एक बार फिर बिग स्क्रीन पर फीमेल ऐक्ट्रैस का जबरदस्त रोल

बौलीवुड फिल्में देख कर अब लग रहा है. फिल्मों में एक बार फिर फीमेल लीड एक्ट्रेस का दौर चल पड़ा है. हीरोइने अब सजीसंवरी गुड़िया या अबला नारी नहीं, जो अपने ऊपर होने वाले अत्याचार सहन कर लेंगी. बल्कि अब वो शोरनर बन सकती हैं. अपने साथसाथ वह अपनी फैमिली मेंबर्स का ध्यान रख सकती है. जहां श्रद्धा कपूर फिल्म ‘स्त्री’ में अपनी परफौर्मेंस से खूब तारीफ बटोर रही हैं. वहीं अब एक्ट्रेस आलिया भट्ट अपनी अपकमिंग फिल्म ‘जिगरा’ के टीजर में जबरदस्त एक्शन रोल करते हुए नजर आ रही हैं और सुर्खियां बटोर रही हैं.

एक्शन हीरो वाला जबरदस्त रोल

हाल ही में धर्मा प्रोडक्शंस ने फिल्म ‘जिगरा’ का 2 मिनट 49 सेकेंड का टीजर ट्रेलर जारी किया है. इसमें आलिया भट्ट कमाल की लग रही है. वो इसमें एक्शन हीरो वाला रोल करती नजर आ रही हैं. जो लाजवाब है. जहां आमतौर पर भाई अपनी बहन को बचाने आता है, यहां आलिया अपने भाई को बचाने निकलती हैं और इसके लिए वह किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं. उनके पास हल्के फुल्के हथियार हैं, जिनमें हथौड़ी भी शामिल है. पर वो उन्हीं के सहारे लड़ने निकल पड़ी हैं. फिर वो गोलियों की बौछार और धधकती आग के बीच गाड़ी भी चलाती नजर आ रही हैं. ये अपने आप में एक बड़ा ट्विस्ट है, जो फिल्म को और खास बनाता है. हौलीवुड जैसी फिल्मों के शौकीन वाली औडियंस के लिए ये सीन खास इंटरेस्ट पैदा करेगा. फिल्म में आलिया सत्या का रोल कर रही है. इसके लिए वह जेल की दीवार को तोड़ते हुए नज़र आ रही है. आलिया का ये नया अवतार, गंगूबाई और डार्लिंग्स फिल्म से बिलकुल डिफरेंट है, और ऐसा लगता है इसका एक्शन बौलीवुड की बाकी फिल्मों से एकदम हटकर होगा.

महिलाओं की जबरदस्त स्ट्रौंग भूमिका-

बौलीवुड की कई ऐसी एक्शन फिल्में है. जिनमें महिलाओं की जबरदस्त स्ट्रौंग भूमिका दिखाई गई है. ये फिल्में महिलाओ के प्रति समाज की सोच व नजरिया बदलने में कारगर साबित हुई हैं. आपको रमेश सिप्पी द्वारा निर्देशित फिल्म ‘सीता और गीता’ याद होगी 24 नवंबर1972 में रिलीज हुई इस फिल्म ने बाक्स आफिस पर धूम मचा दी थी. हेमा मालिनी के डबल रोल वाली ये फिल्म उनके करियर की सबसे हिट फिल्मों में शुमार रही. इस फिल्म की कहानी दो जुड़वां बहनें सीता और गीता की थी. सीता जितनी सीधी होती है गीता उतनी ही टेढ़ी. सीता अपनी चाची के जुल्म झेलती है. दूसरी ओर गीता एक तेज तररार लड़की है जो अत्याचार से अपनी बहन को बचाती है. इसी तर्ज पर साल 1989 में आई श्री देवी की फिल्म ‘चालबाज़’, भी एक एक्शन कौमेडी फिल्म थी, जिसका निर्देशन पंकज पाराशर ने किया है. इस में श्रीदेवी ने अंजू और मंजू नाम की दो जुड़वां बहनों का डबल रोल का निभाया था. इसमें श्री देवी की एक्टिंग की देखने के बाद फैंस ने उनकी खूब तारीफ की थी. ये फिल्म बौक्सऔफिस पर एक सफल फिल्म साबित हुई.

मुखौटा: उर्मिला की बेटियों का असली चेहरा क्या था?

‘‘मम्मी, जल्दी यहां आओ,’’ अपनी बहू शिखा की ऊंची आवाज सुन कर आरती तेजी से चलती रसोई में पहुंचीं.

‘‘क्या हुआ है?’’ यह सवाल पूछते हुए उन का दिल तेजी से धड़क रहा था.

‘‘बेसन में नमकमिर्च और दूसरे मसाले कितनेकितने डालूं?’’

‘‘बस यही जानने के लिए तुम ने इतनी जोर से चिल्ला कर मुझे बुलाया है?’’

‘‘क्या मैं बहुत जोर से चिल्लाई थी?’’ शिखा शर्मिंदा सी नजर आने लगी.

‘‘मुझे तो ऐसा ही लगा था जैसे तुम किसी बड़ी मुसीबत में फंस गई होगी,’’ आरती नाराज हो उठीं.

‘‘आई एम सौरी, मम्मी,’’ शिखा फौरन उन के गले लग गई.

‘‘छोटीछोटी बातों से घबरा कर अपना आत्मविश्वास क्यों खो देती हो, बहू? अरे, अगले सप्ताह तुम्हारी शादी को पूरा 1 साल हो जाएगा. घर के बहुत से काम तुम ने सीख लिए हैं. उन्हें बिना किसी की सहायता के अपनेआप करने की आदत डालो,’’ आरती ने नाराजगी भुला कर उसे प्यार से समझाया.

‘‘आप या सौम्या दीदी साथ में खड़ी रहती हो, तो मेरा आत्मविश्वास बना रहता है. आप दोनों से तो मुझे अभी बहुत कुछ सीखना है.’’

‘‘मैं साथ में खड़ी हूं, पर सारे मसाले अपने हाथ से बेसन में तुम ही डालो. आज तारीफ करवाने लायक पकौड़े सब को खिलाओ.’’

‘‘जी,’’ शिखा छोटी बच्ची जैसे अंदाज में बोली. फिर काम में जुट गई. शिखा के ससुर उमाकांत, ननद सौम्या और पति समीर को आरती ने ड्राइंगरूम में 10 मिनट बाद जब अपनी बहू के चिल्ला कर उन्हें बुलाने का कारण बताया, तो तीनों हंस पड़े.

‘‘घर के कामों में तो बहू ढीली है, पर जोश की कोई कमी नहीं है उस में. हम में से कोई अभी तक नहाया भी नहीं है और वह नहाधो कर पकौड़े बना रही है,’’ उमाकांत ने अपनी बहू की एक तरह से तारीफ ही की.

‘‘शिखा टैंशन में जल्दी आ जाती है, पापा. मैं तो कभीकभी सोचता हूं कि औफिस में उस का काम कैसे चलता होगा,’’ समीर ने हैरानी प्रकट की.

‘‘भाभी की गजब की सुंदरता उन्हें हर तरह की परेशानी में फंसने से बचा लेती होगी, भैया. उन की हैल्प करने को तो पूरा औफिस सदा तैयार रहता होगा,’’ सौम्या के इस मजाक पर उन सभी के ठहाके कमरे में गूंज उठे. ‘‘पापा, उसे टीवी का रिमोट तक तो ढंग से चलाना आता नहीं. पता नहीं कंप्यूटर के सामने बैठ कर वह कैसीकैसी बेढंगी गलतियां करती होगी,’’ समीर बोला.

‘‘ये हैरानी की बात नहीं है कि हम भाभी के औफिस के किसी भी सहयोगी को नहीं जानते हैं. आज तक इस के औफिस के किसी भी व्यक्ति ने हमारे घर में कदम नहीं रखा है,’’ सौम्या की इस बात को सुनने के बाद वे सभी हैरान नजर आने लगे थे. ‘‘मैं भी आज तक 1 या 2 बार ही इस के औफिस गया हूं. वैसे हम उन लोगों से नहीं मिलते हैं, यह अच्छी ही बात है,’’ समीर की आंखों में शरारती चमक उभरी.

‘‘यह अच्छी बात क्यों है?’’ सौम्या ने उत्सुकता दिखाई.

‘‘वे जब शिखा के काम की कमियों और उस की नासमझी दर्शाने वाले किस्से सुनासुना कर हमारे कान पका देंगे तब क्या होगा?’’ समीर के इस मजाक पर वे सब खुल कर हंस नहीं पाए, क्योंकि गरमगरम पकौड़े ले कर शिखा वहां पहुंच गई थी.

‘‘मेरे औफिस के बारे में बात चल रही थी क्या?’’ पकौड़ों की प्लेट मेज पर रख कर शिखा ने मुसकराते हुए सवाल पूछा.

‘‘हां, बात तो हम तुम्हारे औफिस वालों के बारे में ही कर रहे थे,’’ समीर ने गंभीर होते हुए जवाब दिया.

‘‘क्या बातें कर रहे थे?’’

‘‘यही कि वे लोग कितने खुश होंगे कि तुम उन सब के साथ काम करती हो. तुम्हारी मौजूदगी के कारण हर सहयोगी को कितना अलर्ट रहना पड़ता होगा.’’

‘‘अलर्ट तो वाकई रहना पड़ता होगा, भैया. वह कहावत नहीं सुनी है क्या आप ने?’’ सौम्या के लिए अपनी हंसी रोकना कठिन हो रहा था.

‘‘कौन सी कहावत?’’

‘‘वही कि सावधानी हटी और दुर्घटना घटी.’’ उन सब की हंसी का बुरा न मानते हुए शिखा ने मुसकराते हुए कहा, ‘‘मेरी टांग खींचने के साथसाथ पकौड़ों का आनंद भी लेते रहें, प्लीज.’’

‘‘वैसे एक बात बताओ बहू, तुम ने आज तक अपने सहयोगियों को यहां घर बुला कर हम से क्यों नहीं मिलवाया है?’’ उमाकांत ने बातचीत का विषय बदलने की समझदारी दिखाई.

‘‘पापा, कभी ऐसा कोई मौका ही नहीं आया.’’

‘‘तो अब आ रहा है मौका. समीर, अपनी शादी की पहली ऐनिवर्सरी के मौके पर तुम इस के विभाग के सभी सहयोगियों को यहां दावत दो.’’ ‘‘ठीक है पापा, हमारी ये जीनियस जिन लोगों के साथ काम करती है, उन से मिलने का वक्त अब आ ही गया है,’’ समीर के इस मजाक पर अन्य लोगों के साथ शिखा भी हंसी, पर उस की आंखों में हलकी सी चिंता के भाव भी उभरे जिन्हें कोई समझ नहीं पाया. ऐनिवर्सरी वाले दिन रसोई में शिखा ने अपनी सास और ननद के हाथपैर अपनी चिंता के कारण फुला दिए.

‘‘वे सब लोग 1 बजे लंच करने आ जाएंगे. सब काम वक्त से पूरा हो जाएगा न, मम्मी?’’ ऐसे सवाल पूछपूछ कर शिखा ने उन दोनों का दिमाग खा लिया. उस पर न किसी के समझाने का असर हो रहा था, न डांटनेडपटने का. ड्राइंगरूम की सजावट को ले कर वह समीर से कई बार उलझ पड़ी थी. उस की सास ने उसे जबरदस्ती तैयार होने के लिए रसोई से बाहर भेज दिया. सजधज कर शिखा जब सही वक्त पर ड्राइंगरूम में पहुंची, तो उस के औफिस के सहयोगी और घर वाले उसे देखते ही रह गए. उस का रूप लावण्य इस वक्त किसी फिल्म अभिनेत्री को भी मात कर रहा था. उस के बौस संजीव ने उसे फूलों का सुंदर गुलदस्ता भेंट किया. उन के साथ आए नवीन, मीनू, अंजू और अमित ने मिल कर समीर और शिखा के साथ फोटो खिंचवाया. वे लोग अपने साथ केक लाए थे. केक को मेज पर सजाने के बाद सारे लोग समीर और शिखा के इर्दगिर्द इकट्ठे हो गए.

‘‘भाभी पल्ला संभालो, प्लीज. बहू, चाकू संभाल कर पकड़ो. देखो, हाथ न काट लेना. और बहू, मेज से जरा दूर रहो. ठोकर लग गई तो सब प्लेटें फर्श पर गिर जाएंगी.’’ शिखा के घर वाले उस को लगातार हिदायतें दे कर कभी हंस पड़ते, तो कभी फिक्रमंद नजर आने लगते.

केक खाते हुए उमाकांत ने संजीव को सहज भाव से मुसकराते हुए बताया, ‘‘हमारी बहू हम सब की बड़ी लाडली है, पर कभीकभी यह जोश में होश खो बैठती है.’’ कुछ दूरी पर आरती मीनू और अंजू को सफाई दे रही थीं, ‘‘हमारे घर में आ कर बहुत कुछ सीख लिया है शिखा ने. जब ये नईनवेली दुलहन बन कर आई थी, तब इसे ढंग से चपाती बनानी भी नहीं आती थी. हम सब न संभालें, तो अभी भी ये गड़बड़ कर देती है.’’ समीर ने नवीन और अमित से झेंपते हुए कहा, ‘‘दोस्तो, औफिस में अगर शिखा से कोई गलती हो जाती है, तो प्लीज, संभाल लिया करो. किसी भी नई चीज को सीखने में उसे वक्त जरूर लगता है, लेकिन इस में कोई शक नहीं कि वह बहुत मेहनती है.’’

उस वक्त शिखा रसोई में गई हुई थी. समीर की बात सुन कर अमित पहले हैरान हुआ फिर संजीव की तरफ मुड़ कर उस ने ऊंची आवाज में पूछा, ‘‘सर, क्या आप ने यह नोट किया है कि अपनी शिखा की छवि घर में ज्यादा अच्छी नहीं है?’’ ‘‘बिलकुल किया है,’’ संजीव बोले. फिर उमाकांतजी की तरफ मुड़ कर गंभीर लहजे में पूछा, ‘‘सर, क्या आप सब लोगों की नजरों में शिखा कमअक्ल या कुछकुछ फूहड़ लड़की है?’’

‘‘नहींनहीं, ऐसी बात नहीं, संजीवजी. अभी उस की उम्र ज्यादा नहीं है. धीरेधीरे वह सब सीख जाएगी,’’ उमाकांतजी ने फौरन सफाई दी.

‘‘आप लोगों की बातों से तो हमें ऐसा ही अंदाजा हुआ है.’’

‘‘क्या ये औफिस में कुछ गड़बड़ नहीं करती है?’’ आरती ने माथे पर बल डाल कर सवाल पूछा.

‘‘शिखा और गड़बड़, मैडम यह तो मेरी टीम की बैस्ट वर्कर है.’’

‘‘लेकिन…लेकिन घर में तो यह छोटेछोटे कामों में भी गड़बड़ कर जाती है.’’

‘‘यह बात तो विश्वास करने लायक नहीं है, मैडम. देखिए, मैं आप सब को अपने इन लोगों से पुछवाता हूं. अमित, सब से ज्यादा प्रभावशाली प्रैजेटेंशन कौन देता है?’’

‘‘शिखा, सर.’’

‘‘अंजू, हमारी महत्त्वपूर्ण क्लायंट्स के साथ होने वाली मीटिंग्स में मेरे साथ कौन जाता है?’’ ‘‘शिखा, सर. लोगों को अपनी बात प्रभावशाली ढंग से समझाने की कला उसे ही सब से अच्छी तरह से आती है.’’

‘‘मीनू, कंप्यूटर से नई जानकारियां कौन ढूंढ़ कर रखता है?’’

‘‘सर, शिखा ही इस काम में सब से कुशल है. कंप्यूटर सौफ्टवेयर की जितनी जानकारी इसे है, उतनी तो सौफ्टवेयर इंजीनियर को ही होती है.’’

‘‘नवीन, कुछ दिन पहले दवा बनाने वाली कंपनी के साथ जो घटना घटी थी, उसे सब को बताओ, प्लीज.’’

‘‘उस कंपनी ने अपनी एक दर्दनिवारक गोली को मार्केट में बेचने की जिम्मेदारी हमारी शिखा को देने के लिए एक प्रैजैंटेशन का आयोजन किया था. उस का दावा यह था कि उस गोली में दर्द कम करने के साथसाथ दर्द के कारण मरीज के अंदर पैदा हुई टैंशन को कम करने की दवा भी मिली हुई है. ‘‘उस कंपनी का प्रतिनिधि उस गोली की बड़ाई बड़े उत्साह से कर रहा था कि तभी शिखा ने ऊंची आवाज में कहा कि ये गोली जिस मरीज ने खाई, उसे दर्द से पक्का छुटकारा यकीनन मिल जाएगा, क्योंकि दर्द महसूस करने के लिए वह जिंदा ही नहीं बचेगा.’’

‘‘आप किस आधार पर ये आरोप लगा रही हैं, मैडम? उस अचंभित प्रतिनिधि द्वारा पूछे गए इस सवाल के जवाब में शिखा ने पूरे आत्मविश्वास के साथ कहा कि क्योंकि टैंशन कम करने वाली दवा की मान्य खुराक 0.5 मि.ग्रा. है और आप की टैबलेट में उस दवा की मात्रा 5 मि.ग्रा. है जो कि 10 गुना ज्यादा होने के कारण मरीज को गहरी बेहोशी में ले जा कर उस की जान को खतरे में डाल देगी. ‘‘उस प्रतिनिधि ने शिखा से बहस करनी चाही, पर उस की एक न चली क्योंकि हमारी शिखा को उस दवा के सारे दुष्प्रभाव जबानी याद थे. तब मजबूरन उस कंपनी के चीफ कैमिस्ट को सारी बात बताई गई. खोजबीन से यह तो साबित हो गया कि गोली में तो दवा की सही मात्रा ही है, पर टाइपिंग की गलती के कारण दवा की मात्रा 10 गुना ज्यादा छप गई थी. ‘‘चीफ कैमिस्ट ने शिखा को फोन कर के माफी मांगी और उस की समझदारी व सतर्कता की खूब प्रशंसा भी की. हमारे एम.डी. ने हमारे विभाग में आ कर जब शिखा की पीठ थपथपाई, तो हम सब का सीना गर्व से तन गया था,’’ उस घटना का ब्योरा सुनातेसुनाते नवीन बहुत भावुक हो गया था.

‘‘मेरे विभाग का सब से ज्यादा चमकता सितारा घर में बुद्धू और फूहड़ समझा जाता है, यह बात हमें बिलकुल हजम नहीं हो रही है,’’ संजीव सब से ज्यादा हैरान नजर आ रहे थे. घर का कोई सदस्य आगे अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर पाता, उस से पहले ही शिखा की आवाज सब तक पहुंची, ‘‘सर, आप सब मेरी इतनी ज्यादा बड़ाई कर के क्यों मेरी टांग खींच रहे हैं? मैं कहां कुशल हूं अपने औफिस के कामों में? और घर के कामों में तो मेरी समझ और भी कम है. मम्मी और दीदी की हैल्प न हो, तो खाना बनाने की बात तो दूर रही, मैं अकेली आज बना खाना सब को ढंग से खिला भी नहीं पाऊंगी.’’ फिर यह कहते हुए आप दोनों मेरे साथ आओ न,’’ कहते हुए शिखा ने अपनी सास और ननद के हाथ पकड़े और उन्हें खींचती हुई रसोई की तरफ ले गई. वहां उपस्थित हर व्यक्ति की आंखों में इस वक्त हैरानी के भाव साफ नजर आ रहे थे. क्या शिखा सचमुच औफिस के काम में बहुत कुशल है? तो उस की वह कार्यकुशलता घर के काम करते हुए कहां और क्यों खो जाती है? यह सवाल शिखा के पति, सासससुर और ननद के लिए अचरज का कारण बना हुआ था. औफिस के हर काम में होशियार और काबिल शिखा की घर में छवि इतनी खराब कैसे हो सकती है? इस सवाल ने उस के बौस और सहयोगियों को हैरानपरेशान किया हुआ था. शिखा उन को चाह कर भी घर में नाकाबिलीयत मुखौटा पहन कर जीने का कारण नहीं बता सकती थी. वह कैसे उन्हें समझती कि शादी के बाद शुरूशुरू में उस की सुंदरता व हर काम को बड़ी कुशलता से करने का ढंग उस के पति, सासससुर और ननद के अंदर अजीब सी हीनभावना पैदा कर देता था. तब वे सब उस से खिंचेखिंचे से रहते थे और उस के अवगुण ढूंढ़ कर उसे नीचा दिखाने का मौका कभी नहीं चूकते थे.

इस समस्या का समाधान तब उसे यही नजर आया था कि वह अपने गुणों को छिपाना शुरू कर दे. इसलिए बिना जरूरत वह अपने ससुराल में असहाय, बेबस और अकुशल सी बनी रहने लगी थी. उस की कार्यकुशलता की तारीफ कर उस के बौस और सहयोगियों ने उस दिन शिखा द्वारा ओढ़े जाने वाले मुखौटे के पीछे छिपी असलियत उस के घर वालों को दिखाई थी. उस ने बात को संभालने की कोशिश जरूर की पर मामला बिगड़ गया लगने लगा था. अपने मुखौटे को और ज्यादा मजबूत बनाने के लिए शिखा ने गरम कड़ाही को छुआ और चिल्ला पड़ी, ‘‘हाय राम, हाथ जल गया मेरा.’’ ‘‘बहू, तुम जरा गैस से दूर रहो. पता नहीं औफिस में तुम कंप्यूटर पर करंट खाए बिना कैसे काम कर लेती हो,’’ अपनी सास के मुंह से इस डांट को सुन कर शिखा मन ही मन खुश हो उठी, क्योंकि ससुराल में सुखशांति से जीने की उस की तरकीब के आगे भी सफल बने रहने की उम्मीद फिर से लौट आई थी.

अल्लू अर्जुन की फिल्म पुष्पा 2 में तृप्ति डीमरी करेंगी सेक्सी आइटम डांस

अल्लू अर्जुन अभिनीत साउथ की डब फिल्म पुष्पा ने बौलीवुड इंडस्ट्री में तहलका मचा दिया था. इस फिल्म को इतना पसंद किया गया कि आज भी फिल्म पुष्पा की चर्चा होती है. साथ ही इस फिल्म के सारे गाने इतने लोकप्रिय हैं कि वह आज भी चर्चा का विषय बने हुए हैं. खास तौर पर पुष्पा फिल्म में सामंथा रुथ प्रभु पर फिल्माया सेक्सी आइटम नंबर ऊ ऊ अंटावमा ..गाना सुपरहिट हुआ. जिसके बाद दिसंबर में रिलीज होने वाली पुष्पा 2 का दर्शकों को बेसब्री से इंतजार है.

खबरों के अनुसार इस बार भी पुष्पा 2 में एक तड़कता भड़कता आइटम नंबर दिखाया जाने वाला है. जो की इस बार सामंथा रुथ प्रभु नहीं बल्कि एनिमल और बैड न्यूज से अति चर्चित सेंसेशनल तृप्ति डीमरी द्वारा प्रस्तुत किया जाने वाला है. जो की ऊ अंटवमा सैक्सी आइटम नंबर से भी ज्यादा धमाकेदार होगा.

एनिमल और बैड न्यूज के बाद तृप्ति डिमरी अपनी अदाकारी के अलावा इंटिमेट सीन को लेकर भी चर्चा में बनी हुई है. पुष्पा 2 के अलावा तृप्ति भूल भुलैया 3 में भी मुख्य भूमिका में नजर आने वाली है. यानी की काफी सालों से संघर्ष कर रही तृप्ति डिमरी की किस्मत अब जोर पकड़ रही है. और उन्हें अच्छीअच्छी फिल्में औफर हो रही है.

कपिल शर्मा शो के चंदू चायवाला ने ठुकराया बिग बौस 18 का औफर, जानें क्या है वजह

जब से चाय वाला प्रधानमंत्री बन गया है तब से सारे चाय वालों के नखरे बढ़ गए हैं. भले ही वह असली चाय वाले हो, या कपिल शर्मा कौमेडी शो में चंदू चाय वाला ही क्यों ना हो. द कपिल शर्मा शो से प्रसिद्धि पाने वाले चंदू चाय वाला अर्थात चंदन प्रभाकर को बिग बौस 18 में बतौर प्रतियोगी भाग लेने का औफर मिला. लेकिन यह औफर चंदन प्रभाकर ने ठुकरा दिया क्योंकि चंदन प्रभाकर के अनुसार बिग बौस में बहुत लड़ाई झगड़ा और बेइज्जती होती है.

इसके अलावा कई सारे कमरे के बीच महीनों तक रहना पड़ता है .जो उनके बस की बात नहीं है. चंदन के अनुसार बिग बौस शो उनके टाइप का नहीं है. इसलिए शो में जाने से उन्होंने इनकार कर दिया. गौरतलब है फिलहाल कपिल शर्मा शो ओटीटी प्लेटफौर्म की शोभा बढ़ा रहा है और जल्द ही इसका दूसरा सीजन नेटफ्लिक्स पर आने वाला है . लेकिन कपिल के दोनों सीजन में चंदन प्रभाकर नजारत है . बावजूद इसके चंदन प्रभाकर ने बिग बौस में जाने से इनकार कर दिया.

बहरहाल बिग बौस 18 की शूटिंग शुरू हो चुकी है . यह शो 5 अक्टूबर से कलर्स चैनल पर शुरू होने वाला है.

मलाइका अरोड़ा के सौतेला पिता थे अनिल मेहता ? आखिर क्या है सच

मलाइका अरोड़ा के पिता अनिल अरोड़ा को लेकर बड़ा खुलासा सामने आया है. जो की बहुत ही चौंकाने वाला है. खबरों के अनुसार आज सुबह 9 बजे के करीब मलाइका अरोड़ा के जिस पिता अनिल अरोड़ा ने अपने बांद्रा स्थित फ्लैट के छठी मंजिल से छलांग लगाकर आत्महत्या की थी वह मलाइका के सगे पिता अनिल अरोड़ा नहीं बल्कि सौतेले पिता अनिल मेहता हैं.

खबरों के अनुसार मलाइका अरोड़ा की मां जायस अरोड़ा ने अनिल अरोड़ा से पहली शादी की थी जिससे उनको दो बेटियां मलाइका और अमृता थी. लेकिन अनिल अरोड़ा से खराब रिश्तों के चलते जायस अरोड़ा ने उनसे तलाक लेकर अनिल मेहता से दूसरी शादी की थी. अनिल मेहता ने दोनों बेटियों को अपनाया था.
लेकिन जायस अरोड़ा की अनिल मेहता से भी नहीं बनी और जायस अरोड़ा अनिल मेहता से भी अलग हो गई. लेकिन पिछले कुछ दिनों से वो फिर से अनिल मेहता साथ रह रही थी. लेकिन उनके झगड़ों में कोई कमी नहीं आई थी.

जिसके चलते सुसाइड करने से एक रात पहले अनिल मेहता ने अपनी बेटी अमृता अरोड़ा से बात भी की थी और अपनी परेशानी का जिक्र किया था. इसके बाद दोनों बेटियों ने सौतेले पिता अनिल मेहता को समझाने की भी कोशिश की. लेकिन बावजूद इसके मलाइका अरोड़ा के सौतेले पिता अनिल मेहता ने छठवीं मंजिल से कूद कर अपनी जान दे दी. आत्महत्या करने की वजह तो अभी सामने नहीं आई है लेकिन पुलिस को सुसाइड नोट मिला है. मौका ए वारदात पर सबसे पहले अरबाज खान ने शिरकत की. उसके बाद सभी लोग पहुंचे.

गलतियां सभी से होती हैं: क्या रोली ने कामयाबी पाई

दुलहन के जोड़े में सजी रोली बेहद ही खूबसूरत और आकर्षक लग रही थी. वैसे तो रोली प्राकृतिक रूप से खूबसूरत थी, परंतु आज ब्यूटीपार्लर के ब्राइडल मेकअप ने उस के चेहरे पर चार चांद लगा दिया था, किंतु उस के कमनीय चेहरे पर आकुलता थी. उस की नजरें रिसेप्शन में आ रहे मेहमानों पर ही टिकी हुई थीं. उस की निगाहें बेसब्री से किसी के आने का इंतजार कर रही थीं.

रोली को इस प्रकार परेशान देख वीर उस के हाथों को थामते हुए बोला, “क्या बात है? आर यू ओके?”

रोली होंठों पर फीकी सी मुसकान लिए बोली, “यस… आई एम ओके,  परंतु थोड़ी सी थकान लग रही है.”

ऐसा सुनते ही वीर ने कहा,  “पार्टी तो काफी देर तक चलेगी. तुम चाहो तो कुछ देर रूम में रिलैक्स हो कर आ जाओ.”
वीर के ऐसा कहने पर रोली रूम में चली आई और फौरन मोबाइल फोन निकाल नंबर डायल करने लगी. फोन बजता रहा, लेकिन किसी ने नहीं उठाया.रोली दुखी हो कर वहीं सोफे पर पसर गई.

उसे डौली आंटी याद आने लगी. आज वह जो भी है, उन्हीं की वजह से है वरना  वह तो इस महानगरी में गुमनामी की जिंदगी जीने की ओर अग्रसर थी. वो डौली आंटी ही थीं, जिन्होंने वक्त पर उस का हाथ थाम लिया और वह उस गर्त में जाने से बच ग‌ई.

आज उस का प्यार वीर उस के साथ है. यह भी डौली आंटी की ही देने है. पर, अब तक वे आई क्यों नहीं? उन्होंने तो वादा किया था कि वे अंकल के साथ उस की शादी में जरूर आएंगी.

यही सब सोचती हुई रोली वहां पहुंच गई. अपने परिवार वालों से जिद कर वह एक सफल इंटीरियर डिजाइनर बनने का इरादा मन में ठाने जब अपने छोटे से शहर जौनपुर से दिल्ली आई थी.

यहां दिल्ली यूनिवर्सिटी में आ कर उस ने जो देखा, उसे देख वह भौंचक्की सी रह गई. यहां सभी लड़केलड़कियां बिना किसी पाबंदी के उन्मुक्त बिंदास अंदाज में खुल कर जीता देख रोली खुशी से उछल पड़ी. ऐसा उस ने पहले कभी नहीं देखा था.यहां ना तो कोई किसी को रोकने वाला था और ना ही कोई टोकने वाला, जैसा चाहो वैसा जियो.

रोली भी अब आजाद पंछी की भांति आकाश में उड़ने को तैयार थी.

वहां जौनपुर में दादी, मम्मीपापा, चाचाचाची, ताऊ यहां तक कि उस का छोटा भाई भी उस पर बंदिशें लगाता. हर छोटीबड़ी बातों के लिए उसे अनुमति लेनी पड़ती, परंतु यहां ऐसा कुछ नहीं था.

यहां रोली स्वयं अपनी मरजी की मालकिन थी. वह वो सब कर सकती थी, जो उस का दिल चाहता.

दिल्ली में आने के पश्चात रोली अपना लक्ष्य भूल यहां के चकाचौंध में खो गई. वह तो अपनी रूम पार्टनर रागिनी के संग जिंदगी के मजे लूटने लगी.

रागिनी उस से एक साल ‌सीनियर थी और हर मामले में स्मार्ट, र‌ईस लड़कों को अपनी अदाओं से रिझाना, उन्हें फांसना और उन से पैसे खर्च कराना, ये सारे हुनर उसे बखूबी आते थे, लेकिन रोली इन सब बातों से बेखबर बस रागिनी के बोल्डनेस और उस के बिंदास जीने के अंदाज की कायल थी.

रोली बिना सोचेसमझे कालेज में दिखावा और खुद को मौडल बताने के चक्कर में पैसे खर्च करने लगी. उसे इस बात का भी खयाल ना रहा कि वह एक मध्यमवर्गीय संयुक्त परिवार से ताल्लुक रखती है, जहां पैसे हिसाब से खर्च किए जाते हैं.

अपने घर की सारी परिस्थितियों से भलीभांति अवगत होने के बावजूद रोली रागिनी के रंग में रंगने लगी. केवल अब तक वह सिगरेट और शराब से बची हुई थी, लेकिन रागिनी को बिंदास धुआं उड़ाते, कश लगाते और पी कर लहराते देख कभीकभी उस का भी मन करता, लेकिन ना जाने कौन सी बात उसे रोक लेती. इस बार पैसे खत्म होने पर जब उस ने घर पर मां को फोन किया, तो मां भरे कंठ से बोली, “रोली, देखो बेटा हम हर महीने तुम्हें जितने पैसे भेजते हैं, तुम उसी से खर्च चलाने की कोशिश करो अन्यथा तुम्हें यहां वापस आना पड़ेगा.”

मां और भी कुछ कहना चाहती थीं, लेकिन उन के कहने से पहले ही रोली ने फोन काट दिया. होस्टल के कमरे में आई, तो उस ने देखा कि रागिनी अपना सारा सामान समेट कर कहीं जाने की तैयारी में है. यह देख रोली बोली, “कहां जा रही हो?”

रागिनी हंसते हुए अपने दोनों हाथ रोली के कंधे पर टिकाती हुई बोली, “ऐश करने, मेरी जान.”

रोली आश्चर्य से रागिनी को देखने लगी, तभीरागनी धुआं उड़ाती हुई बोली, “नहीं समझी मेरी मोम की भोली गुड़िया, मैं सौरभ के पास जा रही हूं. अब हम दोनों साथ ही रहेंगे. उस के बाप के पास बहुत माल है. उसे उड़ाने के लिए कोई तो चाहिए ना, सो मैं जा रही हूं. वैसे भी सौरभ मुझ पर लट्टू है.”

यह सुनते ही रोली बोली, “लेकिन…”

रागिनी उसे बीच में ही टोकती हुई बोली, “लेकिन क्या…? माई स्विट हार्ट मुझे मालूम है कि मैं क्या कर रही हूं. मेरी मान तो तू भी होस्टल छोड़ करबकिसी पीजी में रहने चली जा, फिर बिंदास रहना अपने वीर के साथ, समय पर होस्टल लौटने का कोई लफड़ा  नहीं, अच्छा चलती हूं… फिर मिलते हैं,” कहती हुई रागिनी झूमते हुए चली गई.

रागिनी के होस्टल से चले जाने के पश्चात रोली भी कुछ दिनों में होस्टल छोड़ पीजी में डौली आंटी के यहां आ गई.

यहां आने के बाद उसे पता चला कि यहां रहना इतना आसान नहीं है. लोग डौली आंटी के बारे में तरहतरह की बातें किया करते थे. कोई उन्हें खड़ूस, कोई पागल, तो कोई उन्हें सीसीटीवी कहता, क्योंकि उन की नजरों से कुछ भी छुपना नामुमकिन था. आसपड़ोस की महिलाएं तो उन से बात करने से भी कतरातीं, सब कहतीं कि न जाने कब ये सनबकी बुढ़िया किस बात पर सनक जाए.

डौली आंटी की टोकाटाकी की वजह से कोई ज्यादा दिनों तक यहां टिकता भी नहीं था, लेकिन रोली का अब यहां रहना मजबूरी था, क्योंकि वह होस्टल छोड़ चुकी थी और सब से बड़ी बात डौली आंटी पैसे भी कम ले रही थी, यहां से कालेज की दूरी भी ज्यादा नहीं थी, जिस की वजह से बस और रिकशा के पैसे भी बच रहे थे और साथ ही साथ डौली आंटी के हाथों  में वो जादू था कि वह जो भी खाना बनाती स्वादिष्ठ और लजीज होता, उस में बिलकुल मां के हाथों का स्वाद होता.

सब ठीक था, लेकिन डौली आंटी की टोकाटाकी और जरूरत से ज्यादा हस्तक्षेप रोली को नागवार गुजरने लगा. वह वीर के साथ भी वैसे समय नहीं बिता पा रही थी, जैसा उस ने सोचा था.
जब उस ने वीर से इस बारे में बात की, तो वह कहने लगा, “आंटी स्ट्रिक्ट है तो क्या हुआ… वह तुम्हारा भला ही चाहती है. 1-2 साल में मेरा  प्रमोशन हो जाएगा. कंपनी की ओर से मुझे फ्लेट भी मिल जाएगा और तुम्हारा ग्रेजुएशन भी पूरा हो जाएगा, फिर हम शादी कर साथ रहेंगे.”

वीर से यह सब सुन रोली स्तब्ध रह ग‌ई. वह तो उस से शादी करना ही नहीं चाहती. वह तो बस वीर को अपनी खूबसूरती और मोहपाश के झूठे जाल में केवल पैसों के लिए बांध रखी थी और वह भी रागिनी के कहने पर, लेकिन अब वीर उस से शादी की सोच रहा है. यह जान कर रोली विचलित हो ग‌ई.

अपसेट रोली घर पहुंची, तो उस ने देखा कि डौली आंटी और अंकल कहीं जाने की तैयारी में हैं. उसे देखते ही आंटी बोली, “रोली बेटा मैं और अंकल एक शादी में  जा रहे हैं. कल रात तक लौटेंगे. तुम अपना और घर का खयाल रखना, रात को दरवाजा अच्छी तरह बंद कर लेना,” इतना कह कर वे दोनों चले गए.

परेशान रोली को कुछ सूझ नहीं रहा था कि वह क्या करे. तभी रागिनी का फोन आया.

रोली उसे फोन पर सारी बातें बता कर इस समस्या से बाहर निकलने का हल पूछने लगी, तो रागनी ने कहा, “डोंट वरी डियर, आज रात मैं तेरे रूम पर आती हूं. दोनों पार्टी करते हैं और सोचते हैं कि क्या करना है.”

रोली नहीं चाहती थी कि रागिनी आए, लेकिन वह उसे मना ना कर सकी. रागिनी शराब, सिगरेट और दो चीज पिज्जा ले कर पहुंची.

ये सब देख कर रोली चिढ़ती हुई बोली, “तू ये सब क्या ले कर आई है? आंटी को पता चल गया, तो वह मुझे निकाल देगी.”

“चिल यार… किसी को कुछ पता नहीं चलेगा. वैसे भी आंटी तो कल रात तक लौटेंगी?” कहती हुई रागिनी एक गिलास में शराब डालती हुई धुआं उड़ाने लगी.

रोली भी वीर की बातों से परेशान तो थी ही, वह भी सिगरेट सुलगा कर पीने लगी. तभी रागिनी अपने बैग से एक छोटी सी पुड़िया निकाल कर रोली को देती हुई बोली, “इसे ट्राई कर… ये जादू की पुड़िया है. इसे लेते ही तेरी सारी परेशानी उड़नछू हो जाएगी.”

यह सुन कर रोली पुड़िया खोल कर एक ही बार में ले ली. पुड़िया लेने के कुछ समय पश्चात वह बेहोश होने लगी. यह देख कर रागिनी उसे उसी हालत में छोड़ भाग गई.

जब रोली को होश आया, तो उस ने स्वयं को अस्पताल के बेड पर लेटा पाया, जहां एक ओर डौली आंटी डबडबाई आंखों से स्टूल पर बैठी थी और अंकल डाक्टर से कुछ बातें कर रहे थे.

रोली को होश में आया देख आंटी ने रोली का माथा चूम लिया. रोली घबराई हुई डौली आंटी की ओर देखने लगी, तभी आंटी रोली का हाथ अपने हाथों में लेती हुई बोली, “शादी में पहुंचने के बाद मैं ने रात को क‌ई दफे तुम्हें फोन किया, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला, किसी अनहोनी के भय से हम उसी वक्त घर लौट आए. यहां आ कर देखा, तो बाहर का दरवाजा खुला था और तुम बेहोश पड़ी थी. पूरे कमरे में शराब की बोतल, सिगरेट और ड्रग्स के पैकेट पड़े थे. हम समझ गए कि आखिर माजरा क्या है.”

फिर आंटी लंबी सांस लेते हुए बोली, “तुम सब यह सोचते हो ना कि मैं इतनी खड़ूस, इतनी स्ट्रिक्ट क्यों हूं. मैं ऐसी इसलिए हूं, क्योंकि इसी ड्रग्स की वजह से मैं ने अपने एकलौते बेटे को खोया है…

“और मैं यह नहीं चाहती कि कोई भी मांबाप अपने बच्चे को इस वजह से खोए. मेरा बेटा भी तुम्हारी तरह आंखों में क‌ई सुनहरे सपने लिए बीई की पढ़ाई करने जालंधर गया था, लेकिन वहां जा कर वह बुरी संगत में पड़ ड्रग्स लेने लगा, क्योंकि वहां कोई रोकटोक करने वाला नहीं था और हर कोई बस यही सोचता था कि हमें क्या करना…?

“एक बार सप्ताहभर उस ने कोई फोन नहीं किया, हमारे फोन लगाने पर वह फोन भी नहीं उठा रहा था, तब हम परेशान हो कर उस के पास पहुंचे, तो पता चला कि वह ड्रग्स की ओवरडोज के कारण हफ्तेभर से अपने कमरे में बेहोश पड़ा है. उसे देखने वाला कोई नहीं था. हम उसे उसी हालत में यहां ले आए, लेकिन बचा ना सके.”

यह सब कहती हुई डौली आंटी फूटफूट कर रो पड़ी. रोली की आंखों के कोर में भी पानी आ गया.

आंटी ने आगे बताया कि तुम भी ड्रग्स के ओवरडोज की वजह से बेहोश पड़ी थी. आज पूरे 2 दिन बाद तुम्हें होश आया है.

यह सुन कर रोली की आंखें शर्म से झुक गईं. तभी आंटी बोली, “बेटी, गलतियां तो सभी से होती हैं, लेकिन उन गलतियों से सबक ले कर आगे बढ़ना ही जीवन है. अक्लमंदी और समझदारी इसी में है कि वक्त रहते उन्हें सुधार लिया जाए .”

फिर आंटी मुसकराती हुई बोली, “वीर एक अच्छा लड़का है. तुम्हें बहुत प्यार भी करता है और शायद तुम भी, वरना पिछले डेढ़ साल में रागिनी की तरह तुम भी क‌ई बौयफ्रेंड बदल चुकी होती.

“वीर तुम्हें क‌ई बार फोन कर चुका है, मैं ने उस से कहा है कि तुम हमारे साथ शादी में आई हो और अभी काम में व्यस्त हो.”

खटखट की आवाज से रोली वर्तमान में लौट आई. दरवाजा खोलते ही डौली आंटी और अंकल सामने खड़े थे. उन्हें देखते ही रोली आंटी से लिपट रो पड़ी, उसे शांत कराती हुई आंटी बोली, “रोते नहीं बेटा, अब तुम एक सफल इंटीरियर डिजाइनर हो. तुम सफलता के उस शिखर पर हो, जहां पहुंचने का सपना लिए तुम इस महानगरी में आई थीं. आज खुशी का दिन है,अब आंसू पोंछो और चलो वीर तुम्हारा पार्टी में इंतजार कर रहा है.”

इन इन्फ्लुएंसर्स को यूथ में आइडियलाइज करता बिग बौस

हर युवक का अपना एक आइडियल होता है, जिस के नक्शेकदम पर चल कर वह कुछ बनना चाहता है. मगर पिछले कुछ वर्षों में हमारी युवा पीढ़ी के सामने कोई आइडियल नहीं रहा. हम सिर्फ फिल्मी हीरो की बात नहीं कर रहे हैं, बल्कि समाज या राजनीति किसी भी क्षेत्र में कोई हीरो नहीं रहा. इस चलते युवा पीढ़ी दिशाहीन हो गई है जिस का फायदा ‘धनलोलुप’ टीवी चैनल व फिल्म के निर्माता भुनाने में लगे हुए हैं. ये लोग बहुतकुछ ऐसा परोस रहे हैं कि जिस से युवा पीढ़ी न सिर्फ दिग्भ्रमित हो रही है बल्कि बरबाद भी हो रही है. फिल्म निर्माता तो युवा पीढ़ी के सामने बेनकाब हो चुके हैं, इसलिए अब युवा पीढ़ी अपनी गाढ़ी कमाई फिल्में देखने में नहीं खराब करती. यही वजह है कि बौलीवुड फिल्में बौक्सऔफिस पर टें बोलती जा रही हैं.

लेकिन ओटीटी प्लेटफौर्म हो या टीवी, यह तो दर्शक या यों कहें कि युवा पीढ़ी को लगभग मुफ्त में ही देखने को मिल रहा है. जिन के पास औफिस या अन्य तरह से ‘इंटरनैट डाटा’ मुफ्त में मिला है वे तो यूट्यूब पर ही टीवी व अन्य कार्यक्रम देख लेते हैं वरना ओटीटी का सब्सक्रिप्शन ले रखा है, जोकि फिल्मों के टिकट से तो कम ही लागत में काम चला देता है. यह और बात है कि हर ओटीटी प्लेटफौर्म कर्ज में डूबा हुआ है.

कटु सत्य यह है कि टीवी या ओटीटी प्लेटफौर्म पर परोसा जा रहा हर रिऐलिटी शो ‘स्क्रिप्टेड’ यानी कि पहले से ही लिखा हुआ होता है पर इस के निर्माता इस सच को छिपा कर दर्शकों की आंखों में धूल ?ांकने का काम करते आ रहे हैं. फिर भी किसी को दर्शक नहीं मिल पा रहे हैं पर अब हालत यह है कि न तो ‘ओटीटी’ प्लेटफौर्म और न ही टीवी चैनल अपनी दुकान बंद कर भागना चाहते हैं बल्कि सभी इस जुगत में लगे हैं कि वे किस तरह दर्शकों को मूर्ख बना कर उन्हें अपने साथ जोड़े रखें.

इसी कवायद के चलते ‘तथाकथित’ लोकप्रिय इंफ्लुएसंर्स व ‘यूट्यूबरों’ या सोशल मीडिया पर नकली फौलोअर्स की संख्या रखने वालों को अपने सीरियल्स या ‘बिग बौस’ से जोड़ रहे हैं. ऐसा ये लोग अपने दिमागी दिवालिएपन और इस सोच के साथ कर रहे हैं कि वे युवा पीढ़ी के ‘नए हीरो’ को अपने सीरियल्स या ‘बिग बौस’ का हिस्सा बना कर युवा पीढ़ी के दर्शकों को अपनी तरफ खींच लेंगे, जोकि जमीनी सचाई से कोसों दूर है.

हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि इन दिनों ‘नकली फौलोअर्स’ व ‘व्यूज’ का धंधा भी खूब फलफूल रहा है. यही वजह है कि तमाम प्रयासों के बावजूद दर्शक नहीं मिल रहे हैं. मगर ‘बिग बौस’, खासतौर पर ‘ओटीटी’ के ‘बिग बौस’, के माध्यम से अब ये लोग युवा पीढ़ी पर इन घटिया, फालतू, बदतमीज व ?ागड़ालू इन्फ्लुएंसर्स को ‘हीरो’ के रूप में थोपने का असफल प्रयास करने में लगे हुए हैं.

यदि हम यह कहें कि इस वक्त ‘चैनल, ‘बिग बौस’ के निर्माता और ये फालतू इन्फ्लुएंसर्स, ये तीनों ही अपनेअपने स्वार्थ की रोटी सेंकते हुए दर्शकों को मूर्ख बनाने का दंभ पालते  हुए खुश हो रहे हैं, जोकि इन के दिमागी दिवालिएपन के अलावा कुछ नहीं है.

मजेदार बात यह है कि ओटीटी के ‘बिग बौस’ के निर्माता की तरफ से दावे किए जा रहे हैं कि फालतू व घटिया इन्फ्लुएंसर्स के चलते वे कमाई कर रहे हैं. बिग बौस ओटीटी सीजन 3 ने जो आंकड़े जारी किए, उन से यह बात साबित होती है कि इन्फ्लुएंसर्स का उन्हें फायदा मिला. प्रसारण के 2 सप्ताह के भीतर ‘बिग बौस ओटीटी 2.40 करोड़ से अधिक वीडियो व्यूज के साथ भारत में सब से अधिक स्ट्रीम किया जाने वाला मनोरंजन शो बन गया. 3.5 करोड़ दर्शकों के बीच इसे 4 अरब मिनट तक देखा गया. ओटीटी जो दावा कर रहा है वह कितना सच है, इस की जांच करना संभव नहीं है. यह तो पूरी तरह उन का अपना निजी मामला है.

‘बिग बौस’ चाहे टीवी वाला हो या ‘ओटीटी वाला हो, इन के निर्माताओं व इन के प्लेटफौर्म को इस सच को कुबूल करलेना चाहिए कि दर्शक हिंसा, मारपीट, गालीगलौज, सैक्सी सीन्स या सैक्सी जोक्स वगैरह सुनने के लिए अब फिल्म या टीवी सीरियल या ‘बिग बौस’ नहीं देखना चाहता.

यदि दर्शक हिंसा, गालीगलौज व सैक्स देखना चाहता है तो हाल ही में प्रदर्शित करण जौहर की 2 फिल्मों- ‘किल’ और ‘बैड न्यूज’ ही नहीं, हौलीवुड फिल्म यानी कि मार्वल स्टूडियो की फिल्म ‘डेडपूल एंड वुल्वरिन’ ने सफलता के ?ांडे गाड़ दिए होते पर अफसोस बौक्सऔफिस पर इन की दुर्गति हुई है. कटु सत्य यह है कि साड़ी पहने हुए ढकी औरत ज्यादा सैक्सी नजर आती है बनिस्बत जिस्म की नुमाइश करने वाली औरत के.

बिग बौस और फालतू इन्फ्लुएंसर्स में समानता

‘बिगबौस’ के निर्माताओं ने इस सोच के साथ इस की शुरुआत की थी कि वे रिऐलिटी के नाम पर ‘स्क्रिप्टेड’ गालीगलौज, किचन पौलिटिक्स, हाथापाई, तूतूमैंमैं, मारपीट वगैरह परोस कर दर्शकों को मूर्ख बनाते रहेंगे. हम यहां याद दिला दें कि पहले 2 एपिसोड ने हंगामा बरपाया था. लोगों को लगा कि क्या हम इतने आधुनिक हो गए हैं? मगर औरतों के बीच इसे काफी पसंद किया गया. पहले 2 सीजन तो काफी अच्छे चले. इस की सब से बड़ी वजह यह भी थी कि ‘बिग बौस’ हर सीजन में ऐसी इमेज वाले कलाकार या दूसरे क्षेत्रों के लोगों को समाहित करता रहा है जोकि उन की स्क्रिप्ट के अनुसार हरकतें कर सकें, मारपीट कर सकें या गालीगलौज व वाहियात बातें कर सकें.

सभी को याद होगा कि 2009 में प्रसारित तीसरे सीजन में अभिनेता कमाल आर खान ने हास्य अभिनेता राजू श्रीवास्तव को थप्पड़ मार दिया था (वैसे केआरके और राजू श्रीवास्तव को इसी बात के पैसे मिले थे). फिर 2010 के सीजन में चंबल की मशहूर डकैत सीमा परिहार ‘बिग बौस’ का हिस्सा थीं और इस सीजन में जो कुछ हुआ था, उस से सभी परिचित हैं. तो कहने का अर्थ यह है कि ‘बिग बौस’ साफसुथरे, ईमानदार या शालीन लोगों को अपने कार्यक्रम में ला कर दर्शकों को शालीनता, नैतिकता या मौरैलिटी का पाठ नहीं पढ़ाना चाहता. ‘बिग बौस’ के कर्ताधर्ता मानते हैं कि आज की पीढ़ी के पास कोई ‘हीरो’ नहीं है तो वे ऐसे लोगों को उन के सामने आइडियल लोगों के रूप में पेश कर रहे हैं जिन्हें देख वे अचंभित हों और दिग्भ्रमित भी. और फिर येनकेनप्रकारेण उन की जेबें भरती रहें.

‘बिग बौस’ की ही तरह ये फालतू के इन्फ्लुएंसर्स हैं. ये सभी नकली ‘व्यूज’ और नकली ‘फौलोअर्स’ खरीद कर उद्दंड व गुंडे बने हुए हैं, जिन के पास 2 करोड़ फौलोअर्स हैं. आप इन्हें टिपटौप कपड़ों में देख कर प्रभावित होंगे पर जब आप इन से आमनेसामने बात करेंगे तो इन की अतिघटिया व बदतमीजी वाली भाषा सुन कर अपने कान बंद कर लेने में ही अपनी भलाई समझेंगे.

वास्तव में ये फालतू के इन्फ्लुएंसर्स अपनी निजी जिंदगी में भी घटियापन ही करते रहते हैं. मजेदार बात यह है कि ये इन्फ्लुएंसर्स अपने फौलोअर्स और व्यूज की संख्या गिना कर गुंडागर्दी/दादागीरी/ मारपीट करने से बाज नहीं आते. इतना ही नहीं, ये निजी जिंदगी में भी काफी घटिया होते हैं.

शिवानी कुमारी

ओटीटी के ‘बिग बौस’ सीजन 3 में नजर आ चुकीं औरैया, उत्तर प्रदेश के अरियारी गांव में रहने वाली इन्फ्लुएंसर शिवानी कुमारी को ही लें. गरीब मां की बेटी शिवानी कुमारी को उन की मां ने घर का अनाज बेच कर 7 हजार रुपए दिए थे कि वह स्कूल की फीस भर दे पर शिवानी कुमारी ने स्कूल की फीस भरने के बजाय ‘वीवो’ कंपनी का मोबाइल खरीद कर पूरे गांव वालों को उन के वीडियो वगैरह बनाते हुए परेशान करती रही. आज 9वीं कक्षा तक पढ़ाई कर चुकी शिवानी कुमारी का दावा है कि उन के यूट्यूब चैनल पर 24 लाख फौलोअर्स और इंस्टाग्राम पर 46 लाख से अधिक फौलोअर्स हैं.

ऐसे में ‘बिग बौस’ के निर्माता ने सोचा कि वे शिवानी कुमारी को युवा पीढ़ी के सामने कम उम्र वाली लोकप्रिय इन्फ्लुएंसर के रूप में पेश करेंगे तो उस के इंस्टाग्राम व यूट्यूब के फौलोअर्स ‘बिग बौस’ देखेंगे, इस से ‘बिग बौस’ की कमाई होगी. जो लड़की मोबाइल खरीदने के लिए अपनी मां को धोखा दे सकती हो वह तो पैसा कमाने के लिए स्क्रिप्टेड संवाद बोलने में हिचक क्यों करेगी भला?

कहने का अर्थ यह कि ‘बिग बौस’ के निर्माता युवा पीढ़ी या समाज को नैतिकता का पाठ पढ़ाने वाला हीरो नहीं परोसना चाहते. बल्कि, उन का मकसद ऐसे लोगों को ‘आइडियल’ के रूप में परोसना है जिन के चलते उन की जेब भर सके. ‘बिग बौस’ का सब से बुरा प्रभाव मंदबुद्धि, अनपढ़, कम पढ़ेलिखे या गांव वालों पर पड़ रहा है.

एल्विश यादव

आप इन्फ्लुएंसर एल्विश यादव को कैसे भूल सकते हैं. ‘बिग बौस’ तो इन्हें युवा पीढ़ी का ‘हीरो’ ही मानता है. जब एल्विश ‘बिग बौस’ में था तभी उस पर सांप के जहर व सांपों की तस्करी करने का आरोप लगा था. एल्विश के खिलाफ कई मुकदमे दायर हैं पर ‘बिग बौस’ की नजर में वह आइडियल है. मजाल है कि कोई रोक दे. ‘बिग बौस’ ने तो उसे ही विजेता घोषित किया था.

एल्विश ने 2016 में बतौर इन्फ्लुएंसर कैरियर शुरू किया. उस का यूट्यूब चैनल हास्य रेखाचित्रों और वैब शो के साथ लोगों का मनोरंजन करने के लिए समर्पित है. अपने प्लेटफौर्म पर लगातार घटिया कंटैंट पोस्ट करने की बदौलत चैनल के सब्सक्राइबर्स की संख्या साढ़े 14 लाख, इंस्टाग्राम पर लगभग 16 लाख फौलोअर्स हैं. एल्विश ने अपने दर्शकों को ‘बिग बौस’ में अपनी एंट्री की जानकारी देने के लिए एक रील बनाई थी, जिस में कहा था, ‘तो अब समय आ गया है घर का सिस्टम चेंज करने का तो तुम्हारा भाई… मैं आ रहा हूं घर के अंदर का सिस्टम हैंग करने और सब को बैंग करने. तो आप लोगों से वहां मिलते हैं.’

लवकेश कटारिया

एल्विश का खास दोस्त लवकेश कटारिया उर्फ लवकेश उस से कम नहीं है. ओटीटी के बिग बौस 3 में नजर आ चुका 28 सितंबर, 1998 को गुरुग्राम, हरियाणा में जन्मा 26 वर्षीय लव कटारिया उर्फ लवकेश भी इन्फ्लुएंसर है. समझ नहीं आता इन्हें इन्फ्लुएंसर कहा ही क्यों जाता है. वह बिग बौस ओटीटी 2 के विजेता एल्विश यादव का करीबी दोस्त है. खुद को सोशल मीडिया सनसनी के रूप में स्थापित करने के अलावा वह मटका भारी (अंजलि अरोड़ा के साथ) और वेहेम सहित विभिन्न संगीत वीडियो भी कर चुका है. वह खुद को ‘करप्ट ट्यूबर’ भी बुलाता है. वह गरूर में किसी को भी मारने या खरीद लेने के दावे करता है. ‘बिग बौस’ में उस की अकड़, पैसों का घमंड सहित वह सबकुछ नजर आया जो कि गुरुग्राम के अचानक अमीर हुए बिगडै़ल युवकों में नजर आता है. इंस्टाग्राम पर 3 लाख और यूट्यूब पर महज 4 हजार फौलोअर्स हैं.

चंद्रिका दीक्षित उर्फ वड़ा पाव गर्ल

दिल्ली की ‘वड़ा पाव’ गर्ल के नाम से मशहूर चंद्रिका अपने स्टोल के वायरल वीडियो की बदौलत मशहूर हुई. सोशल मीडिया पर फुटपाथ पर रेहड़ी लगाने को ले कर नगर प्रशासन से उस के ?ागड़े ने उसे वायरल कर दिया. वह शो की पहली कन्फर्म प्रतियोगी थी.

सना सुल्तान

मुंबई के एक मुसलिम परिवार में जन्मी व पलीबढ़ी सना सुल्तान टिकटौक बनातेबनाते इन्फ्लुएंसर बन बैठी हैं. उन के इंस्टाग्राम पर 66 लाख, जोश ऐप पर 25 लाख और फेसबुक पर 4 लाख फौलोअर्स हैं.

विशाल पांडे

सोशल मीडिया पर 9 लाख फौलोअर्स के साथ ही खुद को ‘टीन तिगड़ा’ कहलाने का शौक रखने वाले विशाल पांडे सोशल मीडिया के साथ ही म्यूजिक वीडियो में छाए रहते हैं.

2022 में ‘इन्फ्लुएंसर्स औफ द ईयर’ का अवार्ड जीत चुकीं बिहार की मनीषा रानी भी खुद को अनुभवी यूट्यूबर और इंस्टाग्रामर मानती हैं. बिग बौस ओटीटी में रहते हुए उन्होंने ‘ब्रैंड एम्पावर इंडस्ट्री लीडर्स अवार्ड 2023’ में ‘रिऐलिटी शो ‘एंटरटेनर औफ द ईयर’ की श्रेणी में एक पुरस्कार भी जीता पर ‘बिग बौस’ में वे विजेता न बन पाईं.

अभिषेक मल्हान उर्फ फुकरा इंसान

अभिषेक मल्हान एक अन्य कंटैंट क्रिएटर और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर है, जिस के यूट्यूब और इंस्टाग्राम पर लाखों में फौलोअर्स हैं. अभिषेक मल्हान को उस के अच्छे स्वभाव के लिए पसंद किया गया. वह ‘बिग बौस’ का रनरअप रहा और एल्विश से हारा.

पुनीत सुपरस्टार

इंस्टाग्राम पर 30 लाख से अधिक फौलोअर्स के साथ इंटरनैट की दुनिया में ‘लौर्ड पुनीत’ के नाम से भी जाने जाने वाला सुपरस्टार पुनीत मजाकिया वीडियो बनाने में माहिर है पर यह घर के अंदर अपने दुर्व्यवहार के कारण 24 घंटे के भीतर ही शो से बाहर हो गया था. उसे कैमरे पर चिल्लाने और अपने चेहरे पर फ्लोर क्लीनर, मिर्च पाउडर और टूथपेस्ट सहित विभिन्न चीजें लगाने के लिए जाना जाता है. अब इस से दर्शक क्या सीखेंगे, यह तो वही जाने पर ‘बिग बौस’ के निर्माता व चैनल की नजरों में यह आइडियल है.

फालतू इन्फ्लुएंसर्स हैं ‘बिग बौस’ के भस्मासुर

‘बिग बौस’ पर जिन बदतमीज, फालतू, नौटंकीबाज, अति गुस्सैल इन्फ्लुएंसर्स को ‘आइडियल’ रूप में पेश किया गया उन से हम ने कुछ परिचय करा दिया. ज्यादा जानना चाहते हैं तो इन के इंस्टाग्राम पर जा कर देख लें कि ये किस तरह की बकवास करते हैं, किस तरह मारामारी की बातें करते हैं.

‘बिग बौस’ में इन्हें आइडियलाइज करने के लिए पूरी तरह से मार्केटिंग और पीआर टीम दोषी हैं. सब से पहले पीआरओ ने इन इन्फ्लुएंसर्स को फिल्म की प्रैस कौन्फ्रैंस में बुलाना शुरू किया. पीआरओ ने ही अपने चहेते इन्फ्लुएंसर्स को ‘बिग बौस’ में भिजवाया पर एक दिन ये इन्फ्लुएंसर्स ‘बिग बौस’ के निर्माता व ओटीटी के लिए भस्मासुर साबित होंगे. आखिर आप गलत लोगों को आदर्श के रूप में पोषित करेंगे तो खमियाजा आप भी भुगतेंगे.

अभी हाल ही में फिल्म ‘खेल खेल में’ का गाना रिलीज कार्यक्रम था, जहां मीडिया यानी कि पत्रकारों को ही होना चाहिए था. मगर पीआरओ ने कुछ इन्फ्लुएंसर्स को बुलाया था. पहले तो इन इन्फ्लुएंसर्स के इंतजार में कार्यक्रम कुछ देर में शुरू हुआ. गाना रिलीज होने के बाद एक महिला इन्फ्लुएंसर सीधे स्टेज पर पहुंच गई और अभिनेत्री तापसी पन्नू से कुछ कहे बिना उन के साथ सैल्फी खींचने लगी. तापसी ने टोक दिया.

इतना सुनते ही वह इन्फ्लुएंसर आगबबूला हो गई. चिल्लाते हुए उस ने कहा कि, ‘आप मना कैसे कर सकती हैं, पीआरओ ने हमें आप के साथ रील बनाने, गाने पर रील बनाने और आप के साथ सैल्फी खींचने तथा आप के इस गाने का प्रचार करने के लिए बुलाया है.’

आखिरकार, यहां भी सुरक्षाकर्मियों को ही हस्तक्षेप करना पड़ा. उस के बाद लगातार 4 दिनों तक उस इन्फ्लुएंसर ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर जम कर उस की आलोचना की. उस ने यह अपने सभी फौलोअर्स का अपमान तक बता डाला.

तो धीरेधीरे ये फालतू के इन्फ्लुएंसर्स फिल्म वालों के लिए भी ‘भस्मासुर’ ही बनते जा रहे हैं. एक दिन ‘बिग बौस’ के लिए भी इन्फ्लुएंसर्स ‘भस्मासुर’ ही साबित होंगे.

गौडफादर के बिना हिंदी फिल्मों में काम नहीं मिलता : स्कंद ठाकुर

हिंदी फिल्मों और टैलीविजन शो में काम करने वाले अभिनेता स्कंद ठाकुर बहुत ही विनम्र स्वभाव के और हंसमुख हैं. हिमाचल में जन्मे और मुंबई में पलेबड़े हुए हैंडसम स्कंद को बचपन से ही अभिनय का शौक था, लेकिन उन के पिता की शर्त थी कि वे अपनी पढ़ाई पूरी करें, फिर अभिनय की तरफ ध्यान दें.

उन्होंने उन की बात मानी और अपनी ग्रैजुएशन की पढ़ाई पूरी कर अभिनय की तरफ मुड़े. उन्होंने फिल्मों में आने के लिए काफी संघर्ष किया, लेकिन हार नहीं मानी. वे जानते हैं कि गौडफादर के बिना हिंदी फिल्मों में ऐंट्री पाना आसान नहीं होता, लेकिन प्रतिभा है तो उन्हें काम अवश्य मिलेगा.

मिला ब्रेक

वर्ष 2019 में उन्होंने नैटफ्लिक्स की ऐंथोलौजी सीरीज ‘फील्स लाइक इश्क’ से अभिनय की शुरुआत की है. उन की कुछ खास फिल्में ‘लाल सिंह चड्ढा’, ‘आरआरआर’, ‘गहराइयां’, ‘सूर्यवंशी’, ‘आर्टिकल 370’ आदि हैं. इस के अलावा उन्होंने टीवी सीरीज ‘फील्स लाइक इश्क’, ‘स्कैम 1992’ आदि में भी अभिनय किया है.

स्कंद को उन के अभिनय कौशल के लिए आलोचकों और दर्शकों दोनों ने सराहा है. उन्हें वर्ष 2022 में फिल्मफेयर अवार्ड्स में सर्वश्रेष्ठ पुरुष पदार्पण के लिए नामांकित किया गया था. स्कंद का पूरा परिवार गृहशोभा पत्रिका पढ़ते हैं, जिस में उन की मां खासकर महिलाओं को प्रेरित करने वाले लेख पढ़ती हैं. जियो सिनेमा पर स्कंद की वैब सीरीज खलबली रिकौर्ड्स रिलीज पर है.

उन से बात हुई, आइए जानते हैं उन की कहानी उन की जबानी :

सीरीज करने की खास वजह

इस सीरीज को करने की खास वजह के बारे में पूछने पर स्कंद कहते हैं कि इस शो में मेरा किरदार राघव राय सिंह एक म्यूजिक लवर की है, जो एक फैमिली बिजनैस चलाता है. रियल लाइफ में भी मुझे संगीत से बहुत लगाव है, इसलिए यह भूमिका मेरे लिए खास रही. संगीत में भी हिपहौप म्यूजिक मुझे बहुत पसंद है। मैं काफी सालों से इसे फौलो करता आ रहा हूं. फिल्म को करते हुए मैं ने कई बड़ेबड़े कलाकारों से भी मिल चुका हूं, वही मेरे लिए बड़ी बात रही.

इस शो में एक पितापुत्र की विचारों में नए और पुराने जमाने के संगीत में अंतर को दिखाने की कोशिश की गई है, जो म्यूजिक इंडस्ट्री से जुड़ी है. पर्सनल लाइफ में मैं अपने पिता से काफी क्लोज हूं, समय के साथसाथ इस में अधिक निकटता आई है। बचपन में मुझे याद है जब मेरे पिता कहीं तो मैं कहीं दूसरी जगह पर बैठता था, लेकिन अब हम दोनों अच्छे दोस्त भी हैं.

मिली प्रेरणा

अपने बारे में स्कंद कहते हैं कि मैं ने वर्ष 2015 में पृथ्वी थिएटर के एक थिएटर ग्रुप के बैक स्टेज से काम शुरू किया है. ऐक्टिंग को चुनने की मेरी खास वजह यह थी कि मुझे पढ़ाई में बिलकुल भी मन नहीं लगता था और इस काम में मुझे डर भी नहीं लगता था। मैं 100-200 लोगों के सामने ऐक्टिंग कर सकता था. लोगों का अटैंशन मुझे पसंद था, इसलिए मैं ने इसे ही अपना रास्ता चुना और 2-3 साल तक थिएटर में अभिनय किया.

शुरुआत के 4 से 5 साल तक क्या काम अच्छा है, क्या बुरा है, इस पर विचार किया और जाना कि इंडस्ट्री में ऐंट्री किस तरह लेनी पड़ती है, क्योंकि यहां मेरा कोई गौडफादर नहीं है.

औडिशन देने के बाद धीरेधीरे काम मिलता गया, लेकिन पिता का निर्देश था कि मैं ग्रैजुएशन की पढ़ाई पूरी करूं और मैं ने किया.

पारिवारिक सहयोग

स्कंद कहते हैं कि जब मैं 9 महीने का था, तब मेरे पेरैंट्स मुझे मुंबई ले आए थे, इस के बाद मैं यहीं रहा. मेरे पिता संजीव ठाकुर पहले सपोर्ट में नहीं थे, क्योंकि उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी मुंबई से शुरू की है. अभी उन का खुद का व्यवसाय है, लेकिन उन की शुरुआती दिन बहुत संघर्ष भरे थे. जब वे पहले मुंबई आए थे, तो 16 साल के थे। पैसे के लिए वेटर का काम किया, टैक्सियां धोए. धीरेधीरे उन्होंने खुद को मुंबई में स्थापित किया, इसलिए मुझे भी वे जीरो से कैरियर शुरू करने से मना कर रहे थे, क्योंकि फिल्म इंडस्ट्री में मेरा कोई गौडफादर नहीं है, जो मेरे लिए कुछ करें, लेकिन अच्छी बात यह रही कि उन्होंने मुझे 1 साल का समय इंडस्ट्री में काम करने के लिए दिया.

1 साल में ही मैं ने थोड़ा काम शुरू कर लिया था, इस से उन्हें खुशी मिली और अभी तक वे मेरे सपोर्ट में हैं. हर परिस्थिति में वे मेरे साथ हैं.

स्कंद आगे कहते हैं कि मुझे बहुत संघर्ष करना पड़ा, क्योंकि मुझे ऐक्टिंग में जाने की पूरी प्रोसेस को जानना जरूरी था. मुझे करीब 6 से 7 साल का समय लगा था, लेकिन मेरे लिए वह लर्निंग पीरियड रही. कोई गाइड करने वाला नहीं था. औडिशन देते गए, जो भी भलाबुरा सुनने को मिलता, उसे फिल्टर कर आगे बढ़ते गए.

जब मुझे पहली नैटफ्लिक्स की शौर्ट फिल्म ‘ऐंथोलौजी’ मिली, उस में भी सबकुछ खुद ही फिगरआउट करना पड़ा। उस में काफी समय लगा. वह मेरे लिए बड़ी चुनौती थी.

अभी इंडस्ट्री में मेरे 9 साल बीत चुके है और मैं जहां हूं, खुद को खुशनसीब मानता हूं. फिल्म ‘आर्टिकल 370’ में खुद को बड़े परदे पर दिखना भी मेरे लिए सपने जैसा ही था. उस फिल्म के दौरान मैं ने बहुत कुछ सीनियर आर्टिस्टों से सीखा है.

ओटीटी ने दिया काम

ओटीटी को स्कंद नए कलाकारों के लिए एक बड़ी प्लेटफौर्म मानते हैं, जिस का फायदा उन्हें मिला है। वे कहते हैं कि मेरे जीवन में बड़ा बदलाव ओटीटी की वजह से ही आया है. ऐसे प्लेटफौर्म न होने पर मैं कहां रहता पता नहीं. इस माध्यम ने फिल्म इंडस्ट्री में भाईभतीजावाद को कम कर दिया है.

मुझे इस मंच की वजह से ही एक से दूसरा काम मिला है. इसलिए मेरे लिए यह वरदान है. इतना ही नहीं पहले जो नए हो या पुराने कलाकार जिन पर किसी का ध्यान नहीं जाता था, आज उन सभी को काम मिल रहा है. इस मंच से प्रतिभावान लोग बड़ी फिल्मों में भी काम पा रहे हैं. मेरी ड्रीम है कि मैं एक यादगार रोमांटिक फिल्म करूं, जिस में मेरे को स्टार अभिनेत्री मृणाल ठाकुर, सानिया मल्होत्रा हो.

त्योहार होते हैं खास

त्योहारों को मैं अपने परिवार के साथ मनाना पसंद करता हूं. घर पर परिवार के साथ रहने की इच्छा हमेशा रहती है. कई बार काम की वजह से घर नहीं जा पाता हूं. नए कलाकारों से मेरा कहना है कि आप को जो भी काम मिले, उसे मेहनत और लगन से करते जाएं, हर काम को सीखने में समय लगता है। उस के लिए धीरज बनाए रखें, तभी आप आगे बढ़ सकते हैं.

घर की दीवारों पर दीमक ने कर लिया है कब्जा, तो इन तरीकों से पाएं छुटकारा

घर की दीवारों में छोटेछोटे छेद, लकड़ी की धूल और कमजोर अलमारी व दरवाजे इस तरफ इशारा कर रहे हैं कि आप के घर में दीमक है और इस के अलावा सफेद या हलके भूरे रंग के उड़ने वाले कीड़े भी दिख रहे हैं, तो सतर्क हो जाइए क्योंकि आप के घर में दीमक ने भी अपना घर बना लिया है. ये छोटे से कीड़े खासकर लकड़ी और कागज को खाते हैं जो घरों में चुपचाप रह कर फर्नीचर, दरवाजे, खिड़कियां और लकड़ी की चीजें खराब कर देते हैं.

ये गीली और नमी वाली जगहों को ज्यादा पसंद करते हैं, इसलिए अगर घर में सीलन हो, तो वे जल्दी फैल जाते हैं. लेकिन अगर घर में दीमक फैल भी गई है, तो घबराने की बात नहीं है. नियमित जांच, सही रसायनों का उपयोग और नमी नियंत्रण जैसे उपाय अपना कर आप अपने घर और फर्नीचर को दीमक के हमले से बचा सकते हैं.

नमी पर नियंत्रण रखें

दीमक की समस्या का एक प्रमुख कारण नमी है. दीमक को नम वातावरण में पनपना आसान लगता है, इसलिए घर के आसपास और भीतर नमी को नियंत्रित रखें. घर के बाहर बारिश का पानी जमा न होने दें. घर के फर्श और दीवारों को सूखा रखें.

लकड़ी को सुरक्षित रखें

दीमक लकड़ी पर निर्भर होते हैं, इसलिए लकड़ी की वस्तुओं को सुरक्षित रखना जरूरी है. फर्नीचर और लकड़ी की वस्तुओं पर दीमक निरोधक पेंट या पौलिश का उपयोग करें. घर के लकड़ी के हिस्सों को दीमकरोधी कैमिकल से ट्रीट करवाएं.

घर के बाहर की सफाई का ध्यान रखें

घर के आसपास का इलाका भी दीमक की उत्पत्ति का एक कारण हो सकता है. इसलिए घर के बाहर भी सफाई का ध्यान रखना जरूरी है.पुराने और गिरे हुए पेड़ों या लकड़ी के ढेर को साफ रखें. दीमक के संभावित ठिकानों को हटाएं, जैसे लकड़ी के टुकड़े, कचरा और गीली लकड़ी.

वैंटिलेशन का ध्यान रखें

घर के विभिन्न हिस्सों में पर्याप्त वैंटिलेशन (हवा का प्रवाह) होना चाहिए. बंद और अंधेरे जगहों पर दीमक आसानी से पनप सकते हैं. अच्छे वैंटिलेशन से नमी कम होती है, जो दीमक के लिए प्रतिकूल स्थिति बनाती है.

घर की संरचना को सुरक्षित बनाएं

अगर आप नए घर का निर्माण करवा रहे हैं, तो पहले से ही दीमकरोधी कैमिकल का उपयोग करें. नींव में दीमक नियंत्रण कैमिकल का छिड़काव करवाएं ताकि भविष्य में दीमक का खतरा न हो.

कागजी दस्तावेजों को सुरक्षित रखें

दीमक कागज के दस्तावेजों को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं. जरूरी दस्तावेजों को प्लास्टिक शीट या फाइल में रखें और उन्हें दीमकरोधी उपायों से सुरक्षित रखें.

दीमक का रासायनिक इलाज

दीमक से बचाव और इलाज के लिए रासायनिक उपाय सब से प्रभावी माने जाते हैं. इन रसायनों का उपयोग कर के आप दीमक की समस्या से छुटकारा पा सकते हैं.

क्लोरपायरीफौस

यह एक प्रभावी रसायन है जिस का उपयोग दीमक को जड़ से खत्म करने के लिए किया जाता है. इसे मिट्टी और लकड़ी में छिड़का जाता है जहां दीमक की मौजूद होती है.

यह दीमक के संपर्क में आते ही उन्हें मारता है और लंबे समय तक उन की पुनरावृत्ति को रोकता है.

इस का उपयोग घर की नींव और अन्य कमजोर स्थानों पर किया जा सकता है.

इमिडाक्लोप्रिड

इमिडाक्लोप्रिड एक कीटनाशक है जो दीमक को उनकी कालोनियों में खत्म करता है.

यह रसायन लकड़ी और मिट्टी में छिड़का जाता है जो दीमक के शरीर में प्रवेश कर उन्हें मारता है.

इस का उपयोग दीमक प्रभावित फर्नीचर और लकड़ी की वस्तुओं पर भी किया जा सकता है.

फीप्रोनिल

फीप्रोनिल एक शक्तिशाली रसायन है जो दीमक की आबादी को तेजी से खत्म करता है.

इसे सीधे दीमक प्रभावित क्षेत्रों में छिड़का जाता है और यह दीमक के संपर्क में आते ही उन्हें मारता है.

यह दीमक की कालोनी को खत्म करने में मददगार होता है और दीमक की वापसी को रोकता है.

बोरिक ऐसिड

बोरिक ऐसिड दीमक के लिए एक विषाक्त रसायन है जो उन की तंत्रिका प्रणाली को प्रभावित करता है.

इसे दीमक प्रभावित जगहों पर पाउडर के रूप में या पानी में घोल कर छिड़का जा सकता है.

दीमक इस रसायन को खा कर मर जाते हैं और यह उन के शरीर में धीमी गति से काम करता है.

हेक्साफ्लुमुरौन

हेक्साफ्लुमुरौन एक विशेष रसायन है जो दीमक की वृद्धि को रोकता है.

इसे दीमक के ट्रैप सिस्टम में उपयोग किया जाता है. दीमक इस रसायन को खा कर वापस अपने घोंसले में ले जाते हैं, जिस से पूरी कालोनी नष्ट हो जाती है.

इस का प्रभाव दीमक की संख्या को धीरेधीरे कम करता है.

कैल्ड्रोन

  • यह एक प्रभावी और व्यापक रूप से उपयोग किया जाने वाला दीमक निवारक रसायन है.
  • इसे दीमक प्रभावित मिट्टी, लकड़ी और घर की नींव में इंजैक्ट किया जाता है.
  • यह दीमक के संपर्क में आते ही मारता है और दीमक की पुनरावृत्ति को रोकता है.

रासायनिक उपचार का सही उपयोग :

ऐक्सपर्ट्स की मदद लें : अगर दीमक का हमला गंभीर है, तो पेस्ट कंट्रोल सेवाओं की सहायता लें. वे सही तरीके से रसायनों का उपयोग कर सकते हैं और दीमक को जड़ से खत्म कर सकते हैं.

सुरक्षा व सावधानियां : रासायनिक उपचार करते समय हमेशा सुरक्षा का ध्यान रखें. यह सुनिश्चित करें कि रसायनों का उपयोग उचित तरीके से हो और परिवार के सदस्यों और पालतू जानवरों के संपर्क से दूर रखें.

नियमित जांच : रासायनिक इलाज के बाद भी दीमक की समस्या की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए नियमित रूप से अपने घर की जांच करवाते रहें.

इस फैस्टिव सीजन में करें हैल्दी शो औफ, ये भी है जरूरी

अब कोई माने या न माने, लेकिन सच है कि हर साल फैस्टिव सीजन पर गेटटूगेदर में सभी दोस्तोंरिश्तेदारों में यह होड़ सी लगी रहती है कि वे कुछ ऐसा अलग हट कर करें कि सब उन्हें नोटिस किए बिना रह न पाएं.

अब नमिता को ही लीजिए, पिछले साल की ड्रैसिंग सेंस पर उन के रिश्तेदार अब भी कानाफूसी करते दिखते हैं. किसी को उन की साड़ीब्लाउज का डीप बैक पसंद आया, तो कुछ ऐसे भी थे जिन के मुंह से मैडम की तारीफ के बोल तक नहीं निकले, बहरहाल वे उन्हें नोटिस करने से खुद को नहीं रोक पाए और एकदूसरे के कान में दबी आवाज में नमिता को ‘सेंटर औफ अट्रैक्शन’ बनने का खिताब तक दे डाला.

वैसे, देखा जाए तो इस हैल्दी शो औफ में कोई बुराई भी नहीं है. अगर आप खुद को बेहतर प्रेजैंट करने के लिए सैल्फ ग्रूमिंग पर समय और पैसा खर्च करते हैं, तो उस का असर आप की पर्सनैलिटी और कौन्फिडेंस पर साफ नजर आता है.

खास मौके पर खास बात

कुछ लोग तो इस मौके की तलाश में होते हैं कि कब वे अपना नया टेलैंट या कोई नई चीज दोस्तों को दिखाएं. भले इस के लिए कुछ महीनों का इंतजार ही क्यों न करना पड़े.

नमिता की तरह ही कितने लोग अपनी नई ड्रैस तो कुछ लोग अपनी नई कार, नया घर या घर का नया पेंट वर्क और कुछ नहीं तो नया क्रौकरी सेट, डाइनिंग टेबल, सोफासेट जैसी छोटी से बड़ी चीजों को शो औफ करने का कोई मौका नहीं चूकते.

हैल्दी शो औफ में कोई बुराई नहीं

हरकोई अपने स्वभाव और कूवत के हिसाब से या फिर नए ट्रैंड के हिसाब से फैस्टिव रेडी होना चाहता है. ऐसे में अगर वह अपनी मेहनत को नोटिस कराना चाहे तो उस में कोई बुरी बात नहीं है.

वक्त के साथ हमें अपने कंफर्ट जोन का दायरा बढ़ाना चाहिए. कुछ नया सिर्फ घर के डैकोरेशन में नहीं बल्कि ड्रैसिंग में भी लाना चाहिए. अगर आप इस टैंशन में हैं, तो इतना तैयार हो कर किचन में खड़े रहना पड़ेगा. दोस्तोंरिश्तेदारों के लिए तरहतरह के व्यंजन बनाने पड़ेंगे तो उस के लिए आप शेफ कार्ट जैसी सुविधाओं को फायदा ले सकते हैं, जहां शेफ आप के घर आ कर आप के ही किचन में मिनिमम खर्चे में 20-25 लोगों का न सिर्फ खाना बना कर सर्व करेंगे, बल्कि किचन को भी चकाचक करेंगे.

वैसे, शो औफ की यह टैक्निक आप के काम आएगी, जिस में बिना मेहनत मजेदार खाने का आनंद ले पाएंगे. साथ ही अपनी ड्रैस और मेकअप भी अच्छे से फ्ल॔नट कर पाएंगे.

नेल्स, हेयर और आईलैश ऐक्सटेंशन ट्राई करें

नेल्स ऐक्सटेंशन का ट्रैंड काफी समय से लोगों में है. इस में आप तरहतरह के डिफरैंट नेल आर्ट करा कर अपनी पर्सनैलिटी को नया लुक दे सकते हैं. आजकल नेल्स पोट्रेट जैसे नेलआर्ट भी मार्केट में आसानी से उपलब्ध हैं, जिस में आप अपने उंगुलियों के नाखूनों पर अपने परिवार के करीबी लोगों की तसवीर बनवा सकते हैं. लेकिन ध्यान दीजिएगा कि तसवीरों में खुद को भी जगह देना न भूलें, बच्चे और पति के साथ एक नाखून पर अपना पोट्रेट भी जरूर बनवाएं. फिर देखिएगा पार्टी में कैसे आप के नेल्स के चर्चे होते हैं.

नेल्स की तरह ही आप अपने बालों में भी ऐक्सटेंशन करा कर अपने लुक के साथ ऐक्सपेरिमैंट कर सकते हैं. आईलैश ऐक्सटेंशन भी आप के पर्सनैलिटी में चार चांद लगाने का काम करेंगे. इस में आप को फेक आईलैश लगाने की मेहनत नहीं करनी पड़ेगी, किसी भी सैलून में यह सुविधा आसानी से उपलब्ध है। इस से आप को हैवी मसकारा लगाने की झंझट भी खत्म हो जाएगी. इन सब के बाद यकीनन लोग आप को नोटिस करने से खुद को रोक नहीं पाएंगे.

डांस परफौर्मेंस करें तैयार

इन दिनों शादियों में कोरियोग्राफर बुला कर डांस परफौर्मेंस तैयार करने का खूब ट्रैंड है. बैस्ट परफौर्मेंस को लंबे वक्त तक याद भी रखा जाता है। तो क्यों न इस बार पार्टी के लिए डांस तैयार किया जाए.

आप अपना सिंगल या कपल डांस स्टैप्स तैयार कर सकते हैं. इस के लिए आप चाहें तो कोरियोग्राफर भी हायर कर सकते हैं जो आप के घर आ कर कुछ ही घंटो में आप को डांस की तैयारी करा देंगे या फिर आप अपने आसपास के डांस स्टूडियो जा कर भी प्रैक्टिस कर सकते हैं.

यूट्यूब और इंस्टाग्राम डांस इन्फ्लुऐंसर के पेज पर मौजूद वीडियो की मदद से भी डांस की तैयारी की जा सकती है. इस मेहनत के बाद जब आप गेटटूगेदर में थिरकेंगे तो आप को अटैंशन मिलना तो लाजिम है.

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