वह शाम भी उस ने जूली के साथ बिताई. पूरे समय जूली उस का आभार प्रकट करती रही. उस ने मनोज को कसम खिलाई कि वह भारत वापस जा कर उसे भूलेगा नहीं और हमेशा उसे फोन करेगा.
दूसरे दिन मनोज भारत के लिए वापस निकल आया. जूली ने आंखों में आंसू भर कर उसे भावभीनी विदाई दी. उस ने वादा किया कि वह जल्द से जल्द उसे पैसे वापस करेगी.
भारत वापस आने पर मनोज का हर रोज जूली से बात करने का सिलसिला जारी रहा. बातों से ही उसे पता चला कि जूली अपने घर लौट गई है और उस ने शौप खोल ली है. वह हर रोज अपने कार्य की प्रगति के बारे में उत्साह से उसे बताती, जैसे आज उस ने क्या खरीदा, उसे शौप में कैसे जमाया, लोग उस की दुकान पर आने लगे हैं, उसे उस के पैसे जल्द से जल्द चुकाने हैं इसलिए वह ज्यादा से ज्यादा मेहनत कर रही है.
इधर, दिन, हफ्ते, महीने बीत गए पर जूली ने मनोज का एक भी पैसा वापस नहीं किया. मनोज को तो भावेश, सुरेश और बाकी लोगों के पैसे वापस करने ही पड़े. दोनों अकसर उसे कहते कि उस ने धोखा खाया है. जूली ने उसे बेवकूफ बनाया है पर मनोज का मन यह मानने को तैयार नहीं होता. लेकिन आजकल वह जब भी जूली से पैसे लौटाने की बात करता, वह टालमटोल करने लगती, अपनी परेशानियां गिनाने लगती. फिर एक दिन अचानक जूली ने अपना फोन बंद कर दिया. मनोज महीनों उसे फोन लगाता रहा पर वह नंबर स्विच औफ ही आता. अब तो मनोज भी समझ गया कि उस ने धोखा खाया.
वह रातदिन जूली को गालियां देता और अपनी मूर्खता पर पछताता. ठगे जाने से वह बुरी तरह तिलमिला रहा था. उसे सब से ज्यादा जलन इस बात पर हो रही थी कि उस के दोस्त इस से बहुत कम पैसों में लड़कियों के साथ ऐश कर आए और वह इतना सारा पैसा खर्च कर के भी सूखा रह गया. बेकार की भावनात्मक सहानुभूति में पड़ कर अच्छाभला चूना लग गया.
2 साल बीत गए. जूली का अतापता नहीं था. मनोज भी उस कसक को जैसेतैसे कर के भूल गया था.
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एक दिन मुंबई में उस का एक दोस्त उस से मिलने आया. दोनों औफिस में मनोज के केबिन में बैठ कर बातें कर रहे थे. बातों ही बातों में उस के दोस्त अजय ने उसे बताया कि वह हाल ही में थाईलैंड के पटाया शहर गया था. और उस के बाद अजय की कहानी सुन कर मनोज सन्न रह गया. उसे लगा कि जैसे अजय उस की ही कहानी सुना रहा है. उस की कहानी का प्रत्येक शब्द और घटना वही थी जो
2 साल पहले मनोज के साथ घटी थी.
मनोज के घाव हरे हो गए. उस ने अजय को अपनी आपबीती सुनाई. सुन कर अजय भी बुरी तरह चौंक गया. उस ने तुरंत जूली को फोन लगाया क्योंकि उस के पास उस का नया नंबर था ही. उस ने स्पीकर औन कर के जूली से बात की. जूली की आवाज सुनते ही मनोज उसे पहचान गया. उस ने अजय को इशारे से बताया कि यह वही है. अब तो अजय भी बौखला गया और मनोज का तो गुस्से से बुरा हाल हो गया. उस के अंदर लावा उबलने लगा. वह जूली को अनापशनाप बोलने लगा. पहले तो वह अचकचा गई फिर मनोज को पहचान गई. मनोज उसे गालियां देने लगा तो जूली को भी गुस्सा आ गया.
‘‘देखिए, मिस्टर मनोज, जबान संभाल कर बात करिए. आप को कोई हक नहीं बनता मुझे बुराभला बोलने का,’’ जूली तीखे स्वर में बोली.
‘‘धोखेबाज, एक तो धोखा देती हो ऊपर से तेवर दिखाती हो. उलटा चोर कोतवाल को डांटे,’’ मनोज तिलमिला कर बोला.
‘‘धोखेबाज कौन है यह अपनेआप से पूछो,’’ जूली कड़वे स्वर में बोली, ‘‘तुम मर्द लोग विदेश जा कर कम उम्र की लड़कियों के साथ रंगरलियां मनाने और ऐश करने के लिए सदा लालायित रहते हो. दूसरी लड़कियों के साथ गुलछर्रे उड़ाने को आतुर रहते हो. लड़कियों के साथ घूमने और एंजौय करने, मौजमस्ती करते समय तुम्हें एक बार भी यह खयाल नहीं आता कि तुम अपनी पत्नियों के साथ धोखा कर रहे हो. लड़कियां तुम्हें हंस कर देख लें, तुम्हारे साथ मौजमस्ती कर लें तो तुम्हें अपना जीवन सार्थक और धन्य नजर आने लगता है. बोलो, तुम्हारा अंतर्मन एक बार भी तुम्हें कचोटता नहीं है?’’
फिर थोड़ा रुक कर –
‘‘मैं ने न तुम्हारी जेब काटी न बंदूक दिखा कर तुम्हें लूटा है. पैसे तुम ने अपनी मरजी से मुझे दिए थे.’’
‘‘लेकिन तुम ने पैसे वापस करने को तो कहा था न? उस का क्या?’’ मनोज गुस्से से बोला.
‘‘हां, कहा था. नहीं कहती तो क्या एक गरीब और असहाय लड़की की सहायता बिना किसी लालच के करते तुम लोग? नहीं, कभी नहीं करते. धोखा असल में मैं ने तुम्हें नहीं दिया, तुम्हारी गलत प्रवृत्ति ने तुम्हें दिया है. सचसच बताना, पैसा देने के बाद क्या तुम्हारे मन में मेरे साथ हमबिस्तर होने की तीव्र इच्छा नहीं हो रही थी? पैसे के एवज में क्या तुम लोग मेरा शरीर नहीं चाह रहे थे. वह तो मैं पूरे समय तुम्हें शराफत का वास्ता देती रही, इसलिए बच गई. और मैं तुम्हारी मर्यादा और चरित्र की झूठी तारीफें भी इसीलिए करती रहती थी कि तुम लोग अपनी हद में रहो.’’
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जूली की बातों की सचाई ने मानो उन्हें नंगा कर दिया. दोनों एकदूसरे से नजरें चुराते हुए सिर नीचा कर के बैठे रहे और जूली बोलती रही.
‘‘सच कहूं तो पुरुषों को उन की प्रवृत्ति ही धोखा देती है. नया रोमांच, नया अनुभव पाने की इच्छा ही उन्हें डुबोती है. तुम लोग अपनी पत्नियों के प्रति वफादार होते नहीं और हमें गालियां देते हो. क्या बुरा करती हूं जो तुम जैसे मर्दों से पैसा ऐंठ कर मैं आज तक अपनी इज्जत बचाती आई हूं. आज के बाद मुझे कभी फोन मत करना क्योंकि यह नंबर मैं आज ही बंद कर दूंगी. अच्छा हुआ, जो अजय को भी सच पता चल गया. गुडबाय,’’ और जूली ने फोन काट दिया.
अजय और मनोज सन्न हो कर चुप बैठे थे, जूली ने उन्हें आईना दिखा दिया था. चिडि़यां खेत चुग चुकी थीं.