का तो यही कहना है कि फिल्म अपने समय से ही रिलीज होगी.

सर्दियों में इस तरह करें मेकअप

मौसम के साथ साथ त्वचा की आवश्यकताएं भी बदल जाती है. सर्दियों के मौसम में हमारें त्वचा को खास देखभाल की जरूरत होती है, क्योंकि इस मौसम में हमारी त्वचा रूखी और बेजान हो जाती है. खुश्की त्वचा पर मेकअप कर पाना थोड़ा मुश्किल होता है. सर्दियों के कुछ महीने अपने मेकअप के साथ कुछ नया करने के महीने होते हैं. जो मेकअप गर्मियों में आपके चेहरे पर अच्छे नहीं लगते, हो सकता है वही ठण्ड में आपको एक नया लुक दें. यहां कुछ आसान से नुस्खे दिए जा रहे हैं जो कंपकंपाती ठंड में भी आपको खूबसूरत और रूप की मालिका बनाये रखेंगी.

चेहरें का मेकअप

सर्दियों में साबुन से चेहरा न धोएं. इससे चेहरे पर रूखापन बढ़ जाएगा. दिन में दो बार क्लीजिंग मिल्क से त्वचा की सफाई करे, इसके बाद किसी अच्छे माइस्चराइजिंग साबुन या फेस वाश से चेहरे को धोएं.

चेहरे का मेकअप करते समय ये ध्यान रखें कि बाहर चाहे कितनी भी ठण्ड हो, सिर्फ उसी फाउंडेशन या माइस्चराइसर का प्रयोग करें जिसमें spf की अधिक मात्रा हो.

आंखो का मेकअप

अगर आप अपने चेहरे के किसी भाग को अलग से आकर्षक लुक देने की सोच रही हैं तो आंखों की और ध्यान दें.

मस्कारा

सर्दियों के मौसम में नीले और जामुनी जैसे अलग रंग आपकी आंखो पर काफी खिलेंगे. इस तरह के डार्क रंगो का इस्तेमाल कर अपनी आंखों को मस्करा लगाएं. इस तरह का प्रयोग करके आप अपनी आखों को और भी खूबसूरत रूप दें सकेंगी.

आई लाइनर

मेकअप गुरु हमेशा ठण्ड में आंखों के सजावट पर ध्यान देने की सलाह देते हैं. पलकों के ऊपर चारकोल लाइनर या चाकलेट ब्राउन आई पेंसिल का प्रयोग करने से आपकी आँखें भीड़ से अलग दिखेंगी.

ठण्ड के मौसम में काले रंग को छोड़कर चाकलेट ब्राउन, जंगल ग्रीन या नेवी ब्लू को अपना आई लाइनर चुनें. इस लुक को और आकर्षक बनाने के लिए बिलकुल हल्के रंग के लिपस्टिक का प्रयोग करें.

आई शैडो

ठण्ड के मौसम में आमतौर पर चमकीले कलर का आई शैडो प्रयोग करना अच्छा रहता है ये आपकी खुबसुरती को और बढ़ाता है. भूरे रंग का आई शैडो एक अलग तरह के आकर्षक लुक को बनाए रखने में मदद करता है. इसके आलावा हल्के काले आई लाइनर के साथ अगर सुनहरे और सफेद रंग के मिश्रण वाला आई लाइनर प्रयोग किया जाए तो यह आपकी आंखो पर और भी ज्यादा शानदार दिखाई पड़ेगा.

खूबसूरत होठों के टिप्स

सर्दियों में जिस रंग के साथ आप सबसे ज्यादा प्रयोग कर सकते हैं वो है लाल. आपकी स्किन टोन जो भी हो,लाल हर तरह के चेहरे पर अच्छा लगता है. होंठों पर लिपस्टिक लगाने के पहले कोई क्रीम या लिपलास लगा लें जिससे होंठों की नमी बरकरार रहे. अब आप 5 मिनट बाद अपने पसंद की लिपस्टिक लगाये और इसके बाद सही प्रकार के लिप लाइनर का इस्तेमाल करें.

नाखूनों की सजावट

सर्दियों के दिनों में गहरे रंग की नेलपालिश सबसे अच्छी होती है. अलग अलग तरह के गहरे रंग जैसे बरगंडी, जामुनी या नेवी ब्लू जैसे रंग देखने में सुन्दर और आकर्षक लगते हैं.

सर्दियों में सौफ्ट स्पौट-लेस स्किन पाना है चुनौती : इलियाना डिक्रूज

तेलुगू भाषा की रोमांटिक फिल्म ‘देवदासु’ से अपने कैरियर की शुरुआत करने वाली अभिनेत्री इलियाना डिक्रूज को हिंदी फिल्मों में ब्रेक फिल्म ‘बर्फी’ से मिला, लेकिन फिल्म ‘रुस्तम’ भी उनकी सबसे सफल फिल्म रही. मुंबई की इलियाना को हमेशा से फिल्मों में अभिनय करने की इच्छा थी, लेकिन उन्हें सबसे पहले दक्षिण की फिल्मों और कई विज्ञापनों में काम करने का अवसर मिला. विज्ञापन में काम करने से पहले इलियाना प्रोडक्ट की गुणवत्ता को हमेशा परखती हैं. उनका कहना है कि जब तक मैं किसी भी उत्पाद को एंडोर्स करने से पहले खुद प्रयोग न कर लूं, उसके बारे में दावा नहीं कर सकती, क्योंकि लोगों का मुझ पर भरोसा है और इसे मैं तोड़ नहीं सकती.

त्वचा का रखती हैं खास ध्यान

इलियाना की फ्लालेस स्किन और ग्लोइंग कौम्प्लैक्शन ही उनकी खूबसूरती का राज है. गर्मी के मौसम में आउटडोर शूटिंग पर जाने से पहले इलियाना पौंड्स व्हाइट ब्यूटी का इस्तेमाल करती हैं. उनका कहना है कि इस क्रीम की मैट फिनिश वाली खूबी के कारण इस को लगाने पर त्वचा चिपचिपी नहीं होती, साथ ही त्वचा ग्लोइंग और स्पौट-लेस लगती है.

लेकिन पहले इलियाना के पास सर्दियों में स्पौट-लेस व सौफ्ट स्किन पाने के लिए ऐसा कोई उत्पाद नहीं था जो त्वचा की नमी व ग्लो भी बनाए रखे. मगर अब पौंड्स व्हाइट ब्यूटी के नए विंटर ऐंटी-स्पौट मौइश्चराइजर के साथ सर्दियों में भी स्पौट-लेस निखार बरकरार रखने का विकल्प इलियाना को मिल गया है.

नए पौंड्स व्हाइट ब्यूटी विंटर ऐंटी स्पौट मौइश्चराइजर में विटामिन बी3, कोल्ड क्रीम के पोषण व नमी देने वाले तत्वों के साथसाथ सनप्रोटैक्शन के लिए एसपीएफ15 भी है. विटामिन बी3 पिगमेंटेशन को कमकर मेलानिन ट्रांसफर को ब्लौक करता है ताकि डार्क स्पौट घट सके. कोल्ड क्रीम के पोषण व नमी देने वाले इंग्रीडिएंट्स ग्लिसरीन त्वचा की प्राकृतिक सुंदरता बरकरार रखते हैं. एसपीएफ15 के साथ सनस्क्रीन का समावेश त्वचा को यूवी किरणों के प्रभाव से सुरक्षा देता है.

नए पौंड्स व्हाइट ब्यूटी विंटर ऐंटी स्पौट मौइश्चराइजर की खूबियां इस प्रकार हैं.

– यह त्वचा में 24 घंटे नमी को बरकरार रखता है.

– 4 हफ्तों में स्किन टोन को हल्का करता है.

– त्वचा के डार्क स्पौट्स 4 हफ्तों में हल्के पड़ने लगते हैं.

– त्वचा की कोमलता और ग्लो को बढ़ाकर उसे सेहतमंद बनाता है.

– एसपीएफ15 के साथ यह यूवीए और यूवीबी किरणों के प्रभाव से त्वचा को सुरक्षित रखता है.

बाल दिवस विशेष : मैगी पकौड़ा

मैगी किसे पसंद नहीं होता. बच्चे तो रोज मैगी खाने की जिद्द करते हैं. आपने मैगी तो कई बार खाई होगी लेकिन कभी मैगी पकौड़े ट्राई किए हैं. अगर नहीं तो इस बाल दिवस मैगी पकौड़ा बनाकर अपने बच्चों को खुश कर दें. मैगी पकौड़े बनाने की रेसिपी.

सामग्री

300 मिली पानी

2 पैकेट मैगी

2 पैकेट मैगी मसाला

70 ग्राम पत्तागोभी

70 ग्राम प्याज

70 ग्राम शिमला मिर्च

25 ग्राम धनिया

1 टीस्पून नमक

2 टीस्पून लाल मिर्च पाउडर

45 ग्राम सूजी

35 ग्राम बेसन

2 टेबलस्पून पानी

विधि

एक पैन में पानी डालकर उबालें. अब इसमें मैगी और मैगी मसाला डालकर अच्छे से मिक्स करें और पकाएं. बाद में बाउल में निकाल लें.

अब इसमें पत्तागोभी, प्याज, शिमला मिर्च, धनिया, नमक, लाल मिर्च पाउडर, सूजी, बेसन और पानी डालकर अच्छे से मिक्स कर लें.

थोड़ा-सा मिक्सचर लेकर छोटी-छोटी बाल्स बना लें और साइड रख दें. अब एक पैन में तेल गर्म कर इन्हें अच्छे से फ्राई करें. इन्हें तब तक फ्राई करें जब तक इनका रंग हल्का गोल्डन ब्राउन न हो जाएं.

मैगी पकौड़े तैयार हैं. इन्हें गर्मा-गर्म सर्व करें.

कूदासन

ज्ञान विद्रोह भी है. ज्ञान की निरंतर प्राप्ति से आदमी ने नएनए आविष्कार किए और करता जा रहा है. साथ ही, जल्दी मरण न आए, इस के लिए भी तरहतरह के प्रयास कर रहा है.  नियमित दिनचर्या में लोग योग को अपना रहे हैं. योग के आसनों का महत्त्व है. लेकिन दिल्ली के रामलीला मैदान में आधी रात को भगदड़ मची तो लोगों ने देखा कि रामदेव मंच से कूद पड़े और जनता के बीच पहुंच गए.

रामदेव के कूदने को लोगों ने ‘कूदासन’ नाम दे दिया. इसे मजाक या व्यंग्य कुछ भी कहें, दरअसल, रामदेव को कूद कर जनता के बीच जाना जरूरी था. एक तो जनता को समझाना था और दूसरे, पुलिस से बचना था.

खैर, काफी लंबी चटपटी न्यूज बनी. कहते हैं, रामदेव के योगासनों में एक आसन ‘कूदासन’ शामिल हो गया है. वैसे ‘कूदासन’ सैकड़ों वर्षों से जारी है. इतिहास में लिखा है कि राजपूत राजाओं की पत्नियां अपने पति की हार की खबर सुनते ही धधकती आग में कूद कर प्राण त्याग देती थीं.

सती प्रथा के तहत पति की मृत्यु के बाद पत्नी उस की जलती चिता में कूद पड़ती थी तो जुए और सट्टे के अड्डे पर पुलिस का छापा पड़ने पर जुआरी व सट्टेबाज नजदीकी नालों में कूद जाते हैं या भवन के ऊपर से कूदते नजर आते हैं. वैसे भी लोगों का उछलकूद करना, कूदना, दीवार फांदना, नदीनालों में कूदना सामान्य बात है.  टैलीविजन पर प्रसारित हो रहे एक सीरियल में भाग लेने वाले युवकयुवतियों को तरहतरह से कूदनाफांदना पड़ता है. पैसा और शोहरत चाहिए तो जान को जोखिम में डालना ही पडे़गा.  मकड़जाली व्यवस्था में हर चीज से वंचित करोड़ों लोगों को भी अपने विचारों, सपनों, विश्वास, मूल्यों की जरूरत है, जिस के लिए वे भी विभिन्न स्रोतों की खोज में रहते हैं, पर उन की प्रक्रिया उन के लिए बहुत कठिन है, कहें तो असंभव सी है. सो, ‘कूदासन’ को अपनाया गया.

इस के लिए खास परिश्रमअभ्यास भी नहीं करना पड़ता. बस, कूदासन के समय दिमाग को संतुलित रखने का पूरा प्रयास करें. लेकिन कूदते समय आदमी दिमाग कहां शांत रख पाता है?  सेना में जवान को और्डर मिलता है, ‘कूदो’ तो कूदना पड़ता है न. जवान को क्या, वह तो पहले से जानता है कि जान की परवा नहीं करनी है. ‘कूदो’ कहा गया तो कूदना है, इस की ट्रेनिंग भी उन्हें दे दी जाती है.

‘कूदासन’ वह आसन है जो आप की जान की रक्षा तो करता है, इस से कूद कर दूसरे की जान भी बचाई जा सकती है. दूसरों की जान बचाने का कार्य पुण्य का कार्य  होता है.

मनुष्य ने सभ्यता की यात्रा में जब यह समझा कि जैसे मेरे सुखदुख हैं वैसे ही दूसरों के भी हैं. जैसी मेरी आशाआकांक्षा हैं वैसी ही दूसरोें की भी हैं तो उस ने सोचा कि अपने मंगल के साथ दूसरों का मंगल भी साधना चाहिए. तभी इन जीवन मूल्यों की स्थापना हुई, जो शाश्वत माने जाते हैं. सो, हम कह सकते?हैं कि बाबा का ‘कूदासन’ मानवमात्र  के कल्याण के लिए आवश्यक है, है न?

‘कूदासन’ के नियमित अभ्यर्थी में चरित्र की दृढ़ता, आत्मबल और जनकल्याणोन्मुखी दृष्टि होती है. वह खुद के वैभव को निजी वैभव नहीं मानता. संपूर्ण प्रजा में समान वितरण करता है. कूदासन का समर्थक अपने हितों की अपेक्षा दूसरों के हितों के लिए समर्पित रहता है.

‘कूदासन’ का समर्थक घायल तनमन वालों को ऊर्जा प्रदान करने वाली ‘कालिख’ जानबूझ कर पोतता है कि ‘सचाई’ उजागर करने को कूदो मैदान में.

कूदो, कूदते रहो, रुको मत, आगे बढ़ो. मनुष्य को सब से ज्यादा परेशानी है, दुख से. दुख उसे आलसी बना देता है. दुख भी ऐसा कि जितना सोचो, उतना ही बढ़ता है. मानव जीवन भी बड़ा बेहया है. आदमी को गहरे से गहरा दुख भी सहन हो जाता है.  पर, दुखी क्यों रहें? दुख को क्यों सहें? मानव जीवन क्या इसीलिए है? दुख क्यों? सो, कूदासन सब से श्रेष्ठ है. कूदतेफिरते रहो. नएनए अनुभव होंगे. दुख के बाद सुख आता है पर दुख में क्यों जीएं?

यदि आप चाहते हैं कि दुख फिर न आए तो तत्काल कूदासन का अभ्यास शुरू कर दें. 40 के नहीं हुए न अभी? तो अभी कूदतेफिरते रहो. उम्र बढ़ेगी तो इस आनंद का लाभ उठा पाओगे? नहीं न?

संस्कृति या कुसंस्कृति

हम अपने देश की महान संस्कृति का राग आलापते थकते नहीं हैं. हम छाती पीटते रहते हैं कि पश्चिम की गलीसड़ी, अनैतिक संस्कृति से भारतीय पुरातन संस्कृति की महानता नष्ट हो रही है. पर एक ही दिन, 7 सितंबर का समाचारपत्र देखिए तो हमारी संस्कृति की पोल खुल जाती है.

मुख्य समाचार, संस्कृति के दावेदारों गौरक्षकों के बारे में सुप्रीम कोर्ट का आदेश है जिस में अदालत ने राज्यों को निर्देश दिया है कि वे हर जिले में एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी की नियुक्ति करें जो गौरक्षकों के आपराधिक, हिंसात्मक कृत्यों पर नजर रखें जो गौ संस्कृति के नाम पर आम लोगों को पीटने, मारने व वाहन जलाने का तथाकथित सांस्कृतिक अधिकार रखते हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने तो केंद्र सरकार से यह तक पूछा है किउन (संस्कृति के रक्षक) राज्यों का क्या किया जा सकता है जो आदेश न मानें. शायद सुप्रीम कोर्ट को एहसास है कि संस्कृति रक्षकों को सुप्रीम कोर्ट असांस्कृतिक लगता है. सड़क पर गौमाता को ले जाने वालों को मार डालना कौन सी व कैसी संस्कृति है.

दूसरा समाचार है कि हमारी संस्कृति ऐसी है कि सरकार को चिंता हो रही है कि जिस रेल के डब्बों की छतों पर सोलर पैनल लगाए गए हैं उन्हें रास्ते में चोरी न कर लिया जाए. शायद, मारनेपीटने के साथ चोरी करना भी हमारी संस्कृति में शामिल है. यह ट्रेन दिल्ली से चल कर हरियाणा के फारूख नगर तक चलेगी पर रेल अधिकारी महान संस्कृति की निशानी से चिंतित हैं. जिस देश में सरकार की सार्वजनिक संपत्ति सुरक्षित न हो, वह संस्कृति का गुणगान कैसे कर सकता है?

एक समाचार है दिल्ली के निजी स्कूलों द्वारा अत्यधिक फीस लेने का. उच्च न्यायालय ने 98 स्कूलों को आदेश दिया है कि वे 75 फीसदी अतिरिक्त फीस वापस करें. जहां शिक्षा में घोटाले में हो, जहां गुरु व उन को नियुक्त करने वाले छात्रों को लूटते हों वहां कौन सी संस्कृति है और कैसी संस्कृति है.

बेंगलुरु में गौरी लंकेश की निर्मम हत्या किए जाने के बाद एक संस्कृति रक्षक निखिल दधीचि ने जो शब्द उन के लिए अपने ट्वीटर में इस्तेमाल किए हैं वे पोल खोलते हैं कि हम किस तरह की भाषा बोलते हैं. इस ट्वीटर को प्रधानमंत्री कार्यालय व मंत्री तक फौलो करते हैं. संस्कृति का हाल यह है कि दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्रसंघ के चुनाव में छात्र नेताओं ने सारे शहर को पोस्टरों व अपने नामों से गंदा कर दिया. छात्र इस आयु में झूठ बोलना सीख चुके हैं और वे पोस्टरों में अपने नाम की गलत स्पैलिंग लिखते हैं ताकि बाद में दीवारों को गंदा करने के अपराध से वे बच सकें. यह झूठ की संस्कृति पहले ही दिन से पढ़ाई जा रही है क्या?

यौन मामलों में हम अपनी संस्कृति का गुणगान कुछ ज्यादा करते हैं और पश्चिम की खुली हवा को जी भर के गालियां देते हैं पर हर रोज हमारे देश में ऐसे मामले सामने आ रहे हैं जिन में 10 से 13 वर्ष की बलात्कार की शिकार लड़कियां अदालतों के दरवाजे खटखटा रही होती हैं. अगर हमारी यौन संवेदना इतनी अच्छी है तो बच्चियों के साथ तो यौन संबंध बनने ही नहीं चाहिए. एक समाचार मुंबई के उच्च न्यायालय का इसी बारे में है.

संस्कृति का राग निरर्थक है. हर समाज में अपराधी होंगे ही. उन के लिए पुलिस, अदालतें, जेलें बनेंगी ही. हर समाज में कुछ ऐसे होंगे जो बहुमत के रीतिरिवाजों के खिलाफ होंगे. संस्कृति का नाम ले कर उन की भर्त्सना न करें. जिसे सजा देनी है दें, बाकी सहन करें. हर कोई रैजीमैंटेड नहीं हो सकता. हर कोई तथाकथित संस्कृति का गुलाम नहीं हो सकता. संस्कृति का राग कमजोर आलापते हैं जिन के पास अपनी उपलब्धियां न हों.

यूनिफौर्म सिविल कोड के पीछे

ट्रिपल तलाक के बाद यूनिफौर्म सिविल कोड की मांग उठाई जा रही है. इस के पीछे भावना यह नहीं कि विवाह कानूनों में सुधार हो, भावना यह है कि दूसरे धर्मों के लोगों के कानूनों में दखल दिया जाए और उन्हें जता दिया जाए कि उन्हें हिंदू देश में हिंदू कानूनों के अंतर्गत रहना होगा.  सामान्य नागरिक संहिता का मामला इतना आसान नहीं जितना कट्टर हिंदू समझ रहे हैं. अगर यह कानून बना तो इसे देश के अपराध व दीवानी कानूनों की तरह बनाना होगा जिस में सब से पहले तो प्रावधान होगा कि कोई भी विवाह किसी धार्मिक रीतिरिवाज के साथ होगा तो मान्य न होगा.

सौ साल पहले जब कट्टर हिंदू विवाह कानूनों के रिवाजों को कुछ समाजसुधारकों ने सुधारा और सुधरे हुए हिंदू रीतिरिवाजों के अंतर्गत विवाह कराने शुरू किए तो उन विवाहों को विरासत के मामलों में चुनौती दी जाने लगी थी. बहुत से विवाह अदालतों ने खारिज किए थे और विधवाओं व बच्चों को अवैध मान कर संपत्ति में हिस्सा नहीं देने दिया था.

ब्रिटिश सरकार को हिंदू सुधारकों की मांग पर नए कानून बना कर विवाहों को मान्यता देने के कई कानून बनाने पड़े थे. 1956 में राष्ट्रपति डा. राजेंद्र प्रसाद की नानुकुर के बावजूद जवाहरलाल नेहरू ने हिंदू विवाह कानूनों में सुधार किए पर वे सुधार सतही थे. हिंदू विवाह आज भी उन्हीं कट्टर रीतिरिवाजों से हो रहे हैं.  सामान्य नागरिक संहिता का अर्थ होगा कि पंडित द्वारा कराई गई शादी मान्य न होगी. अगर ऐसा प्रावधान न हुआ और कहा गया कि सामान्य कानून में भी पंडित, पादरी, ग्रंथी, भिक्षु और काजी विवाह करा सकते हैं तो यह सामान्य कानून शब्दों का मखौल उड़ाना होगा.  सामान्य व्यक्तिगत कानून की मांग करने वाले कट्टर हिंदुओं को पहले अपनी शादियों में जाति, वर्ण, कुंडली, पंडे, सप्तपदी, फेरे आदि को समाप्त करने को तैयार होना होगा. उन्हें हर तरह की संयुक्त परिवार की संपत्ति को छोड़ना होगा और आय व संपदा करों में संयुक्त संपत्ति शब्दों को हटवाने के लिए तैयार होना होगा.

फिर हिंदू विवाह भी अन्य विवाहों की तरह एक समझौता होगा, संस्कार नहीं. आज भी समाज इसे सात जन्मों का मेल मानता है. आज भी तलाक को यहां अपराध माना जाता है और प्रावधानों के बावजूद अदालतें तलाक ऐसे देती हैं मानो कोई अपवाद कर रही हों. संपत्ति के मामलों में आज भी मान लिया जाता है कि लड़की को दहेज में दिया गया पैसा उस का हिस्सा है और उस के बाद मातापिता की संपत्ति में वह कोई हिस्सा न मांगे. सामान्य व्यक्तिगत कानून में लड़की को हिस्सा मिलना तय होगा. जब तक हिंदू अपने पक्ष के बारे में गहराई से न सोचेंगे, संभावित सामान्य व्यक्तिगत कानून को केवल राजनीतिक शिगूफा मानना होगा. जब तक देश धर्मों, जातियों, वर्णों के हिस्सों में बंटा है, सामान्य नाम की चीज का सवाल ही नहीं उठता.

भेदभाव रहित हो शिक्षा, इसलिए हमने निकाला है ये ‘उपाय’

गुरुग्राम में शनिवार और रविवार की सुबह का नजारा गजब का होता है. वंचित परिवारों के बच्चे हाथ में किताब और कॉपी लिए तंग गलियों से होते हुए एक स्थान पर जमा होते हैं. नए आने वाले लोगों के लिए यह बड़ा ही रोचक होता है, लेकिन यहां रहने वाले लोग लंबे समय से यही देख रहे हैं.

समाज को आगे बढ़ाने के लिए ऐसे वंचित परिवारों या आर्थिक रूप से कमजोर परिवार के बच्चों को पढ़ा-लिखाकर उन्हें मुख्य धारा में लाना अत्यंत महत्वपूर्ण है. यह एक बड़ी सामाजिक जिम्मेदारी है. इस जिम्मेदारी को पूरा करने का बीड़ा उठाया है संस्था ‘उपाय’ ने, जो शहर के विभिन्न इलाकों में ऐसे परिवारों के बच्चों को पढ़ाती है.

रविवार को बाल दिवस के उपलक्ष्य में ताऊ देवीलाल स्टेडियम में संस्था के विभिन्न सेंटरों में पढ़ रहे बच्चों के लिए खेल व बौद्धिक प्रतियोगिता का आयोजन किया गया. इस दौरान बच्चों ने लगन व मेहनत के साथ विभिन्न खेल प्रतियोगिताओं में भाग लिया.

इस दौरान ‘उपाय’ की सोहना सेंटर हेड सपना त्यागी, वॉलेंटियर शर्मिली गोयल, अनन्या गर्ग, अंकित, अनमोल ने बताया कि, उनकी संस्था ‘उपाय’ ने विभिन्न सेंटरों पर पढ़ने वाले आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के बच्चों के लिए बाल दिवस के उपलक्ष्य में खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन किया. इनमें लेमन रेस, खो-खो, क्वीज कम्पटीशन, टैलेंट शो (डांस, गीत-संगीत व अन्य सांस्कृतिक गतिविधियां) और एक्सटेंपोर (किसी भी चयनित विषय पर बच्चों के विचार जानना) आदि को शामिल किया गया. इन प्रतियोगिताओं में सभी बच्चों ने भाग लिया. विजेता बच्चों का पुरस्कृत भी किया गया.

सपना त्यागी ने बताया, देश में उनकी संस्था आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के बच्चों के लिए उनके ही निवास के आसपास करीब 60 स्कूल चलाती है. गुरुग्राम में सिकंदरपुर, सेक्टर 51 में दो और सोहना रोड स्थित वाटिका चौक पर स्कूल चलता है. रविवार को अवकाश पर बाल दिवस के उपलक्ष्य में बच्चों के लिए खेल व बौद्धिक जांच संबंधी विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया.

सपना त्यागी ने बताया कि ऐसे कार्यक्रमों के आयोजन से बच्चों में मनोबल बढ़ता है. समाज में अन्य बच्चों को लेकर उनमें हीन भावना का उभार नहीं होता. वे अपने को किसी से भी कम नहीं समझते. इन्हीं सब उद्देश्यों को लेकर अक्सर महत्वपूर्ण दिवसों पर ऐसे कार्यक्रमों का आयोजन होता रहता है.

साल 2011 में आईआईटी खड़गपुर से शिक्षा प्राप्त वरुण श्रीवास्तव ने उपाय फुटपाथशाला की शुरूआत की. आईआईटी की ही पासअाउट आकांक्षा स्वर्णिम ने साल 2016 में गुरुग्राम में फुटपाथशाला की शुरुआत की. आज दिल्ली और एनसीआर में कुल 6 सेंटर चलते हैं जिनमें 500 बच्चे मुफ्त में शिक्षा प्राप्‍त करते हैं.

‘उपाय’ के सचिव मनीष विजय ने बताया कि हम उन्हें मुफ्त में कुछ दान करने बजाय उन्हें पढ़ा लिखा कर आत्म सम्मान से अपने लिए कमाने को प्रोत्साहित करना चाहते हैं. यहां अधिकतर वो बच्चे हैं जो कभी स्कूल गए ही नहीं. इस प्रयास के तहत हमारी कोशिश है ज्यादा से ज्यादा बच्चों को साक्षर बनाने की. 

‘बाहुबली’ के बाद ‘देवसेना’ ने भी ठुकराई करण जौहर की फिल्म

सुपरहिट फिल्म ‘बाहुबली 2: द कन्क्लूजन’ को अपार सफलता मिली. ‘बाहुबली’ प्रभास और ‘देवसेना’ अनुष्का शेट्टी की दमदार एक्टिंग ने लोगों का दिल जीत लिया और दोनें की जमकर तारीफ हुई जिसके बाद से ऐसी अटकलें लगाई जाने लगी कि फिल्म के लीड कैरेक्टर प्रभास और अनुष्का शेट्टी जल्द ही बौलीवुड का रुख करेंगे. दरअसल ‘बाहुबली’ के हिंदी वर्जन को डिस्ट्रीब्यूट करने वाले करण जौहर का प्रौडक्शन हाउस प्रभास और अनुष्का शेट्टी को बौलीवुड में लौन्च करना चाहता था.

कुछ समय पहले ऐसी खबरें आई थीं कि करण जौहर ने तेलुगू सुपरस्टार प्रभास को एक बौलीवुड फिल्म आफर भी की थी, लेकिन प्रभास ने तो उनकी फिल्म में काम करने के लिए 20 करोड़ रुपये फीस की मांग की थी. उनकी इतनी महंगी फीस की डिमांड सुनकर करण जौहर ने प्रभास को लौन्च करने का अपना इरादा ही छोड़ दिया.

इसके बाद अब ऐसी खबरें भी आने लगी हैं कि प्रभास के बाद अब करण अपनी एक अगली फिल्म में एक खास रोल के लिए अनुष्का शेट्टी से भी संपर्क किया था लेकिन अनुष्का ने उनका आफर यह कहकर ठुकरा दिया कि उनके पास डेट्स नहीं हैं, जिसकी वजह से वो उनकी फिल्म में काम नहीं कर पाएंगी.

हालांकि अनुष्का शेट्टी का करण जौहर की फिल्म को ठुकराने की खास वजह तो मालूम नहीं है. लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि चूंकि प्रभास को करण जौहर का प्रौजेक्ट नहीं मिला इसीलिए अनुष्का ने भी करण की फिल्म में काम करने से इनकार कर दिया. ऐसा भी कहा जाता है कि प्रभास और अनुष्का रिलेशनशिप में हैं तो हो सकता है कि दोनों तभी किसी हिंदी फिल्म में काम करें जब दोनों को एक-दूसरे के अपौजिट साइन किया जाएगा. खैर इसकी वजह जो भी हो लेकिन लगता है कि ‘बाहुबली’ और ‘देवसेना’ को करण जौहर इतनी आसानी से अपनी फिल्मों में काम नहीं करवा पाएंगे और उन दोनों को बौलीवुड में लौंच करने की उनकी ये चाहत बस चाहत ही रह जाएगी. 

आपको बता दें कि फिलहाल तो प्रभास अपनी अगली फिल्म ‘साहो’ की शूटिंग में व्यस्त हैं, जिसमें उनके साथ श्रद्धा कपूर और नील नितिन मुकेश काम कर रहे हैं जबकि अनुष्का अभी जैकी श्राफ के साथ जी. अशोक की फिल्म ‘भागमती’ में काम कर रही हैं.

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