जब सताने लगे अकेलापन

रंजना का अपने पति से तलाक हो गया सुन कर धक्का लगा. 45 वर्षीय रंजना भद्र महिला है. पति, बच्चे सब सुशिक्षित. भला सा हंसताखेलता परिवार. फिर अचानक यह क्या हुआ? बाद में पता चला कि रंजना ने दूसरी शादी कर ली. दूसरा पति हर बात में उन के पहले पति से उन्नीस ही है. किसी ने बताया रंजना की मुलाकात उस व्यक्ति से फेसबुक पर हुई थी और उन्हीं के बेटे ने उन्हें बोरियत से बचाने के लिए उन का फेसबुक पर अकाउंट बनाया था. प्रारंभिक जानपहचान के बाद उन की घनिष्ठता बढ़ती गई, जो बाद में प्यार में बदल गई. वह व्यक्ति भी उसी शहर का था. कभीकभी होने वाली मुलाकात एकदूसरे के बिना न रह सकने में तबदील हो गई. वह भी शादीशुदा था. इस शादी के लिए उस ने अपनी पत्नी को बड़ी रकम दे कर उस से छुटकारा पा लिया.

कुछ साल पहले तक ऐसे समाचार अखबारों में पढ़े जाते थे और वे सभी विदेशों के होते थे. तब अपने यहां की संस्कृति पर बड़ा मान होता था. लेकिन आज हमारे देश में भी यह आम बात हो गई है. हमारा सामाजिक व पारिवारिक परिवेश तेजी से बदल रहा है. इन परिवर्तनों के साथ आ रहे हैं मूल्यों और पारिवारिक व्यवस्था में बदलाव. आज संयुक्त परिवार तेजी से खत्म होते जा रहे हैं. सामाजिक व्यवस्था नौकरी पर टिकी है जिस के लिए बच्चों को घर से बाहर जाना ही होता है. पति के पास काम की व्यस्तता और बच्चों की अपनी अलग दुनिया. अत: महिलाओं के लिए घर में अकेले समय काटना मुश्किल हो जाता है. ऐसे में उन का सहारा बनती है किट्टी पार्टी या फेसबुक पर होने वाली दोस्ती.

आइए जानें कुछ उन कारणों को जिन के चलते महिलाएं अकेलेपन की शिकार हो कर ऐसे कदम उठाने को मजबूर हो रही हैं:

संयुक्त परिवार खत्म हो रहे हैं. एकल परिवार के बढ़ते चलन से पति व बच्चों के घर से चले जाने के बाद महिलाएं घर में अकेली होती हैं. तब उन का समय काटे नहीं कटता.

अति व्यस्तता के इस दौर में रिश्तेदारों से भी दूरी सी बन गई है. अत: उन के यहां आनाजाना, मिलनाजुलना कम हो गया है. साथ ही सहनशीलता में भी कमी आई है. इसलिए  रिश्तेदारों का कुछ कहना या सलाह देना अपनी जिंदगी में दखल लगता है, जिस से उन से दूरी बढ़ा ली जाती है.

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विश्वास की कमी के चलते सामाजिक दायरा बहुत सिमट गया है. अब पासपड़ोस पहले जैसे नहीं रह गए. पहले किस के घर कौन आ रहा है कौन जा रहा है की खबर रखी जाती थी. दिन में महिलाएं एकसाथ बैठ कर बतियाते हुए घर के काम निबटाती थीं. इस का एक बड़ा कारण दिनचर्या में बदलाव भी है. सब के घरेलू कामों का समय उन के बच्चों के अलग स्कूल टाइम, ट्यूशन की वजह से अलगअलग हो गया है.

पति की अति व्यस्तता भी इस का एक बड़ा कारण है. अब पहले जैसी 10 से 5 वाली नौकरियां नहीं रहीं. अब दिन सुबह 5 बजे से शुरू होता है, जो सब के जाने तक भागता ही रहता है. इस से पतिपत्नी को इतमीनान से साथ बैठ कर पर्याप्त समय बिताने का मौका ही नहीं मिलता. कम समय में जरूरी बातें ही हो पाती हैं.

ऐसे ही पुरुषों की व्यस्तता भी बहुत बढ़ गई है. सुबह का समय भागदौड़ में और रात घर पहुंचतेपहुंचते इतनी देर हो जाती है कि कहनेसुनने के लिए समय ही नहीं बचता. इसलिए आजकल पुरुष भी अकेलेपन का शिकार हो रहे हैं और औफिस में या फेसबुक पर उन की भी दोस्ती महिलाओं से बढ़ रही है जिन के साथ वे अपने मन की सारी बातें शेयर कर सकें.

यदि अकेले रहने की वजह परिवार से मनमुटाव है, तो ऐसे में पति का उदासीन रवैया भी पत्नी को आहत करने वाला होता है. उसे लगता है कि उस का पति उसे समझ नहीं पा रहा है या उस की भावनाओं की उसे कतई कद्र नहीं है. इस से पतिपत्नी के बीच भावनात्मक अलगाव पैदा हो रहा है.

टीवी सीरियलों में आधुनिक महिलाओं के रूप में जो चारित्रिक हनन दिखाया जा रहा है उस का असर भी महिलाओं के सोचनेसमझने पर हो रहा है. अब किसी पराए व्यक्ति से बातचीत करना, दोस्ती रखना, कभी बाहर चले जाना जैसी बातें बहुत बुरी बातों में शुमार नहीं होतीं, बल्कि आज महिलाएं अकेले घर का मोरचा संभाल रही हैं. ऐसे में बाहरी लोग आसानी से उन के संपर्क में आते हैं.

पति परमेश्वर वाली पुरानी सोच बदल गई है.

इंटरनैट के द्वारा घर बैठे दुनिया भर के लोगों से संपर्क बनाया जा रहा है. ऐसे में अकेलेपन, हताशानिराशा को बांट लेने का दावा करने वाले दोस्त महिलाओं की भावनात्मक जरूरत में उन के साथी बन कर आसानी से उन के फोन नंबर, घर का पता हासिल कर उन तक पहुंच बना रहे हैं.

नौकरीपेशा महिलाएं भी घरबाहर की जिम्मेदारियां निभाते हुए इतनी अकेली पड़ जाती हैं कि ऐसे में किसी का स्नेहस्पर्श या  भावनात्मक संबल उन्हें उस की ओर आकर्षित करने के लिए काफी होता है.

अत्यधिक व्यस्तता और तनाव की वजह से पुरुषों की सैक्स इच्छा कम हो रही है. सैक्स के प्रति पुरुषों की अनिच्छा स्त्रियों में असंतोष भरती है. ऐसे में किसी और पुरुष द्वारा उन के रूपगुण की सराहना उन में नई उमंग भरती है और वे आसानी से उस की ओर आकर्षित हो जाती हैं. लेकिन क्या ऐसे विवाहेतर संबंध सच में महिलाओं या पुरुषों को भावनात्मक सुकून प्रदान कर पाते हैं? होता तो यह है कि जब ऐसे संबंध बनते हैं दिमाग पर दोहरा दबाव पड़ता है. एक ओर जहां उस व्यक्ति के बिना रहा नहीं जाता तो वहीं दूसरी ओर उस संबंध को सब से छिपा कर रखने की जद्दोजेहद भी रहती है. ऐसे में यदि कोई टोक दे कि आजकल बहुत खुश रहती हो या बहुत उदास रहती हो तो एक दबाव बनता है.

जब संबंध नएनए बनते हैं तब तो सब कुछ भलाभला सा लगता है, लेकिन समय के साथ इस में भी रूठनामनाना, बुरा लगना, दुख होना जैसी बातें शामिल होती जाती हैं. बाद में स्थिति यह हो जाती है कि न इस से छुटकारा पाना आसान होता है और न बनाए रखना, क्योंकि तब तक इतनी अंतरंग बातें सामने वाले को बताई जा चुकी होती हैं कि इस संबंध को झटके से तोड़ना कठिन हो जाता है. हर विवाहेतर संबंध की इतिश्री तलाक या दूसरे विवाह में नहीं होती. लेकिन इतना तो तय है कि ऐसे संबंध जब भी परिवार को पता चलते हैं विश्वास बुरी तरह छलनी होता है. फिर चाहे वह पति का पत्नी पर हो या पत्नी का पति पर अथवा बच्चों का मातापिता पर. बच्चों पर इस का सब से बुरा असर पड़ता है. एक ओर जहां उन का अपने मातापिता के लिए सम्मान कम होता है वहीं परिवार के टूटने की आशंका भी उन में असुरक्षा की भावना भर देती है, जिस का असर उन के भावी जीवन पर भी पड़ता है और वे आसानी से किसी पर विश्वास नहीं कर पाते.

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यदि परिवार और रिश्तेदार इसे एक भूल समझ कर माफ भी कर दें तो भी आगे की जिंदगी में एक शर्मिंदगी का एहसास बना रहता है, जो सामान्य जिंदगी बिताने में बाधा बनता है. विवाहेतर संबंध आकर्षित करते हैं, लेकिन अंत में हाथ लगती है हताशा, निराशा और टूटन. इन से बचने के लिए जरूरी है कि अकेलेपन से बचा जाए. खुद को किसी रचनात्मक कार्य में लगाया जाए. अपने पड़ोसियों से मधुर संबंध बनाए जाएं, रिश्तेदारों से मिलनाजुलना शुरू किया जाए. अपने पार्टनर से अपनी परेशानियों के बारे में खुल कर बात की जाए और अपने पूर्वाग्रह को भुला कर उन की बातें सुनी और समझी जाएं. हमारी सामाजिक व पारिवारिक व्यवस्था बहुत मजबूत और सुरक्षित है. इसे अपने बच्चों के लिए इसी रूप में संवारना हमारा कर्तव्य है. आवेश में आ कर इसे तहसनहस न करें.

रिश्ते को बना लें सोने जैसा खरा

पतिपत्नी के बीच मतभेद होना बहुत ही स्वाभाविक सी बात है, क्योंकि दोनों अलगअलग सोच, धारणाओं और परिवारों के होते हैं. एक में धैर्य है तो दूसरे को बहुत जल्दी क्रोध आ जाता है और एक मिलनसार है तो दूसरा रिजर्व रहता है. ऐसे में लोहे और पानी की तरह उन के मतभेदों का औक्सीडाइज्ड होना बहुत आम बात है. लोहे और पानी के मिलने का अर्थ ही है जंग लगना. नतीजा रिश्ते में बहुत जल्दी कड़वाहट का जंग लग जाता है.

ऐसा न हो इस के लिए जानिए कुछ उपाय:

हो सोने जैसा ठोस

अगर हम अपने रिश्ते को सोने जैसा बना लें और सोने की खूबियों को अपने जीवन में ढाल लें, तो मतभेद रूपी जंग कभी भी वैवाहिक जीवन में लगने ही न पाए. सोने की सब से बड़ी खूबी यह होती है कि वह ठोस होता है, इसलिए उस में कभी जंग नहीं लगता और न ही उस के टूटने का खतरा रहता है. अपने वैवाहिक रिश्ते को भी आपसी समझ, प्यार और विश्वास की नींव पर खड़ा करते हुए इतना ठोस बना लें कि वह भी सोने की तरह मजबूत हो जाए.

आपसी विश्वास, सम्मान और साथी के साथ संवाद स्थापित कर आसानी से रिश्ते में आए खोखलेपन को दूर किया जा सकता है. सोना न तो अंदर से खोखला होता है न ही इतना कमजोर कि उसे हाथ में लो तो वह टूट जाए या उस में दरार आ जाए. आप का साथी, जो कह रहा है उसे मन लगा कर सुनें और यह जताएं कि आप को उस की परवाह है. बेशक आप को उस की बात ठीक न लगती हो, पर उस समय उस की बात काटे बिना सुन लें और बाद में अपनी तरह से उस से बात कर लें. ऐसा होने से मतभेद होने से बच जाएंगे और आप के रिश्ते की नींव भी खोखली नहीं होगी. सोने जैसी ठोस जब नींव होगी, तो जीवन में आने वाले किसी भी तूफान के सामने न तो आप का रिश्ता हिलेगा न टूटेगा. सच तो यह है कि आप का रिश्ता सोने की तरह हर दिन मजबूत होता जाएगा.

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हो प्यार की चमक

सोने का ठोस होना ही नहीं, उस की चमक भी सब को अपनी ओर आकर्षित करती है. पास से ही नहीं दूर से भी देखने पर सोने की चमक वैसी ही लगती है और उसे पाने की चाह महिला हो या पुरुष दोनों में बराबर रूप से बलवती हो उठती है. वैवाहिक रिश्ते में केवल शारीरिक रूप से ही नहीं, बल्कि वैचारिक व संवेदनशील रूप से भी यह चमक बरकरार रहनी चाहिए. सोने जैसा चमकीलापन पाने के लिए पतिपत्नी में प्यार और समर्पण की भावना समान रूप से होनी चाहिए. सोने की चमक पानी है तो वह सिर्फ प्यार से ही पाई जा सकती है और केवल प्यार होना ही काफी नहीं है, उसे जताने में भी पीछे न रहें. वैसे ही जैसे सोने का आभूषण जब आप पहनती हैं तो उसे बारबार दिखाने का प्रयास करती हैं और लोगों को उस के बारे में बढ़चढ़ कर बताती हैं. तो फिर आप अपने साथी को प्यार करती हैं, तो उसे बढ़चढ़ कर कहने में हिचकिचाहट क्यों? तभी तो चमकेगा आप का रिश्ता सोने की तरह.

जैसा चाहो ढाल लो

सोना महिलाओं की खूबसूरती में अगर चार चांद लगाता है, तो उस की दूसरी सब से बड़ी खासीयत है उस का पिघल कर किसी भी रूप में ढल जाना. ठोस होने के बावजूद सोना पिघल जाता है और फिर हम जैसा चाहते हैं वैसा उसे आकार देते हैं. अगर आप विवाह के बाद सोने की ही तरह स्वयं को पति के परिवार वालों या पति के अनुरूप ढाल लेती हैं, तो रिश्ता सदा सदाबहार रहता है और उस में जंग लगता ही नहीं. अपने को ढाल लेने का मतलब अपनी खुशियों या इच्छाओं की कुरबानी देना या अपना अस्तित्व खो देना नहीं होता, बल्कि इस का मतलब तो दूसरों की खुशियों और इच्छाओं का मान करना होता है. एक पहल अगर आप करती हैं तो यकीन मानिए दूसरे भी पीछे नहीं रहते. विवाह होने के बाद आप केवल पत्नी ही नहीं बनती हैं, वरन आप को बहुत सारे रिश्तों में अपने को ढालना होता है. अहंकार और इस भावना से खुद को दूर रखते हुए कि साथी की बात मानना झुकना होता है, उस के अनुरूप एक बार ढल जाएं. फिर देखें वह कैसे आप के आगे बिछ जाता है.

उपहार दें

सोना एक ऐसी चीज है जिसे उपहार में मिलना हर कोई पसंद करता है. उस के सामने अन्य चीजें फीकी पड़ जाती हैं. आज जब हम सोने की कीमत पर नजर डालते हैं तो पता चलता है कि वह निरंतर महंगा होता जा रहा है. फिर भी न तो विभिन्न मौकों पर सोना खरीदने वालों में कमी आई है और न ही उसे गिफ्ट में देना बंद हुआ है. वजह साफ है कि सोना शानोशौकत का प्रतीक है और व्यक्ति की हैसियत, उस के रहनसहन को समाज में उजागर करता है. आप जितना सोना पहन कर कहीं जाती हैं, उस से आप की हैसियत का भी अंदाजा लगाया जाता है.

सोने की ही तरह अपने रिश्ते में भी एक शानोशौकत को बरकरार रखें. अपने वैवाहिक जीवन की छोटीछोटी बातों का आनंद लें और साथी को गिफ्ट देना न भूलें. अपने घर की सज्जा और अपनी जीवनशैली पर ध्यान दें और पूरी मेहनत करें ताकि सोने की तरह आप के जीवन में भी शानोशौकत बनी रहे.

प्रशंसा करें

सोने के गहने हों या उस से बनी कोई नक्काशी या उस से किया कपड़ों पर काम, आप प्रशंसा किए बिना नहीं रह पाती हैं. ठीक वैसे ही आप साथी की भी प्रशंसा करने में कोताही न बरतें. इस से उसे महसूस होगा कि आप उस से प्यार करती हैं, उस को पसंद करती हैं. प्रशंसा करने के लिए बड़ीबड़ी बातों का इंतजार न करें. उस की छोटीछोटी बातों की भी तुरंत प्रशंसा कर दें. इस से उस के चेहरे पर खुशी आ जाएगी. इसी तरह अगर पति अपनी पत्नी की झूलती लटों की प्रशंसा कर दे, तो वह खुश हो अपना सारा प्यार उस पर लुटा देगी.

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सुरक्षा है सदा के लिए

महंगा होने पर भी लोग सोना इसलिए खरीदते हैं, क्योंकि वे जानते हैं कि मुसीबत के समय यही काम आएगा. सोना जहां सौंदर्य का प्रतीक है, वहीं वह यह मानसिक संतुष्टि भी प्रदान करता है कि कभी जीवन में कठिनाइयों ने घेरा तो उसे बेच कर काम चला लेंगे. सोना एक सुरक्षा का एहसास देता है, इसलिए उस के पास होने से हम निश्चिंत रहते हैं. सोने जैसा स्थायित्व, मानसिक संतुष्टि और राहत का एहसास वैवाहिक जीवन में भी पाया जा सकता है. युगल को केवल आर्थिक ही नहीं, हर पहलू से यह आश्वासन चाहिए होता है कि मुसीबत के समय उस का साथी उस का साथ देगा. उसे वह मझधार में नहीं छोड़ेगा. अपने साथी को सुरक्षित होने का एहसास कराना आवश्यक है. उस के सुखदुख में साथ दे कर, उस की परेशानियों को समझ कर आप ऐसा कर सकते हैं. अगर जीवन में मानसिक संतुष्टि हो और एक स्थायित्व की भावना तो वह बहुत सुगमता और मधुरता से आगे बढ़ सकता है, वह भी तमाम हिचकोलों के बीच.

एक दूसरे को समझो-समझाओ

लेखक-वीरेन्द्र बहादुर सिंह

क्या आप के वैवाहिक जीवन में नीरसता आने लगी है? क्या आप का वैवाहिक जीवन बोरिंग हो गया है? आप अपने वैवाहिक जीवन से संतुष्ट हैं? इस तरह के तमाम सवाल हमारे मन में एठते होंगे. तो चलो आप की इस बेरंगी वैवाहिक जिंदगी को प्रेम के रंगों से सजा कर नीरसता को दूर करते हैं. इस तरह के नुस्खे आजमाते हैं, जिसके द्वारा आप के वैवाहिक जीवन से जो रोमास गायब हो गया है, नीचे दिए गए नुस्खों से संबंध को रिचार्ज करें, जिससे आप के वैवाहिक जीवन में प्यार और रोमांस घटने के बजाय बढ़ेगा और आप एक बार फिर हनीमून के लिए तैयार हो जाएं. तो आइए जानते हैं वे नुस्खेः

स्पर्श और छेड़छाड़ जरूरीः

आपकी शादी हुए कुछ साल बीत गए हैं तो इसका मतलब यह नहीं कि आप दोनों के बीच छेड़छाड बंद हो जाए. बल्कि समय या एकांत मिलते ही सबकी नजरें बचा कर चोरीचुपके से अपने प्रियजन के साथ थोड़ी छेड़छाड़ कर लेनी चाहिए. हो सकता है आपकी इस पहल से वह तुम पर वारी जाएं और आपके और निकट आ जाएं.

रोकटोक बिलकुल नहींः

हर आदमी में कोई न कोई कमी होती है. इसका मतलग यह नहीें कि आप उनके हर काम में रोकटोक करे. इस रोकटोक को किनारे कर के उन्हेंअ वह काम करनके दें, जो आप को पसंद नहीं है. आप के इस बदले व्यवहार से वह खुद ही अपनी भूल को सुधारने की कोशिश अवश्य करेंगे.

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आफ हुए मूड को फिर से ऑन करेंः

अगर आफिस में अधिक काम करने से आप दोनों का मूड खराब है तो घर आ कर उसे और अधिक खराब न करें. एकदूसरे के मूड को ठीक करने की कोशिश करें. अगर लगता है कि फिर भी मूड ठीक नहीं है तो मूड के शांत होने की राह देखें और धैर्य से काम लें. हो सके तो एकदूसरे थोड़ा हंसीमजाक कर लें. इससे सारा गुस्सा गायब हो जाएगा.

व्हाट्सएप पर मैसेज और फोटो भेजेंः

शादी से पहले आप का फोन उनके मैसेज और फोटो से भरा रहता था. उस समय यह समझ में नहीं आता कि कौन सा फोटो रखें और कौन सा डिलीट कर दें. शादी होने के बाद यह सिलसिला कब बंद हो गया, पता ही नहीं चला. यदि आप चाहती हैं कि आप के मैसेज पढ़ कर और फोटो देख कर उनके चेहरे पर फिर से पहले जैसी मुसकान आ जाए तो एक बार फिर यह सिलसिला शुस् कर दें और एकदूसरे को मैसेज द्वारा अपने प्यार की गहराई का का अहसास कराएं, जिससे एक बार आप दोनों को पुराने दिनों की याद ताजा हो जाए.

डेट पर जाओः

शादी के बाद आप दोनों के दिमाग से डेट जैसा शब्द गायब हो गया है. सच है न? यदि हां तो इसे तुरंत दूर करें और अपने लिए डेट पर जाने का एक बढ़िया सा प्रोग्रम सेट करें. आप जहां पहले जाते थे, उन्हीं जगहों पर एक बार फिर जा कर पुरानी यादें ताजा करें और जिंदगी का भरपूर आनंद उठाएं.

अन्य से तुलना या बराबरी न करेंः

इस बात का हमेशा ध्यान रखें कि अपने पार्टनर की तुलना किसी अन्य के साथ न करें. आप के इस व्यवहार से उनके मन को ठेस पहुंच सकती है. इसलिए इस आदत को तुरंत छोड़ दें. अपने पार्टनर की तुलना किसी अन्य से करने के बजाय सब के सामने उनकी प्रशंसा करें, जिससे उनके मन और दिमाग में आप के प्रति प्रेम उपजे.

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बुराई न करेंः

हर दंपति को अपना परिवार सब से प्यारा होता है. इसलिए एकदूारे के परिवार के लिए अनुचित शब्दों का प्रयोग न करें. दोनों परिवारों को ध्यान में रख कर परिजनों के बारे में एकदूसे से अच्छी आतें करें. अगर में परिवार में किसी की बात बुरी लगती है तो आपस में समझदारी से सुलझाएं.

दोस्तों के साथ समय बिताएंः

भले ही दोस्तों की लिस्ट लंबी है, पर इसका मतलब यह नहीं कि आप उउनके दोस्तों का अनादर करें. अगर आप को उनके दोस्त अच्छे नहीं लगते तो उन्हें प्रेमसे बताइए. इतना याद रखें कि दोस्तों का ले कर अपने संबंध में किसी तरह की खटास नहीं आनी चाहिए. इस बात का ध्यान रखें.

हर काम में सहयोग और साथ देंः

यदि आप को लगता है कि आप के पार्टनर के पास काम अधिक है तो उनके काम में सहयोग-साथ दें. ऐसा करने से उनके मन मन में आप के प्रति इज्जत और प्रेम बढ़ेगा. कोई भी काम करने में कभी हीनता का अनुभव नहीं करना चाहिए. यह नहीं सोचना चाहिए कि यह काम पत्नी का है, वही करेगी. इस विचार में परिवर्तन ला कर पत्नी के छोटेमोटे काम कर के उसकी मदद करेंगे तो उसका भी समय बचेगा, जिससे कामकाज की व्यस्तता और थकावट की उसकी शिकसयत कत होगी. वह भी आप के हर काम में मदद करने को तैयार रहेगी. इस तरह अगर दोनों एकदूसरे को समझ कर चलेंगे और हर काम में मदद करने की शर्म संकोच का अनुभव नहीं करेंगे तो आप के संसार चक्र की गाड़ी हमेशा प्रेमपूर्वक बिना रुके चलती रहेगी.

व्यवस्थित रहेंः

शादी के पहले और शादी के कुछ दिनों बाद तक हर युवक-युवती खुद पर ध्यान रखते हैं. पर उसके बाद खुद पर ध्यान देना कम कर देते हैं, जो गलत है. शादी के पहले जिस तरह आप दोनों सजधज कर और व्यवस्थित हो कर घूमते थे. शादी के बाद भी आप उसी तरह रहें और एकदूसरे की पसंद-नापसंद को ध्यान में रख कर अपने कपड़ों और परफ्रयूम की पसंद करें. उन्हें जो पसंद हो, उस तरह अपनेअपने लुक को सजाने की कोशिश करें, जिससे आप को उस तरह सजाधजा देख कर उनका दिल प्रेम करने को तैयार हो जाएगा. कामकाज के साथसाथ अपने व्यक्तिगत जीवन के प्रति भी सजग रहें. इस तरह अव्यवस्थित हो कर घूमने की अपेक्षा समय और स्थान के अनुरूप कपड़े पहने ओर उसी हिसाब से तेयार हो, जिससे आपकी पर्सनालिटी में चार चांद लग लग जाए.

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सरप्राइज देंः

शादी की सालगिरह और बर्थडे पर तो आप दोनों एकदूसरे को सरप्राइज देते ही होंगे. पर इसके अलावा भी सरप्राइज दी जाए तो वह आप के लिए बहुत ही अच्छी होगी. इससे उनके मन में आप के प्रति प्रेम बढ़ेगा. यह जरूरी नहीं कि सरप्राइज देने के लिए खास मौका या दिन देखा जाए. अपने प्रेम को व्यक्त करने के लिए इस तरह अचानक कोई सरप्राइज देने से सामने वाला हेरान रह जाएगा और उसकी खुशी का ठिकाना नहीं रहेगा. सरप्राइज भी ऐसी होनी चाहिए कि जिसकी उम्मीद न हों पैसे कि पैकेज टूर, मोबाइल या लैपटॉप आदि. इस तरह की सरप्राइज उन्हें हमेशा याद रहेगी.

सेक्स की पहलः

दांपत्यजीवन में हर रोग की एक ही जड़ीबूटी है सेक्स. सेक्स दांपत्यजीवन का मजबूत पाया है. इससे मुंह फेरने का मतलब दांपत्यजीवन में कड़वाहट लाना. अगर वह सेक्स के लिए पहल करते हैं तो कभीकभार आप भी पहल करें. इसमें हीनता का अनुभव करने की कोई जरूरत नहीं है. उसके बाद देखें आप की इस पहल का स्वागत कर के वह आप को कितना प्यार करते हैं.

इस तरह अपने वैवाहिक जीवन में इस तरह की छोटीछोटी बातों का ध्यान रखेंगी तो आप के वैवाहिक जीवन की गाड़ी आराम से और प्रेमपूर्वक चलती रहेगी और आप दोनों हमेशा हनीमून के लिए तेयार रहेंगे. उपर्युक्त ये सभी बातें आप के वैवाहिक जीवन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण और जरूरी हैं.

 

रिश्तों में थोड़ी दूरी है जरूरी

24 वर्षीय राखी (बदला हुआ नाम) को अभी तक समझ नहीं आ रहा है कि यह सब कैसे हो गया. खूबसूरत राखी सदमे में है. उस के साथ जो हादसा हुआ वह वाकई अप्रत्याशित था. तेजाबी हमला केवल शरीर को ही नहीं झुलसाता, बल्कि मन पर भी फफोले छोड़ जाता है. इस के दर्द से छुटकारा पाने में कभीकभी जिंदगी गुजर जाती है.

ऐसा भी नहीं है कि राखी ने हिम्मत हार ली हो, बल्कि अच्छी बात यह है कि वह अपनी तरफ से इस हादसे से उबरने की पूरी कोशिश कर रही है. उसे जरूरत है, तो एक अच्छे माहौल, सहयोग और सहारे की, जो उस की हिम्मत बनाए रखे.

अल्हड़ और चंचल राखी भोपाल करीब 7 साल पहले पढ़ने के लिए सिवनी से आई थी, तो उस के मन में खुशी के साथसाथ उत्साह और रोमांच भी था. उस की बड़ी बहन भी भोपाल के एक नर्सिंग कालेज में पढ़ रही थी.

राखी के पिता उसे पढ़ालिखा कर काबिल बनाना चाहते थे, क्योंकि बदलते वक्त को उन्होंने सिवनी जैसे छोटे शहर में रहते भी भांप लिया था कि लड़कियों को अच्छा घरवर और नौकरी मिले, इस के लिए जरूरी है कि वे खूब पढ़ेंलिखें. इस बाबत कोई कमी उन्होंने अपनी तरफ से नहीं छोड़ी थी. लड़कियों को अकेले छोड़ने पर दूसरे अभिभावकों की तरह यह सोचते हुए उन्होंने खुद को तसल्ली दे दी थी कि अब जमाना लड़कियों का है और शहरों में उन्हें कोई खतरा नहीं है बशर्ते वे अपनी तरफ से कोई गलती न करें.

अपनी बेटियों पर उन्हें भरोसा था, तो इस की एक वजह उन की संस्कारित परवरिश भी थी. वैसे भी राखी समझदार थी. उसे नए जमाने के तौरतरीकों का अंदाजा था. उसे मालूम था कि अपना लक्ष्य सामने रख कर कदम बढ़ाने हैं. इसीलिए किसी तरह की परेशानी या भटकाव का सवाल ही नहीं उठता था.

ऐसा हुआ भी. देखते ही देखते राखी ने बीई की डिग्री ले ली. भोपाल का माहौल उसे समझ आने लगा था कि थोड़ा खुलापन व एक हद तक लड़केलड़कियों की दोस्ती बुरी नहीं, बल्कि बेहद आम और जरूरी हो चली है. दूसरी मध्यवर्गीय लड़कियों की तरह उस ने अपनी तरफ से पूरा एहतियात बरता था कि ऐसा कोई काम न करे जिस से मांबाप की मेहनत, उम्मीदें और प्रतिष्ठा पर आंच आए. इस में वह कामयाब भी रही थी.

डिग्री लेने के बाद नौकरी के लिए राखी को ज्यादा भटकना नहीं पड़ा. उसे जल्द ही भोपाल के एक पौलिटैक्निक कालेज में लैक्चरर के पद पर नियुक्ति मिली, तो खुशी से झूम उठी. कोई सपना जब साकार हो जाता है, तो उस की खुशी क्या होती है, यह राखी से बेहतर शायद ही कोई बता पाए. हालांकि तनख्वाह ज्यादा नहीं थी, पर इतनी तो थी कि वह अब अपना खर्चा खुद उठा पाए और कुछ पैसा जमा भी कर सके.

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राखी बहुत खुश थी कि अब अपने पिता का हाथ बंटा पाएगी जो न केवल सिवनी, बल्कि पूरे समाज व रिश्तेदारी में बड़े गर्व से बताते रहते हैं कि एक बेटी नर्सिंग की पढ़ाई पूरी करने वाली है, तो दूसरी पौलिटैक्निक कालेज में लैक्चरर बन गई है. उस के पिता का परंपरागत व्यवसाय टेलरिंग और सिलाई मशीनों का है, जिस से आमदनी तो ठीकठाक हो जाती है पर इस में खास इज्जत नहीं है. अब उस के पिता गर्व से सिर उठा कर कहते हैं कि बेटियां भी बेटों की तरह नाम ऊंचा करने लगी हैं. बस उन्हें मौका व सुविधाएं मिलनी चाहिए.

अब राखी ने भोपाल के पौश इलाके की अरेरा कालोनी में किराए का कमरा ले लिया. उस के मकानमालिक एसपी सिंह इलाहाबाद बैंक में मैनेजर हैं. उन की पत्नी दलबीर कौर देओल से राखी की अच्छी पटने लगी थी. अपने हंसमुख स्वभाव और आकर्षक व्यक्तित्व के चलते जल्द ही महल्ले वाले भी उस के कायल हो गए थे, क्योंकि राखी अपने काम से काम रखती थी.

फिर कहां चूक हुई

पर राखी की जिंदगी में सब कुछ ठीकठाक नहीं था. तमाम एहतियात बरततेबरतते भी एक चूक उस से हो गई थी, जिस का खमियाजा वह अभी तक भुगत रही है.

हुआ यों कि राखी 2 साल पहले अपनी चचेरी बहन की शादी में गई थी. वहां अपने हंसमुख स्वभाव के कारण घराती और बराती सभी के आकर्षण का केंद्र बन गई. चूंकि वह अपनी जिम्मेदारी को बखूबी समझती थी, इसलिए शादी के कई काम उसे सौंप दिए गए. बाहर पढ़ रही लड़कियां ऐसे ही मौकों पर अपने तमाम रिश्तेदारों और समाज के दूसरे लोगों से मिल पाती हैं. ऐसे समारोहों में नए लोगों से भी परिचय होता है.

शादी के भागदौड़ भरे माहौल में किसी ने उसे अपनी कजिन के जेठ से मिलवाया तो राखी ने उन्हें सम्मान देते हुए बड़े जीजू संबोधन दिया और पूरे शिष्टाचार से उन से बातचीत की. पर राखी को उस वक्त कतई अंदाजा नहीं था कि बड़े जीजू, जिस का नाम त्रिलोकचंद है नौसिखिए और नएनए लड़कों की तरह उस पर पहली ही मुलाकात में लट्टू हो गया है. लव ऐट फर्स्ट साइट यह राखी ने सुना जरूर था पर ऐसा उस के साथ वह भी इस रिश्ते में और इन हालात में होगा, उसे यह एहसास कतई नहीं था.

हंसतेखेलते मस्ती भरे माहौल में शादी संपन्न हो गई. राखी वापस भोपाल आ गई. लेकिन पूरी शादी के दौरान त्रिलोकचंद उस के पीछे जीजासाली के रिश्ते की आड़ में पड़ा रहा, तो उस ने इसे अन्यथा नहीं लिया, क्योंकि शादियों में ऐसा होता रहता है और फिर अपनेअपने घर जा कर सब अपने काम में व्यस्त हो जाते हैं. दोबारा मुद्दत बाद ही ऐसे किसी फंक्शन में मिलते हैं.

लेकिन त्रिलोकचंद राखी को नहीं भूल पाया. वह रिश्ते की इस शोख चुलबुली साली को देख यह भूल गया कि वह 2 बच्चों का बाप और जिम्मेदार कारोबारी है. छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ शहर में उस की मोबाइल की दुकान है.

भोपाल आए 3-4 दिन ही गुजरे थे कि राखी के मोबाइल पर त्रिलोकचंद का फोन आया, जिसे शिष्टाचार के नाते वह अनदेखा नहीं कर सकी. बातचीत हुई फिर हलका हंसीमजाक हुआ जीजासालियों जैसा. तब भी राखी ताड़ नहीं पाई कि त्रिलोकचंद की असल मंशा क्या है.

धीरेधीरे त्रिलोकचंद के रोज फोन आने लगे. वह बातें भी बड़ी मजेदार करता था, जो राखी को बुरी नहीं लगती थीं. इन्हीं बातों में कभीकभी वह राखी की खूबसूरती की भी तारीफ कर देता, तो उसे बड़ा सुखद एहसास होता था. लेकिन यह तारीफ एक खास मकसद से की जा रही है, यह वह नहीं समझ पाई.

धीरेधीरे राखी त्रिलोकचंद से काफी खुल गई. तब वह खुल कर बातें करने लगी. यही वह मुकाम था जहां वह अपने सोचनेसमझने की ताकत खो चुकी थी. अपने बहनोई से बौयफ्रैंड की तरह बातें करना कितना बड़ा खतरा साबित होने वाला है यह वह नहीं सोच पाई. उलटे उसे इन बातों में मजा आने लगा था.

यों ही बातचीत में एक दिन त्रिलोकचंद ने उसे बताया कि वह कारोबार के सिलसिले में भोपाल आ रहा है और उस से मिलना चाहता है तो राखी ने तुरंत हां कह दी, क्योंकि अब इतनी और ऐसी बातें जीजासाली के बीच हो चुकी थीं कि उस में न मिलने की कोई वजह नहीं रही थी.

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त्रिलोकचंद भोपाल आया तो राखी के लिए यह एक नए किस्म का अनुभव था. वह बड़े जीजू के साथ घूमीफिरी, होटलों में खायापीया और जो बातें कल तक फोन पर होती थीं वे आमनेसामने हुईं, तो उस की रहीसही झिझक भी जाती रही. अब वह पूरी तरह से त्रिलोकचंद को अपना दोस्त और हमदर्द मानने लगी थी.

जब बात समझ आई

अब त्रिलोकचंद हर महीने 700 किलोमीटर दूर डोंगरगढ़ से भोपाल राखी से मिलने आने लगा, तो राखी की यह समझ आने में कोई वजह नहीं रह गई थी कि कारोबार तो बहाना है. बड़े जीजू सिर्फ उस से मिलने आते हैं. इस से उस के दिल में गुदगुदी होने लगी कि कोई उस पर इस हद तक मरता है.

हर महीने त्रिलोकचंद भोपाल आता और राखी पर दिल खोल कर पैसे खर्च करता. शौपिंग कराता, घुमाताफिराता. 2-3 दिन रुक कर चला जाता. राखी उस से प्यार नहीं करने लगी थी पर यह तो समझने लगी थी कि त्रिलोकचंद सिर्फ उस के लिए भोपाल आता है. अब उसे उस के साथ स्वच्छंद घूमनेफिरने और बतियाने में कोई झिझक महसूस नहीं होती थी.

दुनिया देख चुके त्रिलोकचंद ने जब देखा कि राखी उस के जाल में फंस चुकी है, तो एक दिन उस ने बहुत स्पष्ट कहा कि राखी मैं तुम से प्यार करने लगा हूं और अपनी पत्नी को तलाक दे कर तुम से शादी करना चाहता हूं. अब मेरी ख्वाहिशों और जिंदगी का फैसला तुम्हारे हाथ में है.

इतना सुनना था कि राखी के पैरों तले की जमीन खिसक गई. जिस मौजमस्ती, दोस्ती और बातचीत को वह हलके में ले रही थी उस की वजह अब जब उस की समझ में आई तो घबरा उठी, क्योंकि त्रिलोकचंद के स्वभाव को वह काफी नजदीक से समझने लगी थी.

इस प्रस्ताव पर सकते में आ गई राखी तुरंत न नहीं कह पाई तो त्रिलोकचंद के हौसले बुलंद होने लगे. उसे अपनी मुराद पूरी होती नजर आने लगी. उसे उम्मीद थी कि देरसवेर राखी हां कह ही देगी, क्योंकि लड़कियां शुरू में इसी तरह चुप रहती हैं.

अब राखी नौकरी करते हुए एक नई जिम्मेदारी से रूबरू हो रही थी, जिस में सम्मान भी था और कालेज की प्रतिष्ठा भी उस से जुड़ गई थी. अब वह अल्हड़ लड़की से जिम्मेदार टीचर में तबदील हो रही थी. उस का उठनाबैठना समाज के प्रतिष्ठित लोगों से हो चला था.

अब उसे त्रिलोकचंद की पेशकश अपने रुतबे के मुकाबले छोटी लग रही थी, साथ ही रिश्तेदारी के लिहाज से भी यह बात रास नहीं आ रही थी. लेकिन दिक्कत यह थी कि अपने इस गले पड़े आशिक से एकदम वह खुद को अलग भी नहीं कर पा रही थी, क्योंकि उसे जरूरत से ज्यादा मुंह भी उस ने ही लगाया था.

जून महीने के पहले हफ्ते से ही त्रिलोकचंद राखी के पीछे पड़ गया था कि इस बार दोनों जन्मदिन एकसाथ मनाएंगे. राखी का जन्मदिन 21 जून को था और उस का 22 जून को. कल तक जो बड़ा जीजू शुभचिंतक और प्रिय लगता था वह एकाएक गले की फांस बन गया तो राखी की समझ में नहीं आया कि अब वह क्या करे. अब वह फोन पर पहले जैसी इधरउधर की ज्यादा बातें नहीं करती थी और कोशिश करती कि जल्द बात खत्म हो.

इस बदलाव को त्रिलोकचंद समझ रहा था. वह चिंतित रहने लगा था. लिहाजा वह 17 जून को मोटरसाइकिल से डोंगरगढ़ से भोपाल आया और कारोबारी इलाके एम.पी. नगर के एक होटल में ठहरा. उस के इरादे नेक नहीं थे. वह आर या पार का फैसला करने आया था. इस के लिए वह अपने एक दोस्त राहुल तिवारी को भी साथ लाया था.

तेजाबी हमला

18 जून की सुबह राखी रोज की तरह कालेज जाने को तैयार हो रही थी. तभी त्रिलोकचंद का फोन आया और उस ने बर्थडे साथ मनाने की बाबत पूछा तो राखी ने उसे टरका दिया. उसे अंदाजा ही नहीं था कि त्रिलोकचंद डोंगरगढ़ नहीं, बल्कि भोपाल में ही है और रात को अपने साथी सहित उस के आनेजाने के रास्ते की रैकी कर चुका है.

राखी का जवाब सुन कर उसे समझ आ गया कि अब वह नहीं मानेगी. तब एक खतरनाक फैसला उस ने ले लिया. सुबह करीब 9 बजे जब राखी घर से कालेज जाने के लिए बसस्टौप पैदल जा रही थी. तभी एक मोटरसाइकिल उस के पास आ कर रुकी, जिसे राहुल चला रहा था. उस के पीछे बुरके में एक औरत बैठी थी. राहुल को राखी नहीं पहचानती थी. राहुल जैसे ही राखी से पता पूछने लगा पीछे बुरके में बैठे त्रिलोकचंद ने उस के ऊपर तेजाब फेंक दिया और फिर मोटरसाइकिल तेज गति से चली गई.

तेजाब की जलन से राखी चिल्लाते हुए घर की तरफ भागी. तेजाब की जलन से बचने के लिए उस ने दौड़तेदौड़ते अपने कपड़े उतार दिए. उस की चिल्लाहट सुन कर लोगों ने उसे देखा जरूर पर मदद के लिए कोई आगे नहीं आया. आखिरकार एक परिचित महिला उषा मिश्रा ने उसे पहचाना और सहारा दिया. मकानमालकिन की मदद से वे उसे अस्पताल ले गईं. सारे शहर में खबर फैल गई कि एक लैक्चरर पर ऐसिड अटैक हुआ.

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नाटकीय तरीके से त्रिलोकचंद डोंगरगढ़ में गिरफ्तार हुआ और उस ने अपना जुर्म कबूल कर लिया. फिर सारी कहानी सामने आई. त्रिलोकचंद ने कहा कि उस ने राखी पर लाखों रुपए खर्च किए हैं. पहले वह शादी के लिए राजी थी पर लैक्चरर बनने के बाद किसी और से प्यार करने लगी थी, इसलिए उस की अनदेखी करने लगी थी. यह बात उस से बरदाश्त नहीं हुई तो इस धोखेबाज साली को सबक सिखाने की गरज से उस ने उस पर तेजाब फेंक दिया.

एक सबक

राखी अब धीरेधीरे ठीक हो रही है पर इस घटना से यह सबक मिलता है कि नजदीकी रिश्तों में भी तयशुदा दूरी जरूरी है, क्योंकि जब रिश्तों की सीमाएं और मर्यादाएं टूटती हैं, तो ऐसे हादसों का होना तय है.

राखी की गलती यह भी थी कि उस ने जीजा को जरूरत से ज्यादा मुंह लगाया, शह दी और नजदीकियां बढ़ाईं, जो अकेली रह रही लड़की के लिए कतई ठीक नहीं. जब त्रिलोकचंद उस पर पैसे खर्च कर रहा था तभी उसे समझ जाना चाहिए था कि उस की नीयत में खोट है वरना कोई क्यों किसी पर लाखों रुपए लुटाएगा.

लड़कियां इस बात पर इतराती हैं कि कोई उन पर मरता है, रोमांटिक बातें करता है, उन के एक इशारे पर कुछ भी करने को तैयार रहता है. उन्हें राखी की हालत से सीख लेनी चाहिए कि ऐसे रोमांस का अंजाम क्या होता है.

नजदीकी रिश्तों में हंसीमजाक में हरज की बात नहीं. हरज की बात है हदें पार कर जाना. मन में शरीर हासिल कर लेने की इच्छा इन्हीं बातों और शह से पैदा होती है. अकेली रह रही लड़कियां जल्दी त्रिलोकचंद जैसे मर्दों के जाल में फंसती हैं और जब वे सैक्स या शादी के लिए दबाव बनाने लगते हैं, तो उन से कन्नी काटने लगती हैं.

मर्दों को बेवकूफ समझना लड़कियों की दूसरी बड़ी गलती है, जो पुरुष लड़कियों पर पैसा और वक्त जाया कर रहा है, वह बेवजह नहीं है. उस की कीमत वह वसूलने पर उतारू होता है तो लड़कियों के सामने 2 ही रास्ते रह जाते हैं- या तो हथियार डाल दें या फिर किनारा कर लें. लेकिन दोनों हालात में नुकसान उन्हीं का होता है.

ऐसे में जरूरी यह है कि ऐसी नौबत ही न आने दी जाए. जीजा, देवर, दूरदराज के कजिन, अंकल, मुंहबोले भाई और दूसरे नजदीकी रिश्तेदारों से एक दूरी बना कर रहा और चला जाए तो उन की हिम्मत इतनी नहीं बढ़ती. अगर अनजाने में ऐसा हो भी जाए तो जरूरी है कि शादी या सैक्स की पेशकश होने पर जो एक तरह की ब्लैकमेलिंग और खर्च किए गए पैसे की वसूली है पर तुरंत घर वालों को सारी बात सचसच बता दी जाए, क्योंकि ऐसे वक्त में वही आप की मदद कर सकते हैं.

वैसे भी घर से दूर शहर में रह रही युवतियों को ऐसे पुरुषों से सावधान रहना चाहिए. उन से मोबाइल पर ज्यादा बात नहीं करनी चाहिए. एसएमएस नहीं करने चाहिए और सोशल मीडिया पर भी ज्यादा चैट नहीं करना चाहिए. तोहफे तो कतई नहीं लेने चाहिए और न ही अकेले में मिलना चाहिए. इस के बाद भी कोई गलत पेशकश करे तो तुरंत मुंहतोड़ जवाब देना चाहिए.

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मेरे पति के सीमन में शुक्राणु नहीं हैं, हम बच्चे के लिए क्या करें?

सवाल

मेरी उम्र 28 वर्ष है. मैं एक प्राइवेट कंपनी में कार्यरत हूं. मेरे पति के सीमन में शुक्राणु नहीं हैं. हम बच्चे के लिए क्या करें?

जवाब

आप के पति की शारीरिक रचना की जांच करनी होगी. स्पर्म बैंक से स्पर्म ले कर डोनर आईयूई का रास्ता प्रभावी साबित हो सकता है. हो सकता है कि आप के पति का स्पर्म कहीं रुक रहा हो. अगर ऐसा है तो उस का भी इलाज संभव है.

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बड़े काम की है शीघ्रपतन की जानकारी

आज के दौर में हर उम्र के मर्दों में शीघ्रपतन की समस्या देखने में आ रही है. आम भाषा में इसे जल्दी पस्त हो जाना और अंगरेजी में इसे प्रीमैच्योर इजैकुलेशन या अर्ली इजैकुलेशन कहा जाता है. ऐसा अकसर अंग में प्रवेश से पहले या उस के तुरंत बाद हो सकता है. इस की वजह से दोनों पार्टनर सैक्स संबंधों के लिहाज से असंतुष्ट रहते हैं.

दरअसल, शीघ्रपतन आदमियों में सैक्स की आम समस्याओं में से एक है. शायद हर मर्द अपनी जिंदगी में कभी न कभी इस परेशानी से घिरता है. अगर अंग में डालने से पहले ही मर्द का वीर्य गिर जाता है, तो ऐसे में उस जोड़े में बच्चे पैदा न होने की समस्या भी पेश आती है.

शीघ्रपतन की समस्या का असर आदमी की सैक्स लाइफ पर देखने को मिलता है. इस समस्या के चलते आदमी अपनी लाइफ पार्टनर या प्रेमिका को सैक्स सुख नहीं दे पाता. इस से नाजायज संबंध भी बन जाते हैं, जिस का नतीजा कई बार परिवार के टूटने के रूप में भी होता है.

इस समस्या के हल के लिए लोग नीमहकीमों के चंगुल में भी फंस जाते हैं, जो उन को लूटते हैं और समस्या को सुलझाने के बजाय और बढ़ा देते हैं.

ज्यादा हस्तमैथुन करने से शरीर के बायोलौजिकल क्लौक का सैट हो जाना है. इस की वजह से आदमी को क्लाइमैक्स पर पहुंचने की जल्दी होती है और वह जल्दी से जल्दी मजा पाना चाहता है.

* सैक्स के बारे में ज्यादा सोचना भी शीघ्रपतन के लिए जिम्मेदार होता है. सैक्स फैंटेसी या पोर्न फिल्में देखने से भी आदमी ज्यादा जोश में आ जाता है और जल्दी ही पस्त हो जाता है.

* शराब के ज्यादा सेवन या डायबिटीज की वजह से भी शीघ्रपतन की समस्या पैदा हो सकती है.

* सैक्स संबंध बनाने के शुरुआती दिनों में भी इस तरह की समस्या पैदा हो जाती है.

* नया पार्टनर होने के चलते जोश में जल्दी वीर्य गिर सकता है.

* जल्दी पस्त होना इस बात पर भी निर्भर करता है कि जोश देने का तरीका कैसा है.

* ओरल सैक्स से भी आदमी जल्दी डिस्चार्ज हो सकता है.

क्या करें?

अगर शीघ्रपतन की समस्या आप की जिंदगी में भी तनाव की वजह बन चुकी है, तो इसे चुपचाप सहन न करते रहें, बल्कि अपने डाक्टर से मिलें. वह आप की शारीरिक जांच कर इस की वजह पता लगाने की कोशिश करेगा.

डाक्टर के साथ खुल कर अपनी सैक्स लाइफ के बारे में बात करें और अगर कभी किसी बीमारी से पीडि़त हैं, तो उस के बारे में भी किसी तरह की जानकारी न छिपाएं.

ये उपाय भी आजमाएं

* जल्दी पस्त होना रोकने के लिए लंबी सांसें लें.

* जब भी वीर्य निकलने का समय हो, अपने साथी को लंबी सांसें लेने को कहें. इस से धड़कनों की रफ्तार कम होगी और वीर्य जल्दी नहीं निकलेगा.

* सैक्स के पहले इस प्रक्रिया के बारे में उसे अच्छे से समझाएं.

* ‘निचोड़ने की विधि’ के तहत अपने साथी के अंग को नीचे से जोर से दबाएं. ऐसा तब करें, जब आप के साथी का वीर्य निकलने वाला हो. इस से उस के अंग का इरैक्शन कम होगा और वीर्य नहीं निकलेगा.

* जल्द वीर्य को गिरने से रोकने के लिए स्टौप एंड स्टार्ट विधि अपनाएं. इस के तहत अपने साथी को 3 से 4 बार हस्तमैथुन करने के लिए कहें, जिस में वीर्य निकलने के समय पर उस का रुकना जरूरी है. इस से उसे पता चलेगा कि किस समय इजैकुलेशन होता है और वह इस पर अच्छे से काबू भी कर सकता है.

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शीघ्रपतन और दवाएं

ऐसा नहीं है कि शीघ्रपतन होने से हर किसी के मन में तनाव की भावना पैदा हो जाती है. कुछ लोग इसे ले कर ज्यादा नहीं सोचते और इस का हल अपने तरीके से निकालते हैं. लेकिन अगर आप को लगता है कि इस से आप के मजे में कमी आ रही है, तो आप जोलोफ्ट, प्रोजाक जैसी दवाओं का सेवन कर सकते हैं. ये दवाएं शीघ्रपतन रोकने में आप की मदद करती हैं व आप का साथी बिस्तर पर आने से कई घंटे पहले भी इन दवाओं का सेवन कर सकता है.

एक बार इस दवा का सेवन कर लेने पर जब आप दोनों अच्छा वक्त बिताना शुरू कर रहे हों, तो उस समय मर्द की कामुकता में इजाफा होगा. इस से न सिर्फ वीर्य निकलने से रुकेगा, बल्कि पहले के मुकाबले आप के सैक्स संबंध भी बेहतर होंगे.

इन दवाओं के सेवन के लिए बेहतर यही होगा कि आप किसी माहिर सैक्स डाक्टर से सलाह लें.

इस के अलावा जोश रोकने के लिए अंग पर लोकल एनैस्थैटिक क्रीम या स्प्रे का भी इस्तेमाल किया जा सकता है. अंग में जोश में कमी आने से वीर्य गिरने में देरी आएगी. कुछ मर्दों में कंडोम का इस्तेमाल भी इसी तरह जोश घटाने में मददगार होता है.

आमतौर पर आदमी वीर्य गिरने को कंट्रोल करना सीख लेते हैं. इस बारे में जानकारी हासिल करना और कुछ आसान उपायों को अपनाने से हालात पूरी तरह सामान्य हो जाते हैं, लेकिन लंबे समय तक शीघ्रपतन की समस्या का जारी रखना आदमी में डिप्रैशन या एंग्जाइटी की वजह से हो सकता है. किसी मनोवैज्ञानिक से मिल कर इन परेशानियों को दूर किया जा सकता है.

(लेखक दिल्ली के अपोलो अस्पताल में सीनियर कंसल्टैंट हैं)

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अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

ताकि ताउम्र निभे रिश्ता

पतिपत्नी मिठास भरे पलों का तो सुख अनुभव करते ही हैं, खटास भी एक चुनौती की तरह उन्हें एकदूसरे के साथ मैत्रीपूर्ण वातावरण में रहने की प्रेरणा देती है. बिना विवाहप्रथा के दुनिया एक तमाशा बन कर रह जाती. विवाह ने स्त्रीपुरुष के संबंधों को समाज में एक स्थायी स्थान दिया है. पश्चिम में पहले पहचान और प्रेम फिर शादी, लेकिन हमारे यहां पहले शादी, फिर प्यारमोहब्बत होती थी. उत्तर में अधिकतर विवाह अभी तक अजनबी परिवारों के लड़केलड़कियों के बीच ही होते हैं. आजकल के विवाहों में अधिकतर लड़केलड़कियां एकदूसरे को पहले से ही जान जाते हैं. आपस में प्यार होता है या नहीं यह जरूरी नहीं, प्रेम विवाहों को प्राथमिकता भी दी जा रही है.

खुशी से निभे रिश्ता

विवाह चाहे किसी का भी हो, कहीं भी हो, एक बात तो तय है कि लड़के और लड़की का एकदूसरे को पहचानना निहायत जरूरी है, क्योंकि प्यारपूर्वक अपना जीवन साथसाथ, लंबे अरसे तक निभाना है. जीवन में खुशियां कहीं बाहर से नहीं टपकतीं, दोनों को मिल कर एकदूसरे की भावनाओं की कद्र करते हुए सारे काम पूरे करने होते हैं. यह तभी मुमकिन है जब दोनों ऐसा चाहें. घर के किसी भी काम की जिम्मेदारी किसी एक की नहीं होती. यह बात और है कि सहूलत के लिए हम कुछ काम बांट लें. समय के साथ बदलाव आ रहे हैं और खुशी है कि पति इस बात को समझने लगे हैं. मिसाल के तौर पर खाना बनाने में पत्नी की मदद करना, पत्नी की नौकरी पर एतराज न करना व घर के कामों में हाथ बंटाना इत्यादि.

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खटपट के कारण

मतभेद के कारणों पर नजर डालें तो पाएंगे कि ज्यादातर केसेज में या तो एकदूसरे के परिवारों को ले कर झगड़े होते हैं या पति/पत्नी के जीवन में कोई दूसरी/दूसरा आ जाती/जाता है. शादी के बाद पत्नी को सरनेम तो पति का ही लेना होता है, हालांकि कुछ पत्नियां मायके का सरनेम रिटेन करती हैं. परिवारों में अकसर यह देखा गया है कि लड़का अपने मांबाप से खुल कर अपनी पत्नी की पसंदनापसंद कह नहीं पाता. उलटे हर दफा पत्नी को ही चुप करा देता है. ऐसे में दोनों एकदूसरे को अच्छी तरह समझेंगे तभी बात बनेगी. हर हालत में रिश्ता पहले पति और पत्नी का भरोसेमंद होना चाहिए, तभी वातावरण अच्छा बनता है और बच्चे अच्छे संस्कार पाते हैं.

अकसर यह देखा गया है कि मातापिता बच्चों की शादी की पहले जमाने के हिसाब से तुलना करते हैं, जो ठीक नहीं है. पहले झगड़े होने के मौके ही नहीं आते थे. पति परमेश्वर माना जाता था. जो फैसला उस ने कर दिया वही पत्नी को मान्य होता था. पर अब जमाना बदल चुका है. लड़कियां पढ़लिख कर अच्छी नौकरियां कर रही हैं और खूब पैसा कमा रही हैं. पतिपत्नी का रिश्ता ब्लड रिलेशन न होते हुए भी जीवन में सब से अधिक अहमियत रखता है. आखिर तक साथ निभाने का आश्वासन. जो लोग इस रिश्ते की अहमियत न समझ कर खिलवाड़ की तरह लेते हैं, एकदूसरे की भावनाओं को ठेस पहुंचाते हैं, उन से बड़ा बेवकूफ कोई नहीं. वहां परिवार के टूटने की नौबत आना स्वाभाविक है.

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न करें हनीमून पर ये मिस्टेक्स

शादी तय होते ही विवेक हनीमून की कल्पना की ऊंची उड़ान भरने लगा. मन ही मन कई तरह के प्लान बनाने लगा. वह दिन भी आ गया जब वह अपनी पत्नी को ले कर हनीमून के लिए चला गया. मगर दोनों जल्द ही घर लौट आए. ऐसी क्या बात हुई कि दोनों अपने बनाए प्रोग्राम के पहले ही घर लौट आए? असल में हनीमून के दौरान विवेक से कुछ मिसटेक हो गई, जिस की वजह से हनीमून का मजा ही खराब हो गया. शादी तय होते ही लोग हनीमून के सपने देखने लगते हैं, लेकिन हनीमून के दौरान वे कुछ मिसटेक्स कर देते हैं, जिन की वजह से हनीमून का भरपूर मजा नहीं ले पाते हैं. हनीमून के दौरान कुछ जरूरी बातों पर ध्यान रख कर गलतियों से बच सकते हैं. मसलन:

कहां जाना है मिल कर करें फैसला:

हनीमून पर दो जनों को जाना होता है. इसलिए इस का फैसला एक जना न करे, कहीं ऐसा न हो आप जिस जगह पर हनीमून के लिए गए हैं, वह जगह आप के पार्टनर को पसंद न हो. मौसम के अनुसार आरामदायक, खुशनुमा व सुकून वाली जगह चुनें. पहले बजट बनाएं: हनीमून पर जाने से पहले बजट बना लें ताकि बाद में आप को परेशानी का सामना न करना पड़े, दिखावे के चक्कर में विदेश जाने या हाईफाई जगह रुकने का प्लान न बनाएं. अपनी हैसियत से अधिक बजट आप के हनीमून में बाधा डाल सकता है. अपने बजट में बनाया गया हनीमून टूअर ही हनीमून का सही आनंद देगा.

ऐडवैंचर टूअर न बनाएं:

अपने हनीमून टूअर को ऐडवैंचर टूअर न बनाएं. कई जोड़े अपने हनीमून टूअर को ऐडवैंचर टूअर बना लेते हैं. वे स्वयं को इतना थका लेते हैं कि बिस्तर पर जाते ही नींद के आगोश में चले जाते हैं, जिस से हनीमून का सारा मजा किरकिरा हो जाता है. फालतू बातें न करें: घूमते वक्त फालतू बातें न करें. कहीं किसी गार्डन या शांत जगह बैठ कर रोमांटिक बातें करें या आंखोंआंखों में बातें करें.

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दूसरे कपल्स को न घूरें:

देखा गया है कि अनेक लड़के हनीमून टूअर पर दूसरे कपल्स को खासकर लड़कियों कोे घूरते नजर आते हैं. असल में लड़कों की फितरत होती है लड़कियों पर नजर डालने की, लेकिन उन्हें समझना चाहिए कि वे बैचलर लाइफ से मैरिज लाइफ में ऐंट्री कर चुके हैं. ऐसे में जीवनसंगिनी को आप की यह आदत खटक सकती है.

मोबाइल रखें बंद:

आजकल अधिकतर लोग मोबाइल कौल, नैट या गेम पर बिजी रहते हैं. मोबाइल पर बिजी होने पर एकदूसरे पर से ध्यान हट जाता है. हनीमून के दौरान मोबाइल को पूरी तरह बंद रखें. जब घर वालों से बात करनी हो उस वक्त थोड़े समय के लिए चालू कर लें.

शूट न करें:

कुछ जोड़े इतने ऐक्साइट रहते हैं कि अपनी फर्स्ट नाइट के क्रियाकलापों को शूट कर लेते हैं. रोमांच के इन पलों को शूट करना अच्छी बात नहीं है. पिछले दिनों इंदौर का एक जोड़ा मुंबई हनीमून के लिए गया था. उन्होंने अपनी फर्स्ट नाइट की लाइव शूटिंग करनी शुरू की. उन का फोन औटो मोड पर था. ऐसे में उन की पूरी शूटिंग औनलाइन हो गई. उन के जितने फ्रैंड्स औनलाइन थे, उन्होंने इस का मजा लिया. किसी समझदार दोस्त ने उन्हें फोन कर के इस बारे में जानकारी दी तो दोनों शर्म से पानीपानी हो गए.

टीवी बंद रखें:

मोबाइल के बाद ज्यादातर लोगों को टीवी देखने का शौक होता है. हनीमून के दौरान टीवी देख कर अपने रोमांटिक पलों को कम न करें. कमरे में आने के बाद सब से पहले रिमोट कहीं छिपा दें ताकि दूसरे को टीवी चलाने का मौका न मिले.

लाइट म्यूजिक सुनें:

रोमांटिक होने के लिए गाना सुनना तो ठीक है पर उन हसीन पलों में गाना सुनना ठीक नहीं है. ऐसे मौके पर गाने सुनने से ध्यान बंट जाता है और सैक्स का मजा खराब हो जाता है. उस दौरान मदहोश कर देने वाला लाइट म्यूजिक ठीक रहेगा.

सैक्स में ही न डूबे रहें:

हनीमून की मस्ती में डूबे रहना तो अच्छी बात है पर हर वक्त सैक्स में डूबे रहना अच्छी बात नहीं है शादी के बाद सैक्स ऐंजौय का साधन जरूर है, पर इस के लिए सारी जिंदगी भी तो पड़ी है, मजा लें पर लिमिट में. तब इस का आनंद कुछ और ही होगा. पास्ट में न झांकें: विवेक और प्रतिमा हनीमून पर गए थे. रोमांच और मौजमस्ती के दौरान विवेक अपनी पत्नी के पास्ट में झांकने की कोशिश करने लगा. उस ने प्रतिमा से पूछा उस के कितने बौयफ्रैंड हैं? उन के साथ कभी बैड भी शेयर किया क्या? विवेक की बातें सुन कर उस के दिल को बड़ा धक्का लगा. उस का सारा उत्साह रफूचक्कर हो गया.

विवेक ने जब महसूस किया कि प्रतिभा उस की बात का बुरा मान गई है तब उसे अपनी गलती का एहसास हुआ. उस ने प्रतिभा से माफी मांगते हुए कहा कि यह सब तो उस ने मजाक में कहा था. लेकिन प्रतिभा के दिल को गहरी चोट लगी थी. वर्षों गुजर जाने के बाद भी वह इस बात को भुला नहीं पाई. इसलिए ऐसी बातें जीवनसाथी से न करें, जिन से लाइफ टाइम आप को पछताना पड़े.

जल्दबाजी न करें:

बैड पर सैक्स ऐक्ट के समय जल्दबाजी में न रहें. आप ने सुना होगा, जल्दबाजी का काम शैतान का होता है. फिर आप शैतान का काम क्यों करना चाहेंगे? बडे़ इत्मीनान से सैक्स का भरपूर आनंद लें.

सहज रहें:

इस बात से न डरें कि आगे कुछ गड़बड़ न हो जाए. डर और घबराहट की वजह से किसी प्रकार की प्रौब्लम हो सकती है. अत: बिलकुल सहज रहें. कई लड़कियां अपनेआप को शर्मीली या एकदम से बिंदास दिखाने की कोशिश करती हैं. ये दोनों ही बातें ठीक नहीं हैं. आप जीवनसाथी के सामने वैसे ही रहने की कोशिश करें जैसी आप हैं.

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नखरे न करें:

सैक्स के वक्त पति के सामने ज्यादा नखरे दिखाने की कोशिश करना ठीक नहीं है. इस से पति नाराज हो सकता है. शरमाना, इठलाना, नखरे दिखाना स्त्री के गुण हो सकते हैं, पर ऐन मौके पर नखरे दिखाने पर पति का मूड बिगड़ सकता है. अत: ऐसे मौके पर पति को भरपूर सहयोग दें.

ऐक्सपैरिमैंट न करें:

हनीमून के दौरान सैक्स संबंध को ले कर ज्यादा ऐक्सपैरिमैंट न करें. कुछ लोग दोस्तों द्वारा बताए गए टिप्स, सस्ती किताबों या वैबसाइट पर दी गई ऊलजलूल टिप्स आजमाने लगते हैं. उन बेतुके टिप्स की वजह से जीवनसाथी को परेशानी हो सकती है.

जबलपुर के एक होटल में हनीमून के दौरान एक युवक अपनी नवविवाहिता को दोनों पैरों से बांध कर उलटा लटका कर सैक्स करने की कोशिश करने लगा. किसी दोस्त ने उसे बताया था कि इस तरह से पहली बार सैक्स करने पर मजा कुछ और ही आता है. इस लटकी नवविवाहिता की सांस ऊपरनीचे होने लगी. वह तो अच्छा हुआ, युवक ने नवविवाहिता की हालत देख कर जल्दी उतार दिया. इतने में नवविवाहिता बेहोश हो गई. उस ने जल्दी से डाक्टर बुला कर सारी बात सहीसही बता दी. डाक्टर ने चैक कर के बताया, दिमाग में रक्तसंचार बढ़ जाने से वह बेहोश हो गई है. थोड़ी देर और लटकी रहती तो उस की जान भी जा सकती थी.

अच्छी तरह देख लें:

होटल कितना ही महंगा क्यों न हो, पूरे कमरे को अच्छी तरह जरूर चैक कर लें. बाथरूम, बैडरूम, आलमारी, ट्यब लाइट, स्विचबोर्ड, पंखा आदि जगहों को चैक करें. चेक करने का आसान उपाय है कि इन के पास मोबाइल ले जाएं. यदि कहीं कैमरा लगा होगा तो मोबाइल का नैटवर्क गायब हो जाएगा.

कैमरा लगा होने का पता करने के लिए दूसरा उपाय है उस रूम की सारी लाइटें बंद कर दें. फिर अपने स्मार्ट फोन का कैमरा औन करें. लेकिन फ्लैश औफ कर दें. फिर कैमरे में देखें कि कोई लाल रंग के डौट्स तो नहीं दिख रहे हैं. दिखें तो समझ जाएं कि हिडन कैमरा लगा है. इस बात का ध्यान रखें, हनीमून के लिए किसी अच्छे होटल का ही चुनाव करें. कम रेट वाले होटलों में स्पाई कैमरे लगे रहने के चांस अधिक होते हैं, क्योंकि यहां काम करने वाले कर्मचारियों को वेतन कम मिलता है. ऐसे में वे अलग से कुछ कमाने के चक्कर में ऐसी हरकतें कर सकते हैं.

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औफिस की चिंता:

हनीमून के दिनों में आप अपना औफिस साथ न ले जाएं. ऐसे में पूरा ध्यान नईनवेली दुलहन के बजाय औफिस या अपने बिजनैस पर रहता है. ऐसे में हनीमून का सारा मजा खराब हो जाता है. फोन अटैंड करना, मेल चैक करना, फोन कर के कर्मचारियों को निर्देश देना जैसी बातें आप की पार्टनर को डिस्टर्ब करती हैं. हनीमून के दौरान सारी बातें भूल कर अपना फोकस जीवनसाथी पर करें.

तो कहलाएंगी Wife नं. 1

आजकल अगर आप पत्नियों से यह पूछें कि पति पत्नी से क्या चाहता है तो ज्यादातर पत्नियों का यही जवाब होगा कि सौंदर्य, वेशभूषा, मृदुलता, प्यार.

जी हां, काफी हद तक पति पत्नी से नैसर्गिक प्यार का अभिलाषी होता है. वह सौंदर्य, शालीनता, बनावट और हारशृंगार भी चाहता है. पर क्या केवल ये बातें ही उसे संतुष्ट कर देती हैं?

जी नहीं. वह कभीकभी पत्नी में बड़ी तीव्रता से उस की स्वाभाविक सादगी, सहृदयता, गंभीरता और प्रेम की गहराई भी ढूंढ़ता है. कभीकभी वह चाहता है कि वह बुद्धिमान भी हो, भावनाओं को समझने वाली योग्यता भी रखती हो.

बहलाने से नहीं बनेगी बात

पति को गुड्डे की तरह बहलाना ही पत्नी के लिए पर्याप्त नहीं. दोनों के मध्य गहरी आत्मीयता भी जरूरी है. ऐसी आत्मीयता कि पति को अपने साथी में किसी अजनबीपन की अनुभूति न हो. वह यह महसूस करे कि वह उसे सदा से जानता है और वह उस के दुखसुख में हमेशा उस के साथ है. पतिपत्नी के प्यार और वैवाहिक जीवन में यह आत्मिक एकता जरूरी है. पत्नी का कोमल सहारा वास्तव में पति की शक्ति है. यदि वह सहृदयता और सूझबूझ से पति की भावनाओं का साथ नहीं दे सकती, तो वह सफल पत्नी नहीं कहला सकती.

पत्नी भी मानसिक तृष्णा अनुभव करती है. वह भी चाहती है कि वह पति के कंधे पर सिर रख कर जीवन का सारा बोझ उतार फेंके.

बहुतों का जीवन प्राय: इसलिए कटु हो जाता है कि वर्षों के सान्निध्य के बावजूद पति और पत्नी एकदूसरे से मानसिक रूप से दूर रहते हैं और एकदूसरे को समझ नहीं पाते हैं. बस यहीं से शुरू होती है दूरी. यदि आप चाहती हैं कि यह दूरी न बढ़े, जीवन में प्रेम बना रहे तो निम्न बातों पर गौर करें:

– यदि आप के पति दार्शनिक हैं तो आप दर्शन में अपनी जानकारी बढ़ाएं. उन्हें कभी शुष्क या उदास मुखड़े से अरुचि का अनुभव न होने दें.

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– यदि आप कवि की पत्नी हैं, तो समझिए वीणा के कोमल तारों को छेड़ते रहना आप का ही जीवन है. सुंदर बनी रहें, मुसकराती रहें और

सहृदयता से पति के साथ प्रेम करें. उन का दिल बहुत कोमल और भावुक है, आप की चोट सहन न कर पाएगा.

– आप के पति प्रोफैसर हैं तो आटेदाल से ले कर संसार की प्रत्येक समस्या पर हर समय व्याख्यान सुनने के लिए प्रसन्नतापूर्वक तैयार रहें.

– यदि आप के पति धनी हैं, तो उन के धन को दिमाग पर लादे न घूमें. धन से इतना प्रभावित न हों कि पति यह विश्वास करने लगे कि सारी दिलचस्पी का केंद्र उस की दौलत है. आप दौलत से बेपरवाह हो कर उन के व्यक्तित्व की उस रिक्तता को पूरा करें जो हर धनिक के जीवन में होती है. विनम्रता और प्रतिष्ठतापूर्वक दौलत का सही उपयोग करें और पति को अपना पूरा और सच्चा सान्निध्य दें.

– यदि आप के पति पैसे वाले न हों तो उन्हें केवल पति समझिए गरीब नहीं. आप कहें कि आप को गहनों का तो बिलकुल शौक नहीं है. साधारण कपड़ों में भी अपना नारीसौंदर्य स्थिर रखें. चिंता और दुख से बच कर हर मामले में उन का साथ दें.

हमेशा याद रखें कि सच्चा सुख एकदूसरे के साथ में है, भौतिक सुखसुविधाएं कुछ पलों तक ही दिल बहलाती हैं.

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पति की जबरदस्ती से कैसे बचें

श्वेता खाना खा कर सोने चली गई थी. उस का पति प्रदीप अभी घर नहीं लौटा था. पहले रात के खाने पर श्वेता पति का देर रात तक इंतजार करती थी. कुछ दिनों के बाद प्रदीप ने कहा कि अगर वह 10 बजे तक घर न आए तो खाने पर उस का इंतजार न किया करे. इस के बाद प्रदीप के आने में देर होने पर श्वेता खाना खा कर लेट जाती थी. उस दिन भी वह लेट तो गई थी, मगर उसे नींद नहीं आ रही थी. वह अपने संबंधों के बारे में सोच रही थी. उसे लग रहा था जैसे वह पति की जबरदस्ती का शिकार हो रही है. प्रदीप ज्यादातर देर रात घर लौटता था. इस के बाद कभी सो जाता था, तो कभी श्वेता को शारीरिक संबंध बनाने के लिए मजबूर करने लगता था. नींद के आगोश में पहुंच चुकी श्वेता को तब संबंध बनाना अच्छा नहीं लगता था. श्वेता को कभीकभी लगता जैसे पति प्यार न कर के बलात्कार कर रहा हो.

श्वेता अपने को यह सोच कर समझाती कि पति की शारीरिक जरूरतों को पूरा करने के लिए ही शादी होती है, इसलिए उसे केवल पति की जरूरतों को पूरा करना चाहिए. इस जोरजबरदस्ती में श्वेता को 4 साल के विवाहित जीवन में 1-2 बार ही ऐसा लगा था कि प्रदीप प्यार के साथ संबंध बना सकता है, ज्यादातर श्वेता जोरजबरदस्ती का ही शिकार बनी थी. इस का प्रभाव उस के ऊपर कुछ इस तरह पड़ा कि वह शारीरिक संबंधों से चिढ़ने लगी. श्वेता और प्रदीप का 1 बेटा था. श्वेता जब कभी अपनी सहेली शालिनी से मिलती तो उसे पता चलता कि उन का पतिपत्नी का रिश्ता मजे में चल रहा है. एक दिन जब श्वेता ने अपनी परेशानी शालिनी को बताई, तो वह उसे सैक्स काउंसलर के पास ले गई.

पति से करें बात

काउंसलर ने बातचीत कर के यह जानने की कोशिश की कि श्वेता की परेशानी क्या है? श्वेता ने काउंसलर को बताया कि उस का पति उस समय उस से सैक्स संबंध बनाने की कोशिश करता है जब उस का मन नहीं होता है. कई बार जब वह इस के लिए मना करती है, तो वह जोरजबरदस्ती पर उतर आता है. इस से श्वेता का सैक्स संबंधों से मन उचट गया है. काउंसलर रेखा पांडेय ने श्वेता को सलाह देते हुए कहा कि इस बारे में पति से आराम से बात करें और यह बातचीत सैक्स संबंधों के समय न कर के बाद में की जाए. इस के लिए प्यार से पति को मनाने की कोशिश की जाए. अगर पति कभी नशे की हालत में सैक्स संबंध बनाने की कोशिश करे तो उस समय कुछ न कह कर नशा उतरने के बाद बात करें. नशे की हालत में बात समझ में नहीं आती उलटे कभीकभी लड़ाईझगड़े से मामला बिगड़ जाता है.

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पति हर समय गलत होता है, यह भी नहीं मान लेना चाहिए. उसे इस के लिए हमेशा टालना सही नहीं होता है. हो सकता है कि कभी आप का मन न हो, बावजूद इस के आप को सकारात्मक रुख अपनाना चाहिए. सैक्स पति और पत्नी दोनों की जरूरत होती है. इसलिए इस से जुड़ी किसी भी परेशानी को हल करने के लिए पतिपत्नी दोनों को मिल कर सोचना चाहिए. जब आप खुल कर एकदूसरे से बात करेंगे तो सारी गलतफहमियां दूर हो जाएंगी.

क्यों करनी पड़ती जबरदस्ती

सैक्स दांपत्य जीवन की सब से अहम चीज होती है, यह बात पतिपत्नी दोनों को पता होती है. ऐसे में सवाल उठता है कि तब सैक्स संबंध के लिए जबरदस्ती क्यों करनी पड़ती है? कई बार कभी पति या पत्नी को कोई ऐसी बीमारी हो जाती है, जिस से सैक्स संबंधों से मन उचट जाता है. ऐसे में बहुत ही धैर्य और समझदारी की जरूरत होती है. सब से पहले अपने साथी की जरूरत को समझने की कोशिश करें. अगर कोई शारीरिक परेशानी है, तो उस का इलाज किसी योग्य डाक्टर से कराएं. सैक्स की ज्यादातर बीमारियों की वजह मानसिक ही होती है. इस के लिए आपस में बात करें. अगर बात न बने तो मनोरोगचिकित्सक से भी बातचीत कर सकती हैं.

सैक्स के प्रति पत्नी की नकारात्मक सोच ही पति को कभीकभी जबरदस्ती करने के लिए मजबूर करती है. कुछ पत्नियां सैक्स को गंदा काम मान कर उस से संकोच करती हैं. अगर आप भी इसी तरह के विचार रखती हैं, तो यह सही नहीं है. आप के इस तरह के विचार पति को जबरदस्ती करने के लिए उकसाते हैं  पति की जबरदस्ती से बचने के लिए इस तरह की नकारात्मक सोच से बचना चाहिए. इस मानसिकता के चलते न तो आप स्वयं कभी खुश रह सकती हैं और न ही पति को खुश रख पाएंगी. ऐसा कर के आप कभी सैक्स का आनंद न स्वयं ले पाएंगी और न कभी अपने पति को ही यह सुख दे पाएंगी. जबरदस्ती से बचने के लिए सैक्स के प्रति अपनी सोच को सकारात्मक बनाएं.

बहाने बनाने से बचें

आमतौर पर पतियों को यह शिकायत होती है कि पत्नियां बहाने बनाती हैं, जिस के चलते जबरदस्ती करनी पड़ती है. इन शिकायतों में बच्चों के बड़े होने, मूड ठीक न होने और घर में एकांत की कमी होना मुख्य कारण होते हैं. रमेश प्रधान का कहना है कि मैं जब भी अपनी पत्नी के साथ सैक्स करने की पहल करता था, वह बच्चों और परिवार का बहाना कर टाल जाती थी. इस का मैं ने हल यह निकाला कि सप्ताह में 1 बार पत्नी को ले कर आउटिंग पर जाने लगा. इस के बाद हमारे संबंध सही रूप से चलने लगे. अब पत्नी को यह अच्छा लगने लगा है. हमारे संबंध अब सहज हो गए हैं. पत्नी के बहाना बनाने का असर यह होता है कि जब कभी पत्नी को हकीकत में कोई परेशानी होगी तब भी पति को लगेगा कि वह बहाना बना रही है.

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अत: मूड न होने पर भी साथी को सहयोग देने की कोशिश करें. इस से उस की जबरदस्ती से बच सकती हैं. पति का समीप आना पत्नी की अंदर की भावनाओं को जगा देता है. इस से पत्नी भी उत्तेजित हो जाती है. पति जबरदस्ती करने से बच जाता है. आप का मूड न हो तो भी उसे बनाया जा सकता है. आप को पति को बताना पड़ेगा कि मूड बनाने के लिए वह क्या करे. अगर कभी पति जबरदस्ती करे तो आप को उसे सहयोग दे कर जबरदस्ती से बचना चाहिए. पति जबरदस्ती करने लगे और आप भी संबंध न बनाने पर अड़ गईं, तो इस से संबंधों में दरार पड़ सकती है.

शादी के 10 साल बाद भी मां बनने के सुख से वंचित हूं, मुझे क्या करना चाहिए?

सवाल

मेरी उम्र 38 साल है. शादी को 10 साल से अधिक हो गए हैं, लेकिन मां बनने के सुख से वंचित हूं. डाक्टर ने बताया कि मेरे अंडे कमजोर हैं. इसी वजह से एक बार मेरा 3 माह का गर्भ भी गिर चुका है. बताएं कि मुझे क्या करना चाहिए?

जवाब
इस उम्र में गर्भधारण करना आमतौर पर थोड़ा मुश्किल हो जाता है. आप का 3 माह का गर्भ गिरना भी यही साबित करता है कि आप के अंडे कमजोर हैं. लेकिन आप को निराश होने की आवश्यकता नहीं है. अगर आप के पति में कोई कमी नहीं है तो आप एग डोनेशन तकनीक का सहारा ले सकती हैं. किसी अन्य महिला के अंडे आप के गर्भाशय में ट्रांसप्लांट किए जा सकते हैं. इस के लिए आवश्यक है कि उक्त महिला शादीशुदा हो और बच्चे को जन्म दे चुकी हो.

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पीसीओडी की समस्या और निदान

आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में महिलाएं अपने स्वास्थ्य की अनदेखी कर देती हैं, जिस का खमियाजा उन्हें विवाह के बाद भुगतना पड़ता है. लड़कियों को पीरियड्स शुरू होने के बाद अपने स्वास्थ्य पर खासतौर से ध्यान देने की आवश्यकता होती है. महिलाओं के चेहरे पर बाल उग आना, बारबार मुहांसे होना, पिगमैंटेशन, अनियमित रूप से पीरियड्स का होना और गर्भधारण में मुश्किल होना महिलाओं के लिए खतरे की घंटी है.

चिकित्सकीय भाषा में महिलाओं की इस समस्या को पोलीसिस्टिक ओवरी डिजीज यानी पीसीओडी के नाम से जाना जाता है. इस समस्या के होेने पर महिलाओं, खासकर कुंआरी लड़कियों को समय रहते चिकित्सकीय जांच करानी चाहिए. ऐसा नहीं करने पर महिलाओं की ओवरी और प्रजनन क्षमता पर असर तो पड़ता ही है साथ ही, आगे चल कर उच्च रक्तचाप, डायबिटीज और हृदय से जुड़े रोगों के होने का खतरा भी बढ़ जाता है.

आज करीब 30 प्रतिशत महिलाएं इस बीमारी से ग्रस्त हैं जबकि चिकित्सकों का मानना है कि इस बीमारी की शिकार महिलाओं की संख्या इस से कई गुना अधिक है. उचित ज्ञान न होने व पूर्ण चिकित्सकीय जांच न होने की वजह से महिलाएं इस समस्या से जूझ रही हैं.

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पीसीओडी बीमारी के बारे में गाइनीकोलौजिस्ट डा. शिखा सिंह का कहना है कि यह एक हार्मोनल डिसऔर्डर है. पीरियड्स के पहले और बाद में महिलाओं के शरीर में बहुत तेजी से हार्मोन में बदलाव आते हैं जो कई बार इस बीमारी का रूप ले लेते हैं.

डा. शिखा की मानें तो हर महीने महिलाओं की दाईं और बाईं ओवरी में पीरियड्स के बाद दूसरे दिन से अंडे बनने शुरू हो जाते हैं. ये अंडे 14-15 दिनों में पूरी तरह से बन कर 18-19 मिलीमीटर साइज के हो जाते हैं. इस के बाद अंडे फूट कर खुद फेलोपियन ट्यूब्स में चले जाते हैं और अंडे फूटने के 14वें दिन महिला को पीरियड शुरू हो जाता है लेकिन कुछ महिलाओं, जिन्हें पीसीओडी की समस्या है, में अंडे तो बनते हैं पर फूट नहीं पाते जिस की वजह से उन्हें पीरियड नहीं आता.

आगे उन का कहना है कि ऐसी महिलाओं को 2 से 3 महीनों तक पीरियड नहीं आने की शिकायत रहती है, जिस की सब से बड़ी वजह है कि फूटे अंडे ओवरी में ही रहते हैं और एक के बाद एक उन से सिस्ट बनती चली जाती हैं. लगातार सिस्ट बनते रहने से ओवरी भारी लगनी शुरू हो जाती है. इसी ओवरी को पोलीसिस्टिक ओवरी कहते हैं.

इतना ही नहीं, इस के कारण ओवरी के बाहर की कवरिंग कुछ समय बाद सख्त होनी शुरू हो जाती है. सिस्ट के ओवरी के अंदर होने के कारण ओवरी का साइज धीरेधीरे बढ़ना शुरू हो जाता है. ये सिस्ट ट्यूमर तो नहीं होतीं पर इन से ओवरी सिस्टिक हो चुकी होती है, जिस से अल्ट्रासाउंड कराने पर कभी ये सिस्ट दिखाई देती हैं तो कभी नहीं. दरअसल, अंडों के ओवरी में लगातार फूटने के चलते ओवरी में जाल बनना शुरू हो जाता है. धीरेधीरे ओवरी के अंदर जालों का गुच्छा बन जाता है. इसलिए सिस्ट का पूरी तरह से पता नहीं चल पाता है.

डा. शिखा के मुताबिक पीसीओडी होने के कारणों का पूरी तरह से पता नहीं चल पाया है लेकिन चिकित्सकों की राय में लाइफस्टाइल में बदलाव, आनुवंशिकी व जैनेटिक फैक्टर का होना मुख्य वजहें हैं.

क्या हैं सिस्ट के लक्षण

ओवरी में बिना अंडों के न फूटने की वजह से जो सिस्ट बनती हैं उन में एक तरल पदार्थ भरा होता है. यह तरल पदार्थ पुरुषों में पाया जाने वाला हार्मोन एंड्रोजन होता है, क्योंकि लगातार सिस्ट बनती रहती हैं तो महिलाओं में इस हार्मोन की मात्रा कई गुना बढ़ जाती है, जिस की वजह से युवतियों के शरीर पर पुरुषों की तरह बाल उगने लगते हैं. इसे हरस्यूटिज्म कहते हैं. इस तरह महिलाओं के चेहरे, पेट और जांघों पर बाल उगने लगते हैं.

एंड्रोजन की अधिकता के कारण शरीर की शुगर इस्तेमाल करने की क्षमता भी दिनप्रतिदिन कम होती जाती है, जिस की वजह से शुगर का स्तर भी बढ़ता चला जाता है, जिस से खून में वसा की मात्रा बढ़नी शुरू हो जाती है और यही वसा महिलाओं में मोटापे का कारण बनती है.

मोटापा अधिक होने के कारण महिलाओं में इस्ट्रोजन नामक हार्मोन ज्यादा बनने की संभावना बढ़ जाती है. इस स्थिति में लिपिड लेवल भी बढ़ा हुआ होता है जिस की वजह से ब्लड वैसल्स में फैट सैल्स बढ़ जाते हैं और ब्लड की नलियों में चिपक कर उन्हें संकीर्ण बना देते हैं. ये सैल्स ब्लड सप्लाई करने वाली नलियों को ब्लौक भी कर देते हैं.

महिलाओं में इस्ट्रोजन अधिक मात्रा में बनता है तो ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन भी ज्यादा बनता है, जिस की वजह से माहवारी में अनियमितता पाई जाती है. साथ ही, काफी दिनों तक इस्ट्रोजन ही बनता जाता है और उसे बैलेंस करने वाला प्रोजैस्ट्रोन बन नहीं पाता. यदि गर्भाशय में इस्ट्रोजन बहुत दिनों तक काम करता है, तो महिलाओं को यूटेराइन कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है.

अगर किसी महिला में पीसीओडी के लक्षण हैं तो उसे इस बीमारी की जांच के लिए पैल्विक अल्ट्रासाउंड कराना चाहिए. इस के अलावा हार्मोनल और लिपिड टैस्ट होते हैं. हार्मोन के सीरम स्तर पर ग्लूकोज टौलरैंस आदि की जांच की जाती है. इस से बौडी में ग्लूकोज की सही मात्रा की जानकारी मिल जाती है.

16 से 18 साल की लड़की के पीरियड अनियमित होने पर उस का इतना ही इलाज किया जाता है कि पीरियड्स नौर्मल हो जाएं. जिस तरह से हर महीने कौंट्रासैप्टिव दिए जाते हैं उसी तरह से उसे कौंबिनैशन हार्मोन की दवाएं दी जाती हैं. डा. शिखा ने बताया कि सामान्य रूप से एक लड़की को 11 साल की उम्र में पीरियड्स होने लगते हैं. पीरियड शुरू होने के 4-5 साल बाद यदि वह अनियमित होने लगे तो डाक्टरी सलाह और जांच करा लेनी चाहिए.

पीसीओडी से पीडि़त युवती की शादी हो जाने पर उसे पीरियड की अनियमितता और गर्भधारण जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. इस स्थिति में उस की माहवारी को नियमित करने और अंडा समय पर पक सके, इस का इलाज किया जाता है.

इस के अलावा इन महिलाओं की गर्भधारण के दौरान अन्य गर्भवती महिलाओं की तुलना में ज्यादा देखभाल करनी पड़ती है क्योंकि इन में गर्भपात की आशंका बहुत ज्यादा बनी रहती है. इसलिए गर्भधारण करने के 3 महीने तक यदि गर्भ ठहरा रहता है तो फिर वे एक सामान्य महिला की तरह रह सकती हैं. इस के बाद डिलीवरी में किसी प्रकार की कोई दिक्कत नहीं आती है.

पीसीओडी की शिकार महिलाओं में बारबार गर्भपात के आसार ज्यादा होते हैं. इसलिए यदि कोई बड़ी उम्र की महिला गर्भवती होती है तो हो सकता है वह प्रीडायबिटिक हो. ऐसी स्थिति में महिलाओं को चाहिए कि समयसमय पर डायबिटीज की जांच कराती रहें और यदि किसी महिला का वजन अधिक है तो उसे व्यायाम और अन्य शारीरिक कसरत से अपना वजन घटाना चाहिए ताकि गर्भधारण के दौरान महिला और उस के गर्भ में पल रहे शिशु को किसी भी प्रकार की शारीरिक समस्याओं से दोचार न होना पड़े.

इन महिलाओं को दिन में एक बार में ज्यादा खाना खाने से बचना चाहिए. ज्यादा खाना खाने के बजाय उन्हें बारबार थोड़ीथोड़ी मात्रा में खाना खाना चाहिए. वे कम कार्बोहाइड्रेट और वसायुक्त भोजन लें, मीठी चीजों से परहेज करें ताकि शरीर में इंसुलिन का स्तर अधिक न हो. ऐसी तमाम बातों का ध्यान रख कर पीसीओडी से ग्रस्त महिला गर्भवती हो कर मां बनने का सुख प्राप्त कर सकती है.

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