घर में बनाएं कोरिएंडर चिल्ली स्पिनिच फ्रिटर्स, ट्राई करें ये रेसिपी

शाम के समय बच्चों को भूख लगती है, बच्चे ही नहीं हम सभी बड़ो को भी शाम को कुछ खाने की भूख होती है. ऐसे में हाउसवाइफ परेशान रहती हैं आखिर क्या बनाएं, तो चिंता छोड़िए.. घर में कोरिएंडर चिल्ली स्पिनिच फ्रिटर्स, कौसकौस और रैटाटौइल.

  1. कोरिएंडर चिल्ली स्पिनिच फ्रिटर्स

सामग्री

  1. 300 ग्राम पालक कटा
  2. 3/4 कप चने का आटा
  3. 1/3 कप चावल का आटा
  4. 1/2 काप योगहर्ट
  5. 4 बड़े चम्मच धनिया का पेस्ट
  6. 2 बड़े चम्मच हरीमिर्च का पेस्ट
  7. 1 छोटा चम्मच हलदी पाउडर
  8. 1 छोटा चम्मच लालमिर्च पाउडर
  9. 1 छोटा चम्मच अजवाइन
  10. तलने के लिए औयल
  11. नमक स्वादानुसार.

विधि

एक मिक्सिंग बाउल में औयल को छोड़ कर बाकी सारी सामग्री डाल कर अच्छी तरह मिलाएं. फिर इस में थोड़ा पानी डाल कर इस का गाढ़ा बैटर तैयार करें. अब एक कड़ाही को मीडियम आंच पर रख कर औयल गरम करें. जब औयल गरम हो जाए तब उस में से 2 छोटे चम्मच औयल ले कर उसे बैटर पर डाल कर अच्छी तरह फेंटें. फिर बैटर से छोटेछोटे पकौड़े बनाते हुए उन्हें सुनहरा होने तक फ्राई करें. फिर टिशू पेपर पर निकालें. अब तैयार फ्रिटर्स को मनपसंद की चटनी के साथ सर्व करें.

2. कौसकौस

सामग्री

  1.  200 ग्राम इंस्टैंट कौसकौस
  2. 200 ग्राम पानी
  3. 50 ग्राम बटर
  4. 1 बड़ा चम्मच ऐक्स्ट्रा वर्जिन औलिव औयल
  5.   नमक स्वादानुसार.

 विधि

एक पैन में पानी को नमक और बटर के साथ उबालें. जब पानी उबल जाए तब इस में कौसकौस डाल कर अच्छी तरह चलाएं और फिर आंच से उतार लें. ढक कर 5 निमट के लिए रख दें. सर्व करने से पहले ऊपर से औलिव औयल की कुछ बूंदें डालें और अच्छी तरह चलाएं ताकि गांठें न पड़ें.

3. रैटाटौइल

सामग्री

  1. 150 ग्राम टमाटर
  2. 75 ग्राम प्याज कटा
  3. 100 ग्राम जुकीनी ग्रीन
  4. 120 ग्राम हरी, लाल और पीली शिमलामिर्च
  5. 120 ग्राम बैगन
  6. 50 ग्राम टमाटर
  7. 10 ग्राम बेसिल
  8. 25 ग्राम लहसुन
  9. थोड़ा सा सफेद मिर्च पाउडर
  10. नमक स्वादानुसार.

विधि

एक पैन को मीडियम आंच पर रख कर औयल गरम करें. फिर इस में प्याज और शिमलामिर्च डाल कर 2-3 मिनट तक पकाएं. फिर इसे एक बाउल में निकाल कर एक तरफ रख दें. फिर पैन में कटे बैगन डाल कर मीडियम आंच पर 2 मिनट तक पकाएं. अब दोबारा से इस में प्याज और शिमलामिर्च को डाल कर इस में टमाटर का पेस्ट मिला कर अच्छी तरह चलाएं. अब इस में थाइम और टोमैटो डालें. फिर आंच को हलका कर के ढक कर 15 मिनट तक पकाएं. बीचबीच में चलाना न भूलें. फिर इस में बेसिल और लहसुन डालें. आखिर में नमक और सफेद मिर्च पाउडर डाल कर गरमगरम सर्व करें

एड्स और सैक्सुअल लाइफ से जुड़े खतरों के बारे में बताएं?

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है, तो ये लेख अंत तक जरूर पढ़ें…

सवाल

हम पतिपत्नी दोनों को मुखमैथुन करने में बहुत आनंद आता है. इस के अलावा हम अपने कुछ पारिवारिक मित्रों के साथ सामूहिक सैक्स भी करते हैं. यह क्रम काफी समय से चला आ रहा है. मैं ने सुना है कि एक से अधिक पुरुषों के साथ सैक्स संबंध बनाने से एड्स होने का खतरा होता है. क्या यह सच है? और मुखमैथुन से कोई स्वास्थ्य संबंधी हानि तो नहीं होती?

जवाब

1 से अधिक पुरुषों के साथ शारीरिक संबंध रखना यौन रोग को तब आमंत्रण देगा जब उन में से किसी एक को यौन रोग होगा. असुरक्षित यौन संबंधों से एड्स जैसी भयावह बीमारी की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता. पर यदि सब नियमित जांच करा रहे हैं, तो कुछ न होगा. सामूहिक सैक्स से भले ही अभी आप लोग आनंदित हो रहे हों पर हां, भविष्य में आप का यह शौक मानसिक रूप से आप को भारी पड़ सकता है. अत: समझदारी से काम लें. जहां तक मुखमैथुन की बात है, यदि आप यौनांगों की स्वच्छता के प्रति जागरूक हैं, तो इस से स्वास्थ्य संबंधी कोई हानि नहीं होगी.

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टीबी बैक्टीरिया से होने वाली बीमारी है जो हवा के जरिये एक इंसान से दूसरे में फैलती है और इसका बैक्टीरिया शरीर के जिस भी हिस्से में फैलता वहां के टिश्यू को पूरी तरह नष्ट कर देता है. समय पर इलाज कराने से बैक्टीरिया को फैलने से रोका जा सकता है और टीबी से बचा जा सकता है. एचआईवी पॉजिटिव लोगों में बार-बार टीबी होने की संभावना अधिक होती है. एड्स रोगियों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने के कारण उनका शरीर टीबी के बैक्टीरिया के वार को नहीं सह पाता है, जिस कारण वो टीबी से ग्रसित हो जाते हैं.

टीबी मायकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस नामक बैक्टीरिया से होता है. यह बैक्टीरिया हवा के द्वारा श्वासनली में प्रवेश करता है. टीबी के फैलने के कई अन्य कारण भी हैं जैसे कि छिंकना, खांसना, खुले में थूकना. आम तौर पर यह बीमारी फेफड़ों से शुरू होती है. यह बैक्टीरिया फेफड़ों के टिश्यू को नष्ट कर देता है. सही वक्त पर इलाज कराने से टीबी से निजात पाया जा सकता है.

एचआईवी पॉजिटिव लोगों के लिए टीबी ज्यादा खतरनाक है. अगर किसी एचआईवी पॉजिटिव व्यक्ति को एक बार टीबी हो जाता है, तो ठीक होने के बाद भी बार बार टीबी होने का खतरा रहता है.

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बौडी शेप के अनुसार करें साड़ी का चुनाव, दिखेंगी सबसे खूबसूरत

एक महिला की खूबसूरती साड़ी में ही निखर कर आती है. साड़ी एक शालीन पहनावा है जो आप की शारीरिक कमियों को ढकने के साथसाथ आप के आकर्षण को भी सहज रूप से बढ़ाती है. औफिस की पार्टी हो या फिर कोई पारिवारिक कार्यक्रम, रिश्तेदारों से मिलना हो या शादी समारोह में जाना हो, साड़ी हर मौके पर परफैक्ट लुक देती है. आम महिलाओं से ले कर फिल्मी हस्तियों तक में साड़ी का क्रेज है.

महिलाएं साड़ी पहनना तो पसंद करती हैं, लेकिन उन्हें यह पता नहीं होता कि उन के शरीर के शेप व टाइप के मुताबिक किस तरह की साड़ी उन पर परफैक्ट लगेगी. अकसर महिलाएं खुद भी महसूस करती हैं कि उन के ऊपर कुछ खास फैब्रिक या कलर की साडि़यां अधिक सूट करती हैं जबकि किसीकिसी साड़ी में वे अधिक मोटी या कम हाइट की दिखती हैं. ऐसे में साड़ी खरीदने से पहले आप को यह पता होना चाहिए कि आप के शरीर की बनावट के मुताबिक किस तरह की साड़ी आप को परफैक्ट लुक देगी.

आइए, जानते हैं कैसे करें अपनी बौडी शेप के अनुसार सही साड़ी का चुनाव:

पियर शेप बौडी

भारतीय महिलाओं की बौडी शेप जनरली पियर शेप ही होती है. पियर शेप यानी जिन महिलाओं के शरीर का निचला हिस्सा हैवी और ऊपर का पतला होता है, साथ ही उन की कमर कर्वी होती है. पियर शेप बौडी पर शिफौन या जौर्जेट की साडि़यां खूबसूरत लगती हैं. ये आप के बौडी कवर्स को अच्छे से हाईलाइट करती हैं. इस तरह की बौडी टाइप वाली महिलाओं को बोल्ड कलर और बोल्ड बौर्डर वाली साडि़यां का चयन करना चाहिए. पियर बौडी शेप की लड़कियों के ऊपर औफशोल्डर टौप बहुत फबते हैं. आप साड़ी को अपने पसंदीदा औफशोल्डर टौप के साथ पेयर कर के पहन सकती हैं. इस से आप अधिक आकर्षक लगेंगी.

ऐप्पल शेप बौडी

वे महिलाएं जिन के सीने से पेट और हिप का एरिया ज्यादा भारी होता है उन्हें ऐप्पल शेप कहते हैं. ऐसी महिलाओं को टमी फैट को छिपाने के लिए सिल्क फैब्रिक की साडि़यां पहननी चाहिए. जौर्जेट और शिफौन की साडि़यां भी पहन सकती हैं. इन्हें नैट की साडि़यां पहनने से बचना चाहिए क्योंकि नैट की साडि़यां बैली फैट को अधिक हाईलाइट करती हैं.

जीरो साइज फिगर यानी पतली लड़कियों के लिए

अधिक पतली लड़कियों को साड़ी के फैब्रिक का चयन सोचसम झ कर करना चाहिए. स्किनी बौडी टाइप वाली ऐसी लड़कियां कौटन, ब्रोकेड, सिल्क या औरगेंजा साडि़यों का चयन कर सकती हैं. ये साडि़यां उन की फिगर को अधिक आकर्षक लुक देती हैं और दुबलेपन को ढकती हैं. हैवी ऐंब्रौयडरी वाली ट्रैडिशनल साडि़यां जैसे बनारसी, कांजीवरम आदि भी इन पर फबेंगी. पतली होने के साथ ही अगर आप लंबी भी हैं तो हैवी बौर्डर वर्क वाली साडि़यां पहनें.

वहीं अगर आप पतली होने के अलावा छोटे कद की हैं तो पतले बौर्डर की साडि़यों का चयन कर सकती हैं. याद रखें बोल्ड प्रिंट्स की साडि़यां आप पर नहीं जंचेंगी.

प्लस साइज बौडी शेप यानी मोटी महिलाएं

जिन महिलाओं का वजन ज्यादा होता है यानी जिन की बौडी टाइप प्लस साइज की होती है उन्हें शिफौन, साटन, लिनेन और सिल्क फैब्रिक की साडि़यां पहननी चाहिए. ये उन के मोटे शरीर को बैलेंस्ड लुक देती हैं. मोटी लड़कियों को कौटन या औरगेंजा फैब्रिक की साडि़यां पहनने से बचना चाहिए. इस तरह की साडि़यां शरीर को अधिक फूला हुआ दिखाती हैं. मोटी महिलाओं को बहुत ज्यादा पारदर्शी साडि़यां पहनने से भी बचना चाहिए.

बहुत ज्यादा हाई व लो नैक वाले ब्लाउज पहनने से ही बचें क्योंकि इस से शरीर का ऊपर वाला हिस्सा हैवी नजर आता है. स्लीवलैस ब्लाउज पहनने से परहेज करें, इस से आप ज्यादा मोटी नजर आएंगी. आप केप स्लीव ट्राई कर सकती हैं. प्लस साइज वाली महिलाओं को डार्क कलर की साडि़यां पहननी चाहिए.

परफैक्ट फिगर वाली यंगस्टर्स

कम उम्र की लड़कियों को वैसी साडि़यां पहननी चाहिए जो आसानी से पहनी जा सकें. वे शिफौन, जौर्जेट, नैट फैब्रिक की लाइट वेट साडि़यां चुन सकती हैं. उन पर कैंडी कलर्स, जैसे- ब्राइट पिंक, औरेंज, ग्रीन, यलो आदि अच्छे लगते हैं. यंगस्टर्स साड़ी के साथ बूस्टियर, हौल्टर ब्लाउज, शर्ट, जैकेट, क्रौप टौप, बैल्ट, ट्राउजर, प्रिंटेड पेटीकोट आदि ट्राई कर सकती हैं. मगर इन्हें हैवी वर्क वाली या बहुत ज्यादा प्रिंटेड साडि़यां नहीं पहननी चाहिए वरना वे मैच्योर नजर आएंगी.

40+ की मैच्योर महिलाएं

इस उम्र में बहुत ज्यादा ऐक्सपैरिमैंट करने से बचना चाहिए. फ्लोरल प्रिंट, हैंडलूम आदि आप के लिए बैस्ट चौइस हैं. शादी, किटी पार्टी जैसे मौकों पर बनारसी, चंदेरी जैसी ऐलिगैंट साडि़यां पहननी चाहिए. इस उम्र में सिंपल ब्लाउज पहनने चाहिए. साड़ी के साथ डैलिकेट और क्लासी ज्वैलरी पहनें.

छोटी हाइट वाली महिलाएं

इन्हें शार्प कौंट्रास्ट से बचना चाहिए. उदाहरण के लिए रैड के साथ ग्रीन के बजाय पिंक का कौंबिनेशन चुनें. बड़े और बोल्ड प्रिंट या हैवी ऐंब्रौयडरी वाली साडि़यां न पहनें. इस से हाइट कम नजर आएगी.

पीछे मुड़ कर : आखिर विद्या ने अपने इतने अच्छे पति को क्यों ठुकराया

शाम को 7 बजते ही दफ्तर के सारे मुलाजिम बाहर की ओर चल पड़े. अभिनव भी अपनी सीट से उठा और ओवरसीयर के कमरे के पास जा कर खड़ा हो गया.

‘‘क्या हुआ अभिनव तुम गए नहीं? क्या आज भी ओवरटाइम का इरादा है?’’

‘‘हां बड़े साहब, आप तो जानते ही हैं विद्या की ट्यूशन की फीस देनी है फिर उन की किताबे, कापियों का खर्च, पूरे 15-20 हजार का खर्च हर महीने होता है. इतनी सी तनख्वाह में कैसे गुजारा हो सकता है, ओवरटाइम नहीं करूंगा तो भूखे मरना पड़ेगा.’’

जवाब में ओवरसीयर बाबू मुसकरा दिए, ‘‘यह तो हरजाना है अभिनव बाबू एक पढ़ीलिखी लड़की से शादी रचाने का और उस पर उसे और आगे पढ़ाने का.’’

‘‘हरजाना नहीं है बाबू, यह मेरा फर्ज है. विद्याजी में हुनर है, बुद्धि है, प्रतिभा है. मैं तो सिर्फ एक जरीयामात्र हूं उन के ज्ञान को उभार

कर लोगों तक लाने का और फिर जब वे जीवन में कुछ बन जाएंगी तो नाम तो मेरा भी ऊंचा

होगा न.’’

‘‘हां वह तो है आने वाले कल को सजाने के लिए जो तुम अपना आज दांव पर लगा रहे

हो उस की मिसाल बड़ी मुश्किल से ही मिलेगी मगर ऐसे सपने भी नहीं देखने चाहिए जो तुम

से तुम्हारी नींद ही चुरा लें. कभीकभी इंसान को अपने बारे में भी सोचना चाहिए जो तुम नहीं कर रहे.’’

‘‘मेरी सोच विद्याजी से शुरू हो कर वहीं पर खत्म हो जाती है सर, मुझे हर हाल मे विद्याजी को वहां तक पहुंचाना है जहां की वे हकदार हैं. शादी के बंधन ने उन्हें एक क्षण के लिए बांध जरूर दिया था मगर मेरे होते उन्हें अपनी मंजिल तक पहुंचने से कोई नहीं रोक सकता.’’

9 बजे पारी खत्म कर के अभिनव बाजार में कुछ छोटीबड़ी खरीदारी करते हुए घर पहुंच गया. दरवाजे को हलके से खोल कर उस ने सुनिश्चित किया कि विद्या अपनी पढ़ाई में मशगूल थीं. फौरन हाथमुंह धो कर वह रसोई में घुस गया. खाना बना कर उस ने परोसा और विद्या को खाने के स्थान पर आने के लिए आवाज दी.

‘‘बहुत थक गई होगी न आज, सारा दिन किताबों में सिर खपाना, कभी पढ़पढ़ कर लिखना कभी लिखलिख कर पढ़ना. मेरी तो समझ से ही दूर की बात है.’’

‘‘हां थक तो गई, अभी नोट्स बनाने हैं फिर सुबह सर को दिखाने हैं. तुम भी तो थक गए होंगे न, सारा दिन मेहनत करते हो मेरे लिए.’’

‘‘तुम ने इतना सोच लिया मेरे बारे में मेरे लिए इतना ही बहुत है. अब तुम आराम से अंदर जा कर पढ़ो. मैं कूलर में पानी भर देता हूं और दूध का गिलास भी सिरहाने रख देता हूं. रात को कुछ चाहिए तो आवाज दे देना.’’

‘‘तुम भी अंदर सो सकते हो, बाहर गरमी…’’

‘‘बाहर मौसम बहुत खुशनुमा है और मेम साहब जब तक आप कुछ बन नहीं जातीं मेरे लिए बाहर और अंदर के मौसम में कोई अंतर नहीं है.’’

घर के आंगन में चारपाई लगा कर हाथ में अखबार से हवा करते हुए अभिनव लेट गया. पास की चारपाई पर पड़ोस में रहने वाले शुभेंदु दादा भी आ कर पसर गए. फिर अभिनव से पूछा, ‘‘अगर आप बुरा न मानो तो एक बात पूछूं? मुझे तो मेरी बीवी घर से निकाल देती है मगर आप क्यों बाहर आ कर सोते हैं?’’

अभिनव मुसकरा दिया, ‘‘आप रोज मुझसे यह सवाल करते हैं और रोज मैं आप को यही जवाब देता हूं,’’ बाहर नीले आकाश के नीचे, तारों की छांव में सपने साफ दिखते हैं, दूर तक फैला  खुशी का साम्राज्य, हंसी की ?ाल उस पर खुशी की नैया और उस नाव में मैं और विद्याजी आगे बढ़ते ही जा रहे हैं. पीछे मुड़ कर देखने का भी समय नहीं होता. बहुत मजा आता है दादा ऐसे सपनों में जीने का इसलिए मै बाहर सोता हूं.’’

‘‘कुछ समझ में नहीं आ रहा. मैं भी तो बाहर सोता हूं मुझे ऐसे सपने क्यों नहीं आते? अच्छा एक और जिज्ञासा थी, कई बार आप से पूछा भी मगर आप टाल गए, वादा कीजिए कि आज नहीं टालेंगे,’’ दादा ने कहा.

‘‘पूछिए दादा, अपना सवाल फिर से दोहरा दीजिए.’’

‘‘आप अपनी पत्नी के लिए इतना कुछ क्यों करते हैं? सुबह से रात तक उन की छोटीबड़ी हर जरूरत का ध्यान रखना, खुद तकलीफ में रह कर उन्हें आराम से रखना, कोल्हू के बैल की तरह जुटे रहना, ऐसा करने की कोई खास वजह लगती है?

‘‘वजह कोई नहीं बस यह एक तरह का पश्चात्ताप है दादा.’’

‘‘पश्चात्ताप,’’ दादा की उत्कंठा बढ़ती जा रही थी.

‘‘हां दादा. मेरा एक ?ाट, मेरा एक फरेब जिस ने मुझे विद्या की नजरों में गिरा दिया था. उसी का प्रायश्चित्त है यह. बात उन दिनों की है जब हमारी शादी की बात चल रही थी. मैं ने विद्या को पहली बार देखा तो बस देखता ही रह गया. लगा मानो वक्त थम कर विद्या पर ही अटक गया हो. मुझे अपनी जिंदगी की मंजिल सामने नजर आ गई थी. बात आगे बढ़ी तो पता चला कि विद्या पढ़नेलिखने में बहुत होशियार है और उसे एक पढ़ालिखा वर चाहिए. कहां उस की चाहत और कहां मैं जिस ने स्कूल की शिक्षा भी पूरी नहीं की थी. मैं परेशान हो कर इधरउधर घूमताफिरता  रहता था कि किसी ने झूठ की राह पर चलने की सलाह दी और फिर मानो होनी ने भी झूठ में मेरा साथ दिया. मैं एक दिन पास के ही एक बैंक में किसी काम से गया था कि बाहर मुझे विद्या नजर आई तो मैं ने कहा कि आप यहां विद्याजी, बहुत ही सुखद संयोग है. मैं ने विद्या से वहां इस तरह से मिलने की कभी अपेक्षा नहीं की थी.

‘‘विद्या संकुचाते हुए बोली कि तो आप इस बैंक में काम करते हैं… मां बता रही थीं कि शायद आप किसी बैंक में अफसर हैं लेकिन आप यहां हैं इस की मुझे जानकारी नहीं थी.

‘‘मैं ऐसे किसी प्रश्न के लिए तैयार न था लेकिन साथ ही मैं विद्या का साथ एक पल के लिए भी नहीं खोना चाह रहा था. मुझे सूझ ही नहीं रहा था कि मैं क्या उत्तर दूं. बस पता नहीं क्या दिमाग में आया कि मैं बोल पड़ा कि हां मैं इसी बैंक में काम करता हूं. आजकल मेरी पोस्टिंग पास के एक गांव में है. आप तो जानती ही होंगी कि हम बैंक वालों के 2-3 साल किसी गांव की शाखा में गुजारने जरूरी होते हैं.’’

‘‘मैं जानती हूं. आप कितने पढे़लिखे हैं, स्मार्ट हैं फिर भी आप ने मुझे पसंद किया.’’

‘‘आप तो मुझे शर्मिंदा कर रही हैं,’’ मैं ने जवाब दिया.

कुछ क्षण रुक कर विद्या बोली, ‘‘हमारी लगभग चट मंगनी पट ब्याह वाली तरह

शादी हो रही है. एकदूसरे को सम?ाने का, परखने का समय भी नहीं है इसलिए इतनी जल्दी आप से इस विषय पर बात कर रही हूं, मैं चाहूंती तो किसी के जरीए आप को यह संदेश पहुंचवा सकती थी मगर मैं सीधे बात करने में यकीन करती हूं. आप से एक वादा चाहिए था. अगर इजाजत हो तो कहूं?’’

‘‘हां कहिए न. निस्संकोच हो कर कहिए.’’

‘‘मैं आगे पढ़ना चाहती हूं, बहुत बड़ी डाक्टर बनना चाहती हूं, दूर तक उड़ना चाहती हूं. क्या आप मु?ो इस का मौका देंगे? आप मेरे पर तो नहीं कतरेंगे?’’

‘‘नहींनहीं विद्याजी. इस में सोचविचार, नानुकुर का कोई प्रश्न ही नहीं है और फिर डाक्टर बन कर आप न सिर्फ अपने परिवार का नाम रोशन करेंगी बल्कि समाज सेवा भी कर सकती हैं,’’ मैं ने सहज भाव से जवाब दिया.

विद्या खुशी से फूली न समाई, ‘‘मेरी इंग्लिश थोड़ी कमजोर है. छोटे शहर

से हूं न, आप तो इतने बड़े कालेज से एमबीए हैं, तो क्या मैं आशा करूं कि इंग्लिश तो आप मुझे पढ़ा ही देंगे? बाकी मैं संभाल लूंगी.’’

‘‘क्यों नहीं विद्याजी,’’ मैं ने यंत्रवत ढंग से थूक निगलते हुए जवाब दिया.

‘‘फिर क्या हुआ,’’ दादा की आंखों से जैसे नींद उड़ चुकी थी.

‘‘शादी की रात को ही मेरा भांड़ा फूट गया जब मेरे कुछ दोस्तों ने बातोंबातों में मेरी सचाई बयां कर दी. उन्होंने बता दिया कि मैं ने तो स्कूल के सारे कमरे भी नहीं देखे थे. सुन कर विद्या बिफर गई कि इतना बड़ा फरेब, धोखा और झूठ के बारे में उस ने सोचा ही नहीं था. उस ने मुझे बहुत जलील किया. मेरे पास उस को देने के लिए कोई जवाब न था सिवा इस के कि मैं उस से बेइंतहा प्यार करता हूं और यह झूठ मुझे एकमात्र हथियार जरीया नजर आया जो मुझे उस तक पहुंचा सकता था.

‘‘इस के आगे की कहानी मैं समझ गया अभिनवजी. आप ने उसे आगे पढ़ाने का अपना वादा पूरा करने की ठानी और अपना दिनरात एक कर दिया. विद्या को भी मन मार कर इसी में संतोष करना पड़ा, उस के पास इस से बेहतर कोई विकल्प भी नहीं था.’’

सुबह उठते ही अभिनव ने चाय बनाई और अखबार ले कर विद्या के कमरे में दाखिल हो गया, ‘‘तुम्हारे लिए चाय और अखबार दोनों जरूरी हैं. चाय फुरती के लिए और अखबार चुस्ती के लिए, अखबार में देशविदेश की खबरें तुम्हें चुस्त रखेंगी. आगे बढ़ने के नएनए रास्ते सुझाएंगी.’’

विद्या ने अखबार पर नजर डाली और

एक पन्ने पर छपी खबर देख कर ठिठक गई, ‘‘अभिनव दिल्ली में नीट, मेरा मतलब है

मैडिकल की पढ़ाई वालों का एक नया केंद्र खुला है. वहां पर समयसमय पर नोट्स बना कर दिए जाएंगे जो मु?ा जैसे प्रतियोगी परीक्षा वालों के लिए बहुत काम के होंगे, मगर…’’ विद्या बोलतेबोलते रुक गई.

‘‘हां तो दिक्कत क्या है. मैं ला कर दूंगा तुम्हें नोट्स…’’

‘‘रहने दो अभिनव, बहुत खर्च है इस में. लाख सवा लाख देना हमारे बस का नहीं.’’

अभिनव सोच में पड़ गया, अभी लैपटौप खरीदने के लिए दफ्तर से कर्ज लिया वह भी उतारना है, उस के अलावा पहले ही 2-3 लाख का लोन है. ओवरसीयर साहब चाह कर भी मदद नहीं कर पाएंगे. इसी उधेड़बुन में अभिनव कब दफ्तर पहुंच कर वापस बाहर आ गया उसे स्वयं भी पता नहीं चला. घर के लिए वापसी में स्टेशन का फाटक था.

अभिनव के कदम स्टेशन के प्लेटफौर्म की तरफ चल पड़े और एक बैंच पर जा कर रुक गए. मेरी तपस्या व्यर्थ जाएगी. क्या विद्या की पढ़ाई का रिजल्ट उस की मेहनत के अनुसार नहीं आएगा? क्या विद्या एक सफल और कामयाब डाक्टर नहीं बन पाएगी? अभिनव स्वयं से ही बातें कर रहा था कि एक स्पर्श ने उस की तंद्रा भंग कर दी. अभिनव उस अपरिचित को पहचानने का प्रयत्न कर रहा था.

‘‘पहचान लिया या बताना पड़ेगा?

निहाल याद है या भूल गया? तारानगर सरकारी विद्यालय.’’

अभिनव को दिमाग पर ज्यादा जोर देने

की जरूरत नहीं पड़ी. उठ कर गले लगते हुए बोला, ‘‘तुझे कैसे भूल सकता हूं भाई तेरी वजह से बहुत पिटा हूं मैं, पेड़ पर चढ़ कर आम तोड़ कर भाग जाता था और पिटता था मैं, मगर फिर मिल कर आम खाने का मजा भी कुछ और ही होता था. हम कौन सी कक्षा तक साथ थे. 7वीं तक तूने स्कूल छोड़ा और मु?ो निकाल दिया

गया. तब से इस स्टेशन ने मुझे आश्रय दिया. मुझे देख कर तुझे पता चल ही गया होगा कि मैं यहां कुली हूं.’’

अभिनव मुसकरा दिया. उस की शून्य आंखें उस की व्यथा बयां कर रही थीं.

‘‘तू यहां स्टेशन पर क्या कर रहा है? कोई आ रहा है या जा रहा है?’’

‘‘न कोई आ रहा है न ही कोई जा रहा है… जिंदगी ही थम सी गई है.’’

‘‘थोड़ी देर रुक, मैं इस ट्रेन से उतरे यात्रियों को टटोलता हूं, कोई ग्राहक आया तो ठीक वरना फौरन आता हूं.’’

थोड़ी ही देर में निहाल अभिनव के पास था, ‘‘आजकल हर सूटकेस में पहिए लगे होते हैं भाई. हजारों का टिकट खरीद कर आने वाले स्टेशन पर कुली को पैसे देने में हजार बार सोचते हैं. पता नहीं इन चलतेफिरते सूटकेसों का आविष्कार हम जैसों की मजदूरी पर लात मारने के लिए किस ने किया था? खैर, तू बता क्या हुआ तेरी जिंदगी में तारानगर कब और कैसे छोड़ कर यहां… बसा शादीवादी हुई या मेरी तरह कुंआरा है?’’

‘‘एक ही तो काम किया है मैं ने मेरे भाई, शादी की है या यों कहो कि मौसी ने मेरा घर बसाने के लिए मुझे मंडप में बैठा दिया और उधर तेरी भाभी का भी पुस्तकों से रिश्ता तोड़ कर मु?ा से करवा दिया,’’ अभिनव ने अपने जीवन के हर सफे को पढ़ कर सुन दिया.

‘‘कितना बड़ा काम किया है तूने अभिनव. भाभी की पढ़ाई की लौ को जलाए रखने के

लिए उन्हें डाक्टर बनाने के लिए स्वयं को भट्टी में झांक दिया.’’

‘‘इस में मेरा ही स्वार्थ है, एक दिन जब पढ़लिख कर वह लोगों का इलाज करेगी, औपरेशन कर के लोगों को ठीक करेगी, ऊंची कुरसी पर बैठेगी तो लोग कहेंगे कि देखो जो यह सफेद कोट पहन कर, बड़ी सी गाड़ी में बैठ कर जा रही है यह अभिनव की पत्नी है. मैं तो सारा कामकाज छोड़ कर या तो दिनरात आराम करूंगा या उस के आगेपीछे मंडराता रहूंगा, लोग कहेंगे कितना खुशहाल है अभिनव. जब ऐसी बातें मेरे कानों तक आएंगी तो उस समय मेरा चेहरा देखने लायक होगा, गर्व से फूल कर सीना दोगुना हो जाएगा,’’ कहतेकहते अभिनव की आंखों में चमक आ गई.

निहाल मुसकरा दिया, ‘‘मेरी कामना है कि ऐसा ही हो. फिलहाल तुम्हें और पैसे कमाने हैं तो मेरे पास तो उस के लिए एक ही उपाय है. रात को 11 बजे के बाद तू अगर स्टेशन आ सके तो मैं अपना कुली का बैज तु?ो दे सकता हूं. तू सामान बाहर तक छोड़ना और कई बार उन्हें होटल या गेस्टहाउस के बारे में भी बताना, वहां से अच्छा कमीशन मिल सकता है.’’

निहाल की सोच सही साबित हुई. अभिनव रोज रात को स्वयं को स्टेशन पर खपाता और अतिरिक्त कमाए पैसे से विद्या के लिए नोट्स वगैरह का इंतजाम करता. विद्या को मन मांगी मुराद मिल गई थी. उस की मेहनत ने और गति प्राप्त कर ली थी. धीरेधीरे उस के और उस की मंजिल के बीच का फासला कम होता जा रहा था.

उस रात जब अभिनव घर पहुंचा तो बाहर मौसी उस का इंतजार कर रही थी, ‘‘बहू से पता चला कि तू रोज रात को काम खत्म कर के कहीं बाहर चला जाता है. कहीं कोई नशावशा तो नहीं करता? कभी अपने स्वास्थ्य को भी देखा है, दिनबदिन बुझता जा रहा है. दादा ने बताया तू सुबह तड़के से देर रात तक…’’

‘‘नहीं मौसी बस दोस्तों के साथ बैठ कर थोड़ी गपशप कर लेता हूं, थकावट दूर हो जाती है,’’ अभिनव ने मौसी की बात काट कर अपनी कमीज बदलते हुए कहा.

‘‘1 मिनट अभि तेरे बदन पर यह लाल निशान? क्या करता है तू?’’

‘‘कुछ नहीं मौसी किसी कीड़ेमकोड़े ने काट लिया होगा. ठीक हो जाएगा.’’

‘‘यह तू क्या कर रहा है अभि बेटा, क्यों अपनेआप को दांव पर लगा रहा है? क्यों बहू की अभिलाषाओं को पाने के लिए स्वयं को चलतीफिरती लाश बना रहा है. ऐसा मत कर बेटा, वक्त के पलटने से इंसान भी पलट सकता है, मंजिल पर पहुंच कर पीछे मुड़ कर देखने वाले विरले ही होते हैं.’’

अभिनव मुसकरा दिया, ‘‘विद्या ऐसी नहीं

है मौसी, विद्या कुछ बन गई तो मेरे साथ तेरे

दिन भी फिर जाएंगे. तुझे भी अस्पताल में नर्स बनवा दूंगा.

‘‘तेरी ऐसी की तैसी, मुझे नर्स बनाएगा.

मैं तो घर पर बैठ कर राज करूंगी राज,’’ मौसी भी कम न थी. उस के पोपले मुंह से हंसी छलक रही थी.

आखिरकार वह दिन आ ही गया जब विद्या के अपनी मुराद मिल गई और अभिनव का स्वप्न पूर्ण हो गया. दोनों की ही मेहनत रंग लाई और विद्या अपने इम्तिहान में अच्छे अंकों से उतीर्ण हो गई. रिजल्ट आने के बाद उसे दूसरे शहर के मैडिकल कालेज मे दाखिले के लिए जाना पड़ा और दाखिले के पश्चात होस्टल में कमरा ले कर रहना पड़ा.

4 साल के लिए विद्या अभिनव की नजरों से दूर हो गई. दिनरात मेहनत कर के अभिनव विद्या की फीस, किताबकापियों और रहने के खर्च का बो?ा उठाता और हर माह नियत समय पर आवश्यकता से अधिक राशि बिना तकाजे के भेजता. लगातार पड़ते इस बो?ा से धीरेधीरे कब वह स्वयं पर बो?ा बन गया उसे पता ही नहीं चला.

विद्या का फोन कभी भूलेभटके ही आता, मगर महीने के अंतिम सप्ताह में अवश्य आता. शायद यह अभिनव के एक प्रकार का अनुस्मारक होता, अभिनव को विद्या के इस कौल का भी इंतजार रहता. चंद मिनटों की यह बातचीत अभिनव को प्रफुल्लित कर देती और उस में एक नई ऊर्जा का संचार कर देती.

एक दिन जब विद्या का फोन आया तो उस में अभिनव को विद्या के चिंतित होने का बोध हुआ, ‘‘क्या बात है आज डाक्टर साहिबा कुछ परेशान लग रही हैं? सब खैरीयत तो है?’’

‘‘कुछ नहीं बस यों ही, जरा काम का बोझ था,’’ विद्या ने छोटा सा जवाब दिया.

‘‘काम का बो?ा या कुछ और?’’ अभिनव ने आशंकित हो कर पूछा. उसे लग रहा था कि हो न हो बात कुछ और ही है.

‘‘यों ही. कुछ छात्रों को जापान सरकार ने जापान आने का निमंत्रण दिया है. उन छात्रों मे एक नाम मेरा भी है. वहां की रैडिएशन तकनीक के बारे में जानने का अच्छा अवसर है, लेकिन मैं ने मना कर दिया.’’

‘‘क्यों?’’ अभिनव ने हैरान हो कर फौरन पूछा.

विद्या एक पल के लिए खामोश हो गई फिर धीरे से बोली, ‘‘बिना मतलब के कम से कम डेढ़दो लाख का खर्च है हालांकि ज्यादातर खर्च जापान सरकार ही कर रही है, फिर भी इतना पैसा तो चाहिए ही होगा.’’

अभिनव खामोश हो गया, ‘‘मैं कोशिश करता हूं विद्या, कुछ न कुछ इंतजाम हो जाएगा.’’

अभिनव ने इधरउधर हाथपैर मारने शुरू कर दिए. अपने हर जानपहचान वाले से उस ने कुछ न कुछ उधार लिया हुआ था. लिहाजा, हर जगह से उसे टका सा जवाब मिला. थकहार के उस ने निहाल के पास पहुंच कर अपना रोना रोया.

‘‘इतने पैसे कहां से लाएगा अभि? चोरी करेगा, डाका डालेगा या अपनेआप को बेच देगा?’’ निहाल ने ?ाल्ला कर कहा.

‘‘अपनेआप को बेच दूंगा निहाल. खून का 1-1 कतरा दिलजिगर सब बेच दूंगा.’’

निहाल खामोश हो गया फिर हौले से फुसफुसाया, ‘‘ज्यादा तो पता नहीं लेकिन सुना है कई लोग अपनी एक किडनी बेच देते हैं. यहां के अस्पताल का एक कंपाउंडर मेरी जानपहचान का है, वही बता रहा था.’’

‘‘तू मु?ो उस के पास ले चल, मैं अपनी किडनी बेच दूंगा, विद्या की सफलता की राह में पैसा बीच में नहीं आना चाहिए.’’

निहाल अवाक हो कर अभिनव को ताक रहा था, ‘‘यह तू क्या कह रहा है. बात में से बात निकली तो मैं ने जिक्र कर दिया.’’

‘‘नहीं निहाल तूने तो मुझे पर बहुत बड़ा एहसान किया है. एक बार तू मुझे उस के पास

ले चल.’’

अभिनव के बारबार कहने से अनमने ढंग से निहाल अभिनव को अस्पताल ले गया.

‘‘यह बहुत ही रिस्की मामला है. पकड़े गए तो सब के सब जेल की हवा खाएंगे,’’ कंपाउंडर फुसफुसाते हुए बोला.

‘‘आप का एहसान होगा भाई. मुझे पैसों की सख्त जरूरत है,’’ अभिनव ने रोंआसे स्वर में कहा.

कंपाउंडर थोड़ी देर के लिए ओ?ाल हो गया. लौट कर आया तो हाथ में एक परची थी जिस पर कोई पता लिखा था, ‘‘मैं ने बात कर ली है, अगले शनिवार को तुम यहां चले जाओ. पूरी प्रक्रिया में हफ्ता 10 दिन तो लग ही जाएंगे.’’

‘‘हफ्ता 10 दिन,’’ अभिनव सोच में पड़ गया और बोला, ‘‘क्या कुछ पैसा मु?ो पहले मिल सकता है?’’

‘‘कोशिश कर के तुम्हें कुछ पैसा एडवांस दिला दूंगा, आखिर तुम निहाल के खास जानने वाले हो.’’

अभिनय के लिए आने वाले दिन उस के सब्र का इम्तिहान लेने वाले थे.

चंद ही दिनों के इंतजार के बाद निहाल ने उसे सूचना दी कि उन्हें पैसे मिल गए हैं और उसे ले कर वह अभिनव के दफ्तर ही आ रहा है. निहाल ने आते ही रुपयों का एक लिफाफा अभिनव के सामने रख दिया. अभिनव की आंखों में खुशी के आंसू थे. उस ने विद्या को फोन मिलाने के लिए उठाया ही था कि घंटी घनघना उठी. दूसरी ओर विद्या थी. उस की आवाज में एक अजीब सा उत्साह था, ‘‘अभिनव तुम तो इंतजाम कर नहीं पाए लिहाजा मैं ने अपने जापान जाने के खर्चे का इंतजाम खुद ही कर लिया, तुम बस मेरा पासपोर्ट जल्द से जल्द मुझे भेज दो.’’

‘‘मगर कैसे?’’ अभिनव जानना चाह रहा था.

‘‘मेरे टीम लीडर डाक्टर विश्वास ने मेरा सारा खर्च उठाने का फैसला किया है, वे मुझे बहुत पसंद करते हैं. न जाने उन का यह एहसान मैं कैसे चुकाऊंगी,’’ इस के पहले कि अभिनव कुछ और कहता या पूछता विद्या ने फोन काट दिया.

अभिनव ने लिफाफा निहाल के हाथों में थमा दिया, ‘‘अब इस की जरूरत नहीं, मेरी तपस्या पीछे रह गई. विद्या ने आगे बढ़ने का जरीया ढूंढ़ लिया.’’

विद्या के विदेश जाते ही अभिनव का स्वास्थ्य बिगड़ने लगा. दिनरात खांसखांस कर उस का बुरा हाल था और उस पर सीने में दर्द ने उस की रातों की नींद उड़ा दी थी. एक दिन जब बलगम में खून अत्यधिक मात्र में आ गया तो निहाल जबरदस्ती उसे सरकारी अस्पताल में डाक्टर को दिखाने ले गया. डाक्टरों ने सारी जांच कर के उस के हाथ में एक रुक्का पकड़ा दिया जिस पर बहुत कुछ लिखा था- मगर जो थोड़ा कुछ सम?ा आया उस के मुताबिक अभिनव को एक गंभीर संक्रामक बीमारी थी और उस के फेफड़े पूरी तरह से काम करना छोड़ चुके थे. डाक्टरों ने कई अन्य टैस्ट लिख कर दिए और घर पर अच्छे खानपान पर जोर डालने को कहा.

निहाल ने विद्या को सूचित करने की सलाह दी मगर अभिनव न माना. उस की पढ़ाई चल रही है. अभी विदेश में ट्रैनिंग कर के लौटी है. उस का ध्यान बांटना ठीक नहीं है. उसे अपनी मंजिल की तरफ बढ़ने दो. अभिनव के मना करने के बावजूद भी निहाल ने विद्या से संपर्क साध लिया और अपना परिचय दे कर अभिनव के बिगड़ते स्वास्थ्य के बारे में बताया.

विद्या ने कोई संवेदना या गंभीरता प्रकट नहीं की और इस स्थिति के लिए अभिनव पर ही दोष जड़ दिया, ‘‘जो इंसान अपना खयाल नहीं रखता, जीवनचर्या ठीक नहीं रखता उस का हश्र तो ऐसा ही होता है निहालजी, मैं फिलहाल तो अपनेआप में ही इतना व्यस्त हूं कि इन सब चीजों के लिए मेरे पास वक्त नहीं और न ही मैं अब तक डाक्टर बनी हूं जो आप को कोई इलाज बता सकूं. आप वहीं के सरकारी हस्पताल के डाक्टर की सलाह पर अमल कीजिए.’’

‘‘फिर भी मैं आप को डाक से रुक्का भेज रहा हूं, आप उसे अस्पताल में दिखवा दीजिएगा और दवाई वगैरह के बारे में राय भेज दीजिएगा.’’

‘‘ठीक है,’’ विद्या ने बात काटते हुए कहा.

‘‘विद्या ने क्या कहा निहाल? मुझे यकीन है कि तूने जरूर फोन किया होगा.’’

‘‘नहीं,’’ निहाल की मानो चोरी पकड़ी गई थी. निहाल थोड़ी देर के लिए खामोश हो गया, फिर बोला, ‘‘हां मैं ने किया था, मेरी बात हुई थी.’’

‘‘क्या कहा विद्या ने?’’

‘‘कहना क्या था बस बेचारी फूटफूट कर रो पड़ी. कहने लगी अब आप ही ध्यान रखिए अभिनव का और आप कहें तो मैं वापस आ जाऊं. मैं ने बिलकुल मना कर दिया. ठीक किया न?’’

आंसू की एक बूंद अभिनव की पलकों की छोर से बह निकली जिसे उस ने फौरन पोंछ दिया, ‘‘देखा निहाल इसे कहते हैं प्यार, दिल से दिल का रिश्ता, थोड़े ही दिनों की बात है विद्या मेरे पास होगी, हम अपनी जिंदगी की शुरुआत करेंगे, जो गुनाह मैं ने उस से ?ाठ बोल कर किया था उस का पश्चात्ताप पूरा होगा.’’

आखिरकार विद्या एक दिन अभिनव के सामने थी. अभिनव का स्वास्थ्य अत्यधिक खराब था मगर विद्या को देख उस की चेतना मानो सामान्य हो गई. होंठों पर एक मुसकान फैल गई और उस ने अपनी बांहें आगे कर दीं.

विद्या ठिठक गई, ‘‘अभिनव तुम्हें ऐक्टिव टीबी है जो संक्रामक है. मु?ो तुम्हारे पास नहीं आना चाहिए, अगर मुझे भी यह बीमारी हो गई तो बहुत बड़ा व्यवधान हो जाएगा. तुम ठीक हो जाओ फिर…’’

‘‘बिलकुल ठीक कह रही हो विद्या, मैं ठहरा अनपढ़ गंवार इतना इल्म होता तो मैं डाक्टर न बन जाता. जब तक मैं पूरी तरह से ठीक नहीं हो जाता तुम्हारे करीब नहीं आऊंगा.’’

विद्या ने संयत रहने का प्रयास करते हुए कहा, ‘‘ठीक है मैं चलती हूं.’’

उस दिन के बाद शायद ही विद्या कभी वापस आई, अभिनव की पथराई आंखें उस की राह तकती रहतीं. उस की सेहत धीरेधीरे उस की जिंदगी का साथ छोड़ रही थीं. निहाल और दादा उस की देखभाल करते. उड़तीउड़ती खबर भी आती कि विद्या और डाक्टर विश्वास एकदूसरे के करीब आ रहे हैं.

अभिनव मुसकरा कर इन खबरों को टाल देता, ‘‘निहाल, विद्या सिर्फ मेरी है, कामकाज के दौरान घनिष्ठता हो ही जाती है. इस का यह मतलब तो नहीं.’’ निहाल उसे तकता रहता.

एक सुबह अभिनव, निहाल और दादा घर के आंगन में बैठे हुए थे कि सामने विद्या आती नजर आई. विद्या को सामने देख कर अभिनव  की खुशी का ठिकाना न रहा. अभिनव को देख कर एक पल के लिए वह स्तब्ध रह गई. शरीर क्या था एक ढांचा था. एक क्षण के लिए सहानुभूति की लहर उस के तनबदन में दौड़ गई मगर अगले ही पल उस ने मानो स्वयं को संभाला.

अभिनव विद्या को देख कर यों प्रसन्न हुआ मानो किसी प्यासे को जल का स्रोत और भूखे को भोजन मिल गया हो, ‘‘आओ विद्या, मैं तुम्हें ही याद कर रहा था. कैसा चल रहा है?’’

‘‘ठीक ही चल रहा है अभिनव मगर तुम चाहो तो और भी अच्छा चल सकता है… मुझे जिंदगी का सही मकसद हासिल हो सकता है अगर तुम मेरा साथ दो तो.’’

‘‘मैं?’’ अभिनव हैरान था, ‘‘मैं भला तुम्हारे क्या काम आ सकता हूं? मेरे पास क्या है जो मैं तुम्हें दे पाऊं सिवा प्यार के.’’

‘‘अभिनव मैं झूठ और फरेब में विश्वास नहीं करती और न ही मैं पीछे मुड़ कर देखने में यकीन करती हूं. मेरा आज और मेरा आने वाला कल मेरे लिए महत्त्वपूर्ण है न कि बीता हुआ कल,’’ विद्या ने ?ाठ और फरेब पर जोर देते हुए कहा.

अभिनव ने एक मुसकराहट फेंकी, ‘‘विद्या मैं अनपढ़ और गंवार इंसान हूं तुम इस बात को अच्छी तरह से जानती हो. मुझसे पहेलियां न बुझाओ. साफसाफ कहो मैं तुम्हें निराश नहीं करूंगा.’’

‘‘तुम शायद मुझे खुदगर्ज और मतलबी सम?ागे, हो सकता है मुझसे नफरत

भी करने लग जाओ या मेरा जिक्र भी तुम्हें कुंठित कर दे, हो सकता है तुम मेरे किए को मेरा इंतकाम सम?ा, तुम्हारे दिए धोखे का बदला.’’

‘‘कैसी बात कर रही हो विद्या? मेरे धोखे में छिपा मेरा प्यार क्या तुम्हें अब तक नजर नहीं आया और फिर पतिपत्नी के रिश्ते में इंतकाम या प्रतिशोध के लिए कोई स्थान नहीं होता. याद रखना जिस रोज मु?ो तुम्हारे नाम से नफरत हो जाएगी, वह दिन मेरी जिंदगी का अंतिम दिन होगा. तुम नहीं जानती मैं तुम से कितना प्यार करता हूं.’’

विद्या ने एक फाइल आगे कर दी, ‘‘इसे पढ़ लेना.’’

‘‘अगर मैं पढ़ पाता तो आज तुम्हारे सामने गुनहगार की तरह खुद को खड़ा न पाता, तुम से नजर मिला कर बात करता, तुम्हीं बता दो क्या है यह और मुझे क्या करना है?’’

‘‘ये तलाक के कागजात हैं. मैं अपनी नई जिंदगी शुरू करना चाहती हूं डाक्टर विश्वास के साथ. मुझे तुम्हारी सहमति और हस्ताक्षर चाहिए.’’

अभिनव को काटो तो खून नहीं. बहुत कुछ कहना चाह रहा था मगर खामोश रहा. तन की  शक्ति तो क्षीण हो ही चुकी थी आज मन ने भी साथ छोड़ दिया.

‘‘क्या सोच रहे हो अभिनव? मत भूलो

कि हमारी शादी की इमारत झूठ की बुनियाद पर टिकी थी.’’

‘‘नहीं मैं तो सोच रहा था कि इतनी सी बात कहने में तुम्हें इतना संकोच क्यों हो रहा है?’’

विद्या यंत्रवत ढंग से बोली, ‘‘संकोच इसलिए क्योंकि मैं ने तुम्हारा इस्तेमाल किया है.’’

‘‘मैं ने तो प्यार किया है,’’ अभिनव ने स्फुटित स्वर के कहा.

‘‘तुम जरा भी अपराधबोध से मत जीना, मैं हस्ताक्षर कर दूंगा. तुम आजाद थी और आजाद रहोगी… तुम एक अच्छी कामयाब डाक्टर बन कर अपने डाक्टर पति के साथ अपनी जीवनयात्रा की नई शुरुआत करो. मेरा वजूद भी अपने दिलोदिमाग से निकाल देना. अपने अतीत को, मु?ो पूरी तरह से भूल जाना.’’

‘‘मेरा आदमी कल सुबह आ कर कागजात ले जाएगा.’’

‘‘एक गुजारिश है विद्या अगर मान सको तो.’’

विद्या ठिठक गई, ‘‘कहो.’’

‘‘कागजात लेने के लिए कल सुबह तुम स्वयं ही आना. किसी और को न भेजना. मेरी आखिरी इल्तजा जान कर फैसला करना,’’ अभिनव के हाथ स्वत: ही जुड़ गए थे.

‘‘ठीक है? मैं कल सुबह तुम से मिलती जाऊंगी,’’ विद्या के सिर पर से मानो मनो वजन उतर गया था. चैन की सांस लेते हुए वह लंबेलंबे डग भरते हुए घर और गली से बाहर निकल गई.

अगली सुबह जब विद्या अभिनव से मिलने पहुंची तो गली के मोड़ पर ही सामने से आते काफिले की वजह से उसे रुकना पड़ा. उस ने

गौर से देखा तो काफिले में निहाल को सब से आगे पाया. विद्या की गाड़ी को देख कर निहाल ठिठक गया और आगे बढ़ कर उस ने गाड़ी का शीशा खटखटाया.

विद्या ने शीशा नीचे किया और इस के पहले वह कुछ कहती या पूछती, निहाल ने कागज का एक पुलिंदा आगे कर दिया, ‘‘अभिनव ने आप के लिए यह भेंट दी है. आप न आतीं तो मैं देने आने ही वाला था.’’

विद्या ने हैरान हो कर कागज अपने हाथ में लिए और पन्ने पलटने लगी. पहले ही पृष्ठ पर उस की नजर ठिठक गई, उसे लिखे गए शब्दों पर विश्वास ही न हुआ. उस के पैरों तले मानो जमीन खिसक गई, कोने में बड़ेबड़े लफ्जों मे लिखा था, ‘‘जीतेजी तुम्हें स्वयं से अलग नहीं कर पाऊंगा. तुम्हारा अभिनव.’’

विद्या निहाल को कुछ पूछने के लिए गाड़ी से उतरी मगर निहाल कहीं भीड़ में ओझल हो गया था. हार कर वह गाड़ी में वापस बैठ गई. उस ने अपने ड्राइवर को किसी से बात करते हुए सुना, ‘‘कोई सिरफिरा था, किसी से बेइंतहा प्यार करता था, उसी की बेवफाई ने बेचारे की जान ले ली.’’

क्या आपकी भी है सैंसिटिव स्किन, तो इन तरीकों से करें देखभाल

क्या आपने भी कभी किसी एलर्जी की वजह से अपनी त्वचा पर किसी तरह के बदलाव का अनुभव किया है? जैसे कि त्वचा पर लाल-लाल चकत्तों का आना, खुजली या फिर नोंचने-खरोंचने की इच्छा. ये सभी स्किन सेंसेटिविटी यानि त्वचा संवेदनशीलता के संकेत हैं.

हालांकि ऐसे बहुत से लोग हैं जिन्हें इस बात का नहीं पता होता कि उनकी त्वचा किस प्रकार की है? संवेदनशील या सामान्य. तो आइए, पहले जानते हैं कि वे कौन से संकेत हैं जो हमें हमारी त्वचा की संवेदनशीलता का आभास कराते हैं.

 

संवेदनशील त्वचा के प्रारंभिक संकेत :

1. थ्रेडिंग या वेक्सिंग के बाद त्वचा का रुखा हो जाना या फिर जलन और खुजली होना.

2. चेहरा धोने के बाद उसमें खिंचाव महसूस करना.

3. त्वचा अचानक ज्यादा लाल हो जाना और मुंहासे निकल आना.

4. मौसम के बदलाव का त्वचा पर जल्द असर दिखना.

5. बिना किसी बाहरी कारण के भी त्वचा में जलन होना या खुजली होना.

6. कुछ नहाने और कपड़े के साबुन भी ऐसे होते हैं जिनके प्रयोग से त्वचा में जलन होने लगती है

7. समय से पहले झुर्रियों का आ जाना.

तो इन वजहों से त्वचा होती है संवेदनशील :

1. गंदगी और प्रदूषण

2. कठोर पानी

3. अपर्याप्त साफ-सफाई

4. दूषित जीवन शैली

5. हार्मोन

6. तनाव

7. आहार और त्वचा में नमी की मात्रा

8. हानिकारक स्किन केयर उत्पाद

9. कपड़े और गहने

10. होम क्लीनिंग

इसके बाद तो आप समझ ही गए होंगे कि आपकी स्किन सेंसेटिव है या नहीं. अगर आपकी स्किन सेंसटिव है तो आपको ऐसे रखना होगा अपनी स्किन का ख्याल…

1. अपनी त्वचा के लिए परखकर ही कॉस्मेटिक का इस्तेमाल करें.

2. धूल-मिट्टी और केमिकल से त्वचा को बचा कर रखें.

3. ठंड में हमेशा मुलायम ऊन के स्वेटर पहने. सिन्थेटिक ऊन से स्किन में एलर्जी हो सकती है.

4. सौन्दर्य उत्पाद खरीदते समय लेबल को देख लें अगर वह संवेदनशील त्वचा के लिए है तभी ही खरीदें.

5. हर्बल और नेचुरल सौन्दर्य उत्पादों का इस्तेमाल करें.

6. धूप में निकलने से पहले चेहरे पर सनस्क्रीन क्रीम या लोशन लगा लें.

7. बालों में कंघी के लिए कड़े बालों वाले ब्रश का इस्तेमाल नहीं करें.

8. तेज परफ्यूम वाले साबुन या डिटरजेंट के प्रयोग से परहेज करें.

9. परफ्यूम या आफ्टर शेव लोशन खरीदते समय उसको अपनी त्वचा पर स्प्रे कर परख लें. अगर स्किन सेंसेटिव है तो स्किन में इचिंग हो सकती है.

दोबारा : पति की मौत के बाद जसप्रीत के साथ क्या हुआ ?

जसप्रीत की सांस बहुत तेजी से चल रही थी. 65 साल की उम्र में कोई उन्हें प्रपोज करेगा, उन्होंने कभी नहीं सोचा था. जसप्रीत को सम  झ नहीं आ रहा था कि मानव की बात का वह क्या जवाब दे?

क्या यह कोई उम्र है उस की अपने बारे में सोचने की? कुछ ही वर्षों में तो उस के पोते, पोतियों की शादी की उम्र हो जाएगी. मगर जसप्रीत फिर भी अपनेआप को रोक नहीं पा रही थी. बरसों बाद जसप्रीत को लग रहा था कि वह भी एक औरत है जिसे कोई पुरुष पसंद कर सकता है. मगर क्या एक उम्र के बाद औरत औरत रह जाती है या उसे एक बेजान समान मान लिया जाता है जैसेकि घर में पड़ा हुआ फालतू फर्नीचर जिस के न होने से घर खालीखाली लगता है मगर उस का घर में कितना योगदान है किसी को पता नहीं होता है.

जसप्रीत को पहननेओढ़ने का बेहद शौक था. शोख रंग जसप्रीत के गोरे रंग पर बेहद फबता था. आज भी जसप्रीत को ऐसा लगता है मानो वह पिछले जन्म की बात हो. हर साल लोहड़ी और बैसाखी पर जसप्रीत आबकारी के सलमासितारों वाले दुप्पटे लेती थी. सिल्क, शिफौन, क्रेब और भी न जाने कितनी तरह के सूट जसप्रीत के पास थे. सूट ही नहीं, इस सिखनी को साडि़यों का भी बेहद शौक था. घर की हर अलमारी जसप्रीत के कपड़ों से भरी हुई थी.

पति महेंद्र सिंह को भी जसप्रीत को सजाने का बेहद शौक था. मगर जब कुलवंत 13 वर्ष का था और ज्योत 10 वर्ष की तभी महेंद्र सिंह की एक सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी. 2 महीने तक तो जसप्रीत को अपना भी होश नहीं था. मगर फिर बच्चों का मुंह देख कर जिंदगी की तरफ लौटना पड़ा.

लगभग 2 महीने बाद जब जसप्रीत ने अलमारी खोली तो उस का मन रोंआसा हो गया. कितने शौक से उस ने सब कपड़े बनवाए थे. जसप्रीत खड़ेखड़े रोने लगी.

तभी जसप्रीत की सास नवाब बोली, ‘‘पुत्तर कुदरत के आगे किस की चलती है?’’

‘‘तू दिल छोटा मत कर तू नहीं तो तेरी देवरानी, भाभियां ये कपड़े पहन लेंगी.’’

जसप्रीत बोलना चाह रही थी कि उस का पति मरा है मगर वह अभी जिंदा है.’’

देखते ही देखते जसप्रीत के कपड़े बांट दिए गए. उस की जिंदगी की तरह उस के कपड़े भी बेरंग हो गए थे.

देवर और देवरानी ने एहसान जताते हुए कहा, ‘‘भाभी, बीजी को आप के पास छोड़े जा रहा हूं, आप को सहारा भी हो जाएगा और आप का मन भी लगा रहेगा.’’

जसप्रीत को सम  झ ही नहीं आ रहा था कि सास नवाब उस का सहारा बनेगी या जसप्रीत को उन का सहारा बनना पड़ेगा.

नवाब के साथ रहने से जसप्रीत को उन के हिसाब से और बच्चों के हिसाब से 2 अलग तरह का खाना बनाना पड़ता था. जसप्रीत जरा भी हंसबोल लेती तो नवाब की त्योरियां चढ़ जाती थीं. लगता जैसे जसप्रीत बेहयाई कर रही हो. घर से दफ्तर जाते हुए और दफ्तर से घर आ कर जसप्रीत को सारा काम करना पड़ता. सास की दवा का भार और अलग से था.

1 वर्ष के भीतर ही जसप्रीत मुर  झा गई. उस की सांसें तो चल रही थीं मगर जिंदगी कहीं पीछे छूट गई थी. तभी जसप्रीत की जिंदगी में विपुल का पदार्पण हुआ. विपुल जसप्रीत के भाई का दोस्त था. वह कभीकभी जसप्रीत के छोटेमोटे काम कर देता था. ऐसे ही जसप्रीत और विपुल करीब आ गए. कभीकभी जसप्रीत विपुल के घर भी चली जाती. जसप्रीत अब फिर से जिंदगी की तरफ कदम बढ़ा रही थी. उस ने विपुल की जिंदगी में अपना दोयम दर्जा स्वीकार कर लिया था. मगर एक दिन जब जसप्रीत और विपुल को जसप्रीत के देवर ने देख लिया तो जसप्रीत को लानतसलामत दी गई. जसप्रीत के देवर ने कहा, ‘‘भाभी, आप को शर्म नहीं आती इस उम्र में ये सब करते हुए?’’

उधर जसप्रीत की सास लगातार बोल रही थी, ‘‘औरतें तो अपने सुहाग के साथ सती हो जाती हैं और एक यह है.’’

‘‘अरे 40 साल की उम्र में कौन सी जवानी चढ़ी हुई है तुम्हें?’’

जसप्रीत के पास इन बातों का कोई जवाब नहीं था. उधर विपुल भी सब बातों के बाद जसप्रीत से कन्नी काटने लगा था. इस घटना के बाद जसप्रीत की सास अधिक चौकनी हो गई थी.

जसप्रीत का परिवार भी उसे उस की जिम्मेदारियों से अवगत कराता था. कैसे एक मां बन कर उसे अपने बच्चों के लिए रोल मौडल बनना है. जसप्रीत ने अपने अंदर की औरत का गला घोट दिया था.

जसप्रीत की सास के साथसाथ जसप्रीत के अपने मातापिता भी उस की ही जिम्मेदारी बनते जा रहे थे. जब भी भाईभाभियों को कहीं घूमने जाना होता तो जसप्रीत के मातापिता महीनों उस के साथ रहते.

जसप्रीत का भी मन करता था बाहर घूमनेफिरने का. मगर न तो हालात ने कभी इस बात की इजाजत दी और न ही उस के आसपास वालों को इस की कभी जरूरत लगी.

जसप्रीत की सास और बाकी परिवार उसे बचत और हाथ रोक कर खर्च करने की ही सलाह देता था.

विपुल की घटना के पश्चात भी जसप्रीत की जिंदगी में पुरुषों का सिलसिला चलता रहा. बस अब जसप्रीत पहले से ज्यादा सतर्क हो गई थी. कभीकभी उसे लगता जैसे वह खुद को औरत  साबित करने के लिए इधरउधर रेगिस्तान में भटक रही है. जहां भी उसे लगता कि पानी है वह मिराज निकलता. उसे लगने लगा था कि वह इंसान नहीं एक समान है. जब तक वह पुरुष को दैहिक सुख दे सकती है तब तक ही पुरुष उस के आसपास बने रहेंगे. जल्द ही उसे यह बात सम  झ आ गई कि आंतरिक प्यास इधरउधर के अफेयर से कभी नहीं बु  झ पाएगी. वह अपनेआप में सिमट गई थी.

जसप्रीत को कुदरत ने एक बेटा दिया हुआ है. थोड़े दिनों की बात और है जब उस के दुख खत्म हो जाएंगे. उन दिनों जसप्रीत ने भी इन बातों पर विश्वास कर लिया था. उस के जीवन की धुरी अब कुलवंत और ज्योत बन गए थे. मगर फिर भी न जाने क्यों जसप्रीत के अंदर का खालीपन बढ़ता ही जा रहा था. देखते ही देखते वह 55 वर्ष की हो गई थी. कुलवंत अब परिवार में मुखिया की भूमिका निभा रहा था.

कुलवंत का विवाह हो गया. वह अपनी पत्नी में डूब गया और ज्योत ने भी जल्द ही अपनी पसंद से विवाह कर लिया. जसप्रीत की सास और मातापिता का निधन हो गया था. कुलवंत बराबर अपनी मां जसप्रीत पर पैतृक घर बेचने का दबाव डाल रहा था. जसप्रीत अब 62 वर्ष की हो गई थी. नौकरी प्राइवेट थी, इसलिए पेंशन नही थी.लोगो की सलाह पर उसे लगा, बेटे से बिगाड़ना ठीक नहीं हैं इसलिए उस ने घर बेच दिया. कुलवंत ने एक शानदार सोसायटी में फ्लैट ले लिया. उस फ्लैट में जसप्रीत एकाएक बूढ़ी और अकेली हो गई थी. सारा दिन वह घर के कामों में लगी रहती और अपनी पोती   झलक को संभालती. उस की जिंदगी बेरंग हो गई थी.

जब   झलक का 10वां बर्थडे था तब जसप्रीत की बहू अजीत की मम्मी हरप्रीत भी आई हुई थी. रंगों और शोखी से भरपूर हरप्रीत को देख कर कोई नहीं कह सकता था कि उन की इतनी बड़ी नातिन है. हरप्रीतजी ने ही जबरदस्ती उस रोज जसप्रीत को गुलाबी रंग का सूट पहनाया जो उन के रंग में घुल सा गया था.

जाने से पहले हरप्रीत ने जसप्रीत से कहा, ‘‘आप खुद के लिए खड़ा होना सीखिए. आप बस 62 साल की हुई हैं. अभी भी आप के पास जिंदगी है.’’

जसप्रीत धीरेधीरे ऐक्सरसाइज करने लगी. सोसायटी के क्लब में जाने से जसप्रीत को अपने हमउम्र मिले और कुछ ऐसे रास्ते भी मिले जिन से वह अपने लिए कमा भी सकती थी. जसप्रीत ने धीरेधीरे अपने हमउम्र लोगों की सहायता से औनलाइन ट्रक्सैक्शन, इनवैस्टमैंट और बैंकिंग  सीखी. उस ने अपने आर्थिक फैसले खुद लेने आरंभ किए.

जैसे ही जसप्रीत आर्थिक रूप से स्वावलंभी हुई उस के पंख खुलने लगे. बच्चों की जिम्मेदारी भी पूरी हो गई थी. इसलिए जसप्रीत ने अब देश घूमने का फैसला किया. उस के बाहर घूमने का फैसला उस के बेटे को पसंद नहीं आया क्योंकि जसप्रीत अपने पैसे से जा रही थी इसलिए वह कुछ बोल नहीं पाया.

फन एट सिक्स्टी नामक ग्रुप के साथ जसप्रीत घूमने जा रही थी.62 साल की उम्र में पहली बार उसे 16 वर्ष के भांति उत्साहित हो रही थी.पूरे जोरशोर के साथ बहुत वर्षों के बाद उस ने शौपिंग करी.

बेटेबहू सामने से तो कुछ कह नहीं पाए मगर उन के भावों में नाराजगी   झलक रही थी. जसप्रीत का एक बार तो मन हुआ कि न जाए मगर फिर उस ने अपना मन कड़ा कर लिया. जब जसप्रीत अपने समान के समेत बस में चढ़ी तो उसे इस बात का बिलकुल भान नहीं था कि यह सफर उस की जिंदगी का सफर की दिशा ही बदल देगा.

एक मिनी बस थी. सभी लोग जसप्रीत को अपने हमउम्र दिख रहे थे. करीब 20 लोग बैठे हुए थे, जिन में से 8 जोड़े थे और 3 महिलाएं और 1 पुरुष था. शुरूशुरू में तो जसप्रीत को थोड़ी  ि झ  झक हो रही थी मगर फिर वह सहज हो गई.

जब सां  झ के धुंधलके में वह गु्रप वाराणसी पहुंचा तो जसप्रीत को थकान के बजाय बेहद ताजा महसूस हो रहा था.

जसप्रीत जब अपने कमरे से बाहर निकली तो सभी लोग अपने कमरों में दुबके हुए थे. उस ने देखा बाहर लौबी में बस मानव बैठे हुए थे. जसप्रीत को देख कर उठ खड़े हुए और बोले, ‘‘चलो, मेरी तरह कोई और भी है जो कमरे से बाहर तो निकला है बाकी सभी लोग तो आज थकान उतारेंगे.’’

जसप्रीत ने कहा, ‘‘आप घाट पर चलना चाहेंगे?’’

मानव हंसते हुए बोला, ‘‘चलना नहीं दौड़ना चाहूगा.’’

दोनों ने एक रिकशा कर लिया और पूरे जोश के साथ घाट पहुंच गए. एक अलग सा माहौल था घाट का. दोनों ही करीब 2 घंटे तक वहीं बैठ कर घाट को निहारते रहे. मानव की तंद्रा तब भंग हुई जब होटल से उन के ग्रुप का फोन आया. पूरा ग्रुप दोनों के लिए चिंतित था.घड़ी देखी तो रात के 9 बज गए थे.

वापसी में मानव और जसप्रीत ने कचौरी और टमाटर की चाट का आनंद लिया.

जसप्रीत शुरू में थोड़ी  ि झ  झकी मगर मानव ने यह कहते हुए उस का डर काफूर कर दिया, ‘‘मैं डाक्टर हूं कुछ हुआ तो देख लूंगा. बिंदास खाइए और जिंदगी का आनंद लीजिए.’’

जब रात के 10 बजे मानव और जसप्रीत होटल पहुंचे तो मैत्री की डोर में बंध गए थे.

4 दिन ऐसा लगा मानो 4 पल के समान उड़ गए हों. जसप्रीत ने जिस तरह अपने पति को युवावस्था में खो दिया था वैसे ही मानव का अपनी पत्नी के साथ विवाह के 5 वर्ष बाद ही अलगाव हो गया था. पहले विवाह का अनुभव इतना अधिक कसैला था कि मानव ने दोबारा विवाह नही किया. दोनों ने अपनी युवावस्था अकेलेपन में गुजारी थी इसलिए दोनों ही एकदूसरे के साथ बेहद सहज थे. दोनों की किसी के प्रति जवाबदेही नहीं थी.

जसप्रीत को ऐसा लग रहा था मानो वह दोबारा से एक औरत की तरह सांस ले रही हो. मानव ने बातों ही बातों में जसप्रीत से कहा, ‘‘अरे, आप को देख कर लगा ही नहीं कि आप 62 साल की हैं. मु  झे तो आप 55 से अधिक की नहीं लगी थी.’’

न जाने क्यों जसप्रीत को मानव की ये बातें अंदर से गुदगुदा रही थीं. पूरे ट्रिप के दौरान जसप्रीत और मानव एकसाथ ही बने रहे. दोनों को एकदूसरे का साथ बहुत भा रहा था.

वापसी यात्रा में मानव और जसप्रीत दोनों को यह लग रहा था कि यह सफर कभी खत्म न हो. फोन के द्वारा मानव और जसप्रीत के बीच बातचीत चलती रही. जिस दिन दोनों की बातचीत नहीं होती ऐसा लगता मानो वह दिन कुछ अधूरेपन के साथ समाप्त हुआ हो. 62 साल की उम्र में जसप्रीत अपने मन की थाह को नहीं पा रही थी. यह जीवन उस ने पहले भी जीया था मगर तब उस के अपने परिवार ने उसे सामाजिक और नैतिक रूप से गलत साबित किया था. क्या ये भाव उसे शोभा देते हैं? क्यों मानव का एक फोन उसे खुशी से भर देता है? जसप्रीत को पहली बार अपने पति के जाने के बाद ऐसा कोई पुरुष मिला था जो उस से व्यापार नहीं कर रहा था. मानव ने जसप्रीत के साथ एक साथी की तरह ही व्यवहार किया था. यह सच था कि जसप्रीत और मानव उम्र के उस मोड़ पर थे जहां पर दैहिक व्यापार का प्रश्न गौण हो जाता है. मगर पुरुष फिर भी उम्र के हर पड़ाव पर स्त्री से किसी न किसी चीज की उम्मीद ही रखता है.

जसप्रीत और मानव को बात करतेकरते पूरा 1 साल बीत गया. इस 1 साल में मानव जसप्रीत को बहुत अच्छे से जान गया था. आज मानव का जन्मदिन था. जसप्रीत ने जैसे ही रात के 12 बजे उस को कौल किया तो मानव ने जसप्रीत को प्रपोज कर दिया.

मानव ने जसप्रीत से कहा, ‘‘जसप्रीत, जीवन की इस संध्या में कब जीवन का सूर्य अस्त हो जाएगा, मालूम नहीं? मगर अब आगे की यात्रा में तुम्हारे साथ तय करना चाहता हूं.’’

जसप्रीत यही तो सुनना चाहती थी. मगर उस के अंदर इतनी हिम्मत नहीं थी कि वह इतना बड़ा फैसला ले पाए.

जसप्रीत को अच्छे से पता था कि अगर वह मानव का यह प्रस्ताव अपने घर वालों के समक्ष रखेगी भी तो उस के बच्चे ही उस के अतीत को कुरेदने लगेंगे.

जसप्रीत के अंदर हिम्मत का अभाव देख कर मानव एक दिन खुद ही जसप्रीत के घर पहुंच गया.

जसप्रीत से कोई पुरुष मिलने आया है, यह बात जसप्रीत के बेटेबहू को पसंद नहीं आई. मगर प्रत्यक्ष रूप से वे कुछ कह नहीं पाए. मानव को आए हुए 2 घंटे हो गए थे.

जाने से पहले मानव ने जसप्रीत के बेटे से कहा, ‘‘बेटा, सम  झ नहीं आ रहा ये बात में कैसे करूं? मगर मैं आप की मम्मी से विवाह करना चाहता हूं.’’

मानव की यह बात सुनते ही जसप्रीत का बेटा आग बबूला हो उठा, ‘‘मम्मी इस उम्र में भी आप यह गुल खिला रही हैं.’’

उधर जसप्रीत की बहू बोली, ‘‘आप ऐसा करोगी तो कौन   झलक से विवाह करेगा? उम्र है अपना जन्म सुधारने की… ध्यान में ध्यान लगाएं.’’

जसप्रीत शर्म से जमीन में गढ़ी जा रही थी. उसे लग रहा था कि उस से फिर से गलती हो गई है. क्यों उसे एक साथी की दरकार रहती है? क्यों वह कुदरत में ध्यान नहीं लगा पाती हैं?

मानव ने जसप्रीत से कहा, ‘‘जसप्रीत मु  झे तुम्हारे फैसले का इंतजार रहेगा.’’

मगर उस दिन के बाद से जसप्रीत और मानव के बीच कोई बात नहीं हुई. कुलवंत ने यह बात अपनी बहन ज्योत को भी बता दी थी. ज्योत भी घर आ गई थी. जसप्रीत के बेटे और बेटी ने साफसाफ शब्दों में कह दिया था कि अगर जसप्रीत को मां का दर्जा चाहिए तो दूसरे विवाह की बात दिमाग से निकाल दे.

जसप्रीत फिर से सम  झौता करने को तैयार हो गई थी. वह घर की शांति और समाज के रिवाजों के हिसाब से खुद को ढालने के लिए तैयार हो गई थी. कैसी होती है एक 62 वर्ष की महिला की जिंदगी, एक फालतू फर्नीचर जिस के होने या न होने से कोई फर्क नहीं पड़ता है. हां यदि वह न हो तो घर का एक कोना खाली हो जाता है. 62 साल की महिला या वृद्धा को अपनी जिंदगी के बाकी दिन नातीपोतों की देखभाल में बिताने चाहिए. जिंदगी के इस पड़ाव में किसे घूमनेफिरने की, इधरउधर मित्रता करने की ललक होती है?

जसप्रीत ने मानव से बातचीत लगभग बंद कर दी थी. बहू ने फूल टाइम मेड की छुट्टी कर दी. उस के अनुसार मम्मीजी घर के कामकाज में बिजी रहेंगी तो उन के दिमाग में फालतू बात नहीं आएगी.

जसप्रीत ने खुद को घर के कार्यों में व्यस्त तो कर लिया मगर मानसिक रूप से टूट गई थी. पहले सासससुर और मातापिता ने उसे बच्चों की दुहाई दे कर कठपुतली की तरह नचाया और अब उस के अपने बच्चे उसे समाज की दुहाई दे कर नचा रहे हैं.

1 हफ्ते बाद दीवाली थी. घर में जोरशोर से तैयारियां चल रही थीं. जसप्रीत के बेटे ने जसप्रीत से कहा, ‘‘मम्मी, मैं इस बार बच्चों के साथ दीवाली पर घूमने जा रहा हूं. आप को भी ले चलते मगर आप की तबीयत भी ठीक नहीं रहती और फिर दीवाली पर घर भी बंद नहीं कर सकते हैं.’’

जसप्रीत को बुरा लगा मगर उस ने खुद को ही दोष दिया, उस की क्या उम्र है घूमनेफिरने की?

बच्चे नियत समय पर दुबई के लिए रवाना हो गए थे. जसप्रीत को अगले ही दिन बुखार हो गया. उस ने फोन पर बच्चों को बताया तो उसे डाक्टर से मिलने की सलाह दे दी गई.

बेटी ज्योत भी दीवाली पर अपने परिवार के साथ घूमने गई हुई थी. दीवाली की रात पर चारों ओर रोशनी से आकाश सजा हुआ था मगर जसप्रीत के अंदर इतनी भी हिम्मत नहीं थी कि वह खड़ी हो जाए.

बुखार की दवाई कोई असर नहीं कर रही थी. सुबह से कुछ खाया भी नहीं था. तभी जसप्रीत को फोन पर मानव का मैसेज दिखा. जसप्रीत ने बुखार की घुमेरी में उसे कुछ लिखा और फिर जब जसप्रीत को होश आया तो उस ने खुद को अस्पताल में पाया.

मानव वहीं जसप्रीत के सामने बैठा हुआ था. वह मन ही मन सोच रही थी कि अब समाज उस के बच्चों से कुछ क्यों नहीं पूछ रहा है जब वे लोग उसे अकेले छोड़ कर दीवाली मनाने चले गए. जसप्रीत ने फिर मानव को अपनी पूरी कहानी सुना दी. जसप्रीत ने अपनी जिंदगी का वह पन्ना भी मानव के समक्ष बेपरदा कर दिया जिस के कारण वह खुद को माफ नहीं कर पाई थी.

मानव ने सुना और बस जसप्रीत से इतना कहा, ‘‘न तुम कल गलत थी और न ही आज गलत हो. उस समय अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए उन परिस्थितियों में तुम्हें वह ही ठीक लगा होगा. हमारा अतीत हमारे वर्तमान को नियंत्रित नहीं कर सकता है. मैं आज भी तुम्हारे फैसले की प्रतीक्षा में हूं.’’

जसप्रीत की अस्पताल से छुट्टी हुई तो उस ने खुद ही मानव से कहा, ‘‘जब तक बच्चे नहीं आते मैं तुम्हारे घर पर ही रहूंगी.’’

बिना कुछ बोले जसप्रीत के मन की बात मानव को सम  झ आ गई थी.

अपने दोनों बच्चों को अपने फैसले से अवगत कराते हुए जसप्रीत ने सूचित कर दिया था. उस ने दोबारा से एक महिला की तरह फैसला ले लिया था.

जसप्रीत समाज को जवाब देने के लिए तैयार थी. कोर्ट में विवाह की तिथि के लिए पंजीकरण करवा दिया था. खुद को माफ करते हुए जसप्रीत ने दोबारा से जिंदगी की तरफ कदम बढ़ाया था.

जसप्रीत के इस फैसले के बाद उस के  परिवार ने उस का बहिष्कार कर दिया. वह अपने परिवार के इस बरताव से आहत थी. वह चाहती थी कम से कम उस की बेटी ज्योत तो उसे सम  झेगी.

पहले 1 महीने तक तो जसप्रीत इसी ऊपोपोह में रही कि क्या वह मानव के साथ रहे या फिर वापस अपने घर चली जाए. मगर मानव ने जसप्रीत को इतना विश्वास और प्यार दिया कि जसप्रीत का मन मानव के घर में रम गया.

मानव सुबह सवेरे जब ऐक्सरसाइज करता तो जसप्रीत को भी अपने साथ करवाता. दोनों साथसाथ नाश्ता करते, फिर मानव हौस्पिटल चला जाता और जसप्रीत अपना औनलाइन बिजनैस देखती. पैसे की कोई कमी नहीं. मानव जसप्रीत का साथ पा कर पूर्ण महसूस करता था. जसप्रीत भी बेहद खुश थी मगर अपने बच्चों और परिवार की कसक उसे रहरह कर टीस देती. मानव को जसप्रीत के दर्द का आभास था मगर उसे सम  झ नहीं आ रहा था कि वह कैसे जसप्रीत और उस के परिवार को एक कर दे.

दिन हफ्तों में और हफ्ते महीनों में परिवर्तित हो गए थे. आज जसप्रीत बेहद खुश थी. बरसों बाद उस के जीवन में करवाचौथ इतनी सारी रोशनी और मिठास ले कर आई थी. उस ने आज सुनहरे रंग की कांजीवरम साड़ी पहन रखी थी. साथ में उस ने बेहद शोख रंग की चूडि़यां और मेकअप कर रखा था. मानव तो आज जसप्रीत को देख कर पलक   झपकाना भूल गया.

जसप्रीत शरमाते हुए बोली, ‘‘बहुत ओवर हो गया लगता है. इस उम्र में इतना शोख मेकअप अच्छा नहीं लगता है.’’

मानव जसप्रीत का हाथ पकड़ते हुए बोला, ‘‘खूबसूरती की कोई उम्र नहीं होती है जसप्रीत. तुम आज बेहद सुंदर लग रही हो.’’

चांद को देखने के बाद मानव और जसप्रीत ने खाने का पहला निवाला ही तोड़ा था कि अस्पताल से फोन आ गया. मानव बिना खाने खाए कार निकल कर अस्पताल चला गया. वहां जा कर मानव को पता चला कि ऐक्सीडैंट केस है. खून से लथपथ एक जोड़ा अस्पताल के गलियारे में कराहा रहा था. मानव जैसे ही उन के करीब पहुंचा जसप्रीत के बेटे कुलवंत और उस की पत्नी को देख कर उस के होश उड़ गए. बिना पुलिस की प्रतीक्षा करे मानव ने जूनियर डाक्टर्स को इलाज करने के लिए बोल दिया. मानव को सम  झ नहीं आ रहा था कि वह कैसे जसप्रीत को यह बात बताए. तभी मानव को जसप्रीत की पोती   झलक की याद आई कि वह कहां है?

मानव बिना देर करे जसप्रीत को ले कर उस के बेटे कुलवंत के घर पहुंचा.   झलक दादी को देखते ही गले लग कर रोने लगी.

‘‘दादी पिछले 4 घंटो से मम्मीपापा का फोन बंद आ रहा है.’’

जसप्रीत ने मानव की तरफ देखा तो वह बोला, ‘‘तुम दोनों हौसला रखो, उन का ऐक्सीडैंट हो गया है और वे मेरे ही हौस्पिटल में भरती हैं.’’

झलक और जसप्रीत के साथ मानव जब अस्पताल पहुंचा तो कुलवंत और अजीत तब भी औपरेशन थिएटर में ही थे.

मानव ने बड़ी मुश्किल से   झलक और जसप्रीत को कुछ खिलाया और वहीं हौस्पिटल के एक कमरे में आराम करने की व्यवस्था कर दी.

जसप्रीत को बारबार यही लग रहा था कि वह मनहूस है. मगर काली रात के बाद जब सूरज की पहली किरण आई तो कुलवंत खतरे से बाहर था. दोपहर होतेहोते अजीत को भी होश आ गया. जसप्रीत की बेटी ज्योत भी आ गई थी.

पूरे 4 दिन बाद जब दोनों को डिस्चार्ज मिला तो जसप्रीत भी अपने बेटे और बहू के साथ उन के घर चली गई.

मानव ने घर से नौकर और अस्पताल से एक नर्स भी भेज दी थी. कुलवंत और ज्योत

आज पहली बार अपनी मां से नजर नहीं मिला पा रहे थे.

कुलवंत को अच्छे से पता था कि अगर वह मानव का अस्पताल न होता तो वे दोनों पतिपत्नी वहीं अस्पताल में पुलिस की प्रतीक्षा में मर जाते. मानव ने अपनी जिम्मेदारी पर ही दोनों का इलाज करा था.

पूरे 1 हफ्ते तक जसप्रीत वहां रही और खूब अच्छे से पूरे घर को संभाला.

जसप्रीत रोज रात मानव को फोन करती मगर न तो कुलवंत ने और न ही अजीत ने कभी मानव से बात करने की इच्छा जाहिर करी. जसप्रीत को थोड़ा बुरा भी लगा, मगर वह चुप लगा गई.

दीवाली से 2 दिन पहले जब जसप्रीत ने अपने घर जाने की इच्छा जाहिर करी तो   झलक बोली, ‘‘दादी, इस बार तो बूआ भी दीवाली पर यहीं हैं. आप भी प्लीज रुक जाए.’’

बहू अजीत भी बोली, ‘‘मम्मी, मान जाएं. पूरा परिवार कबकब साथ होता है? चाचाजी और चाचीजी भी यहीं पर दीवाली मनाएंगे.’’

जसप्रीत का मन किया बोलने का कि मानव के बिना यह परिवार कैसे पूरा हो सकता है? मगर वह फीकी हंसी हंस दी.

छोटी दीवाली पर अजीत की मम्मी भी आ गई थी. जसप्रीत ने मानव को जब इस प्रोग्राम के बारे में बताया तो वह बोला, ‘‘कोई बात नही जसप्रीत, तुम्हारे परिवार का तुम पर हक है.’’

दीवाली पर चारों तरफ हंसीखुशी का माहौल था. जसप्रीत ने सब की पसंद के पकवान बनाए मगर रहरह कर उस का मन मानव को याद कर रहा था.

सब के कहने पर न चाहते हुए भी जसप्रीत ने महरून सिल्क की साड़ी पहन ली थी. बहू अजीत ने सोने का सैट जबरदस्ती पहना दिया था.

बेटी ज्योत हुलसते हुए बोली, ‘‘मम्मी, सच में आज आप कमाल की लग रही हो.’’

तभी दरवाजे की घंटी बजी. मानव मिठाई के डब्बों और उपहारों के साथ खड़ा था.

जसप्रीत एकाएक घबरा गई. तभी कुलवंत ने आगे बढ़ कर मानव के पैर छू लिए, ‘‘अंकल, आप ने हमारे लिए वही किया है जो हमारे पापा जिंदा होते तो करते.’’

जसप्रीत का देवर भी बोल उठा, ‘‘भाभीजी को हम ने हमेशा गलत ही सम  झा, मगर हम ही गलत थे.’’

हंसीखुशी पटाखे छुड़ाते हुए मानव ने ही बताया, ‘‘पूरा प्लान ज्योत और अजीत का ही था.’’

देर रात को जब जसप्रीत और मानव अपने घर के लिए निकलने लगे तो मानव ने   झलक को पास बुला कर कहा, ‘‘बेटे, अब तुम्हारे इस शहर में 2 घर हैं, एक यह और एक दादी का.’’

ज्योत मुंह फुला कर बोली, ‘‘अंकल, क्या हम आप के परिवार का हिस्सा नहीं हैं?’’

मानव खुशी से बोला, ‘‘उठाओ सामान और अब कुछ दिन हमारे घर को भी गुलजार करो.’’

जसप्रीत आज मन ही मन कुदरत का धन्यवाद कर रही थी. देर से ही सही जसप्रीत को भी मुकम्मल जहां मिल गया था.

डायबिटीज के कौम्प्लिकेशन से चाहते हैं बचना, तो लाइफस्टाइल में करें ये बदलाव

डायबिटीज यानी मधुमेह एक ऐसी स्थिति है जो तब होती है जब आपका रक्त शर्करा (ग्लूकोज) बहुत अधिक होता है. यह तब विकसित होता है जब आपका अग्न्याशय पर्याप्त इंसुलिन नहीं बनाता है या बिल्कुल भी नहीं बनाता है या जब आपका शरीर इंसुलिन के प्रभावों पर ठीक से प्रतिक्रिया नहीं करता है. मधुमेह सभी उम्र के लोगों को प्रभावित करता है. अगर इसका सही तरीके से इलाज न किया जाए तो यह शरीर के कई हिस्सों को प्रभावित कर सकता है और अन्य बीमारियों को जन्म दे सकता है. हालांकि कुछ सरल उपायों से डायबिटीज की जटिलताओं से बचा जा सकता है.

 

आइये जानते हैं मैरिंगो एशिया हौस्पिटल गुरुग्राम के डा शिबल भट्टाचार्य से कि इस की जटिलताओं से कैसे बचा जा सकता है;

1. नियमित ब्लड शुगर की जांच करें

डायबिटीज के कौम्प्लिकेशन से बचने के लिए सबसे जरूरी है कि आप अपने ब्लड शुगर के स्तर को नियमित रूप से जांचते रहें. ब्लड शुगर की जांच से आपको पता चलेगा कि आपका शुगर लेवल सही है या नहीं. अगर यह नार्मल स्तर से ऊपर है, तो आपको इसे कंट्रोल करने के लिए कदम उठाने की जरूरत होगी.

ब्लड शुगर की जांच के लिए घर पर ग्लूकोमीटर का इस्तेमाल किया जा सकता है. इसके अलावा, समय-समय पर डौक्टर से सलाह लेना भी जरूरी है. डौक्टर आपको शुगर कंट्रोल करने के लिए जरूरी दवाइयां और डाइट प्लान दे सकते हैं.

2. सही डाइट फौलो करें

डायबिटीज के मरीजों को अपने खानेपीने का विशेष ध्यान रखना चाहिए. अनियंत्रित खानपान से शुगर लेवल बढ़ सकता है, जिससे कई प्रकार की समस्याएं हो सकती हैं. इसलिए डायबिटीज के मरीजों को संतुलित और हेल्दी डाइट का पालन करना चाहिए.

फाइबर युक्त भोजन करें: फाइबर युक्त भोजन जैसे साबुत अनाज, सब्जियां और फल खाने से शुगर लेवल नियंत्रित रहता है.

प्रोटीन का सेवन बढ़ाएं: दाल, अंडा, मछली, और दही जैसे प्रोटीन युक्त आहार से शरीर को एनर्जी मिलती है और शुगर भी कंट्रोल में रहता है.

मीठे का सेवन कम करें: मीठे खाने का सेवन करने से शुगर लेवल तेजी से बढ़ सकता है. इसलिए मिठाई, शुगर युक्त पेय और पैकेज्ड फूड्स से बचें.

छोटेछोटे भाग में खाना खाएं: दिन में 5-6 बार छोटे-छोटे मील्स लेने से ब्लड शुगर लेवल स्थिर रहता है.

3. नियमित व्यायाम करें

व्यायाम से शरीर में शुगर का स्तर कंट्रोल में रहता है और वजन भी कंट्रोल में रहता है. डायबिटीज के मरीजों के लिए नियमित व्यायाम करना बहुत जरूरी है. व्यायाम से न केवल ब्लड शुगर नियंत्रित होता है, बल्कि यह हृदय, फेफड़े और शरीर के अन्य अंगों को भी स्वस्थ रखता है.

ब्रिस्क वाक: हर रोज़ 30 मिनट तक तेज चलने की आदत डालें. इससे शरीर में इंसुलिन का उपयोग सही तरीके से होता है.

योग और ध्यान: योग और ध्यान से तनाव कम होता है, जिससे शुगर लेवल कंट्रोल में रहता है. डायबिटीज के मरीजों के लिए प्राणायाम और हल्के योगासन भी लाभकारी होते हैं.

स्ट्रेंथ ट्रेनिंग: हल्के वजन उठाने से मांसपेशियों की ताकत बढ़ती है और शरीर में शुगर की खपत होती है, जिससे ब्लड शुगर कंट्रोल रहता है.

4. तनाव से बचें

तनाव डायबिटीज के मरीजों के लिए एक बड़ा दुश्मन है. जब हम तनाव में होते हैं, तो शरीर में कॉर्टिसोल नामक हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है, जो ब्लड शुगर को बढ़ा सकता है. इसलिए तनाव से बचना जरूरी है.

मेडिटेशन करें:मेडिटेशन करने से मानसिक शांति मिलती है और तनाव कम होता है.

अच्छी नींद लें: पर्याप्त और गहरी नींद से शरीर को आराम मिलता है, जिससे तनाव कम होता है.

पसंदीदा गतिविधियों में शामिल हों: जो चीजें आपको खुशी देती हैं, जैसे कि पढ़ना, संगीत सुनना या चित्रकारी करना, उन्हें अपने रूटीन में शामिल करें.

5. दवाइयों का सही तरीके से सेवन करें

डायबिटीज को कंट्रोल करने के लिए अक्सर दवाइयों की जरूरत होती है. आपको अपनी दवाइयों का सेवन समय पर और डॉक्टर के निर्देशानुसार ही करना चाहिए. अगर आप दवाइयों का सही तरीके से सेवन नहीं करते हैं, तो इससे ब्लड शुगर का स्तर असामान्य हो सकता है और इससे कॉम्प्लिकेशन का खतरा बढ़ जाता है.

डौक्टर से नियमित जांच कराएं: अपनी दवाइयों की सही खुराक और असर के बारे में जानने के लिए डौक्टर से समय-समय पर परामर्श लें.

इंसुलिन का सही तरीके से इस्तेमाल करें: अगर आपको इंसुलिन लेने की जरूरत है, तो इसे सही तरीके से और समय पर लें.

6. धूम्रपान और शराब से बचें

धूम्रपान और शराब डायबिटीज के मरीजों के लिए बेहद खतरनाक हो सकते हैं. धूम्रपान करने से हृदय रोग, फेफड़ों की बीमारी और नसों को नुकसान हो सकता है. वहीं, शराब का अधिक सेवन ब्लड शुगर लेवल को अस्थिर कर सकता है.

धूम्रपान छोड़ें: अगर आप धूम्रपान करते हैं, तो इसे तुरंत बंद करें. यह डायबिटीज के कॉम्प्लिकेशन को रोकने में मदद करेगा.

शराब का सेवन सीमित करें: अगर आप शराब का सेवन करते हैं, तो इसे बहुत सीमित मात्रा में करें और डॉक्टर से इस बारे में सलाह लें

7. आंखों की नियमित जांच कराएं

डायबिटीज के मरीजों में आंखों की समस्या होना आम बात है. अगर ब्लड शुगर का स्तर कंट्रोल में नहीं है, तो इससे रेटिनोपैथी , मोतियाबिंद और ग्लूकोमा जैसी समस्याएं हो सकती हैं.

साल में एक बार आंखों की जांच कराएं: आंखों की किसी भी समस्या से बचने के लिए आपको साल में कम से कम एक बार अपनी आंखों की जांच करानी चाहिए.

शुगर कंट्रोल करें: अपनी ब्लड शुगर को कंट्रोल में रखने से आंखों से संबंधित समस्याओं का खतरा कम होता है.

8. किडनी का ख्याल रखें

डायबिटीज का सबसे बड़ा असर किडनी पर पड़ सकता है. अगर ब्लड शुगर लंबे समय तक उच्च रहता है, तो यह किडनी फेलियर का कारण बन सकता है.

नमक का सेवन कम करें: ज्यादा नमक खाने से किडनी पर दबाव बढ़ता है. इसलिए नमक का सेवन कम करें.

पानी अधिक पिएं: पर्याप्त मात्रा में पानी पीने से किडनी को स्वस्थ रखने में मदद मिलती है.

किडनी की जांच कराएं: साल में एक बार किडनी की जांच जरूर कराएं ताकि कोई भी समस्या समय पर पता चल सके|

9. अपने पैरों की देखभाल करें

डायबिटीज के मरीजों के पैरों में ब्लड सर्कुलेशन की समस्या हो सकती है, जिससे पैर की नसों में नुकसान हो सकता है और गंभीर इंफेक्शन का खतरा बढ़ सकता है.

पैरों को रोज धोएं और साफ रखें: पैरों को साफ और सूखा रखें ताकि इंफेक्शन न हो.

नियमित रूप से जांच करें: पैर में कोई भी चोट, सूजन या रंग परिवर्तन दिखाई दे तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें. आरामदायक जूते पहनें: ऐसे जूते पहनें जो आपके पैरों को आराम दें और घर्षण से बचाएं.

10. हृदय की देखभाल करें

डायबिटीज के मरीजों में हृदय रोग होने का खतरा अधिक होता है. इसलिए हृदय को स्वस्थ रखने के लिए ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रौल को नियंत्रित करना जरूरी है.

लो फैट वाले आहार लें : ऐसा भोजन करें जिसमें कम मात्रा में फैट हो ताकि कोलेस्ट्रॉल का स्तर कंट्रोल में रहे.

ब्लड प्रेशर की जांच करें : हाई ब्लड प्रेशर हृदय रोग का कारण बन सकता है, इसलिए ब्लड प्रेशर को नियमित रूप से जांचते रहें.

डायबिटीज के कौम्प्लिकेशन से बचने के लिए जीवनशैली में सुधार और समय पर डॉक्टर से सलाह लेना बहुत जरूरी है. नियमित ब्लड शुगर की जांच, सही आहार, व्यायाम और दवाइयों का सेवन इन सभी तरीकों से आप अपनी सेहत को बेहतर बना सकते हैं और डायबिटीज के कॉम्प्लिकेशन से बच सकते हैं.

कैसे की जाती है लिप सर्जरी, क्या इसके कोई नुकसान हैं ?

अकसर आप ने सुना होगा कि किसी ऐक्ट्रैस ने अपने होंठों की कौस्मेटिक सर्जरी कराई है ताकि उन के होंठ सुंदर और आकर्षक लगें.

हाल ही में आयशा टाकिया का एक फोटो सामने आया था जिस में उन के लिप्स बहुत अजीब दिख रहे थे। लोगों का कहना था कि ऐक्ट्रैस ने लिप सर्जरी कराई है, इसी वजह से उन का चेहरा बदल गया है.

सिर्फ आयशा टाकिया ही नहीं, बल्कि कई ऐक्ट्रैस सुंदर दिखने के लिए कौस्मेटिक सर्जरी की मदद लेती हैं.

लिप सर्जरी को लिप औग्मेंटेशन के नाम से भी जाना जाता है. इस सर्जरी से होंठों को शेप में लाया जाता है. आइए, जानते हैं लिप सर्जरी के बारे में कुछ जरूरी बातें :

Close up on woman during lip filler procedure

क्या है लिप औग्मेंटेशन

यह एक तरह की प्लास्टिक सर्जरी है, जो लिप्स की सुंदरता निखारने के लिए की जाती है. यह सर्जरी उन लोगों के लिए ज्यादा जरूरी है, जिनशके लिप्स शेप में नहीं होते हैं. कई लोगों ने इस सर्जरी की मदद से अपने लिप्स को सुंदर बनाए हैं, लेकिन कुछ लोगों का लुक लिप सर्जरी के कारण खराब भी हुआ है.
इस सर्जरी की मदद से होंठ को शेप में लाया जाता है. उस में कोलैजन इंजैक्ट या फैट ट्रांसफर किया जाता है.

होंठ कम करने की सर्जरी एक ही समय में आप के ऊपरी होंठ, आप के निचले होंठ या दोनों होंठों के आकार को कम कर सकती है.

लिप औग्मेंटेशन से जुड़ी खास बातें

होंठों की कौस्मेटिक सर्जरी कराने से पहले ऐक्सपर्ट की सलाह जरूर लें. क्योंकि यह सर्जरी हर किसी के लिए फायदेमंद नहीं है. अगर आप को कोई ऐलर्जी है, तो यह सर्जरी कराने से पहले डाक्टर को जरूर बताएं.

Beautiful woman lips before lip filler injections Fillers cosmetology aesthetic surgery and lip augmentation concept

होंठों की सर्जरी करवाने से पहले

होंठ कम करने की सर्जरी से पहले आप अपने कौस्मेटिक सर्जन से मिलें. आप के मन में जो भी सवाल हों, उन से पूछें. वह आप को इस कौस्मेटिक प्रक्रिया के बार में जानकारी देंगे. अगर आप का सर्जन निर्धारित करता है कि आप के लिप सर्जरी बेहतर है, तो ही आप लिप सर्जरी करवाएं.

कैसे की जाती है होंठों की सर्जरी

जानकारी के अनुसार, होंठों के अंदर और होंठ के एक सिरे से दूसरे सिरे तक छोटेछोटे चीरे लगाया जाता है. होठों को पतला करने और स्मार्ट लुक देने के लिए ऐकस्ट्रा स्किन और ऊतकों को हटा दिया जाता है. फिर टांकें लगा कर चीरों को बंद कर दिया जाता है. इस सर्जरी को पूरा करने में करीब 1 घंटे का समय लगता है.

भारत में होंठों की कौस्मेटिक सर्जरी करवाने का खर्च सर्जन की फीस और टैक्निकल चीजों के आधार पर अलगअलग हो सकती है. इस सर्जरी का खर्च ₹30,000 से ₹1,00,000 या इस से अधिक भी हो सकते हैं.

लिप औग्मेंटशन के फायदे

अगर आप अपने होठ को मनचाहा शेप देना चाहते हैं, तो यह सर्जरी आप के लिए सही औप्शन है. होंठों की खराब बनावट के कारण कई लोग डिप्रैशन के शिकार हो जाते हैं, ऐसे में यह कौस्मेटिक सर्जरी आप के लिए मददगार साबित हो सकती है. इस सर्जरी को कराने के दौरान किसी तरह का दर्द महसूस नहीं होता.

लिप औग्मेंटशन के साइड इफैक्ट्स

लिप सर्जरी करवाने के बाद होंठों में सूजन आ सकती है. कुछ लोगों को उस जगह पर रैडनेस आने की भी समस्या होती है. अगर सर्जरी करवाने के बाद कोई भी प्रौब्लम हो, तो अपने सर्जन से जरूर मिलें.

ब्रेकअप Song हो या रोमांटिक, खराब मूड को बेहतर बनाते हैं ये गाने

जिस तरह जिंदा रहने के लिए सांस लेना जरूरी है. ठीक उसी तरह जिंदगी को मजेदार बनाने के लिए या यूं कह सकते हैं जिंदगी के हर भाव को समझने के लिए संगीत बहुत जरूरी है. क्योंकि संगीत बिना जीवन अधूरा है. आप खुद ही सोच कर देखिए कि अगर आपकी जिंदगी में किसी भी तरह का संगीत नहीं है तो आपकी जिंदगी कितनी निराश और नीरस हो सकती है. संगीत में इतनी ताकत है कि वह न सिर्फ अच्छा मेडिटेशन है जिसे सुनकर सारे दुख टेंशन भूला कर चैन की नींद सोया जा सकता है.बल्कि संगीत के द्वारा पुराने समय में दिए तक जलाए गए हैं. शास्त्रीय संगीत में एक ऐसा राग भी है जो बारिश तक करा सकता है. संगीत में यह सारे राग शास्त्रीय संगीत के तहत राजा महाराजाओं के समय पर शास्त्रीय गायक द्वारा साबित तक किये गए हैं.

बहरहाल कोई भी युग हो ,कोई भी पीढ़ी हो, या कोई भी मौका हो संगीत के सात सुरों का संग और साथ हर जगह और हर समय बना रहता है . गौरतलब है शास्त्रीय संगीत गायक पंडित जसराज ने अपने संगीत के जरिए ऐसे धुन की खोज की थी . जिसे सुनने के बाद अनिद्रा की बीमारी वालों को भी नींद आ जाती है . कहने का मतलब यह है अच्छा संगीत सिर्फ मनोरंजन ही नहीं करता , बल्कि अन्य कई तरीकों से हमारी जिंदगी को स्वस्थ और सुंदर बनाता है.. जिसको संगीत से प्यार होता है वह कभी अकेला नहीं होता क्योंकि उसके साथ मनोरंजन के लिए अच्छा संगीत होता है. जो आपके खराब मूड को भी अच्छा बनाने की ताकत रखता है. लिहाजा जानते हैं कि संगीत हमारे जीवन में, हमारी सेहत के लिए, और हमारे दिमागी संतुलन को सही रखने के लिए के लिए कितना जरूरी और कितना फायदेमंद है. पेश है इसी सिलसिले पर एक नजर…..

फिल्मी गानों का आम लोगों की जिंदगी पर गहरा असर…

फिल्मी गानों का हमारे जीवन पर खास प्रभाव रहता है. जैसे की शादी विवाह पार्टी वगैरह में ऐसे गाने बजते हैं जिसमें ठुमके लगाने का अपने आप ही मन बन जाता है बस गाने का रिदम मस्ती से भरा और कर्ण प्रिय हो ऐसे गानों में हिंदी के अलावा भोजपुरी और साउथ के कई हिट गाने आते हैं जिसे सुनने के बाद हर उम्र के लोगों को नाचने का मन हो जाता है. इसी तरह जब दुख का माहौल होता हैं तो कुछ गाने ऐसे आपको प्रभावित करते हैं जो आपके दुख में आपका साथ देते हैं जैसे कहीं दूर जब दिन ढल जाए.. अकेला था मैं.. वो भूली दास्तां लो फिर याद आ गई और अगर रोमांटिक मूड हो.. तो . लग जा गले से फिर यह हंसी रात हो ना ना हो , शायद फिर इस जन्म में मुलाकात होना हो, तुम आ गए हो नूर आ गया है … आदि गाने रोमांटिक मूड में चार चांद लगा देते हैं, वही अगर ब्रेकअप का समय हो दिल टूट गया हो या प्रेमी से बिछड़ गए हो तो ,अकेले है चले आओ जहां हो .. लंबी जुदाई.. हर किसी को नहीं मिलता यहां प्यार जिंदगी में..

गानों के अलावा अरिजीत सिंह के कई गाने दिल टूटने के दौरान, या बहुत दुख होने पर खास तौर पर सुने जाते हैं इसके अलावा बच्चों को सुलाने के लिए लल्ला लल्ला लोरी दूध की कटोरी, मां से अपना प्यार दिखाने के लिए ए मैन तेरी सूरत से अलग भगवान की सूरत क्या होगी.. पति या पत्नी को तारीफ करके चने के झाड़ पर चढ़ने के लिए भी कई सारे रोमांटिक गाने बनाए गए हैं जिसमें एक गाना बीवी नंबर वन यह है बीवी नंबर वन प्रसिद्ध है. कहने का मतलब यह है मूड और माहौल कोई भी हो हर सिचुएशन के लिए गाने बने हुए हैं. जिसे हम समयसमय पर अपनी जिंदगी में शामिल करते रहते हैं.

अच्छे संगीत का हर कोई कायल

संगीत हमारे जीवन में अहम भूमिका निभाता है. क्योंकि संगीत चाहे जैसा हो, चाहे जिस जाति या देश का हो . क्लासिकल, पौप सौन्ग, भोजपुरी, दक्षिण भारतीय , चाइनीस, जापानी, कोरिया आदि किसी भी भाषा के गाने या चाहे जिस भी तरह का संगीत हो देसी हो या विदेशी गाने हो हर किसी को संगीत से प्यार होता है. कई बार तो गाने के बोल अलग भाषा के होने की वजह से हमें समझ भी नहीं आते लेकिन उसका संगीत और धुन इतनी मजेदार होती है कि वो गाना हमे बारबार सुनने का मन करता है .अपना मनपसंद संगीत हर कोई सुनना चाहता है. फिर चाहे वह आइटम नंबर धमाकेदार म्यूजिक वाले हो जो शादी पार्टी डिस्को में बजते हैं या फिर रोमांटिक गाना जो अपने प्रेमी या प्रेमिका को रिझाने के लिए खास तौर पर गाया जाता है. या फिर दिल टूटने पर दुख भरे फिल्मी गाने ही क्यों ना हो अंताक्षरी खेलने के दौरान हर अक्षर पर गाने वाले बिना सिर पैर के गाने ही क्यों ना हो . जो ऐसे तो हम कभी नहीं गाते लेकिन अंताक्षरी में जीतने के लिए हर तरह का गाना गा लेते हैं. संगीत हमारे जीवन इतना जरूरी हो गया है जितना कि जिंदा रहने के लिए खाना और पीना. पीने से याद आया पीने वालों के लिए भी कई ऐसे गाने हैं जिसे सुनते ही सारे बेवड़े अपनी शराब छोड़कर नाचना शुरू कर देते हैं या अगर वह कहीं दुखी है तो दुखी वाले गाने सुनकर थोड़ा ज्यादा शराब पीकर अपना गम गलत करने की कोशिश करते हैं. आप सोच भी नहीं सकते संगीत में इतने रंग और राग हैं और हर रंग और राग का अपना अलग ही मजा है .

1 साल पहले मेरी शादी हुई, लेकिन मैं अपने हसबैंड को प्यार नहीं करती हूं…

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है, तो ये लेख अंत तक जरूर पढ़ें…

सवाल

मेरी शादी 1 साल पहले हुई. हमारी अरैंज्ड मैरिज थी. लेकिन शादी से पहले हमदोनों एकदूसरे से मिले थे. तभी शादी के लिए हां की थी. लेकिन शादी के बाद भी मैं अपने पति को पसंद नहीं करती और अपने ऐक्स को अब तक नहीं भूल पाई हूं. सोचती हूं कि अब खुद को बदल कर मैं अपनी जिंदगी अपने पार्टनर के साथ बिताऊं, लेकिन ऐक्स बौयफ्रैंड की याद आने लगती है और पति से क्लोज नहीं हो पाती. यहां तक कि सैक्स के दौरान भी इंटिमेट होने में मुझे दिक्कत होती है. आप ही बताएं, मैं एक बौयफ्रैंड को कैसे भूल कर अपने पति के साथ खुशहाल जिंदगी बिताऊं?

जवाब

देखिए अकसर देखा गया है कि कई बार लड़कियां पेरैंट्स के दबाव देने पर अपनी शादी उन की पसंद के लड़के से कर लेती हैं, लेकिन शादी के बाद वे खुश नहीं रह पातीं, इससे अच्छा है कि शादी होने से पहले ही अपने पेरैंट्स को लव मैरिज के लिए मना लें.

खैर, अब तो आप की अरैंज्ड मैरिज हो चुकी है. तो हम आप को यही सलाह देंगे कि आप अपने ऐक्स को भूल कर अपनी शादी संभालने की कोशिश करें. अगर आप का पति लविंग और केयरिंग हैं, तो आप का भी यह फर्ज बनता है कि आप अपने पति की रिस्पैक्ट करें.

जैसाकि आप ने बताया कि आप की शादी को 1 साल हो गए, तो इतना समय बिताने के बाद भी अगर आप अपने बौयफ्रैंड को ही याद करेंगी, तो शादीशुदा जिंदगी पर गहरा असर पड़ेगा. समय रहते आप अपनी नई जिंदगी का स्वागत करें. पति के साथ कहीं बाहर घूमने जाएं. आप खुद पर ध्यान दें.

पतिपत्नी के बीच प्यार बनाए रखने के लिए फिजिकल रिलेशनशिप बहुत जरूरी है. जैसाकि आप ने कहा कि इंटिमेट होते समय भी आप को परेशानी होती है, तो सैक्स करने के दौरान आप कमरे को डैकोरेट करें. परफ्यूम का इस में महत्त्वपूर्ण योगदान है, जो आप को और आप के पति को फ्लैवर पसंद हो, उस परफ्यूम को चुनें. अपना ड्रैसिंग स्टाइल भी चेंज करें, जिस से आप के लुक में बदलाव आए और पति भी आपशकी तरफ आकर्षित हों.

पतिपत्नी के बीच इस तरह बढ़ाएं प्यार

वक्त के साथ हर रिश्ते में बदलाव आता है. इस बदलाव को स्वीकार कर पतिपत्नी को एकदूसरे का साथ देना चाहिए. इस रिश्ते को मजबूत बनाने के लिए एकदूसरे के लिए मन में रिस्पैक्ट जरूर होना चाहिए ताकि अगर आपसी मनमुटाव भी हो, तो दूर हो जाए.

आप अपने रिश्ते को रोमांटिक बनाने के लिए मूवी नाइट प्लान कर सकते हैं या डिनर पर जा सकते हैं, किसी रोमांटिक जगह पर हैंगआउट कर सकते हैं.

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