रेस्टोरेंट में खाना है और पैसे भी न हों खर्च

आज की भाग दौड़ भरी जिंदगी में ज्यादातर लोग नौकरी पेशा हो गए हैं. ऐसे में 9-10 घंटे ऑफिस में काम कर के थकने के बाद घर जाकर खाना बनाना एक बड़ी चुनौती हो गई है. ऐसे में बाहर खाना खाना एक अच्छा ऑप्शन नजर आता है.

लेकिन . बात तो हम सब जानते हैं कि रोज रोज बाहर का खाना खाना कैसे हमारा बजट बिगाड़ देता है. इसीलिए जरूरत है कुछ ऐसी बातों को ध्यान में रखने की जिससे आप बाहर का खाना भी खा सकती हैं और पैसे भी बचा सकती है. जानिए ये 10 टिप्स :

1. कूपन का करें इस्तेमाल

जब कभी भी आप अकेले या अपने परिवार के साथ बाहर खाना खाने जाएं तो कोशिश करें कि डिस्काउंट ऑफर्स या कूपन का इस्तेमाल करें. इससे आप का बजट भी नहीं बिगड़ेगा और आप बाहर के खाने का स्वाद भी ले पाएंगी.

2. टिप देने से बचें

अगर आप का बजट कम है तो कोशिश करे की खाना खाने के बाद आप वेटर को टिप न दें. ऐसा करने से आप रेस्टोरेंट में खाने के दौरान थोड़े पैसे बचा सकती हैं.

3. डिनर के बजाय जाएं लंच पर

ये बात हम सब जानते है कि डिनर की बजाय लंच सस्ता होता है. इसीलिए डिनर के बजाय लंच पर जाना, बाहर खाना खाने के दौरान पैसे बचाने का एक अच्छा ऑप्शन है.

4. ड्रिंक लेने से बचें

अक्सर हम देखते है कि रेस्टोरेंट में कोई भी ड्रिंक चाहे वो हार्ड हो या सॉफ्ट महंगी मिलती है. यही ड्रिंक आप बाहर की शॉप से ले तो रेस्टोरेंट के मुकाबले कम पैसे में खरीद सकती हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि रेस्ट्रा में इसमें सर्विस चार्ज भी जोड़ दिया जाता है.

5. खाने को बांट कर खाएं

अगर आप स्कूल या कॉलेज में पढ़ती हैं या फिर कोई भी जो बाहर खाना का शौकीन हैं तो ये तरीका आपका काफी पैसा बचाएगा. कोई भी चीज ऑर्डर करें और उसे शेयर करके खाएं ऐसे आप कई वराईटी भी खा पाएंगी साथ ही पैसे भी कम देने होगें.

6. बनें पसंदीदा कस्टमर

कई ऐसे रेस्टोरेंट, ढाबे या स्टॉल होते हैं जो अपने पसंदीदा ग्राहक को स्पेशल ऑफर्स देते है. ऐसा करने के लिए आप उनके वेबसाइज, फेसबुक पेज को लाइक फॉलो कर सकती हैं.

7. रोज डील साइट चेक करें

अगर आप बाहर का खाना कम पैसे में खाना चाहती हैं तो कई साइट्स हैं जिस पर हर रोज अलग-अलग आफर्स दिए जाते है. बेहतर होगा कि आप लगातार अपडेटेड रहें और कम पैसे में स्वादिष्ट खाने का लुत्फ उठाएं.

8. हर बार खाने के बाद मीठा ऑर्डर करने से बचें

ज्यादातर लोग खाना खाने के बाद स्विट डिस ऑर्डर करते है जो कि उनके बिल को बढ़ा देता है. कोशिश करें की इसे न ऑर्डर करें और अगर खाना ही है तो बाहर से खरीदें या पैक करा लें.

9. रेग्यूलर पानी, पीना चाहिए

ज्यादा से ज्यादा पानी पीना सेहत के लिए तो फायदेमंद होता है पर बाहर बोतलों में आने वाला पानी बहुत महंगा आता है. ऐसे में बाहर कम ही पानी पिएं और जितना भी पिएं रेग्यूलर वाटर ही ऑर्डर करके पिएं, ताकि आपके पैसे बच सकें.

10. भूख के हिसाब से ही ऑर्डर करें

कई बार ऐसा होता है कि हम कई चीज ऑर्डर कर देते हैं और बाद में खाना ज्यादा मंगा लेने के कारण वो बच जाता है और उसे फेंकना पड़ता है. इसीलिए सोच समझ कर ही अपना ऑर्डर दें.

हीरो नहीं इस कामेडियन के लिए फिल्म की स्क्रिप्ट बदल देते थे गुरुदत्त

जौनी वाकर वैसे कलाकार हैं जिनका नाम सुनते ही आपके चेहरे पर मुस्कान आ जाती है. 60 और 70 के दशक में बौलीवुड फिल्मों की जान हुआ करते थे जौनी. जौनी वाकर यानी बदरुद्दीन जमालुद्दीन काजी की आज पुण्यतिथि है. ताउम्र दर्शकों को हंसाते रहने वाले जौनी वाकर ने 29 जुलाई, 2003 को सबको अलविदा कह दिया था.

जौनी वाकर का बौलीवुड में ऐसा जलवा था कि मोहम्मद रफी उनके लिए गाना गाया करते थे, ओपी नैय्यर उनके लिए कंपोज करते थे और गुरुदत्त अपनी फिल्म की स्क्रिप्ट तक उनके लिए बदल दिया करते थे.

गरीबी में पले जौनी को कई काम करने पड़े. यहां तक कि घर चलाने के लिए मुंबई की बस में उन्होंने कंडक्टर की नौकरी भी की.

जौनी बस में भी यात्रियों को अपनी कामेडी से हंसाया करते थे. एक बार उनकी बस में उस दौर के महान अभिनेता बलराज साहनी सफर कर रहे थें. बलराज की नजर जौनी पर पड़ी और उनको देखकर उन्होंने सलाह दी कि तुम जाकर गुरुदत्त से मिलों उनको तुम्हारे जैसे एक्टर की तलाश है.

जब जौनी गुरुदत्त से मिलने गए और गुरुदत्त ने उन्हें शराबी की एक्टिंग करने के लिए कहा तब उन्होंने ऐसी जबरजस्त एक्टिंग की कि गुरुदत्त ने बदरुद्दीन जमालुद्दीन काजी से उनका नाम बदलकर अपनी फेवरेट व्हिस्की जौनी वाकर के नाम पर उनका नया नाम रख दिया.

इसी के साथ जौनी वाकर का फिल्मी सफर शुरु हुआ. उस दौर की हर बड़ी फिल्म में जौनी जरूर हुआ करते थें. वैसे तो उन्होंने कई फिल्मों में काम किया, लेकिन टैक्सी ड्राइवर, बाजी, मिस्टर एंड मिसेज 55, सीआईडी और प्यासा जैसी फिल्में लोग आज भी याद करते हैं.

किसकी दीवानी थीं दीपिका पादुकोण?

खबरों की माने तो दीपिका और रणवीर सिंह के बीच कुछ चल रहा है. इसके पहले रणबीर कपूर और अब रणवीर सिंह के साथ, ये प्यार वाली या प्यार जैसी दोस्ती निभा रहीं दीपिका पादुकोण को एक समय हॉलीवुड स्टार लियोनार्डो डिकेप्रियो पर जोरदार क्रश था और तो और उनकी बहन भी इसी सुपरस्टार की दीवानी थीं.

दरअसल दीपिका ने अपने इंस्टाग्राम पर बचपन की कुछ तस्वीरों को शेयर किया है, इस तस्वीर में दीपिका की उननी बहन अनीशा के साथ गहरी बौन्डिंग तो देखी ही जा सकती है, साथ ही उन दोनों की एक स्टार के तरफ जीवानगी भी साफ दिखाई देती है.

तस्वार में साफ झलक रहा है कि दोंनो ही लियोनार्डो की तब बेहद दीवानी थीं. उनके पोस्टर अपने रूम की दीवार पर लगा रखे थे और साथ में टाइटेनिक फिल्म के भी. दीपिका ने साथ में अखबार का एक आर्टिकल भी डाला है, जिसमें वे यादें भी हैं कि दीपिका की मां ने कैसे दीपिका और उनकी बहन के लिए एक ही रूम बनाया था ताकि दोनों के बीच बचपन से ही अच्छी बौंन्डिंग हो सके. इन तस्वीरों में दोनों की टाइटेनिक के हीरो जैक से लगाव को देखा जा सकता है.

दीपिका पादुकोण इन दिनों संजय लीला भंसाली की फिल्म ‘पद्मावती’ की शूटिंग कर रही हैं और उसके बाद वे विशाल भारद्वाज के प्रोडक्शन में बनने वाली फिल्म में ‘माफिया क्वीन’ में सपना दीदी का रोल भी निभाने वाली हैं.

विदेशी कलाकारों से दीपिका के प्रेम को देखते हुए हम आपको ये बता भी देना चाहते हैं कि उन्होंने अमेरिकी अभिनेता, निर्माता, निर्देशक और पटकथा लेखक मशहूर ‘विन डीजल’ के साथ ट्रिपल एक्स की अगली फिल्म भी साइन की है.

 

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बौलीवुड के ये गाने दिलाएंगे आपको आपके प्यार की याद

हर किसी के दिल में छुपा होता है वो एक खास शख्स, जिसके लिए आपका दिल धड़कता है. प्यार करना तो आसान है लेकिन उसे निभाना और व्यक्त करना बेहद ही मुश्किल. बौलीवुड में कई रोमांटिक फिल्में बनीं हैं और बनेंगी. रोमांस एक ऐसा जौनर है जिसे हर वक्त पसंद किया जाता है.

तो आइए आज हम आपको बौलीवुड के कुछ ऐसे ही रोमांटिक गानों के बारे में बताते हैं, जिन्हें सुनकर आपको एक बार फिर से प्यार हो जाएगा. बौलीवुड के ये गानें आपने जरूर सुने होंगे और इन्हें सुनकर अपने पार्टनर को याद भी खूब किया होगा.

अभी ना जाओ छोड़कर

यह गाना बौलीवुड के बेहद रोमांटिक गानों में से एक है. यह गाना फिल्म ‘हम दोनों’ (1961) का है, जिसमें देव आनंद और साधना ने अहम भूमिका निभाई थी.

तुम ही हो

यह रोमांटिक सॉन्ग फिल्म आशिकी 2 (2013) का है. इस फिल्म में आदित्य रॉय कपूर और श्रद्धा कपूर रोमांस करते हुए नजर आते हैं. आज भी इस गाने को सुनकर लोगों के दिल में गिटार बजने लगता है.

तुम हो

फिल्म रॉकस्टार (2011) का यह गाना उस समय पूरे सालभर रोमांटिक गानों की लिस्ट में सबसे ऊपर था. इस गाने में रणबीर कपूर और नरगिस फाखरी ने अदाकारी दिखाई.

मेरे सामने वाली खिड़की में

यह गाना फिल्म पड़ोसन (1968) का है, जिसमें किशोर कुमार, सुनील दत्त और सायरा बानू ने काम किया.

जरा जरा बहकता है

यह गाना कई जोड़ो का फेवरिट गाना है. यह गाना फिल्म रहना है तेरे दिल में (2001) का है. यह गाना दिया मिर्जा और आर माधवन पर फिल्माया गया है.

पल पल दिल के पास

इस रोमांटिक गाने में धर्मेंद्र और राखी गुलजार पर फिल्माया गया है. यह गाना फिल्म ब्लैकमेल (1973) का है.

दो दिल मिल रहे हैं

यह रोमांटिक सॉन्ग फिल्म परदेस (1997) का है, जिसमें शाहरुख खान और महिमा चौधरी ने काम किया है.

गुलाबी आंखे

यह गाना फिल्म द ट्रेन (1970) में था. इस गाने में राजेश खन्ना और नंदा ने रोमांस किया.

मसूरी में लें वीकेंड का मजा

दूर-दूर तक दिखाई देती हरी भरी पहाड़िया और उनमें से होकर गुजरती पतली और घुमावदार सड़कें. अपने से बहुत दूर दिखाई देते बर्फ से ढके सफेद पहाड़ और दूसरी और हरे भरे पहाड़ों की गोद में बने घर, ऐसी है मसूरी. यहां आकर कोई भी रोमांचित हो सकता है.

यहां की शाम और सुबह किसी को भी लुभा सकती है. मसूरी समुद्र तट से 7000 फीट की ऊंचाई पर बसा है. यहां पर कभी भी बारिश का मौसम बन जाता है, यह शहर 1822 में बसना शुरू हुआ था और आज तक यह शहर सभी के आकर्षण का केंद्र बन हुआ है. आइये जानते हैं की मसूरी में कौन कौन से स्थान हैं विशेष आकर्षण के.

कैंप्टी फॉल्स

यह मसूरी से 15 किमी दूर यमनोत्री मार्ग पर स्थित है. यह ऊंची पहाड़ियों से निकलता हुआ झरना है और यहां पर एक कृतिम झील बनाई गई है. यहां पर अलग-अलग फूलों से बनाया एक गार्डन भी है जो लोगो के आकर्षण का केंद्र है.

भट्टा फाल

यह मसूरी-देहरादून मार्ग पर 7 किमी दूरी पर स्थित है. कोई भी व्यक्ति बस या कार से 4 किमी दूर बाटला गांव जा सकता है पर इसके आगे की 3 किमी की यात्रा पैदल ही पूरी करनी होती है.

कैमल बैक रोड

यह रोड कुलरी बाजार से शुरू होती है और यह 3 किमी लम्बी रोड है. इस सड़क का सबसे बड़ा आकर्षण है, घोड़े की सवारी करना. यहां पर सनसेट का नजारा बहुत मनोरम और सुन्दर होता है जिसको कभी मिस नहीं करना चाहिए.

झड़ीपानी फाल

यह मसूरी से करीब 9 किमी दूर स्थित है. यहां तक पहुंचने के लिए बस आदि की सुविधा आसानी से मिल जाती है, इससे आगे 1.5 किमी पैदल चलकर आप झड़ीपानी फाल तक आसानी से पहुंच सकते हैं.

गन हिल्स

यह मसूरी की दूसरी सबसे ऊंची पहाड़ी है, यहां से हिमालय की खूबसूरती को अच्छे से देखा जा सकता है. यहां से मसूरी शहर और दून घाटी को वर्ड व्यू की तरह से देखा जा सकता है.

चेहरे पर कभी ना करें इन चीजों का इस्तेमाल

सुंदर दिखने के लिए आप हर रोज अपने चेहरे पर कोई ना कोई कास्मेटिक जरूर लगाती होंगी. इन कास्मेटिक प्रौडक्ट्स से आपके चेहरे को काफी नुकसान होता है. आइए आज हम आपको बताते हैं कि आपको अपने चेहरे पर किन चीजों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए, जिससे आपके चेहरे को नुकसान पहुंचता है.

बॉडी लोशन

आपके शरीर के और हिस्सों के मुताबिक आपके फेस की त्वचा पतली होती है, इसलिए आप बॉडी लोशन को भूलकर भी अपने फेस पर ना लगाएं. चेहरे पर बॉडी लोशन लगाने से आपके त्वचा पर पिंपल्स निकल सकते हैं.

गर्म पानी

अपना चेहरा हमेशा ठंड़े पानी से ही धोएं. गर्म पानी से फेस को धोने से हमारे इसकी प्राकृतिक नमी गायब हो जाती है. जिससे हमारे चेहरे की त्वचा रूखी और बेजान होने लगती है.

नींबू

नींबू का इस्तेमाल भी कभी त्वचा में सीधा नहीं करना चाहिए. नींबू का पीएच लेवल काफी अधिक होता है, जिससे हमारे नाजुक चेहरे पर रैशेज होने का खतरा बना रहता है.

सिरका

सिरका का इस्तेमाल कभी भी अपने फेस पर ना करें. खासकर तब जब आपके घर पर होने वाला सिरका काफी पुराना हो गया हो. ऐसा इसलिए क्योंकि सिरका एसिडिक नेचर का होता है, जिससे हमारी त्वचा में रैशेज हो जाते हैं.

रबिंग एल्कोहल

आप भले ही इसका इस्तेमाल किसी छोटी मोटी चोट में करती हैं, लेकिन इसका इस्तेमाल कभी भी फेस पर ना करें. इसका इस्तेमाल चेहरे पर करने से काफी नुकसान होते हैं.

आप भी पीती हैं खाने के दौरान या तुरंत बाद पानी?

खाने के साथ या खाने के तुरंत बाद पानी पीना सेहत के लिए ठीक नहीं है. इससे पाचन तंत्र पर असर पड़ता है. जब आप के साथ या तुरंत बाद पानी पीते हैं, तो इससे डाइजेशन शक्ति अपनी ताकत खो सकती है और यह भोजन के सबसे कठिन हिस्से को पचाने में अक्षम भी हो सकती है.

क्या आप जानती हैं कि पेट में भोजन को पचाने के लिए एक आग जैसी चीज जिम्मेदार होती है. ये आपके खाने के उचित डाइजेशन में मदद करती है और डाइजेस्टिव सिस्टम की मदद से शरीर को भोजन प्रदान करती है.

कई सवास्थ्य सलाहकार मानते हैं कि खाने के बाद या बीच में पानी पीने से पेट की ये डाइजेशन शक्ति समाप्त हो जाती हौ और इसलिए पाचन प्रक्रिया प्रभावित हो सकती है.

ब्लोटिंग की समस्या

खाने के तुरंत बाद जब आप पानी का सेवन करते हैं, तब भोजन पूरी तरह से पच नहीं पाता है. इसलिए भोजन द्वारा पेट में हवा का उत्पादन होता है. इससे ब्लोटिंग की समस्या हो सकती है.

अपच

आंतों को पाचन तंत्र के माध्यम से इसे पारित करने के लिए भोजन को पर्याप्त रूप से पचा जाना चाहिए. आंतें ठोस भोजन को पचाने में असफल होते हैं. इसके परिणामस्वरूप यह कब्ज पैदा कर सकता है.

एसिडिटी

जब आप दोपहर के भोजन के बाद पानी पीते हैं, गैस्ट्रिक का रस पतला हो जाता है. नतीजतन, खाना पचने के लिए पेट में अधिक समय तक रहता है. इसे पचाने के लिए अधिक रस चाहिए. इसलिए, अब अतिरिक्त गैस्ट्रिक स्राव से छुटकारा पाने के लिए आवश्यक हो जाता है इससे अम्लता हो सकती है.

ब्लड शुगर

भोजन के तुरंत बाद पानी पीने के प्रमुख दुष्प्रभावों में से ब्लड शुगर का बढ़ जाना है. पेट में अपचलित भोजन की मात्रा रक्त में चीनी के स्तर को बढ़ा सकती है.

क्या आप जानती है कि पानी पीने का सही समय क्या है?

ऐसे पानी पीने का कोई निश्चित समय किसी को भी देना आसान नहीं है और हर कोई उसका पालन कर सकेगा ये आवश्यक तो नहीं है न. कुछ हैल्थ एक्सपर्टस की मानें तो भोजन करने से पहले और उसके आधा घंटे बाद एक गिलास पानी पीना आपकी सेहत के लिए लाभदायक होता है. लगभग हर उम्र के व्यक्तियों को यही सलाह दी जाती है.

ये 5 उपचार बनाएं त्वचा चमकदार

टैनिंग, रूखापन, काले घेरे, दागधब्बे, मुंहासे जैसी त्वचा की समस्याएं महिलाओं के लिए चिंता का विषय बन जाती हैं. महिलाएं इन से छुटकारा पाने के लिए कई घरेलू नुसखों से लेकर क्लीनिकल उपचार तक अपनाती हैं. लेकिन या तो उन से कोई फायदा नहीं होता या फिर कुछ साइड इफैक्ट देखे जाते हैं. ऐसे में सेहतमंद व दमकती त्वचा के लिए ये प्रमुख क्लीनिकल ट्रीटमैंट्स अपनाएं :

कैमिकल पीलस

कैमिकल पील में बाहरी परत को हुए नुकसान को हटाते हुए त्वचा के टैक्स्चर को स्मूद करने के लिए एक कैमिकल सौल्युशन का इस्तेमाल किया जाता है. इस उपचार की एक खामी यह है कि यह प्रक्रिया काली त्वचा वाले मरीजों पर असर नहीं करती. इस के साथ ही इन्फैक्शन, त्वचा रोग, कट या ब्रोकन स्किन, सनबर्न या फिर अन्य गंभीर त्वचा रोगों से ग्रस्त महिलाओं को भी यह उपचार कराने की सलाह नहीं दी जाती है. यह उपचार प्रशिक्षित चिकित्सक द्वारा ही कराया जाए.

माइक्रोडर्माब्रेशन

माइक्रोडर्माबे्रशन में माइक्रोक्रिस्टल्स का इस्तेमाल त्वचा की सब से बाहरी परत को हटाने के लिए किया जाता है ताकि नई, स्वस्थ त्वचा बाहर आ सके. इस प्रक्रिया से महीन रेखाएं, झुर्रियां, धूप से खराब हुई त्वचा, दागों, मुंहासों आदि का बेहतरीन इलाज किया जा सकता है.

लेजर लाइट ट्रीटमैंट

इस तकनीक में लाइट की छोटी और कंसंट्रेटेड बीम्स का इस्तेमाल किया जाता है, जो त्वचा की गहराई में जा कर त्वचा संबंधी विभिन्न परेशानियों को टारगेट करती हैं. ये उन्हें जड़ से ठीक करती हैं. जहां बाकी स्किन ट्रीटमैंट्स का असर हफ्तों बाद नजर आता है, वहीं लेजर लाइट ट्रीटमैंट का असर तुरंत देखा जा सकता है.

बोटोक्स इन्जैक्शन

बोटोक्स एक इंजैक्टेबल दवा है, जिसे बोेटुलिनम बैक्टीरिया से बनाया जाता है. यह एक टौक्सिन है, जिस से चेहरे की झुर्रियों को लगभग पूरी तरह से हटाया जा सकता है. यह प्रक्रिया त्वचा की ऊपरी और गहराई वाली झुर्रियां दूर करने में मदद करती है. इसे प्रशिक्षित डाक्टर द्वारा ही कराया जाए.

डर्माब्रेशन

डर्माब्रेशन का इस्तेमाल अकसर कुछ खास प्रकार के दागों या ऐज्ड स्किन के लिए किया जाता है. इस प्रक्रिया में त्वचा की ऊपरी परत को हटाने के लिए वायर्ड ब्रश का इस्तेमाल किया जाता है. ब्रश तेजी से घूमता है, जिस से त्वचा की ऊपरी परत निकलती और बराबर होती है. उपचारित हिस्सा जैसेजैसे ठीक होता जाता है, वैसे नई त्वचा विकसित होती जाती है.

हालांकि इन सभी प्रक्रियाओं के अपने फायदे हैं, लेकिन सफलता की अधिकतम संभावना और तुरंत परिणाम के कारण लेजर लाइट ट्रीटमैंट का इस्तेमाल स्किन ऐक्सपर्ट्स और डर्मेटोलौजिस्ट द्वारा सतही और गहरी त्वचा संबंधी समस्याओं के लिए बहुत अधिक किया जाता है. सभी तरह के स्किन ट्रीटमैंट्स त्वचा चिकित्सक से सलाह के बाद ही किए जाने चाहिए. स्किन ऐनालिसिस सैशन के दौरान दवा के इस्तेमाल, क्रीम्स और मैडिकल हिस्ट्री का उल्लेख किया जाना चाहिए. बेहतर परिणाम के लिए उपचार के बाद त्वचा की सावधानीपूर्वक देखभाल करना बहुत जरूरी है.

(लेखक एक सीनियर कौस्मैटिक सर्जन हैं.)

रीसेल फ्लैट खरीदना चाहती हैं तो पहले ध्यान दें

हर व्यक्ति अपने घर का सपना देखता है. अपने सपने को पूरा करने के लिए वह मकान बनाता है या फ्लैट बुक करता है. लेकिन जो लोग घर के बनने तक का इंतजार नहीं करना चाहते वे रीसेल होने वाले घरों व फ्लैटों को खरीदने से नहीं हिचकिचाते. जिन फ्लैटों को दूसरी बार बेचा जाता है उन्हें रीसेल फ्लैट कहा जाता है. नए फ्लैटों की तुलना में रीसेल होने वाले फ्लैट की कीमत कम होती है.

किसी भी फ्लैट की कीमत उस फ्लैट की उम्र, इलाके व निर्माण कंपनी पर निर्भर करती है. हालांकि की रीसेल फ्लैट को खरीदने के लिए आपके पास जमा राशि मौजूद होनी चाहिए. कम लोन मिलने पर आपकी पूंजी आपके काम आएगी.

रीसेल मकान या फ्लैट को खरीदते वक्त इन बातों को ध्यान में रखें…

फीस एवं चार्ज

किसी भी संपत्ति को खरीदते वक्त सरकार द्वारा लगाए गए कई शुल्कों का भुगतान करना पड़ता है. इसमें पंजीकरण फीस, स्टांप फीस, हस्तांतरण फीस एवं उपयोगिता हस्तांतरण शुल्क शामिल हैं. संपत्ति को खरीदने के लिए दलाल की मदद लेने पर इसमें दलाली भी जुड़ जाएगी. अतः इन सारे शुल्कों को जोड़ने पर आप कुल कीमत का अंदाजा लगा पाएंगी.

मौजूदा लोन

अक्सर लोग किसी कारणवश अपनी संपत्ति को मॉर्गिज कर देते हैं. ऐसे स्थिति में संपत्ति के सारे दस्तावेज बैंक के पास होते हैं और कर्ज़े के पूर्ण भुगतान के बाद दस्तावेज मकान मालिक को वापस मिलते हैं. यदि संपत्ति मॉर्गिज हुई थी तो मकानदार के पास एन्कम्ब्रन्स प्रमाणपत्र होना चाहिए. कर्जे में डूबे मकान की खरीददारी एक घाटे का सौदा साबित होगी.

मकान की आयु

मकान की मजबूती उसकी उम्र पर निर्भर करती है. एक अच्छे घर की उम्र 1-5 साल या अधिकतम 10 साल होनी चाहिए. बैंक से लोने लेने की स्थिति में इस बात पर ध्यान देना बहुत जरूरी है क्योंकि बैंक ज्यादा पुराने मकानों पर जल्दी लोन नहीं देती. लोन पाने के लिए आपको मिन्नते या बैंक के चक्कर लगाने पड़ सकते हैं.

दस्तावेज

मकान को खरीदने से पहले खाता प्रमाण पत्र, टैक्स रसीद एवं इमारत का अपरूवल प्लैन जैसे दस्तावेजों की जांच कर लेनी चाहिए. सभी दस्तावेज किसी विशेषज्ञ या वकील द्वारा सत्यापित किए जाने चाहिए. कुछ दस्तावेजों की आवश्यकता शहर पर निर्भर करती है. उदाहरण के लिए, खाता प्रमाण पत्र बेंगलुरू शहर में एक अनिवार्य दस्तावेज है. दस्तावेज के शीर्षक की स्पष्ट रूप से जांच करें. कुछ ना समझ आने पर वकील की मदद लें.

संपत्ति का मूल्यांकन

संपत्ति के सही दाम चुकाने के लिए उसका मूल्यांकन करें. अतः जल्दबाजी में आप धोखा खा सकती हैं. बने बनाए घर में शिफ्ट होने के दो फायदें हैं एक आपकी ईएमआई बचती है और दूसरा आपका किराया. यदि आप फ्लैट बुक करती हैं तो आपको फ्लैट के तैयार होने तक इंतजार करना पड़ता है. जिसमें करीब 2-3 साल निकला जाते हैं.

पड़ोसियों से करें पूछताछ

आप जिस इलाके में घर खरीदने जा रही हैं उससे जुड़ी जानकारी तथा वहां बिजली, पानी एवं अन्य जरूरी सुविधाओं की उपलब्धता को वहां के रहने वाले लोगों से इकट्ठा करें.

फिल्म रिव्यू : इंदू सरकार

बौलीवुड में एक गंभीर राजनीतिक फिल्म की कल्पना करना बेवकूफी ही है. ऐसे में 1975 से 1977 के बीच के21 माह के आपाकाल के दिनों में घटे घटनाक्रमों पर बनी मधुर भंडारकर की फिल्म ‘‘इंदू सरकार’’ से बहुत ज्यादा उम्मीदें करना निरर्थक ही है. क्योंकि हमारे देश का राजनीतिक माहौल ही कुछ इस तरह का है. यदि फिल्मकार अपनी फिल्म को सत्यपरक बनाने के लिए फिल्म में किसी नेता का नाम ले ले, तो राजनेता उसकी चमड़ी ही नहीं मांस तक उधेड़ने में कसर बाकी नहीं रखेंगे. यही समस्या फिल्म ‘‘इंदू सरकार’’ के साथ भी है. वैसे मधुर भंडारकर उस वक्त इस फिल्म को बना पाए हैं, जब ‘कांग्रेस’ विरोधी सरकार है. फिर भी इस फिल्म को कांग्रेस का कोपभाजन बनना पड़ा.

फिल्म ‘‘इंदू सरकार’’ की कहानी इंदू नामक महिला के नजरिए से चलती है. इंदू (कीर्ति कुल्हारी) एक अनाथ लड़की है. वह कवितांए लिखती है, मगर हकलाती भी है. उसकी जिंदगी में एक पुरुष नवीन सरकार (तांता रायचौधरी) आता है, जिसकी महत्वाकांक्षा एक बहुत बड़ा ब्यूरोक्रेट्स बनना है. वह एक चाटुकार है. नवीन सरकार के साथ शादी कर वह इंदू सरकार बन जाती है. 25 जून 1975 को देश में आपातकाल लग जाता है. फिर विपक्षी नेताओं की गिरफ्तारी, तुर्कमानगेट कांड, नसबंदी जैसे कई घटनाक्रम घटित होते हैं. नवीन सरकार नेताओं की हां में हां मिलाना शुरू करते हैं. मगर इंदू सरकार नैतिकता व एक स्वस्थ विचारधारा के साथ अपनी अलग राह चुनती है. परिणामतः उसकी खूबसूरत जिंदगी बदल जाती है. वह भी नानाजी (अनुपम खेर) के साथ अंडरग्राउंड होकर आपातकाल के खिलाफ जंग का हिस्सा बनती है. कई घटनाक्रम तेजी से बदलते हैं. अंततः 21माह बाद आपातकाल खत्म होता है.

यूं तो आपातकाल के 21 माह के दौरान घटित घटनाक्रमों पर कई किताबें उपलब्ध हैं, फिर भी वर्तमान पीढ़ी के लिए आपातकाल की भयावहता को समझने मे यह फिल्म अच्छा साधन बन सकती है. क्योंकि मधुर भंडारकर ने तात्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा देश पर आपातकाल थोपे जाने के बाद जिस तरह से आम लोगों के मौलिक अधिकारों का हनन किया गया, से लेकर इंदिरा गांधी की उनके बेटे संजय गांधी रूपी कमजोरी व संजय गांधी के दुःखद व गलत निर्णयों, जबरन नसबंदी, विपक्षी नेताओं की गिरफ्तारी, पूरे देश में आतंक का माहौल जैसे घटनाक्रमों व भयावहता का अपनी फिल्म में बेहतरीन चित्रण किया है.

मधुर भंडारकर ने बड़ी चालाकी से कहानी का केंद्र इंदू सरकार (कीर्ति कुलहारी) नामक एक अनाथ व साधारण मगर बहुत ही ज्यादा साहसी व दिलेर महिला के इर्द गिर्द बुना है. हम जानते हैं कि इंदिरा गांधी को एक खास इंसान ‘इंदू’ नाम से बुलाता था. इसी तरह फिल्म में संजय गांधी का किरदार तो रखा है, मगर उसे ‘चीफ’ (नील नितिन मुकेश) नाम दिया है. इसी तरह से दूसरे वास्तविक किरदारों के नाम बदले गए हैं. यदि मधुर भंडारकर ने इन नामों को फिल्म में रखा होता और इंदू सरकार के इर्द गिर्द के किरदारों को सही रूपों में अहमियत के साथ पेश किया होता, तो आपातकाल की पृष्ठभूमि पर ‘इंदू सरकार’ ज्यादा बेहतर फिल्म हो सकती थी. कुल मिलाकर मधुर भंडारकर ‘फैशन’ या ‘पेज थ्री’ जैसा जादू रचने में असफल रहे हैं. ‘इंदू सरकार’ बहुत ज्यादा गहरा प्रभाव छोड़ने मे असफल रहती है.

फिल्म की कहानी व पटकथा कुछ कमजोरियों के बावजूद  बेहतर है. इंटरवल के बाद फिल्म निर्देशक के हाथ से फिसलती हुई नजर आती है. लगता है कि इस कमी को पूरा करने के लिए जबरन कव्वाली ठूंसी गयी है. फिल्म कई जगह इतनी तेज भागती है कि कुछ संवाद उसमें खो जाते हैं. आपातकाल के समय छोटे शहरों व गांवों में घटित घटनाक्रम ज्यादा भयावह थे, जिनकी उपेक्षा की गयी है. फिल्मकार मधुर भंडारकर जिस तरह के कथा कथन के लिए जाने जाते हैं, उसका अभाव फिल्म ‘‘इंदू सरकार’’ में नजर आता है.

फिल्म के एडीटर की अपनी कमियों के चलते भी फिल्म कमजोर हुई है. फिल्म के कैमरामैन कीयको नकहरा बधाई के पात्र हैं. फिल्म का गीत संगीत उत्तम है. इंदू सरकार के चुनौतीपूर्ण किरदार में कीर्ति कुल्हारी ने जबरदस्त परफार्मेंस दी है. अपनी भावनाओं, जिंदगी की दुविधाओं के बीच के संघर्ष के दृश्यों में उनकी अभिनय क्षमता इस तरह से निखर कर आयी है कि यदि उन्हे राष्ट्रीय पुरस्कार मिल जाए, तो गलत नहीं होगा. तांता राय चौधरी ने भी अपने किरदार के साथ पूरा न्याय किया है.

दो घंटे 19 मिनट की अवधि वाली फिल्म ‘‘इंदू सरकार’’ का निर्माण भरत शाह और भंडारकर इंटरटेनमेंट द्वारा संयुक्त रूप से किया गया है. फिल्म के निर्देशक मधुर भंडारकर, लेखक मधुर भंडारकर, पटकथा लेखक अनिल पांडेय व मधुर भंडाकर, संवाद संजय छैल, संगीतकार अनु मलिक, कैमरामैन कीयको नकहरा तथा कलाकार हैं-कीर्ति कुल्हारी, नील नितिन मुकेश, सुप्रिया विनोद, तांता राय चौधरी, अनुपम खेर आदि.

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